শিখর সম্মেলনে সশরীরে উপস্থিত বিদেশ মন্ত্রী ডঃ এস জয়শঙ্কর এই ভাষণটি পাঠ করেছেন মহোদয়গণ, ২০১৭-য় কাজাক সভাপতিত্বালে অনুষ্ঠিত এসসিও-তে তার সদস্য হিসেবে অনুমোদন পাওয়ার কথা ভারত মনে রেখেছে। তখন থেকে আমরা এসসিও-র সভাপতিত্বকালের একটি পূর্ণচক্র সম্পূর্ণ করেছি। ভারত ২০২০-তে সরকারের প্রধানদের পরিষদের বৈঠকের পাশাপাশি ২০২৩-এ রাষ্টপ্রধানদের পরিষদের বৈঠকেরও আয়োজন করেছে। আমাদের বিদেশ নীতিতে এসসিও একটি গুরুত্বপূর্ণ স্থান অধিকার করে আছে। সংগঠনের সদস্য হিসেবে উপস্থিত ইরানকে অভিনন্দন জানানোর পাশাপাশি আমি রাষ্ট্রপতি রাইসি এবং অন্যদের হেলিকপ্টার দুর্ঘটনায় দুর্ভাগ্যজনক মৃত্যুতে গভীর সমবেদনা জানাই। আমি সংগঠনের নতুন সদস্য হওয়ার জন্য বেলারুসকে স্বাগত জানাই এবং রাষ্ট্রপতি লুকাশেঙ্কোকে অভিনন্দন জানাই। মহোদয়গণ, আমরা আজ অতিমারির প্রভাব, চলতি সংঘর্ষ, উত্তেজনাবৃদ্ধি, আস্থার ঘাটতি অবং বিশ্বজুড়ে উষ্ণতা পধান এলাকার সংখ্যা বৃদ্ধি পাওয়ার পরিপ্রেক্ষিতে একজোট হয়েছি। এইসব ঘটনা আন্তর্জাতিক সম্পর্ক এবং বিশ্ব অর্থনৈতিক বৃদ্ধির ওপর উল্লেযোগ্য প্রভাব ফেলেছে। এগুলি বিশ্বায়ন থেকে উদ্ভুত সমস্যাকে বাড়িয়ে দিয়েছে। আমাদের এই সমাবেশের লক্ষ্য এইসব ঘটনার ফলাফল প্রশমিত করতে একটি অভিন্ন স্থিতি খুঁজে পাওয়া। এসসিও একটি নীতিভিত্তিক সংগঠন যার আদর্শ সদস্য দেশগুলির কার্যাবলিকে পরিচালিত করে। এইসময় এটি বিশেষ করে উল্লেখযোগ্য যে, আমরা সার্বভৌমত্ব, স্বাধীনতা, সীমান্ত সংহতি, সাম্য, পারস্পরিক সুবিধা, অভ্যন্তরীণ ব্যাপারে মাথা না গলানো, বলপ্রয়োগ না করা অথবা বৈদেশিক নীতির ভিত্তি হিসেবে বলপ্রয়োগের শাসানি না দেওয়া এই সবকটি বিষয়ে আমরা পারস্পরিক মান্যতা প্রকাশ করছি। দেশের সার্বভৌমত্ব এবং সীমান্ত সংহতির নীতিবিরুদ্ধ কোনো পদক্ষেপ না নেওয়ার বিষয়েও আমরা একমত হয়েছি। এইসব করতে গেলে স্বাভাবিকভাবেই অগ্রাধিকার দিতে হয় সন্ত্রাসবাদের বিরুদ্ধে লড়াইতে, যা এসসিও-র আদত লক্ষ্য। আমাদের অনেকেরই এই ধরনের অভিজ্ঞতা আছে, যার উৎস সীমান্তের বাইরে। এটা আমাদের কাছে স্পষ্ট হওয়া দরকার যে, যদি এটিকে বাধা না দেওয়া হয়, তাহলে আঞ্চলিক এবং আন্তর্জাতিক শান্তির পক্ষে এটি বড় ধরনের সমস্যা হয়ে উঠতে পারে। যেকোনো রূপ ও ধরনের সন্ত্রাসবাদের পক্ষে কোনো যুক্তি দেওয়া যায় না বা তাকে ক্ষমাও করা যায় না। যেসমস্ত দেশ সন্ত্রাসবাদের পৃষ্ঠপোষকতা করে, নিরাপদ আশ্রয় দেয় এবং সন্ত্রাসবাদকে মাফ করে দেয় সেই সমস্ত দেশের মুখোশ খুলে দিতে হবে এবং তাদের এক ঘরে করে দিতে হবে আন্তর্জাতিক মহলকে। সীমান্তপারের সন্ত্রাসবাদের জন্য প্রয়োজন একটি প্রতিবাদী সিদ্ধান্ত এবং সন্ত্রাসবাদকে অর্থ সাহায্য এবং নিযুক্তির মোকাবিলা করতে হবে সংকল্পবদ্ধভাবে। যুব সমাজের মধ্যে চরমপন্থার প্রসার ঠেকাতে আমাদের অতি সক্রিয়ভাবে পদক্ষেপ করতে হবে। এই বিষয়ে গতবছর ভারতের সভাপতিত্বকালে গৃহীত যৌথ বিবৃতিতে আমাদের যৌথ দায়বদ্ধতার কথা বলা হয়েছে। বর্তমানে আমাদের সামনে আরও একটি উল্লেখযোগ্য সমস্যা সেটি হল জলবায়ু পরিবর্তন। নিঃসরণ হ্রাসে আমাদের প্রতিশ্রুতিপূরণের লক্ষ্যে আমরা কাজ করছি, এরমধ্যে আছে বিকল্প জ্বালানীর সন্ধান, বৈদ্যুতিক গাড়ির ব্যবহার এবং জলবায়ু সহনীয় পরিকাঠামো গড়ে তোলা। এই সূত্রে ভারতের এসসিও সভাপতিত্বকালে নতুন জ্বালানী নিয়ে একটি যৌথ বিবৃতি এবং পরিবহন ক্ষেত্রে কার্বন হীনতা নিয়ে একটি দলিল অনুমোদিত হয়েছিল। মহোদয়গণ, অর্থনৈতিক উন্নয়নের জন্য প্রয়োজন জোরদার যোগাযোগ ব্যবস্থা। এটিই একমাত্র পারে আমাদের সমাজের মধ্যে সহযোগিতা এবং আস্থা তৈরি করতে। সার্বভৌমত্ব এবং সীমান্ত সংহতির প্রতি শ্রদ্ধা জরুরি যোগাযোগ এবং পরিকাঠামো প্রকল্পের জন্য। এই সঙ্গেই প্রয়োজন বৈষম্যহীন বাণিজ্য অধিকার এবং সঞ্চারণের জমানা। এই বিষয়গুলি নিয়ে গভীরভাবে আলোচনা করা প্রয়োজন এসসিও-র। একবিংশ শতাব্দী প্রযুক্তির শতাব্দী। আমাদের প্রযুক্তিকে সৃজনশীল করে তুলতে হবে এবং তাকে ব্যবহার করতে হবে আমাজের সমাজের কল্যাণ ও অগ্রগতির জন্য। ভারত অন্যতম দেশ, যারা কৃত্রিম মেধা নিয়ে জাতীয় রণকৌশল তৈরি করেছে এবং এআই মিশনের সূচনা করেছে।‘এআই ফর অল’ আদর্শে আমাদের দায়বদ্ধতা প্রতিফলিত হয়েছে এআই সহযোগিতা নিয়ে পথ নির্দেশ অনুযায়ী এসসিও কাঠামোর ভেতর কাজকর্মে। এই অঞ্চলের মানুষের সঙ্গে ভারতীয় সভ্যতার গভীর মৈত্রী। এসসিও-র মধ্যে মধ্য এশিয়ার গুরুত্ব মনে রেখেই আমরা তাদের আশা এবং প্রত্যাশাকে অগ্রাধিকার দিয়েছি। এটি প্রতিফলিত হয়েছে তাদের সঙ্গে আমাদের বিনিময়, প্রকল্প, এবং আরও বেশি কাজকর্মে। এসসিও-তে সহযোগিতা আমাদের জন্য মানব কেন্দ্রিক। ভারত তার সভাপতিত্বকালে এসসিও মিলেট ফুড ফেস্টিভ্যাল, এসসিও সুরজ কুণ্ড ক্রাফট মেলা, এসসিও থিঙ্ক- ট্যাঙ্কস কনফারেন্স এবং ইন্টারন্যাশনাল কনফারেন্স অন শেয়ারড বুদ্ধিস্ট হেরিটেজ আয়োজন করেছে। স্বাভাবিকভাবে অন্যরাও এই ধরনের উদ্যোগ নিলে আমরা সমর্থন জানাবো। আমি খুশি গতবছর সূচনা হওয়ার পর থেকে এসসিও সেক্রেটারিয়েটে নিউদিল্লি হলে অনেক অনুষ্ঠান হয়েছে। এরমধ্যে আছে ২০২৪-এর দশম আন্তর্জাতিক যোগাদিবসের অনুষ্ঠানও। মহোদয়গণ, আমার উল্লেখ করতে ইচ্ছে করছে যে, এসসিও আমাদের একটি অভিনব মঞ্চ দিয়েছে মানুষকে ঐক্যবদ্ধ করতে, একসঙ্গে এগিয়ে যেতে এবং উন্নতি করতে, বহু শতাব্দী প্রাচীন বসুধৈব কুটুম্বকমের নীতি পালন করতে। যার অর্থ ‘গোটা বিশ্বই একটি পরিবার’। আমাদের নিরন্তর এই মনোভাবকে বাস্তব সহযোগিতায় পরিবর্তিত করতে হবে। আজ যেসমস্ত গুরুত্বপূর্ণ সিদ্ধান্ত নিতে চলেছি, আমি তাকে স্বাগত জানাই। সবশেষে আমি সাফল্যের সঙ্গে এসসিও শিখর সম্মেলন আয়োজন করার জন্য কাজাককে অভিনন্দন জানাই। সেইসঙ্গে এসসিও-র পরবর্তী সভাপতিত্বের জন্য চীনকে জানাই শুভেচ্ছা।
In future leadership, SOUL's objective should be to instill both the Steel and Spirit in every sector to build Viksit Bharat: PM
February 21, 2025
Share
The School of Ultimate Leadership (SOUL) will shape leaders who excel nationally and globally: PM
Today, India is emerging as a global powerhouse: PM
Leaders must set trends: PM
In future leadership, SOUL's objective should be to instill both the Steel and Spirit in every sector to build Viksit Bharat: PM
India needs leaders who can develop new institutions of global excellence: PM
The bond forged by a shared purpose is stronger than blood: PM
His Excellency,
भूटान के प्रधानमंत्री, मेरे Brother दाशो शेरिंग तोबगे जी, सोल बोर्ड के चेयरमैन सुधीर मेहता, वाइस चेयरमैन हंसमुख अढ़िया, उद्योग जगत के दिग्गज, जो अपने जीवन में, अपने-अपने क्षेत्र में लीडरशिप देने में सफल रहे हैं, ऐसे अनेक महानुभावों को मैं यहां देख रहा हूं, और भविष्य जिनका इंतजार कर रहा है, ऐसे मेरे युवा साथियों को भी यहां देख रहा हूं।
साथियों,
कुछ आयोजन ऐसे होते हैं, जो हृदय के बहुत करीब होते हैं, और आज का ये कार्यक्रम भी ऐसा ही है। नेशन बिल्डिंग के लिए, बेहतर सिटिजन्स का डेवलपमेंट ज़रूरी है। व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण, जन से जगत, जन से जग, ये किसी भी ऊंचाई को प्राप्त करना है, विशालता को पाना है, तो आरंभ जन से ही शुरू होता है। हर क्षेत्र में बेहतरीन लीडर्स का डेवलपमेंट बहुत जरूरी है, और समय की मांग है। और इसलिए The School of Ultimate Leadership की स्थापना, विकसित भारत की विकास यात्रा में एक बहुत महत्वपूर्ण और बहुत बड़ा कदम है। इस संस्थान के नाम में ही ‘सोल’ है, ऐसा नहीं है, ये भारत की सोशल लाइफ की soul बनने वाला है, और हम लोग जिससे भली-भांति परिचित हैं, बार-बार सुनने को मिलता है- आत्मा, अगर इस सोल को उस भाव से देखें, तो ये आत्मा की अनुभूति कराता है। मैं इस मिशन से जुड़े सभी साथियों का, इस संस्थान से जुड़े सभी महानुभावों का हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। बहुत जल्द ही गिफ्ट सिटी के पास The School of Ultimate Leadership का एक विशाल कैंपस भी बनकर तैयार होने वाला है। और अभी जब मैं आपके बीच आ रहा था, तो चेयरमैन श्री ने मुझे उसका पूरा मॉडल दिखाया, प्लान दिखाया, वाकई मुझे लगता है कि आर्किटेक्चर की दृष्टि से भी ये लीडरशिप लेगा।
|
साथियों,
आज जब The School of Ultimate Leadership- सोल, अपने सफर का पहला बड़ा कदम उठा रहा है, तब आपको ये याद रखना है कि आपकी दिशा क्या है, आपका लक्ष्य क्या है? स्वामी विवेकानंद ने कहा था- “Give me a hundred energetic young men and women and I shall transform India.” स्वामी विवेकानंद जी, भारत को गुलामी से बाहर निकालकर भारत को ट्रांसफॉर्म करना चाहते थे। और उनका विश्वास था कि अगर 100 लीडर्स उनके पास हों, तो वो भारत को आज़ाद ही नहीं बल्कि दुनिया का नंबर वन देश बना सकते हैं। इसी इच्छा-शक्ति के साथ, इसी मंत्र को लेकर हम सबको और विशेषकर आपको आगे बढ़ना है। आज हर भारतीय 21वीं सदी के विकसित भारत के लिए दिन-रात काम कर रहा है। ऐसे में 140 करोड़ के देश में भी हर सेक्टर में, हर वर्टिकल में, जीवन के हर पहलू में, हमें उत्तम से उत्तम लीडरशिप की जरूरत है। सिर्फ पॉलीटिकल लीडरशिप नहीं, जीवन के हर क्षेत्र में School of Ultimate Leadership के पास भी 21st सेंचुरी की लीडरशिप तैयार करने का बहुत बड़ा स्कोप है। मुझे विश्वास है, School of Ultimate Leadership से ऐसे लीडर निकलेंगे, जो देश ही नहीं बल्कि दुनिया की संस्थाओं में, हर क्षेत्र में अपना परचम लहराएंगे। और हो सकता है, यहां से ट्रेनिंग लेकर निकला कोई युवा, शायद पॉलिटिक्स में नया मुकाम हासिल करे।
साथियों,
कोई भी देश जब तरक्की करता है, तो नेचुरल रिसोर्सेज की अपनी भूमिका होती ही है, लेकिन उससे भी ज्यादा ह्यूमेन रिसोर्स की बहुत बड़ी भूमिका है। मुझे याद है, जब महाराष्ट्र और गुजरात के अलग होने का आंदोलन चल रहा था, तब तो हम बहुत बच्चे थे, लेकिन उस समय एक चर्चा ये भी होती थी, कि गुजरात अलग होकर के क्या करेगा? उसके पास कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं है, कोई खदान नहीं है, ना कोयला है, कुछ नहीं है, ये करेगा क्या? पानी भी नहीं है, रेगिस्तान है और उधर पाकिस्तान है, ये करेगा क्या? और ज्यादा से ज्यादा इन गुजरात वालों के पास नमक है, और है क्या? लेकिन लीडरशिप की ताकत देखिए, आज वही गुजरात सब कुछ है। वहां के जन सामान्य में ये जो सामर्थ्य था, रोते नहीं बैठें, कि ये नहीं है, वो नहीं है, ढ़िकना नहीं, फलाना नहीं, अरे जो है सो वो। गुजरात में डायमंड की एक भी खदान नहीं है, लेकिन दुनिया में 10 में से 9 डायमंड वो है, जो किसी न किसी गुजराती का हाथ लगा हुआ होता है। मेरे कहने का तात्पर्य ये है कि सिर्फ संसाधन ही नहीं, सबसे बड़ा सामर्थ्य होता है- ह्यूमन रिसोर्स में, मानवीय सामर्थ्य में, जनशक्ति में और जिसको आपकी भाषा में लीडरशिप कहा जाता है।
21st सेंचुरी में तो ऐसे रिसोर्स की ज़रूरत है, जो इनोवेशन को लीड कर सकें, जो स्किल को चैनेलाइज कर सकें। आज हम देखते हैं कि हर क्षेत्र में स्किल का कितना बड़ा महत्व है। इसलिए जो लीडरशिप डेवलपमेंट का क्षेत्र है, उसे भी नई स्किल्स चाहिए। हमें बहुत साइंटिफिक तरीके से लीडरशिप डेवलपमेंट के इस काम को तेज गति से आगे बढ़ाना है। इस दिशा में सोल की, आपके संस्थान की बहुत बड़ी भूमिका है। मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि आपने इसके लिए काम भी शुरु कर दिया है। विधिवत भले आज आपका ये पहला कार्यक्रम दिखता हो, मुझे बताया गया कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के effective implementation के लिए, State Education Secretaries, State Project Directors और अन्य अधिकारियों के लिए वर्क-शॉप्स हुई हैं। गुजरात के चीफ मिनिस्टर ऑफिस के स्टाफ में लीडरशिप डेवलपमेंट के लिए चिंतन शिविर लगाया गया है। और मैं कह सकता हूं, ये तो अभी शुरुआत है। अभी तो सोल को दुनिया का सबसे बेहतरीन लीडरशिप डेवलपमेंट संस्थान बनते देखना है। और इसके लिए परिश्रम करके दिखाना भी है।
साथियों,
आज भारत एक ग्लोबल पावर हाउस के रूप में Emerge हो रहा है। ये Momentum, ये Speed और तेज हो, हर क्षेत्र में हो, इसके लिए हमें वर्ल्ड क्लास लीडर्स की, इंटरनेशनल लीडरशिप की जरूरत है। SOUL जैसे Leadership Institutions, इसमें Game Changer साबित हो सकते हैं। ऐसे International Institutions हमारी Choice ही नहीं, हमारी Necessity हैं। आज भारत को हर सेक्टर में Energetic Leaders की भी जरूरत है, जो Global Complexities का, Global Needs का Solution ढूंढ पाएं। जो Problems को Solve करते समय, देश के Interest को Global Stage पर सबसे आगे रखें। जिनकी अप्रोच ग्लोबल हो, लेकिन सोच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा Local भी हो। हमें ऐसे Individuals तैयार करने होंगे, जो Indian Mind के साथ, International Mind-set को समझते हुए आगे बढ़ें। जो Strategic Decision Making, Crisis Management और Futuristic Thinking के लिए हर पल तैयार हों। अगर हमें International Markets में, Global Institutions में Compete करना है, तो हमें ऐसे Leaders चाहिए जो International Business Dynamics की समझ रखते हों। SOUL का काम यही है, आपकी स्केल बड़ी है, स्कोप बड़ा है, और आपसे उम्मीद भी उतनी ही ज्यादा हैं।
|
साथियों,
आप सभी को एक बात हमेशा- हमेशा उपयोगी होगी, आने वाले समय में Leadership सिर्फ Power तक सीमित नहीं होगी। Leadership के Roles में वही होगा, जिसमें Innovation और Impact की Capabilities हों। देश के Individuals को इस Need के हिसाब से Emerge होना पड़ेगा। SOUL इन Individuals में Critical Thinking, Risk Taking और Solution Driven Mindset develop करने वाला Institution होगा। आने वाले समय में, इस संस्थान से ऐसे लीडर्स निकलेंगे, जो Disruptive Changes के बीच काम करने को तैयार होंगे।
साथियों,
हमें ऐसे लीडर्स बनाने होंगे, जो ट्रेंड बनाने में नहीं, ट्रेंड सेट करने के लिए काम करने वाले हों। आने वाले समय में जब हम Diplomacy से Tech Innovation तक, एक नई लीडरशिप को आगे बढ़ाएंगे। तो इन सारे Sectors में भारत का Influence और impact, दोनों कई गुणा बढ़ेंगे। यानि एक तरह से भारत का पूरा विजन, पूरा फ्यूचर एक Strong Leadership Generation पर निर्भर होगा। इसलिए हमें Global Thinking और Local Upbringing के साथ आगे बढ़ना है। हमारी Governance को, हमारी Policy Making को हमने World Class बनाना होगा। ये तभी हो पाएगा, जब हमारे Policy Makers, Bureaucrats, Entrepreneurs, अपनी पॉलिसीज़ को Global Best Practices के साथ जोड़कर Frame कर पाएंगे। और इसमें सोल जैसे संस्थान की बहुत बड़ी भूमिका होगी।
साथियों,
मैंने पहले भी कहा कि अगर हमें विकसित भारत बनाना है, तो हमें हर क्षेत्र में तेज गति से आगे बढ़ना होगा। हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है-
यत् यत् आचरति श्रेष्ठः, तत् तत् एव इतरः जनः।।
यानि श्रेष्ठ मनुष्य जैसा आचरण करता है, सामान्य लोग उसे ही फॉलो करते हैं। इसलिए, ऐसी लीडरशिप ज़रूरी है, जो हर aspect में वैसी हो, जो भारत के नेशनल विजन को रिफ्लेक्ट करे, उसके हिसाब से conduct करे। फ्यूचर लीडरशिप में, विकसित भारत के निर्माण के लिए ज़रूरी स्टील और ज़रूरी स्पिरिट, दोनों पैदा करना है, SOUL का उद्देश्य वही होना चाहिए। उसके बाद जरूरी change और रिफॉर्म अपने आप आते रहेंगे।
|
साथियों,
ये स्टील और स्पिरिट, हमें पब्लिक पॉलिसी और सोशल सेक्टर्स में भी पैदा करनी है। हमें Deep-Tech, Space, Biotech, Renewable Energy जैसे अनेक Emerging Sectors के लिए लीडरशिप तैयार करनी है। Sports, Agriculture, Manufacturing और Social Service जैसे Conventional Sectors के लिए भी नेतृत्व बनाना है। हमें हर सेक्टर्स में excellence को aspire ही नहीं, अचीव भी करना है। इसलिए, भारत को ऐसे लीडर्स की जरूरत होगी, जो Global Excellence के नए Institutions को डेवलप करें। हमारा इतिहास तो ऐसे Institutions की Glorious Stories से भरा पड़ा है। हमें उस Spirit को revive करना है और ये मुश्किल भी नहीं है। दुनिया में ऐसे अनेक देशों के उदाहरण हैं, जिन्होंने ये करके दिखाया है। मैं समझता हूं, यहां इस हॉल में बैठे साथी और बाहर जो हमें सुन रहे हैं, देख रहे हैं, ऐसे लाखों-लाख साथी हैं, सब के सब सामर्थ्यवान हैं। ये इंस्टीट्यूट, आपके सपनों, आपके विजन की भी प्रयोगशाला होनी चाहिए। ताकि आज से 25-50 साल बाद की पीढ़ी आपको गर्व के साथ याद करें। आप आज जो ये नींव रख रहे हैं, उसका गौरवगान कर सके।
साथियों,
एक institute के रूप में आपके सामने करोड़ों भारतीयों का संकल्प और सपना, दोनों एकदम स्पष्ट होना चाहिए। आपके सामने वो सेक्टर्स और फैक्टर्स भी स्पष्ट होने चाहिए, जो हमारे लिए चैलेंज भी हैं और opportunity भी हैं। जब हम एक लक्ष्य के साथ आगे बढ़ते हैं, मिलकर प्रयास करते हैं, तो नतीजे भी अद्भुत मिलते हैं। The bond forged by a shared purpose is stronger than blood. ये माइंड्स को unite करता है, ये passion को fuel करता है और ये समय की कसौटी पर खरा उतरता है। जब Common goal बड़ा होता है, जब आपका purpose बड़ा होता है, ऐसे में leadership भी विकसित होती है, Team spirit भी विकसित होती है, लोग खुद को अपने Goals के लिए dedicate कर देते हैं। जब Common goal होता है, एक shared purpose होता है, तो हर individual की best capacity भी बाहर आती है। और इतना ही नहीं, वो बड़े संकल्प के अनुसार अपनी capabilities बढ़ाता भी है। और इस process में एक लीडर डेवलप होता है। उसमें जो क्षमता नहीं है, उसे वो acquire करने की कोशिश करता है, ताकि औऱ ऊपर पहुंच सकें।
साथियों,
जब shared purpose होता है तो team spirit की अभूतपूर्व भावना हमें गाइड करती है। जब सारे लोग एक shared purpose के co-traveller के तौर पर एक साथ चलते हैं, तो एक bonding विकसित होती है। ये team building का प्रोसेस भी leadership को जन्म देता है। हमारी आज़ादी की लड़ाई से बेहतर Shared purpose का क्या उदाहरण हो सकता है? हमारे freedom struggle से सिर्फ पॉलिटिक्स ही नहीं, दूसरे सेक्टर्स में भी लीडर्स बने। आज हमें आज़ादी के आंदोलन के उसी भाव को वापस जीना है। उसी से प्रेरणा लेते हुए, आगे बढ़ना है।
यानि ऐसा कोई शब्द नहीं, जिसमें मंत्र ना बन सके। ऐसी कोई जड़ी-बूटी नहीं, जिससे औषधि ना बन सके। कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं, जो अयोग्य हो। लेकिन सभी को जरूरत सिर्फ ऐसे योजनाकार की है, जो उनका सही जगह इस्तेमाल करे, उन्हें सही दिशा दे। SOUL का रोल भी उस योजनाकार का ही है। आपको भी शब्दों को मंत्र में बदलना है, जड़ी-बूटी को औषधि में बदलना है। यहां भी कई लीडर्स बैठे हैं। आपने लीडरशिप के ये गुर सीखे हैं, तराशे हैं। मैंने कहीं पढ़ा था- If you develop yourself, you can experience personal success. If you develop a team, your organization can experience growth. If you develop leaders, your organization can achieve explosive growth. इन तीन वाक्यों से हमें हमेशा याद रहेगा कि हमें करना क्या है, हमें contribute करना है।
|
साथियों,
आज देश में एक नई सामाजिक व्यवस्था बन रही है, जिसको वो युवा पीढी गढ़ रही है, जो 21वीं सदी में पैदा हुई है, जो बीते दशक में पैदा हुई है। ये सही मायने में विकसित भारत की पहली पीढ़ी होने जा रही है, अमृत पीढ़ी होने जा रही है। मुझे विश्वास है कि ये नया संस्थान, ऐसी इस अमृत पीढ़ी की लीडरशिप तैयार करने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। एक बार फिर से आप सभी को मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।
भूटान के राजा का आज जन्मदिन होना, और हमारे यहां यह अवसर होना, ये अपने आप में बहुत ही सुखद संयोग है। और भूटान के प्रधानमंत्री जी का इतने महत्वपूर्ण दिवस में यहां आना और भूटान के राजा का उनको यहां भेजने में बहुत बड़ा रोल है, तो मैं उनका भी हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।
|
साथियों,
ये दो दिन, अगर मेरे पास समय होता तो मैं ये दो दिन यहीं रह जाता, क्योंकि मैं कुछ समय पहले विकसित भारत का एक कार्यक्रम था आप में से कई नौजवान थे उसमें, तो लगभग पूरा दिन यहां रहा था, सबसे मिला, गप्पे मार रहा था, मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला, बहुत कुछ जानने को मिला, और आज तो मेरा सौभाग्य है, मैं देख रहा हूं कि फर्स्ट रो में सारे लीडर्स वो बैठे हैं जो अपने जीवन में सफलता की नई-नई ऊंचाइयां प्राप्त कर चुके हैं। ये आपके लिए बड़ा अवसर है, इन सबके साथ मिलना, बैठना, बातें करना। मुझे ये सौभाग्य नहीं मिलता है, क्योंकि मुझे जब ये मिलते हैं तब वो कुछ ना कुछ काम लेकर आते हैं। लेकिन आपको उनके अनुभवों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा, जानने को मिलेगा। ये स्वयं में, अपने-अपने क्षेत्र में, बड़े अचीवर्स हैं। और उन्होंने इतना समय आप लोगों के लिए दिया है, इसी में मन लगता है कि इस सोल नाम की इंस्टीट्यूशन का मैं एक बहुत उज्ज्वल भविष्य देख रहा हूं, जब ऐसे सफल लोग बीज बोते हैं तो वो वट वृक्ष भी सफलता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने वाले लीडर्स को पैदा करके रहेगा, ये पूरे विश्वास के साथ मैं फिर एक बार इस समय देने वाले, सामर्थ्य बढ़ाने वाले, शक्ति देने वाले हर किसी का आभार व्यक्त करते हुए, मेरे नौजवानों के लिए मेरे बहुत सपने हैं, मेरी बहुत उम्मीदें हैं और मैं हर पल, मैं मेरे देश के नौजवानों के लिए कुछ ना कुछ करता रहूं, ये भाव मेरे भीतर हमेशा पड़ा रहता है, मौका ढूंढता रहता हूँ और आज फिर एक बार वो अवसर मिला है, मेरी तरफ से नौजवानों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।