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নতুন কৃষি বিল নিয়ে মানুষকে সচেতন করতে হবে: বিজেপি কর্মীদের বললেন প্রধানমন্ত্রী মোদী
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নতুন কৃষি বিলগুলি কীভাবে তাঁদের অধিকার সুরক্ষিত করবে, কৃষকদের কাছে গিয়ে তা খুব সরল ভাষায় বোঝাতে হবে বিজেপি কর্মীদের: প্রধানমন্ত্রী

नमस्कार, देश भर में फैले भारतीय जनता पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म जयंती पर अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं, ताकि पंडित जी ने जो हमें मार्गदर्शन किया है, जो रास्ता हमें दिखाया है उस रास्ते पर हम पूरे समर्पित भाव से आगे बढ़ पाएं। 
आप सभी सामान्य जन की सुरक्षा और सेवा के लिए समर्पित भाव से निरंतर काम कर रहे हैं। कोरोना की चुनौतियों के बीच भी भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपनी इस सेवा साधना को बिना रुके, बिना थके जारी रखा है। इसमें हमारे कई कार्यकर्ताओं को अपना जीवन भी खोना पड़ा है। दूसरों की मदद करते हुए अनेकों कार्यकर्ता स्वयं भी कोरोना से संक्रमित हुए हैं। हमारे जिन साथियों ने अपनी जीवन लीला समाज की सेवा करते-करते समाप्त की है, मैं आज उन सभी दिवंगत साथियो को आदरपूर्वक अंजलि देता हूं। मैं भाजपा के प्रत्येक कार्यकर्ता को उनके सेवा भाव के लिए, उनके परिश्रम के लिए आदरपूर्वक नमन करता हूं और प्रेरणारूप ये सेवा साधना की परंपरा हम सब के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा बनी रहेगी, मैं उनकी प्रशंसा करता हूं। हमारे सभी लाखों कार्यकर्ता जो इस संकट की घड़ी में सेवा में रत हैं उनके और उनके परिवारजनों के स्वास्थ्य की भी कामना करता हूं और जैसे हर देशवासी के स्वास्थ्य की कामना करता हूं मैं अपने हर कार्यकर्ता साथी की भी उत्तम स्वास्थ्य की भी कामना करता हूं।

साथियो, मैं हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा जी का बहुत आभारी हूं कि बीच में मुझे इस कोरोना के समय जो सेवा कार्य कर रहे थे उन कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत करने का अवसर मिला था। देश के अलग-अलग कोने में कैसे पार्टी के कार्यकर्ता खप गए थे, गरीब से गरीब की जरूरत के लिए जिस प्रकार से वो दौड़ते रहे, एक-एक घटना बहुत ही प्रेरक थी। कुछ कार्यकर्ताओं के तो पूरे परिवार सेवा भाव से जुड़ गए थे और समाज भी देखिए संसाधनों की कोई कमी नहीं होने दी। ये सेवा भाव, ये कर्तव्य भाव, संगठन का समाज के प्रति नित्य समर्पण ये अपने आप में मां भारती के लिए हमने जो सपने संजोए हैं उन सपनों को बहुत बड़ा बल देते हैं और इसलिए मेरे कार्यकर्ता भाइयो-बहनो, आपने जो किया है वो मीडिया में छपे ना छपे, टीवी में दिखे ना दिखे लेकिन आपने सामान्य गरीब के दिल में जगह बनाई है, बहुत बड़ा काम किया है।

साथियो, आज हमारे बीच ऐसे कम ही लोग हैं जिन्होंने दीनदयाल जी को जीते जी देखा, सुना हो या उनके साथ काम किया हो। मुझे दीन दयाल जी के दर्शन करने का सौभाग्य नहीं मिला था लेकिन उनका स्मरण, उनके बताए हुए रास्ते, उनका दर्शन, उनका चिंतन और उनका जीवन भी हमें प्रतिपय हमें पावन भी करता है, प्रेरणा भी देता है, ऊर्जा से भर देता है। 
साथियो, एक राष्ट्र के रूप में, एक समाज के रूप में भारत को बेहतर बनाने के लिए दीनदयाल जी, उनका जो योगदान मिला है वो पीढ़ियों को प्रेरित करने वाला है। भारतीय जनता पार्टी के हम सभी कार्यकर्ताओं के लिए उनका दिखाया मार्ग हम सभी को प्रेरणा देता है, प्रोत्साहित करता है।

साथियो, ये दीनदयाल जी ही थे जिन्होंने भारत की राष्ट्रनीति, अर्थनीति, समाजनीति, राजनीति इन सभी पहलुओं पर भारत के अथाह सामर्थ्य के हिसाब से तय करने की बात बड़ी मुखरता से कही थी, लिखी थी। उस समय जब आजाद भारत के नवनिर्माण के लिए विदेशी मॉडल को अपनाने पर जोर था तब भी दीनदयाल जी आधुनिक भारत के विकास के लिए भारत की मिट्टी पर, भारत के कोटि-कोटि जनों के पुरुषार्थ पर, उनके पराक्रम पर, उनकी प्रतिभा पर भरोसा करके उन्हीं से समाधान मिलेगा, उस समाधान को लेकर वे आवाज बुलंद करते रहे थे। समय ने सिद्ध किया है कि दीनदयाल जी का विजन कितना दूरगामी था, कितना दूरदर्शी था।

साथियो, इक्कीसवीं सदी के भारत को विश्वपटल पर नई ऊँचाई देने के लिए 130 करोड़ से अधिक भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए आज जो कुछ भी हो रहा है उसमें दीनदयाल जी जैसे महान व्यक्तित्वों का बहुत बड़ा आशीर्वाद है। इस बार उनका जन्मदिवस इसलिए भी विशेष है क्योंकि बीते कुछ दिनों में ही देश ने वो अहम निर्णय किए हैं जिस पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की चिंतन की प्रकाश रेखाएं हैं, प्रकाश पुंज हैं। हमारे देश के किसान, हमारे श्रमिक भाई-बहन, युवाओं, मध्यम वर्ग के हित में इन दिनों सरकार में रहते हुए, राज्य सरकार में बैठे हुए हमारे और कार्यकर्ताओं ने अनेक अच्छे फैसले लिए हैं, अनेक ऐतिहासिक फैसले किए हैं। जहां-जहां भी राज्यों में भी हमें सेवा करने का अवसर मिला है वहां के हमारे मुख्यमंत्री और उनकी टीम, वहां की पार्टी और पार्टी की टीम इन्हीं आदर्शों को परिपूर्ण करने के लिए उतने ही जी जान से लगे हुए हैं। आज से ही देश के ईमानदार करदाताओं के हितों को सुरक्षा देने वाला फेसलेस अपील का प्रावधान भारत की टैक्स व्यवस्था से जुड़ने वाला है। ईमानदार करदाताओं को परेशानी ना हो इसके लिए फेसलेस टैक्स सिस्टम, कुछ महीने पहले ही टैक्स रिजीम का हिस्सा हो चुका है। अब वहां से ऊपर अपील में जाना है, अब फेसलेस अपील का प्रावधान करदाताओं को अनावश्यक रूप से परेशान करने की प्रवृत्ति से बहुत बड़ी सुरक्षा देगा और मैंने हमेशा कोशिश की है। सरकार की जिन्हें जरूरत नहीं है उनके जीवन में सरकार दखल ना दे, सरकार जितनी कम दिखे उतनी समाज की ताकत बढ़ती है।

साथियो, आज जब देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक-एक देशवासी अथक परिश्रम कर रहा है तब गरीबों को दलितों, वंचितों, युवाओं, महिलाओं, किसानों, आदिवासी, मजदूर उन सब को उनका हक देने का बहुत ऐतिहासिक काम करने का हम सब को सौभाग्य मिला है और एक कार्यकर्ता के रूप में भारतीय जनता पार्टी ने हमें जिन संस्कारों से गढ़ा है, मन को बहुत संतोष होता है। आजादी के अनेक दशकों तक किसान और श्रमिक के नाम पर खूब नारे लगे हैं, बड़े-बड़े घोषणापत्र लिखे गए लेकिन समय की कसौटी ने सिद्ध कर दिया है वो सारी बातें कितनी खोखली थीं, सिर्फ नारे थे। मैं समझता हूं देश अब इन बातों को भली-भांति जानता है। इसलिए ही दीनदयाल जी कहते थे कि बड़ी-बड़ी घोषणाओं के बावजूद जनता की अपेक्षाएं पूरी नहीं हो रही हैं, ये उस जमाने में वो कहते थे और पंडित जी ने कहा था, अव्यवस्था और अनाचार, अभाव और असमानताएं, असुरक्षा और असमाजिकता, उस समय का उनका वर्णन था बढ़ती जा रही है, उनकी कही ये बातें बाद के दशकों में और प्रबल होती गईं। दीनदयाल जी हमें छोड़कर बहुत पहले चले गए थे। ये तब बढ़ा जब कुछ लोगों ने राष्ट्रहित और जनहित के बजाए सत्ता और स्वहित को राजनीति का हिस्सा बना लिया।

साथियो, किसान और श्रमिक के नाम प्रदेश में, राज्यों में अनेकों बार सरकारें बनी लेकिन उन्हें मिला क्या, सिर्फ वादों और कानूनों का एक उलझा हुआ जाल। एक ऐसा जाल जिसको ना तो किसान समझ पाता था और ना ही मेरा श्रमिक भाई-बहन समझ पाता था। किसानों को ऐसे कानूनों में उलझा कर रखा गया जिसके कारण वो अपनी ही उपज को अपने मन मुताबिक बेच भी नहीं सकता था, नतीजा ये हुआ कि उपज बढ़ने के बावजूद, किसान ने पसीना बहाने में कोई कमी नहीं रखी। बूंद-बूंद पानी का, तिल-तिल जमीन के हिस्से का उपयोग करते हुए देशवासियों का पेट भरने के लिए सरकार के खजाने भरने के लिए हमारे किसान ने कोई कमी नहीं रखी। उपज बढ़ाने के बावजूद किसानों की आमदनी उतनी नहीं बढ़ी, हां उन पर दिनों-दिन कर्ज बढ़ता गया।

साथियो, भाजपा के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने निरंतर इस स्थिति को बदलने का प्रयास किया है प्रमाणिक प्रयास किया है, सोच समझकर के प्रयास किया है, कोई नीजि स्वार्थ के लिए नहीं, कोई राजनीतिक स्वार्थ के लिए नहीं, सिर्फ और सिर्फ किसान के कल्याण को ध्यान में रखते हुए नहीं। पहले लागत का डेढ़ गुना एमएसपी तय किया, उसमें रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी की और रिकॉर्ड सरकारी खरीद भी एनडीए सरकार ने ही की है, इतिहास बना दिया है। बीते सालों में ये निरंतर प्रयास किया गया है कि किसान को बैंक से सीधे जोड़ा जाए। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देश के दस करोड़ से ज्यादा किसानों के बैंक खातों में कुल एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए जा चुके हैं। सरकार ने इस बात का भी प्रयास किया है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों के पास क्रेडिट कार्ड हो, किसान क्रेडिट कार्ड, उन्हें खेती के लिए आसानी से कर्ज उपलब्ध हो। पहले सिर्फ उसी किसान को केसीसी का लाभ मिलता था जिसके पास दो हेक्टेयर जमीन हो। हमारी सरकार इस दायरे में देश के हर किसान को ले आई, थोड़ी सी भी जमीन होगी, किसान है इसका हकदार है। अब किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ पशुपालकों को और मछली पालन से जुड़े लोगों को भी दिया जा रहा है।

साथियो, पिछले सरकार के पाँच साल में किसान क्रेडिट कार्ड द्वारा किसानों को करीब बीस लाख करोड़ रुपए का ऋण दिया गया था, मैं यूपीए सरकार की बात करता हूं। 
भाजपा सरकार के पाँच वर्ष में किसानों को लगभग 35 लाख करोड़ रुपए केसीसी के माध्यम से दिए गए हैं। सरकार देशव्यापी अभियान चलाकर ज्यादा से ज्यादा किसानों को केसीसी से जोड़ रही है ताकि उन्हें किसी और के पास ऊँचा ब्याज देकर के, जमीनें गिरवी रख के, पहले से ही अनाज बेचने का एक प्रकार से सौदा कर के, कर्ज लेने की मजबूरी से बाहर निकालने के लिए हमने एक अहम काम पूरी ताकत से शुरू किया है। इन सभी प्रयासों से देश के किसानों को बहुत बड़ी मदद मिली है और अब दशकों बाद किसान को अपनी उपज पर सही हक मिल पाया है। कृषि में जो सुधार किए गए हैं उसका सबसे ज्यादा लाभ छोटे और सीमांत किसानों को मिलेगा। देश में सौ में से पच्चासी, 85 out of hundred, इतनी बड़ी मात्रा में जो किसान हैं वो इस श्रेणी में आते हैं और ये बहुत बड़ी ताकत है किसान जो आज सबसे ज्यादा खुश है। पहली बार उनको अपनी उपज के मोल भाव का विकल्प मिला है।

पहले की परंपरा थी मंडी में बेचने की, अगर उसको लगता है कि वहां फायदा है तो वहां बेचेगा, उसको लगता है कि मंडी के बाहर फायदा है तो बाहर बेचेगा, फर्क इतना किया है, महत्वपूर्ण फर्क है किसान को हक दिया है जो अपनी मरजी के मुताबिक जहां ज्यादा दाम मिलेगा वो बेचेगा।

साथियो, भाजपा सरकार ने जो काम किया है अब भाजपा के हर कार्यकर्ता को, इन कानूनों की भावना को बिल्कुल सरल भाषा में किसान साथियो के बीच बैठकर के, गांव में जाकर के, खटिया की परिषदें कर-कर के, चारपाई की परिषद कर-कर के, छोटे-छोटे ग्रुप में हमें बताना है और जो ये वर्चुअल जो दुनिया चल रही है तब एक प्रकार से ये अवसर है कि हम बड़े-बड़े कार्यक्रम ना करते हुए छोट-छोटे कार्यक्रम करते पाँच किसान, दस किसान बैठे हैं, चाय पी रहे हैं, चारपाई पर बैठे हैं। अपनी बात, उनके सवालों के जवाब बातचीत कर और वो हमें इतनी अच्छी चीज बताएंगे, वो हमारे विचार को भी ताकत देंगे उनके बीच ले जाना। मैं भारतीय जनता पार्टी के हर कार्यकर्ता, पंडित दीनदयाल जी के विचार को हमने व्यवहार में कैसे लाया है ये ले जाने का अभियान बनता है। किसानों से हमेशा जिन्होंने झूठ बोला है, झूठ बोलने वाले कुछ लोग इन दिनों अपने राजनीतिक स्वार्थ की वजह से किसानों के कंधे पर बंदूकें फोड़ रहे हैं, किसानों को भ्रमित करने में लगे हैं, ये लोग अफवाहें फैला रहे हैं। देश के किसानों को ऐसी किसी भी अफवाह से बचाना, कृषि सुधार का महत्व समझाना, भारतीय जनता पार्टी के हम सभी कार्यकर्ताओं का बहुत बड़ा कर्तव्य है, हमारी जिम्मेवारी है क्योंकि हमें किसान के भविष्य को सुनिश्चित करना है उज्जवल बनाना है। हम जितना ज्यादा किसानों को कृषि सुधार की बारीकियों के बारे में समझा पाएंगे, उतना ही किसान जागरूक होगा और अपने को कोई अगर लूट लेता है धोखा करता है तो वो खुद भी जागृत हो जाएगा, अपने आप को बचा लेगा और इसलिए किसान के सशक्त होने का ये रास्ता है।

साथियो, किसानों की तरह ही हमारे यहां दशकों तक देश के श्रमिकों को भी कानून के जाल में उलझाकर रखा गया है। जब-जब श्रमिकों ने आवाज उठाई तब-तब उनको कागज पर एक कानून दे दिया गया। स्थिति यह थी कि निर्माण से जुड़े श्रमिकों के लिए एक कानून, खेत से जुड़े श्रमिकों के लिए दूसरा कानून, पत्रकारिता से जुड़े कामगारों के लिए एक कानून, फिल्म जगत के क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों के लिए अलग कानून, ऐसे अनेक कानून थे। जरूरत श्रमिकों का जीवन आसान बनाने की थी लेकिन उनके जीवन को कानूनी दांव पेचों में उलझा कर रख दिया गया। इस वजह से वह इंसाफ के लिए कोर्ट का रुख करते भी तो बरसों बरस कचहरी का चक्कर काटते रह जाते।

अब इस स्थिति को बदल दिया गया है, चार लेबर कोर्ट्स के माध्यम से देश के श्रमिक साथियो को दर्जनों कानूनों के कुचक्र से निकालने का प्रयास हमने किया है। श्रमिकों के स्वास्थ्य, श्रमिकों की सुरक्षा, श्रमिकों की सुविधा और श्रमिकों के वेतन को लेकर अब कानूनों को सरल बनाया गया है, सहज बनाया गया है। नए कानूनों के माध्यम से देश के सभी करीब 50 करोड़ संगठित और असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों को वेतन मिले और वह भी समय पर मिले इसको कानूनी रूप से अनिवार्य कर दिया गया है।

अभी तक खनन, बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन वर्कर, स्वीपिंग और क्लीनिंग, मैन्युफैक्चरिंग ऐसे कुछ कामों से जुड़े देश के सिर्फ 30% श्रमिक को ही न्यूनतम वेतन मिलता था। अब आईटी इंडस्ट्री, होटल, ढाबा, ट्रांसपोर्ट, घरेलू कामगार, असंगठित क्षेत्र के तमाम दूसरे श्रमिकों को भी यह सारे हक मिलेंगे इसके दायरे में लाया गया है। हमें श्रमिकों के आशीर्वाद मिलने वाले हैं।

साथियो, अभी पूरे देश में न्यूनतम वेतन को लेकर करीब 10,000 अलग-अलग दरें हैं, आप चौंक जाएंगे सुनकर के, 10 हजार अलग-अलग दर, बताइए जीवन तो उसको उसी व्यवस्था में जीना पड़ता है। अब नए प्रावधानों से 10 हजार को कम करके करीब-करीब 200 के अंदर ही उसको कर दिया गया है, बड़ी मेहनत पड़ी है लेकिन किया है। इसके अलावा अब ठेका मजदूरी के स्थान पर एक फिक्स टर्म के रोजगार का ही विकल्प दिया गया है। ऐसे श्रमिकों को रेगुलर कर्मचारी की तरह ही वेतन मिलेगा, वेलफेयर से जुड़ी दूसरी योजनाओं का लाभ भी मजदूरों को मिलेगा। अब उन्हीं की तरह काम के घंटे भी फिक्स होंगे। 12 घंटे, 10 घंटे मजदूरी करवा लेना ये अब बंद होगा। वहीं एक राज्य से दूसरे राज्य में काम के लिए जाने वाले श्रमिक साथियो के स्वास्थ्य-सुरक्षा इसके लिए भी जरूरी प्रावधान किया गया है।

किसानों, खेत मजदूरों, छोटे दुकानदारों, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए 60 वर्ष की आयु के बाद पेंशन और बीमा से जुड़ी योजनाएं, हमारी सरकार ने पहले से ही उसका आरंभ कर दिया है। 
अब नए प्रावधानों से ये सामाजिक सुरक्षा का ये कवच और मजबूत होगा। ये नए प्रावधान देश के उद्योगों के लिए भी, उनके लिए भी एक प्रकार से काम करना सरल करेंगे, आसान बनाएंगे, करप्शन भी रुकेगा। इस वजह से संगठित क्षेत्र का दायरा भी बढ़ेगा और रोजगार के नए अवसर भी उपलब्ध होंगे।

साथियो, जो पहले के श्रमिक कानून थे, वो देश की आधी आबादी, हमारी महिला श्रमशक्ति के लिए काफी नहीं थे। अब इन नए कानूनों से हमारी बहनों को, बेटियों को, समान मानदेय दिया गया है, उनकी ज्यादा भागीदारी को सुनिश्चित किया गया है। अब देश के श्रम क्षेत्र को भी महिलाओं के लिए पूरी तरह से खोल दिया गया है।

साथियो, किसानों, श्रमिकों और महिलाओं की ही तरह छोटे-छोटे स्वरोजगार से जुड़े साथियो का एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा था, जिसकी सुध कभी नहीं ली गई। रेहड़ी, पटरी, फेरी पर काम करने वाले लाखों साथी, जो आत्मसम्मान के साथ अपने परिवार भरण-पोषण करते हैं, उनके लिए भी पहली बार एक विशेष योजना बनाई गई है। ऐसे लाखों रेहड़ी-पटरी वाले साथियो को बैंक से सीधे 10 हज़ार रुपए का ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। ये सिर्फ एकमुश्त ऋण की योजना नहीं है बल्कि इससे रेहड़-पटरी वालों को इस तरह बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा गया है, कि अगर वो अपने छोटे कारोबार को आगे बढ़ाना चाहता है और बैंक के साथ उसका लेन-देन बहुत बढ़िया ढंग से चल रहा हैं तो आगे भी ज्यादा लोन दे सके, कम दरों पर कर्ज दे सके ये व्यवस्था की गई है।

ऐसे काम से जुड़े अनेक साथी गांवों को छोड़कर शहर पहुंच रहे हैं। उनको वहां आवास की बेहतर सुविधाएं प्राप्त हों, इसके लिए भी उचित किराए वाली आवास योजना बनाई गई है।

साथियो, कोशिश ये है कि आत्मनिर्भरता के व्यापक मिशन से हर कोई जुड़े, सभी को अवसर मिले और यही तो दीनदयाल जी का सपना पूरा करने का प्रयास है। 
इसी ध्येय के साथ SC/ST शिड्यूल कास्ट, शिड्यूल ट्राइब, उन वर्ग के साथियों के लिए भी जो आरक्षण का प्रावधान है, उसको हमारी सरकार ने पार्लियामेंट में अगले 10 वर्ष के लिए बढ़ाया दिया है। इतना ही नहीं, सामान्य वर्ग के गरीबों को भी आगे बढ़ने के लिए उचित अवसर देने के लिए पहली बार 10 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया है। इन सुविधाओं का बहुत बड़ा लाभ समाज के एक बड़े हिस्से को मिल रहा है।

साथियो, गरीब हो, किसान हो, श्रमिक हो, महिलाएं हों, ये सभी आत्मनिर्भर भारत के मज़बूत स्तंभ हैं। इसलिए, इनका आत्मसम्मान और इनका आत्मगौरव ही, आत्मनिर्भर भारत की प्राणशक्ति है, भारत की प्रेरणा है। इनको सशक्त करते ही भारत की प्रगति संभव है। भाजपा की हर सरकार चाहे वो केंद्र में हो या राज्य में, वो यही प्रयास कर रही है कि समाज में सभी को सही अवसर मिलें, कोई खुद को छूटा हुआ महसूस न करें।

साथियो, हमारा वैचारिक तंत्र और राजनीतिक मंत्र साफ है, गोल-मोल नहीं है और हमने उसको जी कर के दिखाया है। हम लोगों के लिए राष्ट्र सर्वोपरि, नेशन फर्स्ट, यही हमारा मंत्र है, यही हमारा कर्म है। 

साथियो, हमारे सारे लक्ष्य इसी एक मंत्र में समाहित हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रत्येक कार्यकर्ता को 21वीं सदी की राजनीति में अपनी ये पहचान और सशक्त करनी है। एक वर्ष पहले इसी पहचान के कारण देश ने भाजपा को अवसर दिया है, अपना भरपूर आशीर्वाद दिया है। मुझे खुशी है कि बहुत ही कम समय के भीतर हमने दशकों से चले आ रहे मामलों को निपटाया है, अनेक बड़े वायदों को पूरा किया है।

भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में जिस संकल्प पत्र को लेकर आप घर-घर, द्वार-द्वार गए थे, आज जब आप उसको देखेंगे तो आप पाएंगे कि कितनी तेजी से काम किया जा रहा है। हर घर जल और हर गांव तक तेज इंटरनेट, जैसे अनेक ऐसे संकल्प हैं, जो करोड़ों देशवासियों के जीवन को आसान बनाने वाले हैं। 
इसमें आर्टिकल-370, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण, जैसे वो वादे भी शामिल हैं, जिसको दशकों की हमारी तपस्या का भी आधार रहे हैं, ध्येय रहे हैं। संकल्प लेकर उसे सिद्ध करने की इस ताकत को हमें बनाए रखना है, ऊर्जावान रखना है।

साथियो, बदलते हुए समय में बहुत कुछ तेजी से बदल रहा है। भाजपा के कार्यकर्ता ने इस दौर में जिस तरह की फ्लेक्सिबिलिटी और एडॉप्टिबिलिटी दिखाई है, वो भी प्रशंसनीय है। कोरोना काल में भी हमने ये कर दिखाया है।
देश के सामान्य मानवी को जब हमारी बहुत ज्यादा ज़रूरत थी, तब हमने अपने राष्ट्रव्यापी नेटवर्क की ताकत हमारे देश के लोगों की सेवा में लगा दी।
शहर हो या गांव, हर जगह भाजपा कार्यकर्ता ने लोगों की मदद की और आज भी कर रहे हैं।

बदलती परिस्थितियों में भारतीय जनता पार्टी ने अपने जनसंपर्क को टेक्नॉलॉजी आधारित भी बनाने का भरपूर सफल प्रयास किया है। मैं भाजपा के अध्यक्ष श्रीमान नड्डा जी और पूरी टीम को भी, इस ट्रांसफार्मेशन के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों, समाज की सेवा में सक्रियता दिखाने के साथ-साथ, दल के रूप में, कार्यकर्ता के रूप में, हमें एक और बात का विशेष ध्यान रखना है।
हमारी बातें, हमारे विचार, हमारा आचरण, 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं के अनुरूप ही होने चाहिए। हमारे आदर्श, हमारी परंपरा, हमारी प्रेरणा, जितनी प्राचीन है, उतनी ही नवीन भी होनी चाहिए।
हम भले ही दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल हों, लेकिन हमारी पहुंच भारत के छोटे से छोटे गांव तक, छोटी से छोटी गली तक, गरीब से गरीब के घर तक होनी चाहिए।

राष्ट्रहित में जो योजनाएं बनाई गई हैं, उन्हें लोगों तक तो पहुंचाना ही है, हमें अपने सामाजिक दायित्वों को भी सजगता से निभाना है। अगर कोरोना के इस कालखंड की ही बात करें, तो दो गज की दूरी, मास्क, हाथ की साफ-सफाई, इन सभी के लिए जागरूकता फैलाना, निरंतर जरूरी है। हमें खुद भी इन नियमों का सख्ती से पालन करना है और दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करना है।

साथियो, आज देश वोकल फॉर लोकल के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है लेकिन ये सिर्फ बातों से ही संभव नहीं होगा। भाजपा के प्रत्येक कार्यकर्ता को भी स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देनी है।

जब करोड़ों भाजपा कार्यकर्ता लोकल को अपने जीवन का हिस्सा बनाएंगे तो निश्चित रूप से इस आंदोलन को बहुत बड़ी ताकत मिलेगी। मुझे विश्वास है कि हम सभी अपने-अपने क्षेत्र में, अपने-अपने बूथ में इसका नेतृत्व करेंगे, उदाहरण बनकर परिवर्तन का माध्यम बनेंगे।

देश के नवनिर्माण इस मिशन में शिक्षा का भी बहुत बड़ा स्थान है। मैं भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं से आग्रह करूंगा कि हर इकाई, 5-7 दिन का एक विशेष सत्र तय करें। जो विद्वान लोग हैं उनको बुलाएं और हमारी जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई है, नेशनल एजुकेशन पॉलिसी जो आई है, वाकई उसको बारीकी से अध्ययन करने की जरूरत है। अध्ययन करने से हम भी समाज में ये शिक्षा का जो बदलाव है, जो लोग चाहते थे। इतना बड़ा इसका स्वागत हुआ है, इतना बड़ा उसका सम्मान हुआ है लेकिन उसका लाभ हमें पहुंचाना होगा। हमें लोगों के साथ बैठ कर के शिक्षा जगत से जुड़े लोगों के साथ बैठकर के, हर इकाई अपनी अनुकूलता से 5 दिन के, 7 दिन के समिट रखें। रोज दो-दो घंटे के समिट हों, आप देखिए बात जितनी नीचे जाएगी लोकल अनुभव उसके साथ जुड़ जाएगा। 30 साल के बाद देश में जब शिक्षा नीति आई है, ये 21वीं सदी का बहुत बड़ा आधार बने, ये देखना हम लोगों का मिशन होना चाहिए।


साथियो, मैं फिर एक बार पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को आदरपूर्वक नमन करता हूं, इस पार्टी को बनाने के लिए अनेक परिवारों ने जो अपना जीवन खपाया है उन सभी परिवारों को नमन करता हूं और आप सभी कार्यकर्ताओं के बलबूते पर मां भारती की सेवा करने के लिए हम जो चल पड़े हैं, मां भारती के लिए जो सपने हमने संजोए हैं, उन सपनों को पूरा करने में पंडित दीनदयाल जी का आशीर्वाद हम पर बने ही रहेंगे, हमारे सभी बुजुर्गों के आशीर्वाद बने रहेंगे। और आपका परिश्रम, आपका संकल्प, आपका सामर्थ्य, आपकी दौड़-धूप, ये सब कुछ राष्ट्र को आगे बढ़ाने में काम आने वाली हैं।


एक कार्यकर्ता के नाते आप सब के बीच आकर के और इस अवसर पर बात करने का मौका मिला, मैं अपने आप को बहुत भाग्यवान मानता हूं। मैं फिर एक बार आपको शुभकामनाएं देता हूं। आपसे आग्रह करूंगा, आप खुद को, अपने परिवार को सुरक्षित रखते हुए आगे बढ़ें। इसी कामना के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद।

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