जिस उमंग और उत्साह के साथ आप सबने मुझे आशीर्वाद दिए इसके लिए मैं आप सबका हृदय से बहुत आभार व्यक्त करता हूं। मुझे आने में कुछ विलंब हुआ इसके लिए मैं आपसे क्षमा चाहता हूं। सूरत का मेरा ये चौथा कार्यक्रम है आज और इसके बाद दिल्ली जाकर भी कुछ काम करना है। मैंने चार कार्यक्रम आपके यहां किए आप थक तो नहीं गए न....क्योंकि मैं थकता नहीं हूं। मुझे बताया गया कि जितने लोग अंदर हैं उससे भी ज्यादा लोग बाहर हैं। उन सभी बंधुओं को जो असुविधा हुई है, वे अंदर नहीं आ पाए हैं, स्वाभाविक है कि उनके दिल में थोड़ा दर्द होगा, कसक होगी, मैं उनकी भी क्षमा मांगता हूं। लेकिन मैं विश्वास दिलाता हूं कि मैं फिर कभी आऊंगा तो विराट जनसभा में उनके दर्शन कर ही लूंगा।
देश का नौजवान देश का भविष्य है। और आज उत्साह, उमंग और जोश से भरे हुए इन नौजवानों के बीच में मुझे भी एक नया जोश मिल रहा है। और आजकल तो युवाओं में चर्चा है how is the josh ?
दोस्तों देश तेज गति से बदल रहा है, जिस आशा और अपेक्षा के साथ 2014 में आपने मुझ पर जिम्मेवारी दी, देशवासियों ने जिम्मेवारी दी। आप गुजरात के लोग तो मुझे भी जानते थे, मेरे काम को भी जानते थे लेकिन पूरे हिंदुस्तान के लिए मैं नया था, लेकिन देश ने मुझ पर भरोसा किया क्योंकि आपने देश को बताया कि ये भरोसा करने जैसा है।
आज कभी चर्चा होती होगी कि देश में ये काम हो रहा है, वो काम हो रहा है। नौ करोड़ टायलेट बन गए, डिकना हो गया फलाना हो गया। दुनिया के अंदर हिंदुस्तान का डंका बज रहा है। क्या कारण है ?... कारण मोदी नहीं है... कारण आपका एक वोट है। अब आपको पता चलता होगा कि आपके एक वोट की ताकत क्या है। आपके एक वोट ने, पांच साल तक मुझे दौड़ाता है......आपका वोट.... आपका एक वोट मुझे दिन-रात जागकर के आपके लिए कुछ करने की प्रेरणा देता है।
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सूरत व्यापारियों की भूमि है। आपको जरूर लगता होगा कि आपने 2014 में invest किया था उसका पूरा फल आपको मिल गया है और चक्रवृद्धि ब्याज से मिला होगा। 2014 के उन दिनों को याद कीजिए.... देश निराशा की गर्त में डूबा हुआ था। लोग हिंदुस्तान छोड़कर के जाना, बाहर जाना, कहीं सेट होना, उस पर चर्चा चल रही थी। ये भी चर्चा चल रही थी... कि देश कैसे बचेगा ? क्या होगा देश का ? देखते ही देखते निराशा आशा में बदल गई है। आशा विश्वास में बदल गया। और ये विश्वास भी ऐसा है जिसने सवा सौ करोड़ देशवासियों में आत्मविश्वास भी जगाया है। ये आत्मविश्वास, ये सपने हिंदुस्तान को बहुत आगे ले जाने की ताकत रखते हैं। कुछ लोगों का स्वभाव होता है रोते रहना। न मेरा रोने में विश्वास है न रुलाने में विश्वास है। मुझे आगे चलाने में विश्वास है और देश चल पड़ा है हर कोई नए सपने लेकर के निकल पड़ा है। कभी-कभी लोग मुझे पूछते हैं कि मोदी जी आपने काम तो बहुत किया, हर क्षेत्र में काम किया लेकिन आपने लोगों में इतनी आशाए जगा दी, इतनी अपेक्षाएं जगा दी कि उसको तो आप पूरा नहीं कर पाएंगे। मैंने कहा कि निराशा के बजाए आशा पैदा होना अच्छा है कि बुरा है? नई आकांक्षाएं जगना अच्छा है कि बुरा है ? मैंने कहा कि हमें गर्व होना चाहिए कि देश में एक ऐसी सरकार बनी है जिसने सवा सौ करोड़ देशवासियों के सपनों को जगा दिया है। देश में ऐसी सरकार काम कर रही है जिस काम को देखकर के उसको लगता है कि अरे मोदी जी इतना कर सकते हैं तो ये भी कर देंगे। हमारा यही सबसे बड़ा योगदान है कि निराशा की गर्त में डूबे हुए हिंदुस्तान को आशा और विश्वास से हमने भर दिया है और वही देश को आगे ले जाएंगे। यही वो ताकत है जो देश को आगे ले जाएगी।
कोई कल्पना कर सकता है कि स्वच्छता जैसा विषय देशवासियों ने अपना बना लिया। वर्ना हमारे देश का हाल क्या था ? दो शब्द हमारे जहन में घर कर गए थे। दो शब्द ऐसे हमारे सार्वजनिक जीवन का हिस्सा बन गए थे और उसी ने देश को पटरी से नीचे उतार दिया था। वो दो शब्द कौन से थे ?... कोई भी काम हो.... कोई भी काम हो तो पहला सवाल आता था मेरा क्या ?.... था कि नहीं था ऐसा? ऐसा था कि नहीं था ? .... ऐसा था कि नहीं था ?.... अच्छा मान लीजिए कोई कहेगा कि भई तेरा कुछ नहीं भई मैं तो उसमें तुझे कुछ दे नहीं सकता, तेरा कोई हो नहीं सकता है तो फिर दूसरा शब्द आता था मुझे क्या? यानी कुछ आशा अपेक्षा से मेरा क्या, लेकिन अगर बात बनी नहीं, तो मुझे क्या जाओ, मरो। हमनें इन दोनों शब्दों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है दोस्तों और उसका परिणाम है सबका साथ-सबका विकास हर किसी का...... तो दोस्तों मुझे अच्छा लगा। सूरत ने एक विशिष्ट प्रकार के कार्यक्रम की रचना की। आप नौजवानों से भी कुछ बातें करने का मुझे मौका मिलेगा... मुझे बताया गया कि कुछ नौजवान सवाल पूछना चाहते हैं जरूर पूछे तो मेरा भाषण तो सवाल-जवाब में आ ही जाएगा तो मैं लंबा भाषण न करते हुए सवालों को निमंत्रित करता हूं ।
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प्रशन: नमस्कार प्रधानमंत्री जी, मैं एक कंम्पयूटर इंजीनियर हूं और सर पहले देश में मानसिकता थी कि इस देश का कुछ नहीं हो सकता है पर इसमें भी मैं बदलाव देख रहा हूं तो मेरा प्रश्न ये है कि ये बदलाव संभव कैसे हुआ?
प्रधानमंत्री: धन्यवाद जी, मैं सबसे पहले तो आपका धन्यवाद करता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं कि आपने बदलाव को महसूस किया । ये बात सही है कि सबसे पहला जो हमने काम किया है। इस देश में हम लोगों के दिमाग में पिछले दस साल में यानी मेरे आने के पहले वाले दस साल 2004 से 2014, जब रिमोट वाली सरकार चलती थी। उस समय के हालात ये थे कि हर किसी ने मान लिया कुछ होने वाला नहीं है.. खेल खत्म.. अब ऐसे ही गुजारा कर लो भाई... जो नसीब में था वो होगा। एक मानसिकता घर कर गई थी कि कुछ भी नहीं बदल सकता है हमने सबसे पहला काम किया है, उन मानसिकता को ही बदल दिया है, सब-कुछ बदल सकता है। आपने देखा होगा कि पहले, अखबारों की सुर्खिया देख लीजिये.... 2013-14 के अखबार निकालिए, आए दिन खबर आती थी ये घोटाला, वो घोटाला आता था कि नहीं आता था ? साढ़े चार साल हो गए खबरें बदली है कि नहीं बदली हैं। हेडलाइन बदली है कि नहीं बदली। वर्ना उस समय कोयला घोटाला, 2-जी घोटाला.... जी कहां तक जाता है जानते हैं आप लोग। एक छोटा उदाहरण देता हूं, 26/11 हुआ था याद है ? 26/11 याद है न? मुंबई में आतंकियों ने हमला किया था। बाद में क्या हुआ फूल चढ़ाए, मोमबत्तियां जलाई, श्रंद्धाजलि दी गई, और हमारी सरकार के दौरान उरी हुआ था, उरी के बाद क्या हुआ ? क्या हुआ ? ये बदल हुआ कि नहीं हुआ ? तब इतनी बड़ी मात्रा में निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया और सरकार सोती रही। उरी ने हमें सोने नहीं दिया। जवान के खून का एक-एक बूंद हमारे लिए पवित्र होता है। और उसी में से भीतर वो आग थी जो आग उस जवान के दिल में थी वही आग इस प्रधानमंत्री के दिल में थी और उसी का परिणाम हुआ सर्जिकल स्ट्राइक। बदलाव ऐसे आता है कोई कल्पना कर सकता था कि काले धन के खिलाफ इतनी बड़ी लड़ाई कोई लड़ सकता है? हर कोई सोचते थे कि नेता लोग आते हैं, बोलते हैं, फिर वो भी सेट हो जाते हैं। ये ऐसा नेता है खुद सेट होता नहीं अपने लिए और ना हीं औरों को अपसेट किए बिना छोड़ता है।
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नोटबंदी के बाद तीन लाख कंपनियों को ताले लगा दिए, तीन लाख कंपनियों को । अगर किसी एक कंपनी को ताला लग जाए तो बहुत बड़ा पुतले जलाने के कार्यक्रम हो जाते हैं। तीन लाख कंपनियों को ताले लग गए, चूं तक आवाज नहीं आ रही है क्योंकि सब, हर कोई किसी न किसी पाप से डूबा हुआ था। अगर फैसले लेने के लिए इरादे साफ हो, नियत नेक हो, देश हित में हो, अपने निजी स्वार्थ के लिए न हो तो निर्णय भी किए जाते हैं, निर्णयों को परिणाम भी मिलता है। कोई कल्पना कर सकता है कि हिंदुस्तान में सुबह टीवी खोलते ही समाचार आते है आज इतने आतंकवादी मारे, आज इतने मारे, ये ठीक है हमारे जवान भी शहीद हो रहे हैं लेकिन वे सीना तान करके लड़ते-लड़ते मर रहे हैं, सोए हुए आकर के कोई बम फेंक करके नहीं मार पा रहा है। वो भी एक वक्त था, कभी मुंबई में बम धमाका, कभी रेल के डिब्बे में बम धमाका, कभी दिल्ली में बम धमाका, कभी अयोध्या में बम धमाका, कभी जम्मू में बम धमाका। साढ़े चार साल हो गए सब कुछ सिर्फ कश्मीर में अटक गया है। ये बदल है कि नहीं है ? देश का नौजवान आज पैसों के अभाव में अपने सामर्थ्य के लिए निराशा को लेकर के डूबता नहीं, बैठा नहीं रहता है। मुद्रा योजना के तहत, बैंक के दरवाजे खटखटाओ और बिना गारंटी आप लोन लेने के हकदार बनते हो और अपना कारोबार शुरू कर सकते हो पहले कभी नहीं हुआ। इस देश में बलात्कार पहले भी होते थे। समाज की इस बुराई, कलंक ऐसा है कि आज भी उस घटनाओं को सुनने को मिलता है। माथा शर्म से झुक जाता है, दर्द होता है, लेकिन आज तीन में फांसी, सात दिन में फांसी, 11 दिन में फांसी, एक महीने में फांसी... लगातार उन बेटियों को न्याय दिलाने के लिए एक के बाद एक कदम उठाए जा रहे हैं और नतीजे नजर आ रहे हैं लेकिन देश का दुर्भाग्य है कि बलात्कार की घटना तो सात दिन तक टीवी पर चलाई जाती है लेकिन फांसी की सजा की खबर आकर के चली जाती है। फांसी की खबर जितनी ज्यादा फैलेगी उतना बलातकार करने की विकृति लेकर के बैठा हुआ आदमी भी डरेगा, पचास बार सोचेगा। मेरा कहने का तात्पर्य ये है कि देश बदल रहा है उसका मूल कारण है सवा सौ करोड़ देशवासियों ने तय कर लिया है कि बस अब बदल के रहना है।
हम लोगों का स्वभाव है अगर हम बस में जा रहे हैं, ट्रेन में जा रहे हैं, हवाई जहाज में जा रहे हैं और बगल की सीट खाली है, हमने अपनी थेली वहां रख दी, बैग रख दी, टेलीफोन रख दिया, किताब रख दी और विमान के चलते-चलते, ट्रेन के चलते-चलते वहां का reservation जिसका है वो आ गया... सीट पर बैठने के लिए, सीट तो हमारी नहीं थी, हम तो हमारी सीट पर बैठे थे, वो तो खाली पड़ी थी, उसकी थी, वो आया... हमको टेलीफोन उठाना पड़ा, किताब उठानी पड़ी, चश्में उठाने पड़े, मोबाइल उठाना पड़ा, मुंह लटक गया ये कहां से आ गया एक सीट खाली थी, मैं आराम से बैठा था, सीट आपकी नहीं थी, फिर भी। एक तरफ ये हमारा अनुभव उसी देश में देश के प्रधानमंत्री ने लालकिले से एक बार यूंही कह दिया कि अगर आपकी स्थिति ठीक है तो आपको गैस की सब्सिडी में क्या रखा है छोड़ दो न, मेरे देश के सवा करोड़ लोगों ने छोड़ दिया। ये जन-मन बदला है, सवा सौ करोड़ देशवासियों का जन-मन जो बदला है वो देश को बदल के रहेगा ये मेरा विश्वास है। रेल के अंदर senior citizens को सब्सिडी मिलती है, टिकट में, पैसों में राहत मिलती है। मैंने ऐसे ही रेलवे वालों को कि जरा जो पर्ची होती है फार्म उसमें लिख दो कि में सब्सिडी सेरेंडर करना चाहता हूं मुझे सब्सिडी की जरूरत नहीं है। इतना ही लिखा, मैंने कभी भाषण नहीं किया इस पर, ना कोई अपील की, कुछ नहीं किया। आपको जानकर के खुशी होगी मेरी last जो जानकारी थी करीब-करीब 40-45 लाख ऐसे senior citizen जिन्होंने लिखा कि मुझे सब्सिडी नहीं चाहिए मैं पूरी टिकट देना चाहता हूं। ये है मेरे देश का सामान्य मानवी का मिजाज जो बदला है वही मेरे देश के उज्ज्वल भविष्य की गारंटी है। ये आशा, ये विश्वास, ये आत्मविश्वास, ये सपने और उन सपनों के अनुकूल सरकार की नीतियां, सरकार की रीति, सरकार की गति, सरकार की मति उसको एक नई ताकत देती है।
पहले ऐसी मान्यता थी सब कुछ सरकार करेगी, हम ही सब कुछ हैं। हमने आकर सब कुछ बदल दिया, जी नहीं, हमसे बड़ा देश है, देश के लोग बड़े हैं। सवा सौ करोड़ देशवासी देश बदल सकते हैं। हम तो नियमित हैं, उनके भरोसे छोडि़ए वो देश को आगे ले जाएंगे, और हमने छोड़ना तय कर लिया है। देश के भरोसे, सवा सौ करोड़ देशवासियों के भरोसे चलना ये सपना लेकर के हम चल पड़े हैं और वही ताकत है एक मोदी नहीं है। ये सवा सौ करोड़ मोदी हैं जो देश बदल रहा है । धन्यवाद आपके सवाल के लिए ।
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प्रशन: माननीय प्रधानमंत्री the architect of new India। भारत का नागरिक होते हुए मुझे गर्व की भावना है कि सामान्य घर में से आकर के आप भ्रष्ट ताकतों के सामने चुनौती दे रहे हो और इसी चुनौती के साथ डर के मारे एक महागठबंधन हो रहा है। 2019 में भारत के सवा सौ करोड़ देशवासी कांग्रेस मुक्त भारत का इंतजार कर रहा है। आप इस बारे क्या कहना चाहते हैं?
प्रधानमंत्री: आपने सही कहा कि आप एक सामान्य परिवार से आ रहे हैं और इतनी बड़ी लड़ाई छेड़ दी आपने। मुझे लगता है कि मैं इसलिए छेड़ पाया हूं क्योंकि मैं सामान्य परिवार से आता हूं। मैं भी अगर बड़े घराने से आया होता, मैं भी वो बड़े-बड़े बैगेजस लेकर के आया होता तो मुझे भी डर रहता कि कल मेरी किताब खुल जाएगी तो क्या होगा। हमें तो वो डर ही नहीं था। खुली किताब जैसी जिंदगी रही है। 13-14 साल आपके बीच में काम किया है। विरोधियों ने भी कभी उंगली नहीं उठाई। वही ताकत थी जिसके कारण डर नहीं लगा कभी। क्या होगा? अरे जो होगा.. होगा, होता क्या है? दूसरा, मैं ये विश्वास से मानता हूं ये मेरा conviction है, हमारे देश की समस्याओं की जड़ में ये भ्रष्टाचार दीमक की तरह घुस गया है। सारी व्यवस्था को तबाह कर दिया है। कहीं से तो शुरू करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए बताइए। मैं भी ये कह सकता था कि भाई कैसे ये इतना फैल गया, कौन कर सकता है, छोड़ो यार सारी सरकारें आई, चली गई कम से कम हम नहीं करेंगे, ये कहकर के मैं भी छोड़ सकता था। लेकिन मेरी आत्मा कह रही थी, कहीं से तो शुरू करो और मैंने ऊपर से शुरू किया। और ये ऊपर ठीक हो जाएगा न नीचे तो फिर आप समझ लीजिए भमाभम होने वाला है। और इसलिए और आपने देखा जिस चार-चार पीढ़ी, उनको नाम लेते ही देश कांपता था, उनकी ताकत ऐसी थी देश को अठारह महीने तक जेलखाना बना दिया था। ये ताकत थी उनकी। कभी किसी ने सोचा नहीं होगा कि चार-चार पीढ़ी भारत में राज करने वालों को एक चाय वाला चुनौती दे रहा है। और आपको पता है न ? आपको पता है न कि ये जमानत पर हैं? कभी किसी ने सोचा होगा? और भी उनके सारे साथी दरबारी लोग हैं वो भी कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। और मुझे विश्वास है कि सवा सौ करोड़ देशवासियों के आशीर्वाद है, ये कोर्ट के चक्कर जितने लगाने हैं लगा लें एक दिन तो उनको जाना ही पड़ेगा।
देश का, जिन्होंने लूटा है उन्हें लौटाना ही पड़ेगा। आप मुझे बताइए पहले भी इस देश से बेइमानी करके, रुपये मारकर के, देश छोड़ के लोग भागे हैं कि नहीं भागे हैं। सैंकड़ों की तादाद में भागे हैं लेकिन उसके बाद क्या हुआ? क्या करें वो भाग गया। हमने कानून बनाए जो भागा है उसकी पाई-पाई जब्त करेंगे, दुनिया में कहीं पर भी होगी तो भी जब्त करेंगे और इसके कारण ये भागे हुए भी रास्ता खोज रहे हैं। लड़ाई ऐसे ही लड़ी जाती है अगर सवा सौ करोड़ देशवासियों का उज्ज्वल भविष्य, देश के नौजवानों का उज्ज्वल भविष्य यही दिल में भरा पड़ा है तो ये निर्णय भी अपने आप होने लग जाते हैं जी। जहां तक आगे अभी चुनाव का सवाल है, आपको क्या लगता है? आपको क्या लगता है? देखिए जनता जर्नादन ईश्वर का रूप होती है और ये किसी के पढ़े- लिखकर के आए हुए लोग नहीं हैं। किसी के पढ़े पढ़ाये लोग नहीं हैं, अपने आप आवाज दे रहे हैं। क्या होगा ? हमारे सामने चुनौती और है एक दल के रूप में, एक उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस हार जाए इतने से काम बनने वाला नहीं है। कांग्रेस मुक्त भारत का मतलब है पिछले 70 साल में कांग्रेस ने जो गलत चीजें देश के राजनीतिक जीवन में, सामाजिक जीवन में, पारिवारिक जीवन में घुसैड़ दी हैं देश को उससे मुक्ति दिलानी है। परिवारवाद, जातिवाद, भ्रष्टाचार, मेरा-तेरा ये जो बीमारियां घुस गई हैं देश को उससे बाहर निकालना ही पड़ेगा और इसलिए हम मंत्र लेकर के चले हैं सबका साथ-सबका विकास ।
प्रश्न: नमस्कार सर। मैं legal field से हूं मैं पिछले कई टाइम से politics को फोलो कर रही हूं। मैंने देखा है कि 2014 में जो लोग आपको हारते हुए देखना चाहते थे वही लोग आज मीडिया और प्रसार माध्यम के द्वारा देश में negativity फैला रहे हैं और गलत मैसेज पास कर रहे हैं जबकि हमारा देश अभी कितने टाइम से विश्व गुरू बनने जा रहा है महासत्ता बनने जा रहा है और ऐसे टाइम में जब देश के लिए और राष्ट्र जब देख रहे हैं कि उसके लिए कोई देखें कि कोई राष्ट्र के लिए हमारे देश के लिए .....
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प्रधानमंत्री: आप गुजराती बोलिए चिंता मत कीजिए... आपका सवाल मैं समझ गया, आपका जो कहना चाहती हैं... आपका भाव मैं समझ गया।
प्रश्न: हम चाहते हैं सर कि हमारे देश में जो अराजकता हो रही है वो अराजकता बंद हो और हमारे देश का पूरा विकास हो और ये विकास, हम जैसे नागरिक देश का उज्ज्वल भविष्य बनाने में लगे हुए है और हम प्रयत्न कर रहे हैं । तो हम जैसे नागरिकों के लिए आपका क्या संदेश है ? वंदे मातरम।
प्रधानमंत्री: आपने ये जो चिंता की इसके लिए मैं आपका आभारी हूं। ये बात सही है कि अगर आप 2013-14 में जब लोकसभा के चुनाव चल रहे थे। उस समय की खबरे देखें तो एक टोली थी, भोली नहीं थी भली भी नहीं थी। ये टोली लगातार कह रही थी पहले कि अगर बीजेपी मोदी को घोषित कर दे न तो पूरी बीजेपी खत्म हो जाएगी। मोदी यानी ऐसा मोदी यानी वैसा, मोदी यानी ऐसा पता नहीं क्या-क्या कहते थे अब बीजेपी ने हमको घोषित कर दिया तो उन्होंने चालू कर दिया.. मोदी को कौन जानता है? गुजरात वाले जानते हैं और कौन जानता है? फिर उन्होंने चालू कर दिया.. बीजेपी के पहले इतने प्रतिशत वोट थे बढ़-बढ़ के इतने बढ़ेगें, इतने बढ़ेगें तो इसका इतना टोटल लगाओ तो इतना टोटल इतना सीट हो जाएगा बीजेपी को बहुमत नहीं मिल सकता है। तो उन्होंने बता दिया था कि hung parliament बनेगी। ये सब हुआ था कि नहीं हुआ था? अब उस समय उन्होंने इतनी सारी मेहनत की, नए-नए तर्क दिए न जाने क्या-क्या बाते फैलाई लेकिन जनता के गले नहीं उतरी। जनता के गले मोदी उतर गया। अब मुझे बताइए 2013-14 में जिन्होंने इतनी मेहनत की कि मोदी नाम का खड़ा ही नहीं होना चाहिए, उनके दिल में कितना गुस्सा भरा पड़ा होगा बताइए । वो अपमान महसूस करते होंगे कि नहीं करते होंगे। वो मोदी को हर हाल में नीचा दिखाने के लिए कोशिश करेंगे कि नहीं करेंगे? अपने अंहकार के लिए करेंगे कि नहीं करेंगे? ये negativity का कारण वही है लेकिन हमें ऐसी negativity की चिंता नहीं करनी चाहिए। negativity का उत्तम उपाय क्या है? - Positivity। हम सही सच्ची बातें, अगर वो एक बार बोलें तो हम सौ बार बोलें। वो एक जगह पर बोलते है तो हम दस जगह पर बोले। वो एक के सामने बोलते है तो हम पचास के सामने बोलें, अगर आप सब इस काम में जुट जाएं तो, negativity करने वाले 13-14 में भी कर रहे थे, अभी भी करेंगे। अच्छा एक तो ये जमात हो गई जिनको मेरा मुंह भी पंसद नहीं है, नाम भी पसंद नहीं है। दूसरे लोग हैं जिनको मैंने पैदा किया है। अब मुझे बताइए जिन तीन लाख कंपनियों के ताले लगा दिए वो मोदी जिंदाबाद बोलेगा क्या? वो बोलेगा कि नहीं बोलेगा कि मोदी बेकार आदमी है बोलेगा नहीं बोलेगा? पहले हमारे यहां free price shop जो होता है सस्ते अनाज की दुकान, गरीब लोग वहां से अपना राशन लेते हैं।
सरकार 30-35 रुपये में खरीदती है गरीब को 3 रुपये, 2 रुपये में देती है, ताकि हमारे देश का गरीब भूखा सोना नहीं चाहिए। लेकिन ऐसे लोग तो इसमें से भी खा जाते थे, गरीब का भी खा जाते थे। 6 करोड़ राशन कार्ड ऐसे थे कि जो लोग पैदा ही नहीं हुए थे उनके नाम के राशन कार्ड थे उनके नाम पर गेंहू जाता था। 30 वाला 3 में जाता था फिर 30 में बिकता था और हर किलो पर 27 रुपया उनकी जेब में चला जाता था। ऐसे 6 करोड़ लोग जो ghost थे भूतिया थे, जिनका आस्तित्व नहीं था, अब मैंने बंद कर दिया। जिन लोगों को सब्सिडी मिलती थी, डायरेक्ट उनके खाते में जमा होने लगी। फिर बिचौलियों की दुकान बंद हो गई कि नहीं हो गई ? हो गई कि नहीं हो गई? अब जिनके जेब में हर वर्ष 90 हजार करोड़ रुपया.. कितना? कितना? 90 हजार करोड़ रुपया जिनकी जेब में जाता था, मोदी ने उसको ही ताला लगा दिया वो मोदी को पसंद करेंगे क्या ? वो मोदी को पसंद करेंगे क्या? मोदी उनको मुसीबत लगेगा कि नहीं लगेगा? तकलीफ होगी कि नहीं होगी? अब आप मुझे बताइए देश के लिए मुझे ये काम करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? मुझे मेरी चिंता करनी चाहिए कि देश की चिंता करनी चाहिए? मुझे मेरा क्या होगा, मेरा क्या होगा? 2019 में मेरा क्या होगा, ऐसे डरते रहना चाहिए क्या? हिम्मत से देश के हित में काम करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? और इसलिए मैंने किया है negativity करने वाले उनको मुबारक, मैंने देश हित में काम किया है, पूरी पवित्रता के साथ किया है। आपकी तरफ से positive समाचार पहुंचाने का प्रयास अगर आपमें से कुछ लोग नमो एप पर चले जाएंगे कितने लोग हैं जिनके पास नमो ऐप है काफी लोगों के पास है लेकिन बहुत लोगों को डाऊनलोड करना चाहिए। करेंगे ? उसके अंदर सारी जानकारियों, सही जानकारियां सरकार की.. एक-एक मिनट की जानकारी है। उसमें से जो-जो आपको ठीक लगे, आपके दोस्तों को, आपके रिश्तेदारों को, अपने परिवारों को forward कर दीजिए..देखिए positivity का माहौल अपने आप बन जाएगा।
प्रश्न: आदरणीय प्रधानमंत्री जी नमस्कार। आप हम जैसे युवाओं के बहुत बड़ें प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं, आपने कई ऐसे काम किए हैं जिसकी वजह से आने वाली पीढ़ी आपका धन्यवाद करेगी। चाहे नोटबंदी हो या जीएसटी, लोगों को अब उसकी कीमत समझ आने लगी है। एक CA होने के नाते मैं ये जरूर कहना चाहूंगी कि इसका बहुत सारा फायदा है। मेरा सर आपसे एक ही question है कि वोट बैंक की परवाह किए बिना आप ये सब कैसे कर सकते हैं? जय हिन्द।
प्रधानमंत्री: बहुत सरल सा जवाब है सवा सौ करोड़ देशवासियों के आशीर्वाद मेरे साथ हैं इसलिए कर सकता हूं। देखिए, समाज जीवन में आज भारत एक ऐसी अवस्था में पहुंचा है ये मौका हमें गवाना नहीं चाहिए, कोई कल्पना कर सकता है कि जब हमारी सरकार बनी तब हम दुनिया में अर्थव्यवस्था में दसवें नंबर पर थे। पूरे विश्व में हम दसवें नंबर पर थे। आज हम छठे नंबर पर पहुंच गए। चार साल में दस में से छ: नबंर और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं वो दिन दूर नहीं होगा जब ये खबर आएगी कि भारत अब पांचवे नंबर पर पहुंच गया है। दुनिया के समृद्ध देशों को हमने पीछे छोड़ दिया है। आज हम गर्व कर सकते हैं कि दुनिया का सबसे ऊंचा स्टैचू किसके पास है? कौन हिंदुस्तानी होगा जिसको गर्व नहीं होगा। दुनिया का हिंदुस्तान का सबसे लंबा रेल और रोड ब्रिज हमारी सरकार के समय लोकार्पण हुआ। किसको गर्व नहीं होगा। पहले की तुलना में जब हम आएं 2014 में देश में 38 प्रतिशत सेनिटेशन था, शौचालय थे। गांव में शौचालय 38 प्रतिशत आज 98 प्रतिशत हो गया है। जब हम आए तब देश के आधे लोगों के पास बैंक अंकाऊट नहीं था। आज देश के करीब-करीब सभी लोगों का बैंक अंकाऊट हो गया है। और अंतराष्ट्रीय रिपोर्ट है कि पूरे विश्व में जितने बैंक अंकाऊट खुले हैं उसके आधे अकेले मोदी के राज में खुले हैं। अगर एक बार क्योंकि समाज ने मुझे यहां सोने के लिए नहीं भेजा है, मौज करने के लिए नहीं भेजा है। प्रधानमंत्री पद को enjoy करने के लिए नहीं भेजा है। मजदूरी करूंगा, 24 घंटे काम करूंगा, देश के लिए जो कर सकता हूं वो करने में मैं पीछे नहीं हटूंगा।
प्रश्न: नमस्कार प्रधानमंत्री जी, मेरा नाम शिखा है, मैं एक आर्टिस्ट हूं मेरा आपसे एक छोटा सा सवाल है। आपने भारत के विकास के लिए इतनी मेहनत करके इतनी योजनाएं बनाई हैं इन योजनाओं के फलस्वरूप और अपनी दृष्टि से आप भारत देश का भविष्य कैसे देखते हैं?
प्रधानमंत्री: मैं भारत का भविष्य बहुत उज्ज्वल देखता हूं। शानदार देखता हूं, जानदार देखता हूं। आप मुझे बताइए आज पूरे विश्व में हिंदुस्तान का डंका बज रहा है कि नही बज रहा है? सच में बताइए बज रहा है कि नहीं बज रहा है। अमेरिका में भारत की गूंज है कि नहीं है? यूके में भी भारत की गूंज है कि नहीं है? आस्ट्रेलिया में भारत की गूंज है कि नहीं है? कनाडा में भी भारत की गूंज है कि नहीं है? चारों तरफ दुनिया में आज भारत की, भारत के गौरवगाण हो रहे हैं कि नहीं हो रहे हैं? में समझता हूं इतने कम समय में अगर हम दुनिया के अंदर भारत के हक का, ये सब हमारा हक था लेकिन किसी ने कोशिश नहीं की, हमने नया कुछ नहीं किया सिर्फ भारत का जो हक था उसको दिलाने की कोशिश की है, वो हमें आज मिला है। कोई कल्पना कर सकता है कि हम कहें कि अंर्तराष्ट्रीय योगा दिवस मनाओ और दुनिया के करीब-करीब सभी देश नाक पकड़ के बैठ जाए। गर्व होता है कि नहीं होता है?
दुनिया के अनेक देश इजराइल और फिलीस्तीन लड़ते हों, लेकिन इजराइल और फिलीस्तीन दोनों हमारे साथ दोस्ती करते हों, ये देश के लिए गर्व की बात है कि नहीं है? ईरान और सऊदी अरब के बीच में तनाव होगा लेकिन दोनों हमारे साथ जुड़ जाएं, दोनों हमसे दोस्ती करें ये हमारे लिए गर्व होगा कि नहीं होगा? आज भारत ने अपने लिए एक जगह बनाई है। उसी प्रकार से जैसे मैंने कहा आर्थिक क्षेत्र में हम इतने आगे बढ़े हैं। हर क्षेत्र में हम आगे बढ़े रहे हैं। आज र्स्टाटअप, र्स्टाटअप जो हमारे देश का 800 मिलियन यूथ हो, जिस देश के पास 800 मिलियन यानी 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 साल से कम उम्र की हो वो देश जवान है, जवानी की ताकत है, जवानी का उमंग है, जवानी की ऊर्जा है, जवानी के सपने हैं वो देश पीछे कैसे रह सकता है। आवश्यकता है उसको सही मौका दिया जाए, अवसर दिया जाए। तो अपनेआप परिणाम मिल सकता है। और इसलिए मैं भारत के उज्ज्वल भविष्य के मूल में भारत की युवा शक्ति, भारत का बढ़ता हुआ मध्यम वर्गीय दायरा, भारत के सर्विस सेक्टर में भारत का दुनिया में होता जा रहा योगदान, कृषि पर हमारी आत्मनिर्भरता, दुध के उत्पादन में दुनिया में नंबर एक ऐसे कई विषय हैं। ease of doing business में 142 से 77 पर पहुंच जाना, कोई भी पैरामीटर ले लीजिए। आज दुनिया की सबसे तेज गति से चलने वाली बड़ी इकोनॉमी में भारत नंबर एक है। ये सारी चीजे हैं आज भारत, चाइना में जितना foreign direct investment आता है हिंदुस्तान उनसे आगे निकल गया ये भारत के लिए गर्व की बात है। विश्व में एक विश्वास पैदा किया है। ये सारे आधार पर मैं कह सकता हूं कि मेरे देश का भविष्य उज्ज्वल है। मेरे 800 मिलियन नौजवान 35 साल से कम उम्र के नौजवान की ताकत और जो इस मिलिनियम के बच्चे हैं जो 21वीं सदी में पैदा हुए हैं, नए सपने नई ताकत लेकर के आए हैं। और यही मेरे आने वाले हिदुस्तान को खींच कर ले जाने वाले लोग हैं उनको मेरी बहुत शुभकामनाएं।
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प्रश्न: नमस्कार प्रधानमंत्री जी मैं आर जे विश्रुति हूं red FM से morning show करती हूं। और बहुत ही गर्व से ये बात कहना चाहती हूं कि पहली बार इस देश को ऐसा लीडर मिला है जिसके साथ सबसे ज्यादा यूथ youngster की followership है और वो आप हैं। and that brings to me my question कि रोज सुबह शो में कई सारे ऐसे youngster से बात होती है, ऐसे student से बात होती है जो ये कहते हैं कि टीवी पर जो political discussion चलते हैं discuss होते हैं जो debates होती हैं उससे बहुत confuse feel करते हैं। ऐसे बहुत सारे first time voters हैं जिनको समझ नहीं आता कि वो किस दिशा में जाएं और simple शब्द कि किसको वोट दें तो उन सारे first voters को या तो ऐस young voters को आप क्या कहना चाहेंगे?
प्रधानमंत्री: ये बात सही है कि हमारे देश में, हमारा लोकतंत्र बहुत मजबूत है। हमारा लोकतंत्र बहुत वाइब्रेंट है लेकिन हमारे देश के राजनीतिक दलों की मानसिकता अभी भी बहुत पुरानी है और इसलिए लगातार development के मुद्दों पर debate हो, सामान्य मानवी की आशा, आंकाक्षा और अपेक्षाओं के संदर्भ में debate हो। रेल, रोड, बिजली, पानी, सड़क इन सारी चीजों में चर्चा हो लेकिन दुर्भाग्य से हमारे विरोध में बैठे हुए लोग उनके लिए मुद्दों पर बहस करना बहुत मुश्किल है। क्योंकि अगर वो कहेंगे कि agriculture में क्या हुआ तो आंकड़े बताएगें कि मोदी ने तो पहले से ज्यादा अच्छा कर दिया। रोजगार में क्या किया तो मोदी ने पहने से ज्यादा अच्छा कर दिया। नई-नई योजनाओं को लेंगे तो कहेंगे कि मोदी से ज्यादा हो गया। तो उनके लिए बड़ी परेशानी हो रही है। और इसलिए दुर्भाग्य से हमारे देश के जिम्मेवार दल भी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका एक ही मुद्दा है, एक ही मुद्दा है कौन सा मुद्दा है मालूम है.... उनका एक ही मुद्दा है मोदी वो सुबह उठते ही मोदी, मोदी, मोदी मोदी से शुरु हो जाते हैं रात को भी पता नहीं उनको नींद आती होगी कि नहीं आती होगी। उनके लिए मुद्दा मोदी है हमारे लिए मुद्दा सवा सौ करोड़़ देशवासियों के सपने हैं।
उनके लिए मुद्दा मोदी है हमारे लिए सवा सौ करोड़़ देशवासियों के आशा, आंकाक्षा है। उनके लिए मुद्दा मोदी है हमारे लिए हमारे देश के किसान को ताकतवर बनाना हमारा मुद्दा है। उनके लिए मोदी मुद्दा है हमारे लिए जो शहर को है वो गांव को मिलना चाहिए उन सुविधाओं को ले जाने के लिए हमारा प्रयास है। उनके लिए मुद्दा मोदी है हमारे लिए 800 मिलियन नौजवानों के सपनों को पूरा करने के लिए उनके अवसरों को पंख देने के लिए ऐसी योजनाओं को लाना ये हमारी दिन-रात की चिंता और विषय है। उनके लिए नहीं है। और इसलिए किसी भी नौजवान का confusion होना बहुत स्वाभाविक है। लेकिन आज स्थिति वो नहीं है। कुछ बदलाव है। पहले ये टीवी, अखबारों जो परोसते थे आपको वही लेना पड़ता था। अब आपके मोबाइल फोन पर पूरी दुनिया है। आप वेरिफाई कर सकते हो, enquiry कर सकते हो ये सच बोल रहा है कि झूठ बोल रहा है। आराम से कर सकते हो। आपको पता होना चाहिए। आप एक साथ तीन अखबार लेकर के बैठिए...एक खबर एक अखबार में एक पहले पेज पर होगी, दूसरे में तीसरे पेज पर होगी, चौथे में एक कोने में कहीं पड़ी होगी। तो आपके मन में उठना चाहिए कि भई ऐसा क्यों अगर खबर इनके लिए इतनी महत्वपूर्ण थी तो इनके लिए बेकार क्यों है? तो फिर पता चल जाएगा कि किस अखबार का क्या स्वभाव है? आपको मुश्किल नहीं होगा। आप टीवी चैनल भी तीन-चार देख लेंगे तो पता चलेगा कि एक ही खबर को ये ऐसे बोल रहा है, ये ऐसे बोल रहा है। तो आप आराम से और मैं मानता हूं हमारे देश के नई पीढ़ी के नौजवान हैं जो first time voter हैं उनमें ये महारथ हमसे भी ज्यादा है। वो मोबाइल फोन पर सारी दुनिया खोज करके, वो गूगल गुरु के विद्यार्थी हैं, वो गूगल को पूछेंगे बता भई कि ये मोदी ऐसा कह रहा है, सच क्या है तो पांच मिनट में मिल जाएगा।
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मैं चाहता हूं देश की युवा पीढ़ी खबरों को बराबर बारीकी से analysis करने की आदत डाले। किसकी खबर सही निकलती है उसका एक खाका बनाएं और वो विश्वास हो जाएगा कि किस रास्ते पर चुनना है। लेकिन परिवारवाद, जातिवाद, संप्रदायवाद, भ्रष्टाचार, ऊंच-नीच का भाव ये सारी चीजों ने देश को बरबाद किया है। उससे जो मुक्ति दिलाता है और जो देश को आगे ले जाने के लिए सोचता है उसी के साथ चलना चाहिए। ये भाव हमारी नई पीढ़ी में होना चाहिए। हमारे first time voters ने आपातकाल क्या था, हिंदुस्तान को जेलखाना बना दिया था, उसको पता नहीं है। हमारे first time voter को, मुझे तो मालूम है गुजरात में जो voter अभी बने उनको पता ही नहीं कि पहले भोजन करते समय बिजली नहीं आती थी। जब मैं मुख्यमंत्री बना गुजरात में 2001 में तब सबसे पहले लोगों ने मेरे से क्या मांग की थी। मुझे गुलदस्ता देने आते थे। नया मुख्यमंत्री बना था। तो परिचय करते थे हम उस जिले से आए हैं आपको बहुत शुभकामनाएं हैं आप मुख्यमंत्री बन गए फिर धीरे से कहते थे साहब एक काम कर दो। मैं कहता था क्या? कि साहब कम से कम शाम को खाना खाते समय बिजली मिले इतना कर दो, ये दिन थे गुजरात के.. आज 24 घंटे बिजली मिल रही है।
लेकिन उस समय जो तीन साल का बालक था उसको मालूम नहीं है कि उसके मां-बाप को अंधेरे में ही गुजारा करना पड़ा था। और इसलिए ये नई पीढ़ी को बताना पड़ेगा कि देश को 70 साल कैसे लूटा गया कैसे बरबाद किया गया है और पहली बार ये पांच साल में इस बरबादी से बचाने की कोशिश हो रही है। अभी भी मैं ये नहीं कहता हूं मैंने सब कर लिया है। मैंने ऐसा दावा कभी नहीं किया है। लेकिन किया है वो सही दिशा में किया है। सही करने के लिए किया है। और अपनी चमड़ी बचा करके नहीं किया है जी-जान से किया है। खुद को दाव पर लगाकर कर दिया है। और मैं आगे भी आपको विश्वास दिलाता हूं न मैं रुकने वाला हूं न मैं थकने वाला हूं और न ही झूठ के सामने कभी झूकने वाला हूं। मेरा सर झुकता है सिर्फ एक ही जगह पर सवा सौ करोड़़ हिंदुस्तानियों के आगे। और मेरा कोई रिमोट कंट्रोल है तो सवा सौ करोड़ देशवासी मेरा रिमोट कंट्रोल है। मैं उन्हीं को समर्पित हूं। उनके सपनों को समर्पित हूं। और उन्हीं के लिए काम करने का निर्णय कर-करके मैं चला हूं।
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आपका आशीर्वाद बना रहे, मुझे अच्छा लगा ये कार्यक्रम की रचना के लिए मैं यहां के मेरे सांसदों महोदयों को धन्यवाद करता हूं उन्होंने बढि़या रचना की यहां के पार्टी के लोगों को मैं धन्यवाद करता हूं कि मुझे ऐसे होनहार लोगों से मिलने का मौका मिला और मैंने देखा कि सवाल पूछने में भी बेटिया ज्यादा आगे थी। तो मैं इस women empowerment को भी बधाई देता हूं।
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बहुत–बहुत धन्यवाद दोस्तों मुझे बहुत खुशी हुई। मैं फिर से एक बार जो नौजवान हजारों की तादाद में बाहर खड़ें हैं उनकी क्षमा मांगते हुए मेरी बात को समाप्त करता हूं।
भारत माता की जय....भारत माता की जय....भारत माता की जय....भारत माता की जय....
वंदे मातरम.... वंदे मातरम....वंदे मातरम....वंदे मातरम....