सवाल : चुनाव खत्म होने में गिनती के दिन शेष हैं। मौजूदा चुनावों में आप किस तरह का बदलाव देखते हैं?

जवाब : सबसे बड़ा बदलाव यह है कि आज मतदाता 21वीं सदी की राजनीति देखना चाहता है। इसमें परफॉर्मेंस की बात हो, देश को आगे ले जाने वाले विजन की बात हो और जिसमें विकसित भारत बनाने के रोडमैप की चर्चा हो। अब लोग जानना चाहते हैं कि राजनीतिक दल हमारे बच्चों के लिए क्या करेंगे? देश का भविष्य बनाने के लिए नेता क्या कदम उठाएंगे?

राजनेताओं से आज लोग ये सब सुनना चाहते हैं। लोग पार्टियों का ट्रैक रिकॉर्ड भी देखते हैं। किसी पार्टी ने क्या वादे किए थे, और उनमें से कितने पूरे कर पाई, इसका हिसाब भी मतदाता लगा लेता है। लेकिन कांग्रेस और ‘इंडी गठबंधन’ के नेता अब भी 20वीं सदी में ही जी रहे हैं। आज लोग ये पूछ रहे हैं कि आप हमारे बच्चों के लिए क्या करने वाले हैं तो ये अपने पिता, नाना, परदादा, नानी, परनानी की बात कर रहे हैं। लोग पूछते हैं कि देश के विकास का रोडमैप क्या है तो ये परिवार की सीट होने का दावा करने लगते हैं। वे लोगों को जातियों में बांट रहे हैं, धर्म से जुड़े मुद्दे उठा रहे हैं, तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं। ये ऐसे मुद्दे ला रहे हैं, जो लोगों की सोच और आकांक्षा से बिल्कुल अलग हैं।
 
सवाल : क्या आपको लगता नहीं कि चुनाव व्यवस्था और राजनीतिक आचार-व्यवहार में सुधार की आवश्यकता है। अपनी ओर से कोई पहल करेंगे?

जवाब : देश के लोग लगातार उन राजनीतिक दलों को खारिज कर रहे हैं जो नकारात्मक राजनीति में विश्वास रखते हैं। जो सकारात्मक बात या अपना विजन नहीं बताते, वो जनता का विश्वास भी नहीं जीत पाते। जो सिर्फ विरोध की राजनीति में विश्वास रखते हैं, जो सिर्फ विरोध के लिए विरोध करते हैं, ऐसे लोगों को जनता लगातार नकार रही है। ऐसे में उन लोगों को जनता का मूड समझना होगा और अपने आप में सुधार लाना होगा। मैं आपको कांग्रेस का उदाहरण दे रहा हूं। कांग्रेस आज जड़ों से बिलकुल कट चुकी है। वो समझ ही नहीं पा रही है कि इस देश की संस्कृति क्या है। इस चुनाव के दौरान पार्टी नेताओं ने जैसी बातें बोली हैं, उससे पता चलता है कि वो भारतीय लोकतंत्र के मूल तत्व को पकड़ नहीं पा रही।

कांग्रेस नेता विभाजनकारी बयानबाजी, व्यक्तिगत हमले और अपशब्द बोलने से बाहर नहीं निकल पा रहे। उन्हें लग रहा होगा कि उनके तीन-चार चाटुकारों ने अगर उस पर ताली बजा दी तो इतना काफी है। वो इसी से खुश हैं, लेकिन उनको ये नहीं पता चल रहा है कि जनता में इन सारी चीजों को लेकर बहुत गुस्सा है। कांग्रेस तो अहंकारी है, जनता की बात सुनने वाली नहीं है। वो तो नहीं बदल सकती। लेकिन जो उनके सहयोगी दल हैं, वो देखें कि जनता का मूड क्या है, वो क्या बोल रही है। उन्हें समझना होगा कि इस राह पर चले तो लगातार रिजेक्शन ही मिलने वाला है। मुझे लगता है कि लोग इन्हें रिजेक्ट कर-कर के इनको सिखाएंगे। राजनीति में जो सुधार चाहिए वो लोग ही अपने वोट की शक्ति से कर देते हैं। लोग ही राजनीतिक दलों, खासकर नकारात्मक राजनीति करने वालों को सिखाएंगे और बदलाव लाएंगे।
 
सवाल : क्या इस चुनाव में जातीय और धार्मिक विभाजन के सवाल ज्यादा उभर आए हैं? जब चुनाव शुरू हुआ था तो एजेंडा अलग था, आखिरी चरण आने तक अलग?

जवाब : ये सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए, जिन्होंने पहले धर्म के आधार पर देश का विभाजन कराया। अब भी 60-70 साल से ये विभाजन की राजनीति ही कर रहे हैं। एक तरफ उनकी कोशिश होती है कि किसी समाज को जाति के आधार पर कैसे तोड़ा जाए? दूसरी तरफ वो देखते हैं कि कैसे एक वोट बैंक को जोड़कर मजबूत वोट बैंक बनाए रखा जाए। दूसरा, ये सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए जो सिर्फ तुष्टीकरण की राजनीति के लिए एससी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण छीनकर धर्म के आधार आरक्षण देना चाहते हैं। इसके लिए वो संविधान के विरुद्ध कदम उठाने को तैयार हैं।

ये सवाल कांग्रेस और ‘इंडी गठबंधन’ वालों से पूछा जाना चाहिए, क्योंकि वही हैं जो वोट जिहाद की बात कर रहे हैं। ये सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए जो अपने घोषणा पत्र में खुलेआम ये लिख रहे हैं कि वो जनता की संपत्ति छीन लेंगे और उसका बंटवारा दूसरों में कर देंगे। ये जो बंटवारे की राजनीति है, विभाजन की सोच है उसे अब विपक्ष खुलकर सामने रख रहा है। अब वो इसे छिपा भी नहीं रहे हैं। वो खुलकर इसका प्रदर्शन कर रहे हैं, तो ये सारे सवाल उनसे पूछे जाने चाहिए। देश और समाज को बांटने वाले ऐसे लोगों को जनता इस चुनाव में कड़ा सबक सिखाएगी।
 
सवाल :  एक देश, एक चुनाव के लिए आपने पहल की थी। क्या आपको लगता है कि इतने बड़े देश में यह संभव है। अगर हां..तो किस तरह से ये लागू हो सकेगा?

जवाब : एक देश, एक चुनाव भाजपा का और हमारी सरकार का विचार रहा है, लेकिन हम ये चाहते हैं कि इसके आसपास एक आम सहमति बने। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें विस्तार से एक देश एक चुनाव के बारे समझाया गया है। इस पर पूरे देश में चर्चा हो, वाद हो, संवाद हो, इसके लाभ और हानि पर बात हो, इसमें क्या किया जा सकता है और कैसे किया जा सकता है। फिर इस पर एक आम सहमति बने। इससे हम एक अच्छे सकारात्मक समाधान पर पहुंच सकते हैं। जो अभी का सिस्टम है उसमें हर समय कहीं ना कहीं चुनाव होता रहता है। ये जो वर्तमान सिस्टम है, ये उपयुक्त नहीं है। ये गवर्नेंस को बहुत नुकसान पहुंचाता है। इसे बदलने की जरूरत तो है ही, पर हम कैसे करेंगे, इस पर संवाद की जरूरत है।

आपने ये भी पूछा कि क्या हमारे देश में ये संभव है। तो आप इतिहास में देख लीजिए कि जब संसाधन, टेक्नॉलजी कम थी तब भी हमारे देश में एक देश, एक चुनाव हो रहे थे। आजादी के बाद पहले के कुछ चुनाव इसी तरह हुए। उसके कुछ वर्ष बाद ही बदलाव हुए हैं। अब भी एक-दो राज्यो में लोकसभा के साथ राज्य विधानसभाओं के चुनाव हो रहे हैं। चुनाव आयोग एक चुनाव कराने के लिए पूरे देश में काम कर रहा है तो उसी में राज्यों का चुनाव भी कराया जा सकता है। इसमें कोई समस्या नहीं है, ये संभव है।
 
सवाल : गर्मी के कारण कम मतदान के चलते फिर से मांग उठी है कि इस मौसम में चुनाव नहीं होना चाहिए। क्या आप भी चुनाव के कैलेंडर में किसी तब्दीली के पक्षधर हैं?

जवाब : गर्मी के कारण कुछ समस्याएं तो होती हैं। आप देख सकते हैं कि मैंने अपनी पार्टी में सभी उम्मीदवारों को और सामान्य लोगों को जो पत्र लिखा है, उसमें मैंने गर्मी का जिक्र किया है। पत्र में लिखा है कि गर्मियों में बहुत समस्या होती है, आप अपने आरोग्य का ख्याल रखें। फिर भी लोकतंत्र के लिए जो हमारा कर्तव्य है, हमें उसे निभाना चाहिए।

मुझे पता है कि गर्मियों में क्या समस्या होती है। लेकिन इसमें क्या होना चाहिए, क्या बदलाव होना चाहिए, होना चाहिए या नहीं होना चाहिए, ये किसी एक व्यक्ति का, एक पार्टी का या सिर्फ सरकार का निर्णय नहीं हो सकता। पूरे सिस्टम, लोगों, मतदाता, राजनीतिक दलों, कार्यकर्ताओं की सहमति बननी चाहिए। जब एक सामूहिक राय बनेगी कि इसमें कुछ बदलाव लाना चाहिए या नहीं लाना चाहिए, तभी कुछ हो सकता है।

सवाल : आखिरी चरण में पूर्वी उत्तर प्रदेश की 13 और बिहार की 8 सीटों पर चुनाव शेष है। आपने कहा है कि गरीबी और अभाव झेलने वाला पूर्वांचल दस साल से प्रधानमंत्री चुन रहा है। इसके लिए अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है। वह बहुत कुछ क्या है, बताना चाहेंगे?

जवाब : देखिए, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रति पिछली सरकारों का रवैया बहुत ही निराशाजनक रहा है। इन इलाकों से वोट लिए गए, अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं पूरी की गयीं पर जब विकास की बारी आई तो इन्हें पिछड़ा कहकर छोड़ दिया गया। पूर्वांचल में बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए लोगों को तरसाया गया। देश के 18000 गांवों में बिजली नहीं थी। इनमें पूर्वांचल और बिहार के बहुत से इलाके थे। जब मैंने बहनों-बेटियों की गरिमा के लिए टायलेट्स का निर्माण कराया तो बड़ी संख्या में उसका लाभ हमारे पूर्वांचल के लोगों को मिला।

आज हम इसी इलाके में विकास की गंगा बहा रहे हैं। एक्सप्रेसवे से लेकर ग्रामीण सड़क तक हम इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार रहे हैं, बदल रहे हैं। हम हेल्थ इंफ्रा भी बना रहे हैं। आज पूर्वांचल और बिहार दोनों ही जगह पर एम्स है। इसके अलावा हम इन इलाकों में मेडिकल कॉलेज का नेटवर्क बना रहे हैं। हम पुराने इंफ्रा को अपग्रेड भी कर रहे हैं। अब हम यहां की स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दे रहे हैं। हमें आगे बढ़ना है, लेकिन हमारा बहुत सारा समय, संसाधन और ऊर्जा पिछले 60-70 वर्षों के गड्ढों को भरने में खर्च हो रही है। हम इसके लिए लगातार तेजी से काम कर रहे हैं। मैं वो दिन लाना चाहता हूं, जब शिक्षा और रोजगार के लिए इन इलाकों के युवाओं को पलायन ना करना पड़े। उनका मन हो तो चाहे जहां जाएं पर उनके सामने किसी तरह की मजबूरी ना हो।   

सवाल : गंगा निर्मलीकरण योजना के साथ ही वरुणा, असि और अन्य नदियों की सफाई की कितनी जरूरत मानते हैं आप?

जवाब : हमारे देश में नदियों की पूजा होती है। हमारी परंपराओं, संस्कारों में प्रकृति का महत्व स्थापित किया गया है। इसके बावजूद नदियों की साफ-सफाई को लेकर सरकार और समाज में उदासीनता बनी रही। ये बड़े दुर्भाग्य की बात है कि दशकों तक देश की सरकारों ने नदियों को एक डंपिंग ग्राउंड की तरह इस्तेमाल किया। नदियों की स्वच्छता को लेकर कोई जागरुकता अभियान चलाने का प्रयास नहीं हुआ।

गंगा, वरुणा, असि समेत देश की सभी नदियों को स्वच्छ बनाने और उनकी सेहत को बेहतर करने के प्रयास जारी हैं। मैंने बहुत पहले नदियों के एक्वेटिक इकोसिस्टम को बदलने की जरूरत बताई थी। आज देश नदियों की स्वच्छता को लेकर गंभीर है। वाटर मैनेजमेंट, सीवेज मैनेजमेंट और नदियों का प्रदूषण कम करने के लिए लोग भी अपना योगदान देने को तैयार हैं। इस दिशा में जन भागीदारी से हमें अच्छे परिणाम मिलेंगे।

सवाल : 2014 में जब आपके पास देश के अलग-अलग हिस्सों से चुनाव लड़ने के प्रस्ताव आ रहे थे, तब आपने काशी को क्यों चुना?

जवाब : मैं मानता हूं कि मैंने काशी को नहीं चुना, काशी ने मुझे चुना है। पहली बार वाराणसी से चुनाव लड़ने का जो निर्णय हुआ था, वो तो पार्टी ने तय किया था। मैंने पार्टी के एक सिपाही के तौर पर उसका पालन किया, लेकिन जब मैं काशी आया तो मुझे लगा कि इसमें नियति भी शामिल है। काशी उद्देश्यों को पूरा करने की भूमि है। अहिल्या बाई होल्कर ने बाबा का भव्य धाम बनाने का संकल्प पूरा करने के लिए काशी को चुना था। मोक्ष का तीर्थ बनाने के लिए महादेव ने काशी को चुना। इस नगरी में तुलसीदास राम का चरित लिखने का उद्देश्य लेकर पहुंचे। महामना यहां सर्वविद्या की राजधानी बनाने आए। शंकराचार्य ने काशी को शास्त्रार्थ के लिए चुना। इन सबकी तपस्या से प्रेरणा लेकर और इनके आशीर्वाद से काशी की सेवा के काम को आगे बढ़ा रहा हूं।

मुझे काशी में जिस तरह की अनुभूति हुई, वो अभूतपूर्व है। इसी वजह से जब मैं यहां आया तो मैंने कहा कि मुझे मां गंगा ने बुलाया है, अब तो मैं ये भी कहता हूं कि मां गंगा ने मुझे गोद ले लिया है। वाराणसी में मुझे बहुत स्नेह मिला। काशीवासियों ने एक भाई, एक बेटे की तरह मुझे अपनाया है। शायद काशीवासियों को मुझमें उनके जैसे कुछ गुण दिखे हों। जो स्नेह और अपनापन मुझे यहां मिला है, उसे मैं विकास के रूप में लौटाना चाहता हूं और लौटा रहा हूं।

दूसरी बात, काशी पूरे देश और दुनिया की सांस्कृतिक राजधानी है। हजारों सदियों से यहां पूरे भारत से लोग आते रहे हैं। यहां के लोगों का हृदय इतना विशाल है कि जो भी यहां आता है, लोग उसे अपना लेते हैं। काशी में ही आपको एक लघु भारत मिल जाएगा। देश के अलग-अलग क्षेत्रों से यहां आकर बसे लोग काशी को निखार रहे हैं, संवार रहे हैं। वो अभी भी अपनी जड़ों से जुडे़ हैं, लेकिन दिल से बनारसी बन गये हैं। कोई कहीं से भी आए, काशी के लोग उसे बनारसी बना देते हैं। काशी और काशीवासियों ने मुझे भी अपना लिया है।
 
सवाल : हरित काशी और इको फ्रेंडली काशी के लिए आपकी क्या सोच है?

जवाब :  जब काशी के पूरे वातावरण और पर्यावरण की चर्चा होती है तो उसमें गंगा नदी की स्वच्छता एक महत्वपूर्ण बिंदु होता है। आज गंगा मां कितनी निर्मल हैं, उसमें कितने जल जीवन फल-फूल रहे हैं, ये परिवर्तन सबको दिखने लगा है। गंगा की सेहत सुधर रही है ये बहुत महत्वपूर्ण आयाम है।

हम गंगा एक्शन प्लान फेज-2 के तहत सीवर लाइन बिछाने का काम कर रहे हैं। इसके अलावा 3 सीवेज पंपिंग स्टेशनों और दीनापुर 140 एमएलजी के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण हुआ है। पुरानी ट्रंक लाइन का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। कोनिया पंपिंग स्टेशन, भगवानपुर एसटीपी, पांच घाटों का पुनर्रुद्धार किया गया है। ट्रांस वरुणा सीवेज योजना पर भी तेजी से काम चल रहा है। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत रमना में एसटीपी का निर्माण, रामनगर में इंटरसेप्शन, डायवर्जन और एसटीपी का निर्माण हुआ है। इस तरह की रिपोर्ट भी बहुत बार आ चुकी है कि गंगा में एक्वेटिक लाइफ सुधर रही है। गैंगटिक डॉल्फिन फिर से दिखनी शुरू हो गई हैं और उनकी संख्या बढ़ी है। इसका मतलब है कि मां गंगा साफ हो रही हैं। यहां पर सोलर पावर बोट्स देने का अभियान भी हम तेजी से चला रहे हैं। इससे पर्यावरण बेहतर होगा।

हमारी सरकार ने प्रकृति के साथ प्रगति का मॉडल दुनिया के सामने रखा है। हम क्लीन एनर्जी पर काम कर हैं, हम कार्बन इमिशन को लेकर अपने लक्ष्यों से आगे हैं, हम सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ काम कर रहे हैं। हमारी सरकार में देश में ग्रीन प्लांटेशन और वनों की संख्या बढ़ी है। काशी में भी हरियाली बढ़ाने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं।
 
सवाल : काशी समेत पूरे पूर्वांचल के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?

जवाब : आजादी के बाद पूर्वांचल को पिछड़ा बताकर सरकारों ने इससे पल्ला झाड़ लिया था। हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर कोई काम नहीं हुआ था। स्वास्थ्य सेवाओं को बदहाल बनाकर रखा गया था। यहां पर किसी को गंभीर समस्या होती थी तो लोग लखनऊ या दिल्ली भागते थे। हमने पूर्वांचल की स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने पर जोर दिया। पिछले 10 साल में पूर्वांचल के हेल्थ इंफ्रा के लिए जितना काम हुआ है, उतना आजादी के बाद कभी नहीं हुआ। आज पूरे पूर्वांचल में दर्जनों मेडिकल कॉलेज हैं। जब मैं काशी आया तो मैंने देखा कि ये पूरे पूर्वांचल के लिए स्वास्थ्य का बड़ा हब बन सकता है। हमने काशी की क्षमताओं का विस्तार किया। आज बहुत से मरीज हैं जो पूरे यूपी, बिहार से काशी में आकर अपना इलाज करा रहे हैं। कैंसर के इलाज के लिए पहले यूपी के लोग दिल्ली, मुंबई भागते थे। आज वाराणसी में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर सेंटर है। लहरतारा में होमी भाभा कैंसर अस्पताल चल रहा है। बीएचयू में सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल है।

150 बेड का क्रिटिकल केयर यूनिट बन रहा है। पांडेयपुर में सुपर स्पेशियलिटी ईएसआईसी हॉस्पिटल सेवा दे रहा है। बीएचयू में अलग से 100 बेड वाला मैटरनिटी विंग बन गया है। इसके अलावा भदरासी में इंटीग्रेटेड आयुष हॉस्पिटल, सारनाथ में सीएचसी का निर्माण हुआ है। अन्य सीएचसी में बेड की संख्या और ऑक्सीजन सपोर्ट बेड की संख्या बढ़ाई गई है। कबीर चौरा में जिला महिला चिकित्सालय में नया मैटरनिटी विंग, बीएचयू में मानसिक बीमारियों के लिए मनोरोग अस्पताल बनाए गये हैं। नवजातों की देखभाल, मोतियाबिंद ऑपरेशन जैसे तमाम काम किए जा रहे हैं।

हमारी कोशिश है कि एक होलिस्टिक सोच से हम लोगों को बीमारियों से बचा सकें और अगर उनको बीमारियां हों तो उनका खर्च कम से कम हो। इसी सोच के तहत यहां वाराणसी में करीब 10 लाख लोगों को आयुष्मान कार्ड बनाकर दिए जा रहे हैं। इस कार्यकाल में हम 70 साल से ऊपर से सभी बुजुर्गों को आयुष्मान भारत के सुरक्षा घेरे में लाने जा रहे हैं, जिससे हर साल 5 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज हो सकेगा।

पहले अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं को लग्जरी बनाकर रख दिया गया था। हम स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ, सस्ता और गरीबों की पहुंच में लाना चाहते हैं। स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ हों, इसके लिए हम ज्यादा से ज्यादा संस्थान बना रहे हैं। वर्तमान संस्थानों की क्षमता बढ़ा रहे हैं। इसके साथ जन औषधि केंद्र से लोगों को सस्ती दवाएं मिलने लगी हैं। हमारी सरकार ने ऑपरेशन के उपकरण सस्ते किए हैं। हम आयुष को बढ़ावा दे रहे हैं, ताकि स्वास्थ्य सेवाएं हर व्यक्ति की पहुंच में हों।

सवाल : पहली बार शहर के प्रमुख और प्रबुद्ध जनों को आपने पत्र लिखा है। वे इस पत्र को लेकर आम लोगों तक जा रहे हैं। इस पत्र का उद्देश्य और लक्ष्य क्या है?

जवाब : काशी के सांसद के तौर पर मेरा ये प्रयास रहता है कि बनारस में समाज के हर वर्ग की पहुंच मुझ तक हो और मैं उनके प्रति जबावदेह रहूं। ये आज की बात नहीं है, मैंने पहले भी इस तरह के प्रयास किए हैं। लोगों से जुड़ने के लिए मैंने सम्मेलनों का आयोजन किया है। 2022 में मैंने प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन किया, उससे पहले भी मैं काशी के विद्वानों और प्रबुद्ध लोगों से मिला हूं। मैंने महिला सम्मेलन किया है, मैं बुनकरों से मिला हूं। मैंने बच्चों से मुलाकात की। गोपालकों, स्वयं सहायता समूह की बहनों से भी मिल चुका हूं। मैं हर समय कोशिश करता हूं कि वाराणसी में समाज के हर वर्ग के लोगों से जुड़ सकूं। आज आप जिस पत्र की बात कर रहे हैं वो वाराणसी के लोगों से जुड़ने का, संवाद का ऐसा ही एक प्रयास है। दूसरा, ये लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बहुत जरूरी है कि समाज के प्रमुख और प्रबुद्ध लोगों के माध्यम से जन-जन तक लोकतंत्र में भागीदारी का संदेश पहुंचे। काशी के विकास के संबंध में संदेश जाए। जब ऐसा संदेश जाता है कि काशी के विकास के लिए वोट करना है, तो इससे लोकतंत्र समृद्ध होता है। इससे लोग मतदान के प्रति, संवैधानिक व्यवस्था के प्रति अपनी जिम्मेदारी महसूस करते हैं।

Following is the clipping of the interview:

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Source: Hindustan

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PM Modi’s remarks during the BRICS session: Peace and Security
July 06, 2025

Friends,

Global peace and security are not just ideals, rather they are the foundation of our shared interests and future. Progress of humanity is possible only in a peaceful and secure environment. BRICS has a very important role in fulfilling this objective. It is time for us to come together, unite our efforts, and collectively address the challenges we all face. We must move forward together.

Friends,

Terrorism is the most serious challenge facing humanity today. India recently endured a brutal and cowardly terrorist attack. The terrorist attack in Pahalgam on 22nd April was a direct assault on the soul, identity, and dignity of India. This attack was not just a blow to India but to the entire humanity. In this hour of grief and sorrow, I express my heartfelt gratitude to the friendly countries who stood with us and expressed support and condolences.

Condemning terrorism must be a matter of principle, and not just of convenience. If our response depends on where or against whom the attack occurred, it shall be a betrayal of humanity itself.

Friends,

There must be no hesitation in imposing sanctions on terrorists. The victims and supporters of terrorism cannot be treated equally. For the sake of personal or political gain, giving silent consent to terrorism or supporting terrorists or terrorism, should never be acceptable under any circumstances. There should be no difference between our words and actions when it comes to terrorism. If we cannot do this, then the question naturally arises whether we are serious about fighting terrorism or not?

Friends,

Today, from West Asia to Europe, the whole world is surrounded by disputes and tensions. The humanitarian situation in Gaza is a cause of grave concern. India firmly believes that no matter how difficult the circumstances, the path of peace is the only option for the good of humanity.

India is the land of Lord Buddha and Mahatma Gandhi. We have no place for war and violence. India supports every effort that takes the world away from division and conflict and leads us towards dialogue, cooperation, and coordination; and increases solidarity and trust. In this direction, we are committed to cooperation and partnership with all friendly countries. Thank you.

Friends,

In conclusion, I warmly invite all of you to India next year for the BRICS Summit, which will be held under India’s chairmanship.

Thank you very much.