Our first PM was there for 17 years, his daughter for about 14 years, her son for next five years and the same family also ran the government for a long time with remote control: PM
Congress Government in Puducherry has done injustice with people of the region by not focusing on development: PM Modi
Puducherry has all the resources and its people had the potential to touch new heights of development: PM Modi
Puducherry: PM Modi highlights various initiatives of the Centre like Mudra Yojana, Jan Dhan Yojana and Digital Saksharta Scheme
Ayushman Bharat Yojana would benefit poor the most, says PM Modi
Through Sagarmala project, the Government is strengthening the ports and ushering in an era of port-led development: PM Modi

भारत माता की जय। दोनों हाथ उपर उठाकरके, मुट्ठी बंद करके बोलिए। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय।

पुदुचेरी सहोदर, सहोदरी कले वल्लकम। पुंगलई पाक पुदुचेरी वंदे रोम संतोषम। पुदुचेरी अलगानुर। मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के सभी वरिष्ठ नेतागण और पुदुचेरी जैसी छोटी जगह पर इतनी कड़ी धूप में इतनी बड़ी तादात में आए हुए पुदुचेरी के मेरे प्यारे भाइयो और बहनो।

मैं लंबे अंतराल के बाद आज पुदुचेरी आया हूं। पुदुचेरी दिव्य और सिद्ध लोगों का शहर है। इस पुण्य भूमि में हमेशा वो ऊर्जा महसूस की जा सकती है जो देश को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से और सशक्त करती है। आप लोग इस पवित्र शहर में रहने के कारण बहुत भाग्यशाली हैं। और मैं भी आज यहां आकर खुद को सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं।

साथियों।

पुदुचेरी की एक विशेषता है। ये गांव वालों के लिए गांव है और शहर वालों के लिए शहर है। हमारे यहां कहा गया है - अतिथि देवो भव:। उसके आप इस ऐतिहासिक शहर ने अपने ऐतिहासिक महान कर्मों के द्वारा जीकर दिखाया है। जब श्री अरविन्द घोष जी अंग्रेजों से बचकर पुदुचेरी आए थे तो आप लोगों ने दोनों हाथों से गले लगाकर उन्हें ज्ञान गुरु बनाया था। जब कवि भारती, उसी माहौल में यहां पधारे तो आपने उनका ह्रदय से स्वागत किया। पुदुचेरी ने ही उन्हें राष्ट्र कवि बनाने का मार्ग प्रशस्त किया। अपनी कविताओं के माध्यम से उन्होंने कांची और काशी को जोड़ने का कार्य किया। मां भारती को हर भारतीय के ह्रदय और मस्तिष्क को जाग्रत करने का काम किया। स्वतंत्रता के सेनानी श्री वाचिनाजन का भी दिल खोलकर स्वागत किया। राष्ट्र निर्माण के लिए, स्वतंत्रता के लिए पुदुचेरी का योगदान, एक ऐसी विरासत है जो आज भी गौरव से भर देती है। गुलामी के उस कालखंड में जिन पत्रिकाओं पर ये सोचकर रोक लगा देते थे, उसे छापना अपराध है, वो पत्रिकाओं को पुदुचेरी ने छापकरके जागृति की जिम्मेदारी निभाई थी। यहां के लोगों ने एक नहीं बल्कि दो-दो स्वतंत्रता आंदोलनों में हिस्सा लिया है।

सुनामी आपदा के बाद आपने और विशेषकर कराईकल के लोगों ने जिस तरह पुनर्निमाण के कार्यों को संपन्न किया वो  आपके धैर्य, आपके हौसले और आपकी इच्छाशक्ति को दर्शाता है। साथियो। मैं पुदुचेरी की इस महान धरती को एक बार फिर नमन करता हूं।

साथियो।

पुदुचेरी में संसाधन हैं, सामर्थ्य है, इच्छाशक्ति भी है लेकिन आखिर ऐसा क्या कारण है कि विकास को रोककरके रखा हुआ है। आखिर ऐसा क्यों है कि पुदुचेरी विकास के पैरामीटर में देश में सबसे आगे नहीं है। पुदुचेरी का हर नागरिक पूछता है कि क्या पुदुचेरी अपनी पूरी शक्ति का इस्तेमाल कर पा रहा है। क्या यहां के नौजवानों, महिलाओं को आगे बढ़ने का उचित अवसर मिल रहा है ...। क्या यहां के उद्योग अच्छी तरह से परफोर्म कर पा रहे हैं ...। क्या यहां के लोगों के आपकी जिंदगी में इज ऑफ लिविंग वैसी है, जिसके आप अधिकारी हैं ...।

भाइयो बहनो।

इस धरती के साथ अन्याय किया है। एक के बाद एक आने वाली सरकारों ने यहां की क्षमता को समझने में गलती की है। पुदुचेरी के विकास पर कई दशकों से ब्रेक लगा हुआ है। हम जब विकास की बात करते हैं तो ध्यान में आता है कि हमारा देश 1947 में आजाद हुआ था। कई ऐसे देश थे जो हमारे बाद आजाद हुए। लेकिन आज वो देश विकास के कई पैमानों पर भारत से बहुत आगे निकल गए हैं। हमें गंभीरता से सोचना होगा कि हमारे पॉलिटिकल कल्चर में, हमारे सिस्टम में, हमारे सरकारी कल्चर में, ऐसी क्या कमी रही जो हम विकास की इस यात्रा में और देशों से आज भी पीछे हैं। मैं आज पुदुचेरी की धरती से पूरे देश के विद्वानों का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। हम जरा इतिहास पर नजर करें।

हमारे पहले प्रधानमंत्री ने लगभग 17 सालों तक इस देश का शासन संभाला। उसके बाद उनकी बेटी ने लगभग 14 साल तक देश का कारोबार संभाला। और फिर उनके पुत्र ने पांच साल तक प्रधानमंत्री पद पर रहकरके कार्यभार संभाला। और पिछले 10 साल में आपने देखा 2004 से 2014, रिमोर्ट कंट्रोल से ये परिवार किस प्रकार से देश की सरकार चलाता था। यदि कुल मिलाके हिसाब लगाएं तो इस एक परिवार ने लगभग 48 साल तक इस देश के शासन तंत्र को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से चलाया है।

मेरे प्यारे देशवासियो।

उन्होंने 48 साल तक शासन किया। इस मई महीने में हमारी सरकार को 48 महीना होने वाले हैं। अब हमें विचार करना चाहिए। एक तरफ, देश के बुद्धजीवी वर्ग को विचार करना होगा। एक परिवार के 48 साल में हमने क्या पाया खोया।  और इधर 48 महीने में हमने क्या हासिल किया है। 48 साल उन्होंने राज किया और हमने 48 महीने देश को देकर के दिखाया है। 48 साल, 48 महीने की हमारी सरकार, 48 साल का उनका कारोबार, जब तुलना हो या हम विकास की यात्रा की बात करें, सामान्य मानवी के जीवन को आसान बनाने की बात करें तो इस दृष्टि से देखे कि क्या तुलना हो सकती है। पुदुचेरी पहले ...समृद्ध था लेकिन अब उसकी चमक फीकी पड़ गई है। यहां पर को-ऑपरेटिव सेक्टर भी करीब-करीब दम तोड़ रहा है। जहां देश भर ट्रांसपोर्ट सेक्टर को आधुनिक किया जा रहा है। वहीं पुदुचेरी में ट्रांसपोर्ट सेक्टर की हालत दिनोंदिन खराब होती जा रही है। शहर का इंफ्रास्ट्रक्चर, पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में भी कांग्रेसी कल्चर का शिकार आज आपका पुदुचेरी बना हुआ है।

साथियो।

पुदुचेरी भले ही केंद्र शासित प्रदेश है लेकिन जैसे केंद्र में कई दशकों तक कांग्रेस की सरकार रही, वैसे ही यहां भी कांग्रेस का राज अधिकतम समय रहा है। पुदुचेरी विकास में क्यों पिछड़ा। इसका जवाब यहां की सरकार को, कांग्रेस पार्टी को, कांग्रेस के नेताओं को, देश की जनता को, पुदुचेरी की जनता को इसका जवाब देना होगा। दिल्ली में बैठकरके कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता लोकतंत्र की बातें करते रहते हैं। लेकिन मैं पूछना चाहता हूं, इन कांग्रेस के रथी-महारथियों से पूछना चाहता हूं। लोकतंत्र की बड़ी-बड़ी बातें करने के बाद भी पुदुचेरी में सालों से पंचायतों के चुनावों रोका गया है। यहां पंचायतों के चुनाव नहीं करने दिए जाते हैं। यहां के गांव के लोगों को अपने हक नहीं दिए जाते हैं। ये जवाब दिल्ली में बैठी हुई कांग्रेस के नेताओं को देना पड़ेगा। लोकतंत्र को दबोचने का ये काम, लोकतंत्र का गला घोंटने का काम वे करते रहते हैं और दिल्ली में बड़ी-बड़ी बातें करते हैं।

कानून के तहत जो नोमिनेटेड एमएलए हैं, उनको विधानसभा के सभी कामों में जनप्रतिनिधि की तरह ही काम करने का हक होता है लेकिन मुझे बताया गया है कि एसेंबली के अंदर  कोई रोल अदा करने नहीं दिया जाता है, लोकतंत्र का गला घोंट दिया जाता है।

आज मैं यहां आकरके पुदुचेरी के मुख्यमंत्री श्रीमान नारायण सामी को एक विशेष शुभकामना देना चाहता हूं। एडवांस में बधाई देना चाहता हूं क्योंकि जून महीने के बाद नारायण सामी का कांग्रेस में इतना जय-जयकार होने वाला है, उनका रूतबा इतना बढ़ने वाला है। सारी कांग्रेस पार्टी, सब जगह पर के नारायण सामी को स्पेशिफिक मैन के रूप में दिखाने वाला है। उसका कारण आपको पता है ...। पता है ...। मैं बताता हूं। देखिए नोर्थ ईस्ट में चुनाव चल रहा है। वहां की कांग्रेस की एक सरकार है। वो जाने वाली है। बाद में, कर्नाटक में चुनाव होने वाला है। वहां कांग्रेस की एक सरकार बची है, वो जाने वाली है। फिर पूरे देश में अकेले नारायण सामी ही बचने वाले हैं। इसलिए जून महीने के बाद कांग्रेस पार्टी को नारायण सामी को कंधे पर बिठा-बिठाकर पूरे देश को बताना पड़ेगा कि हमारे पास एक मुख्यमंत्री बचा है।

साथियो।

पुदुचेरी क्षेत्रफल के हिसाब से देश के उन छोटे से राज्यों में से है जिसको पूरे देश को दिशा देने की ताकत है। एक लाइट हाउस की तरह पुदुचेरी चमकते हुए अपने आसपास के लोगों को, अपने आसपास के राज्यों को रास्ता दिखा सकता है। कम कैश इकॉनोमी से जुड़े कार्यों के जरिए, टूरिज्म से जुड़े नए ईको सिस्टम की स्थापना करके, इन्वारामेंट फ्रेंडली ट्रांसपोर्ट तैयार करके, सौ फीसदी एलईडी बल्ब वाला राज्य बनके, नए-नए इनोवेटिव तरीके से पुदुचेरी डवलपमेंट की नई मिसाल बन सकता है। यहां इतनी सारी हैरिटेज प्रॉपर्टीज है। शहर की विरासत है। उनकी देख-रेख कैसे की जाए, उनका संरक्षण कैसे किया जाए। उसे भी पुदुचेरी एक मॉडल के तौर पर विकसित करके देश को दिशा दे सकता है। आप सोचिए। दुनिया में कितने देशों में विशेष ऐतिहासिक शहर देखने के लिए बाहर निकलते हैं। हैरिटेज टूरिज्म में पुदुचेरी पूरे देश का नेतृत्व करने का सामर्थ्य रखता है।

पुदुचेरी में संभावनाएं भी हैं और संसाधन भी हैं। खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित करना। और मैं मानता हूं कि अगर पुदुचेरी चाहे तो एक नया विश्वास पैदा कर सकता है और खुले शौच से मुक्त पूरे पुदुचेरी को बनाया जा सकता है।

भाइयो बहनो।

केंद्र सरकार पुदुचेरी की पुरानी विरासत के संरक्षण के साथ ही उसे आधुनिक बनाने के काम में भी जुटी हुई है। न्यू पुदुचेरी अपनी ओल्ड सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत के साथ आगे बढ़ेगा। इन बातों को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने पुदुचेरी को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने का काम शुरू कर दिया है। इस काम में 1800 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किया जाएगा। इस राशि से यहां पर टूरिज्म सेक्टर को मजबूत किया जाएगा। ट्रांसपोर्ट सेक्टर को सुधारा जाएगा। नागरिकों को सरकारी सेवाओं की बेहतर डिलेवरी सुनिश्चित की जाएगी। ऐतिहासिक इमारतों का संरक्षण किया जाएगा। इस काम के लिए पिछले साल पुदुचेरी स्मार्ट सिटी डवपलमेंट लिमिटेड नाम से स्पेशल परपज व्हेकील (एसपीवीपी) बना दिया गया है। पुदुचेरी में वाटर सप्लाय सिस्टम सुधारने के लिए फ्रांस की एक एजेंसी के माध्यम से 500 करोड़ रुपया अलग से खर्च किए जाएंगे। ये जगह देश में मेडिकल एजुकेशन का हब है। 9 मेडिकल कॉलेजों में से सबसे महत्वपूर्ण है केंद्र सरकार का जितमर हॉस्पिटल। जितमर हॉस्पिटल के आधुनिकीकरण के लिए केंद्र सरकार ने 450 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है।

साथियो।

यहां के टूरिज्म डिपार्टमेंट का लोगो है पुडुचेरी Give time a break. ये जगह न सिर्फ समय थाम लेती है बल्कि सामान्य मानवी को आध्यात्म के एक अलग सफर पर ले जाती है। केंद्र सरकार ने कोएस्टल सर्किट में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए स्वदेश दर्शन स्कीम के तहत 85 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। इसी तरह यहां पर हैरिटेज और स्प्रिच्यूअल सर्किट के लिए भी 100 करोड़ रुपए से ज्यादा जारी किए गए हैं। यहां पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशियन टेक्नोलॉजी और अर्थशास्त्र मिनीस्ट्री के साथ मिलकर बीच रेस्टोरेशन का काम भी किया जा रहा है। ये सारे प्रोजेक्ट पुदुचेरी के टूरिज्म सेक्टर को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाएंगे। इसके अलावा हमारी सरकार उड़ान योजना से भी पुदुचेरी से कनेक्टिविटी बढ़ाने में मदद मिल रही है। उड़ान योजना के तहत पुदुचेरी से फ्लाइट सर्विस को फिर से शुरू कर दिया गया है। और इससे हैदराबाद और बैंगलुरू शहर भी आपसे हवाई सेवा से जुड़ गए हैं।

साथियो।

हजारों करोड़ का ये निवेश अपने साथ रोजगार के नए अवसर को लेकर आ रहा है। यहां के शहरों में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर जितना मजबूत होगा, कनेक्टिविटी जितनी मजबूत होगी, उतने ही टूरिस्ट आएंगे। अभी जितने टूरिस्ट आते हैं, उससे ज्यादा आएंगे। टूरिज्म सेक्टर का विकास पुदुचेरी के नौजवानों को नई ताकत देगा। आज यहां आप सभी के बीच मैं केंद्र सरकार की एक और योजना का जिक्र करना चाहता हूं जिसका लाभ यहां के नौजवान खूब उठा रहे हैं। इस योजना का नाम है - प्रधानमंत्री मुद्रा योजना। 12-13 लाख की आबादी वाली पुदुचेरी में पिछले तीन साल में इस योजना के तहत 3 लाख 25 हजार से ज्यादा के लोन दे दिए गए हैं। यानि बिना बैंक गारंटी यहां के हजारों लोगों को स्व-रोजगार के लिए करोड़ों रुपए दिये जा चुके हैं। मैं पुदुचेरी के नौजवानों से आग्रह करूंगा कि मुद्रा योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाएं। आपको टूरिज्म, टैक्सटाइल, एजुकेशन, मैन्युफेक्चरिंग, हेल्थ सेक्टर, किसी भी सेक्टर में अपना काम शुरू करना हो तो केंद्र सरकार आपके साथ खड़ी है। केंद्र सरकार द्वारा पुदुचेरी में जन धन योजना के माध्यम से करीब डेढ़ लाख लोगों के बैंक एकाउन्ट खोले गए हैं। सिर्फ 90 पैसे प्रतिदिन और एक रुपए महीने के प्रीमियम पर दो बीमा योजना के माध्यम से ढाई लाख लोगों को सुरक्षा कवच दिया गया है।

भाइयो और बहनो।

इस बजट में हमारी सरकार ने आपके स्वास्थ्य की चिंता से जुड़ी एक बहुत बड़ी योजना का ऐलान किया है। इस योजना का नाम है - आयुष्मान भारत योजना। ये आयुष्मान भारत योजना को कुछ लोग मोदी केयर कह रहे हैं। इसलिए लोगों को लगता है कि दो योजना है। जो लोग मोदी केयर कहते हैं और जो लोग आयुष्मान भारत कहते हैं। दोनों एक ही योजना के अलग-अलग नाम बनाए हैं। इस योजना के तहत सरकार हर गरीब परिवार को गंभीर बीमारी के लिए साल में 5 लाख रुपए तक के इलाज का इंश्योरेंस दे रही है। इस योजना से 10 करोड़ गरीब परिवारों यानि करीब-करीब 45 से 50 करोड़ लोगों की बड़ी चिंता दूर होगी।

साथियो।

पुदुचेरी देश का पहला केंद्र शासित प्रदेश है जिसने सौ प्रतिशत जन धन कवरेज हासिल की है। अनुसूचित जाति के कल्याण से जुड़ी जितनी भी योजना हैं, उनमें भी शत प्रतिशत आधार कवरेज हासिल की जा चुकी है। मुझे बताया गया है कि मनरेगा के तहत अब सारे श्रमिकों को अब सीधे बैंक एकाउंट में ही पैसा ट्रांसफर किया जाता है। अब प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान के माध्यम से यहां ग्रामीण इलाकों में रहने वाले 28 हजार लोगों को डिजिटल तौर पर साक्षर बनाने का काम भी भारत सरकार ने शुरू किया है।

भाइयो बहनो।

केंद्र सरकार हमारे मछुआरे भाइयो बहनो के लिए मछली पकड़ने के काम को आधुनिकीकरण करने का भी प्रयास कर रही है। अभी जिस तरह के टॉलर्स का इस्तेमाल किया जाता है। वो तकनीक के मामले में बहुत पुराने हैं। और इसलिए जब इन पुराने टॉलर्स को लेकरके हमारे मछुआरे भाई समंदर में जाते हैं तो अकसर रास्ता भटक जाते हैं। तकनीक का ज्यादा से ज्यादा का इस्तेमाल और लॉन्ग लाइनर टॉलर्स से इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। और इसलिए केंद्र सरकार एक स्कीम के तहत मछुआरों को लॉन्ग लाइनर टॉलर्स के लिए आर्थिक मदद दे रही है। देश में कोस्टल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए हमारी सरकार सागरमाला कार्यक्रम पर भी काम कर रही है। इससे पोर्टलेट डवलपमेंट के साथ ही समुद्री तटों पर रहने वाले लोगों के जीवन में बहुत बड़ा बदलावा आएगा।

साथियों।

सवा सौ करोड़ भारतीय मिलकर इस समय संकल्प से सिद्धि की यात्रा पर बढ़ रहे हैं। हम सभी का सपना न्यू इंडिया का है। ये सपना तभी पूरा होगा जब न्यू पुदुचेरी का संकल्प सिद्ध होगा। देश का प्रत्येक शहर, प्रत्येक गांव अपने-अपने संकल्प को पूरा करने में जुट जाएंगे तो कोई भी शक्ति हमें  न्यू इंडिया के निर्माण से रोक नहीं पाएगी। आइए। पुदुचेरी के गौरव को और बढ़ाने के लिए संकल्प लें। न्यू पुदुचेरी का संकल्प लें।

और इसलिए भाइयो बहनो।

आज जब मैं इतनी बड़ी मात्रा में इस छोटे से प्रदेश में आपको देख रहा हूं। दूर-दूर से यहां आने के लिए और मुझे आशीर्वाद देने के लिए, इतना प्यार जताने के लिए मैं पुदुचेरी वासियों का ह्रदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। मेरे साथ भारत माता की जय दोनों हाथ ऊपर करके बोल करके हम न्यू इंडिया, न्यू पुदुचेरी के संकल्प को आए बढ़ाएं। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। वल्लकम। ननरी वल्लकम।

 

 

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!