India will prosper only when development reaches every corner of the country: PM Modi #ParivartanRally
Bihar needs 'Vikas-Raj' not 'Jungle-Raj': PM Modi #ParivartanRally
Youth of Bihar can do wonders. They are extremely talented: PM #ParivartanRally
Those who practise casteism & do vote bank politics can never think of developing Bihar: PM #ParivartanRally
I have a dream that by 2022, every Indian must have their homes, 24/7 electricity & water: PM #ParivartanRally
'Mahaswarthbandhan' has ruined Bihar. NDA is dedicated to development of Bihar: PM Modi #ParivartanRally
Bihar has no place for 'Shaitan': PM #ParivartanRally
According to police, there have been over 4000 kidnapping cases. This proves the situation of Bihar under 'Jungle-Raj': PM

भारत माता की जय, भारत माता की जय

मिथिला पावन धरती के नमन करै छी। मंच पर विराजमान केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्रीमान रविशंकर प्रसाद जी, भाजपा के लोकप्रिय सांसद श्रीमान नित्यानंद राय जी, लोजपा के नेता श्री रामचंद्र पासवान जी, भाजपा के सांसद श्रीमान कीर्ति आज़ाद जी, भाई मुकेश सहनी जी और जिनको हमने जीवन भर एक तपस्वी के रूप में काम करते देखा है, पांच-पांच पीढ़ी राजनीति में जिनसे प्रेरणा लेती रही है, वैसे कैप्टन निशाद जी आज हमें आशीर्वाद देने आये हैं, मैं उनका बहुत आभारी हूँ कल्याणपुर से लोजपा के उम्मीदवार प्रिंस राज, वारिसनगर से लोजपा के उम्मीदवार चंद्रशेखर यादव, समस्तीपुर से भाजपा के उम्मीदवार श्रीमती रेणु कुशवाहा जी, रालोसपा के उम्मीदवार कुमार आनंद, मोरवा से भाजपा के उम्मीदवार सुरेश राय, सरायरंजन से भाजपा के उम्मीदवार श्री रंजीत निर्गुणी जी, मोइउद्दीन नगर से भाजपा के उम्मीदवार सत्येन्द्र सिंह जी, विभूतिपुर से लोजपा के उम्मीदवार रमेश कुमार राय, रोसड़ा से भाजपा के उम्मीदवार श्रीमती मंजू हजारी जी, हसनपुर से रालोसपा के उम्मीदवार श्री विनोद चौधरी जी और मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव।

चारों तरफ़ जहाँ भी मेरी नज़र पहुँचती है, मुझे लोग ही लोग नज़र आ रहे हैं। इतनी भयंकर गर्मी में आप घंटों से तपस्या कर रहे हैं। आपमें से किसी को कुछ भी नहीं चाहिए फिर भी आप लोग इतना कष्ट उठा रहे हैं। इतने भयंकर ताप में तप रहे हैं क्योंकि आप बिहार की बेहाली से परेशान हैं और बिहार को बचाना चाहते हैं। मेरे प्यारे भाईयों-बहनों, मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं आपकी तपस्या कभी बेकार जाने नहीं दूंगा। बिहार के भाग्य को बदलने के लिए आपने जो यज्ञ शुरू किया है, इस यज्ञ में मेरी भी कुछ आहूति होगी।

समस्तीपुर की धरती, हम सब के प्रेरक एवं जिनका जीवन दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित लोगों के लिए प्रेरणा रहा है, ऐसे जननायक स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर की इस जन्मभूमि को मैं प्रणाम करता हूँ। मैं उनसे प्रार्थना करता हूँ कि वे जहाँ हैं, वहीँ से हमें आशीर्वाद दें ताकि हम आपके सपनों को पूरा कर सकें।

आज 8 अक्टूबर को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि है। ये राजनीति का रंग देखिये, सत्ता सुख के लिए राजनीति में रंग बदलने वाले लोगों को देखिये, उनके कारनामे देखिये ये वही लोग हैं जो कर्पूरी ठाकुर का नाम लेकर गरीबों के कल्याण की बातें करते थे, कांग्रेस के खिलाफ़ जंग लड़ने की बातें करते थे; ये लोग कभी जयप्रकाश नारायण के नाम के साये में अपना राजनीतिक कार्यक्रम चलाते थे। जयप्रकाश नारायण ने कांग्रेस के कुशासन एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ़ एक जंग छेड़ा था, देश के नौजवानों को प्रेरणा दी थी। कल तक जो लोकनायक के गीत गाते थे, कर्पूरी ठाकुर की बातें सुनाते थे, आज वे कांग्रेस की गोद में जाकर बैठ गए हैं। मैं कल्पना कर सकता हूँ कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण, कर्पूरी ठाकुर, राम मनोहर लोहिया जी की आत्मा जहाँ भी होगी, इन लोगों के आचरण के कारण उनकी आत्मा सबसे ज्यादा दुखी होती होगी।

कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि देने का सही समय यह चुनाव है। ऐसे लोगों को उखाड़ कर फेंक देना ही कर्पूरी ठाकुर को सही श्रद्धांजलि होगी। मेरे बिहारवासी, आप बताएं कि बिहार में प्रगति, यहाँ का विकास होना चाहिए कि नहीं? नौजवानों को रोजगार मिलना चाहिए कि नहीं? कांग्रेस के नेता हों, लालू जी हों, यहाँ के मुख्यमंत्री जी हों, ये तीनों लोगों को जानना जरुरी है। कांग्रेस ने बिहार में 35 साल सरकार चलाई लेकिन क्या 35 साल राज करने के बाद भी बिहार का भला हुआ? जो 35 साल कुछ नहीं कर पाए, वे 5 साल में कुछ कर पाएंगे? लालू जी और यहाँ के मुख्यमंत्री जी, बड़ा भाई और छोटा भाई, बड़ा भाई ऐसा है जो छोटे भाई को कभी हत्यारा तो कभी तोता कहता है; इन्होंने बिहार में 25 साल राज किया लेकिन अगर 25 साल में कुछ नहीं कर पाए, वे 5 साल में कुछ कर पाएंगे क्या? इन तीनों ने मिलाकर बिहार में 60 साल राज किया है। 60 साल में कुछ भला हुआ क्या?

आप देखिये कि पहले ये तीनों एक-दूसरे के खिलाफ़ लड़ते थे, एक-दूसरे को बदनाम करते थे लेकिन आज ये तीनों सत्ता के लिए मिल गए बिहार की भलाई के लिए पहले कभी ये एक हुए क्या? ये सिर्फ़ सत्ता के लिए इकट्ठे हुए हैं। आप मुझे बताईये कि महास्वार्थबंधन के ये सारे कट्टे-बट्टे जब आपके पास वोट मांगने आएं तो इन्हें अपने काम का हिसाब देना चाहिए कि नहीं? बिहार को क्या वादे किये थे, और कौन-कौन से वादे पूरे किए, ये उन्हें बताना चाहिए कि नहीं? मुझे बताईये कि चुनाव के इतने दिन हो गए, ये अपने काम का हिसाब दे रहे हैं क्या? जो अपने 60 साल के काम का हिसाब नहीं दे रहे हैं, उन्हें फिर से 5 साल के लिए मौका देना चाहिए क्या?

आज पहली बार दिल्ली में ऐसी सरकार आई है जो बिहार के लिए समर्पित है, बिहार का भाग्य बदलने के लिए समर्पित है और ये मैं आज से नहीं कह रहा। 2013 में सितम्बर महीने में भाजपा का अधिवेशन हुआ था। उस अधिवेशन का मेरा कोई भाषण निकाल कर देख ले, उसमें मैंने कहा था कि अगर हमें हिंदुस्तान का भाग्य बदलना है तो भारत के हर कोने, हर राज्य का विकास होना जरुरी है। अगर सिर्फ भारत के पश्चिमी छोर का विकास हो और पूर्वोत्तर का न हो तो भारत कभी महान नहीं बन सकता है। केरल, कर्नाटक, गुजरात, गोवा, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब आदि आगे बढे और अगर उड़ीसा, बिहार, बंगाल, असम, पूर्वोत्तर क्षेत्र पीछे रह जाए तो मेरा देश कभी आगे बढेगा क्या? मैं मानता हूँ कि अगर हिंदुस्तान को आगे ले जाना है तो पूर्वी हिंदुस्तान को और गति, और ताक़त देनी पड़ेगी।

बिहार के लिए घोषित 1 लाख 65 हज़ार का विकास का पैकेज सिर्फ़ बिहार का भला करेगा ऐसा नहीं है, ये पैकेज जब बिहार की धरती पर काम में आएंगे तो ये पूरे हिंदुस्तान की शक्ल-सूरत बदलने में मदद करेंगे। एक बार बिहार आगे बढ़ गया तो हिंदुस्तान कभी पीछे नहीं रह सकता। ये ताक़त है बिहार की। इसलिए मेरी पूरी कोशिश है कि बिहार के नौजवान को अवसर कैसे मिले, बिहार को ताक़त कैसे मिले। बिहार की शक्ति अभूतपूर्व है। अभी मैं अमेरिका गया था वहां मुझे बिहार के नागरिकों का एक दल मुझसे मिला। जब मेरा उनसे परिचय हुआ तो एक से बढकर एक होनहार लोग मेरे देश के नौजवान अमेरिका में इतना काम कर रहे हैं और खासकर बिहार के, इतना आनंद हुआ देखकर। जब उनसे बातें हुई तो उन्होंने यही कहा कि साहब हम आशा कर रहे हैं कि चुनाव के बाद बिहार की काया-पलट होनी शुरू हो जाएगी। मैंने अमेरिका में भी बिहार की चिंता करने वाले बिहार के लोगों को देखा। मुझे लगा कि जिस राज्य के पास ऐसे सामर्थ्यवान, शक्तिवान नौजवान हो, वो राज्य कभी पीछे नहीं रह सकता।

हम बिहार की सभी आवश्यकताओं पर बल दे रहे हैं। चुनाव और राजनीति में उन राजनेताओं को हम भली-भांति जानते हैं जिन्होंने जातिवाद और सम्प्रदायवाद का जहर घोला है। ये जातिवाद और सम्प्रदायवाद का जहर फैलाकर राजनीति करने वाले लोग कभी भी बिहार का भला नहीं कर पाएंगे। और इसलिए बिहार को जो जंगलराज झेलना पड़ा है, उसके बाद मैं यह पूछना चाहता हूँ कि क्या हमें यह जंगलराज फिर से वापस लाना है? भाईयों-बहनों, अगर बिहार को आगे ले जाना है तो बिहार को चाहिए – विकासराज। जंगलराज से पीछा छुड़ाईए और विकासराज का रास्ता पकड़िए और मैं आपके पास विकास की सौगात लेकर आया हूँ।

मैं हैरान हूँ कि पिछले दिनों से महास्वार्थबंधन के लोग ऐसे गुस्से में हैं कि उन्होंने बिहार के यदुवंश के लोगों को घोर अपमानित कर दिया और क्या खाते हैं, ऐसा बोला है कि मैं तो अपने मुख से बोल नहीं सकता। ये पाप मैं नहीं कर सकता। जब यदुवंश के लोगों और मीडिया ने उन्हें घेर लिया तो उन्होंने कहा कि मेरे अन्दर शैतान आ गया था, इसलिए मैंने ऐसा बोला। अब मेरे मन में सवाल है कि सारी दुनिया में अरबों-खरबों लोग हैं, हिंदुस्तान में करोड़ों लोग हैं, बिहार में करोड़ों लोग हैं लेकिन मुझे आश्चर्य हो रहा है कि शैतान को इन्हीं का ठिकाना मिला क्या, यही पता मिला क्या।

आप देखिये कि अगर आपको हार्ट अटैक आता है और आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर कहता है कि आपकी ये आदत गलत है, बुरी है इसके कारण ये हुआ है। अगर आपको डायबिटिज है और आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर कहता है कि आपकी ये आदत गलत है, खाने का ये स्वभाव ख़राब है, काम करने की यह पद्धति गलत है और इसके कारण आपको डायबिटिज हुआ है। लालू जी, बिहार जानना चाहता है कि आपमें ऐसी कौन सी बुराई है जो शैतान आपके अन्दर प्रवेश कर गया। शैतान को यही ठिकाना क्यों मिला, यह बड़ी खोज का विषय है। बिहार की जनता खोज कर निकाले कि इन्हीं के पास शैतान क्यों गया। हमें उनलोगों को चुनना है जिनके पास इंसान और इंसानियत हो। जिनके पास शैतान आकर बसते हों, ऐसे लोगों के लिए बिहार में जगह नहीं है। मैं आज आपसे आग्रह करने आया हूँ कि आप भाजपा के नेतृत्व में एनडीए के गठबंधन, जो बिहार के विकास के लिए काम करना चाहती है, को आशीर्वाद दें।

आप मुझे बताएं कि बिहार को रास्ते, अस्पताल, शिक्षक चाहिए कि नहीं? गरीबों को स्कूल, घर, नौजवान को रोजगार चाहिए कि नहीं? हमारा एक ही एजेंडा है कि बिहार विकास करे और इतना आगे बढे कि पूरा हिंदुस्तान आगे बढ़ जाए। मैं इसी सपने के साथ आपके पास आया हूँ। बिहार के लिए घोषित पैकेज बिहार के इतिहास की सबसे बड़ी घटना है और वो इसलिए है क्योंकि मैं बिहार की ताक़त को भली-भांति जानता हूँ। मैं तो कहता हूँ कि बिहार का पानी और बिहार की जवानी, इन दोनों का अगर सही उपयोग हो तो सिर्फ़ बिहार नहीं, पूरा हिंदुस्तान बदल जाएगा। यहाँ इतना पानी है लेकिन वही पानी कभी विनाश करता है तो कभी दूसरे इलाके में सूखे के लिए मजबूर करता है क्योंकि 60 साल यहाँ जिन्होंने राज किया, उन्हें यहाँ के पानी की परवाह नहीं थी। यहाँ की जवानी हिंदुस्तान या दुनिया में जहाँ भी जाती है, हिंदुस्तान का नाम रौशन कर देती है लेकिन उस जवानी को पलायन करना पड़ता है। अगर उन्हें बिहार में अवसर मिले तो बिहार बदल जाएगा कि नहीं? इसलिए भाईयों-बहनों, बिहार का पानी भी काम आना चाहिए और बिहार की जवानी भी काम आनी चाहिए।

मैं आज आपके पास विकास का मंत्र लेकर आया हूँ। हमारा सपना गरीबों को घर देने का है, उन घरों में बिजली पहुँचाने का सपना है। गरीबों की बातें करने वाले लोगों को कभी यह विचार आया था कि हमारी गरीब माताओं को खुले में शौच जाना पड़ता है और उन्हें अपमानित महसूस करना पड़ता है। गरीबों की बातें करने वाले लोगों ने कभी यह सोचा कि उनके लिए कम-से-कम शौचालय ही बना दें। इनमें से किसी को गरीबों के बारे में बात करने का अधिकार नहीं है जो 60 साल सरकार चलाने के बाद गरीबों को शौचालय तक नहीं दे पाए, वो हमें गरीबी सिखाने आए हैं।

इंदिरा गाँधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था और कहा था कि गरीबों के लिए बैंक अकाउंट खोलने होंगे, बैंकों का पैसा गरीबों को मिलना चाहिए। आप मुझे बताईये कि गरीबों को बैंक तक जाने का मौका मिला था क्या? बैंक के दरवाजे गरीब ने कभी देखे थे क्या? 60 साल तक गरीब बैंकों से दूर रहा। हमने एक साल के भीतर देश के सभी नागरिकों का बैंकों में खाता खुलवा दिया। गरीबों के लिए काम कैसे क्या जाता है, ये इसका उदाहरण है। आने वाले दिनों में मुझे गरीबों को रहने के लिए घर देना है। 2022 में जब देश की आज़ादी के 75 वर्ष होंगे तो देश के हर परिवार के पास अपना घर हो, ये सपना पूरा करने के लिए मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए।

भाईयों-बहनों, आपके मुख्यमंत्री ने 2010 चुनाव में आपको बिजली देने का वादा किया था? बिजली मिली? उन्होंने ये कहा था कि अगर बिजली नहीं दूंगा तो 2015 में वोट मांगने नहीं आऊंगा, ये कहा था? अभी फिर से वोट मांगने आये न? बिजली आई क्या? उनकी बातों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। ये अहंकार की भाषा देखिये, घर में बिजली नहीं पहुँचाने के बावजूद वे आज फिर से वोट मांगने आये हैं। ये झूठे और खोखले वादे करके बिहार को फिर से जंगलराज बनाने के खेल खेले जा रहे हैं।

मुझे बताईये कि जंगलराज में सबसे बड़ा उद्योग कौन सा चला – अपहरण का उद्योग, अपहरण करो और फिर फ़िरौती मांगो। क्या फिर से अपहरण का राज चलने देना है? जनवरी महीने से जुलाई तक बिहार सरकार की पुलिस के आंकड़े के अनुसार 4000 अपहरण की घटनाएँ घटी हैं। आने वाले दिनों में दुर्गापूजा का अवसर आएगा। जब जंगलराज था तो लोग शाम में रामलीला देखने नहीं जा पाते थे क्योंकि डर लगता था कि कहीं कोई आकर के तकलीफ़ न कर जाए। कोई नई गाड़ी नहीं खरीद सकता था क्योंकि डर था कि अगर किसी नेता को पता लग गया तो गाड़ी जाएगी, पैसा भी जाएगा और मांगने जाऊंगा तो पिटाई होगी वो अलग। यही कारोबार चला था न? मैं इससे मुक्ति के लिए आपके पास आया हूँ। हमें फिर से जंगलराज आने नहीं देना है।

मैं आपके पास विकास के लिए वोट मांगने आया हूँ। मुझे विश्वास है कि ये जो जन सैलाब मैं देख रहा हूँ, मैं साफ़ कहता हूँ कि बिहार की जनता ने अहंकारवादियों का जो हाल लोकसभा के चुनाव में किया, उनका उससे भी बुरा हाल होने वाला है। कांग्रेस का अहंकार सातवें आसमान पर था। एक समय था जब जनता ने इन्हें लोकसभा में 440 सदस्य दिए थे, लेकिन अहंकार इतनी सीमा पर पहुंचा कि इसी जनता-जनार्दन ने उन्हें 40 पर लाकर बिठा दिया। जो लोग अहंकार में जी रहे हैं, वे समझें कि ये जनता-जनार्दन सबकुछ जानती है। जनता गलतियों को माफ़ करती है लेकिन धोखा कभी माफ़ नहीं करती।

बिहार का भाग्य बदलने के लिए और इसे विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए पहली बार दिल्ली से सरकार कंधे से कंधा मिलाकर चलने आई है। हमें आशीर्वाद दीजिए और हमारे सभी उम्मीदवारों को विजयी बनाईए। सभी मेरे साथ मुट्ठी बंद करके बोलें –
भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद

Explore More
৭৮ তম স্বাধীনতা দিবস উপলক্ষ্যে নয়াদিল্লির লালকেল্লার প্রাকার থেকে প্রধানমন্ত্রীর ভাষণ ১৫ই আগস্ট , ২০২৪

জনপ্রিয় ভাষণ

৭৮ তম স্বাধীনতা দিবস উপলক্ষ্যে নয়াদিল্লির লালকেল্লার প্রাকার থেকে প্রধানমন্ত্রীর ভাষণ ১৫ই আগস্ট , ২০২৪
'Under PM Narendra Modi's guidance, para-sports is getting much-needed recognition,' says Praveen Kumar

Media Coverage

'Under PM Narendra Modi's guidance, para-sports is getting much-needed recognition,' says Praveen Kumar
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
The Constitution is our guiding light: PM Modi
A special website named constitution75.com has been created to connect the citizens of the country with the legacy of the Constitution: PM
Mahakumbh Ka Sandesh, Ek Ho Poora Desh: PM Modi in Mann Ki Baat
Our film and entertainment industry has strengthened the sentiment of 'Ek Bharat - Shreshtha Bharat': PM
Raj Kapoor ji introduced the world to the soft power of India through films: PM Modi
Rafi Sahab’s voice had that magic which touched every heart: PM Modi remembers the legendary singer during Mann Ki Baat
There is only one mantra to fight cancer - Awareness, Action and Assurance: PM Modi
The Ayushman Bharat Yojana has reduced the financial problems in cancer treatment to a great extent: PM Modi

আমার প্রিয় দেশবাসী, নমস্কার। ২০২৫ তো প্রায় এসেই গেল, এই তো দরজায় কড়া নাড়ছে। ২০২৫ সালের ২৬শে জানুয়ারি আমাদের সংবিধান কার্যকর হওয়ার পঁচাত্তর বছর পূর্ণ হতে চলেছে। আমাদের সবার জন্য অত্যন্ত গৌরবের ব্যাপার। আমাদের সংবিধান-নির্মাতারা আমাদের যে সংবিধান দিয়ে গিয়েছেন তা কালের প্রবাহে প্রতিটি মানদণ্ডে সাফল্য পেয়েছে। সংবিধান আমাদের জন্য এক দিশারী আলোকবর্তিকা, আমাদের পথপ্রদর্শক। ভারতের সংবিধানের কারণেই আমি আজ এখানে পৌঁছেছি, আপনাদের সঙ্গে কথা বলতে পারছি। এই বছর ২৬শে নভেম্বর, সংবিধান দিবস থেকে এক বছর ধরে চলবে এমন অনেক কাজ শুরু হয়েছে। দেশের নাগরিকদের সংবিধানের ঐতিহ্যের সঙ্গে যুক্ত করার জন্য কনস্টিটিউশন-সেভেন্টিফাইভ-ডট-কম নামে এক বিশেষ ওয়েবসাইটও বানানো হয়েছে। এতে আপনি সংবিধানের প্রস্তাবনা পাঠ করে নিজের ভিডিও আপলোড করতে পারেন। আলাদা-আলাদা ভাষায় সংবিধান পাঠ করতে পারেন, সংবিধানের ব্যাপারে প্রশ্নও জিজ্ঞাসা করতে পারেন। মন কি বাতের শ্রোতাদের কাছে, স্কুলপড়ুয়া বাচ্চাদের কাছে, কলেজে যাওয়া যুবক-যুবতীদের কাছে আমার অনুরোধ, আপনারা অবশ্যই এই ওয়েবসাইটে গিয়ে দেখুন, এর অংশ হয়ে উঠুন।

বন্ধুরা, আগামী মাসের তেরো তারিখ থেকে প্রয়াগরাজে মহাকুম্ভও অনুষ্ঠিত হতে চলেছে। এই সময় ওখানকার সঙ্গমতটে পূর্ণ উদ্যমে প্রস্তুতি চলছে। আমার মনে আছে, এই কিছুদিন আগে যখন আমি প্রয়াগরাজে গিয়েছিলাম তখন হেলিকপ্টার থেকে গোটা কুম্ভ ক্ষেত্র দেখে হৃদয় প্রসন্ন হয়ে গিয়েছিল। এত বিশাল! এত সুন্দর! এত মহৎ!

বন্ধুরা, মহাকুম্ভের বিশেষত্ব কেবল এর বিশালতার মধ্যেই নয়, কুম্ভের বিশেষত্ব এর বিবিধতার মধ্যেও ধরা আছে। এই উদ্যোগে কোটি-কোটি মানুষ এসে একত্রিত হন। লক্ষ-লক্ষ সন্ন্যাসী, হাজার-হাজার রীতি-পরম্পরা, শত-শত সম্প্রদায়, বহু আখড়া, প্রত্যেকে এই আয়োজনের অংশ হয়ে ওঠেন। কোথাও কোনও বিভেদ নেই, কেউ এখানে বড় নন, কেউ ছোট নন। বৈচিত্র্যের মধ্যে ঐক্যের এই দৃশ্য বিশ্বের আর কোথাও দেখা যায় না। এই জন্য আমাদের কুম্ভ ঐক্যের মহাকুম্ভও হয়ে ওঠে। এবারের মহাকুম্ভও ঐক্যের মহাকুম্ভের মন্ত্রকে শক্তিশালী করে তুলবে। আমি আপনাদের সবাইকে বলব, যখন কুম্ভে অংশ নেব আমরা, তখন ঐক্যের এই সঙ্কল্পকে নিজের সঙ্গে নিয়ে ফিরব। সমাজে বিভেদ আর বিদ্বেষের ভাবনাকেও নষ্ট করার সঙ্কল্প নেব আমরা। কম শব্দে যদি প্রকাশ করতে হয় আমাকে, তাহলে বলব-

মহাকুম্ভের সন্দেশ, এক হোক গোটা দেশ।

মহাকুম্ভের সন্দেশ, এক হোক গোটা দেশ।

আর যদি ভিন্ন ভাবে বলতে হয় তাহলে আমি বলবঃ

গঙ্গার নিরন্তর ধারা, মোদের সমাজ যেন না হয় ঐক্যহারা।

গঙ্গার নিরন্তর ধারা, মোদের সমাজ যেন না হয় ঐক্যহারা।।

বন্ধুরা, এবার প্রয়াগরাজে দেশ ও বিশ্বের ভক্তরা ডিজিটাল মহাকুম্ভেরও সাক্ষী হবেন। ডিজিটাল নেভিগেশনের সহায়তায় আপনারা আলাদা আলাদা ঘাট, মন্দির, সাধু-সন্ন্যাসীদের আখড়া পর্যন্ত পৌঁছনোর রাস্তা পেয়ে যাবেন। এই নেভিগেশন সিস্টেম আপনাদের পার্কিং পর্যন্ত পৌঁছতেও সাহায্য করবে। এই প্রথম বার কুম্ভমেলা আয়োজনে এআই চ্যাটবটের প্রয়োগ হবে। এই চ্যাটবটের মাধ্যমে ১১টি ভারতীয় ভাষায় কুম্ভ মেলার সঙ্গে যুক্ত সব রকম তথ্য জানা যাবে। এই চ্যাটবটে বিভিন্ন ধরনের টেক্সট টাইপ করে কিংবা মুখে বলে যে কোন ধরনের সহায়তা আপনারা চাইতে পারেন। সম্পূর্ণ মেলা প্রাঙ্গণকে এআই-পাওয়ারড ক্যামেরায় ঢেকে দেওয়া হচ্ছে। কুম্ভে যদি কেউ নিজের পরিচিতজনের থেকে বিচ্ছিন্ন হয়ে যান তাহলে এই ক্যামেরাগুলি তাকে খুঁজতেও সাহায্য করবে। ভক্তরা ডিজিটাল লস্ট এন্ড ফাউন্ড সেন্টারের সুবিধাও পাবেন। তাদের মোবাইলে government approved tour packages, থাকার জায়গা আর হোমস্টে সম্বন্ধেও জানানো হবে। আপনারাও যদি মহাকুম্ভে যান তাহলে এই সুবিধাজনক ব্যবস্থাগুলির সুফল নেবেন এবং #"একতা কা মহাকুম্ভ"-এর সঙ্গে নিজের সেলফি অবশ্যই আপলোড করবেন।

বন্ধুরা, মন কি বাত অর্থাৎ MKB-তে এবারে বলি KTB-র কথা। যারা প্রবীণ মানুষ তাদের মধ্যে অনেকেরই হয়তো KTB সম্বন্ধে জানা নেই। কিন্তু ছোটদের জিজ্ঞাসা করুন, KTB ওদের কাছে সুপারহিট। KTB কৃষ, ট্রিশ, বালটিবয়। আপনারা সম্ভবত জানেন ছোটদের পছন্দের অ্যানিমেশন সিরিজ, যার নাম "KTB - ভারত হ্যায় হাম", এখন তার দ্বিতীয় সিজনও চলে এসেছে। এই তিনটি অ্যানিমেশন ক্যারেক্টার আমাদের ভারতের স্বাধীনতা সংগ্রামের সেই সব নায়ক-নায়িকাদের সম্বন্ধে বলে যাদের নিয়ে তেমন ভাবে আলোচনা হয় না। সম্প্রতি এর সিজন টু বিশেষ সমারোহের সঙ্গে ইন্টারন্যাশনাল ফিল্ম ফেস্টিভ্যাল অফ ইন্ডিয়া, গোয়াতে লঞ্চ হয়েছে। সবচেয়ে দুর্দান্ত ব্যাপার, এই সিরিজটি শুধু ভারতের অনেকগুলি ভাষায় নয়, এমনকি বিদেশি ভাষাতেও সম্প্রচার হয়। দূরদর্শনের পাশাপাশি অন্য ওটিটি প্লাটফর্মেও এটি দেখা যায়।

বন্ধুরা, আমাদের অ্যানিমেশন ফিল্মের, রেগুলার ফিল্মের, টিভি সিরিয়ালের জনপ্রিয়তা এটা প্রমাণ করে যে, ভারতের ক্রিয়েটিভ ইন্ডাস্ট্রির কতটা ক্ষমতা রয়েছে। এই ইন্ডাস্ট্রি যে শুধু দেশের উন্নতির ক্ষেত্রে বড় অবদান রেখে চলেছে তাই নয়, বরং আমাদের অর্থনীতিকে নতুন উচ্চতায় নিয়ে যাচ্ছে। আমাদের ফিল্ম এবং এন্টারটেইনমেন্ট ইন্ডাস্ট্রি বিরাট। দেশে কত রকম ভাষায় সিনেমা তৈরি হয়, ক্রিয়েটিভ কনটেন্ট তৈরি হয়। আমি আমাদের ফিল্ম এবং এন্টারটেইনমেন্ট ইন্ডাস্ট্রিকে এই জন্য অভিনন্দন জানাই, কারণ তারা এক ভারত শ্রেষ্ঠ ভারতএই ভাবনাকে আরো শক্তিশালী করে তুলেছে।
বন্ধুরা, ২০২৪ সালে আমাদের চলচ্চিত্র জগতের অনেক বিখ্যাত ব্যক্তিত্বের শততম জন্মজয়ন্তী আমরা পালন করছি। এই মহাপুরুষরা ভারতীয় সিনেমাকে বিশ্বের দরবারে পরিচিতি দিয়েছেন। রাজকাপুরজি ফিল্মের মাধ্যমে সারা পৃথিবীকে ভারতের সফ্ট পাওয়ারের সঙ্গে পরিচয় করিয়েছেন। রফি সাহেবের চমৎকার কণ্ঠস্বর সকলের হৃদয়কে ছুঁয়ে যেত। ওঁর কণ্ঠস্বর ছিল অদ্ভূত। ভক্তিগীতি হোক, রোমান্টিক গান হোক কিংবা বিরহের গান, সমস্ত
অনুভূতিকে তিনি নিজের কণ্ঠস্বরের মাধ্যমে জীবন্ত করে তুলেছিলেন। একজন শিল্পী হিসেবে ওঁর প্রতিভা সম্পর্কে এভাবেই আন্দাজ করা যায় যে, আজও যুবক-যুবতীরা ওঁর গান সেই একইরকম আগ্রহের সঙ্গে শোনে, এটাই টাইমলেস আর্টের পরিচয়। আক্কিনেনি নাগেশ্বর রাও গারু তেলুগু সিনেমাকে নতুন উচ্চতায় পৌঁছে দিয়েছিলেন। ওঁর সিনেমায় ভারতীয় ঐতিহ্য এবং মূল্যবোধের প্রদর্শন করা হয়েছে। তপন সিনহাজির সিনেমা সমাজকে এক অন্য দৃষ্টিভঙ্গিতে দেখিয়েছে। ওঁর সিনেমায় সামাজিক চেতনা এবং রাষ্ট্রীয় ঐক্যের বার্তা থাকত। আমাদের পুরো ফিল্ম ইন্ডাস্ট্রির জন্য এই মহান ব্যক্তিদের জীবন অনুপ্রেরণার মতোই।
বন্ধুরা, আমি আপনাদের আরেকটা আনন্দের কথা জানাতে চাই। ভারতের ক্রিয়েটিভ ট্যালেন্টকে পৃথিবীর সামনে রাখার এক বড় সুযোগ আসতে চলেছে। আগামী বছর আমাদের দেশে প্রথম বার ওয়ার্ল্ড অডিয়ো ভিসুয়াল এন্টারটেইনমেন্ট সামিট অর্থাৎ WAVES সামিটের আয়োজন হতে চলেছে। আপনারা সকলে দাবোসের ব্যাপারে শুনেছেন, যেখানে পৃথিবীর অর্থনীতি জগতের মহারথীরা যুক্ত হন। সে ভাবে এই সামিটে সারা পৃথিবীর মিডিয়া এবং এন্টারটেইনমেন্ট ইন্ডাস্ট্রির বিশেষজ্ঞ, ক্রিয়েটিভ জগতের মানুষরা ভারতে আসবেন। এই সামিট ভারতকে গ্লোবাল কনটেন্ট ক্রিয়েশনের হাব হিসেবে পরিচিতি দেওয়ার জন্য এক গুরুত্বপূর্ণ পদক্ষেপ। আমার এটা বলতে গর্ব হচ্ছে যে, এই সামিটের প্রস্তুতির সময়ে আমাদের দেশের ইয়ং ক্রিয়েটররাও সম্পূর্ণ আগ্রহের সঙ্গে যুক্ত হচ্ছেন। যখন আমরা পাঁচ ট্রিলিয়ন ডলার ইকোনমির দিকে এগিয়ে চলেছি, তখন আমাদের ক্রিয়েটর ইকোনমি এক নতুন শক্তির সঞ্চার করছে। আমি ভারতের সমগ্র এন্টারটেইনমেন্ট এবং ক্রিয়েটিভ ইন্ডাস্ট্রিকে বলতে চাই যে, আপনারা ইয়ং ক্রিয়েটর হোন বা প্রতিষ্ঠিত শিল্পী হোন বা বলিউডের সঙ্গে যুক্ত অথবা আঞ্চলিক সিনেমার সঙ্গে যুক্ত বা টিভি ইন্ডাস্ট্রির পেশাদার হোন অথবা অ‍্যানিমেশন বিশেষজ্ঞ বা গেমিং-এর সঙ্গে যুক্ত বা এন্টারটেইনমেন্ট টেকনোলজির ইনোভেটর হোন, আপনারা সকলে ওয়েভস সামিটের অংশ হয়ে উঠুন।

আমার প্রিয় দেশবাসী, আপনারা সবাই জানেন যে, ভারতীয় সংস্কৃতির প্রকাশ আজ দুনিয়ার প্রতিটি প্রান্তে পৌঁছে যাচ্ছে। আজ আমি আপনাদের তিন মহাদ্বীপে এমন প্রয়াসের ব্যাপারে বলব, যা আমাদের সাংস্কৃতিক ঐতিহ্যের বৈশ্বিক বিস্তারের সাক্ষী। এগুলো একে অন্যের থেকে শত-শত মাইল দূরে অবস্থিত। কিন্তু ভারতের সংস্কৃতি জানার এবং সেটা থেকে শেখার আগ্রহ তাদের মধ্যে একইরকম।

বন্ধুরা, চিত্রকলার দুনিয়া যেমন রঙিন, তেমন সুন্দর। আপনারা যাঁরা টিভির মাধ্যমে মন কি বাতের সঙ্গে যুক্ত হয়েছেন, তাঁরা এখনই কিছু চিত্রকলা টিভিতে দেখতে পাবেন। এই সব চিত্রকলায় আমাদের দেবী-দেবতা, নৃত্যকলা আর মহাপুরুষদের দেখে আপনাদের খুব ভালো লাগবে। এর মধ্যে আপনারা ভারতে পাওয়া যায়, এমন জীবজন্তু থেকে শুরু করে আরও অনেক জিনিস দেখতে পাবেন। এর মধ্যে তাজমহলের এক চিত্তাকর্ষক চিত্রও রয়েছে, যেটা তেরো বছরের একটি মেয়ে তৈরি করেছে। আপনারা এটা জেনে বিস্মিত হবেন যে, এই দিব্যাঙ্গ কন্যা নিজের মুখ দিয়ে এই চিত্র তৈরি করেছে। সব থেকে আকর্ষণীয় ব্যাপার হল এই সব চিত্র নির্মাতারা ভারতের নয়, মিশরের শিক্ষার্থী, ওখানকার ছাত্র-ছাত্রী। কয়েক সপ্তাহ আগেই মিশরের তেইশ হাজার শিক্ষার্থী ছবি আঁকার এক প্রতিযোগিতায় অংশ নিয়েছিল। সেখানে তাদের ভারতের সংস্কৃতি আর দুই দেশের ঐতিহাসিক সম্পর্ক তুলে ধরার চিত্র তৈরি করতে হয়েছিল। আমি এই প্রতিযোগিতায় অংশগ্রহণকারী প্রত্যেক তরুণ-তরুণীর প্রশংসা করছি। তাদের সৃজনশীলতার যতই প্রংশসা করা হোক না কেন, তা কম হবে।

বন্ধুরা, দক্ষিণ আমেরিকায় একটি দেশ হল প্যারাগুয়ে। ওখানে বসবাসকারী ভারতীয়ের সংখ্যা ১০০০-এর থেকে বেশি হবে না। প্যারাগুয়েতে একটি অদ্ভুত প্রচেষ্টা চলছে। ওখানকার ভারতীয় দূতাবাসে Erica Huber বিনামূল্যে আয়ুর্বেদিক পরামর্শ দিয়ে থাকেন। ওঁর কাছে আয়ুর্বেদের পরামর্শ নেবার জন্য প্রচুর সংখ্যায় স্থানীয় মানুষেরা ভিড় করছেন। যদিও Erica Huber ইঞ্জিনিয়ারিং নিয়ে পড়াশোনা করেছেন, কিন্তু তিনি আয়ুর্বেদের প্রতি নিবেদিত-প্রাণ। তিনি আয়ুর্বেদের সঙ্গে যুক্ত বিভিন্ন কোর্সও করেছেন, আর সময়ের সঙ্গে সঙ্গে আয়ুর্বেদে পারদর্শীও হয়ে উঠেছেন।

         বন্ধুরা, এটা আমাদের জন্য অত্যন্ত গর্বের বিষয় যে, পৃথিবীর সব থেকে প্রাচীন ভাষা হল তামিল, আর প্রত্যেক ভারতীয় এর জন্য গর্বিত। পৃথিবীর বিভিন্ন দেশে এই ভাষা শেখার লোকের সংখ্যা দিন দিন বাড়ছে। গত মাসের শেষের দিকে ফিজিতে ভারত সরকারের সাহায্যে তামিল টিচিং প্রোগ্রাম শুরু হয়। বিগত ৮০ বছরে এটাই প্রথম বার, যখন ফিজিতে অভিজ্ঞ শিক্ষকেরা তামিল ভাষা শেখাচ্ছেন। আমার এটা জেনে ভালো লাগছে যে, ফিজির ছাত্ররা তামিল ভাষা ও সংস্কৃতি শেখার ব্যাপারে অনেক আগ্রহ দেখাচ্ছে।

      বন্ধুরা, এই কথাগুলো, এই ঘটনাগুলো শুধুমাত্র সাফল্যের কাহিনি নয়। এটা আমাদের সাংস্কৃতিক ঐতিহ্যেরও গাথা। এই উদাহরণগুলো আমাদের গৌরবান্বিত করে। আর্ট থেকে আয়ুর্বেদ, ল্যাঙ্গুয়েজ থেকে মিউজিক, ভারতে এত কিছু আছে যা পৃথিবীতে ছড়িয়ে গেছে ।

      বন্ধুরা, শীতের এই মরশুমে দেশ জুড়ে খেলাধুলো ও fitness সংক্রান্ত বিভিন্ন অ্যাক্টিভিটিস হচ্ছে। আমি খুব খুশি এটা দেখে যে, মানুষ ফিটনেসকে দৈনন্দিন জীবনের অংশ করে তুলছেন। কাশ্মীরে স্কিংই থেকে শুরু করে গুজরাটে ঘুড়ি ওড়ানো পর্যন্ত, চারিদিকে খেলাধুলা নিয়ে উৎসাহ বিদ্যমান। #sundayOnCycle আর #cyclingTuesday এর মতো অভিযানের মাধ্যমে সাইকেল চালানোর উৎসাহ বাড়ছে।

 

বন্ধুরা, এখন আপনাদের একটি অনন্য বিষয়ে কথা বলতে চাই যেটা আমাদের দেশে আগত পরির্বতন এবং যুবা বন্ধুদের উদ্দীপনা ও আবেগের প্রতীক স্বরূপ। আপনি কি জানেন আমাদের বস্তারে একটি অনন্য অলিম্পিক শুরু হয়েছেএকদম ঠিক, প্রথমবার হওয়া বস্তার অলিম্পিকে বস্তারে এক নতুন বিপ্লবের সূচনা হয়েছে। আমার কাছে এটা খুবই আনন্দের কথা যে অবশেষে বস্তার অলিম্পিকের স্বপ্ন বাস্তবে রূপান্তরিত হয়েছে। আপনাদেরও জেনে ভালো লাগবে যে এলাকায় এই খেলা শুরু হয়েছে সেই এলাকাটি আগে মাওবাদী হিংসার সাক্ষী ছিল। বস্তার অলিম্পিকের প্রতীক হল - “বুনো মহিষ এবং পাহাড়ি ময়না”। এর প্রতীকগুলোর মধ্যে বস্তার অঞ্চলের সমৃদ্ধ সংস্কৃতির এক ঝলক দেখতে পাওয়া যায়। এই বস্তারে আয়োজিত অলিম্পিক মহাকুম্ভের, মূল মন্ত্রটি হল“করসায় তা বস্তার, বরসায় তা বস্তার” অর্থাৎ “খেলবে বস্তার, জিতবে বস্তার”। প্রথম বার আয়োজিত বস্তার অলিম্পিকে সাতটি জেলা মিলিয়ে প্রায় এক লক্ষ ৬৫ হাজার খেলোয়াড় অংশগ্রহণ করেছে। এটি শুধুমাত্র একটি পরিসংখ্যান নয় – এটা আমাদের যুবাদের গ্রহণ করা সংকল্পের একটি গৌরব গাথা। অ্যাথলেটিক্স, তীরন্দাজ, ব্যাডমিন্টন, ফুটবল, হকি, ওয়েট লিফটিং, ক্যারাটে, কাবাডি, খো-খো এবং ভলিবল – প্রতিটি ক্ষেত্রেই আমাদের যুবারা তাদের প্রতিভার পরিচয় রেখেছে। কারি কাশ্যপজির কাহিনি আমাকে খুবই অনুপ্রাণিত করে। ছোট্ট গ্রাম থেকে আসা কারিজি, তীরন্দাজিতে রৌপ্য পদক জিতেছেন। তিনি বলেন – “বস্তার অলিম্পিক আমাদের জন্য শুধুমাত্র একটি খেলার মাঠ নয়, এটি আমাদের জীবনে এগিয়ে যাওয়ার সুযোগ করে দিয়েছে।’’ সুকমা এলাকার পায়েল কাওয়াসি জির কথাও কম প্রেরণাদায়ক নয়। জ্যাভলিন থ্রোতে স্বর্ণপদক প্রাপক পায়েল জি বলেছেন – “শৃঙ্খলা ও কঠোর পরিশ্রমের মাধ্যমে কোনো লক্ষ্যই অর্জন করা অসম্ভব নয়।” সুকমার দোরনাপালের পুনেম সান্না জির গল্পটি নতুন ভারতের জন্য একটি অনুপ্রেরণার সমান। একসময় নকশাল প্রভাব থেকে আসা পুনেম জি আজ হুইলচেয়ারে দৌড়ে পদক জিতেছেন। ওঁর সাহস ও মনের জোর সবার জন্য অনুপ্রেরণা। কোদাগাঁওয়ের তীরন্দাজ রঞ্জু সোরি জিকে ‘বস্তার ইউথ আইকন’ হিসাবে নির্বাচন করা হয়েছে।উনি মনে করেন বস্তর Olympic দূর দুরান্তের যুবাদের রাষ্ট্রীয় মঞ্চ পর্যন্ত পৌছনোর সুযোগ দিচ্ছে।

বন্ধুরা, বস্তর Olympic কেবল একটি ক্রীড়া উদ্যোগ নয়। এটি এমন একটি মঞ্চ যেখানে প্রগতি ও ক্রীড়ার মিলন ঘটে। যেখানে আমাদের যুবারা নিজেদের প্রতিভাকে প্রজ্জ্বলিত করে তুলছেন এবং একটি নতুন ভারত নির্মাণ করছেন। আমি আপনাদের সকলের কাছে অনুরোধ করছিঃ

- নিজেদের এলাকায় এই ধরণের ক্রীড়ার উদ্যোগের আয়োজন করার প্রচেষ্টাকে উৎসাহ দিন

- #খেলেগা ভারত-জিতেগা ভারত ব্যবহার করে নিজেদের অঞ্চলের ক্রীড়া প্রতিভাদের গল্প ভাগ করে নিন

- স্থানীয় ক্রীড়া প্রতিভাদের এগিয়ে যাওয়ার সুযোগ করে দিন

 

মনে রাখবেন, খেলাধুলোর মাধ্যমে শুধু শারীরিক বিকাশ-ই নয়, সমাজের সঙ্গে sportsman spirit যুক্ত করারও এই একটি শক্তিশালী মাধ্যম।

তাহলে খুব খেলুন, নিজেকে বিকশিত করুন।

আমার প্রিয় দেশবাসী, ভারতের দুটি বিশাল কৃতিত্ব আজ সারা বিশ্বের দৃষ্টি আকর্ষণ করছে। এগুলির কথা শুনলে আপনিও গর্ব অনুভব করবেন। এই দুটি সাফল্যই স্বাস্থ্যের ক্ষেত্রে এসেছে। প্রথম সাফল্যটি এসেছে ম্যালেরিয়ার সঙ্গে লড়াইয়ে। ম্যালেরিয়া রোগটি চার হাজার বছর ধরে মানবজাতির জন্য এক বড় চ্যালেঞ্জ ছিল। স্বাধীনতার সময়ও স্বাস্থ্যের ক্ষেত্রে আমাদের সবচেয়ে বড় চ্যালেঞ্জগুলোর মধ্যে অন্যতম ছিল এটি। এক মাস থেকে ৫ বছর বয়স অবধি বাচ্চাদের প্রাণঘাতী সংক্রামক রোগগুলোর মধ্যে ম্যালেরিয়ার স্থান তিনে। আজ আমি আনন্দের সঙ্গে বলতে পারছি, দেশবাসী নিরন্তর প্রচেষ্টার মাধ্যমে এই চ্যালেঞ্জের মোকাবিলা করেছেন।

বিশ্ব স্বাস্থ্য সংগঠন WHO-এর রিপোর্ট বলছে ‘ভারতে ২০১৫ থেকে ২০২৩-এর মধ্যে ম্যালেরিয়ায় আক্রান্ত হওয়া  ও তার ফলে মৃত্যুর সংখ্যা ৮০ শতাংশ কমে গেছে। এটি কোন সামান্য কৃতিত্ব নয়। সবচেয়ে আনন্দের বিষয় এটাই যে এই সাফল্য সাধারণ মানুষের অংশীদারিত্বের মাধ্যমে এসেছে। ভারতের প্রতিটি প্রান্ত, প্রতিটি জেলা থেকে সবাই এই অভিযানে অংশ নিয়েছেন। অসমের জোরহাটের চা বাগানগুলোতে চার বছর আগে পর্যন্ত ম্যালেরিয়া মানুষের দুশ্চিন্তার একটি বড় কারণ ছিল। কিন্তু যখন একে নির্মূল করার লক্ষ্যে চা বাগানে থাকা সবাই এক জোট হন তখন এই ক্ষেত্রে অনেকাংশেই সাফল্য আসতে শুরু করে।

নিজেদের এই প্রয়াসে ওঁরা technology-র পাশাপাশি social media-ও বিশাল রূপে ব্যবহার করেন। এভাবেই হরিয়ানার কুরুক্ষেত্র জেলা ম্যালেরিয়া নিয়ন্ত্রণের লক্ষ্যে একটি খুব সুন্দর model সামনে নিয়ে এসেছেন। এখানে ম্যালেরিয়ার monitoring-এর ক্ষেত্রে জনগণের অংশগ্রহণ বেশ সফল হয়েছে। পথনাটিকা ও রেডিওর মাধ্যমে এমন বার্তায় জোর দেওয়া হয়েছে যার ফলে মশার breeding কম করতে অনেকটাই সাহায্য পাওয়া গেছে। সারা দেশে এই ধরণের নানান প্রচেষ্টার মাধ্যমেই আমরা ম্যালেরিয়ার বিরুদ্ধে যুদ্ধকে আরও দ্রুত এগিয়ে নিয়ে যেতে সক্ষম হয়েছি।

বন্ধুরা, আমাদের সচেতনতা এবং দৃঢ়সংকল্পের মাধ্যমে আমরা যে কী অর্জন করতে পারি তার দ্বিতীয় উদাহরণ হল ক্যান্সারের সঙ্গে লড়াই। বিশ্ব বিখ্যাত মেডিকেল জার্নাল ল্যানসেটের প্রকাশিত গবেষণা সত্যিই খুব আশাব্যঞ্জক। এই জার্নালের মতে, এখন ভারতে সময়মতো ক্যান্সারের চিকিৎসা শুরু করার সম্ভাবনা অনেক বেড়ে গেছে। সময়মতো চিকিৎসা বলতে, একজন ক্যান্সার রোগীর চিকিৎসা ৩০ দিনের মধ্যে শুরু করা যেতে পারে এবং আয়ুষ্মান ভারত প্রকল্প এতে বড় ভূমিকা পালন করেছে। এই প্রকল্পের কারণে ৯০% ক্যান্সার রোগী তাদের চিকিৎসা যথাসময়ে শুরু করতে পেরেছে। এমনটা হয়েছে কারণ আগে অর্থের অভাবে দরিদ্র রোগীরা ক্যান্সার রোগনির্ণয় ও চিকিৎসা থেকে সরে দাঁড়াতেন। এখন আয়ুষ্মান ভারত প্রকল্প তাদের জন্য একটি বড় ভরসা হয়ে উঠেছে। এখন তাঁরা তাঁদের চিকিৎসার জন্য এগিয়ে আসছেন। আয়ুষ্মান ভারত প্রকল্প ক্যান্সারের চিকিৎসার জন্য যে বিপুল অর্থ প্রয়োজন, সেই সমস্যাকে অনেকাংশে কমিয়ে দিয়েছে। এটাও ভালো বিষয় যে আজ মানুষ, ক্যান্সারের সময়মতো চিকিৎসার ব্যাপারে, অনেক বেশি সচেতন হয়েছেন। এই সাফল্য যতটা আমাদের স্বাস্থ্য ব্যবস্থার, চিকিৎসক, নার্স এবং কারিগরি কর্মীদের, ততটাই আমার নাগরিক ভাই ও বোনেদের। সকলের প্রচেষ্টায় ক্যান্সারকে পরাজিত করার আমাদের সংকল্প আরও শক্তিশালী হয়েছে। এই সাফল্যের কৃতিত্ব তাঁদের সকলের যারা সচেতনতা বৃদ্ধির ক্ষেত্রে উল্লেখযোগ্য অবদান রেখেছেন। ক্যান্সারের বিরুদ্ধে লড়াই করার একমাত্র মন্ত্র - Awareness, Action and Assurance। Awareness অর্থাৎ ক্যান্সার এবং তার লক্ষণ সম্পর্কে সচেতনতা। Action মানে সময়মতো রোগনির্ণয় এবং চিকিৎসা। Assurance মানে এই বিশ্বাস যে রোগীদের জন্য সবরকম সাহায্যের ব্যবস্থা থাকবে। আসুন আমরা সবাই মিলে ক্যান্সারের বিরুদ্ধে এই লড়াইকে দ্রুত এগিয়ে নিয়ে যাই এবং যতটা সম্ভব রোগীদের সাহায্য করি।

আমার প্রিয় দেশবাসী, আজ আমি আপনাদের ওড়িশার কালাহান্ডি অঞ্চলের এমন একটি প্রয়াসের কথা জানাতে চাই যারা খুব কম জল আর স্বল্প সম্পদ থাকা সত্ত্বেও সফলতার এক নতুন গাথা লিখেছে। এটি হল কালাহান্ডির সবজি ক্রান্তি। এক সময় যেখান থেকে কৃষক পালিয়ে যেতে বাধ্য হত, সেখানেই আজ কালাহান্ডির গোলামুন্ডা ব্লক vegetable hub হয়ে উঠেছে। এই পরিবর্তনটি কিভাবে এল? একে দশ জন কৃষকের একটি ছোট গোষ্ঠী শুরু করেন। এই গোষ্ঠীর সকলে মিলে একটা FPO - কৃষক উৎপাদন সংঘ স্থাপন করে, কৃষিতে আধুনিক প্রযুক্তির প্রয়োগ শুরু করা হয়, আজ ওদের এই FPO কোটি কোটি টাকার ব্যবসা করছে। আজ প্রায় ২০০-র বেশি কৃষক এই FPO -র সঙ্গে যুক্ত হয়েছেন যার মধ্যে ৪৫ জন মহিলা কৃষক সদস্যও রয়েছেন। এরা সবাই মিলে ২০০ একর জমিতে  টমেটো চাষ করছেন আর ১৫০ একর জমিতে করলার চাষ করছেন। এখন এই FPO-র বার্ষিক turnover দেড় কোটিরও বেশি হয়ে গেছে। আজ কালাহান্ডির সবজি কেবল ওড়িশার বিভিন্ন জেলাতেই নয়, দেশের অন্য রাজ্যগুলিতেও পৌঁছে যাচ্ছে আর ওখানকার কৃষকেরা এখন আলু আর পেঁয়াজ চাষ করার নতুন কলাকৌশলও শিখছে।
বন্ধুরা, কালাহান্ডির এই সাফল্য আমাদের এই শিক্ষা দেয় যে সংকল্পশক্তি আর সমষ্টিগত প্রচেষ্টায় কি না সম্ভব। আমি আপনাদের সবার কাছে অনুরোধ করছি
- নিজেদের এলাকার FPO গুলিকে উৎসাহ দিন।
- কৃষক উৎপাদন গোষ্ঠীগুলির সঙ্গে যুক্ত হয়ে তাদের মজবুত করে তুলুন।
মনে রাখবেন ক্ষুদ্র প্রচেষ্টার মাধ্যমেও বড় পরিবর্তন ঘটানো সম্ভব। আমাদের শুধু দৃঢ় সংকল্প আর সম্মিলিত ভাবনার প্রয়োজন।

বন্ধুরা, আজকের ‘মন কি বাত’-এ আমরা শুনলাম কি ভাবে আমাদের ভারত বৈচিত্র্যের মধ্যে ঐক্য নিয়ে এগিয়ে চলেছে। তা সে খেলার মাঠ হোক বা বিজ্ঞানের ক্ষেত্র, স্বাস্থ্য হোক বা শিক্ষাপ্রতিটি ক্ষেত্রেই ভারত নিত্য নতুন উচ্চতা লাভ করে চলেছে। আমরা এক পরিবারের মতো মিলেমিশে প্রতিটি চ্যালেঞ্জের মোকাবিলা করেছি এবং সাফল্য লাভ করেছি। ২০১৪ সাল থেকে শুরু হওয়া ‘মন কি বাত’-এর ১১৬টি পর্বে আমি দেখেছি যে ‘মন কি বাত’ দেশের সামগ্রিক শক্তির এক জীবন্ত দলিল হয়ে উঠেছে। আপনারা সবাই এই অনুষ্ঠানকে আপন করে নিয়েছেন। প্রতি মাসে আপনারা আপনাদের চিন্তা-ভাবনা ও প্রচেষ্টা আমাদের সঙ্গে ভাগ করে নিয়েছেন। কখনো কোনো young innovator-এর আইডিয়াতে প্রভাবিত হয়েছি, তো কখনো কোন কন্যার achievement-এ গৌরবান্বিত হই। এটা আপনাদের সবার মিলিত প্রচেষ্টা, যা দেশের প্রতিটি প্রান্ত থেকে ইতিবাচক শক্তি সঞ্চার করেছে। ‘মন কি বাত’ এইরকম ইতিবাচক শক্তি বিকাশের মঞ্চ হয়ে উঠেছে, এখন ২০২৫ কড়া নাড়ছে। আসন্ন বছরে ‘মন কি বাত’-এর মাধ্যমে আমরা উৎসাহব্যঞ্জক প্রচেষ্টার বিষয়গুলো ভাগ করে নেব। আমার বিশ্বাস, দেশবাসীর ইতিবাচক চিন্তা ও innovation-এর ভাবনায় ভারত নতুন উচ্চতার শিখরে পৌঁছবে। আপনারা নিজেদের আশেপাশের unique প্রচেষ্টাকে #Mannkibaat-এর সঙ্গে share করতে থাকুন। আমি জানি যে পরের বছরের প্রতিটা ‘মন কি বাত’-এ আমাদের কাছে একে অপরের সঙ্গে ভাগ করে নেওয়ার মতো অনেক কিছু থাকবে। আপনাদের সবাইকে জানাই ২০২৫-এর জন্য অনেক শুভকামনা। সুস্থ থাকুন, আনন্দে থাকুন, Fit India Movement-এর সঙ্গে যুক্ত হয়ে যান, নিজেকেও fit রাখুন। জীবনে উন্নতি করতে থাকুন। অনেক অনেক ধন্যবাদ।