QuotePM Modi speaks at the 10th Annual Convention of the Central Information Commission
QuoteRTI is not only about the right to know but also the right to question. This will increase faith in democracy: PM
QuoteGovt's 'Digital India' is complimentary to RTI, putting information online brings transparency, which in turn, builds trust: PM
QuoteMore openness in government will help citizens. In this day and age there is no need for secrecy: PM
QuoteAim of RTI must be to bring about a positive change in governance: PM
QuoteThe voice of people is supreme in a democracy: PM Narendra Modi

उपस्थित सभी महानुभव,

आज हम सूचना के अधिकार के संबंध में आज 10 वर्ष पूर्ण कर रहे हैं। इस व्‍यवस्‍था में विश्‍वास पैदा करने के लिए इस व्‍यवस्‍था को आगे बढ़ाने में जिन-जिन लोगों ने योगदान दिया है, उन सबको मैं धन्‍यवाद करता हूं और बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

यह बात सही है कि सूचना के अधिकार से सबसे पहली बात सामान्‍य से सामान्‍य व्‍यक्ति को जानने का अधिकार हो, लेकिन वहां सीमित न हो। उसे सत्‍ता को question करने का भी अधिकार हो। और यही लोकतंत्र की बुनियाद है। और हम उस दिशा में जितनी तेज गति से काम करेंगे, उतना लोकतंत्र के प्रति लोगों का विश्‍वास और बढ़ेगा। लोगों की जागरूकता, एक प्रकार से शासन को भी ताकत देती है और न सिर्फ शासन को राष्‍ट्र की भी एक बहुत बड़ी अमानत बनती, है जागरूक समाज का होना। ऐसी कुछ व्‍यवस्‍था होती है, जो इन व्‍यवस्‍थाओं को पनपाती है, पुरस्‍कृत करती है, प्रोत्‍साहित करती है और परिणाम तक पहुंचाती है।

जो जानकारी मिलती है उस हिसाब से कहते हैं कि 1766 में सबसे पहले स्‍वीडन में इसका प्रारंभ हुआ। लिखित रूप में प्रारंभ हुआ। informally तो शायद कई व्‍यवस्‍थाओं में यह चलता होगा। लेकिन यही व्‍यवस्‍था अमेरिका में आते-आते 1966 हो गया। दो सौ साल लगे। कुछ देशों ने कानून पारित किए। लेकिन पारित करने के लागू करने के बीच दो साल का फासला रखा, ताकि लोगों को educate कर पाएं। शासन व्‍यवस्‍था को aware कर सके। और एक mature way में व्‍यवस्‍था विकसित हो। हमारे देश का अनुभव अलग है। हम लोगों ने निर्णय किया और काम करते-करते उसको सुधारते गए, ठीक करते गए और empower करते गए। और यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहेगी तभी जा करके institution और अधिक strengthen होती है और आने वाले दिनों में इसके लिए निरंतर प्रयास होता है।

एक बात निश्‍चित है कि जो Digital India का सपना है वो एक प्रकार से आरटीआई की जो भावना है उसके साथ पूरक है। क्‍योंकि जब चीजें online होने लगती है, तो अपने आप transparency आती है। और शासन और जनता के बीच trust होना चाहिए और trust through transparency होता है। अगर transparency है तो trust आता ही है। और इसलिए Digital India का जो सपना है, वो चीजों को जितना online करते जाएंगे, जितना open करते जाएंगे, सवालिया निशान कम होते जाएंगे। अब अभी पिछले दिनों coal का auction हुआ।

अब हमें मालूम है कि पहले कोयले को ले करके कितना बड़ा तूफान मच गया। कितने बड़े सवाल खड़े हुए। सुप्रीम कोर्ट तक को उसमें involve होना पड़ा। RTI से जुड़े हुए लोग भी इसमें काफी मेहनत करते रहे। अभी इस सरकार के सामने विषय आया, तो हमने सारी चीजें online की, online की इतना ही नहीं, एक बड़े screen पर, एक public place पर जहां कोई भी आसकता है देख सकता है, सारी process देख रहा था। हर शाम को कहां पहुंच इसका पता करता था। मीडिया के लोग भी आ करके बैठते थे। अब इस व्‍यवस्‍था में मैं नहीं मानता हूं कि फिर कभी किसी को RTI की जरूरत पड़ेगी, क्‍योंकि मैं मानता हूं कि जो RTI से मिलने वाला था वो पहले उसके सामने था। अभी हमने FM Radio का Auction किया, वो भी उसी प्रकार से online किया। spectrum का auction किया वो भी उसी प्रकार से किया। और जब auction चल रहा था, online सब लोग आते थे। हफ्ते, दस दिन तक चलता था। मीडिया के लोग भी बैठते थे। और भी लोग बैठते थे। कोई भी व्‍यक्ति उसको कर सकता था।

क्‍यों न हम transparency proactively क्‍यों न करे। किसी को जानने के लिए प्रयास करना पड़े कि किसी को जानकारी सहज रूप से मिले। शासन लोकतंत्र में उसका प्रयास हो रहना चाहिए कि सहज रूप से उसको जानकारी मिलनी चाहिए। हमारे यहां कुछ चीजें तो ऐसी पुरानी घर कर गई थी। धीरे-धीरे उसको बदलने में समय लगता है। अब जैसे आपको कहीं apply करना है और अपने certificate का Xerox देते हैं तो वो मंजूर नहीं होता है। किसी gestated officer या किसी political leader से जब तक ठप्‍पा नहीं मरवाते हो उसको मान्‍यता नहीं मिलती है। अब यह सालों से चल रहा था। हमने आ करके निर्णय किया कि भई नागरिक पर हम भरोसा करे। वो एक बार कहता तो सच मान ले और जब final उसका होगा, तब original certificate ले करके आ जाएगा, देख लेना। और आज वो व्‍यवस्‍था लागू हो गई। कहने का तात्‍पर्य यह है कि हम नागरिक पर भरोसा करके व्‍यवस्‍थाओं को चलाए। नागरिकों पर शक करके हम चीजों को चलाएंगे, तो फिर हम भी अपने आप को कहीं न कहीं छुपाने की कोशिश करते रहेंगे। एक openness, governance में जितना openness आएगा, उतना परिणाम सामान्‍य नागरिक को भी ताकतवर बनाता है।

सरकार का और भी स्‍वभाव बना हुआ है। साइलो में भी काम करना और इतना ही नहीं एक ही कमरे में चार अफसर बैठे हो, बड़ी कोशिश करता है कि बगल वाला फाइल देखें नहीं। अब यह जो secrecy की मानसिकता किसी जमाने में रही होगी, उस समय के कुछ कारण होंगे, लेकिन आज मैं यह नहीं मानता हूं कि इस प्रकार की अवस्‍था रहेगी। अगर खुलापन है, खुली बात है, भई यह चार काम करने है, चर्चा करके करने है। तो मैं समझता हूं कि उसके कारण एक सरलता भी आती है और speed भी आती है। एक-आध चीज की कमी रहती है, तो अपना साथी बताता है कि अरे भई तुम देखो यह पहलू जरा देख लो। तो एकदम से काम में.. कोई जरूर नहीं कि वो फाइल पर लिख करके कहता है, ऐसे बातों में कहता है कि देखो भई यह पहलू देखना पड़ेगा। तो अपने आप सुधार हो जाता है। तो सुधार करने के लिए हमारे मूलभूत स्‍वभाव में भी शासन थे। यह बहुत अपेक्षा रहती है कि उसमें यह बदलाव लाना चाहिए और हम उस दिशा में प्रयास कर रहे हैं। मुझे विश्‍वास है कि यह प्रयास परिणामकारी होगा।

आज मैं समझता हूं कि RTI की एक सीमा है। वो सीमा यह है कि जिसको जानकारी चाहिए, जानकारी तो मिलती है। कुछ बातें मीडिया को काम आ जाती है। कुछ बातें किसी को न्‍याय तक सीमित रह जाती है। process का पता चलता है। लेकिन अभी भी product का पता नहीं चलता। मैं इस रूप में कह रहा हूं कि मान लीजिए एक Bridge का contract दिया गया, तो RTI वाला पूछेगा तो उसको पता चलेगा फाइल कैसे शुरू हुई, tendering कैसे हुआ, noting क्‍या था, साइट कैसे select हुआ, यह सब चीजें मिलेगी। लेकिन वो Bridge कैसे बना, ठीक बना कि नहीं बना। उसमें कमियां है कि ठीक हुआ, समय पर हुआ कि नहीं हुआ। इन चीजों की तरफ अब ध्‍यान देने का समय आया है। तो हम process पर जितना ध्‍यान देते हैं RTI के द्वारा एक समय वो भी चाहिए कि जब product पर भी उतना ही transparency लाए, तब जा करके बदलाव आता है। वरना वो जानकारियां सिर्फ एक संतोष के लिए होती है। आखिरकर RTI का उपयोग Governance में बदलाव लाने के लिए सबसे पहले होना चाहिए।

और इसलिए जब विजय जी मुझे मिले थे, तो मैंने बातों-बातों में उनको कहा था कि जो लोग हमें सवाल पूछते हैं क्‍या हमने उसका Analysis किया है कि भई रेलवे के संबंध में कितने सवाल आते हैं? Home के संबंध में कितने सवाल आते हैं। फलाने विषय में कितने सवाल आते हैं। Analysis वो department है जहां हजारों की तादाद में सवाल आते हैं। यह department जहां सौ से ज्‍यादा नहीं आते हैं। फिर हमने उसका analysis करना चाहिए यह जो सवाल आते हैं, उसके मूल में कोई policy paralyses तो नहीं है। हम identify कर सकते हैं। अगर हम इस RTI को सिर्फ जवाब देने तक सीमित रखे तो शासन व्‍यवस्‍था को लाभ नहीं होता है। उस नागरिक ने सवाल पूछा है मतलब शासन व्‍यवस्‍था में कहीं न कहीं कोई बात है, जो पूछने की जरूरत पड़ी है। अगर व्‍यवस्‍था इतनी sensitive होती है। और जो सवाल आए उनका हम analysis करते हैं, तो हमें पता चलेगा कि policy matter के कारण यह समस्‍या बार-बार उठ रही है, लोग सवाल पूछ रहे हैं। तो Government को High level पर सोचना चाहिए कि policy matter में क्‍या फर्क लाना चाहिए। एक RTI क्‍या छोटा सा सवाल भी आपको policy बदलने के लिए मजबूर कर सकता है और कभी-कभार वो इतना सटीक बात पूछता है कि ध्‍यान में आता है कि यह तरफ हमारा ध्‍यान नहीं गया। इसलिए Good Governance के लिए RTI कैसे उपयोग में आए, सिर्फ जवाब देने से RTI Good Governance नहीं ला सकता है। वो सिर्फ विवादों के लिए काम आ सकता है। परिस्थिति पलटने के लिए नहीं काम आ सकता है।

दूसरा मैंने सुझाव दिया कि एक तो part यह होता है कि भई policy के कारण, दूसरा होता है person के कारण, कि भई जो व्‍यक्ति वहां बैठा है उसके nature में ही है। इसलिए ऐसी स्थिति पैदा होती है वो जवाब नहीं देता है, ढीलापन रखता है, ऐसे ही चलता है। तो फिर person पर सोचने का सवाल आएगा भई। एक ही person से संबंधित इतने सारे issue क्‍यों खड़े होते हैं, तो कहीं न कहीं कोई कमी होगी, उसको ठीक कैसे किया जाए? उस पर सोचना चाहिए। कहीं पर ऐसा होगा कि जिसे पता चलेगा कि भई लोगों ने सवाल पूछे है लेकिन finance के resource crunch के कारण वो नहीं हो पा रहा है। या कोई काम ऐसा होगा कि जिसके कारण लोकल कोई न कोई व्‍यवस्‍था होगी, जो रूकावटें डाल रही है। जब हम इन सवालों का perfect analysis करें और उसमें से सरकार की कमियां ढूंढे नागरिकों के सवालों में से ही सरकार की कमियां उजागर हो सकती है, व्‍यवस्‍था की कमियां उजागर हो सकती है, process की कमियां उजागर हो सकती है। और उसको ठीक करने के लिए उसमें से हमें एक रास्‍ता भी मिल सकता है। और इसलिए मैं चाहूंगा कि आप जब इस पर डिबेट करने वाले हैं हम RTI को एक Good Governance की ओर जाने का एक साधन के रूप में कैसे इस्‍तेमाल करें? और यह हो सकता है।

मैं इन दिनों एक कार्यक्रम करता हूं भारत सरकार में आने के बाद – प्रगति। एक साथ सभी chief secretaries और सभी secretaries भारत सरकार के और मैं 12-15 issue लेता हूं। और उससे ध्‍यान में आता है। सवाल तो मैं वो लेता हूं किसी नागरिक की चिट्ठी के आधार पर पकड़ता हूं। किसी ने मुझे लिखा कि भई फौजियों को pension में problem है। तो मैंने उस विषय को उठाया। सबको बुलाया, बिठाया, सब वीडियो पर होते हैं मीटिंग नहीं करते हैं। मैं तो एक छोटे कमरे में बैठता हूं। लेकिन उसका कारण बनता है, परिस्थिति आती है तुरंत ध्‍यान में आता है कि भई इस विषय को हैंडल करना पड़ेगा। किसी ने मुझे लिखा भी था post office में 15 दिन बीत गए, 20 दिन बीत गए टपाल नहीं आई थी। मैंने प्रगति में ले लिया, तुरंत पता चला क्‍या कारण था उनका। कहां पर यह slow process चल रहा था।

कहने का तात्‍पर्य यह है कि हम नागरिकों की आवाज को अगर हम महत्‍व दें। जब मैं गुजरात में था तो मैंने एक प‍द्धति बनाई थी। जो MLA सवाल पूछते हैं, मेरा अनुभव है कि MLA यानी जनप्रतिनिधि किसी भी दल का क्‍यों न हो, लेकिन उसकी हर बात को तव्‍वजू देनी चाहिए, महत्‍व देना चाहिए। किसी भी दल का क्‍यों न हो। क्‍योंकि वो अपने क्षेत्र के संबंध में कोई बात बताता है मतलब वो जनहित के लिए ही बताता है, मान करके चलना चाहिए। लेकिन जब House के अंदर जवाब देते हैं, तो by and large मीडिया centric process चलता है। एक प्रकार से House में, कल मीडिया में क्‍या छपेगा, टीवी पर क्‍या दिखेगा, वही dominate करने लग गया है। और इसलिए House में तो हर कोई अपना score settle करने वाला जवाब देता है। अब क्‍या करे मजबूरी हो गई है राजनीति की कि भई दूसरे दिन मीडिया में खबर खराब न आए। तो वो अपना.... और वो कर भी लेता और जीत भी जाता है। वो बात अलग है। लेकिन मैंने एक process शुरू किया था। Assembly सत्र पूरा होने के बाद जितने भी question आते थे। हर department को कहता था हर question का Analysis करो और मुझे action taken रिपोर्ट दो। भले किसी का भी सवाल हो, House में आपने जो भी जवाब दिया ठीक है। अगर उसने कहा है कि भई वहां road नहीं बना है मुझे result चाहिए। और उसके कारण शासन में electives के प्रति एक sensitivity पैदा हुई थी। मैं मानता हूं ऐसी sensitivity RTI के सवालों के साथ हमको जोड़ती है। अगर यह पूरे देश में शासकीय व्‍यवस्‍था में प्रगति में बहुत कुछ कर सकते हैं। और उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं।

एक यह भी बात है कि जब हम RTI की बात करते हैं तो यह मत है कि यह सारा communication जो है, information access करने की जो प्रक्रिया है। वो एक तो transparent होनी चाहिए, Timely होनी चाहिए and Trouble fee होनी चाहिए। यह हम जितना.. क्‍योंकि समय बीतने के बाद अगर हम जानकारी देते हैं तो न वो शासन को सुधारती है और न शासन को accountable बनाती है। फिर स्थिति कि अब क्‍या करे भई, वहां तो भवन बन गया अब वो भवन कैसे तोड़ सकते हैं। क्‍या करे भई वहां तो लोग रहने के लिए आए गए। उनको कैसे निकाल सकते हैं। अगर Timely information देते तो हो सकता है कि गलत निर्णय रूक जाता, तुरंत हम ध्‍यान में आते। और इसलिए transparency भी हो, Timely भी हो, Trouble free भी हो। यह हम बल देंगे, तो हम इस कानून बनाए लेकिन उस कानून का ज्‍यादा अच्‍छे से उपयोग कर सकते। ज्‍यादा अच्‍छा परिणाम ला सकते हैं।

आज मैंने देखा है कि गांव के अंदर.. यह ठीक है हर बात में कुछ मात्रा में कोई न कोई शंका को अशंका का कारण रहता होगा लेकिन larger interest में यह बहुत उपकारक है, बहुत उपयोगी है। मैंने राज्‍य का शासन चलाया इसलिए मुझे मालूम है कि गरीब व्‍यक्ति RTI का कैसे उपयोग करता है। अगर गांव के अंदर किसी ने गलत encroachment कर दिया है और वो बड़ा दबदबा वाला इंसान है तो शासन कुछ कर नहीं पाता है। और एक गरीब आदमी RTI को एक सवाल पूछ देता है, आ जाता है, तो शासन को मजबूर हो करके encroachment हटाना पड़ता है। और जनता की या शासन की जो जमीन है वो खुली करवानी पड़ती है। ऐसे कई उदाहरण मैंने देखे हैं। गांव का भी एक छोटा व्‍यक्ति.. ।

हम जब गुजरात में थे तो एक प्रयोग किया था। और वो गुजरात मॉडल के रूप में जाना जाता था tribal के लिए। हम tribal को सीधे पैसा दे देते थे। और tribal को कहते थे तुम अपनी requirement के अनुसार एक कमिटी योजना बनाए और वो अपना काम हो, क्‍योंकि सरकार योजना बनाती गांधी नगर में बैठके। वो चाहती कि कुंआ खोदेंगे। गांवा वाला कहता है कि मुझे कुंआ नहीं चाहिए, मुझे स्‍कूल चाहिए और हम कुंए के लिए पैसा देते हैं, उसे स्‍कूल चाहिए उसके बजाय हमने गांव वालों को दिया। लेकिन गांव में ग्राम सभा के अंदर उनको सारा ब्‍यौरा देना पड़ता था और बोर्ड पर लिखकर रखना पड़ता था कि हमने इस काम के लिए इतना पैसा लगाया। गांव का सामान्‍य व्‍यक्ति भी पूछ लेता था पंच के प्रधान को कि भई तुम कह रहे हो दो सौ रुपया यहां लगाया, वो चीज तो दिखती नहीं, बताओ। और Transparency आती थी। हम जितना openness लाते हैं, उतनी Transparency की गारंटी बनती है। और इसलिए RTI एक माध्‍यम है Transparency की ओर जाने का, लेकिन At the same time RTI से सीख करके हमने शासन व्‍यवस्‍था में Transparency लाने की आवश्‍यकता है। और मुझे विश्‍वास है कि अगर गलत इरादे से कोई काम नहीं है तो कभी कोइे तकलीफ नहीं होती है, कोई दिक्‍कत नहीं होती है। सही काम सही परिणाम भी देते हैं। और जैसा मैंने कहा सिर्फ process नहीं। हमें आने वाले दिनों में product की quality पर भी ध्‍यान देना पड़ेगा। उसको भी हम किस प्रकार से सोंचे। ताकि हर चीज का हिसाब-किताब देना पड़े। क्‍योंकि जनता के पैसा से चलती है सरकार। सारे निर्माण कार्य होते हैं जनता के पैसों से होते हैं। और जनता सर्वपरि होती है लोकतंत्र में। उसके हितों की चिंता और उस व्‍यवस्‍था को मजबूत करने की दिशा में हम प्रयास करते रहेंगे। तो मैं समझता हूं कि बहुत ही उपकारक होगा।

आज पूरा दिनभर आप लोग बैठने वाले हैं। मुझे विश्‍वास है कि इस बंधन में राज्‍य के भी सभी अधिकारी यहां पर आए हुए हैं। तो उस मंथन में से जो भी अच्‍छे सुझाव आएंगे वो सरकार के ध्‍यान में आएंगे। उसमें से कितना अच्‍छा कर सकते हैं प्रयास जरूर रहेगा, लेकिन हम चाहेंगे कि जनता जितनी ताकतवर बनती है, नागरिक जितना ताकतवर बनता है वो ताकत सचमुच में देश की ही ताकत होती है। उसी को हम बल दें। इसी एक अपेक्षा के साथ बहुत-बहुत शुभकामनाएं। धन्‍यवाद।

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আদমপুর বিমানঘাঁটিতে বিমানবাহিনীর সাহসী যোদ্ধাদের সঙ্গে প্রধানমন্ত্রীর মতবিনিময়
May 13, 2025
QuoteInteracted with the air warriors and soldiers, Their courage and professionalism in protecting our nation are commendable: PM
Quote‘Bharat Mata ki Jai’ is not just a slogan, This is the oath of every soldier who puts his life at stake for the honour and dignity of his country: PM
QuoteOperation Sindoor is a trinity of India's policy, intent, and decisive capability: PM
QuoteWhen the Sindoor of our sisters and daughters was wiped away, we crushed the terrorists in their hideouts: PM
QuoteThe masterminds of terror now know that raising an eye against India will lead to nothing but destruction: PM
QuoteNot only were terrorist bases and airbases in Pakistan destroyed, but their malicious intentions and audacity were also defeated: PM
QuoteIndia's Lakshman Rekha against terrorism is now crystal clear,If there is another terror attack, India will respond and it will be a decisive response: PM
QuoteEvery moment of Operation Sindoor stands as a testament to the strength of India's armed forces: PM
QuoteIf Pakistan shows any further terrorist activity or military aggression, we will respond decisively, This response will be on our terms, in our way: PM
QuoteThis is the new India! This India seeks peace, But if humanity is attacked, India also knows how to crush the enemy on the battlefield: PM

ভারতমাতার জয়!
ভারতমাতার জয়!
ভারতমাতার জয়!

সারা বিশ্ব এই স্লোগানের শক্তি উপলব্ধি করেছে। ভারতমাতার জয়, নিছক এক স্লোগান নয়, এটি দেশের প্রত্যেক সৈনিকের শপথবাক্য যাঁরা ভারতমাতার সম্মান ও মর্যাদা রক্ষার্থে তাঁদের জীবনকে বাজি রেখেছেন। যেসব নাগরিক দেশের জন্য বাঁচতে চান, কোনকিছু অর্জন করতে চান, তাঁদের প্রত্যেকের মধ্যে এটি ধ্বনিত হচ্ছে। ভারতমাতার জয় আকাশে-বাতাসে সর্বত্র অনুরণিত হচ্ছে। যখন ভারতের সৈনিকরা মা ভারতী কি জয় বলে স্লোগান দেন, তখন শত্রুর বুক কাঁপে। যখন আমাদের ড্রোন শত্রুর দুর্গের দেওয়ালে আঘাত হেনে তাকে ধ্বংস করে, যখন আমাদের ক্ষেপণাস্ত্র নির্দিষ্ট লক্ষ্যবস্তুতে আঘাত হানে, তখন শত্রুরা শুনতে পায় – ভারতমাতার জয়! যখন রাতের অন্ধকারে আমরা সূর্যের উদয় ঘটাই, তখন শত্রুরা দেখে ভারতমাতার জয়! যখন আমাদের বাহিনী পারমাণবিক অস্ত্রের যুযুর ভয়কে অগ্রাহ্য করে, তখন আকাশ থেকে পাতাল পর্যন্ত একই ধ্বনি অনুরণিত হয় – ভারতমাতার জয়!

বন্ধুগণ,

বাস্তবিকই আপনারা সকলে কোটি কোটি ভারতবাসীকে গর্বিত করেছেন। নতুন ইতিহাস গড়েছেন। আজ এই সকালে আমি আপনাদের কাছে এসেছি। যখন মাটিকে সাহসী পা স্পর্শ করে, তখন সেই মাটি আশীর্বাদধন্য হয়। আর যখন কেউ সেই সাহসীদের দেখার সুযোগ পায়, তখন তাঁর জীবনও আশীর্বাদধন্য হয়ে ওঠে। আর তাই আমি এখানে এত সকালে আপনাদের দেখতে এসেছি। আজ থেকে বহু দশক পরেও যখন ভারতের এই শৌর্য নিয়ে আলোচনা হবে, তখন সবথেকে গুরুত্বপূর্ণ অধ্যায়ের সাক্ষী থাকবেন আপনি এবং আপনার সঙ্গীরা। বর্তমান এই সময়কাল থেকে ভবিষ্যৎ প্রজন্মের কাছে আপনারা সকলে অনুপ্রেরণার নতুন উৎস হিসেবে বিবেচিত হবেন। নায়কদের এই দেশে আজ আমি বিমানবাহিনী, নৌ-বাহিনী এবং সেনাবাহিনী ও বিএসএফ-এর প্রত্যেক সাহসী যোদ্ধাকে প্রণাম জানাই। আপনাদের শৌর্যের কারণেই প্রতিটি প্রান্তে ‘অপারেশন সিন্দুর’-এর আওতায় পৌঁছেছে। পুরো এই অভিযানে প্রত্যেক ভারতবাসী আপনাদের সঙ্গে ছিলেন, প্রত্যেক ভারতবাসী আপনাদের জন্য প্রার্থনা করেছেন। আজ দেশের প্রত্যেক নাগরিক, সৈনিক এবং তাঁদের পরিবারের প্রতি কৃতজ্ঞ এবং চিরঋণী।

বন্ধুগণ,

‘অপারেশন সিন্দুর’ কোনো সাধারণ সামরিক অভিযান নয়। এটি ভারতের নীতি ও সিদ্ধান্তের এক প্রতিফলন। ভারত ভগবান বুদ্ধের যেমন দেশ, একইসঙ্গে গুরু গোবিন্দ সিং-জিরও। গুরু গোবিন্দ সিং-জি বলেছিলেন, “সওয়া লাখ সেবক লড়াই, চি রি ইয়ন তেন বাজ তড়াউ, তবোগু গোবিন্দ সিং নাম কহঁ”। অশুভকে ধ্বংস করে সত্যকে প্রতিষ্ঠা করার জন্য অস্ত্র হাতে তুলে নেওয়া আমাদের ঐতিহ্য। আর তাই, যখন আমাদের মেয়ে এবং বোনেদের সিঁদুর মুছে ফেলা হয়েছিল, আমরা তখন জঙ্গিদের ঘরে ঢুকে তাদের নির্মূল করেছি। কাপুরুষের মতো তারা লুকিয়ে ছিল, কিন্তু তারা ভুলে গেছে যে তারা ভারতীয় সেনাবাহিনীকে চ্যালেঞ্জ জানিয়েছে। আপনারা সামনে থেকে তাদেরকে আক্রমণ করেছেন এবং হত্যা করেছেন, আপনারা জঙ্গিদের সব ঘাঁটি ধ্বংস করেছেন, জঙ্গিদের ন’টি গোপন আস্তানাকে গুঁড়িয়ে দিয়েছেন, ১০০ জনেরও বেশি জঙ্গিকে হত্যা করেছেন, জঙ্গিদের মূল মাথা এখন বুঝেছে যে ভারতের দিকে চোখ রাঙালে ফল একটাই – ধ্বংস! ভারতের নিরপরাধ লোকের রক্তক্ষয়ের পরিণতি একটিই – ধ্বংস, মহাধ্বংস! ভারতীয় সেনাবাহিনী, ভারতীয় বিমানবাহিনী এবং ভারতীয় নৌ-বাহিনী পাকিস্তানের সেনাবাহিনীকে পরাজিত করেছে, এদের ওপরই এই জঙ্গিরা ভরসা করত। আপনারা পাকিস্তানি সেনাবাহিনীকে এই বার্তা দিয়েছেন যে পাকিস্তানে জঙ্গিরা শান্তিতে কোথাও বসে শ্বাস ফেলতে পারবে না। আমরা তাদের বাড়িতে ঢুকব, হত্যা করব এবং পালানোর কোনো সুযোগ দেব না। আমাদের ড্রোন, আমাদের ক্ষেপণাস্ত্রের কারণে পাকিস্তান দীর্ঘদিন ঘুমোতে পারবে না। এগুলির কথা শুধু ভাববে। মহারানা প্রতাপ তাঁর বিখ্যাত ঘোড়া চেতক-এ বসে লিখেছিলেন, “কৌশল দি খলায়া চল ম, উড় গয়া ভয়ানক ভাল ম। নি ভি ক গয়া ওয়াহ দাল ম সরপট দৌড়া করবাল ম”। কিন্তু এই কথাগুলি আজও ভারতের আধুনিক যুদ্ধাস্ত্রের ক্ষেত্রে সমানভাবে প্রযোজ্য।

আমার সাহসী বন্ধুরা,

আপনারা ‘অপারেশন সিন্দুর’-এর মাধ্যমে দেশের আত্মপ্রত্যয় কয়েকগুণ বৃদ্ধি করেছেন। দেশের একতাকে একসূত্রে গেঁথে আপনারা ভারতের সীমান্তকে রক্ষা করেছেন, ভারতের আত্মবিশ্বাসকে নতুন এক উচ্চতায় পৌঁছে দিয়েছেন।

বন্ধুগণ,

আপনারা অভূতপূর্ব, অকল্পনীয়, দুর্দান্ত কিছু কাজ করেছেন। আমাদের বিমানবাহিনী পাকিস্তানে জঙ্গি ঘাঁটিগুলিকে এত নিখুঁতভাবে নিশানা করেছে যা আধুনিক প্রযুক্তি সম্বলিত পেশাদার বাহিনীর পক্ষেই সম্ভব। সীমান্ত জুড়ে বিভিন্ন লক্ষ্যবস্তুকে আঘাত হেনেছেন মাত্র ২০-২৫ মিনিটের মধ্যে। যে দ্রুততার সঙ্গে অব্যর্থভাবে আপনারা এই আঘাত হেনেছেন, তাতে শত্রুপক্ষ বিহ্বল হয়ে পড়েছিল। তারা বুঝতে পারেনি যে তাদের বুক ফুঁড়ে যাচ্ছে।

বন্ধুগণ,

পাকিস্তানের মধ্যে জঙ্গিদের সদর ঘাঁটিতে আমরা আঘাত হেনেছি, জঙ্গিদের ওপরও আক্রমণ শানিয়েছি। কিন্তু, পাকিস্তান যাত্রীবাহী বিমানগুলিকে ব্যবহার করে নতুন এক চক্রান্ত করেছিল। যখন অসামরিক নাগরিকদের নিয়ে বিমান উড়ছে, আপনারা সেটা দেখতে পাচ্ছেন, তার মধ্য দিয়ে কত সতর্কভাবে লক্ষ্যবস্তুকে আঘাত হেনে তাকে ধ্বংস করা হয়েছে, সেই কঠিন মুহূর্তটি আমি বুঝতে পারছি। অসামরিক নাগরিকদের বিমানে আঘাত না হেনে যেভাবে আপনারা যথাযথ জবাব দিয়েছেন, তার জন্য আমি গর্বিত। আমি বলতে পারি, যেভাবে আপনারা আপনাদের নিশানাকে স্থির করেছেন, তার জন্য আমরা গর্বিত। পাকিস্তানে জঙ্গিদের আত্মগোপন করে থাকার জায়গাগুলি এবং বিভিন্ন বিমানঘাঁটিকেই আপনারা ধ্বংস করেননি, তাদের কাপুরুষোচিত নানা উদ্দেশ্য এবং আস্পর্ধাকে চূর্ণ করে দিয়েছেন।

বন্ধুগণ,

‘অপারেশন সিন্দুর’-এর ফলে শত্রুরা আজ হতাশায় ভুগছে। তারা এই বিমানঘাঁটি সহ আমাদের অনেকগুলি বিমানঘাঁটিকে লক্ষ্য করে হামলা চালানোর চেষ্টা চালিয়েছে। বারবার হামলা চালানোর চেষ্টা সত্ত্বেও পাকিস্তানের অসৎ উদ্দেশ্য প্রত্যেকবারই ব্যর্থ হয়েছে। আমাদের শক্তিশালী বিমানবাহিনীর প্রতিরোধ ব্যবস্থার কারণে পাকিস্তানের ড্রোন, ইউএভি, যুদ্ধবিমান এবং ক্ষেপণাস্ত্র ধ্বংস হয়েছে। দেশের প্রতিটি বিমানঘাঁটির সঙ্গে যুক্ত নেতৃবৃন্দকে আমি আন্তরিকভাবে অভিনন্দন জানাই। আন্তরিকভাবে অভিনন্দন জানাই ভারতীয় বিমানবাহিনীর প্রত্যেক যোদ্ধাকে। আপনারা চমৎকার এক কাজ করেছেন।

বন্ধুগণ,

সন্ত্রাসবাদের বিরুদ্ধে ভারতের লক্ষ্মণরেখা এখন অত্যন্ত স্পষ্ট। যদি আবারও জঙ্গি হানা হয় ভারত তার যথাযথ জবাব দেবে। সার্জিকাল স্ট্রাইক, বিমান আক্রমণ এবং এখন অপারেশন সিন্দুর আপনারা দেখেছেন। আমি গতকাল যেমনটা বলেছিলাম, ভারত এখন তিনটি নীতিকে মেনে চলে। যদি ভারতে জঙ্গি হানা হয়, আমরা আমাদের মতো করে তার জবাব দেব, আমরা সেই সময় বাছাই করব। দ্বিতীয়ত, পারমাণবিক বোমার যুযুতে ভারত আর ভয় পাবে না। তৃতীয়ত, জঙ্গি এবং জঙ্গিদের মদতদাতাদের আলাদা করে দেখা হবে না। সারা বিশ্ব ভারতের এই নতুন ব্যবস্থাকে উপলব্ধি করতে পেরেছে।  

বন্ধুগণ,

‘অপারেশন সিন্দুর’-এর প্রতিটি মুহূর্তেই ভারতীয় বাহিনীর ক্ষমতা প্রদর্শিত হয়েছে। এই সময়কালে আমাদের বাহিনীগুলির মধ্যে যে সমন্বয় ঘটানো হয়েছে তা অসাধারণ। সেনাবাহিনী, নৌ-বাহিনী অথবা বিমানবাহিনী – প্রত্যেকের মধ্যে চমৎকার সমন্বয় কাজ করেছে। নৌ-বাহিনী সমুদ্রে তার কতৃত্ব প্রতিষ্ঠা করেছে, সেনাবাহিনী সীমান্তে তার শক্তিশালী উপস্থিতিকে বুঝিয়েছে আর ভারতীয় বিমানবাহিনী সমানভাবে আক্রমণ চালিয়েছে। সীমান্ত সুরক্ষা বাহিনী – বিএসএফ সহ অন্যান্য বাহিনীগুলি তাদের দক্ষতা দেখিয়েছে। সুসংহত বিমান ও সেনাবাহিনীর যৌথ ব্যবস্থাপনা দারুণ কাজ করেছে। আর একেই বলে একতা, যা ভারতীয় বাহিনীগুলির সবথেকে বড় শক্তি হিসেবে বিবেচিত হচ্ছে।

বন্ধুগণ,

‘অপারেশন সিন্দুর’-এ মানবসম্পদের সঙ্গে যন্ত্রের সমন্বয় ঘটানো দারুণ এক কাজ ছিল। ভারতের বিমানবাহিনীর চিরায়ত প্রতিরোধ ব্যবস্থাপনা, এস-৪০০-র মতো শক্তিশালী প্রতিরক্ষা ব্যবস্থাপনা এ দেশকে অপ্রতিরোধ্য শক্তি যুগিয়েছে। আমাদের দেশে তৈরি ‘আকাশ’ সহ অন্যান্য আধুনিক প্রতিরক্ষা ব্যবস্থাপনাও এই প্রক্রিয়ায় সামিল ছিল। বর্তমানে একটি শক্তিশালী সুরক্ষা বলয় ভারতকে রক্ষা করছে। পাকিস্তানের বহু চেষ্টা সত্ত্বেও আমাদের বিমানঘাঁটি সহ প্রতিরক্ষা সংক্রান্ত অন্যান্য ব্যবস্থাপনায় আঘাত হানতে পারেনি। আর এর জন্য সব কৃতিত্ব আপনাদের। আমি আপনাদের প্রত্যেকের জন্য গর্বিত। সীমান্ত অঞ্চলে যে সৈনিকরা মোতায়েন রয়েছেন, যাঁরা এই অভিযানের সঙ্গে যুক্ত ছিলেন – তাঁরা সকলেই এই সাফল্যের দাবিদার।

বন্ধুগণ,

আজ নতুন এবং অত্যাধুনিক প্রযুক্তির কারণে আমাদের দক্ষতা বৃদ্ধি হয়েছে। এই প্রতিযোগিতায় পাকিস্তান সামিল হতে পারবে না। গত এক দশকে বিমানবাহিনী সহ আমাদের প্রতিটি বাহিনীই বিশ্বের শ্রেষ্ঠ প্রযুক্তিগুলি গ্রহণ করেছে। কিন্তু আমরা সকলেই জানি, নতুন প্রযুক্তিগুলির কারণে আরও বড় চ্যালেঞ্জের সম্মুখীন হতে হয়। জটিল এবং অত্যাধুনিক ব্যবস্থাপনাকে দক্ষতার সঙ্গে পরিচালনা করা একটি বড় কৃতিত্ব। আপনারা প্রযুক্তির সঙ্গে বিভিন্ন কৌশলকে যুক্ত করেছেন। আর এই পৃথিবীতে আপনারা যে শ্রেষ্ঠ, তা প্রমাণ করেছেন। ভারতীয় বিমানবাহিনী এখন শত্রুকে পরাজিত করতে শুধু অস্ত্রশস্ত্রকেই কাজে লাগায় না, তথ্য এবং ড্রোনকেও ব্যবহার করে।

বন্ধুগণ,

পাকিস্তান অনুরোধ করার পরই ভারত সামরিক অভিযান স্থগিত করে। পাকিস্তান যদি আবারও জঙ্গিদের কার্যকলাপে মদত দেয় অথবা তার সামরিক বাহিনীর আস্পর্ধা আমরা দেখতে পাই, তাহলে যথাযথ জবাব দেব। আমরা আমাদের মতো করে এই প্রত্যুত্তর দেব। আপনাদের ধৈর্য্য, সাহস্ এবং সতর্ক থাকার কারণেই এই সিদ্ধান্তগুলি নেওয়া সম্ভব হয়েছে। আপনারা এই সাহস, মনোভাব বজায় রেখে চলেছেন। আপনাদের সদা সতর্ক থাকতে হবে, সব সময় প্রস্তুত থাকতে হবে। আমরা শত্রুদেরকে মনে করিয়ে দিচ্ছি, এটি নতুন ভারত। এই ভারত শান্তির পক্ষে, কিন্তু যদি মানবজাতি হামলার সম্মুখীন হয়, তাহলে এই ভারত জানে কিভাবে শত্রুকে ধ্বংস করতে হয়। আর এই সঙ্কল্প নিয়ে আসুন আমরা একযোগে বলি -

ভারতমাতার জয়!
ভারতমাতার জয়!
ভারতমাতার জয়!
বন্দে মাতরম। বন্দে মাতরম।
বন্দে মাতরম। বন্দে মাতরম।
বন্দে মাতরম। বন্দে মাতরম।
বন্দে মাতরম। বন্দে মাতরম।
বন্দে মাতরম।
অনেক অনেক ধন্যবাদ।

প্রধানমন্ত্রী মূল ভাষণটি হিন্দিতে দিয়েছিলেন