BJP always delivers on its promises: PM Modi in Dhanbad

Published By : Admin | December 12, 2019 | 11:53 IST
QuoteI assure every state of the East and Northeast. The traditions, culture, language etc of Assam and other states will not be affected at all: PM Modi on CAB
QuotePM Modi says the Congress in the past had promised relief to persecuted minority refugees but never did anything for them
QuotePeople across the country have faith on Bharatiya Janata Party as BJP delivers on its promises: PM Modi in Dhanbad
QuotePM Modi talks about the several central schemes and projects which are benefiting the people of Jharkhand at large

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय। मां लिलोरी, मां कल्याणेश्वरी को शत-शत प्रणाम करता हूं। कोयलांचल की राजधानी में, झारखंड के इस महत्वपूर्ण शहर में एक बार फिर आप सभी के बीच आना, आपके आशीर्वाद प्राप्त करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है, इस बार और हर बार जब-जब यहां आता हूं तो आपका ये अभूतपूर्व स्नेह और सत्कार मुझे हर बार मिलता रहा है। आज भी इतनी भारी संख्या में मेरी नजर जहां पहुंच रही है माथे ही माथे नजर आ रहे हैं, लोग ही लोग नजर आ रहे हैं। इतनी बड़ी तादाद में आप सबने आकर के हमारे सभी साथियों को आशीर्वाद दिया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। भाइयो-बहनो, बीते कुछ हफ्तों से मैंने झारखंड के अलग-अलग क्षेत्रों में दौरा किया है, वहां का माहौल जाना है, लोगों से बातचीत की है और मैं राजनीति के अनुभव के आधार पर कहता हूं कि एक बात बिल्कुल स्पष्ट है। पूरे झारखंड में कमल के फूल को लेकर, भाजपा की डबल इंजन सरकार को लेकर अभूतपूर्व उत्साह है, असीम उत्साह है। पहले दो चरणों में जहां-जहां मतदान हुआ है वहां भाजपा के पक्ष में अभूतपूर्व मतदान हुआ है। भाजपा के बूथ कार्यकर्ताओं ने प्रशंसनीय काम किया है, नागरिकों ने भी बढ़-चढ़कर मतदान किया है, प्रशासन ने भी शांतिपूर्ण मतदान को सफलतापूर्वक यहां पर करके दिखाया। मुझे पूरा विश्वास है कि जहां अभी मतदान हो रहा है और जहां अगले चरणों में होगा वहां भी भारी मतदान होगा, स्थिर और मजबूत सरकार फिर से बनाने के लिए आपका प्रचंड समर्थन मिलेगा।  

साथियो, आखिर झारखंड सहित पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी के प्रति इतना विश्वास क्यों है, आज पूरा हिंदुस्तान भाजपा पर क्यों विश्वास करता है। भाइयो-बहनो, ये भरोसा इसलिए है क्योंकि भाजपा ही है जो संकल्प लेने के बाद उसे सिद्ध भी करती है। जो वादा हम देश के लोगों से करते हैं उस पर पूरी ईमानदारी से अमल करते हैं। 

भाइयो-बहनो, कांग्रेस ने देश में एक विचित्र राजनीतिक माहौल बनाया जिसके कारण घोषणापत्र पर, नेताओं के वादों पर देशवासियों का भरोसा करीब-करीब उठ ही गया था, क्योंकि उन्होंने वही परंपरा पैदा की थी, लोगों को लगने लगा था कि नेता चुनाव के दौरान घोषणाएं करते हैं और फिर भूल जाते हैं। देश के लोगों में ये भावना भरने वाली कांग्रेस की परंपरा, कांग्रेस के कारनामे, कांग्रेस के इरादे, इसी के कारण ये स्थिति पैदा हुई है। कांग्रेस और जेएमएम और फिर उनके साथ आरजेडी और बचे-खुचे वामपंथी जैसे इनके सहयोगी हमेशा यही करते रहे हैं लेकिन साथियो, भाजपा ने सिर्फ 6 महीने में दिखाया है कि संकल्प चाहे कितने भी बड़े हों, कितने भी मुश्किल हों, उन्हें पूरा करने के लिए हम दिन-रात एक कर देते हैं। हम सुख-वैभव के पीछे नहीं दौड़ते हैं, ना ही हम चैन की नींद सोते हैं, हर पल देशवासियों के सपने को पूरा करने के लिए हम अपने आप को मिटाते रहते हैं। भाइयो-बहनो, 6 महीने पहले जब आपके बीच मैं और मेरे भाजपा के सभी साथी आए थे तब हमने कहा था कि झारखंड सहित देश के हर किसान परिवार के बैंक खाते में सीधी मदद पहुंचाएंगे। भाइयो-बहनो, आप मुझे बताइए ये संकल्प पूरा हुआ कि नहीं पूरा हुआ, हमने वादा किया था, निभाया कि नहीं निभाया। हमने कहा था छोटे किसान, खेत मजदूर, छोटे दुकानदार, छोटे व्यापारी, उन सबको 60 वर्ष की आयु के बाद पेंशन की व्यवस्था करेंगे, ये संकल्प भी हमने आते ही पूरा कर दिया, किया कि नहीं किया, वादा निभाया कि नहीं निभाया? भाइयो-बहनो, हमने कहा था कि 2024 तक, ये चुनाव में जो मैंने कहा था याद दिला रहा हूं और पार्टियां तो भुलवा देती हैं। अब वो गरीबी हटाओ बोलना बंद कर दिया उन्होंने, क्योंकि 30-30 साल तक झूठ बोलते रहे। भाइयो-बहनो, 2024 तक देश के हर घर को जल देने का काम करेंगे, ये मैंने आपसे कहा था, हमने सरकार बनते ही इस संकल्प को पूरा करने के लिए जल शक्ति का अलग मंत्रालय बनाया, जल शक्ति के लिए अलग बजट लगाया और इतना ही नहीं, जल जीवन मिशन भी शुरू हो चुका है और इस सपने को 2024 तक पूरा करके रहेंगे। इस काम को पूरा करने के लिए साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे, जिसके कारण मेरी माताओं-बहनों को पानी के कारण जो मुसीबत होती है, माताओं-बहनों को उस संकट से मुक्ति मिल जाएगी और इस योजना का लाभ झारखंड को तो मिलेगा ही, लेकिन इस क्षेत्र के गरीबों को विशेष नई ताकत देगा और मैं भलीभांति जानता हूं, यहां के पानी की दिक्कतें देश के कई कोने में लेकिन उसका समाधान ढूंढ़ने के लिए भारत सरकार ने इतना बड़ा बीड़ा उठाया है। आपकी वो तकलीफें भी जल जीवन मिशन से कम होंगी। 

साथियो, भाजपा ने आपसे ये कहा था कि देश में एक ही संविधान लागू करेंगे, जम्मू कश्मीर में भी भारतीय कानून लागू करेंगे। आज जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हट चुका है और भारत का संविधान पूरी तरह से वहां लागू है। आप मुझे बताइए 370 हटाने का वादा हमने पूरा किया कि नहीं किया, ये बड़ा निर्णय हमने किया कि नहीं किया। पूरी निष्ठा के साथ, ईमानदारी के साथ लागू किया कि नहीं किया। भाइयो-बहनो, हमने कहा था कि राम जन्मभूमि, मैं आपके इस आशीर्वाद के लिए आपको सिर झुकाकर के नमन करता हूं, ये आपके आशीर्वाद ही मेरी ताकत है, ये आशीर्वाद ही भाजपा की ताकत है, ये आशीर्वाद ही झारखंड का उज्ज्वल भविष्य बनाएंगे। भाइयो-बहनो, राम जन्मभूमि को लेकर जो विवाद सदियों से यानी 2,5 साल, 50 साल से नहीं, सदियों से चल रहा है, जिसको कांग्रेस ने जानबूझ करके उलझाया, बार-बार उलझाया। हमने कहा था, हमारे संकल्प पत्र में लिखा था कि राम जन्मभूमि विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएंगे, ये हमने कहा था, शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया कि नहीं सुलझाया? भाइयो-बहनो, अब आप खुद देख रहे हैं कि कैसे अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए सारे मार्ग खुल चुके हैं, सारी अड़चनें हट गई हैं और सब कुछ देश की एकता, देश का भाईचारा, देश का सद्भाव इसको मजबूत बनाने के रास्ते पर किया गया और देश ने दिखा दिया, देश की एकता क्या है, देश में भाईचारा क्या है, देश में सभी धर्म-संप्रदाय के लोग कैसे मिल-जुल करके रहते हैं, ये हिंदुस्तान ने दिखा दिया है, पूरी दुनिया को हिंदुस्तान ने एकता का संदेश दे दिया है। 

साथियो, हमने ये भी कहा था कि तीन तलाक ये जो कुप्रथा, इस देश में करोड़ों बहनों को नर्क का जीवन जीने के लिए मजबूर कर रही है। हम ऐसी हमारी माताओं-बहनों को इस बुराई से हम मुक्ति दिलाकर के रहेंगे। आज तीन तलाक के विरुद्ध सख्त कानून बन चुका है। इस कानून ने लाखों-करोड़ों मुस्लिम बहन-बेटियों के जीवन को सुरक्षित किया है, उन्हें जीवन की एक बड़ी चिंता से बाहर निकाला है, आप बताइए भाइयो-बहनो, मैंने वादा पूरी किया कि नहीं किया? मैंने कभी वोट बैंक की चिंता नहीं की है, लोगों की भलाई के लिए काम करने का मेरा इरादा है, किया कि नहीं किया? और कुछ लोग भ्रम में रहते हैं कि तीन तलाक से ये जो मोदी ने कानून बनाया है वो सिर्फ मुस्लिम बहनों की मदद करता है। मुस्लिम बहनों की तो मदद करता ही है, लेकिन उससे ज्यादा ये मुस्लिम भाइयों की मदद करता है। मैं समझाता हूं कैसे करता है, मुझे बताइए हर भाई, उसकी बहन तीन तलाक के कारण घर आ जाए तो उस भाई को मुसीबत होगी कि नहीं होगी? अगर मान लो कि कोई बेटी तीन तलाक के कारण घर लौट आए तो पिता को तकलीफ होगी कि नहीं होगी तो तीन तलाक के कारण सिर्फ एक बेटी पर अन्याय नहीं होता है, बेटी का भाई परेशान हो जाता है, बेटी का पिता परेशान हो जाता है, बेटी की माता परेशान हो जाती है, पूरा परिवार तबाह हो जाता है और इसलिए तीन तलाक के खिलाफ कानून ला करके हमने मुस्लिम पुरुषों की भी मदद की है। भाइयो-बहनो, बीते 6 महीने में जितने भी काम हुए हैं, जितने भी फैसले लिए गए हैं, इनमें से अनेक ऐसे थे, जो दशकों से लटके हुए थे और ये कांग्रेस का चरित्र रहा है, इन सारों को लटकाने का श्रेय कांग्रेस और उनके सहयोगियों को जाता है, जिन्होंने सबसे ज्यादा समय देश पर शासन किया है, देश पर राज किया है। ये कांग्रेस की हमेशा से रणनीति रही है कि मुश्किल फैसलों को टालते रहो, उस पर राजनीति करते रहो। कांग्रेस ने हमेशा अपनी राजनीति के बारे में सोचा है, राष्ट्रहित और राष्ट्रनीति के बारे में उन्हें सोचने में उनको बड़ी देर लग जाती है। कांग्रेस की यही राजनीति है जिसके कारण सात दशक के बाद भी भारत के समाज में अनेक नई मुश्किलें आती हैं, दरारें खड़ी हो जाती हैं, दरारें दिखने लगती हैं। 

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साथियो, पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की मांग कई वर्षों से चल रही थी। कांग्रेस की सरकारें आती थीं, चुनाव के समय वादे करती थीं, ओबीसी के नेताओं के साथ फोटो निकलवाती थीं और चुनाव गया तो भूल जाती थीं और कांग्रेस उसको लटकाए रखती थी कि हर चुनाव में भुनाया जा सके, यही इनकी स्वार्थ की नीति थी। लेकिन भाजपा ने पिछड़े वर्ग-ओबीसी की समस्याओं को सुलझाने के लिए इस आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया ताकि पिछड़ों को इंसाफ मिल सके। आपने देखा होगा लोग झूठ फैलाते रहते हैं, मोदी आएगा, भाजपा आएगी तो अनामत जाएगीआरक्षण जाएगा। अभी पार्लियामेंट में हमने एससी-एसटी के आरक्षण को दस साल बढ़ाने का निर्णय हमारी सरकार ने कर दिया, ये हमारी राष्ट्रनीति का हिस्सा है। साथियो, सामान्य वर्ग के गरीब साथियों को आरक्षण मिले, हर परिवार से मांग उठती थी। सामान्य वर्ग का हर गरीब सालों से मांग कर रहा था, आंदोलन कर रहा था, लेकिन कांग्रेस जायज मांगों को भी टालती रही, दबाती रही, लटकाती रही। ये कांग्रेस और उसके सहयोगियों की स्वार्थनीति का परिणाम है। भाजपा ने गरीब के हित में सामान्य वर्ग के गरीब को भी दस प्रतिशत आरक्षण दे दिया। मिला कि नहीं मिला, निर्णय हुआ कि नहीं हुआ? सामान्य वर्ग को भी न्याय मिला कि नहीं मिला? यही हमारी राष्ट्रनीति है। साथियो, आदिवासियों के लिए अलग मंत्रालय बनाने की मांग भी दशकों से चल रही थी, लेकिन इसको पूरा करने का काम भी जब अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री बने, भाजपा की सरकार बनी तब कर पाए, उसके पहले कांग्रेस को आदिवासी समाज की चिंता नहीं थी। भाइयो-बहनोइसी तरह अलग झारखंड के निर्माण के लिए भी अगर वर्षों तक यातनाएं झेलनी पड़ीं, गोलियां बरसाई गईं, जुल्म किए गए, खून-खराबा हुआ, लोगों को जेलों में डाला गया, लोगों को अपनों को खोना पड़ा तो ये मुसीबत का कारण भी कांग्रेस पार्टी रही है, उनके साथी रहे हैं, जो स्वार्थ के लिए राजनीतिक आंदोलनों की बाते करते रहे हैं। आजादी के बाद से ही यहां का जनजातीय समाज, यहां का पिछड़ा समाज अलग राज्य की मांग कर रहा था, लेकिन कांग्रेस ने अपने राजनीतिक हितों को ऊपर रखा, आपकी बात नहीं सुनी और पांच दशक तक आपके लिए अलग झारखंड नहीं बनाया। और कुछ लोग तो कहते थे कि झारखंड मेरी लाश पर बनेगा, आज वही लोग आपके वोट मांगने निकले हैं, ऐसे झूठ बोलने वालों को माफ कर सकते हैं क्या, झारखंड का विरोध करने वालों को स्वीकार कर सकते हैं क्या? झारखंड के मुद्दे को लटकाए रखने वालों को माफ कर सकते हैं क्या?

भाइयो-बहनो, बाबू राम नारायण सिंह जी, जयपाल मुंडा जी और विनोद बिहारी महतो जी जैसे सेनानियों के संघर्ष को कांग्रेस ने कभी सम्मान नहीं दिया। उनकी आवाज को दबाने के लिए छल- कपट का सहारा लिया गया, लेकिन भाजपा ने इस संघर्ष का भी सम्मान किया और इससे जुड़े सेनानियों का भी सम्मान किया और जब भाजपा को पहली बार दिल्ली में आपने अवसर दिया तो आपसे किया गया अलग झारखंड का वादा भी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने पूरा कर दिया। इतना ही नहीं झारखंड आंदोलन के प्रणेता रहे विनोद बिहारी महतो जी के नाम पर विश्वविद्यालय का नामकरण करने का काम भी भाजपा की सरकार ने किया ताकि झारखंड की युवा पीढ़ी को आने वाली सदियों तक प्रेरणा मिलती रहे। साथियो, अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए राष्ट्र का अहित करने वाली कांग्रेस की सोच का आज मैं एक और उदाहरण आपको देना चाहता हूं। 1947 में जब देश आजाद हुआ, जब भारत के टुकड़े हो गए, माता को आजाद कराने के लिए भारत मां की भुजाएं काट दी गईं और 1971 में बांग्लादेश का निर्माण हुआ। दोनों बार सबसे अधिक प्रभावित कौन हुए? दोनों बार सबसे अधिक प्रभावित वो लोग हुए जो पाकिस्तान में, बांग्लादेश में, अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक थे, जिनका ध्यान रखने का समझौता हुआ था। ये अल्पसंख्यक, पाकिस्तान में अल्पसंख्यक कौन है, बांग्लादेश में अल्पसंख्यक कौन है, अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक कौन है। इन अल्पसंख्यकों को और उनमें अधिकतर हिंदू थे, सिख थे, बौद्ध थे, जैन थे, ईसाई संप्रदाय के लोग थे, पारसी लोग थे, ये लोग अनेकों पीढ़ियों से वहां रह रहे थे, वो कहीं और से वहां आकर नहीं बसे थे। इन लोगों ने अलग देश की मांग भी नहीं की थी, उन पर तो ये फैसला सन 47 में थोपा गया था, हिंदुओं में भी अधिकतर दलित परिवारों के लोग थे जो विभाजन के बाद पाकिस्तान में रह गए थे और ये वो लोग थे, जो वहां साफ-सफाई का काम करते थे। जिनको पाकिस्तान के जमींदारों ने वहां सेवा के लिए, काम-काज के लिए रखा था। वहां जो दलित, वंचित, शोषित रह गए थे, उनके साथ अमानवीय बर्ताव हुआ, उनके मंदिरों पर कब्जा किए गए। गुरुद्वारा हो, चर्च हो, हर तीर्थ केंद्र, हर श्रद्धा केंद्र संकट में आ गया। घर तो उनके पास क्या थे, झोपड़ियों में जिंदगी गुजारते थे, उन पर भी कब्जा कर लिया, बहू-बेटियों के साथ दिन-दहाड़े अत्याचार हुए। यही स्थिति वहां रहने वाले सिख परिवारों की हुई। ऐसे लाखों साथी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए। दशकों से वो भारत के अलग-अलग स्थानों पर रह रहे हैं, अनधिकृत रूप से रहते हैं, उनको राजनीति के लिए उपयोग तो किया गया, लेकिन उन्हें नागरिकता को लेकर सिर्फ वादे मिले और आप अखबार निकाल लीजिए, हर चुनाव के पहले कांग्रेस के किसी ना किसी नेता ने, कांग्रेस की किसी ना किसी इकाई ने ये बयान दिया है। पुराने अखबार निकाल लेना, उन्होंने वादे किए हैं कि हमारी सरकार बनेगी तो बांग्लादेश, पाकिस्तान से आए हुए जो विस्थापित हैं उनको हम नागरिक अधिकार देंगे, हिंदू को देंगे, सिख को देंगे, ऐसा भी कहा है लेकिन कल आपने देखा फिर पलट गए।

भाइयो-बहनो, जिस गरीबी, गंदगी और उपेक्षा में हमारे भाई-बहन पाकिस्तान में थे, कांग्रेस की सरकारों ने यहां भी उनके साथ यही बर्ताव किया। भाइयो-बहनो, दस साल पहले जब अफगानिस्तान में तालिबान के हमले बढ़े तो दर्जनों ईसाई परिवार भी अपनी जान बचाकर हिंदुस्तान आए, भारत इसलिए आए, क्योंकि उनके पुरखे भी इसी धरती से जुड़े हुए थे, लेकिन इन लोगों का भारत में आने के बाद कांग्रेस की सरकार ने साथ नहीं दिया। ऐसे ईसाई परिवार आज भी बहुत ही दयनीय स्थिति में जिंदगी गुजार रहे हैं। साथियो, आज जब ऐसे लाखों गरीब, प्रताड़ित, वंचित, शोषित, दलित परिवार, सिख परिवार, ईसाई परिवार उनको भाजपा ने अपने वादे के अनुसार नागरिकता देने का कानून बनाया तो कांग्रेस और उसके साथी उसका भी विरोध कर रहे हैं। आप मुझे बताइए भाइयो-बहनो, उनको न्याय मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए, उनको भारत में शरण मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? उनको अधिकार मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए? भाइयो-बहनो, आपने अब कांग्रेस को भलीभांति पहचान लिया है, कांग्रेस सिर्फ और सिर्फ, कांग्रेस और उनके सहयोगियों की स्वार्थ नीति है, वोट बैंक की चिंता है। इनको पता है कि दलितों, वंचितों, आदिवासियों, पिछड़ों ने इनको ठुकरा दिया है, इसलिए एक वोटबैंक इनको अपना आखिरी सहारा दिख रहा है। इसके लिए वो इस देश के करोड़ों मुस्लिम साथियों से भी छल कर रहे हैं, उनसे झूठ बोल रहे हैं। साथियो, ये जो नागरिकता के कानून में संशोधन हुआ है, इसका भारत के नागरिक, जो हमारे मुसलमान भाई हैं, इस कानून से इस देश का हिंदू है, मुसलमान है, ईसाई है, पारसी है, बौद्ध है, जैन है जो पहले से भारत का नागरिक है, उनको इससे कोई लेना-देना ही नहीं है, उन पर इसका कोई प्रभाव नहीं है, लेकिन झूठ बोले जा रहे हैं। भाइयो-बहनो, इसी तरह की राजनीति के लिए ही कांग्रेस और उसके साथी नार्थ-ईस्ट में भी आग लगाने की कोशिश कर रहे हैं। वहां भ्रम फैलाया जा रहा है कि बांग्लादेश से बड़ी संख्या में लोग आ जाएंगे, जबकि कानून पहले से ही भारत आ चुके शरणार्थियों की नागरिकता के लिए है। 31 दिसंबर 2014 तक जो शरणार्थी भारत आए उन शरणार्थियों को ही इस व्यवस्था में रखा गया है। इतना ही नहीं नार्थ-ईस्ट के करीब-करीब सभी राज्य इस कानून के दायरे से बाहर हैं लेकिन फिर भी कांग्रेस और उनके सहयोगी दल जिनकी राजनीति घुसपैठियों के समर्थन से चलती है वो वहां भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। 

भाइयो-बहनो, यहां से ये देवघर बाबा धाम बहुत दूर नहीं है, भोले बाबा की इस धरती से मैं नार्थ-ईस्ट और पूर्वी भारत के असम सहित हर राज्य, हर जनजातीय समाज को आश्वस्त करना चाहता हूं। असम सहित नॉर्थ-ईस्ट के अलग-अलग क्षेत्र की परंपराओं, वहां की संस्कृति, वहां की भाषा को मान-सम्मान देना, उसे संरक्षण देना, उसे और समृद्ध करना, ये भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिकता है, मोदी सरकार की प्राथमिकता है। हम नॉर्थ-ईस्ट के क्षेत्रीय दलों, वहां के स्थानीय संगठनों, कमेटियों, काउंसलरों के साथ मिलकर वहां के विकास के लिए काम कर रहे हैं और हमेशा करते रहेंगे। नॉर्थ-ईस्ट में कनेक्टिविटी के काम हों, हाईवे हो, रेलवे हो, एयरपोर्ट हो, हेलिपैड हो, अस्पतालों का निर्माण हो, आधुनिकीकरण हो, शिक्षा से जुड़े अच्छे संस्थान हों, मोबाइल टॉवर लगाने का काम हो, यानि हर वो काम जो नॉर्थ-ईस्ट के लोगों की जिंदगी आसान बनाए, उसे हम अपना दायित्व समझकर, अपनी बड़ी जिम्मेदारी समझकर पूरी निष्ठा के साथ निभा रहे हैं। देश के जितने प्रधानमंत्री, सब के सब मिलकर के जितनी बार असम या नॉर्थ-ईस्ट गए होंगे, उससे ज्यादा बार मैं अकेला गया हूं। भारत सरकार का हर मंत्री, महीने में दो बार कोई ना कोई मंत्री नॉर्थ-ईस्ट में जाकर के रात्रि में रुक करके वहां की समस्याएं समझने की कोशिश लगातार पांच वर्ष करते रहे हैं, हम तो एक्ट ईस्ट पॉलिसी पर काम कर रहे हैं। नॉर्थ-ईस्ट समेत पूर्वी भारत को जिसे कांग्रेस में अपने हाल पर छोड़ दिया था, हम उसे भारत के विकास का ग्रोथ इंजन बनाने का काम कर रहे हैं। मैं आज इस मंच से नॉर्थ-ईस्ट के, विशेषकर के असम के अपने भाइयों-बहनों को, अपने युवा साथियों को अपील करता हूं कि आप अपने इस सेवक पर, अपने इस मोदी पर विश्वास रखिए। मैं नॉर्थ-ईस्ट के भाइयों-बहनों की किसी परंपरा, भाषा, रहन-सहन, संस्कृति, किसी पर आंच नहीं आने दूंगा, उनके हकों पर कोई आंच नहीं आने दूंगा। उनके भविष्य को और निखारने के लिए अपने आप को खपा दूंगा, उनके भविष्य के सामने कभी सवालिया निशान नहीं पैदा होने दूंगा। वहां के नौजवानों के उज्ज्वल भविष्य के लिए भारत सरकार पूरी ताकत से कंधे से कंधा मिलाकर आपके साथ काम करेगी। मैं आग्रह करूंगा उनसे कि कांग्रेस और उनके साथियों के बहकावे में ना आएं, किसी तरह के झूठ के जाल में न फंसें, खासकर के मैं असम के मेरे नौजवान साथियों को, भाइयों को, बहनों को भरोसा दिलाता हूं, उनको किसी प्रकार की चिंता करने की जरूरत नहीं है, कोई भी उनके अधिकारों को नहीं छीन सकता है। उनके राजनीतिक हक, उनकी सांस्कृतिक विरासत, उनकी भाषा, इन सबको क्लॉज 6 के स्पिरिट के अनुसार पूरी तरह से सेफगार्ड किया जाएगा। हम सबको असम की संस्कृति पर बहुत गर्व है। 

भाइयो-बहनो, कांग्रेस और उसके साथियो को, उनकी डिक्शनरी में कभी भी जनहित शब्द ही नहीं है, उन्होंने हमेशा स्वहित के लिए, परिवार हित के लिए काम किया है, इनकी राजनीति रही है लूटो और लटकाओ। यही कारण है कि भाइयो-बहनो, काले सोने पर बैठा ये धनबाद और ये पूरा इलाका संपदा से जितना समृद्ध है उतनी ही अधिक गरीबी यहां बनी रही है। भाइयो-बहनो, कल जब पार्लियामेंट में वोटिंग हुई तो आपने देखा होगा वोटिंग कैसे हुई। हमारे यहां सवा को शुभ माना जाता है, कोई भी काम करते हैं तो उसको सवा। आपने देखा होगा, कल हम लोगों को सवा सौ वोट मिले और 99 का फेरा बहुत बुरा माना जाता है, ये षड्यंत्रकारी मानसिकता लेकर चलने वाले लोग 99 के फेरे में फंस गए हैं। भाइयो-बहनो, यहां से निकले कोयले पर कांग्रेस-जेएमएम के नेताओं ने, इनके रिश्तेदारों ने, दोस्तों ने अपने लिए महल खड़े कर दिए लेकिन यहां की जनता को झोपड़ियों में रहने के लिए मजबूर कर दिया। अब भाजपा सरकार ने हर गरीब बेघर परिवार को अपना पक्का घर दिलाने का बीड़ा उठाया है। झारखंड में दस लाख ऐसे घर बन चुके हैं जिनको अभी घर नहीं मिले हैं, उनको भी 2022 तक अपना घर मिल जाएगा, ये आश्वासन मैं आपको दे रहा हूं। 2022 के बाद किसी को भी झुग्गी-झोपड़ी में नहीं रहना पड़ेगा, पक्का घर हर परिवार को, ये मेरा आपको वादा है। 

साथियो, कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने अगर धनबाद को, देवघर को, झारखंड को कुछ दिया है तो क्या दिया है धूल, धुआं और धोखा। यही कांग्रेस और उसके जेएमएम जैसे साथियों ने आपको दिया है। यहां से कोयला निकलता रहा, लेकिन यहां की जनता को प्रदूषण में छोड़ दिया गया, सुविधाओं के अभाव में छोड़ दिया गया। जब आपने दिल्ली और रांची में भाजपा सरकार बनाई तब जाकर डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड बना, इसका फायदा क्या हुआ। साथियो, अब यहां से निकलने वाले कोयले से होने वाली आय का एक हिस्सा यहीं पर खर्च होने लगा है। बहुत कम समय में ही पांच हजार करोड़ रुपए इसके तहत झारखंड को मिले हैं, आज जो यहां पानी की पाइप लाइन बिछ रही है, बीते पांच वर्ष में अगर पाइपलाइन से कनेक्टिविटी दो गुनी हुई है तो इसमें इस फंड का बहुत बड़ा योगदान है। भाइयो-बहनो, कांग्रेस और उसके साथियों ने आपको विकास के लिए गिड़गिड़ाने और तरसाने के लिए छोड़ दिया था, इन दलों ने इस क्षेत्र को सिर्फ विस्थापन का दर्द दिया लेकिन भाजपा सरकार ने विस्थापितों के रोजगार के लिए, इनके जीवन को गरिमापूर्ण बनाने के लिए लगातार कोशिश की है। यहां आईआईटी की मांग आप करते रहे हैं, लेकिन पूरा किया भाजपा सरकार ने, यहां पासपोर्ट केंद्र की मांग की थी, ये मांग पूरी की भाजपा सरकार ने, देवघर में एम्स की मांग कब से हो रही थी, इस मांग को भी पूरा किया भाजपा सरकार ने, झारखंड में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की मांग कब से थी, लेकिन इसे पूरा किया भाजपा सरकार ने। साथियो, 2014 से पहले जहां झारखंड में सिर्फ तीन मेडिकल कॉलेज थे, वहीं अब सात मेडिकल कॉलेज का मार्ग बना है, इतना ही नहीं गांवों में खुले अटल क्लीनिक यहां गरीब को सेवा दे रहे हैं। इसी तरह हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का भी व्यापक विस्तार किया जा रहा है और आयुष्मान भारत योजना की तो यहीं झारखंड से शुरुआत हुई थी, पूरे देश के लिहाज से शुरू किया था। झारखंड के लाखों परिवार को अब आयुष्मान भारत योजना के तहत पांच लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिलने लगा है। 

साथियो, कांग्रेस और उसके साथियो के पास सोच और संकल्प दोनों की कमी है, उन्होंने यहां नक्सलवाद को हवा दी, यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान नहीं दिया। यही कारण है इनके शासनकाल में यहां नए उद्योग तो आए नहीं, बल्कि पुराने भी बंद हो गए। भारत कोकिंग कोल लिमिटेड के साथ क्या-क्या हुआ ये आप भलीभांति जानते हैं, सिंदरी के खाद कारखाने के साथ इन्होंने क्या किया, कैसे इनकी गलत नीतियों के कारण यहां हजारों लोग बेरोजगार हो गए इससे भी आप भलीभांति परिचित हैं। मुझे संतोष है कि हमारी सरकार द्वारा सिंदरी के खाद कारखाने को फिर से शुरू करने का फैसला लिया गया और अब इस पर तेजी से काम चल रहा है। एक बार जब ये कारखाना पूरी तरह से शुरू हो जाएगा तो यहां के हजारों युवाओं को रोजगार भी मिलेगा और यहां के किसानों को पर्याप्त और सस्ता यूरिया भी मिलेगा। भाइयो-बहनो, भाजपा की सरकार इस कारखाने को इसलिए पुनर्जीवित कर पा रही है क्योंकि हमने झारखंड तक गैस पहुंचाने के लिए एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट शुरू किया है। पश्चिम बंगाल के हल्दिया से यहां गैस पहुंचाई जा रही है, इस गैस पाइपलाइन से खाद कारखाने की जरूरत भी पूरी होगी, यहां की गाड़ियां धुआंरहित भी होंगी और घरों में भी पाइप के रास्ते भी सस्ती गैस पहुंच पाएगी। साथियो, ऐसी संपूर्ण व्यवस्था और विकास का रास्ता तभी दिखता है जब आप राष्ट्रहित को, जनहित को सामने रखते हैं। इसी सोच के साथ ही भाजपा इस क्षेत्र की कनेक्टिविटी पर भी गंभीरता से काम कर रही हैआज इस क्षेत्र के गांव-गांव में सड़क और बिजली पहुंच रही है, शहरों में सड़कें चौड़ी हो रही हैं, गलियों में स्ट्रीट लाइट लगाई जा रही है। रायपुर से धनबाद वाया गुमला-रांची आर्थिक कॉरिडोर के तहत यहां सड़कें चौड़ी की गई हैं। रेलवे का अभूतपूर्व विस्तार इस क्षेत्र में किया जा रहा है, झारखंड में रेलवे के विस्तार पर बीते पांच वर्षों में करीब 40 हजार करोड़ रुपए के काम हमने स्वीकृत किए हैं। यहां तक कि यहां की हवाई कनेक्टिविटी के लिए भी बड़ी तेजी से काम किया जा रहा है, देवघर सहित झारखंड के पुराने एयरपोर्ट्स को आधुनिक बनाने और उनके विस्तारीकरण पर काम किया जा रहा है, सौभाग्य से ये सभा भी एयरपोर्ट पर ही हो रही है। हमारा प्रयास है कि ऐसे अनेक एयरपोर्ट्स को भविष्य में उड़ान योजना के तहत लाया जाए ताकि सामान्य से सामान्य परिवार को भी हवाई यात्रा की सुविधा मिल सके। भाइयो-बहनो, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के ये काम तभी तेजी से होंगे जब अगले पांच वर्ष भी यहां भाजपा की सरकार होगी। यहां के गरीब को, बेघर को, अपना पक्का घर तेजी से मिल सकेगा, जब यहां भाजपा की मजबूत सरकार होगी, यहां के युवाओं को रोजगार के नए अवसर तभी मिल सकेंगे, जब यहां कमल के निशान को ताकत मिलेगी। यहां सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास से सरकार तभी चल पाएगी जब यहां सरकार भारतीय जनता पार्टी की होगी क्योंकि भाजपा जो संकल्प लेती है उसे सिद्ध भी करती है और इसलिए आज भी जो हम कह रहे हैं उसको हम करके रहेंगे।  

भाइयो-बहनो, आप ध्यान रखिए, ये चुनाव सिर्फ विधायक बनाने के लिए नहीं है, ये आपके बच्चों के भविष्य को निर्धारित करने वाला चुनाव है। आज गलती से भी गलत जगह बटन दब गया तो अस्थिरता और लूट के वो पुराने दिन वापस आ जाएंगे और इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं, कमल के फूल वाला बटन ही दबाना है। ये बातें आने वाले दिनों में अपने हर रिश्तेदार, हर दोस्त, हर घर तक पहुंचानी है। भाइयो-बहनो, मैं बोलूंगा आप मेरे साथ बोलेंगे, झारखंड पुकारा भाजपा दोबारा, झारखंड पुकारा भाजपा दोबारा, झारखंड पुकारा भाजपा दोबारा, भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय, बहुत-बहुत धन्यवाद।     

  • krishangopal sharma Bjp January 13, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷
  • krishangopal sharma Bjp January 13, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹
  • krishangopal sharma Bjp January 13, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷
  • Reena chaurasia August 26, 2024

    जय हो
  • Reena chaurasia August 26, 2024

    बीजेपी
  • Babla sengupta December 28, 2023

    Babla sengupta
  • Mahendra singh Solanki Loksabha Sansad Dewas Shajapur mp November 06, 2023

    नमो नमो नमो नमो नमो
  • Laxman singh Rana June 22, 2022

    नमो नमो 🇮🇳🌷
  • Laxman singh Rana June 22, 2022

    नमो नमो 🇮🇳
  • शिवकुमार गुप्ता February 03, 2022

    जय भारत
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Urban areas are our growth centres, we will have to make urban bodies growth centres of economy: PM Modi in Gandhinagar
May 27, 2025
QuoteTerrorist activities are no longer proxy war but well thought out strategy, so the response will also be in a similar way: PM
QuoteWe believe in ‘Vasudhaiva Kutumbakam’, we don’t want enemity with anyone, we want to progress so that we can also contribute to global well being: PM
QuoteIndia must be developed nation by 2047,no compromise, we will celebrate 100 years of independence in such a way that whole world will acclaim ‘Viksit Bharat’: PM
QuoteUrban areas are our growth centres, we will have to make urban bodies growth centres of economy: PM
QuoteToday we have around two lakh Start-Ups ,most of them are in Tier2-Tier 3 cities and being led by our daughters: PM
QuoteOur country has immense potential to bring about a big change, Operation sindoor is now responsibility of 140 crore citizens: PM
QuoteWe should be proud of our brand “Made in India”: PM

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

क्यों ये सब तिरंगे नीचे हो गए हैं?

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

मंच पर विराजमान गुजरात के गवर्नर आचार्य देवव्रत जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्र में मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी मनोहर लाल जी, सी आर पाटिल जी, गुजरात सरकार के अन्य मंत्री गण, सांसदगण, विधायक गण और गुजरात के कोने-कोने से यहां उपस्थित मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

मैं दो दिन से गुजरात में हूं। कल मुझे वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद और आज सुबह-सुबह गांधी नगर, मैं जहां-जहां गया, ऐसा लग रहा है, देशभक्ति का जवाब गर्जना करता सिंदुरिया सागर, सिंदुरिया सागर की गर्जना और लहराता तिरंगा, जन-मन के हृदय में मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम, एक ऐसा नजारा था, एक ऐसा दृश्य था और ये सिर्फ गुजरात में नहीं, हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में है। हर हिन्दुस्तानी के दिल में है। शरीर कितना ही स्वस्थ क्यों न हो, लेकिन अगर एक कांटा चुभता है, तो पूरा शरीर परेशान रहता है। अब हमने तय कर लिया है, उस कांटे को निकाल के रहेंगे।

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साथियों,

1947 में जब मां भारती के टुकड़े हुए, कटनी चाहिए तो ये तो जंजीरे लेकिन कांट दी गई भुजाएं। देश के तीन टुकड़े कर दिए गए। और उसी रात पहला आतंकवादी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ। मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर, मुजाहिदों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की इच्छा थी कि पीओके वापस नहीं आता है, तब तक सेना रूकनी नहीं चाहिए। लेकिन सरदार साहब की बात मानी नहीं गई और ये मुजाहिदीन जो लहू चख गए थे, वो सिलसिला 75 साल से चला है। पहलगाम में भी उसी का विकृत रूप था। 75 साल तक हम झेलते रहे हैं और पाकिस्तान के साथ जब युद्ध की नौबत आई, तीनों बार भारत की सैन्य शक्ति ने पाकिस्तान को धूल चटा दी। और पाकिस्तान समझ गया कि लड़ाई में वो भारत से जीत नहीं सकते हैं और इसलिए उसने प्रॉक्सी वार चालू किया। सैन्‍य प्रशिक्षण होता है, सैन्‍य प्रशिक्षित आतंकवादी भारत भेजे जाते हैं और निर्दोष-निहत्थे लोग कोई यात्रा करने गया है, कोई बस में जा रहा है, कोई होटल में बैठा है, कोई टूरिस्‍ट बन कर जा रहा है। जहां मौका मिला, वह मारते रहे, मारते रहे, मारते रहे और हम सहते रहे। आप मुझे बताइए, क्या यह अब सहना चाहिए? क्या गोली का जवाब गोले से देना चाहिए? ईट का जवाब पत्थर से देना चाहिए? इस कांटे को जड़ से उखाड़ देना चाहिए?

साथियों,

यह देश उस महान संस्कृति-परंपरा को लेकर चला है, वसुधैव कुटुंबकम, ये हमारे संस्कार हैं, ये हमारा चरित्र है, सदियों से हमने इसे जिया है। हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। हम अपने पड़ोसियों का भी सुख चाहते हैं। वह भी सुख-चैन से जिये, हमें भी सुख-चैन से जीने दें। ये हमारा हजारों साल से चिंतन रहा है। लेकिन जब बार-बार हमारे सामर्थ्य को ललकारा जाए, तो यह देश वीरों की भी भूमि है। आज तक जिसे हम प्रॉक्सी वॉर कहते थे, 6 मई के बाद जो दृश्य देखे गए, उसके बाद हम इसे प्रॉक्सी वॉर कहने की गलती नहीं कर सकते हैं। और इसका कारण है, जब आतंकवाद के 9 ठिकाने तय करके 22 मिनट में साथियों, 22 मिनट में, उनको ध्वस्त कर दिया। और इस बार तो सब कैमरा के सामने किया, सारी व्यवस्था रखी थी। ताकि हमारे घर में कोई सबूत ना मांगे। अब हमें सबूत नहीं देना पड़ रहा है, वो उस तरफ वाला दे रहा है। और मैं इसलिए कहता हूं, अब यह प्रॉक्सी वॉर नहीं कह सकते इसको क्योंकि जो आतंकवादियों के जनाजे निकले, 6 मई के बाद जिन का कत्ल हुआ, उस जनाजे को स्टेट ऑनर दिया गया पाकिस्तान में, उनके कॉफिन पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, उनकी सेना ने उनको सैल्यूट दी, यह सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधियां, ये प्रॉक्सी वॉर नहीं है। यह आप की सोची समझी युद्ध की रणनीति है। आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा। हम अपने काम में लगे थे, प्रगति की राह पर चले थे। हम सबका भला चाहते हैं और मुसीबत में मदद भी करते हैं। लेकिन बदले में खून की नदियां बहती हैं। मैं नई पीढ़ी को कहना चाहता हूं, देश को कैसे बर्बाद किया गया है? 1960 में जो इंडस वॉटर ट्रीटी हुई है। अगर उसकी बारीकी में जाएंगे, तो आप चौक जाएंगे। यहाँ तक तय हुआ है उसमें, कि जो जम्मू कश्मीर की अन्‍य नदियों पर डैम बने हैं, उन डैम का सफाई का काम नहीं किया जाएगा। डिसिल्टिंग नहीं किया जाएगा। सफाई के लिए जो नीचे की तरफ गेट हैं, वह नहीं खोले जाएंगे। 60 साल तक यह गेट नहीं खोले गए और जिसमें शत प्रतिशत पानी भरना चाहिए था, धीरे-धीरे इसकी कैपेसिटी काम हो गई, 2 परसेंट 3 परसेंट रह गया। क्या मेरे देशवासियों को पानी पर अधिकार नहीं है क्या? उनको उनके हक का पानी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए क्या? और अभी तो मैंने कुछ ज्यादा किया नहीं है। अभी तो हमने कहा है कि हमने इसको abeyance में रखा है। वहां पसीना छूट रहा है और हमने डैम थोड़े खोल करके सफाई शुरू की, जो कूड़ा कचरा था, वह निकाल रहे हैं। इतने से वहां flood आ जाता है।

साथियों,

हम किसी से दुश्मनी नहीं चाहते हैं। हम सुख-चैन की जिंदगी जीना चाहते हैं। हम प्रगति भी इसलिए करना चाहते हैं कि विश्व की भलाई में हम भी कुछ योगदान कर सकें। और इसलिए हम एकनिष्ठ भाव से कोटि-कोटि भारतीयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। कल 26 मई था, 2014 में 26 मई, मुझे पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला। और तब भारत की इकोनॉमी, दुनिया में 11 नंबर पर थी। हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, हमने पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेली, हमने प्राकृतिक आपदा भी झेली। इन सब के बावजूद भी इतने कम समय में हम 11 नंबर की इकोनॉमी से चार 4 नंबर की इकोनॉमी पर पहुंच गए क्योंकि हमारा ये लक्ष्य है, हम विकास चाहते हैं, हम प्रगति चाहते हैं।

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और साथियों,

मैं गुजरात का ऋणी हूं। इस मिट्टी ने मुझे बड़ा किया है। यहां से मुझे जो शिक्षा मिली, दीक्षा मिली, यहां से जो मैं आप सबके बीच रहकर के सीख पाया, जो मंत्र आपने मुझे दिए, जो सपने आपने मेरे में संजोए, मैं उसे देशवासियों के काम आए, इसके लिए कोशिश कर रहा हूं। मुझे खुशी है कि आज गुजरात सरकार ने शहरी विकास वर्ष, 2005 में इस कार्यक्रम को किया था। 20 वर्ष मनाने का और मुझे खुशी इस बात की हुई कि यह 20 साल के शहरी विकास की यात्रा का जय गान करने का कार्यक्रम नहीं बनाया। गुजरात सरकार ने उन 20 वर्ष में से जो हमने पाया है, जो सीखा है, उसके आधार पर आने वाले शहरी विकास को next generation के लिए उन्होंने उसका रोडमैप बनाया और आज वो रोड मैप गुजरात के लोगों के सामने रखा है। मैं इसके लिए गुजरात सरकार को, मुख्यमंत्री जी को, उनकी टीम को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

हम आज दुनिया की चौथी इकोनॉमी बने हैं। किसी को भी संतोष होगा कि अब जापान को भी पीछे छोड़ कर के हम आगे निकल गए हैं और मुझे याद है, हम जब 6 से 5 बने थे, तो देश में एक और ही उमंग था, बड़ा उत्साह था, खासकर के नौजवानों में और उसका कारण यह था कि ढाई सौ सालों तक जिन्होंने हम पर राज किया था ना, उस यूके को पीछे छोड़ करके हम 5 बने थे। लेकिन अब चार बनने का आनंद जितना होना चाहिए उससे ज्यादा तीन कब बनोगे, उसका दबाव बढ़ रहा है। अब देश इंतजार करने को तैयार नहीं है और अगर किसी ने इंतजार करने के लिए कहा, तो पीछे से नारा आता है, मोदी है तो मुमकिन है।

और इसलिए साथियों,

एक तो हमारा लक्ष्य है 2047, हिंदुस्तान विकसित होना ही चाहिए, no compromise… आजादी के 100 साल हम ऐसे ही नहीं बिताएंगे, आजादी के 100 साल ऐसे मनाएंगे, ऐसे मनाएंगे कि दुनिया में विकसित भारत का झंडा फहरता होगा। आप कल्पना कीजिए, 1920, 1925, 1930, 1940, 1942, उस कालखंड में चाहे भगत सिंह हो, सुखदेव हो, राजगुरु हो, नेताजी सुभाष बाबू हो, वीर सावरकर हो, श्यामजी कृष्ण वर्मा हो, महात्मा गांधी हो, सरदार पटेल हो, इन सबने जो भाव पैदा किया था और देश की जन-मन में आजादी की ललक ना होती, आजादी के लिए जीने-मरने की प्रतिबद्धता ना होती, आजादी के लिए सहन करने की इच्छा शक्ति ना होती, तो शायद 1947 में आजादी नहीं मिलती। यह इसलिए मिली कि उस समय जो 25-30 करोड़ आबादी थी, वह बलिदान के लिए तैयार हो चुकी थी। अगर 25-30 करोड़ लोग संकल्पबद्ध हो करके 20 साल, 25 साल के भीतर-भीतर अंग्रेजों को यहां से निकाल सकते हैं, तो आने वाले 25 साल में 140 करोड़ लोग विकसित भारत बना भी सकते हैं दोस्तों। और इसलिए 2030 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, मैं समझता हूं कि हमने अभी से 30 में होंगे, 35… 35 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, हमने अभी से नेक्स्ट 10 ईयर का पहले एक प्लान बनाना चाहिए कि जब गुजरात के 75 होंगे, तब गुजरात यहां पहुंचेगा। उद्योग में यहां होगा, खेती में यहां होगा, शिक्षा में यहां होगा, खेलकूद में यहां होगा, हमें एक संकल्प ले लेना चाहिए और जब गुजरात 75 का हो, उसके 1 साल के बाद जो ओलंपिक होने वाला है, देश चाहता है कि वो ओलंपिक हिंदुस्तान में हो।

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और इसलिए साथियों,

जिस प्रकार से हमारा यह एक लक्ष्य है कि हम जब गुजरात के 75 साल हो जाए। और आप देखिए कि जब गुजरात बना, उस समय के अखबार निकाल दीजिए, उस समय की चर्चाएं निकाल लीजिए। क्या चर्चाएं होती थी कि गुजरात महाराष्ट्र से अलग होकर क्या करेगा? गुजरात के पास क्या है? समंदर है, खारा पाठ है, इधर रेगिस्तान है, उधर पाकिस्तान है, क्या करेगा? गुजरात के पास कोई मिनरल्स नहीं, गुजरात कैसे प्रगति करेगा? यह ट्रेडर हैं सारे… इधर से माल लेते हैं, उधर बेचते हैं। बीच में दलाली से रोजी-रोटी कमा करके गुजारा करते हैं। क्‍या करेंगे ऐसी चर्चा थी। वही गुजरात जिसके पास एक जमाने में नमक से ऊपर कुछ नहीं था, आज दुनिया को हीरे के लिए गुजरात जाना जाता है। कहां नमक, कहां हीरे! यह यात्रा हमने काटी है। और इसके पीछे सुविचारित रूप से प्रयास हुआ है। योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाएं हैं। हमारे यहां आमतौर पर गवर्नमेंट के मॉडल की चर्चा होती है कि सरकार में साइलोज, यह सबसे बड़ा संकट है। एक डिपार्टमेंट दूसरे से बात नहीं करता है। एक टेबल वाला दूसरे टेबल वाले से बात नहीं करता है, ऐसी चर्चा होती है। कुछ बातों में सही भी होगा, लेकिन उसका कोई सॉल्यूशन है क्या? मैं आज आपको बैकग्राउंड बताता हूं, यह शहरी विकास वर्ष अकेला नहीं, हमने उस समय हर वर्ष को किसी न किसी एक विशेष काम के लिए डेडिकेट करते थे, जैसे 2005 में शहरी विकास वर्ष माना गया। एक साल ऐसा था, जब हमने कन्या शिक्षा के लिए डेडिकेट किया था, एक वर्ष ऐसा था, जब हमने पूरा टूरिज्म के लिए डेडिकेट किया था। इसका मतलब ये नहीं कि बाकी सब काम बंद करते थे, लेकिन सरकार के सभी विभागों को उस वर्ष अगर forest department है, तो उसको भी अर्बन डेवलपमेंट में वो contribute क्या कर सकता है? हेल्थ विभाग है, तो अर्बन डेवलपमेंट ईयर में वो contribute क्या कर सकता है? जल संरक्षण मंत्रालय है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? टूरिज्म डिपार्टमेंट है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? यानी एक प्रकार से whole of the government approach, इस भूमिका से ये वर्ष मनाया और आपको याद होगा, जब हमने टूरिज्म ईयर मनाया, तो पूरे राज्य में उसके पहले गुजरात में टूरिज्म की कल्पना ही कोई नहीं कर सकता था। विशेष प्रयास किया गया, उसी समय ऐड कैंपेन चलाया, कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में, एक-एक चीज उसमें से निकली। उसी में से रण उत्‍सव निकला, उसी में से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बना। उसी में से आज सोमनाथ का विकास हो रहा है, गिर का विकास हो रहा है, अंबाजी जी का विकास हो रहा है। एडवेंचर स्पोर्ट्स आ रही हैं। यानी एक के बाद एक चीजें डेवलप होने लगीं। वैसे ही जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया।

और मुझे याद है, मैं राजनीति में नया-नया आया था। और कुछ समय के बाद हम अहमदाबाद municipal कॉरपोरेशन सबसे पहले जीते, तब तक हमारे पास एक राजकोट municipality हुआ करती थी, तब वो कारपोरेशन नहीं थी। और हमारे एक प्रहलादभाई पटेल थे, पार्टी के बड़े वरिष्ठ नेता थे। बहुत ही इनोवेटिव थे, नई-नई चीजें सोचना उनका स्वभाव था। मैं नया राजनीति में आया था, तो प्रहलाद भाई एक दिन आए मिलने के लिए, उन्होंने कहा ये हमें जरा, उस समय चिमनभाई पटेल की सरकार थी, तो हमने चिमनभाई और भाजपा के लोग छोटे पार्टनर थे। तो हमें चिमनभाई को मिलकर के समझना चाहिए कि यह जो लाल बस अहमदाबाद की है, उसको जरा अहमदाबाद के बाहर जाने दिया जाए। तो उन्होंने मुझे समझाया कि मैं और प्रहलाद भाई चिमनभाई को मिलने गए। हमने बहुत माथापच्ची की, हमने कहा यह सोचने जैसा है कि लाल बस अहमदाबाद के बाहर गोरा, गुम्‍मा, लांबा, उधर नरोरा की तरफ आगे दहेगाम की तरफ, उधर कलोल की तरफ आगे उसको जाने देना चाहिए। ट्रांसपोर्टेशन का विस्तार करना चाहिए, तो सरकार के जैसे सचिवों का स्वभाव रहता है, यहां बैठे हैं सारे, उस समय वाले तो रिटायर हो गए। एक बार एक कांग्रेसी नेता को पूछा गया था कि देश की समस्याओं का समाधान करना है तो दो वाक्य में बताइए। कांग्रेस के एक नेता ने जवाब दिया था, वो मुझे आज भी अच्छा लगता है। यह कोई 40 साल पहले की बात है। उन्होंने कहा, देश में दो चीजें होनी चाहिए। एक पॉलीटिशियंस ना कहना सीखें और ब्यूरोक्रेट हां कहना सीखे! तो उससे सारी समस्या का समाधान हो जाएगा। पॉलीटिशियंस किसी को ना नहीं कहता और ब्यूरोक्रेट किसी को हां नहीं कहता। तो उस समय चिमनभाई के पास गए, तो उन्‍होंने पूछा सबसे, हम दोबारा गए, तीसरी बार गए, नहीं-नहीं एसटी को नुकसान हो जाएगा, एसटी को कमाई बंद हो जाएगी, एसटी बंद पड़ जाएगी, एसटी घाटे में चल रही है। लाल बस वहां नहीं भेज सकते हैं, यह बहुत दिन चला। तीन-चार महीने तक हमारी माथापच्ची चली। खैर, हमारा दबाव इतना था कि आखिर लाल बस को लांबा, गोरा, गुम्‍मा, ऐसा एक्सटेंशन मिला, उसका परिणाम है कि अहमदाबाद का विस्तार तेजी से उधर सारण की तरफ हुआ, इधर दहेगाम की तरफ हुआ, उधर कलोल की तरह हुआ, उधर अहमदाबाद की तरह हुआ, तो अहमदाबाद की तरफ जो प्रेशर, एकदम तेजी से बढ़ने वाला था, उसमें तेजी आई, बच गए छोटी सी बात थी, तब जाकर के, मैं तो उस समय राजनीति में नया था। मुझे कोई ज्यादा इन चीजों को मैं जानता भी नहीं था। लेकिन तब समझ में आता था कि हम तत्कालीन लाभ से ऊपर उठ करके सचमुच में राज्य की और राज्य के लोगों की भलाई के लिए हिम्मत के साथ लंबी सोच के साथ चलेंगे, तो बहुत लाभ होगा। और मुझे याद है जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया, तो पहला काम आया, यह एंक्रोचमेंट हटाने का, अब जब एंक्रोचमेंट हटाने की बात आती हे, तो सबसे पहले रुकावट बनता है पॉलिटिकल आदमी, किसी भी दल का हो, वो आकर खड़ा हो जाता है क्योंकि उसको लगता है, मेरे वोटर है, तुम तोड़ रहे हो। और अफसर लोग भी बड़े चतुर होते हैं। जब उनको कहते हैं कि भई यह सब तोड़ना है, तो पहले जाकर वो हनुमान जी का मंदिर तोड़ते हैं। तो ऐसा तूफान खड़ा हो जाता है कि कोई भी पॉलिटिशयन डर जाता है, उसको लगता है कि हनुमान जी का मंदिर तोड़ दिया तो हो… हमने बड़ी हिम्मत दिखाई। उस समय हमारे …..(नाम स्पष्ट नहीं) अर्बन मिनिस्टर थे। और उसका परिणाम यह आया कि रास्ते चौड़े होने लगे, तो जिसका 2 फुट 4 फुट कटता था, वह चिल्लाता था, लेकिन पूरा शहर खुश हो जाता था। इसमें एक स्थिति ऐसी बनी, बड़ी interesting है। अब मैंने तो 2005 अर्बन डेवलपमेंट ईयर घोषित कर दिया। उसके लिए कोई 80-90 पॉइंट निकाले थे, बडे interesting पॉइंट थे। तो पार्टी से ऐसी मेरी बात हुई थी कि भाई ऐसा एक अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा, जरा सफाई वगैरह के कामों में सब को जोड़ना पड़ेगा ऐसा, लेकिन जब ये तोड़ना शुरू हुआ, तो मेरी पार्टी के लोग आए, ये बड़ा सीक्रेट बता रहा हूं मैं, उन्होंने कहा साहब ये 2005 में तो अर्बन बॉडी के चुनाव है, हमारी हालत खराब हो जाएगी। यह सब तो चारों तरफ तोड़-फोड़ चल रही है। मैंने कहा यार भई यह तो मेरे ध्यान में नहीं रहा और सच में मेरे ध्यान में वो चुनाव था ही नहीं। अब मैंने कार्यक्रम बना दिया, अब साहब मेरा भी एक स्वभाव है। हम तो बचपन से पढ़ते आए हैं- कदम उठाया है तो पीछे नहीं हटना है। तो मैंने मैंने कहा देखो भाई आपकी चिंता सही है, लेकिन अब पीछे नहीं हट सकते। अब तो ये अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा। हार जाएंगे, चुनाव क्या है? जो भी होगा हम किसी का बुरा करना नहीं चाहते, लेकिन गुजरात में शहरों का रूप रंग बदलना बहुत जरूरी है।

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साथियों,

हम लोग लगे रहे। काफी विरोध भी हुआ, काफी आंदोलन हुए बहुत परेशानी हुई। यहां मीडिया वालों को भी बड़ा मजा आ गया कि मोदी अब शिकार आ गया हाथ में, तो वह भी बड़ी पूरी ताकत से लग गए थे। और उसके बाद जब चुनाव हुआ, देखिए मैं राजनेताओं को कहता हूं, मैं देश भर के राजनेता मुझे सुनते हैं, तो देखना कहता हूं, अगर आपने सत्यनिष्ठा से, ईमानदारी से लोगों की भलाई के लिए निर्णय करते हैं, तत्कालीन भले ही बुरा लगे, लोग साथ चलते हैं। और उस समय जो चुनाव हुआ 90 परसेंट विक्ट्री बीजेपी की हुई थी, 90 परसेंट यानी लोग जो मानते हैं कि जनता ये नहीं और मुझे याद है। अब यह जो यहां अटल ब्रिज बना है ना तो मुझे, यह साबरमती रिवर फ्रंट पर, तो पता नहीं क्यों मुझे उद्घाटन के लिए बुलाया था। कई कार्यक्रम थे, तो मैंने कहा चलो भई हम भी देखने जाते हैं, तो मैं जरा वो अटल ब्रिज पर टहलने गया, तो वहां मैंने देखा कुछ लोगों ने पान की पिचकारियां लगाई हुई थी। अभी तो उद्घाटन होना था, लेकिन कार्यक्रम हो गया था। तो मेरा दिमाग, मैंने कहा इस पर टिकट लगाओ। तो ये सारे लोग आ गए साहब चुनाव है, उसी के बाद चुनाव था, बोले टिकट नहीं लगा सकते मैंने कहा टिकट लगाओ वरना यह तुम्हारा अटल ब्रिज बेकार हो जाएगा। फिर मैं दिल्ली गया, मैंने दूसरे दिन फोन करके पूछा, मैंने कहा क्या हुआ टिकट लगाने का एक दिन भी बिना टिकट नहीं चलना चाहिए।

साथियों,

खैर मेरा मान-सम्मान रखते हैं सब लोग, आखिर के हमारे लोगों ने ब्रिज पर टिकट लगा दिया। आज टिकट भी हुआ, चुनाव भी जीते दोस्तों और वो अटल ब्रिज चल रहा है। मैंने कांकरिया का पुनर्निर्माण का कार्यक्रम लिया, उस पर टिकट लगाया तो कांग्रेस ने बड़ा आंदोलन किया। कोर्ट में चले गए, लेकिन वह छोटा सा प्रयास पूरे कांकरिया को बचा कर रखा हुआ है और आज समाज का हर वर्ग बड़ी सुख-चैन से वहां जाता है। कभी-कभी राजनेताओं को बहुत छोटी चीजें डर जाते हैं। समाज विरोधी नहीं होता है, उसको समझाना होता है। वह सहयोग करता है और अच्छे परिणाम भी मिलते हैं। देखिए शहरी शहरी विकास की एक-एक चीज इतनी बारीकी से बनाई गई और उसी का परिणाम था और मैं आपको बताता हूं। यह जो अब मुझ पर दबाव बढ़ने वाला है, वो already शुरू हो गया कि मोदी ठीक है, 4 नंबर तो पहुंच गए, बताओ 3 कब पहुंचोगे? इसकी एक जड़ी-बूटी आपके पास है। अब जो हमारे ग्रोथ सेंटर हैं, वो अर्बन एरिया हैं। हमें अर्बन बॉडीज को इकोनॉमिक के ग्रोथ सेंटर बनाने का प्लान करना होगा। अपने आप जनसंख्या के कारण वृद्धि होती चले, ऐसे शहर नहीं हो सकते हैं। शहर आर्थिक गतिविधि के तेजतर्रार केंद्र होने चाहिए और अब तो हमने टीयर 2, टीयर 3 सीटीज पर भी बल देना चाहिए और वह इकोनॉमिक एक्टिविटी के सेंटर बनने चाहिए और मैं तो पूरे देश की नगरपालिका, महानगरपालिका के लोगों को कहना चाहूंगा। अर्बन बॉडी से जुड़े हुए सब लोगों से कहना चाहूंगा कि वे टारगेट करें कि 1 साल में उस नगर की इकोनॉमी कहां से कहां पहुंचाएंगे? वहां की अर्थव्यवस्था का कद कैसे बढ़ाएंगे? वहां जो चीजें मैन्युफैक्चर हो रही हैं, उसमें क्वालिटी इंप्रूव कैसे करेंगे? वहां नए-नए इकोनॉमिक एक्टिविटी के रास्ते कौन से खोलेंगे। ज्यादातर मैंने देखा नगर पालिका की जो नई-नई बनती हैं, तो क्या करते हैं, एक बड़ा शॉपिंग सेंटर बना देते हैं। पॉलिटिशनों को भी जरा सूट करता है वह, 30-40 दुकानें बना देंगे और 10 साल तक लेने वाला नहीं आता है। इतने से काम नहीं चलेगा। स्टडी करके और खास करके जो एग्रो प्रोडक्ट हैं। मैं तो टीयर 2, टीयर 3 सीटी के लिए कहूंगा, जो किसान पैदावार करता है, उसका वैल्यू एडिशन, यह नगर पालिकाओं में शुरू हो, आस-पास से खेती की चीजें आएं, उसमें से कुछ वैल्यू एडिशन हो, गांव का भी भला होगा, शहर का भी भला होगा।

उसी प्रकार से आपने देखा होगा इन दिनों स्टार्टअप, स्टार्टअप में भी आपके ध्यान में आया होगा कि पहले स्‍टार्टअप बड़े शहर के बड़े उद्योग घरानों के आसपास चलते थे, आज देश में करीब दो लाख स्टार्टअप हैं। और ज्यादातर टीयर 2, टीयर 3 सीटीज में है और इसमें भी गर्व की बात है कि उसमें काफी नेतृत्व हमारी बेटियों के पास है। स्‍टार्टअप की लीडरशिप बेटियों के पास है। ये बहुत बड़ी क्रांति की संभावनाओं को जन्म देता है और इसलिए मैं चाहूंगा कि अर्बन डेवलपमेंट ईयर के जब 20 साल मना रहे हैं और एक सफल प्रयोग को हम याद करके आगे की दिशा तय करते हैं तब हम टीयर 2, टीयर 3 सीटीज को बल दें। शिक्षा में भी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज काफी आगे रहा, इस साल देख लीजिए। पहले एक जमाना था कि 10 और 12 के रिजल्ट आते थे, तो जो नामी स्कूल रहते थे बड़े, उसी के बच्चे फर्स्ट 10 में रहते थे। इन दिनों शहरों की बड़ी-बड़ी स्कूलों का नामोनिशान नहीं होता है, टीयर 2, टीयर 3 सीटीज के स्कूल के बच्चे पहले 10 में आते हैं। देखा होगा आपने गुजरात में भी यही हो रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि हमारे छोटे शहरों के पोटेंशियल, उसकी ताकत बढ़ रही है। खेल का देखिए, पहले क्रिकेट देखिए आप, क्रिकेट तो हिंदुस्तान में हम गली-मोहल्ले में खेला जाता है। लेकिन बड़े शहर के बड़े रहीसी परिवारों से ही खेलकूद क्रिकेट अटका हुआ था। आज सारे खिलाड़ी में से आधे से ज्यादा खिलाड़ी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज गांव के बच्चे हैं जो खेल में इंटरनेशनल खेल खेल कर कमाल करते हैं। यानी हम समझें कि हमारे शहरों में बहुत पोटेंशियल है। और जैसा मनोहर जी ने भी कहां और यहां वीडियो में भी दिखाया गया, यह हमारे लिए बहुत बड़ी opportunity है जी, 4 में से 3 नंबर की इकोनॉमी पहुंचने के लिए हम हिंदुस्तान के शहरों की अर्थव्यवस्था पर अगर फोकस करेंगे, तो हम बहुत तेजी से वहां भी पहुंच पाएंगे।

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साथियों,

ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। दुर्भाग्य से हमारे देश में एक ऐसे ही इकोसिस्टम ने जमीनों में अपनी जड़े ऐसी जमा हुई हैं कि भारत के सामर्थ्य को हमेशा नीचा दिखाने में लगी हैं। वैचारिक विरोध के कारण व्यवस्थाओं के विकास का अस्वीकार करने का उनका स्वभाव बन गया है। व्यक्ति के प्रति पसंद-नापसंद के कारण उसके द्वारा किये गए हर काम को बुरा बता देना एक फैशन का तरीका चल पड़ा है और उसके कारण देश की अच्‍छी चीजों का नुकसान हुआ है। ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। अब आप देखिए, हमने शहरी विकास पर तो बल दिया, लेकिन वैसा ही जब आपने दिल्‍ली भेजा, तो हमने एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, एस्पिरेशनल ब्लॉक पर विचार किया कि हर राज्य में एकाध जिला, एकाध तहसील ऐसी होती है, जो इतना पीछे होता है, कि वो स्‍टेट की सारी एवरेज को पीछे खींच ले जाता है। आप जंप लगा ही नहीं सकते, वो बेड़ियों की तरह होता है। मैंने कहा, पहले इन बेड़ियों को तोड़ना है और देश में 100 के करीब एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट उनको identify किया गया। 40 पैरामीटर से देखा गया कि यहां क्या जरूरत है। अब 500 ब्‍लॉक्‍स identify किए हैं, whole of the government approach के साथ फोकस किया गया। यंग अफसरों को लगाया गया, फुल टैन्‍यूर के साथ काम करें, ऐसा लगाया। आज दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुका है और जो डेवलपिंग कंट्रीज हैं उनको भी लग रहा है कि हमारे यहां विकास के इस मॉडल की ओर हमें चलना चाहिए। हमारा academic world भारत के इन प्रयासों और सफल प्रयासों के विषय में सोचे और जब academic world इस पर सोचता है तो दुनिया के लिए भी वो एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में काम आता है।

साथियों,

आने वाले दिनों में टूरिज्म पर हमें बल देना चाहिए। गुजरात ने कमाल कर दिया है जी, कोई सोच सकता है। कच्छ के रेगिस्तान में जहां कोई जाने का नाम नहीं लेता था, वहां आज जाने के लिए बुकिंग नहीं मिलती है। चीजों को बदला जा सकता है, दुनिया का सबसे बड़ा ऊंचा स्टैच्यू, ये अपने आप में अद्भुत है। मुझे बताया गया कि वडनगर में जो म्यूजियम बना है। कल मुझे एक यूके के एक सज्‍जन मिले थे। उन्होंने कहा, मैं वडनगर का म्यूजियम देखने जा रहा हूं। यह इंटरनेशनल लेवल में इतने global standard का कोई म्यूजियम बना है और भारत में काशी जैसे बहुत कम जगह है कि जो अविनाशी हैं। जो कभी भी मृतप्राय नहीं हुए, जहां हर पल जीवन रहा है, उसमें एक वडनगर हैं, जिसमें 2800 साल तक के सबूत मिले हैं। अभी हमारा काम है कि वह इंटरनेशनल टूरिस्ट मैप पर कैसे आए? हमारा लोथल जहां हम एक म्यूजियम बना रहे हैं, मैरीटाइम म्यूजियम, 5 हजार साल पहले मैरीटाइम में दुनिया में हमारा डंका बजता था। धीरे-धीरे हम भूल गए, लोथल उसका जीता-जागता उदाहरण है। लोथल में दुनिया का सबसे बड़ा मैरीटाइम म्यूजियम बन रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इन चीजों का कितना लाभ होने वाला है और इसलिए मैं कहता हूं दोस्तों, 2005 का वो समय था, जब पहली बार गिफ्ट सिटी के आईडिया को कंसीव किया गया और मुझे याद है, शायद हमने इसका launching Tagore Hall में किया था। तो उसके बड़े-बड़े जो हमारे मन में डिजाइन थे, उसके चित्र लगाए थे, तो मेरे अपने ही लोग पूछ रहे थे। यह होगा, इतने बड़े बिल्डिंग टावर बनेंगे? मुझे बराबर याद है, यानी जब मैं उसका मैप वगैरह और उसका प्रेजेंटेशन दिखाता था केंद्र के कुछ नेताओं को, तो वह भी मुझे कह रहे थे अरे भारत जैसे देश में ये क्या कर रहे हो तुम? मैं सुनता था आज वो गिफ्ट सिटी हिंदुस्तान का हर राज्य कह रहा है कि हमारे यहां भी एक गिफ्ट सिटी होना चाहिए।

साथियों,

एक बार कल्पना करते हुए उसको जमीन पर, धरातल पर उतारने का अगर हम प्रयास करें, तो कितने बड़े अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, ये हम भली भांति देख रहे हैं। वही काल खंड था, रिवरफ्रंट को कंसीव किया, वहीं कालखंड था जब दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनाने का सपना देखा, पूरा किया। वही कालखंड था, दुनिया का सबसे ऊंचा स्टैच्यू बनाने के लिए सोचा, पूरा किया।

भाइयों और बहनों,

एक बार हम मान के चले, हमारे देश में potential बहुत हैं, बहुत सामर्थ्‍य है।

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साथियों,

मुझे पता नहीं क्यों, निराशा जैसी चीज मेरे मन में आती ही नहीं है। मैं इतना आशावादी हूं और मैं उस सामर्थ्य को देख पाता हूं, मैं दीवारों के उस पार देख सकता हूं। मेरे देश के सामर्थ्य को देख सकता हूं। मेरे देशवासियों के सामर्थ्य को देख सकता हूं और इसी के भरोसे हम बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं और इसलिए आज मैं गुजरात सरकार का बहुत आभारी हूं कि आपने मुझे यहां आने का मौका दिया है। कुछ ऐसी पुरानी-पुरानी बातें ज्यादातर ताजा करने का मौका मिल गया। लेकिन आप विश्वास करिए दोस्तों, गुजरात की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हम देने वाले लोग हैं, हमें देश को हमेशा देना चाहिए। और हम इतनी ऊंचाई पर गुजरात को ले जाए, इतनी ऊंचाई पर ले जाएं कि देशवासियों के लिए गुजरात काम आना चाहिए दोस्तों, इस महान परंपरा को हमें आगे बढ़ाना चाहिए। मुझे विश्वास है, गुजरात एक नए सामर्थ्य के साथ अनेक विद नई कल्पनाओं के साथ, अनेक विद नए इनीशिएटिव्स के साथ आगे बढ़ेगा मुझे मालूम है। मेरा भाषण शायद कितना लंबा हो गया होगा, पता नहीं क्या हुआ? लेकिन कल मीडिया में दो-तीन चीजें आएंगी। वो भी मैं बता देता हूं, मोदी ने अफसरों को डांटा, मोदी ने अफसरों की धुलाई की, वगैरह-वगैरह-वगैरह, खैर वो तो कभी-कभी चटनी होती है ना इतना ही समझ लेना चाहिए, लेकिन जो बाकी बातें मैंने याद की है, उसको याद कर करके जाइए और ये सिंदुरिया मिजाज! ये सिंदुरिया स्पिरिट, दोस्‍तों 6 मई को, 6 मई की रात। ऑपरेशन सिंदूर सैन्य बल से प्रारंभ हुआ था। लेकिन अब ये ऑपरेशन सिंदूर जन-बल से आगे बढ़ेगा और जब मैं सैन्य बल और जन-बल की बात करता हूं तब, ऑपरेशन सिंदूर जन बल का मतलब मेरा होता है जन-जन देश के विकास के लिए भागीदार बने, दायित्‍व संभाले।

हम इतना तय कर लें कि 2047, जब भारत के आजादी के 100 साल होंगे। विकसित भारत बनाने के लिए तत्काल भारत की इकोनॉमी को 4 नंबर से 3 नंबर पर ले जाने के लिए अब हम कोई विदेशी चीज का उपयोग नहीं करेंगे। हम गांव-गांव व्यापारियों को शपथ दिलवाएं, व्यापारियों को कितना ही मुनाफा क्यों ना हो, आप विदेशी माल नहीं बेचोगे। लेकिन दुर्भाग्य देखिए, गणेश जी भी विदेशी आ जाते हैं। छोटी आंख वाले गणेश जी आएंगे। गणेश जी की आंख भी नहीं खुल रही है। होली, होली रंग छिड़कना है, बोले विदेशी, हमें पता था आप भी अपने घर जाकर के सूची बनाना। सचमुच में ऑपरेशन सिंदूर के लिए एक नागरिक के नाते मुझे एक काम करना है। आप घर में जाकर सूची बनाइए कि आपके घर में 24 घंटे में सुबह से दूसरे दिन सुबह तक कितनी विदेशी चीजों का उपयोग होता है। आपको पता ही नहीं होता है, आप hairpin भी विदेशी उपयोग कर लेते हैं, कंघा भी विदेशी होता है, दांत में लगाने वाली जो पिन होती है, वो भी विदेशी घुस गई है, हमें मालूम तक नहीं है। पता ही नहीं है दोस्‍तों। देश को अगर बचाना है, देश को बनाना है, देश को बढ़ाना है, तो ऑपरेशन सिंदूर यह सिर्फ सैनिकों के जिम्‍मे नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर 140 करोड़ नागरिकों की जिम्‍मे है। देश सशक्त होना चाहिए, देश सामर्थ्‍य होना चाहिए, देश का नागरिक सामर्थ्यवान होना चाहिए और इसके लिए हमने वोकल फॉर लोकल, वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट, मैं मेरे यहां, जो आपके पास है फेंक देने के लिए मैं नहीं कह रहा हूं। लेकिन अब नया नहीं लेंगे और शायद एकाध दो परसेंट चीजें ऐसी हैं, जो शायद आपको बाहर की लेनी पड़े, जो हमारे यहां उपलब्ध ना हो, बाकि आज हिंदुस्तान में ऐसा कुछ नहीं। आपने देखा होगा, आज से पहले 25 साल 30 साल पहले विदेश से कोई आता था, तो लोग लिस्ट भेजते थे कि ये ले आना, ये ले आना। आज विदेश से आते हैं, वो पूछते हैं कि कुछ लाना है, तो यहां वाले कहते हैं कि नहीं-नहीं यहां सब है, मत लाओ। सब कुछ है, हमें अपनी ब्रांड पर गर्व होना चाहिए। मेड इन इंडिया पर गर्व होना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर सैन्‍य बल से नहीं, जन बल से जीतना है दोस्तों और जन बल आता है मातृभूमि की मिट्टी में पैदा हुई हर पैदावार से आता है। इस मिट्टी की जिसमें सुगंध हो, इस देश के नागरिक के पसीने की जिसमें सुगंध हो, उन चीजों का मैं इस्तेमाल करूंगा, अगर मैं ऑपरेशन सिंदूर को जन-जन तक, घर-घर तक लेकर जाता हूं। आप देखिए हिंदुस्तान को 2047 के पहले विकसित राष्ट्र बनाकर रहेंगे और अपनी आंखों के सामने देखकर जाएंगे दोस्तों, इसी इसी अपेक्षा के साथ मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए,

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

भारत माता की जय! जरा तिरंगे ऊपर लहराने चाहिए।

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

धन्यवाद!