প্রধানমন্ত্রী শ্রী নরেন্দ্র মোদী আজ ভিডিও কনফারেন্সের মাধ্যমে উত্তরপ্রদেশের ঝাঁসির রানি লক্ষ্মীবাঈ সেন্ট্রাল এগ্রিকালচারাল ইউনিভার্সিটির কলেজ ও প্রশাসনিক ভবনের উদ্বোধন করেছেন। তিনি ওই বিশ্ববিদ্যালয়ের ছাত্রছাত্রীদের সঙ্গে মতবিনিময় করেছেন।
প্রধানমন্ত্রী প্রত্যেককে অভিনন্দন জানিয়ে বলেছেন, এই বিশ্ববিদ্যালয়ে পড়াশুনা করে অনেক কিছু শিখে বেরোনোর পর ছাত্রছাত্রীরা দেশের কৃষি ক্ষেত্রকে আরও শক্তিশালী করবে বলে তিনি আশা করেন। তিনি বলেন, নতুন ভবনের নতুন নতুন সুযোগ-সুবিধা পাওয়ার ফলে ছাত্রছাত্রীরা উৎসাহিত এবং অনুপ্রাণিত হয়ে আরও কঠোর পরিশ্রম করবেন।
“আমি ঝাঁসিকে দেবো না।” ౼রানি লক্ষ্মীবাঈ-এর এই উদ্ধৃতি উল্লেখ করে প্রধানমন্ত্রী ঝাঁসি এবং বুন্দেলখণ্ডের জনসাধারণকে আত্মনির্ভর ভারত অভিযানকে সফল করে তোলার আহ্বান জানান।
শ্রী মোদী বলেছেন, আত্মনির্ভর ভারত অভিযানে কৃষিক্ষেত্র গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করবে। কৃষকদের, উৎপাদক এবং শিল্পোদ্যোগী হয়ে ওঠার মধ্য দিয়ে কৃষিক্ষেত্র আত্মনির্ভর হয়ে উঠবে। প্রধানমন্ত্রী বলেছেন, এই ভাবনার সঙ্গে সাযুজ্য রেখে বিভিন্ন ঐতিহাসিক সংস্কার হাতে নেওয়া হয়েছে। অন্যান্য শিল্পের মতো কৃষকরাও এখন তাঁদের উৎপাদিত সামগ্রী দেশের যে কোনও জায়গায় বিক্রি করতে পারেন, যার ফলে তাঁরা আরও ভালো দাম পাবেন। তিনি বলেছেন, ১ লক্ষ কোটি টাকার একটি তহবিল তৈরি করা হয়েছে যার মাধ্যমে ক্লাস্টার-ভিত্তিক উদ্যোগের মধ্য দিয়ে শিল্পে উন্নতির ব্যবস্থা করা হবে।
কৃষিক্ষেত্রে আধুনিক প্রযুক্তি ব্যবহারের ক্রমবর্ধমান উদ্যোগের প্রসঙ্গ উল্লেখ করে প্রধানমন্ত্রী বলেছেন, গবেষণা প্রতিষ্ঠান এবং কৃষি বিশ্ববিদ্যালয়গুলি এক্ষেত্রে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করতে পারে। তিনি বলেছেন, এখন দেশে তিনটি কেন্দ্রীয় কৃষি বিশ্ববিদ্যালয় রয়েছে। ছয় বছর আগে এই সংখ্যা ছিল মাত্র এক। এর পাশাপাশি, তিনটি জাতীয় প্রতিষ্ঠান – আইএআরআই, ঝাড়খণ্ড, আইএআরআই, অসম এবং বিহারের মোতিহারির মহাত্মা গান্ধী ইনস্টিটিউট ফর ইন্টিগ্রেটেড ফার্মিং গড়ে তোলা হয়েছে। তিনি বলেছেন, এই প্রতিষ্ঠানগুলি ছাত্রছাত্রীদের জন্য নতুন সুযোগ এনে দেওয়ার পাশাপাশি, স্থানীয় কৃষকদের উৎপাদন ক্ষমতা বৃদ্ধি করতে সাহায্য করবে কারণ, তাঁরা এই প্রতিষ্ঠানগুলি থেকে প্রযুক্তি ব্যবহারের সুফল সম্পর্কে ধারণা পাবেন।
আধুনিক কৃষিক্ষেত্রে উন্নত প্রযুক্তি সংক্রান্ত চ্যালেঞ্জের কথা উল্লেখ করে প্রধানমন্ত্রী বলেছেন, বর্তমানে নানা জায়গায় পঙ্গপালের আক্রমণ হয়েছে। সরকার ক্ষয়ক্ষতি কমানোর জন্য এই আক্রমণ ঠেকাতে যুদ্ধকালীন তৎপরতা নিয়েছে। তিনি বলেছেন, বিভিন্ন শহরে কন্ট্রোল রুম খোলা হয়েছে, কৃষকদের আগে থেকে সতর্ক করা হচ্ছে, ড্রোনের সাহায্যে স্প্রে করা হচ্ছে। এছাড়াও কৃষকদের প্রচুর স্প্রে মেশিন পাঠানো হয়েছে যাতে তাঁরা এই পঙ্গপাল ঠেকাতে প্রয়োজনীয় ব্যবস্থা নিতে পারেন।
শ্রী মোদী বলেছেন, গত ছয় বছর ধরে সরকার গবেষণা ও কৃষির মধ্যে যোগসূত্র গড়ে তুলেছে এবং গ্রাম পর্যায়ে তৃণমূলস্তরে কৃষকদের বৈজ্ঞানিক পরামর্শ পেতে সাহায্য করেছে। বিশ্ববিদ্যালয় চত্বর থেকে কৃষিক্ষেত্র পর্যন্ত পরামর্শের একটি ব্যবস্থা গড়ে তোলার জন্য তিনি বিশ্ববিদ্যালয়গুলিকে প্রয়োজনীয় ব্যবস্থা গড়ে তোলার অনুরোধ জানিয়েছেন।
কৃষি সংক্রান্ত ধ্যান-ধারণা এবং তার বাস্তব প্রয়োগ স্কুল পর্যায়ে পড়ানোর ওপর গুরুত্ব দিয়ে প্রধানমন্ত্রী বলেছেন, গ্রামের স্কুলগুলিতে কৃষিকে একটি বিষয় হিসেবে চালু করার উদ্যোগ নেওয়া হয়েছে। এর ফলে দু’ভাবে সুবিধা পাওয়া যাবে। প্রথমত, ছাত্রছাত্রীদের মধ্যে কৃষি সংক্রান্ত একটি ধারণা গড়ে উঠবে। দ্বিতীয়ত, ছাত্রছাত্রীদের আধুনিক প্রযুক্তির মাধ্যমে কৃষি পদ্ধতি এবং সেগুলিকে বাজারজাতকরণের নানা তথ্য দেওয়া হবে যা তারা তাদের পরিবারের সদস্যদের জানাতে পারবে। এইভাবে দেশে কৃষি-ভিত্তিক শিল্পোদ্যোগ গড়ে উঠতে পারে।
করোনা মহামারীর জন্য জনসাধারণ যে সমস্যার সম্মুখীন হয়েছেন, সেই অবস্থা থেকে তাঁদের সুবিধা দিতে প্রধানমন্ত্রী জানিয়েছেন, উত্তরপ্রদেশের গ্রামাঞ্চলের কোটি কোটি দরিদ্র মানুষের জন্য বিনামূল্যে রেশনের ব্যবস্থা করা হয়েছে। এই সময়ে বুন্দেলখণ্ড অঞ্চলের ১০ লক্ষ দরিদ্র মহিলার কাছে বিনামূল্যে গ্যাসের সিলিন্ডার পৌঁছে দেওয়া হয়েছে। গরীব কল্যাণ রোজগার অভিযানে উত্তরপ্রদেশে এ পর্যন্ত ৭০০ কোটি টাকারও বেশি খরচ করা হয়েছে। এর ফলে লক্ষ লক্ষ শ্রমিকের কর্মসংস্থানের ব্যবস্থা করা গেছে।
প্রধানমন্ত্রী বলেছেন, প্রতিটি বাড়িতে পানীয় জলের ব্যবস্থা করার জন্য দ্রুতগতিতে কাজ চলছে। এই অঞ্চলে ১০ হাজার কোটি টাকার বেশি অর্থ ব্যয়ে প্রায় ৫০০টি জল সংক্রান্ত প্রকল্পের কাজ চলছে যার মধ্যে গত দু’মাসে ৩ হাজার কোটি টাকা এই প্রকল্পগুলিতে ব্যয় করা হয়েছে। এর ফলে, বুন্দেলখণ্ড অঞ্চলের লক্ষ লক্ষ পরিবার সরাসরি উপকৃত হবেন। তিনি বলেছেন, বুন্দেলখণ্ড অঞ্চলের মাটির তলার জলের স্তর বাড়ানোর জন্য ‘অটল গ্রাউন্ড ওয়াটার স্কিম’-এর কাজ চলছে। ঝাঁসি, মাহোবা, বান্দা, হামিরপুর, চিত্রকূট, লোলিতপুর ছাড়াও পশ্চিম উত্তরপ্রদেশের বিভিন্ন অঞ্চলে জলস্তর বাড়ানোর জন্য ৭০০ কোটি টাকার বিভিন্ন প্রকল্পের কাজ চলছে বলেও শ্রী মোদী উল্লেখ করেছেন।
প্রধানমন্ত্রী বলেছেন, বুন্দেলখণ্ড এলাকায় বেতোয়া, কেন এবং যমুনা নদী থাকা সত্ত্বেও পুরো অঞ্চলটি এই নদীগুলির সুফল পায়নি। সরকার এই পরিস্থিতির পরিবর্তন ঘটাতে উদ্যোগী হয়েছে। কেন ও বেতোয়া নদীর সংযোগ প্রকল্প এই অঞ্চলের ভবিষ্যৎ পরিবর্তন করবে বলে তিনি জানান। সরকার এই ক্ষেত্রে রাজ্য সরকারগুলির প্রতি সহযোগিতার হাত বাড়িয়ে দিয়েছে। প্রধানমন্ত্রী আশা প্রকাশ করে বলেন, বুন্দেলখণ্ড অঞ্চল একবার প্রচুর পরিমাণ জল পেয়ে গেলে এই এলাকার জীবনযাত্রায় আমূল পরিবর্তন আসবে। বুন্দেলখণ্ড এক্সপ্রেসওয়ে এবং প্রতিরক্ষা করিডরের মতো প্রকল্পগুলি এই অঞ্চলে হাজার হাজার কর্মসংস্থানের সৃষ্টি করবে। শ্রী মোদী বলেছেন, আজ বুন্দেলখণ্ডের চতুর্দিকে ‘জয় জওয়ান, জয় কিষাণ এবং জয় বিজ্ঞান’ মন্ত্র উচ্চারিত হচ্ছে। বুন্দেলখণ্ড অঞ্চলের প্রাচীন ঐতিহ্যকে আরও সমৃদ্ধ করে তুলতে কেন্দ্র এবং উত্তরপ্রদেশ সরকার অঙ্গীকারবদ্ধ।
कभी रानी लक्ष्मीबाई ने बुंदेलखंड की धरती पर गर्जना की थी- मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी।
— PMO India (@PMOIndia) August 29, 2020
आज एक नई गर्जना की आवश्यकता है- मेरी झांसी-मेरा बुंदेलखंड आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत लगा देगा, एक नया अध्याय लिखेगा।
इसमें बहुत बड़ी भूमिका कृषि की है: PM
जब हम कृषि में आत्मनिर्भरता की बात करते हैं तो ये सिर्फ खाद्यान्न तक ही सीमित नहीं है।
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बल्कि ये गांव की पूरी अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता की बात है।
ये देश में खेती से पैदा होने वाले उत्पादों में वैल्यू एडिशन करके देश और दुनिया के बाज़ारों में पहुंचाने का मिशन है: PM
कृषि में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य किसानों को एक उत्पादक के साथ ही उद्यमी बनाने का भी है।
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जब किसान और खेती, उद्योग के रूप में आगे बढ़ेगी तो बड़े स्तर पर गांव में और गांव के पास ही रोज़गार और स्वरोज़गार के अवसर तैयार होने वाले हैं: PM
6 साल पहले जहां देश में सिर्फ 1 केंद्रीय कृषि विश्विद्यालय था, आज 3 सेंट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज़ देश में काम कर रही हैं।
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इसके अलावा तीन और राष्ट्रीय संस्थान IARI-झारखंड, IARI-असम, और मोतीहारी में Mahatma Gandhi Institute for Integrated Farming की स्थापना की जा रही है: PM
ड्रोन टेक्नॉलॉजी हो, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की टेक्नॉलॉजी हो, आधुनिक कृषि उपकरण हों, इसको देश की कृषि में अधिक से अधिक उपयोग में लाने के लिए आप जैसे युवा Researchers को, युवा वैज्ञानिकों को निरंतर काम करना होगा: PM
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इससे दो लाभ होंगे।
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एक लाभ तो ये होगा कि गांव के बच्चों में खेती से जुड़ी जो एक स्वभाविक समझ होती है, उसका विस्तार होगा।
दूसरा लाभ ये होगा कि वो खेती और इससे जुड़ी तकनीक, व्यापार-कारोबार के बारे में अपने परिवार को ज्यादा जानकारी दे पाएगा: PM
कृषि से जुड़ी शिक्षा को, उसकी प्रेक्टिकल एप्लीकेशन को स्कूल स्तर पर ले जाना भी आवश्यक है।
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प्रयास है कि गांव के स्तर पर मिडिल स्कूल लेवल पर ही कृषि के विषय को इंट्रोड्यूस किया जाए: PM
बुंदेलखंड की करीब-करीब 10 लाख गरीब बहनों को इस दौरान मुफ्त गैस सिलेंडर दिए गए हैं।
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लाखों बहनों के जनधन खाते में हज़ारों करोड़ रुपए जमा किए गए हैं: PM
कोरोना के खिलाफ बुंदेलखंड के लोग भी डटे हुए हैं।
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सरकार ने भी प्रयास किया है कि लोगों को कम से कम दिक्कत हो।
गरीब का चूल्हा जलता रहे, इसके लिए यूपी के करोड़ों गरीब और ग्रामीण परिवारों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है: PM
गरीब कल्याण रोज़गार अभियान के तहत यूपी में 700 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च अब तक किया जा चुका है, जिसके तहत लाखों कामगारों को रोज़गार उपलब्ध हो रहा है।
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मुझे बताया गया है कि इस अभियान के तहत यहां बुंदेलखंड में भी सैकड़ों तालाबों को ठीक करने और नए तालाब बनाने का काम किया गया है:PM
जब ये तैयार हो जाएंगी तो इससे बुंदेलखंड के लाखों परिवारों को सीधा लाभ होगा।
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इतना ही नहीं, बुंदेलखंड में, भूजल के स्तर को ऊपर उठाने के लिए अटल भूजल योजना पर भी काम चल रहा है: PM
बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे हो या फिर डिफेंस कॉरीडोर, हज़ारों करोड़ रुपए के ये प्रोजेक्ट यहां रोजगार के हजारों अवसर बनाने का काम करेंगे।
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वो दिन दूर नहीं जब वीरों की ये भूमि, झांसी और इसके आसपास का ये क्षेत्र देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक बड़ा सेंटर बनेगा: PM
एक तरह से बुंलेदखंड में ‘जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान’ का मंत्र चारों दिशाओं में गूंजेगा।
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केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश की सरकार बुंदेलखंड की पुरातन पहचान को, इस धरती के गौरव को समृद्ध करने के लिए प्रतिबद्ध है: PM