The farmers of Meghalaya have broken the record of five years of production during the year 2015-16, I appreciate them for this: PM Modi
The agricultural sector of our country has shown the path to the whole world in many cases: PM Modi
Our aim is double farmers' income by 2022 as well as address the challenges farmers face: PM Modi
More than 11 crore Health Health Cards have been distributed in the country: PM Modi
Under Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana, irrigation facilities are being ensured for farms: PM Modi
We have announced Operation Greens in this years budget. Farmers growing Tomato, Onion and Potato have been given TOP priority: PM Modi
We are committed to ensure that benefits of MSP reach the farmers: PM Modi
The government has decided that for the notified crops, the minimum support price, will be declared at least 1.5 times their input cost: PM Modi
Agriculture Marketing Reform is being done at a very large scale in the country for ensuring fair price of crop: PM Modi
The government is promoting the Farmer Producer Organization- FPO: PM Modi
India has immense scope for organic farming. Today there is more than 22 lakh hectares of land in the country under organic farming: PM Modi
I urge the farmers not to burn crop residue. It harms the soil as well as poses threat to environment: PM Modi

मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्री राधामोहन सिंह जी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी, मेघालय के मुख्यमंत्री श्री कोनराड संगमा जी, मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्री पुरुषोत्तम रुपाला जी, श्री गजेंद्र सिंह शेखावत जी, श्रीमती कृष्णा राज जी, वैज्ञानिकगण, और इस आयोजन का केंद्रबिंदु देशभर से आए हुए मेरे किसान भाई-बहन

राष्ट्रीय कृषि उन्नति मेले में आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है। इस तरह के उन्नति मेलों की न्यू इंडिया की राह को सशक्त करने में बड़ी भूमिका है।

इस मेले के माध्यम से मुझे न्यू इंडिया के दो प्रहरियों से एक साथ, एक समय पर बात करने का अवसर मिल रहा है। न्यू इंडिया के एक प्रहरी हमारे किसान, हमारे अन्नदाता हैं जो देश का भरण पोषण करने के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा कर रहे हैं। दूसरे प्रहरी हमारे वैज्ञानिक बंधु हैं जो नई-नई तकनीक विकसित कर किसान का जीवन आसान कर रहे हैं।

मुझे ये भी बताया गया है कि देशभर के कृषि वैज्ञानिक केंद्रों में भी हजारों किसान भाई-बहन इस समय तकनीक के माध्यम से हमसे सीधे जुड़े हुए हैं। उन सभी का भी मैं इस अवसर पर हार्दिक अभिनंदन करता हूं।

भाइयों और बहनों, यहां आने से पहले मैं, यहां जो विशाल मेला लगा है, उसमें गया था। मेरी अनेक वैज्ञानिकों से बात हुई, किसानों से बात हुई, कृषि से जुड़ी नई-नई तकनीकों को मैंने देखा। Live Demostration से नई तकनीकों की जो जानकारियां दी जा रहीं हैं वो निश्चित रूप से सभी के बहुत काम आने वाली हैं।

आज मुझे यहां खेती के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले किसान भाई-बहनों को सम्मानित करने का भी अवसर मिला है। कृषि कर्मण और पंडित दीन दयाल उपाध्याय कृषि प्रोत्साहन पुरस्कार से सम्मानित सभी राज्यों और लोगों को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

ये पुरस्कार आपकी मेहनत का सम्मान तो है ही साथ में करोड़ों किसान भाइयों को प्रोत्साहित करने का माध्यम भी हैं।

आज अनेक राज्यों को रिकॉर्ड अनाज उत्पादन के लिए सम्मानित किया गया है। मैं विशेष रूप से यहां मेघालय की बात करना चाहूंगा जिसे अलग से पुरस्कार दिया गया है। साथियों, क्षेत्रफल में छोटे इस राज्य ने बड़ा काम करके दिखाया है। मेघालय के किसानों ने वर्ष 2015-16 के दौरान पैदावार का पाँच साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इस समय मंच पर मेघालय के युवा मुख्यमंत्री उपस्थित हैं। मेरा आग्रह है कि इस उपलब्धि के लिए वो मेघालय में भी किसानों के लिए एक सम्मान कार्यक्रम आयोजित करें।

साथियों, आज मेरा ये विश्वास और सुदृढ़ हो गया है कि जब लक्ष्य स्पष्ट हो, लक्ष्य की प्राप्ति के लिए खुद को दिन-रात खपाने का इरादा हो, तो कुछ भी असंभव नहीं है। हमारे देश के किसान में वो हौसला है कि वो मुश्किल लगने वाले लक्ष्यों को भी प्राप्त कर सकता है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में अनाज उत्पादन की क्या स्थिति थी। संकट भरे उस दौर से हमारा अन्नदाता हमें बाहर निकालकर लाया है। आज देश में रिकॉर्ड अनाज उत्पादन, रिकॉर्ड दाल उत्पादन, रिकॉर्ड फल – सब्जियों का उत्पादन, रिकॉर्ड दुग्ध उद्पादन हो रहा है।

इसलिए मैं देश के हर किसान को, कृषि उन्नति में लगी हर माता-बहन-बेटी को शत-शत नमन करता हूं।

साथियों, हमारे देश में कृषि सेक्टर ने अनेक मामलों में पूरी दुनिया को राह दिखाई है। लेकिन समय के साथ जो चुनौतियां खेती से जुड़ती चली गईं, वो आज के इस दौर में बहुत अहम हैं। ये चुनौतियां ही किसान की आय कम करती हैं, उसका नुकसान करती हैं, खेती पर होने वाला उसका खर्च बढ़ाती हैं।

इन चुनौतियों को पूरी समग्रता के साथ, Holistic अप्रोच के साथ निपटने की दिशा में हमारी सरकार निरंतर कार्य कर रही है। इन अलग-अलग कार्यों की दिशा एक है- किसान की आय दोगुनी करना, लक्ष्य एक है- किसानों का जीवन आसान बनाना। हम इस संकल्प पथ पर बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

आज देश में 11 करोड़ से ज्यादा सॉयल हेल्थ कार्ड बांटे जा चुके हैं। सॉयल हेल्थ कार्डसे मिल रही जानकारी के आधार पर, जो किसान खेती कर रहे हैं, उनकी पैदावार बढ़ने के साथ-साथ खाद पर खर्च भी कम हो रहा है।

यूरिया की 100 प्रतिशत नीम कोटिंग से भी खाद की खपत कम हुई है और प्रति हेक्टेयर अनाज उत्पादन बढ़ा है।

भाइयों और बहनों, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से हमारी सरकार ने किसानो को सबसे कम प्रीमियम पर फसल बीमा उपलब्ध कराया है। बीमा पर कैपिंग खत्म करते हुए ये प्रावधान किया गया कि पूरी राशि का बीमा किया जाए। इस योजना के बाद अब प्रति किसान मिलने वाली Claim राशि दोगुने से भी अधिक हो गई है। किसान को चिंता मुक्त करने में ये हमारी सरकार का बहुत बड़ा कदम रहा है।

प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत हर खेत को पानी के विजन के साथ कार्य किया जा रहा है। जो सिंचाई परियोजनाएं दशकों से अधूरी पड़ी थी, उन्हें 80 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करके पूरा किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के जरिए, हमारी सरकार खेत से लेकर बाजार तक, पूरी सप्लाई चेन को मजबूत कर रही है, आधुनिक एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रही है। इस बजट में जिस Operation Greensका ऐलान किया है, वो भी नई सप्लाई चेन व्यवस्था से जुड़ा है। ये फल और सब्जियां पैदा करने वाले और खासतौर पर Top यानि Tomato, Onion और Potato उगाने वाले किसानों के लिए लाभकारी रहेगा।

किसान हित से जुड़े कई Model Act बनाकर राज्य सरकारों से उन्हें लागू करने का भी आग्रह किया गया है। ये कानून राज्यों में लागू होने के बाद किसानों को सशक्त करने का काम करेंगे।

किसानों को आधुनिक बीज मिले, आवश्यक बिजली मिले, बाजार तक कोई परेशानी न हो, उन्हें फसल की उचित कीमत मिले, इसके लिए हमारी सरकार दिन-रात एक कर रही है।

साथियों, इस बजट में किसानों को फसलों की उचित कीमत दिलाने के लिए एक बड़े फैसले का ऐलान किया है।

सरकार ने तय किया है कि अधिसूचित फसलों के लिए, न्यूनतम समर्थन मूल्य – यानि की MSP, उनकी लागत का कम से कम डेढ़ गुना घोषित किया जाएगा। अपने किसान भाइयों के सामने मैं इसे और विस्तार से समझाना चाहता हूं। भाइयों और बहनों, MSPके लिए जो लागत जोड़ी जाएगी, उसमें दूसरे श्रमिक के परिश्रम का मूल्य, अपने मवेशी-मशीन या किराए पर लिए गए मवेशी या मशीन का खर्च, बीज का मूल्य, सभी तरह की खाद का मूल्य, सिंचाई के ऊपर किया गया खर्च, राज्य सरकार को दिया गया लैंड रेवेन्यू, वर्किंग कैपिटल के ऊपर दिया गया ब्याज, Leaseली गई जमीन के लिए दिया गया किराया, और अन्य खर्च शामिल हैं।

इतना ही नहीं किसान के द्वारा खुद और अपने परिवार के सदस्यों द्वारा दिए गए श्रम के योगदान का भी मूल्य, उत्पादन लागत में जोड़ा जाएगा।

देश के परिश्रमी किसानों की आय से जुड़ा ये बहुत महत्वपूर्ण कदम है। न्यूनतम समर्थन मूल्य के ऐलान का पूरा लाभ किसानों को मिले, इसके लिए हम राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

साथियों,किसानों को फसल की उचित कीमत के लिए देश में Agriculture Marketing Reform पर भी बहुत व्यापक स्तर पर काम किया जा रहा है।

गांव की स्थानीय मंडियों का Wholesale Marketऔर फिर ग्लोबल Marketतक तालमेल बिठाना बहुत आवश्यक है।

सरकार का प्रयास है कि किसानो को अपनी उपज बेचने के लिए बहुत दूर नहीं जाना पड़े। इस बजट में ग्रामीण रीटेल एग्रीकल्चर मार्केट- यानि Gram की अवधारणा इसी का परिणाम है। इसके तहत देश के 22 हजार ग्रामीण हाटों को जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ अपग्रेड किया जाएगा और फिर इन्हें APMCऔर e-Nam प्लेटफॉर्म के साथ इंटीग्रेड कर दिया जाएगा। यानि एक तरह से अपने खेत के 5-6 किलोमीटर के दायरे में किसान के पास ऐसी व्यवस्था होगी, जो उसे देश के किसी भी मार्केट से कनेक्ट कर देगी।

किसान इन ग्रामीण हाटों पर ही अपनी उपज सीधे उपभोक्ताओं को बेच सकेगा। आने वाले दिनों में ये केंद्र, किसानों की आय बढ़ाने, रोजगार और कृषि आधारित ग्रामीण एवं कृषि अर्थव्यवस्था के नए केंद्र बनेंगे।

इस स्थिति को और मजबूत करने के लिए सरकार Farmer Producer Organization- FPOको बढ़ावा दे रही है। किसान अपने क्षेत्र में, अपने स्तर पर छोटे-छोटे संगठन बनाकर भी ग्रामीण हाटों और बड़ी मंडियों से जुड़ सकते हैं।

साथियों, बहुत पुरानी कहावत है कि एकता में शक्ति होती है। ये बात Farmer Producer Organizations पर भी लागू होती है। आप कल्पना करिए, जब गांव के किसानों का एक बड़ा समूह इकट्ठा होकर खाद खरीदेगा, उसे Transport करके लाएगा, तो पैसे की कितनी बचत होगी। इसी तरह आप दवा के दाम में, बीज में, बड़ा Discount भी प्राप्त कर सकेंगे। इसके अलावा जब वही समूह गांव में अपनी पैदावार इकट्ठा करके, उसकी पैकेजिंग करके, बाजार में बेचने निकलेगा, तो भी उसके हाथ ज्यादा पैसे आएंगे। खेत से लेकर उपभोक्ता तक पहुंचने के बीच में जो कीमत बढ़ती है, उसका ज्यादा लाभ किसानों को ही मिलेगा।

भाइयों और बहनों, इस बजट में सरकार ने ये भी ऐलान किया है कि ‘Farmer Producer Organizations’ को कॉपरेटिव सोसायटियों की तरह ही इनकम टैक्स में छूट दी जाएगी। महिला सेल्फ हेल्प ग्रुपों को इन ‘फॉर्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन’ की मदद के साथ ऑर्गैनिक, एरोमैटिक और हर्बल खेती के साथ जोड़ने की योजना भी किसानों की आय बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

साथियों, किसान भाई, अपनी फसल आसानी से बेच सकें, इस दिशा में आज यहां इस कार्यक्रम में एक नया अध्याय भी जुड़ा है।

पिछले महीने नेशनल एग्रीकल्चर कॉन्फ्रेंस में मैंने Organic Products की मार्केटिंग के लिए E-Marketing Portal का विचार रखा था। इतने कम समय में आज उसका शुभारंभ होते देखना मेरे लिए बहुत सुखद अनुभव है।

E-Marketing Portal, जैविक या Organic उत्पादोंको खेत से बाजार तक और बाजार से उपभोक्ता के द्वार तक पहुंचाने में बड़ा रोल निभाएगा। Products की जानकारी, उसके मार्केट और सप्लाई चेन की जानकारी अब किसानों को और उपभोक्ताओं को, आसानी से उपलब्ध होगी।

भाइयों और बहनों, Organic Products पर मेरा जोर इसलिए है, क्योंकि ये जितने पुरातन हैं, उतने ही आधुनिक भी हैं। सच्चाई यही है कि हम दुनिया के सबसे पुराने Organic Farming करने वाले देशों में से एक हैं। आज देश में 22 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर Organic Farming होती है। लेकिन दूसरी सच्चाई ये भी है कि Organic Farming के बाद जो अगला Step है, Value Addition का, मार्केटिंग का, उसमें हम पीछे रह गए। इस कमी को दूर करने में E-Marketing Portal से काफी मदद मिलेगी।

साथियों, सरकार परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत Organic Farming को पूरे देश में प्रोत्साहित करने में जुटी है। विशेष रूप से उत्तर पूर्व को ऑर्गेनिक खेती के Hub के तौर पर विकसित किया जा रहा है।

साथियों, एग्रीकल्चर में भविष्य इसी तरह के नए सेक्टर्स की उन्नति, किसानों की उन्नति में सहायक होगी। Green और White Revolution के साथ ही जितना ज्यादा हम Organic Revolution, Water Revolution, Blue Revolution, Sweet Revolutionपर बल देंगे, उतना ही किसानों की आय बढ़ेगी।

इस उन्नति में बहुत बड़ी भूमिका निभाएंगे, देशभऱ में फैले हमारे कृषि विज्ञान केंद्र। आज यहां 25 नए कृषि विज्ञान केंद्रों का शुभारंभ किया गया है और इन्हें मिलाकर हमारे देश में इनकी संख्या लगभग 700 हो गई है।

मैं इन कृषि विज्ञान केंद्रों को आधुनिक कृषि के नए Lighthouse के तौर पर देखता हूं। इन केंद्रों से निकला प्रकाश, देश के कृषि जगत को प्रकाशवान बनाएगा।विशेषकर कृषि विज्ञान केंद्र का सबसे महत्वपूर्ण काम है- किसान तक नई तकनीक, नई जानकारी को पहुंचाना। मैं आशा करता हूं कि आप सभी लोग इस कार्य में अपनी भूमिका पूरी तन्मयता के साथ निभाते रहेंगे।

 

साथियों, आज यहां जिन कृषि विज्ञान केंद्रों को पुरस्कार दिया गया है, उनमें से कई मधुमक्खी पालन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। मधुमक्खी पालन सिर्फ कमाई ही नहीं, पूरी मानवता के साथ जुड़ा हुआ है। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक बार कहा था कि

“यदि धरती से मधुमखियां गायब हो जाएं तो मानव जाति केवल 4 साल तक ही जिंदा रह पाएगी”

उनकी इस सोच के पीछे खेती और बागवानी में मधुमक्खियों की उपयोगिता छुपी हुई थी। जानकारों के मुताबिक फसलों की 100 प्रजातियों में से 70 प्रतिशत ऐसी हैं जो मधुमक्खियों के बिना उपज नहीं दे सकतीं। मधुमक्खी ना सिर्फ Pollination में मदद करती है बल्कि शहद के रूप में अमृत भी देती हैं।

तो ये वो रास्ता है जो ना सिर्फ किसान की उपज बढ़ाने में मदद करता है बल्कि शहद के रूप में अतिरिक्त कमाई का साधन भी बनता है। यही हमें Sweet Revolution की तरफ ले जाता है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक छोटे स्तर पर ही, 50 बॉक्स में मधुमक्खी पालन से किसानों को 2 से ढाई लाख तक की कमाई हो सकती है।

इसी तरह अतिरिक्त आय का एक और माध्यम है सोलर फार्मिंग। ये खेती की वो तकनीक है जो ना सिर्फ सिंचाई की जरूरत को पूरा कर रही है बल्कि पर्यावरण की भी मदद कर रही है। खेत के किनारे पर सोलर पैनल से किसान पानी की पंपिंग के लिए जरूरी बिजली तो लेता ही है साथ में अतिरिक्त बिजली सरकार को बेच सकता है। इससे उसे पेट्रोल-डीजल से मुक्ति मिल जाएगी। इससे पर्यावरण की भी सेवा होगी तो पेट्रोल-डीजल की खरीद में लगने वाले सरकारी धन की भी बचत होगी।

बीते तीन साल में सरकार ने लगभग पौने 3 लाख सोलर पंपों को किसानों तक पहुंचाया है और इसके लिए लगभग ढाई हजार करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है।

मेरे किसान भाइयों और बहनों, हमारी सरकार Waste To Wealth की दिशा में भी सार्थक प्रयास कर रही है। इस बजट में हमने गोबर धन योजना का ऐलान किया है। Go-Bar धन यानि Galvenizng Organic Bio-Agro Resource धन योजना। गांव में बड़ी मात्रा में बायो वेस्ट निकलता है, जो गांव में गंदगी का बड़ा कारण बनता है। इस योजना के तहत इस वेस्ट को अब कंपोस्ट, बायो गैस और बायो सीएनजी में बदला जाएगा। मुझे उम्मीद है कि ये योजना भी किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित होगी।

फसल के जिस अवशेष को किसान सबसे बड़ी आफत मानते हैं उससे पैसा भी बनाया जा सकता है। Coir Waste हो, Coconut Shells हों, Bamboo Waste हो, फसल कटने के बाद खेत में बचा Residue ( रेसिड्यू )हो, इन सभी को किसानों की आय से जोड़ने का काम किया जा रहा है।

साथियों, हमारे यहां कुछ क्षेत्रों में एक गलत परंपरा पड़ गई है Crop Residue जलाने की। इसे कुछ लोग पराली जलाना भी कहते हैं। वास्तव में हम देखें तो फसल क्या है?मिट्टी से लिए गए पोषक तत्व, हवा, पानी, सूरज की रोशनी, और बीज की ताकत। जब हम Crop Residue को जला देते हैं तो ये सारे अहम तत्व जलकर हवा में चले जाते हैं। इससे प्रदूषण तो होता ही है, किसान की मिट्टी को भी नुकसान होता है।

यदि किसान पराली जलाना छोड़ें और मशीनों केमाध्यम से पराली को खेत में ही मिला दें, तो उन्हें बहुत लाभ होगा। ये देखा गया है कि पराली को खेत में मिलाने की वजह से मिट्टी की सेहत में जबरदस्त सुधार आता है, खाद की आवश्यकता में कमी आती है और पैदावार भी बढ़ती है। कुल मिलाकर ये किसान की आय में बढोतरी करती है।

इसलिए आज इस मंच से मैं फिर आग्रह करूंगा कि किसान भाई पराली जलाना छोड़ें। अब तो सरकार किसानों को मशीन खरीदने के लिए ज्यादा आर्थिक सहायता भी दे रही है। जब स्वस्थ धरा होगी, तो खेत भी हरा होगा।

साथियों, सरकार इस बात का ध्यान रख रही है कि आय बढ़ाने के लिए किसान जो भी नए विकल्प अपना रहे हैं, उसके लिए उन्हें पैसे की कमी न आए। हमारा निरंतर प्रयास है कि किसानों को लोन लेने में परेशानी न हो। इसलिए इस वर्ष सरकार ने खेती के लिए दिए वाले कर्ज को 10 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 11 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कर दिया है।

इस वर्ष के बजट में पशुपालन के लिए, मछलीपालन के लिए जो Infrastructure Development Fund बनाया गया है, उसके लिए सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। सरकार ने National Bamboo Mission के लिए भी लगभग 1300 करोड़ रुपए दिए हैं।

एक और प्रयास हम कर रहे हैं उन किसानों के लिए जो जमीन किराए पर लेकर खेती करते हैं। जिसे कुछ जगहों पर बंटाई पर खेती करना कहा जाता है। ऐसे किसानों को औरआसानी से कर्ज मिल सके सके, इसके लिए भी केंद्र सरकार, राज्यों के साथ मिलकर काम कर रही है।

अकसर देखा गया है कि छोटे किसानों को कॉपरेटिव सोसायटियों से कर्ज लेने में दिक्कत आती है। इसके लिए देश की सारी प्राइमरी एग्रीकल्चर कॉपरेटिव सोसायटियों के कंप्यूटरीकरण का काम तेजी से किया जा रहा है।

साथियों, कृषि हमारी सभ्यता और संस्कृति के मूल में रही है। हमारे सामाजिक और आर्थिक जीवन का ये सबसे अहम हिस्सा है। लेकिन ये भी सच है कि सदियों से जिन रास्तों पर हम चले हैं वो रास्ते हमें नए लक्ष्य तक पहुंचा दें, ये तय नहीं। इन नए रास्तों पर चलने के लिए हमारी मदद करेगी टेक्नॉलॉजी। मुझे उम्मीद है कि इस उन्नति मेले में जिन किसान भाइयों ने टेक्नोलॉजी के नए प्रयोग देखें हैं, वो उसका इस्तेमाल भी करने की कोशिश करेंगे।

अलग-अलग स्तर पर हो रहे ये प्रयोग देश के अन्य हिस्सों मेंकिसानों तक पहुंचें, इस दिशा में भी प्रयास बढ़ाए जाने चाहिए।

मेरा एक आग्रह और है। साथियों, इस तरह के आयोजन अकसर दिल्ली में होते रहे हैं। मैं चाहता हूं कि देश के दूर-दराज वाले इलाकों में, ऐसे इलाकों में जहां आजीविका का आधार सिर्फ और सिर्फ खेती हो, वहां पर भी ऐसे कार्यक्रमों की संख्या बढ़ाई जाए। इन कार्यक्रमों के जरिए वहां के लोंगों तक आपके प्रयास भी पहुंचेंगे और टेक्नोलॉजी भी।

इसके अलावा इस तरह के जो मेले होते हैं, उसकी Impact Analysis भी कराई जानी चाहिए। इस मेले में हजारों लोग आते रहे हैं, लेकिन उससे उनकी जिंदगी में बदलाव क्या आया है, इन मेलों में किस तरह की टेक्नोलॉजी को ज्यादा पसंद किया जाता है, किसान की जिंदगी कैसे आसान हुई है, अगर संभव हो तो इसका एक अध्ययन भी होना चाहिए। मुझे विश्वास है कि ये स्टडी, हमें भविष्य की तैयारियों में मदद करेगी।

साथियों, हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है-

गच्छन् पिपिलिकः योजनानां शतानि अपि याति ।

अगच्छन् वैनतेयः एकं पदं न गच्छति ।

यानि अकेली चलती हुई चींटी, धीरे-धीरे करके सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है लेकिन अपनी जगह रुका हुआ गरुड़, एक कदम भी आगे नहीं जा पाता। कहने का मतलब ये कि बहुत छोटे-छोटे प्रयास करके भी हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

साथियों, वैसे मैंने आपको चींटी का उदाहरण दिया तो उससे जुड़ी एक और बात याद आ गई। मैंने कहीं पढ़ा है कि जीवित प्रजातियों में अकेला मानव नहीं है जो खेती करता है। इंसान के अलावा दो- तीन और प्रजातियां हैं जो अपने लिए भोजन को पैदा करती हैं और चींटी भी उन्हीं में से एक है।

दुनिया के कुछ जंगलों में चीटियां बहुत व्यवस्थित तरीके से फंगस यानि फफूंदी की खेती करती हैं। वो बाकायदा खेत बनाती हैं, खर-पतवार हटाती हैं, पानी की व्यवस्था करती हैं और यहां तक की Antibiotics का भी इस्तेमाल करती हैं।

भाइयों और बहनों, लाखों वर्षों से ये चींटियां आज भी बची हुई हैं, तो उसकी वजह है इच्छाशक्ति। दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे छोटी Agriculturist हमें ये सीख देती है कि कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

आइए, हम सभी मिलकर भारतीय खेती की और उन्नति का संकल्प लें, भारतीय खेती का गौरव लौटाने का संकल्प लें, इस लक्ष्य को प्राप्त करें।

एक बार फिर आप सभी को शुभकामनाओं के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद !!!

 

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!