Day by day the Congress is bettering itself when it comes to manufacturing lies: PM Modi
A senior Congress leader from MP is caught saying in a video that for winning these elections, they are ready to take support from goons. Such a thing is absolutely unacceptable: PM
Making false promises is the very nature of Congress: PM Modi
Congress ruled for four generations. I challenge them to present a report card what they did in all these years: PM
Elections in MP are about rejecting the negative forces that have always focused on the 'divide and rule' approach: PM Modi

मंच पर विराजमान संसद में मेरे साथी और मेरे बहुत पुराने मित्र श्रीमान फग्गन सिंह जी कुलस्ते, सांसद श्री प्रभात झा, सांसद ज्योति धुर्वे जी, सांसद संपतिया उइके जी, कार्यक्रम के प्रभारी भाई शेषराव यादव जी, प्रदेश के मंत्री श्री कन्हई राम रघुवंशी जी, छिंदवाड़ा में भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष भाई नरेंद्र परमार जी, बैतूल से वसंत माकोड़े जी, शिवड़ी से प्रेम कुमार त्यागी जी, होशंगाबाद से श्रीमान हरिशंकर जी, और इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता, जो उम्मीदवार के रूप में आपके आशीर्वाद लेने के लिए मौजूद हैं…छिंदवाड़ा से उम्मीदवार हमारे चौधरी चंद्रभान सिंह जी, सिवनी से दिनेश राय मुनमुन, पांढुर्ना से श्रीमान टिकाराम कोराची जी, परासिया से श्रीमान ताराचंद बावरिया जी, लखनादौन से श्रीमान विजय उइके जी, सौसर से श्रीमान नाना भाऊ, अमरवाड़ा से श्रीमान प्रेम नारायण जी, चौड़ाई से पंडित रमेश जी, आमला से डॉ. योगेश जी, जुन्नारदेव से श्रीमान आसिफ जी, पिपरिया से ठाकुर दास जी।

विशाल संख्या में पधारे मेरे सभी मतदाता भाइयो-बहनो, जोर से भारत माता की जय बोलकर के हमारे इन उम्मीदवारों को आशीर्वाद दीजिए। भारत माता की, जय.... भारत माता की, जय...। बहुत-बहुत धन्यवाद!

भाइयो-बहनो, ये छिंदवाड़ा, हमारे मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा जिला है और यह श्रद्धा और आस्था का भी स्थान है। न सिर्फ मध्यप्रदेश बल्कि महाराष्ट्र के लोग भी, इस क्षेत्र के अनेक स्थान ऐसे हैं, जिनके प्रति बड़ी श्रद्धा और आस्था रखते हैं, चाहे खेड़ापति मंदिर हो, हिंगलाज माता हो, मां शारदा, बजरंगबली का मंदिर, दादाजी की धूनीवाले का अंचल, अनगिनत श्रद्धा के स्थान हैं और इसके प्रति सामान्य लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।

इस चुनाव में मुझे मध्यप्रदेश के कुछ क्षेत्रों में जाने का अवसर मिला है। आज मैं छत्तीसगढ़ का भी दौरा करके यहां आया हूं। और मैंने चुनावी सभाओं का जो नजारा देखा है, यहां भी दूर-दूर तक मेरी नजर जाए- लोग ही लोग नजर आ रहे हैं। और मुझे बताया गया है कि यहां जरा अफवाहों का बाजार गरम रहता है। दिन में अलग-अलग पांच अफवाहें फैलाने में यहां के नेता मशहूर हैं। कभी कहते हैं कि नहीं-नहीं मोदी जी तो नहीं आएंगे। फिर कहते हैं कि नहीं-नहीं, आने वाले थे लेकिन वे तो मालदीव में हैं, कहां से पहुंचेंगे। इतना डर क्यों लग रहा है रे? ये अफवाहों का बाजार कब तक चलेगा? अगर आप कांग्रेस पार्टी के कार्यकलाप को देखेंगे, कारनामे देखेंगे, उनका कार्य करने का तरीका देखेंगे, उनकी कार्यशैली देखेंगे- ये कांग्रेस पार्टी कैसी है, झूठ बोलने की कितनी ताकत इकट्ठा की है उसने, जैसे कोई व्यक्ति रोज व्यायाम करता है तो धीरे-धीरे उसकी व्यायाम करने की ताकत बढ़ जाती है। जैसे रोज तेरह सूर्य नमस्कार करता है तो धीरे-धीरे 15-20 सूर्य नमस्कार करने लग जाता है, उसको तकलीफ नहीं होती। ये कांग्रेस ने भी आजादी से अब तक झूठ बोलने की इतनी जबर्दस्त प्रैक्टिस की है कि उनको झूठ बोलने में, झूठ गढ़ने में, झूठ फैलाने में उन्हें महारत हासिल हो गई है। इसलिए आप पिछले पचास साल का कार्यकलाप देख लीजिए और आप देख लीजिए कि ये किस प्रकार से लोगों की आंख में धूल झोंकते हैं।

यहां तो आपके एमपी बार-बार चुनाव जीतते हैं लेकिन दुकान गाजियाबाद में खोलते हैं, नागपुर में खोलते हैं। उनको पता है कि अगर छिंदवाड़ा में प्रगति हुई, विकास हुआ, यहां के लोग जाग गए, दुनिया को जान गए तो उनका बोरिया-बिस्तरा गोल होना पक्का है। आपने देखा होगा, कांग्रेस पार्टी ने मध्यप्रदेश में कैसे लोगों को चुनाव लड़ने के लिए पसंद किया है और नामदार ने उनको ठप्पा मारा है और यहां के उद्योगपति ने वो सूची तैयार की है और ये सूची तैयार करने का आधार क्या है, मालूम है? उनका एक वीडियो आपने देखा होगा, देखा है? मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का वीडियो देखा है ? वो वीडियो में कह रहे हैं- गुंडा चलेगा, बदमाश चलेगा, बेईमान चलेगा, भ्रष्टाचारी चलेगा, अनेक केस हुए होंगे…चलेगा, मुझे कोई भी उम्मीदवार चलेगा, बस जीतने वाला चाहिए। अब ये जिनका तराजू है कि मुझे गुंडा चलेगा, मुझे बदमाश उम्मीदवार चलेगा, मुझे भ्रष्टाचारी चलेगा और ये खुलकर मीटिंग में बोल रहे हैं, ये भाजपा वाले नहीं बोल रहे हैं, ये उनका खुद का वीडियो बोल रहा है। ये आप तक पहुंचा कि नहीं पहुंचा वीडियो, पहुंच गया? जिन्होंने ऐसे लोगों को चुनाव लड़ने के लिए चुना है, उनके हवाले मध्यप्रदेश को दे सकते हैं क्या? ये एक मुद्दा ऐसा है कि मध्यप्रदेश की जनता को तय कर लेना चाहिए कि जिसका मुखिया कांग्रेस की अंदरूनी बैठक में साफ-साफ कहता है कि मुझे चोर-लुटेरे चाहिए, बदमाश चलेगा, गुंडे चाहिए, कानून तोड़ने वाले लोग चाहिए, बस जीतने वाले चाहिए। अगर ऐसे ही लोगों को लाए हैं, तो मध्यप्रदेश का हाल क्या होगा मेरे भाइयो-बहनो? क्या इन गुंडों से मध्यप्रदेश को बचाना चाहिए? उन्होंने जिन उम्मीदवारों को तय किया है, उसके लिए जो स्टैंडर्ड तय किए हैं- क्या ऐसे लोगों से मध्यप्रदेश को बचाना चाहिए? क्या ऐसे लोगों के हाथ में मध्यप्रदेश देने की गलती कर सकते हैं? यह सिर्फ चुनावी हार-जीत का मुद्दा नहीं है। ऐसे लोग यहां के मुखिया बने हैं। और नामदार दिल्ली में बैठकर ऐसे लोगों को पसंद कर रहे हैं। आज मुद्दा है, मध्यप्रदेश को ऐसे पंजों में जाने से बचा लेना। और मुझे विश्वास है कि इस बार छिंदवाड़ा नया इतिहास रचने वाला है।

आप मुझे बताइए कि किसी जमाने में खबरें पहुंचने में बहुत दिन लग जाते थे, एक इलाके की खबर दूसरे इलाके में नहीं छपती थी। उस जमाने में कांग्रेस का झूठ चल गया, पचास साल उन्होंने मलाई खा ली, मौज कर ली। अब तो खबरें बहुत जल्दी पहुंच जाती हैं। हिन्दुस्तान का नागरिक चुप जरूर रहता है, लेकिन नीर-क्षीर का विवेक, दूध और पानी में भेद करने का सामर्थ्य हिन्दुस्तान के नागरिक में है, उन्हें कभी कम आंकने की कोशिश मत करो नामदार। इस चुनाव में आप मध्यप्रदेश के मतदाताओं को उलझन में डालने के लिए ‘गाय’ ले आए। मध्यप्रदेश के कांग्रेस के मैनिफेस्टो में गाय का आना, मैं इसकी आलोचना नहीं करता हूं, न ही मैं इसका बुरा मानता हूं, ये उनका हक है। लेकिन सवाल ये उठता है कि केरल की कांग्रेस और मध्यप्रदेश की कांग्रेस अलग है? क्या केरल कांग्रेस के मुखिया नामदार हैं और मध्यप्रदेश कांग्रेस के मुखिया भी नामदार हैं, जो दिल्ली में बैठे हैं वो तो एक ही हैं। ये कांग्रेस पर एक ही परिवार का कब्जा है। अब ये मध्यप्रदेश जानना चाहता है कि मध्यप्रदेश के मैनिफेस्टो में तो आप गाय का गौरव-गान कर रहे हो, लेकिन केरल में खुलेआम रास्ते पर कांग्रेस के लोग गाय के बछड़े काट करके उसका मांस खाती हुई तस्वीर निकाल कर बताते हैं कि गोमांस खाना हमारा अधिकार है। तब सवाल उठता है कि कांग्रेस केरल की सच है कि कांग्रेस मध्यप्रदेश की सच है? जरा नामदार, आप इस देश को सच तो बताओ। आप गाय लाओ, न लाओ, पसंद करो, न करो- ये आपका विषय है, लेकिन कम से कम मतदाताओं को मूर्ख मत बनाओ। ये इनका तरीका है। ये जो वादे करते हैं, उन वादों के प्रति उनका खुद का विश्वास नहीं होता, उनका खुद का भरोसा नहीं होता। इतना ही नहीं, ये सिर्फ जनता से ही नहीं अपने नेताओं, अपनी पार्टी के लोगों से भी धोखा करते हैं। धोखा करना उनके खून में है, उनकी रगों में है। इसलिए जनता उनकी एक भी बात पर भरोसा नहीं करती।

आपने देखा होगा कि नामदार जब छिंदवाड़ा के लोगों से मिलते हैं तो उनको कहते हैं कि मुख्यमंत्री बिल्कुल आपका ही होगा। जब ग्वालियर जाते हैं तो कहते हैं सार्वजनिक रूप से नहीं बताऊंगा, लेकिन आपको बताता हूं, मुख्यमंत्री आपका होगा। आठ अलग-अलग इलाकों में मुख्यमंत्री के लिए आठ अलग-अलग नाम चलाते हैं। उनको भी मूर्ख बनाते हैं, कार्यकर्ताओं को भी मूर्ख बनाते हैं और जनता-जनार्दन को भी मूर्ख बनाते हैं। जिनका चरित्र दोगला हो, जिनकी कार्यशैली झूठ और फरेब से चलती हो, क्या ऐसे लोगों को मध्यप्रदेश दे सकते हैं क्या ? सार्वजनिक जीवन में गलतियां हो सकती हैं लेकिन उसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने का सामर्थ्य चाहिए, जनता-जनार्दन को मूर्ख बनाने का पाप मत कीजिए।

आप जनता जनार्दन को ‘टेकेन फॉर ग्रांटेड’ मानते थे न, इसलिए 440 से 40 होकर रह गए हो। इसलिए मैं आज आपसे अनुरोध करने आया हूं। जिनके भरोसे मध्यप्रदेश दिया गया है, उनका जरा कच्चा चिट्ठा मैं खोलना चाहता हूं। नौ बार एमपी, पचास साल से कांग्रेस सदस्य और ये परिवार के सबसे बड़े दरबारी, सुबह-शाम साष्टांग करते हैं। आज से नहीं आपातकाल के समय से। अरे कमलनाथ जी, जितना आपने एक परिवार के प्रति इतना समर्पण किया उतना मध्यप्रदेश की जनता के प्रति समर्पण करते तो मध्यप्रदेश के लोग आपका गौरव करते, नफरत नहीं करते। मध्यप्रदेश में एक झूठ चलाया जा रहा है कि छिंदवाड़ा को पता नहीं कहां से कहां पहुंचा दिया है! ये भी बताने की हिम्मत कर रहे हैं कि मध्यप्रदेश के दूसरे इलाके को भी छिंदवाड़ा जैसा ही बना देंगे। अरे भगवान न करे भाई, मत बनाओ भाई, मध्यप्रदेश जैसे है वैसा ही रहने दो। आप बताइए, जब तक मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार नहीं बनी थी- उसके पहले भी तीस-पैंतीस साल तक इन्हीं का कारोबार रहा- आप बताइए कि उसके पहले क्या छिंदवाड़ा में विकास हुआ था? रास्ते बने थे, बिजली पहुंची थी, अस्पताल और शिक्षण संस्थान आदि बने थे क्या? सड़क गड्ढे से भरे थे कि नहीं? आप बताइए छिंदवाड़ा का सरकारी बस स्टैंड किसने बनवाया? प्राइवेट बस स्टैंड जिसे आप विवेकानंद परिसर कहते हैं, उसे किसने बनवाया? जेल कॉम्प्लेक्स किसने बनवाया? छिंदवाड़ा की ज्यादातर सड़कें कब बनीं? 1990-91 में, पहली बार जब हमें मौका मिला, तब कुछ सड़कें बनाने का काम हुआ था, वो भी भारतीय जनता पार्टी ने बनाया था। यहां के स्टेडियम का कायाकल्प किसने किया? छिंदवाड़ा को नगरपालिका से नगर निगम किसने बनाया? नगरनिगम से विधानसभा तक आपने भाजपा के नेताओं को इसलिए आशीर्वाद दिया, क्योंकि इन्होंने आपको काम करके दिखाया। इन्होंने आपके सपनों को आगे बढ़ाया।

छिंदवाड़ा में रेलगाड़ी शुरू करने का श्रेय लेने वाले कमलनाथ क्यों भूल जाते हैं कि छिंदवाड़ा की पटरियों को चौड़ा करने का काम 1997 में सुंदर लाल पटवा की भाजपा सरकार ने किया था। किसानों के लिए माजा गोरा डैम में कमलनाथ जी आपका थोड़ा सा भी योगदान था क्या? शिवराज जी की सरकार आई तो तब से माचा गोरा डैम से पानी उन इलाकों में पहुंच रहा है, जहां पहले कभी पानी नहीं पहुंच पाता था। 75 करोड़ रुपये की पाइप लाइन की योजना से पहुंचाने का काम किसने किया? भाइयो-बहनो, मैं जरा इनसे पूछना चाहता हूं। स्पाइस पार्क बना था क्या? भाइयो-बहनों क्या हुआ, ये 2009 का पार्क बताने लग गए, उनके यार-दोस्त मशीन उखाड़ कर ले गए। सब धरा का धरा रह गया। सरकार उनकी थी न? भाइयो-बहनो, ऐसे लोगों पर कौन भरोसा कर सकता है?

मुझे बताइए, हमारे किसानों को बड़े-बड़े सपने दिखा रहे थे और सोयाबीन प्लांट शुरू किया गया, चल रहा है क्या? सोयाबीन प्लांट चल रहा है क्या? राज दरबारी ने राग दरबारी गाया, लेकिन कुछ हुआ क्या? भाइयो-बहनो, ये है इनके विकास का मॉडल। अगर यही मध्यप्रदेश में भी गया तो मध्यप्रदेश का क्या होगा ? कहते हैं कि एक प्लाइवुड की फैक्टरी खोली गई थी, और कुछ रिश्तेदारों के नाम खोली गई थी। अब वो करोड़ों की जमीन खंडहर है और आरोप है कि रिश्तेदार मशीनरी भी उठा कर ले गए। भाइयो-बहनो, करोड़ों रुपये की जमीन मुफ्त की ली गई, करोड़ों की सब्सिडी ली गई और अब फैक्टरी कहीं नजर नहीं आ रही है। ये ऐसे जादूगर हैं, कमाल कर देते हैं। ये सपने बेचकर ठगी करने वाले सौदागर हैं, ये आंख में धूल झोंक कर गुमराह करने वाले लोग हैं। आपको सूत-मिल का सपना दिखाया था? और शेयर के नाम पर मार्केट में एक-एक हजार रुपये के किसानों के शेयर लिए थे? किसानों ने अपनी मेहनत की कमाई का एक-एक हजार रोका था? क्या सूत की मिल बनी? किसानों को पैसा वापस मिला? ये लाखों-करोड़ों कौन मार ले गया? ऊपर से नीचे तक ये (जनता के पैसे) मार लेना इनकी आदत है।

मैं और अधिक न कहते हुए मैं यही कहना चाहूंगा कि ऐसे लोग, ऐसे दल जिन्होंने गाजे-बाजे के साथ चोर-लुटेरों को चुनाव लड़ने के लिए पसंद किया है, यह मैं नहीं कह रहा हूं उनका ही वीडियो कह रहा है, और उनके वीडियो को सच मानना चाहिए कि नहीं चाहिए? उन्होंने वीडियो को इनकार किया है क्या? ये उनका खुद का वीडियो नहीं है, ऐसा कहा है क्या? तो ऐसे लोगों को उन्होंने चुना है, जो चुनाव के मैदान में हैं। ऐसे लोगों के हाथ में न मेरा छिंदवाड़ा दे सकते हैं, न मेरा मध्यप्रदेश दे सकते हैं, न किसानों का भविष्य दे सकते हैं और न मेरे नौजवान का भविष्य दे सकते हैं, न मेरी माताओं-बहनों की सुरक्षा दे सकते हैं, न मेरे गांव का विकास दे सकते हैं, न उनको शहर का विकास दे सकते हैं। ऐसे लोगों की विदाई होना बहुत आवश्यक है। और इसलिए मेरे भाइयो-बहनो, इसलिए आज मैं छिंदवाड़ा की धरती से आपका आशीर्वाद लेने आया हूं। आपके आशीर्वाद से मध्यप्रदेश को आगे ले जाने के लिए आया हूं।

भाइयो और बहनो, मैं नामदार से पूछना चाहता हूं, चौराहे-गली-मुहल्ले में जाकर एक घिसी-पिटी कैसेट बजा रहे हो तुम। अगर आप में हिम्मत हो तो आप अपनी चार पीढ़ी का हिसाब दो, मैं अपने चार साल का पाई-पाई का हिसाब देने के लिए तैयार हूं। आपकी चार पीढ़ी को देश में राज करने का अवसर मिला, आपने देश को क्या दिया? और इसलिए, मैं कांग्रेस पार्टी को और यहां के कांग्रेस के आठों मुख्यमंत्री के उम्मीदवारों को और सभी विधायक उम्मीदवारों को भी मैं कहना चाहता हूं, आप भी बताइए, पचपन साल कांग्रेस के और पन्द्रह साल भाजपा के। आज जाओ, तराजू पर तौल लीजिए, भाजपा का पलड़ा भारी रहेगा। भाइयो-बहनो, कांग्रेस के एक प्रधानमंत्री थे, ये नामदार के पिताजी, श्रीमान राजीव गांधी। उन्होंने कहा था कि दिल्ली से एक रुपया निकलता है तो गांव जाते-जाते पन्द्रह पैसा हो जाता है। देखा ये कांग्रेस का जादू ? दिल्ली से रुपया निकलता है, गांव में पहुंचते-पहुंचते पन्द्रह पैसा हो जाता है। ये मैंने नहीं कहा, नामदार! आपके पिताजी ने कहा था। उस समय के प्रधानमंत्री श्रीमान राजीव गांधी जी ने कहा था। अब सवाल ये उठता है कि जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, तब पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक कांग्रेस के सिवाय कहीं किसी का झंडा नजर नहीं आता था, पंचायत से पार्लियामेंट तक एकछत्र कांग्रेस का राज था। ऊपर से नीचे तक सब कांग्रेस के लोग राज कर रहे थे। उस समय आपके पिताजी ने कहा था कि दिल्ली से रुपया निकलता है पन्द्रह पैसा हो जाता है, जरा नामदार जवाब तो दो कि वो कौन से पंजा था जो रुपये को घिस-घिसकर 15 पैसे बना देता था। वो कौन सा पंजा था जो हिन्दुस्तान के गरीब के हक के 85 पैसे लूट लेता था। भाइयो-बहनो, और ये लूटने की उनकी पक्की व्यवस्था थी।

ये मोदी पर इतना गुस्सा क्यों करते हैं, मालूम है आपको? इतने नाराज क्यों हैं? बार-बार मोदी को अनाप-शनाप भाषा में क्यों संबोधित करते हैं, मालूम है न? क्योंकि, उनको पता है कि उनकी मुसीबत का कारण ही मोदी है। क्योंकि पहले रुपया निकलता था, पन्द्रह पैसा पहुंचता था, मुफ्त का 85 पैसे मिलता था। ये मोदी ने आकर ‘आधार’ लाया, जन धन का एकाउंट खोला, आधार पर वेरिफिकेशन किया, जांच की। आप हैरान हो जाएंगे, हमारे देश में 6 करोड़ लोग ऐसे मिले कि जिनका कहीं नामोनिशान नहीं था, लेकिन किसी को विधवा पेंशन जा रहा था, किसी के नाम पर राशन जा रहा था, किसी के नाम पर घर आवंटित होता था, किसी को मिट्टी के तेल की सब्सिडी मिल जाती थी, और ये सारे रुपये कमाने की उनकी बहुत परफेक्ट-साइंटिफिक व्यवस्था थी। अब मोदी ने आकर टेक्नोलॉजी का उपयोग किया।
आप हैरान हो जाएंगे, जो बेटी अभी तक पैदा नहीं हुई, वो कांग्रेस के दफ्तर में विधवा भी हो जाती थी और कांग्रेस की सरकार में उसको पेंशन भी चला जाता था। जो बच्चा पैदा नहीं हुआ वो स्कूल में भर्ती हो जाता था, उसके नाम पर मध्याह्न भोजन का बिल बन जाता था, उसके नाम पर स्कॉलरशिप चली जाती थी, और माल कांग्रेस की सरकारों में बैठे हुए लोग खाते थे। मोदी ने आकर क्या किया? टेक्नोलॉजी का उपयोग किया। और लोगों को कहा कि आपके हक का पैसा कोई बिचौलिया नहीं, कोई बीच में झोलाछाप नहीं, कोई नेता नहीं, सीधा-सीधा आपके बैंक खाते में जमा हो जाएगा, और उसमें 6 करोड़ लोग ऐसे ध्यान में आए जो मौजूद ही नहीं हैं, लेकिन राजीव गांधी के जमाने से अब तक माल खा रहे थे। और आपको खुशी होगी भाइयो-बहनो, जब दिल्ली में ईमानदार सरकार बैठी है, तो देश के चोरी होने वाले 90 हजार करोड़ रुपए, याद रखिए! 90 हजार करोड़ रुपये, जो इस प्रकार के गलत कामों से चोरी कर लिया जाता था, इसको ये मोदी सरकार ने रोक लिया है। जिनका 90 हजार करोड़ रुपये गया, वो क्या मोदी को गाली देगा कि नहीं देगा? मोदी पर गुस्सा करेगा कि नहीं करेगा? मोदी पर नाराजगी होगी कि नहीं होगी? भाइयो-बहनो, ये नाराजगी ये गुस्सा इसी बात का है। 90 हजार करोड़ रुपये सालाना हिन्दुस्तान के गरीब के हक का पैसा लूट लिया जाता था।

हमने इसको रोका, इसलिए उन्हें परेशानी हो रही है। मुझे बताइए भाइयो और बहनो, ऐसा काम मुझे करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? देश के रुपयों को बचाना चाहिए कि नहीं बचाना चाहिए? गरीब के हक का पैसा गरीब को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए? मध्यम वर्ग के हक का पैसा मध्यम वर्ग को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए? देश के किसान के हक का पैसा किसानों को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए? देश के युवा के सपनों के लिए हिन्दुस्तान का पैसा काम आना चाहिए कि नहीं आना चाहिए? भाइयो और बहनो, ये बात नामदार को पसंद नहीं है। उनको तकलीफ हो रही है। और क्या-क्या बोलते हैं! डिक्शनरी में जितनी गालियां हैं, हिन्दी की डिक्शनरी निकाल लीजिए, अंग्रेजी की डिक्शनरी निकाल दीजिए, कोई भी डिक्शनरी निकाल दीजिए, जितनी गालियां हैं, ये कांग्रेस वाले सारी गालियां मोदी पर चिपकाने में लगे हुए हैं। चायवाले को गाली, पकौड़े वाले को गाली, चौकीदार को गाली, आदिवासी के पहनावे को गाली, सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर के गाली, देश के सेनाध्यक्ष को गाली- न जाने क्या संस्कार हो गए हैं उनके! अरे, चुनाव में तो हार-जीत होती रहती है। लेकिन आप इतना आपा क्यों खो बैठे हो भाई? आपा क्यों खो बैठे हो, बैलेंस क्यों गंवा बैठे हो? और, पता नहीं क्या-क्या बोलते हैं और फिर बोलते हैं- मैं तो कन्फ्यूज हो गया हूं! अरे, आप कन्फ्यूज हो गए हो और पूरी पार्टी फ्यूज हो गई है। कितनी कोशिश करो, अब इस पार्टी में जान भरने वाली नहीं है, ये नामदार पार्टी का भला नहीं कर सकते हैं।

भाइयो-बहनो, विकास कैसे होता है? ये किसानों को मूरख बनाने निकले! मैं जरा पूछना चाहता हूं भैया। पचास-पचपन साल आपने राज किया। क्या ये आपका जिम्मा नहीं था कि खेत में किसानों को पानी पहुंचे, जिम्मा था कि नहीं था? वो काम क्यों नहीं किया भाई? अब जब शिवराज जी कि सरकार खेतों में पानी पहुंचा रही है और फसल जोरों से उग रही है, आज मध्यप्रदेश खेती के क्षेत्र में हिन्दुस्तान की आन-बान-शान बन गया है भाइयो और बहनो। मैं मध्यप्रदेश के किसानों का अभिनंदन करता हूं, मध्यप्रदेश की सरकार का अभिनंदन करता हूं।

भाइयो-बहनो, इंसान की हेल्थ कार्ड तो छोड़िए, हमने किसानों के लिए सॉयल हेल्थ कार्ड बनाए। ये धरती माता की तबीयत कैसी है, ये धरती माता बीमार तो नहीं है, ये धरती माता में कुछ करने की संभावना है कि नहीं है, ये धरती माता फसल के लिए योग्य है कि नहीं है, कौन सा फर्टिलाइजर चलेगा, कौन सा नहीं चलेगा, कौन सी फसल चलेगी, कौन सी फसल नहीं चलेगी- हमने उसके लिए सॉयल हेल्थ कार्ड बनाया। और देश में करीब-करीब 16 करोड़ किसान परिवारों को उनकी धरती माता के गुण और कमियों का पूरा ब्योरा दिया और उसके कारण किसानों को पता चलने लगा कि इस फसल के लिए वो पैसे बर्बाद करता था, लेकिन जमीन इसके लिए ठीक नहीं थी, उसने फसल बदल दी, उसकी कमाई शुरू हो गई। जब तक हमने सॉयल हेल्थ कार्ड नहीं निकाला था, तब तक ये छिंदवाड़ा के किसानों को भी मालूम नहीं था कि अकेले छिंदवाड़ा जिले में पांच प्रकार की समृद्ध मिट्टी है, ये मालूम नहीं था। पांच प्रकार की समृद्ध मिट्टी का मालिक ये मेरा छिंदवाड़ा है साहब! नागपुर के संतरे की चर्चा होती है, यहां के संतरे की कमलनाथ को कभी याद नहीं आई, ऐसी दुर्दशा कौन कर सकता है भाइयो! और इसलिए मैं कहना चाहता हूं भाइयो, हमने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लाई। किसान को सुरक्षित करना और बुआई के पहले मुसीबत आए तो भी, बुआई के दरम्यान मुसीबत आए तो भी, फसल उगने के समय मुसीबत आए तो भी, कटाई के समय मुसीबत आए तो भी, कटाई के बाद मुसीबत आए तो भी, ऐसी हमने बीमा योजना दी कि किसान को सुरक्षा मिले, और उस प्रधानमंत्री बीमा फसल योजना के तहत देश को, किसानों को 16 हजार करोड़ रुपये के क्लेम मिल चुके हैं, 16 हजार करोड़ रुपये! उसमें 5,000 करोड़ रुपये अकेले मध्यप्रदेश के बीमाधारक किसानों को प्राप्त हुआ है

भाइयो-बहनो। हम आपकी तरह ढोल नहीं पीटते। हम किसान की मुसीबत दूर करने के रास्ते खोजते हैं। उनको ताकत देने का प्रयास करते हैं। और आप? जरा आपमें से किसी की पहचान हो तो कर्नाटक में फोन लगा कर पूछ लेना। यहां के मीडिया के बंधुओं को भी मैं कहूंगा, जरा आप भी पूछ लेना। इन्होंने चुनाव में वादा किया था किसानों के कर्ज माफ करने का। उसके बावजूद भी, कर्नाटक के लोग इनको जानते थे, उनको बहुमत नहीं दिया, जितने थे उसके भी आधे कर दिए, फिर वो पिछले दरवाजे से किसी के साथ लपेट कर के बैठ गए। और कर्जमाफी का वादा किया था, उसको पूरा करने के बजाय, सैकड़ों किसानों को ‘कर्ज चुकता करो नहीं तो जेल जाओ’ इसकी नोटिसें दी गई हैं, वारंट निकाले गए हैं कर्नाटक में। आप कर्नाटक में जाकर जानकारी ले सकते हो। किसानों को अभी तीन-चार महीने पहले वादा किया था और आज जेल भेजने के वारंट निकाल रहे हैं। क्या ऐसी कांग्रेस पर भरोसा करोगे आप? उनके वादों पर भरोसा करोगे? उनकी बातों पर भरोसा करोगे? अरे, जो कार्यकर्ताओं के सामने झूठ बोलते हैं, आठ जगह पर आठ मुख्यमंत्रियों की बात करते हैं, जिन पर उनकी पार्टी भरोसा नहीं करती है, उन पर छिंदवाड़ा की जनता कैसे भरोसा कर सकती है

भाइयो और बहनो!
भाइयो-बहनो, हमारा सपना है कि साल 2022, जब आजादी के पचहत्तर साल होंगे, हम हिन्दुस्तान में हर परिवार को उसका रहने के लिए अपना पक्का घर हो, इस सपने को पूरा करने के लिए लगे हैं। और ये सिर्फ वादे नहीं हैं। 2022 तक पूरा करना है। अब तक हमने सवा करोड़ घर बनाकर, एक करोड़ पचीस लाख घर बनाकर चाबी सुपुर्द कर दी है, मेरे प्यारे भाइयो-बहनो। हमने लोगों को घर की चाबी सुपुर्द कर दी है। और उसमें मध्यप्रदेश में पन्द्रह लाख गरीब परिवारों के हाथ में...वो नए घर में दिवाली मना चुके हैं। बातें नहीं, वादे नहीं, जमीन पर उतार कर दिखाया है। भाइयो-बहनो, अपने छिंदवाड़ा में शायद सवा करोड़ घरों की जानकारी लेनी मुश्किल होगी, हो सकता है मध्यप्रदेश के 15 लाख घरों की जानकारी लेनी मुश्किल होगी। ये हमारे छिंदवाड़ा में ग्रामीण इलाकों में 23 हजार गरीबों को पक्के घर दिए जा चुके हैं। और शहरी इलाकों में 23 हजार घरों की स्वीकृति दी जा चुकी है। और घर यानि सिर्फ चारदीवारी नहीं, हम ऐसा घर दे रहे हैं, जिसमें नल भी हो, नल में जल भी हो, शौचालय भी हो, बिजली भी हो, गैस का सिलिंडर भी हो, ऐसा घर देने का काम, एक प्रकार से परिवार को एक नई जिंदगी जीने के लिए तैयार करने का काम हमारी सरकार कर रही है। और इसलिए जो सरकार सवा करोड़ घर बना चुकी है, वो दावे से विश्वास पैदा कर सकती है कि हां, 2022 तक बाकी काम भी पूरा हो जाएगा और हिन्दुस्तान के हर व्यक्ति को घर मिल जाएगा।

भाइयो-बहनो, मुझे बताइए, एक जमाना था, सुबह-सुबह लोग कमलनाथ के घर के आगे कतार लगा देते थे, अच्छे-अच्छे घर के लोग, गाड़ी में आते थे, स्कूटर में आते थे, किस चीज के लिए, कमलनाथ जी, गैस का कनेक्शन लेना है, एक कूपन दे दो न! तो कमलनाथ दूसरी तरफ देख कर कहते थे, ठीक है अगली बार आऊंगा तो देखेंगे। सालों तक घर में गैस के सिलिंडर का कनेक्शन लेने के लिए पूरे देश में मध्यम वर्ग के परिवार के लोग कतार लगाकर खड़े रहते थे और कुछ लोगों को तो भ्रष्टाचार करने की आदत भी हो गई थी। कुछ एमपी के नाम बदनाम होते थे, अखबारों में आते भी थे। और नामदार, एमपी लोगों पर कृपा करते थे। वो कृपा ऐसे करते थे कि भाई 25 कूपन तुमको देंगे, तुम अपने इलाके में एक साल में 25 घर में गैस का कनेक्शन दे सकते हो। अब विचार करिए भाइयो। 25 लोगों को गैस का कनेक्शन एक साल में ! हम आए, हमने तय किया कि जो हमारी मां खाना पकाते समय धुएं में जिंदगी गुजारती है, और एक मां जब धुएं से खाना लकड़ी जलाकर बनाती है, तो उसके शरीर में 400 सिगरेट का धुआं जाता है, 400 सिगरेट का। हर दिन जिस मां के शरीर में 400 सिगरेट का धुआं जाता हो, जिस घर में बच्चे छोटे-छोटे खेलते हों, और धुआं पूरे घर में फैला हो, आप मुझे बताइए उस परिवार का हाल क्या होगा! उस परिवार की तबीयत की स्थिति क्या होगी! मैंने गरीबी देखी है।

धुएं में घर में बचपन कैसे बीता है, वो खुद अनुभव किया है। मैंने आकर फैसला लिया, मैं हिन्दुस्तान की हर माता को इस धुएं की जिंदगी से मुक्ति दिलाऊंगा। और हमने बीड़ा उठाया मुफ्त में कनेक्शन देने का। और हमारा सपना है, आने वाले दो साल के भीतर-भीतर हिन्दुस्तान के हर परिवार में गैस का चूल्हा होगा, गैस का कनेक्शन होगा। लेकिन ये बात जब करते हैं तो अब तक हम 6 करोड़ परिवारों में ये काम कर चुके हैं। गैस का कनेक्शन दे चुके हैं। भारत में कुल एक बिलियन 30 लाख लोग हैं, 1.3 बिलियन। सवा सौ करोड़ से ज्यादा जनसंख्या है। लेकिन, परिवार अगर हम कहें तो परिवार करीब हमारे यहां 25 करोड़ के करीब परिवार हैं। उन पचीस करोड़ में से हमारी सरकार बनने के बाद 6 करोड़ परिवारों को गैस का कनेक्शन मिला है। आप कल्पना कर सकते हैं, आजादी से हमारे आने तक जितना गैस कनेक्शन मिला, उतना हमने चार साल में दे दिया है भाइयो-बहनो। और मध्यप्रदेश में पचास लाख परिवारों को ये गैस का कनेक्शन मिला है। और ये हमारे छिंदवाड़ा में, कमलनाथ सोते रहते हैं, हमने डेढ़ लाख परिवारों को गैस का कनेक्शन दे दिया।

वो दिन याद कीजिए जब एक कूपन लेने के लिए एमपी के घर लोग कतार लगाकर गिड़गिड़ाते थे, आज हम सामने से जाकर दे रहे हैं। आप मुझे बताइए भाइयो, जनता की सेवा करने वाली सरकार चाहिए कि नहीं चाहिए? जनता का भला करने वाली सरकार चाहिए कि नहीं चाहिए? जनता का सुख-दुख समझने वाली सरकार चाहिए कि नहीं चाहिए? सामान्य मानव की जिंदगी में बदलाव लाने वाली सरकार चाहिए कि नहीं चाहिए?

इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं, 28 तारीख को कमल के फूल पर बटन दबाकर भारतीय जनता पार्टी को विजयी बनाइए, शिवराज सिंह की एक बार फिर से सरकार बनाइए…और दिल्ली का इंजन और भोपाल का इंजन, ये डबल इंजन से पूरे मध्यप्रदेश को और छिंदवाड़ा को आगे ले जाने में आगे आइए। मिलकर एक सुखी और समृद्ध मध्यप्रदेश बनाने में पूरी ताकत से जुट जाएं। मेरे साथ बोलिए, भारत माता की... जय....भारत माता की...जय!

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PM Modi to inaugurate ICA Global Cooperative Conference 2024 on 25th November
November 24, 2024
PM to launch UN International Year of Cooperatives 2025
Theme of the conference, "Cooperatives Build Prosperity for All," aligns with the Indian Government’s vision of “Sahkar Se Samriddhi”

Prime Minister Shri Narendra Modi will inaugurate ICA Global Cooperative Conference 2024 and launch the UN International Year of Cooperatives 2025 on 25th November at around 3 PM at Bharat Mandapam, New Delhi.

ICA Global Cooperative Conference and ICA General Assembly is being organised in India for the first time in the 130 year long history of International Cooperative Alliance (ICA), the premier body for the Global Cooperative movement. The Global Conference, hosted by Indian Farmers Fertiliser Cooperative Limited (IFFCO), in collaboration with ICA and Government of India, and Indian Cooperatives AMUL and KRIBHCO will be held from 25th to 30th November.

The theme of the conference, "Cooperatives Build Prosperity for All," aligns with the Indian Government’s vision of “Sahkar Se Samriddhi” (Prosperity through Cooperation). The event will feature discussions, panel sessions, and workshops, addressing the challenges and opportunities faced by cooperatives worldwide in achieving the United Nations Sustainable Development Goals (SDGs), particularly in areas such as poverty alleviation, gender equality, and sustainable economic growth.

Prime Minister will launch the UN International Year of Cooperatives 2025, which will focus on the theme, “Cooperatives Build a Better World,” underscoring the transformative role cooperatives play in promoting social inclusion, economic empowerment, and sustainable development. The UN SDGs recognize cooperatives as crucial drivers of sustainable development, particularly in reducing inequality, promoting decent work, and alleviating poverty. The year 2025 will be a global initiative aimed at showcasing the power of cooperative enterprises in addressing the world’s most pressing challenges.

Prime Minister will also launch a commemorative postal stamp, symbolising India’s commitment to the cooperative movement. The stamp showcases a lotus, symbolising peace, strength, resilience, and growth, reflecting the cooperative values of sustainability and community development. The five petals of the lotus represent the five elements of nature (Panchatatva), highlighting cooperatives' commitment to environmental, social, and economic sustainability. The design also incorporates sectors like agriculture, dairy, fisheries, consumer cooperatives, and housing, with a drone symbolising the role of modern technology in agriculture.

Hon’ble Prime Minister of Bhutan His Excellency Dasho Tshering Tobgay and Hon’ble Deputy Prime Minister of Fiji His Excellency Manoa Kamikamica and around 3,000 delegates from over 100 countries will also be present.