Congress & corruption are inseparable. Their leaders are out on bail & they are speaking about putting a check on corruption: PM
Himachal Pradesh needs to be free from 5 Mafias - 'Mining Mafia', 'Forest Mafia', 'Drug Mafia', 'Tender Mafia' & 'Transfer Mafia': PM
For Congress, it is never 'Dal Se Bada Desh'. For them only their party's interest comes first: PM
Himachal needs double engine for development. One, a BJP led government at Centre & the other a BJP government in the state: PM

भारत माता की जय। भारत माता की जय।

(ये पुलिस के लोग, ये पर्दा हटा दें या कि दूसरी सभा वहां चल रही है। इसको हटा दीजिए भाई। जितने लोग यहां हैं, उससे ज्यादा तो उधर हैं। खोल दीजिए, खोल दीजिए इसको। कोई मदद करके खुलवा दीजिए।)

मंच पर विराजमान इसी धरती के संतान हिमाचल के सांसद और भारत सरकार में मंत्री परिषद् के मेरे साथी श्रीमान जगत प्रकाश नड्डा जी, यहां के लोकप्रिय सांसद श्रीमान राम स्वरूप शर्मा जी, प्रदेश के महासचिव राम सिंह जी, श्रीमान जयप्रकाश जी, श्रीमान भीमसेन जी और इस चुनाव सभा में उपस्थित भारतीय जनता पार्टी के होनहार उम्मीदवार कुल्लू से उम्मीदवार श्रीमान महेश्वर सिंह जी, महेश्वर सिंह आइए मेरे बगल में, मनाली से उम्मीदवार श्रीमान गोविंद ठाकुर जी, लाओ सिटी से रामलाल मार्कण्डेय जी, बंजर से श्रीमान सुरेंद्र शौरी जी, डरंग से श्रीमान जवाहर ठाकुर जी, अन्नी से श्रीमान किशोरी जी, हमारे इन होनहार उम्मीदवारों को आशीर्वाद देने के लिए पधारे हुए कुल्लू के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

भाइयों बहनों।

9 तारीख को क्या होने वाला है और 18 तारीख को क्या निकलने वाला है, ये देखने के बाद सोचने की जरूरत नहीं है। आज कुल्लू वासियों ने कमाल कर दिया जी। मैं दशहरा मेले में आता था, तब भी इतने लोग नहीं आते थे।

भाइयों बहनों।

इतनी भारी मात्रा में, मैं जहां भी नजर कर रहा हूं, मुझे लोग ही लोग नजर आ रहे हैं। इतनी बड़ी तादात में आप आशीर्वाद देने के लिए आए, मैं आपका ह्रदय से अभिनंदन करता हूं, मैं आपका गौरव करता हूं।

भाइयों बहनों।

ये हिमाचल, इसकी पहाड़ियां, इसकी झाड़ियां, इसके झरने एक प्रकार से मेरे जीवन का हिस्सा बन गए थे। कभी मन करता था तो बिजली महादेव चला जाता था। शांत, एकांत जहां साधना करने के लिए मन लग जाए, ऐसी जगह। जगह छोड़ने का मन नहीं करता था। एक प्रकार से मैं यहां के जीवन के साथ घुलमिल गया था। आपका प्यार और आपका आशीर्वाद, जब आपके बीच रहता था तब कहां सोचा था कि कभी मुख्यमंत्री बनना पड़ेगा, कभी प्रधानमंत्री बनना पड़ेगा। शायद वो आपके प्यार की ताकत है, आपके आशीर्वाद की ताकत है। इस धरती ने मुझे संवारा, इस धरती ने मुझे बनाया। मुझे बहुत कुछ सीखाया है हिमाचल ने। इसके लिए मैं जीवनभर हिमाचल को भूल नहीं सकता हूं। और जितना प्यार आपने दिया है ना, वो कर्ज मुझ पर है। वो कर्ज मैं ब्याज समेत चुकता करूंगा, ये मैं आपको विश्वास दिलाता हूं। वो भी विकास करके चुकता करूंगा। यहां के जीवन को बदल करके चुकता करूंगा। यहां जो पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, शायद ऐसी विशाल जनसभा पहले कभी धरती पर दिखाई नहीं दी होगी। पिछले 20 साल से शायद ही कोई चुनाव ऐसा होगा, जब मुझे हिमाचल में आने का मुझे सौभाग्य न मिला हो। और मैंने चुनाव देखे हैं, बारिकी से देखे हैं। और जब पहले कभी लगता था कि भारतीय जनता पार्टी चुनाव लड़ रही है।

(अगर उनको खोल सकते हैं तो खोल दीजिए भैया। लोग परेशान हो रहे हैं। आप कितने ही दूर क्यों न हों, आपकी पीड़ा भली भांति समझ पाता हूं जी। देखिए इस तरफ भी लोग देख नहीं पाते हैं। खोल दीजिए, चिंता मत कीजिए। बिजली महादेव है जो रक्षा करेगा, आप चिंता मत करिए।)

भाइयों बहनों।

जब मैं हिमाचल में काम करता था, चुनावों में आता था, मुख्यमंत्री के नाते प्रचार अभियानों में आता था। लेकिन हमेशा अनुभव कर रहा था कि कहीं कांग्रेस चुनाव लड़ रही है, कहीं भारतीय जनता पार्टी चुनाव लड़ रही है। कभी महसूस करता था कि विधायक चुनाव लड़ रहा है। कभी महसूस करता था कि नेता लोग चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन ये चुनाव ऐसा है। जो मैं महसूस कर रहा हूं। ये चुनाव न कोई दल लड़ रहा है, न कोई उम्मीदवार लड़ रहा है, न कोई नेता लड़ रहा है। मैं कह सकता हूं कि हिमाचल का चुनाव यहां की जनता जनार्धन लड़ रही है। जनता ने मन बना लिया है। और इस चुनाव में लोग सिर्फ भारतीय जनता पार्टी को जीताने के लिए वोट देने वाले हैं ऐसा नहीं है। इस चुनाव में लोग वोट देंगे लेकिन दो काम करना चाहती है जनता। एक भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने और दूसरा जिन्होंने हिमाचल को लूटा है, उन्हें सजा मिले, कड़ी से कड़ी सजा मिले। आपको अंदाज नहीं है कि आपकी अंगुली में ताकत क्या है। 9 तारीख को भारत के संविधान ने आपकी अंगुली में इतनी ताकत दी है। ये पूरी सल्तनत को आप बटन दबाकरके उखाड़कर फेंक सकते हैं।

भाइयों बहनों।

ये लोकतंत्र का सामर्थ्य है, ये लोकतंत्र की ताकत है। इसलिए हर मतदाता को अपने मत देने के अधिकार को कभी भी कम नहीं आंकना चाहिए। उसका भरपूर उपयोग करना चाहिए। हिमाचल के हित में, यहां की जनता जनार्धन के हित में भारी संख्या में मतदान करके एक सशक्त मजबूत सरकार बनानी चाहिए।  

भाइयों बहनों।

सरकार बने लेकिन बहुत कम बहुमत से बने। सरकार बने और भारी बहुमत से बने। इन दोनों में बहुत बड़ा फर्क होता है। सरकार सिर्फ बनना काफी नहीं होता है। इस बार हिमाचल को एक नया इतिहास रचने का अवसर है। तीन चौथाई बहुमत से इस बार हिमाचल में सरकार बनाने का अवसर है। जाने मत दीजिए और आपको पता चलेगा कि जब तीन चौथाई की बहुमत से सरकार बनती है तो सरकार के निर्णय करने की ताकत कितनी होती है। सरकार को आगे चलाने के लिए सामर्थ्य कितना होता है। आप मुझे बताइए। आज पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान का जय-जयकार हो रहा है कि नहीं हो रहा है ...। पूरी ताकत से बताइए। हो रहा है कि नहीं हो रहा है ...। अमेरिका में भी भारत का जय जयकार हो रहा है ...। लंदन में भी भारत का जय जयकार हो रहा है ...। जर्मनी में भी भारत का जय जयकार हो रहा है ...। फ्रांस में भी भारत का जय जयकार हो रहा है ...। दुबई में भी भारत का जय जयकार हो रहा है ...। श्रीलंका में भी हो रहा है ...।

भाइयों बहनों।

हिन्दुस्तान तो पहले भी था। ये सारे देश भी पहले थे। क्या कारण है आज दुनिया में हिन्दुस्तान का डंका बज रहा है। क्या कारण है आज हिन्दुस्तान का डंका बज रहा है ...। क्या कारण है ...। क्या कारण है ...। क्या कारण है ...। मोदी कारण नहीं है। ये दुनिया में हिन्दुस्तान में जय जयकार हो रहा है वो मोदी के कारण नहीं हो रहा है। ये जय जयकार हो रहा है, सवा सौ करोड़ मेरे हिन्दुस्तानियों के कारण हो रहा है।

भाइयों बहनों।

तीस साल के बाद, ये तीस साल कम नहीं होता है। तीस साल के बाद भारत में पूर्ण बहुमत, अच्छी खासी मैजोरिटी के साथ सरकार बनी है। ये उसी का असर है। और दुनिया के लोग जब मोदी को मिलते हैं, हाथ मिलाते हैं, गले लगाते हैं, उनको मोदी नहीं दिखता है, उन्हें सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानी दिखता है। ये ताकत है। क्या आप चाहते हैं कि हिमाचल का भी डंका बजना चाहिए ...। ऐसे बोलोगे तो कैसे बजेगा। क्या आप चाहते हैं कि हिमाचल का डंका बजना चाहिए ...। हिन्दुस्तान के हर कोने में जय जयकार होने चाहिए ...। हिमाचल की आन बान शान चारो तरफ फैलनी चाहिए ...। चारो तरफ हिमाचल का जय जयकार होना चाहिए ...। भाइयों बहनों। अगर वो करना है तो तीन-चौथाई के बहुमत के साथ भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाइए। पूरा हिन्दुस्तान हिमाचल-हिमाचल करने लग जाएगा।

भाइयों बहनों।

आखिरकार कांग्रेस का हाल क्या है। इस पूरे चुनाव में कांग्रेस के सामने सवाल क्या है। सामान्य मानवी के मन में कांग्रेस के संबंध में चर्चा क्या है। एक ur चर्चा है – भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार। आप मुझे बताइए। हिन्दुस्तान आजाद हुआ तब ये बीमारी लगी थी क्या ...। आज से 70 साल पहले जब महात्मा गांधी जिंदा थे, क्या इस देश में भ्रष्टाचार की बीमारी थी कि क्या ...। लोगों को ताले लगाने पड़ते थे क्या ...। घऱ के बाहर पड़ी हुई चीज भी कोई चोरी करके जाता था क्या ...। ये देश गुलामी के कालखंड में भी, अंग्रेजों के जमाने में भी, ऐसी बुराइयां नहीं आई थी। जो बुराइयां आज हमारे देश में घुस गई है। कौन जिम्मेवार है इन बुराइयों के लिए ...। कौन जिम्मेदार ...। कौन जिम्मेदार ...। देश में भ्रष्टाचार कौन लाया ...। देश में भ्रष्टाचार किसने लाया ...। भ्रष्टाचार को किसने पनपाया ...। भाई-भतीजावाद कौन लाया ...। अपने पराये का खेल किसने खेला ...। जातिवाद का जहर किसने घोला ...। संप्रदायिकता की आग किसने लगाई ...। देश को तबाह किसने किया ...। अगर इतना सारा किया तो आप कुछ करोगे कि नहीं करोगे ...। करोगे कि नहीं करोगे ...। उनका सफाया होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...। सजा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए।

भाइयों बहनों।

गैर जिम्मेवाराना, उनको ऐसा ही लग रहा है कोई पूछने वाला ही नहीं है। कुछ कांग्रेस वालों को तो यही लग रहा है कि ऊपर वाले को जो सजा करनी होगी करेगा, ऊपर जाने के बाद किसने देखा है। कांग्रेस के लोग भूल जाओ, ऊपर कोई समय खराब नहीं करेगा, आपके लिए। ये जनता जनार्धन ईश्वर का रूप होती है। आपको तो सजा यहीं पर मिलेगी। यहीं पर लोग देने वाले हैं।

कांग्रेस और भ्रष्टाचार। इन दोनों को कोई अलग कर सकता है क्या ...। भ्रष्टाचार और कांग्रेस को कोई अलग कर सकता है क्या ...। पेड़ और जड़। जड़ और पेड़ जैसे जुड़े हुए होते हैं ना ...। वो एक-दूसरे से अलग हो ही नहीं सकते। करेगा कौन ...। मुझे बताइए कौन करेगा ...। उनके सारे नेता जमानती नेता हैं। पूरी पार्टी जमानत पर हैं। और सारे के सारे लोग भ्रष्टाचार के आरोपों में आज जमानत पर बाहर घूम रहे हैं। जो भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में अगर जमानत पर जा रहे हैं तो वो भ्रष्टाचार को दूर करने की बात कैसे कर पाएंगे भाइयों।

और इसलिए अगर हमारे देश के युवाओं का भविष्य बनाना है, बचाना है। तो भाइयों बहनों। देश को भ्रष्टाचार रूपी इस बुराइयों से बाहर निकालना पड़ेगा। 70 साल के कारोबार ने उसको ऐसे-ऐसे पहुंचा दिया है। मैं जानता हूं कितनी मेहनत पड़ती है, कितनी लड़ाई लड़नी पड़ती है। हर दिन कितने नए दुश्मन पैदा करने पड़ते हैं। क्योंकि जो देश को लूट रहे थे, अब उनका लुटने की नौबत आई है। और इसलिए वो जरा परेशान नजर आते हैं। अब जरा बताइए भाइयों बहनों। ये देवभूमि है। इस देवभूमि में दानववृत्ति को कोई जगह होनी चाहिए क्या ...। दानववृत्ति को कोई जगह होनी चाहिए क्या ...। क्या खनन माफिया। ये दानव है कि नहीं है ...। खनन माफिया दानव है कि नहीं है ...। ये वन माफिया। ये वन माफिया दानव है कि नहीं है ...। दानव है कि नहीं है ...। ये ट्रांसफर माफिया। ये ट्रांसफर माफिया दानव है कि नहीं है ..। ये टेंडर माफिया। ये दानव है कि नहीं है ...। ये ड्रग्स माफिया। ये ड्रग्स माफिया दानव है कि नहीं है ...। है कि नहीं है ...।

भाइयों बहनों।

कभी कुल्लू मनाली नौजवान आया करते थे। एडवेंचर्ज टूरिज्म करते थे। लेकिन स्थिति ऐसी बन गई है। कोई जवान बेटा अगर कुल्लू मनाली आ रहा है तो मां-बाप कहते हैं कि देखिए वहां कुछ लोग ऐसे-ऐसे काम करते हैं। उसको चिंता सताती है। ये ड्रग्स माफिया ने क्या हाल करके छोड़ा है। इससे आप भी परिचित हूं, मैं भी परिचित हूं। और इसलिए जब तक हम हिमाचल के युवा पीढ़ी को हम बचाएंगे नहीं, ड्रग माफिया से हमारे कुल्लू मनाली को मुक्त नहीं कराएंगे, तो हमारी युवा पीढ़ी को बचाने का काम कौन करेगा भाइयों। और अब आप मानिए। कभी-कभी लोग सोचते हैं कि जब सरकार बनती है तो वो पांच साल के लिए होती है। अब पांच साल में कभी अच्छी सरकार आए, बुरी सरकार आए क्या फर्क पड़ता है। ये पांच साल जैसे तैसे निकाल दो। ऐसा सोचना गलत है। भले सरकार पांच साल की हो लेकिन जरा विचार कीजिए। जिस नौजवान की उम्र 18 साल, 20 साल हुई है, 22 साल हुई है, 25 साल हुई है। पढ़-लिखकर तैयार हुआ है। उसके लिए पांच साल कितने कीमती होते हैं। जब वह 25 साल का होगा, 27 साल का होगा। ये 20 से 25, 22 से 27 साल की उम्र ही तो होती है जब उसको जिंदगी के सारे फैसले करने होते हैं। पूरी जिंदगी की दिशा उसी समय तय होती है। और उसी समय अगर कोई निकम्मी सरकार हो तो उसका पांच साल का नहीं, उस नौजवान की पूरी जिंदगी तबाह हो जाती है।

और इसलिए भाइयों बहनों।

सवाल पांच साल का नहीं है। सवाल मेरे नौजवानों की पूरी जिंदगी का है। और इसलिए हमें सरकार चुनते समय, हमें एक बार भी गलती करने का हक नहीं है। ये हिमाचल में आदत लगी है एक बार ये, एक बार वो। पांच साल ये, पांच साल वो, पांच साल ये, पांच साल वो। एक बार इस दुष्चक्र को तोड़िए और लंबे समय के लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाइए और फिर देखिए हम कहां से कहां पहुंचा देते हैं हिमाचल को।

और इसलिए भाइयों बहनों।

हमने विकास के मुद्दे पर आगे बढ़ना है। आपने सुना होगा। कांग्रेस पार्टी को हिमाचल प्रदेश के चुनाव की चिंता नहीं है। हिमाचल में कांग्रेस पार्टी कहीं नजर आती है क्या ...। कहीं प्रचार करती है क्या ...। वोट मांगती है क्या ...। उसके नेता वोट मांगते है क्या ...। सारी दुकानें बंद करके घर चले गए। जो उम्मीदवार है, वो भी सोच रहे हैं, पार्टी से जो पैसा आया है, उसे रख लो यार, भविष्य में वह काम आने वाला है, खर्चा करने को तैयार नहीं है। उनको पता चल गया है, हिमाचल की जनता को पता है कि कांग्रेस पार्टी जा चुकी है। कांग्रेस पार्टी को भी पता है कि बचना नहीं है। कोई नेता उनका आता नहीं है। मैदान पूरा खाली है। और क्या कर रहे हैं ...। एक तरफ चुनाव चल रहा है। मैंने सुना है कि कांग्रेस पार्टी 8 नवंबर को देशभर में मोदी के पुतले जलाने वाले हैं। 8 नवंबर को। क्यों। भई 8 नवंबर को ही क्यों। 9 नवंबर को चुनाव है हिमाचल में। जरा काम करो लेकिन नहीं। मोदी का पुतला जलाएंगे।

भाइयों बहनों।

ये 8 नवंबर ने उनको नींद खराब करके रखी है। ये वही 8 नवंबर है, जिस दिन कहा था रात को 12 बजे 500 और 1000 रुपए की नोट गई। आप मुझे बताइए कि जब 500 और 1000 रुपए के नोट गए तो आपकी भी नोट गई थी कि नहीं गई थी। आपकी भी गई थी कि नहीं गई थी ...। आपकी भी गई थी कि नहीं गई थी ...। आपको भी थोड़ी तकलीफ हुई थी। आपने मोदी को माफ कर दिया कि नहीं कर दिया ...। आपको लगा मोदी ने हिम्मत से काम किया। आपको भी तकलीफ हुई थी लेकिन आपको अब मोदी से शिकायत नहीं है। एक साल हो गया। उनका गुस्सा अभी भी ठंडा नहीं हो रहा है। क्योंकि उनके बोरे के बोरे भरे पड़े थे, वो गए हैं। पूरा गैराज का गैराज पड़ा था, नोटों के ढेर। अब बताइए। वो मोदी को छोड़ेंगे क्या ...। जितना जिंदगीभर इक्ट्ठा किया वो लुट गया। और मोदी ने एक धमाके के साथ निकाल दिया। उनको परेशानी होगी कि नहीं होगी ...। अब पुतले नहीं जलाएंगे तो क्या करेंगे। पुतले फूकेंगे। अभी क्यों गुस्सा है, मालूम है। क्योंकि उनको पता चल गया है कि मोदी आगे क्या करने वाला है। मैंने कहा है कि बेनामी संपत्ति। ये बड़े-बड़े लोगों ने अपने ड्राइवर के नाम पर जमीनें लेकर रखी हुई है। अपने रसोइये के नाम पर, खाना पकाने वालों के नाम पर फ्लैट लेकर रखे हैं। दूसरे के नाम पर गाड़ियां लेकर रखी हुई हैं। घर में काम वालों के नाम पर बंगलों लेकर रखा है। सारी बेनामी संपत्ति। अब मोदी उसके पीछे पड़ा है। उनको पता चल गया है कि मोदी ने सूची बनाना शुरू कर दिया है।  आप मुझे बताइए। ये बेईमानी से जमा किया है वो निकलवाना चाहिए कि नहीं निकलवाना चाहिए ...। जरा पूरी ताकत से बताइए। निकालना चाहिए कि नहीं निकालना चाहिए ...। देश को लूटने वालों से पैसा देश को वापस मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...। पाई-पाई का हिसाब चुकता होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...। ये काम करते रहना चाहिए कि नहीं रहना चाहिए। और हिम्मत से आगे बढ़ना चाहिए कि नहीं बढ़ना चाहिए ...। बेईमानों को सजा देनी चाहिए कि नहीं देनी चाहिए ...।

भाइयों बहनों।

ये आपके आशीर्वाद की ताकत है। कि मैं कठोर फैसले ले रहा हूं। हिम्मत के साथ फैसले ले रहा हूं। देश को लूटने वालों को अपनी जगह दिखा रहा हूं। और इसलिए कांग्रेस पार्टी के लोग, ये मोदी को डराने का खेल बंद करो। हम सच के सामने शाष्टांग दंडवत करना जानते हैं लेकिन झूठ के सामने झुकना हमें मंजूर नहीं।

भाइयों बहनों।

ये नोटबंदी। ये बात पहली बार नहीं आई। जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी। तब तो 500 और 1000 की नोट भी नहीं थी। सौ रुपए की नोट हुआ करती थी। वोसौ रुपए की नोट बंद करने के लिए इंदिरा जी के जमाने में एक कमेटी ने रिपोर्ट की थी। उस समय के उनके साथी मंत्री यशवंत राव चव्हाण बड़े उत्साह और उमंग के साथ वो रिपोर्ट लेकरके इंदिरा गांधी के पास लेकर गए थे। कि देश का भला करना है तो ये सौ रुपए की नोट को रद्द करना बहुत जरूरी है। और ये रिपोर्ट है। उस समय ये हाल हो गया था। सौ रुपए के नोट को बंद करने की जरूरत हो गई थी। यशवंत राव चव्हाण को इंदिरा जी ने देखा। पल दो पल उनको देखती रही। यशवंत राव चव्हाण सोचते रहे कि मैडम बोलती क्यों नहीं है। जरा उनके सामने देखते रहे। थोड़ी देर के बाद, मैडम ने पूछा कि क्यों चव्हाण साहब। हमें कांग्रेस पर ताले लगा देने हैं क्या ...।  क्या हमें चुनाव नहीं लड़ना है क्या ...। क्या हमें भविष्य में चुनाव हार जाना है क्या ...। अगर कांग्रेस पार्टी को जिंदा रखना है, चुनाव जीतना है तो नोटबंदी की बातें लेकर मेरे पास मत आया करो। जाइए उसको ठंडे बस्ते में डाल दो। इंदिरा जी ने यशवंत राव चव्हाण को नोटबंदी करने के विचार को मना कर दिया था।

भाइयों बहनों।

उस समय इंदिरा जी ने कांग्रेस के बजाय हिन्दुस्तान की चिंता की होती। दल से बड़ा देश हमारा होता। अगर उस समय नोटें कम थी। सौ रुपए से ज्यादा कीमत नहीं थी। उस समय ये सफाई कर दी होती तो मोदी को आकरके इतना बड़ा काम करने की जरूरत नहीं थी। आपने नहीं किया जो करने की जरूरत थी। मुझे करना पड़ा। इसका परिणाम क्या आया। आप हैरान हो जाओगे सुनकरके। तीन लाख कंपनियां। तीन लाख आंकड़ा बहुत बड़ा होता है। अगर कुल्लू में एक कंपनी पर ताला लग जाए तो हफ्ते भर अखबार का पहला पेज उसी की चर्चा करता है। अखबार भरे के भरे होते कि मोदी के राज में कुल्लू में एक कंपनी बंद हो गई। 24 घंटे टीवी चैनल पर डिबेट चलता कि कुल्लू में एक कंपनी बंद हो गई।

भाइयों बहनों।

नोटबंदी के बाद, बैंकों में पैसा जमा हुआ। जिन्होंने जमा किया उनको लगा कि शाबास जमा हो गया चलो अब चैन से सो जाए। उनको पता नहीं था कि मोदी ने ऐसी पूछ लगाकरके रखी थी कि कौन आया, किसने रखा। सब पकड़ में आ गया। सब डिब्बे में आ गए। तीन लाख कंपनियां। देशवासियों तीन लाख कंपनियां, ये आंकड़े छोटा नहीं है। ये सारे इस कारनामे में लगे हुए पाए गए। और मोदी सरकार ने 3 लाख कंपनियों पर ताले लगा दिए। और किसी की आंख से आंसू नहीं निकल रहा है। और किसी अखबार की सुर्खियों में नहीं छप रहा है। 24 घंटे की टीवी रिपोर्ट में इसकी चर्चा नहीं हो रही है। कोई उनके लिए रो नहीं रहा है। कोई छाती नहीं पीट रहा है। 3 लाख कंपनियां बंद हो जाए। और कैसी-कैसी कंपनियां। एक कंपनी ऐसी जिसके ऑफिस में तीन कुर्सी और एक टेबल की जगह है। इतनी छोटी कंपनी। तीन लोग बैठ सके, इतनी जगह है। लेकिन उस कंपनी के बैंकों में 2 हजार एक सौ खाते हैं। दो हजार एक सौ एकाउंट वाली कंपनी, छोटे से कमरे में। इधर से लेना, देना, देना, देना, फिर छू। ये सब पकड़ा। तीन लाख कंपनियों में उनका जो कारोबार था, उसकी जांच चल रही है। बहुत बड़े इस विषय के जानकार उसमें लगे हुए हैं। अभी तक 5 हजार कंपनियों की बारीकी से जांच की गई। तीन लाख में से 5 हजार। 5 हजार कंपनियों में 4 हजार करोड़ रुपए का घपला पाया गया। बताइए 5 हजार कंपनियों में 4 हजार करोड़ रुपए का घपला पाया गया। जिस दिन 3 लाख कंपनियों का खाता खुलेगा तो क्या कुछ नहीं निकलेगा। इसका आप अंदाज कर सकते हैं। क्या ये बेईमानी चलने दूं क्या ...। चलने दूं क्या ...। ये जो पाप चल रहा है वो चलने दूं क्या ...। आपने इस काम के लिए मुझे बिठाया है क्या ...। आपने मुझे जिस काम के लिए बिठाया है उसको करूं या ना करूं ...। आपने जो काम मुझे दिया है उसको मुझे करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए ...। स्वच्छता अभियान चला रहा हूं। आप गली मोहल्ले की सफाई कर रहे हैं। मैं इन लुटेरों की सफाई कर रहा हूं।

भाइयो बहनों।

एक तरफ देश को बुराइयों से बाहर निकालना है और दूसरी तरफ देश को विकास की नई ऊंचाईयों की ओर ले जाना है।

भाइयों बहनों।

टूरिज्म। कितनी संभावनाएं हैं। अगर हिमाचल को अच्छे रोड मिल जाएं, रेल कनेक्टिविटी मिल जाए, एयर कनेक्टिविटी मिल जाए। मुझे बताइए कौन हिन्दुस्तानी होगा जिसे हफ्ते दस दिन रहने का मन न कर जाए। कौन होगा दोस्तों। इसलिए हमारी सरकार हिमाचल में इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में लगी हुई है। टूरिज्म को बढ़ावा देने में लगी हुई है।

भाइयों बहनों।

कांग्रेस पार्टी के चरित्र की तीन बातें हैं। आप उनकी पूरी सरकार को इन तीन चीजों में आसानी से देख सकते हैं। जब भी विकास आए तो कांग्रेस ये तीन चीजें करके ही रहेगी। ये कांग्रेस के स्वभाव में है। पहले अटकाना, फिर लटकाना और तीसरा भटकाना। ये कांग्रेस का चरित्र है। विकास को या तो अटकाना, नहीं अटका पाए तो लटकाना, अटकाना लटकाना नहीं हुआ तो भटकाना। आप मुझे बताइए। अटल जी ने रोहतांग पास की टनल का निर्णय किया था। उस समय मनाली में था। अटल जी के साथ मैं यहां आया था। मैं यहां मनाली बहुत बार आता था। तब हिमाचल में मेरा क्षेत्र था। मैं भी जरा हवा में तैरना सीखता था यहां। एक रौशन करके था, वो मुझे सीखाता था। उस समय अटल जी के समय के साथ यहां आया था, तब निर्णय किया था। आज 17 साल हो गए, उस बात को। अटलजी ने शिलान्यास किया था। ये कांग्रेस का अटकाना, लटकाना का ही एक नमूना है। अब जाकरके हमारी सरकार बनने के बाद, तीन साल में ये काम इतनी तेजी से चला कि दोनों छोर से खोदते-खोदते हम इकट्ठे हो गए। और पूरी टनल खुल गई। थोड़े ही दिन मे काम पूरा हो जाएगा।

भाइयों बहनों।

आप अगर मुझे निमंत्रित करोगे तो मैं उसका उद्घाटन के लिए जरूर आऊंगा। अटल जी ने जिस काम का प्रारंभ किया, उसके लिए उद्घाटन के लिए आना, ये कितने आन बान शान की बात हो सकती है। और उसके कारण देश की सुरक्षा को, हिमाचल के टूरिज्म को कितना बड़ा फायदा हो सकता है। इसका कोई अंदाज नहीं कर सकता है कोई। ये काम अटल जी ने शुरू कराई। लेकिन बाद में ऐसी सरकार आई कि अटका, लटका और भटका। फिर हमने आकरके उसको ठिकाने पर लगाया। और काम पूरा किया।

भाइयों बहनों।

टूरिज्म। कम से कम खर्च करके अधिकतम लोगों को रोजगार देने वाला काम है। जब टूरिज्म बढ़ता है तो टैक्सी वाला कमाता है, गेस्ट हाउस वाला कमाता है, खिलौने बेचने वाला कमाता है, ऊनी शॉल बेचने वाला, मफलर बेचने वाला कमाएगा, बिस्कुट बेचने वाला कमाएगा। माता जी के दरबार में खड़े फूल बेचने वाला भी कमाएगा। अरे चाय बेचने वाला भी कमाएगा।

और इसलिए भाइयों बहनों।

हिमाचल आज हिन्दुस्तान का टूरिज्म डेस्टिनेशन का सबसे बड़ा अवसर है। यहां एडवेंचर टूरिज्म का अवसर है। यहां पर स्पोर्ट्स टूरिज्म का अवसर है। यहां पर इको टूरिज्म का अवसर है। यहां मन को प्रसन्नता करने के लिए बहुत बड़ा अवसर है। प्रकृति को प्रेम करने वाले के लिए बहुत अवसर है। और इसलिए भारतीय जनता पार्टी हमारी हिमाचल की सरकार और दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार, हम टूरिज्म को बढ़ावा देना चाहते थे।

भाइयों बहनों।

मुझे मालूम नहीं आजकल बिजली महादेव जाना है तो कितनी सुविधा है। लेकिन जब मैं जाता था कि मेरा दम उखड़ जाता था।  इतनी तकलीफ से वहां पहुंचता था। रास्ते वास्ते कुछ नहीं था। लेकिन ऐसी जगह अगर डवलप कर दी जाए तो कितनी सुविधा बन सकती है। और इसलिए, मैं आज इसी बात को लेकरके आग्रह करने आया हूं।

मेरे भाइयों बहनों।

आओ। विकास की राह पर तेज गति से जाने के लिए डबल इंजन लगाइए। एक इंजन दिल्ली में मोदी सरकार और दूसरा इंजन हिमाचल की धूमल सरकार। दो इंजन लग जाए। दो इंजन लग जाए। आप देखिए हिमाचल किस तेजी से आगे बढ़ता है। मेरा आपसे आग्रह है कि 9 तारीख को भारी मतदान कीजिए। कांग्रेस पार्टी को ऐसी सजा दीजिए ताकि हिन्दुस्तान के और भागों में भी लोगों को पता चले कि देश की जनता पाप को स्वीकार नहीं करेगी, भ्रष्टाचार को स्वीकार नहीं करेगी, बेईमानी को स्वीकार नहीं करेगी। और हर राजनीतिक दल को भी एक  संदेश दे देगी। ऐसा चुनाव का नतीजा हिमाचल की जनता दे। इसी अपेक्षा के साथ। दोनों हाथ उठाकर मुट्ठी बंद करके मेरे साथ बोलिए। भारत माता की जय। भारत की जय। भारत की जय। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!