PM Modi inaugurates Faridabad metro line, takes metro ride, addresses rally
NDA Govt fulfills promise of delivering One-Rank, One-Pension for the armed forces
Centre & states must work together; infrastructure is essential for progress: PM
India would progress not through politics, but through nationalist policies: PM Modi
It has become a fashion to politicize every decision taken by Government for progress of the country: PM
People are being misled about the government position on OROP and VRS: PM
PM Modi reiterates Government's resolve for Housing for All by 2022

विशाल संख्या में पधारे भाईयो और बहनों,

अभी हमारे मुख्यमंत्री बता रहे थे कि मोदी जी इतनी बार हरियाणा में आए और 11 तारीख को भी आने वाले हैं, 18 तारीख को भी आने वाले हैं। आप सबको मालूम है हरियाणा मेरा दूसरा घर है। गुजरात छोड़ने के बाद मैंने वर्षों तक हरियाणा में ही अपना जीवन बिताया। यहां के हर गांव, गली, मौहल्ले से परिचित हूं, तो मुझे हरियाणा आने का मन करेगा कि नहीं करेगा? आपके प्यार को मैं कभी भुला सकता हूं क्या? तो आपका प्यार है जो मुझे बार-बार खींचकर ले आता है और मैंने हरियाणा को कहा था, पहले दिन से कह रहा हूं कि आपने मुझे जो प्यार दिया है, मैं विकास करके ब्याज समेत लौटाऊंगा, ये मैं कह रहा हूं।

भाईयों-बहनों चुनाव आते हैं, जाते हैं। राजनीति अपनी जगह पर चलती रहती है। वो लोकतंत्र का स्वाभाविक हिस्सा है लेकिन देश सिर्फ राजनीति से नहीं चलता है, देश राष्ट्रनीति से चलता है, देश विवादों से नहीं बढ़ता है, देश संवाद से बढ़ता है। हमारी समस्याओं का समाधान अगर उसका कोई एक उपाय है, अगर उसकी कोई एक जड़ी-बूटी है, तो उस जड़ी-बूटी का नाम विकास है, विकास। विकास होगा तो नौजवान को रोजगार मिलेगा, विकास होगा तो किसान को अपनी फसल का पूरा दाम मिलेगा, विकास होगा तो गरीब से गरीब बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिलेगी, विकास होगा तो गांव के गरीब हो, वयोवृद्ध-तपोवृद्ध लोग हो उनको आरोग्य की सुविधा उपलब्ध होगी, गरीब को रहने के लिए घर मिलेगा और इसलिए मेरे भाईयों-बहनों हम एक ही बिंदू पर काम कर रहे हैं। जब से आपने हमें जिम्मेवारी दी है, हमारा एक ही मंत्र है, एक ही मकसद है, एक ही मार्ग है, एक ही मंजिल है और उसका नाम है विकास।

आप मुझे बताइए, आपक विकास चाहिए कि नहीं चाहिए? अच्छे रास्ते चाहिए कि नहीं चाहिए? अच्छे स्कूल चाहिए कि नहीं चाहिए? अच्छे अस्पताल चाहिए कि नहीं चाहिए? इस देश को यही चाहिए और इसलिए ये सरकार इन्हीं बिंदुओं पर अपनी ताकत लगा रही है। अच्छा होता ये काम पिछले 60 साल में पूरे हो गये होते। देश ऊंचाइयों को पार कर लिया होता। लेकिन बहुत सारे काम अधूरे हैं और अधूरे हैं इसलिये पुरानी सरकारों को आलोचना करके उनकी टीपा टीका टिप्पणी करके मैं रुक जाऊं ये उचित नहीं है। इस सरकार का जिम्मेदारी है कि हम समस्याओं के समाधान खोजें विकास के नये - नये उपाये खोजें और देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं।

पिछले दिनों आपने देखा होगा पूरी दुनिया में एक आर्थिक संकट पैदा हुआ मजबूत से मजबूत आर्थिक नींव पर खड़े हुए देश हिल गए। और तुफान इतना भयंकर था कि उसके सामने टिकना बड़ा मुश्किल था, इतनी बड़ी आंधी तेज आई थी। लेकिन सारी दुनिया के आर्थिक पंडितों का कहना है कि इतनी भंयकर आर्थिक मंदी के बीच, इतने भयंकर आर्थिक तुफानों के बीच कोई एक देश बराबर अगर खड़ा रहा, टिका रहा, उस देश का नाम हिंदुस्तान है।

मेरे भाईयों-बहनों और यही बताता है कि पिछले 15 महीनों में, सरकार ने जो रास्ता अपनाया है, जिन नीतियों को लागू किया है, आज उसका परिणाम नजर आ रहा है कि इतनी बड़ी आंधी के बावजूद भी हिंदुस्तान आर्थिक धरातल पर टिका रहा है। लेकिन भाईयों-बहनों सिर्फ टिके रहे हैं, इससे संतोष मानना, ये हमें मंजूर नहीं है। इतनी बड़ी आंधी में तूफान में टिक गये ये अच्छी बात है, लेकिन हमें जहां टिके हैं, वहां रुकना नहीं है हमें आगे बढ़ना है। आगे बढ़ने का रास्ता सवा सौ करोड़ देश वासियों को साथ और सहयोग है, आगे बढ़ने का रास्ता सभी राज्य सरकारें और केंद्र सरकार को कंधे से कंधा मिलाकर चलना है। आगे बढ़ने का रास्ता लोकतांत्रिक मार्ग है और अगर हमें विकास करना है, तो हमें Infrastructure पर सबसे पहले प्राथमिकता देनी पड़ेगी। रेल हो, रोड हो, रेल हो, सामान्य नागरिक की सुविधा की व्यवस्थाएं हो, ये जब तब तक हम निर्माण नहीं करेंगे, विकास के फल नीचे तक नहीं पहुंचेंगे।..और इसलिये ये सरकार का मकसद है कि 2022 जब हिन्दुस्तान आजादी के 75 साल मनाएगा, वो आजादी का 75 साल कैसे हों, क्या हम सपना लेकर के नहीं चल सकते कि आजादी के 75 साल जब मनाएंगे, आजादी के दीवानों को जब अंजली देंगे, आजादी के लिये शहीद हुए महापुरुषों का पुण्य स्मरण करेंगे, उस समय कम से कम एक काम तो पूरा कर लें, इस देश में कोई गरीब ऐसा न हो जिसको अपना घर न हो। हर गरीब को भी अपना घर मिले, काम बहुत बड़ा है, दुनिया के कुछ देशों की आबादी से ज्यादा भी मकान बनाने पड़ेंगे, लेकिन भाइयों बहनों कठिन काम भी हमें हाथ में लेने हैं और उसको पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

हमारे वेंकैया जी नायडू शहरी विकास मंत्री के नाते एक ऐसी योजना उन्होंने देश के सामने रखी है, जिसके कारण शहरी गरीबों के लिये मकानों की सुविधा उपलब्ध हो, नये मकान बनें, गरीब के लिये बने, सस्ते बने, अच्छे बने और घर भी वो हो, जिसके नल में जल हो, बिजली हो, नजदीक में स्कूल हो, एक परिवार सुख शांति से रह सके ऐसा घर हो। हमारे चौधरी वीरेन्द्र सिंह जी लगे हैं, एक ग्रामीण विकास मंत्रालय को लेकर के गांव में जो गरीब है, उन गरीबों को रहने के लिये अपना घर मिले, योजनाओं को आगे बढ़ा रहे हैं। एक तरफ शहरी विकास एक तरफ ग्रामीण विकास, गरीब शहर का हो या गरीब गांव का हो हर किसी को रहने के लिये घर मिले इसके लिये बहुत बड़ा काम हमने सर पर उठाया है।

भाइयो बहनों आज यहां मेट्रो रेल का लोकापर्ण हो रहा है। अब हरियाणा भी गर्व के साथ दुनिया में कहेगा कि हमारे पास मेट्रो रेलवे है। हरियाणा ने दिल्ली के टूरिस्टों को आकर्षित करने की सबसे बड़ी ताकत अगर किसी में है, तो हरियाणा में है। weekend टूरिस्टों को आकर्षित करने की ताकत है, तो हरियाणा में है औऱ मेट्रो की सुविधा हो जाए तो बहुत बड़ी मात्रा में दिल्ली से लोग weekend मनाने के लिए हरियाणा की ओर चले जाएंगे और हरियाणा के नौजवानों को रोजी-रोटी का प्रबंध हो जाएगा। ये मेट्रो सिर्फ आने-जाने का कारोबार है, ऐसा नहीं है, अब मेट्रो सिर्फ, पहले बस में जाना पड़ता था, कार लेकर जाना पड़ता था, ट्रैफिक जाम हो जाता था, अब जल्दी पहुंचा जाता है, इतना ही नहीं है इनसे पूरी economy drive होती है, पूरे आर्थिक जीवन को एक गति मिलती है और इसलिए ये रैली का नाम भी गति-प्रगति रैली रखा गया है। गति भी हो, प्रगति भी हो और तेज गति से प्रगति हो, उन सपनों को पूरा करने का प्रयास हो रहा है। करीब-करीब ढाई हजार करोड़ रुपया की लागत से, ये प्रोजेक्ट यहां पूरा हुआ है।

लेकिन मैं आज मेरे हरियाणा के भाईयों-बहनों को एक और नजराना भी देना चाहता हूं, ये मेट्रो यहीं से लौट नहीं जाएगी, हम बल्लभगढ़ तक जाएंगे। आने वाले दिनों में बल्लभगढ़ के लिए एक काम शुरू हो जाएगा। 600-700 करोड़ रुपए की और लागत लगेगी लेकिन हरियाणा के एक महत्वपूर्ण हिस्सों को जोड़ने का काम होगा।

फरीदाबाद मेरे लिए नया नहीं है। मैं कभी यहां स्कूटर पर आया करता था। मैंने फरीदाबाद को पनपते हुए देखा है। एशिया में नौंवे नंबर पर सबसे बड़ा industrial estate वाला ये फरीदाबाद शहर है। अब फरीदाबाद एक लघु हिंदुस्तान बन गया है। हिंदुस्तान का कोई राज्य ऐसा नहीं होगा, जिसके लोग फरीदाबाद में रहते न हो, एक प्रकार का लघु भारत बन गया है। इस फरीदाबाद का विकास भी, वैसा ही होना चाहिए। ये मेट्रो ट्रेन के आरंभ से वो एक नया विकास का मार्ग भी खुल जाता है और मैं श्रीमान वेंकैया जी को एक बात के लिए बधाई देना चाहता हूं, उनका विभाग इस काम को देखता है, सारी दुनिया को एक संदेश दे रहे हैं कि ये मेट्रो का जो लाईन है environment friendly है। यहां के स्टेशनों पर solar panel लगे हुए हैं और करीब-करीब दो मेगावॉट बिजली सूर्य शक्ति से पैदा करते हैं और सारी व्यवस्था में उसी बिजली का उपयोग किया जाता है। मेट्रो का एक ट्रैक solar panel से भरों हुआ हो, ये दुनिया के लिए भी एक आकर्षण का कारण है। आने वाले दिनों में Green Railway Station कैसे बने, Environment Friendly Railway Station कैसे बने उस दिशा में भी मैट्रो की तरफ से एक सफलतापूर्वक अभियान चलाया जा रहा है और आज जब पूरी विश्व Global Warming के लिये चिंतित है, Climate Change के कारण चिंतित है, हमारी एक छोटी सी इकाई मैट्रो वे भी दुनिया की मदद करने के लिये Green movement में अपना सहयोग दे रही है और इसलिये वेंकैया जी को और उनकी पूरी टीम को मैं हृदय से बहुत बहुत अभिनन्दन करता हूं और उनके साधुवाद करता हूं।

भाइयो बहनों ये हरियाणा की धरती ऐसी है, कल हमनें श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया और जब श्री कृष्ण को याद करते हैं तो सिर्फ द्वारका की नगरी याद नहीं आती है, कुरुक्षेत्र भी तुरंत याद आता है। पूरा हरियाणा एक प्रकार से इन महापुरुषों की छाया में पला बड़ा हुआ है। सांस्कृतिक विरासत का धनी है। यहीं से पास में गांव सिही सूरदास जी की जन्म भूमि है, यही तो हमारी विशेषता यही हमारी ताकत है और उन्हीं से महापुरुषों के आशिर्वाद लेकर के हम हरियाणा को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिये प्रयास कर रहे हैं।

मैं हरियाणा सरकार को अभिनन्दन करता हूं। श्रीमान मनोहर लाल जी का विशेष रूप से और उनकी पूरी टीम का अभिनन्दन करता हूं। कि जिस हरियाणा को बेटियों के भ्रूण हत्या के लिये पहचाना जाता था वो हरियाणा आज बेटी बचाने के लिये पहचाने जाने लगा है। ये छोटा सा निर्णय परिवर्तन नहीं है, ये छोटा सा movement नहीं है, कितना कठिन काम होता है मुझे अंदाजा है लेकिन हरियाणा के राज्य सरकार ने यहां के राजनीतिक नेताओं ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है और बेटी बचाने का जो अभियान चलाया है और पूरे हिन्दुस्तान का बेटी बचाने का अभियान का प्रारंभ भी इसी हरियाणा की धरती से हुआ है।

मैं जानता हूं, मनोहर लाल जी हमारे बड़े परिश्रमी नेता हैं, मेहनत करने में शायद कोई उनका मुकाबला नहीं कर सकता है, मैंने सालों तक उनके साथ काम किया है और वे हरियाणा को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सफल होंगे, हरियाणा की आशाओं-आकाक्षाओं को वे पूरा करेंगे, ये मुझे विश्वास है।

आने वाले दिनों में हमारे देश में, हम-हमारे शहरों का रंग-रूप बदलना चाहते हैं, चेहरा बदलना चाहते हैं, उसके फेफड़ों को नई ताकत देना चाहते हैं। आज हमारे शहरों के फेफड़े भी बीमार हो गए हैं, greenery नहीं बची है, अपनी मर्जी से वो बढ़ता गया है। वेंकैया जी के नेतृत्व में, जो smart city का अभियान चला है, उस smart city में फरीदाबाद का भी नाम है। लेकिन कुछ लोगों को लगता होगा कि अब सरकार ने smart city कह दिया तो smart city बन गया। भाईयों-बहनों आपको पता होना चाहिए और मैं चाहता हूं कि इस बात की घर-घर चर्चा होनी चाहिए, हर बार चर्चा होनी चाहिए कि ये अभी तो फरीदाबाद की entry हुई है competition के अंदर पहली मैच उसने जीत लिया है, पहली मैच जीतकर के उसने entry पा ली है, लेकिन आगे बढ़ने के लिये यहां के सभी नागरिकों ने तय करना पड़ेगा की हमें फरीदाबाद स्मार्ट सिटी बनाना है। कानून में ये परिवर्तन करना पड़ेगा, तो करना है। हमें ये discipline लानी है तो लानी है। हमें स्वच्छता रखनी है तो रखनी है। ये जब तक हम नहीं करेंगे, ये स्मार्ट सिटी की स्पर्धा आप जीत नहीं पाओगे। उसके कुछ norms हैं कुछ parameter हैं, मैं चाहता हूं एक जागृति का माहौल बने पूरे देश में ये 100 शहर पूरे हिन्दुस्तान में जो पहली मैच जीत कर के आए हैं। क्योंकि स्पर्धा से तय हुआ है, पहली स्पर्धा में वो जीत गए हैं, लेकिन आगे जैसे-जैसे जाओगे स्पर्धा कठिन होती जाने वाली है। लेकिन मुझे विश्वास है कि हरियाणा के दोनों शहर ये स्पर्धा जीतेंगे और देश में स्मार्ट सिटी बनाने का यश हरियाणा प्राप्त करेगा।

मैं आपको निमंत्रित करता हूं। मैं आपको challenge भी करता हूं इस challenge को स्वीकार कीजिये। सरकार ने जितने parameter तय किये हैं उन parameter को गले लगाइये। पूरे फरीदाबाद का एक – एक घर एक-एक नागरिक स्मार्ट सिटी बनाने का संकल्प लेना चाहिये तब जाकर के स्मार्ट सिटी बना पाएंगे और इसलिये मैं आपको आह्वान कर रहा हूं।

भाइयो बहनों ये हरियाणा की धरती वीरों की धरती है। ये हरियाणा की धरती जवानों की धरती है। ये हरियाणा की धरती देश के लिये मर मिटने वालों की धरती है। प्रधानमंत्री बनने से पहले मेरा पहला कार्यक्रम जब मेरी पार्टी ने मुझे प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के लिये घोषित किया तो 13 सितम्बर को रिवाड़ी में मैं आया था। और पहला मेरा कार्यक्रम था पूर्व सैनिकों का बहुत बड़ा जमावड़ा में मैं आया था और उस समय में मैंने वन रैंक वन पैंशन की बात कही थी, याद है कही थी OROP की बात कही थी याद है। भाइयो बहनों ये मामला 42 साल से लटका हुआ था 42 साल से चार दशक इतनी सरकारें आ कर गई लेकिन इस समस्या का समाधान किसी को हाथ नहीं लगता था। lip sympathy सब दूर सब सरकारों ने व्यक्त की थी। हर कोई कहता था हां देश के लिये जवान मरते हैं सरकार का दायित्व है हर कोई कहते थे। लेकिन करने के लिये हर किसी को कठिनाई महसूस होती थी और आज मुझे भी महसूस हो रही है। ये सरल काम नहीं है। मेरे देश के जवानों आपने देश के लिये अपनी जिन्दगी खपाई है, अपका मान सम्मान इससे बड़ा हमारी जिन्दगी में कुछ नहीं हो सकता। लेकिन ये मामला अति कठिन है। उसका प्रभाव पता नहीं कहां-कहां पड़ सकता है। आने वाले दिनों में क्या-क्या संकट आ सकते हैं लेकिन मेरे देश के जवानों, हमने वादा किया था और हम वादा निभा रहे हैं। आपको मालूम है, पहले वाली सरकार के लिए OROP क्या था? 500 करोड़ रुपए का कार्यक्रम था, 500 करोड़ रुपए का, तो हमें भी लगा कि अभी 500 है तो 700 हो जाएगा, 800 हो जाएगा, कर लो, क्या है? लेकिन जब हम गिनती करने के लिए बैठे तो हर रोज नई चीज आने लगी, हर रोज नई चीज आने लगी। Koshyari Committee, जिसका हमारे जवान बार-बार उल्लेख करते हैं, उसको हमने देखा, उसने क्या कहा है, उसने तो 300 करोड़ से भी कम कहा है। उसने कहा है कि 300 करोड़ रुपए से कम रुपया भी लग जाएगा, तो हो जाएगा। सारी सरकार भ्रमित, बैठे हुए अफसर भ्रमित, सेना के जवानों की बातें भी ऐसी, हर कोई उलझा हुआ था, पिछले कई दिनों से मैं लगातार एक-एक तार को खोलता गया, चीजों को ठीक करता रहा और हिसाब लगाता गया भाईयों-बहनों ये OROP 500 करोड़ में होने वाला खेल नहीं है। ये OROP 300 करोड़ रुपए में पूरा होने वाला काम नहीं है, जब हिसाब लगाया तो हिसाब बनता है 8 से 10 हजार करोड़ रुपए का 8 से 10 हजार करोड़ रुपये का।

मेरी सरकार बनी 26 मई, 2014 को और मेरा दायित्व बनता है 26 मई 2014 से। ये जो प्रचार करने वाले लोग हैं वो देश की जनता को और खासकर के हमारे जवानों को भ्रमित करने का पाप करते रहे हैं। 26 मई को इस सरकार का जन्म हुआ उसी दिन से हमनें काम चालू किया और कल हमनें घोषणा की तो भी सरकार बनने के तुरंत बाद एक जुलाई गिनने के लिये उचित रहती है, तो हमनें एक जुलाई से लागू करने का निर्णय कर दिया भाइयो बहनों।

मैं जानता हूं देश के फौज में 80-90% लोग कौन होते हैं हमारी फौज में 80-90% वो जवान होते हैं, जो छोटे-छोटे पद पर होते हैं, कंधे पर बंदूक उठाकर के जो दुश्मनों से मुकाबला करते हैं। सबसे पहले जान की बाजी वो लगा देते हैं, लेकिन सेना की आयु कम हो इसलिये उनको 15 साल के बाद नौकरी छोड़नी पड़ती है, 17 साल के बाद छोड़नी पड़ती है, 20 साल के बाद छोड़नी पड़ती है, इसके लिए अलग-अलग शब्द प्रयोग सेना वाले करते होंगे। कुछ लोगों को लगता है कि जो 15 साल 17 साल नौकरी छोड़कर गए उनको OROP नहीं मिलेगा। मेरे जवान भाइयो बहनों चाहे वो हवल्दार हो, सिपाही हो नायक हो अरे आप ही तो देश की रक्षा करते हो अगर ये OROP सबसे पहले मिलेगा, तो आप को मिलेगा। ये VRS के नाम से आपको भ्रमित करने का जो प्रयास कर रहे हैं वो गलत कर रहे हैं ये सरकार जिन लोगों ने युद्ध में सेना में काम करते करते अपना शरीर गंवाया है, कोई अंग गंवाया है ऐसे भी सेना के जवान जिनको मजबूरन सेना छोड़नी पड़ती है। शरीर की देश के लिये शरीर का एक-एक अंग बली चढ़ा दिया है उसको सेना छोड़नी पड़ती है। क्या OROP से वंचित हो जाएंगे? सेना को प्यार करने वाला प्रधानमंत्री ऐसा कभी सोच भी नहीं सकता है। मेरे भाइयो बहनों ऐसे सबको OROP मिलेगा और इसलिये 80-90% ये जो 8 हजार 10 हजार करोड़ का खर्च है ना उसका सबसे ज्यादा धन ये 15-17 साल की उम्र में जो सेना छोड़ कर घर आते हैं उन जवानों में जाने वाला है। और इसलिये ये भ्रम फैलाने की कोशिश करने की आवश्यकता नहीं है। ये सरकार बहुत ही स्पष्ट है। कि देश के लिये जीने मरने वाले जवानों को लिये OROP लागू करने का हमनें वादा किया है और कल हमनें घोषणा कर दी है।

कुछ लोग कहते हैं Commission बनाया, ये कोई Pay-Commission नहीं बनाया। ये सिर्फ ये जो हमनें निर्णय किये हैं, क्योंकि पहले 500 करोड़ वालों की भी समझ में कुछ कुछ न गड़बड़ रही बाद में Koshyari Committee ने जो रिपोर्ट किया, उसमें भी गड़बड़ रही, हमें लगा कि 10 हजार करोड़ रुपया देने के बाद भी हो सकता है कहीं कोई कमी रह गई हो, कहीं कोई समझदारी में अंतर रहा हो, कोई हिस्सा सेना का छूट गया हो तो ऐसे समय एक व्यवस्था होनी चाहिए ताकि सेना के जवान उनके साथ मिलकरके, अगर कोई कमी रह गई हो, कोई छोटा-मोटा बदलाव जरूरी हो तो उसके साथ कर सके OROP के संबंध में इसलिए ये कमेटी बनाई गई है, ये कोई Pay-Commission नहीं है और इसलिए इसमें भी जो भ्रम फैलाए जा रहे हैं वो भ्रमों का भी निराकरण होना चाहिए।

आज देश के सेना में 10 में से 1 जवान हरियाणा का होता है, 10 जवान हैं तो उसमें से एक हरियाणा का होगा ही होगा और इसलिए ये जब 8-10 हजार करोड़ का पैकेज आएगा तो बहुत बड़ी मात्रा में धन हरियाणा के निवृत्त जवानों के पास आने वाला है, मतलब कि हरियाणा के अंदर हजारों-करोड़ रुपए आने वाले हैं। जब हरियाणा में हजारों-करोड़ रुपए आते हैं तो हरियाणा की economy अचानक drive करने लग जाती है। हरियाणा की आर्थिक गतिविधि को एक बहुत बड़ी ताकत, सेना के निवृत्त जवानों को पैसे मिलने के कारण मिलने वाली है। बहुत बड़ा निर्णय इस सरकार ने किया है, देशभक्ति से प्रेरित होकर के किया है। देश की आर्थिक व्यवस्था में बहुत सारे काम है, कुछ कामों में कटौती करके भी करना पड़ेगा तो करने का फैसला कर करके किया है और इसलिए मैं, मेरे सेना के जावनों को कहता हूं कि ये सरकार आपकी है, ये सरकार आपका हौंसला बुलंद देखना चाहती है, ये सरकार आपके सुखों की चिंता करने वाली सरकार है और आने वाले दिनों में भी जहां जो जरूरत पड़ेगी, ये सरकार आपके साथ खड़ो होगी, ये मैं देश के जवानों को विश्वास दिलाना चाहता हूं।

भाईयों-बहनों जो लोग बयानबाजी करके, राजनीतिक उल्लू सीधा करने की कोशिश कर रहे हैं, देशवासियों जिन्होंने 40-42 साल तक जो काम नहीं किया, उनको एक भी सवाल पूछने का अधिकार है क्या? जरा पूरी ताकत से जवाब दो मुझे, जिन्होंने खुद नहीं किया उनको सवाल पूछने का हक है क्या? देश को गुमराह करने का हक है क्या? जवानों के नाम पर बोलने का हक है क्या? अरे आप लोगों का पाप था कि आप लोगों ने 40-42 साल तक काम नहीं किया, आज हमारा हिसाब मांग रहे हो। भाईयों-बहनों एक fashion चल पड़ी है, एक fashion चल पड़ी है कि जब सरकार कोई भी अच्छे निर्णय करे, देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए हिम्मत के साथ आगे बढ़े तो जो लोग, जिनकों देश की जनता ने reject कर दिया है वो इस देश को आगे बढ़ना नहीं देना चाहते हैं, इससे बड़ा लोकतंत्र का अपमान नहीं हो सकता है और इसलिए मेरे भाइयों-बहनों, मैं देशवासियों को हरियाणा की वो धरती से बोल रहा हूं, जहां कृष्ण ने गीता का संदेश दिया था और युद्ध का विजय प्राप्त करने का संकेत दिया था, ये वो भूमि है जहां हर परिवार से कोई न कोई जवान सीमा पर देश की सेवा कर रहा है, ऐसी धरती से मैं कह रहा हूं कि हमारे लिए, हमारे सेना के जवान किसी के कम प्यारे नहीं हैं और इसलिए ये One-upmanship जो चल रही है, इसके खेल देश का भला नहीं करेंगे।

भाईयों-बहनों हम विकास के मार्ग पर चलना चाहते हैं, सवा सौ करोड़ देशवासियों को लेकर चलना चाहते हैं और उसको लेकर के हम आगे बढ़ रहे हैं और आज मेट्रो का एक नजराना हरियाणा के जीवन को नई ताकत देगा। आधुनिक हरियाणा बनाने में ये सौगात काम आएगी। इसी एक विश्वास के साथ मैं फिर एक बार यहां के मुख्यमंत्री को, सरकार की पूरी टीम को हरियाणा को लगातार आगे बढ़ाने के लिए, नई ऊंचाईयों पर ले जाने के प्रयासों के लिए अभिनंदन करता हूं, बधाई देता हूं और श्रीमान वेंकैया जी नायडू के नेतृत्व में हमारा शहरी विकास तेज गति से हो, हरियाणा में बहुत बड़ी मात्रा में शहरी विकास हो रहा है, वो भी नई ऊंचाइयों को प्राप्त करे यही शुभकामना के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

मेरे साथ दोनों मुठी बंद करके बोलिए

“जय जवान, जय किसान”

“जय जवान, जय किसान”

“जय जवान, जय किसान”

"भारत माता की जय"

"भारत माता की जय"



बहुत-बहुत धन्यवाद।

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श्री विनीत जैन जी, Industry Leaders, CEOs, अन्य सभी वरिष्ठ महानुभाव, देवियों और सज्जनों ! आप सबको नमस्कार…

 Last time जब मैं ET समिट में आया था तो चुनाव होने ही वाले थे। और उस समय मैंने आपके बीच पूरी विनम्रता से कहा था कि हमारे तीसरे टर्म में भारत एक नई स्पीड से काम करेगा। मुझे संतोष है कि ये स्पीड आज दिख भी रही है और देश इसको समर्थन भी दे रहा है। नई सरकार बनने के बाद, देश के अनेक राज्यों में बीजेपी-NDA को जनता का आशीर्वाद लगातार मिल रहा है! जून में ओडिशा के लोगों ने विकसित भारत के संकल्प को गति दी, फिर हरियाणा के लोगों ने समर्थन किया और अब दिल्ली के लोगों ने हमें भरपूर समर्थन दिया है। ये एक एक्नॉलेजमेंट है कि देश की जनता आज किस तरह विकसित भारत के लक्ष्य के लिए कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है।

साथियों,

जैसा आपने भी उल्लेख किया मैं अभी कल रात ही अमेरिका और फ्रांस की अपनी यात्रा से लौटा हूं। आज दुनिया के बड़े देश हों, दुनिया के बड़े मंच हों, भारत को लेकर जिस विश्वास से भरे हुए हैं, ये पहले कभी नहीं था। ये पेरिस में AI एक्शन समिट के दौरान हुए डिशकशंस में भी रिफ्लेक्ट हुआ है। आज भारत ग्लोबल फ्यूचर से जुड़े विमर्श के सेंटर में है, और कुछ चीजों में उसे लीड भी कर रहा है। मैं कभी-कभी सोचता हूं, अगर 2014 में देशवासियों ने हमें आशीर्वाद नहीं दिए होते, आप भी सोचिये, भारत में reforms की एक नई क्रांति नहीं शुरू हुई होती, यानी मुझे नहीं लगता है कि हो सकता है ये कतई नहीं होता, आप भी इस बात को यानी सिर्फ कहने को नहीं convince होंगे। क्या इतने सारे बदलाव होते क्या? आपमें से जो हिन्दी समझते होंगे उनको मेरी बात तुरंत समझ में आई होगी। देश तो पहले भी चल रहा था। Congress speed of development...और congress speed of corruption,ये दोनों चीज़ें देश देख रहा था। अगर वही जारी रहता, तो क्या होता? देश का एक अहम Time Period बर्बाद हो जाता। 2014 में तो कांग्रेस सरकार ये लक्ष्य लेकर चल रही थी कि 2044, यानी 2014 में वो सोचते थे और उनका डिक्लेयर टारगेट था कि 2044 तक भारत को Eleventh से Third Largest Economy बनाएंगे। 2044, यानी तीस साल का टाइम पीरियड था। ये था...congress का speed of development और विकसित भारत का स्पीड ऑफ डेवलपमेंट क्या होता है, ये भी आप देख रहे हैं। सिर्फ एक दशक में भारत, टॉप फाइव इकॉनॉमी में आ गया। और साथियों मैं पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूं अब अगले कुछ सालों में ही, आप भारत को दुनिया की third largest economy बनते देखेंगे। आप हिसाब लगाइए 2044… एक युवा देश को, यही स्पीड चाहिए और आज इसी स्पीड से भारत चल रहा है।

साथियों,

पहले की सरकारें Reforms से बचती रहीं, और ये बात भूलनी नहीं चाहिए ये ईटी वाले भूला देते हैं, ये मैं याद कराता हूं। जिस रिफार्म के गाजे बाजे हो रहे हैं ना वो because of compulsion था conviction से नहीं था। आज हिन्दुस्तान जो रिफार्म कर रहा है वो conviction से कर रहा है। उनमें एक सोच रही, अब कौन इतनी मेहनत करे, रिफार्म की क्या जरूरत है, अब लोगों ने बिठाया है, मौज करो यार, 5 साल निकाल दो, चुनाव आएगा तब देखेंगे। अक्सर, इस बात की चर्चा ही नहीं होती थी कि बड़े reforms से देश में कितना कुछ बदल सकता है। आप व्यापार जगत के लोग हैं सिर्फ हिसाब किताब आंकड़े नहीं लगाते, आप अपनी strategy को रिव्यु करते हैं। पुरानी पद्यतियों को छोड़ते हैं। एक समय में कितनी ही लाभकारक रही हो उसको भी छोड़ते हैं आप, जो कालवाहय हो जाता है उसका बोझ उठाकर कोई उद्योग चलता नहीं है जी, उसे छोड़ता ही है। आमतौर पर भारत में जहां तक सरकारों की बात है, गुलामी के बोझ में जीने की एक आदत पड़ चुकी थी। इसलिए, आज़ादी के बाद भी अंग्रेज़ों के जमाने की चीज़ों को ढोया जाता रहा। अब हम लोग आमतौर पर बोलते भी हैं, सुनते भी हैं और कभी कभी तो लगता है कि जैसे कोई बड़ा महत्वपूर्ण मंत्र है, बड़ा श्रद्धापूर्ण मंत्र है ऐसे बोलते हैं, justice delayed is justice denied, ऐसी बातें हम लंबे समय तक सुनते रहे, लेकिन इसको ठीक कैसे किया जाए, इस पर काम नहीं हुआ। समय के साथ हम इन चीजों के इतने आदी हो गए कि बदलाव को नोटिस ही नहीं कर पाते। और हमारे यहां तो एक ऐसा इकोसिस्टम भी है, कुछ साथी यहां भी बैठे होंगे जो अच्छी चीज़ों के बारे में चर्चा होने ही नहीं देते। वो उसको रोकने में ही ऊर्जा लगाए रखते हैं। जबकि लोकतंत्र में अच्छी चीज़ों पर भी चर्चा होना, मंथन होते रहना, ये भी लोकतंत्र की मजबूती के लिए उतना ही जरूरी है। लेकिन एक धारणा बना दी गई है कि कुछ नेगेटिव कहो, नेगेटिविटी फैलाओ, वही डेमोक्रेटिक है। अगर पॉजिटिव बातें होती हैं, तो डेमोक्रेसी को कमज़ोर करार कर दिया जाता है। इस मानसिकता से बाहर आना बहुत ज़रूरी है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा।

साथियों,

भारत में कुछ समय पहले तक जो पीनल कोड चल रहे थे, वो 1860 के बने थे। 1860 के, देश आजाद हुआ लेकिन हमें याद नहीं आया, क्योंकि गुलामी की मानसिकता में जीने की आदत हो गई थी। इनका मकसद, 1860 में जो कानून बने, मकसद क्या था, उसका मकसद था भारत में गुलामी को मजबूत करना, भारत के नागरिकों को दंड देना। जिस सिस्टम के मूल में ही दंड है, वहां न्याय कैसे मिल सकता था। इसलिए इस सिस्टम के कारण न्याय मिलने में कई-कई साल लग जाते थे। अब देखिए, हमने परिवर्तन किया बहुत बड़ा, बड़ी मेहनत करनी पड़ी ऐसे नहीं हुआ है, लाखों ह्यूनम आवर्स लगे है इसमें और भारतीय न्याय संहिता को लेकर के हम आए, भारतीय संसद ने इसको मान्यता दी, अब ये न्याय संहिता को लागू हुए अभी 7-8 महीने ही हुए हैं, लेकिन बदलाव साफ-साफ नज़र आ रहा है। अखबार में नहीं, आप लोगों में जाएंगे तो बदलाव नजर आएगा। न्याय संहिता लागू होने के बाद क्या बदलाव आया है, मैं बताता हूं, एक ट्रिपल मर्डर केस में FIR से लेकर फैसला आने तक सिर्फ 14 दिन लगे, इसमें उम्रकैद की सजा हो गई। एक स्थान पर एक नाबालिग की हत्या के केस को 20 दिन में अंतिम परिणाम तक पहुंचाया गया। गुजरात में गैंगरेप के एक मामले में 9 अक्टूबर को केस दर्ज हुआ, 26 अक्टूबर को चार्जशीट भी दाखिल हो गई। और आज 15 फरवरी को ही कोर्ट ने आरोपियों को दोषी करार दे दिया। आंध्र प्रदेश में 5 महीने के एक बच्चे से अपराध के मामले में अदालत ने दोषी को 25 वर्ष की सजा सुनाई है। इस केस में डिजिटल सबूतों ने बड़ी भूमिका निभाई। एक और मामले में रेप और मर्डर के आरोपी की तलाश में e-prison मॉड्यूल से बड़ी मदद मिली। इसी तरह एक राज्य में रेप और मर्डर का केस हुआ और तुरंत ही ये पता चल गया कि संदिग्ध दूसरे राज्य में एक क्राइम में पहले जेल जा चुका है। इसके बाद उसकी गिरफ्तारी में भी समय नहीं लगा। ऐसे अनेक मामले मैं गिना सकता हूं, जिसमें आज लोगों को तेज़ी से न्याय मिलने लगा है।

साथियों,

ऐसा ही एक बड़ा Reform प्रॉपर्टी राइट्स को लेकर हुआ है। यूएन की एक स्टडी में किसी देश के लोगों के पास प्रॉपर्टी राइट्स का ना होना एक बहुत बड़ा चैलेंज माना गया है। दुनिया के अनेक देशों में करोड़ों लोगों के पास प्रॉपर्टी के कानूनी दस्तावेज नहीं हैं। जबकि लोगों के पास प्रॉपर्टी राइट्स होने से गरीबी कम करने में मदद मिलती है। ये बारीकियां पहले की सरकारों को पता भी नहीं था, और कौन इतना सिरदर्द उठाए जी, कौन मेहनत करे, एैसे काम को ईटी की हेडलाइन तो बनने वाली नहीं है, तो करेगा कौन, ऐसी अप्रोच से न देश चला करते हैं, न देश बना करते हैं और इसलिए हमने स्वामित्व योजना की शुरुआत की। स्वामित्व योजना के तहत देश के 3 लाख से ज्यादा गांवों का ड्रोन सर्वे किया गया। सवा 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को प्रॉपर्टी कार्ड दिए गए। और मैं ET को एक हेडलाइन आज दे रहा हूं, स्वामित्व लिखना जरा ईटी के लिए तकलीफ वाला है, लेकिन फिर भी वो तो आदत से हो जाएगा।

स्वामित्व योजना की वजह से देश के ग्रामीण क्षेत्र में अब तक सौ लाख करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी की वैल्यू अनलॉक हुई है। यानी 100 लाख करोड़ रुपए की ये प्रॉपर्टी पहले भी गांवों में मौजूद थी, गरीब के पास मौजूद थी। लेकिन इसका उपयोग आर्थिक विकास में नहीं हो पाता था। प्रॉपर्टी के राइट्स ना होने से गांव के लोगों को बैंक से लोन नहीं मिल पाता था। अब ये दिक्कत हमेशा-हमेशा के लिए दूर हो गई है। आज पूरे देश से ऐसी खबरें आती हैं कि कैसे स्वामित्व योजना के प्रॉपर्टी कार्ड्स से लोगों का फायदा हो रहा है। अभी कुछ दिन पहले राजस्थान की एक बहन से मेरी बातचीत हुई, उस बहन को स्वामित्व योजना के तहत प्रॉपर्टी कार्ड मिला हुआ है। इनका परिवार 20 साल से एक छोटे से मकान में रह रहा था। जैसे ही प्रॉपर्टी कार्ड मिला, तो उनको बैंक से करीब 8 लाख का लोन मिला, 8 लाख रूपये का लोन मिला, कागज मिलने से। इस पैसे से उस बहन ने एक दुकान शुरु की, अब उससे हुई कमाई से वो परिवार अब अपने बच्चों की हायर एजुकेशन के लिए सपोर्ट कर पा रहा है। यानी देखिए कैसे बदलाव आता है। एक और राज्य में, एक गांव में एक व्यक्ति ने प्रॉपर्टी कार्ड दिखाकर बैंक से साढ़े चार लाख का लोन लिया। उस लोन से उसने एक गाड़ी खरीदी औऱ ट्रांसपोर्टेशन का काम उसने शुरू कर दिया। एक और गांव में एक व्यक्ति ने प्रॉपर्टी कार्ड पर लोन लेकर अपने खेत में मॉडर्न इरिगेशन फेसिलिटीज तैयार करवाईं। ऐसे ही कई उदाहरण हैं, जिनसे गांवों में, गरीबों को कमाई के नए रास्ते बन रहे हैं। ये रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म की असली स्टोरीज़ हैं, जो अखबारों और टीवी चैनल्स की हेडलाइन्स में नहीं आती है।

साथियों,

आजादी के बाद हमारे देश में अनेकों ऐसे जिले थे, जहां सरकारें विकास नहीं पहुंचा पाईं। और ये उनके गवर्नेंस की कमी थी, बजट तो होता था, डिक्लेयर भी होता था, सेंसेक्स के रिपोर्ट भी छपते थे, ऊपर गया की नीचे गया। करना ये चाहिए था कि इन जिलों पर खास फोकस करते। लेकिन इन जिलों को पिछड़े जिले, बैकवर्ड डिस्ट्रिक्ट इसका लेबल लगाकर उन जिलों को अपने हाल पर छोड़ दिया। इन जिलों को कोई हाथ लगाने को तैयार नहीं होता था। यहां सरकारी अफसर भी अगर ट्रांसफर भी होती थी, तो ये मान लिया जाता था, कि punishment posting पर भेजा गया है।

साथियों,

इतना नेगेटिव एनवायरमेंट उस स्थिति को मैंने एक चुनौती के रूप में लिया और पूरे अप्रोच को ही बदला डाला। हमने ऐसे देश के करीब सौ से ज्यादा जिलों को identify किया, जिसको कभी backward जिला कहते थे मैंने कहा ये एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स है। ये backward नहीं है। हमने यहां देश के युवा अफसरों को वहां पर ड्यूटी देना शुरू कर दिया। माइक्रो लेवल पर गवर्नेंस को सुधारने का प्रयास शुरू किया। हमने उन इंडीकेटर्स पर काम किया, जिसमें ये सबसे पीछे थे। फिर मिशन मोड पर, कैंप लगाकर, सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं को यहां लागू किया। आज इनमें से कई aspirational districts, देश के inspirational districts बन चुके हैं।

साल 2018 में असम के मैं उन जो aspirational districts जिसको मैं कहता हूं, जिसको पहले की सरकार backward कहती थी, मैं उनका ही जिक्र करना चाहता हूं। असम के बारपेटा जिले में सिर्फ 26 परसेंट एलीमेंट्री स्कूलों में ही सही student to teacher ratio था, only 26 परसेंट। आज उस डिस्ट्रिक्ट में 100 पर्सेंट स्कूलों में student to teacher ratio आवश्यकता के अनुसार हो गया। बिहार के बेगुसराय जिले में सप्लीमेंट्री न्यूट्रिशन लेने वाली गर्भवती महिलाओं की संख्या, only 21 परसेंट थी, बजट नहीं था ऐसा नहीं था, बजट तो था, only 21 परसेंट। उसी प्रकार से यूपी के चंदौली जिले में ये 14 परसेंट थी। आज दोनों जिलों में ये 100 परसेंट हो चुकी है। इसी तरह बच्चों के शत-प्रतिशत टीकाकरण के अभियान में भी कई जिले बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। यूपी के श्रावस्ती में 49 परसेंट से बढ़कर 86 परसेंट, तो तमिलनाडु के रामनाथपुरम में 67 परसेंट से बढ़कर 93 परसेंट हम पहुंचे हैं। ऐसी ही सफलताओं को देखते हुए ही अब देश के हम फिर ये प्रयोग बहुत सफल रहा, ग्रास रूट लेवल पर परिवर्तन लाने का ये प्रयास सफल रहा, तो जैसे पहले हमने 100 करीब करीब aspirational districts identify किए, अब हम एक स्टेज नीचे जाकर के 500 ब्लॉक्स उसको हमने aspirational blocks घोषित किया गया है, और वहां हम बिल्कुल फ़ोकस वे में तेजी से काम कर रहे हैं। अब आप कल्पना कर सकते हैं हिन्दुस्तान के 500 ब्लॉक्स उसके बेसिक बदलाव आएगा, मतलब देश के सारे पैरामीटर बदल जाते हैं।

साथियों,

यहां बहुत बड़ी संख्या में इंडस्ट्री लीडर्स बैठे हैं। आपने कई-कई दशक देखे हैं, दशकों से आप बिजनेस में हैं। भारत में बिजनेस का माहौल कैसा होना चाहिए, ये अक्सर आपकी Wish list का हिस्सा हुआ करता था। सोचिए कि हम 10 साल पहले कहां थे और आज कहां है? एक दशक पहले भारत के बैंक भारी संकट से गुजर रहे थे। हमारा बैंकिंग सिस्टम fragile था। करोड़ों भारतीय बैंकिंग सिस्टम से बाहर थे। और अभी विनीत जी ने जन धन एकाउंट की चर्चा भी की, भारत दुनिया के उन देशों में से एक था जहां, access to credit सबसे मुश्किल था।

साथियों,

हमने बैंकिंग सेक्टर को मजबूत करने के लिए अलग-अलग स्तर पर एक साथ काम किया। Banking the unbanked, Securing the unsecured, Funding the unfunded, ये हमारी स्ट्रैटजी रही है। 10 साल पहले ये तर्क दिया जाता था कि देश में बैंक ब्रांच नहीं है, तो कैसे फाइनेंशल इंक्लूजन होगा? आज देश के करीब-करीब हर गांव के 5 किलोमीटर के दायरे में कोई बैंक ब्रांच या बैंकिंग कॉरसपॉन्डेंट मौजूद है। एक्सेस टू क्रेडिट कैसे बढ़ा इसका एक उदाहरण, मुद्रा योजना है। करीब 32 लाख करोड़ रुपए, उन लोगों तक पहुंचे हैं, जिनको बैंकों की पुरानी व्यवस्था के तहत लोन मिल ही नहीं सकता था। ये कितना बड़ा परिवर्तन हुआ है। MSMEs के लिए लोन मिलना आज बहुत आसान हुआ है। आज रेहड़ी-पटरी ठेले वालों तक को हमने आसान लोन से जोड़ा है। किसानों को मिलने वाला लोन भी दोगुने से अधिक किया है। हम बहुत बड़ी संख्या में लोन दे रहे हैं, बड़े अमाउंट में लोन दे रहे हैं औऱ साथ ही हमारे बैंकों का प्रॉफिट भी बढ़ रहा है। 10 साल पहले तक इकोनॉमिक्स टाइम्स ही, बैंकों के रिकॉर्ड घोटाले की खबरें छापता था। रिकॉर्ड NPAs पर चिंता जताने वाले editorials छपते थे। आज आपके अखबार में क्या छप रहा है? अप्रैल से दिसंबर तक सरकारी बैंकों ने सवा लाख करोड़ रुपए से अधिक का रिकॉर्ड प्रॉफिट दर्ज किया है। साथियों, ये सिर्फ हेडलाइन्स नहीं बदली हैं। ये सिस्टम बदला है, जिसके मूल में हमारे बैंकिंग रिफॉर्म्स हैं। ये दिखाता है कि हमारी इकॉनॉमी के पिलर्स कितने मजबूत हो रहे हैं।

साथियों,

बीते दशक में हमने Fear of business को ease of doing businessमें बदला है। GST के कारण, देश में जो Single Large Market की व्यवस्था बनी है उससे भी इंडस्ट्री को बहुत फायदा मिल रहा है। बीते दशक में इंफ्रास्ट्रक्चर में भी अभूतपूर्व विकास हुआ है। इससे देश में Logistics Cost घट रही है, Efficiency बढ़ रही है। हमने सैकड़ों Compliances खत्म किए और अब जन विश्वास 2.0 से और भी Compliances को कम कर रहे हैं। समाज में, और ये मेरा conviction है, सरकार का दखल और कम हो, इसके लिए सरकार एक Deregulation Commission भी बनाने जा रही है।

Friends,

आज के भारत में एक और बहुत बड़ा परिवर्तन हम देख रहे हैं। ये परिवर्तन, फ्यूचर की तैयारी से जुड़ा है। जब दुनिया में पहली औद्योगिक क्रांति शुरु हुई, तो भारत में गुलामी की जकड़न मज़बूत होती जा रही थी। दूसरी औद्योगिक क्रांति के दौरान जहां दुनिया में नए-नए इन्वेंशन्स, नई फैक्ट्रियां लग रही थीं, तब भारत में लोकल इंडस्ट्री को नष्ट किया जा रहा था। भारत से रॉ मटीरियल बाहर ले जाया जा रहा था। आजादी के बाद भी स्थितियां ज्यादा नहीं बदलीं। जब दुनिया, कंप्यूटर क्रांति की तरफ बढ़ रही थी, तब भारत में कंप्यूटर खरीदने के लिए भी लाइसेंस लेना पड़ता था। पहली तीन औद्योगिक क्रांतियों का उतना लाभ भले ही भारत नहीं ले पाया, लेकिन चौथी औद्योगिक क्रांति में भारत दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाने के लिए तैयार है।

साथियों,

विकसित भारत की यात्रा में हमारी सरकार, प्राइवेट सेक्टर को बहुत अहम सहभागी मानती है। सरकार ने बहुत सारे नए सेक्टर्स को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोल दिया है, जैसे स्पेस सेक्टर। आज बहुत सारे नौजवान, बहुत सारे स्टार्टअप्स इस स्पेस सेक्टर में बड़ा योगदान दे रहे हैं। ऐसे ही ड्रोन सेक्टर कुछ समय पहले तक, लोगों के लिए closed था। आज इस सेक्टर में यूथ के लिए बहुत सारा स्कोप दिख रहा है। प्राइवेट फर्म्स के लिए Commercial Coal Mining का क्षेत्र खोला गया है। Auctions को प्राइवेट कंपनियों के लिए Liberalised किया गया है। देश के Renewable Energy Achievements में, हमारे Private Sector की बहुत बड़ी भूमिका है। और अब Power Distribution Sector में भी हम Private Sector को आगे बढ़ा रहे हैं, ताकि इसमें और Efficiency आए। हमारे इस बार के बजट में भी, एक बहुत बड़ा बदलाव हुआ है। हमने, यानी पहले कोई ये बोलने की हिम्मत नहीं करता था। हमने न्यूक्लियर सेक्टर को भी private participation के लिए खोल दिया है।

साथियों,

आज हमारी पॉलिटिक्स भी परफॉर्मेंस oriented हो चुकी है। अब भारत की जनता ने दो टूक कह दिया है- टिकेगा वही, जो जमीन से जुड़ा रहेगा, जमीन पर रिजल्ट लाकर दिखाएगा। सरकार को लोगों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील होना बहुत ज़रूरी है, उसकी पहली आवश्यकता है। हमसे पहले जिन पर पॉलिसी मेकिंग का ज़िम्मा था, उनमें संवेदनशीलता शायद बहुत आखिर में नजर आती थी। इच्छाशक्ति भी बहुत आखिर में नजर आती थी। हमारी सरकार ने संवेदनशीलता के साथ लोगों की समस्याओं को समझा, जोश और जुनून के साथ उन्हें सुलझाने के लिए ज़रूरी कदम उठाए। आज दुनिया की तमाम स्टडीज़ बताती हैं कि बीते दशक में जो बेसिक सुविधाएं देशवासियों को मिली हैं, जिस तरह वो Empower हुए हैं, उसके कारण ही, सिर्फ 10 साल में 25 करोड़ भारतीय गरीबी से बाहर निकलकर के आए हैं। इतना बड़ा वर्ग निओ-मिडिल क्लास का हिस्सा बन गया। ये निओ-मिडिल क्लास अब अपनी पहला टू-व्हीलर, अपनी पहली कार, अपना पहला घर खरीदने का सपना देख रहा है। मिडिल क्लास को सपोर्ट करने के लिए इस वर्ष के बजट में भी हमने ज़ीरो टैक्स की सीमा को 7 लाख से बढ़ाकर 12 लाख किया है। इस फैसले से पूरा मिडिल क्लास मजबूत होगा, देश में इकॉनॉमिक एक्टीविटी भी और बढ़ेगी। ये pro-active सरकार के साथ ही एक Sensitive सरकार की वजह से ही संभव हो पाया।

साथियों,

विकसित भारत की असली नींव विश्वास है, ट्रस्ट है। हर देशवासी, हर सरकार, हर बिजनेस लीडर में ये element होना बहुत ज़रूरी है। सरकार अपनी तरफ से देशवासियों में विश्वास बढ़ाने के लिए पूरी शक्ति से काम कर रही है। हम इनोवेटर्स को भी एक ऐसे माहौल का विश्वास दे रहे हैं, जिस पर वो अपने ideas को incubate कर सकते हैं। हम बिजनेस को भी पॉलिसीज़ के स्टेबल और सपोर्टिव रहने का विश्वास दे रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि ET की ये समिट, इस विश्वास को और मज़बूती देगी। इन्हीं शब्दों के साथ, मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, एक बार फिर आप सभी को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।