Quoteপ্রথম অধিবেশনে নারীশক্তি বন্ধন অধিনিয়ম পেশ করলেন প্রধানমন্ত্রী
Quote“অমৃতকালের প্রত্যুষে নতুন সংসদ ভবনে দৃঢ় সংকল্প নিয়ে ভারত ভবিষ্যতের দিকে এগিয়ে চলেছে”
Quote“সংকল্প সম্পাদনের এবং নতুন উদ্যম ও শক্তির সঙ্গে নতুন যাত্রা শুরু করার এটাই সময়”
Quote“অতীতের অত্যন্ত গুরুত্বপূর্ণ একটি অংশের সঙ্গে আমাদের যোগসূত্র স্থাপন করে সেঙ্গল”
Quote“জমকালো নতুন সংসদ ভবন আধুনিক ভারতকে মহিমান্বিত করছে। এর মধ্যে আমাদের ইঞ্জিনিয়ার ও শ্রমিকদের ঘাম লেগে রয়েছে”
Quote“নারীশক্তি বন্ধন অধিনিয়ম আমাদের গণতন্ত্রকে আরও শক্তিশালী করবে”
Quote“ভবন বদলেছে, ভাবনারও বদল হওয়া দরকার”
Quote“আমাদের সকলেরই সংসদীয় ঐতিহ্যের লক্ষণরেখা মেনে চলা উচিত”
Quote“কেন্দ্রীয় মন্ত্রিসভা সংসদে মহিলাদের সংরক্ষণ সংক্রান্ত বিলে অনুমোদন দিয়েছে। ১৯ সেপ্টেম্বর ২০২৩-এর এই ঐতিহাসিক দিনটি ভারতের ইতিহাসে চিরস্মরণীয় হয়ে থাকবে”
Quote“মহিলা নেতৃত্বাধীন উন্নয়নের সংকল্পকে আরও এগিয়ে নিয়ে যেতে আমাদের সরকার আজ এক গুরুত্বপূর্ণ সংবিধান সংশোধনী বিল পেশ করছে। এই বিলের লক্ষ্য হল লোকসভা ও বিধানসভাগুলিতে মহিলাদের অংশগ্রহণ আরও বাড়ানো” “আমি দেশের সব মা, বোন ও মেয়েদের আশ্বস্ত করছি

প্রধানমন্ত্রী শ্রী নরেন্দ্র মোদী আজ নতুন সংসদ ভবনে লোকসভায় বক্তব্য রেখেছেন। 

নতুন সংসদ ভবনের প্রথম অধিবেশনকে ঐতিহাসিক আখ্যা দিয়ে প্রধানমন্ত্রী এই উপলক্ষে সকলকে শুভেচ্ছা জানান। নতুন সংসদ ভবনের প্রথম দিনেই সংসদের বিশেষ অধিবেশনে তাঁকে বলার সুযোগ দেওয়ায় লোকসভার অধ্যক্ষের প্রতি কৃতজ্ঞতা প্রকাশ করে সদস্যদের স্বাগত জানান তিনি। প্রধানমন্ত্রী বলেন, অমৃতকালের প্রত্যুষে নতুন সংসদ ভবনে দৃঢ় সংকল্প নিয়ে ভারত ভবিষ্যতের দিকে এগিয়ে চলেছে। সাম্প্রতিক সাফল্য হিসেবে চন্দ্রযান তিনের চাঁদে অবতরণ এবং জি-২০ শীর্ষ সম্মেলনের আয়োজন ও বিশ্ব মঞ্চে তার প্রভাবের উল্লেখ করেন প্রধানমন্ত্রী। তিনি বলেন, ভারতের সামনে এক অনন্য সুযোগ এসে উপস্থিত হয়েছে এবং সেই আলোতেই নতুন সংসদ ভবনে আজ সংসদীয় কাজকর্ম শুরু হল। গণেশ চতুর্থীর শুভ লগ্নের উল্লেখ করে প্রধানমন্ত্রী বলেন, গণেশ হলেন সমৃদ্ধি, মঙ্গল, যুক্তি ও জ্ঞানের দেবতা। সংকল্প সম্পাদনের এবং নতুন উদ্যম ও শক্তির সঙ্গে নতুন যাত্রা শুরু করার এটাই শুভ মুহূর্ত। লোকমান্য তিলকের উল্লেখ করে প্রধানমন্ত্রী বলেন, স্বাধীনতা সংগ্রামের সময়ে তিলক এই গণেশ চতুর্থীকে সমগ্র দেশে স্বরাজের শিখা প্রজ্জ্বলিত করার মাধ্যম হিসেবে ব্যবহার করেছিলেন। সেই একই অনুপ্রেরণা নিয়ে আমরা আজ এগিয়ে চলেছি। 

প্রধানমন্ত্রী বলেন, আজকের দিনটি সমবাৎসরী পর্বও বটে, যা ক্ষমার উৎসব হিসেবে উদযাপিত হয়। এই উৎসবে ইচ্ছাকৃত বা অনিচ্ছাকৃত কোন কাজের জন্য কেউ আহত হয়ে থাকলে তার কাছে ক্ষমা চাওয়া হয়। এই উৎসবের সুরে সুর মিলিয়ে প্রধানমন্ত্রী সবাইকে মিচ্ছামি দুক্কাদম বলেন এবং অতীতের সব তিক্ততাকে পিছনে ফেলে সামনের দিকে এগিয়ে যাওয়ার আহ্বান জানান। 

সভায় পবিত্র সেঙ্গলের উপস্থিতির উল্লেখ করে প্রধানমন্ত্রী বলেন, এই দন্ড পুরানো ও নতুনের মধ্যে এক গুরুত্বপূর্ণ যোগসূত্র এবং স্বাধীনতার প্রথম আলোর সাক্ষী। দেশের প্রথম প্রধানমন্ত্রী পন্ডিত জওহরলাল নেহরু এই দন্ড স্পর্শ করেছিলেন। অতীতের অত্যন্ত গুরুত্বপূর্ণ একটি অংশের সঙ্গে আমাদের যোগসূত্র স্থাপন করে এই সেঙ্গল। 

প্রধানমন্ত্রী বলেন, নতুন ভবনের জাঁকজমক অমৃতকালকে অভিষিক্ত করছে। এই প্রসঙ্গে তিনি শ্রমিক ও ইঞ্জিনিয়ারদের কঠোর পরিশ্রমের কথা স্মরণ করেন, যাঁরা অতিমারির সময়েও নিজেদের কাজ করে গিয়েছিলেন। প্রধানমন্ত্রীর নেতৃত্বে সমগ্র সভা এই শ্রমিক ও ইঞ্জিনিয়ারদের অভিনন্দন জানায়। প্রধানমন্ত্রী বলেন, এই ভবন নির্মাণে ৩০ হাজারেরও বেশি শ্রমিকের অবদান রয়েছে। প্রত্যেকের কাজের সম্পূর্ণ বিবরণ সংরক্ষিত রয়েছে একটি ডিজিটাল বইতে।

আমাদের কাজের ওপর আমাদের আবেগ ও অনুভবের প্রভাব সম্পর্কে বলতে গিয়ে প্রধানমন্ত্রী বলেন, আজকের অনুভূতি আমাদের আচরণের পথনির্দেশক হবে। তিনি বলেন, “ভবন বদলেছে, ভাবনারও বদল হওয়া দরকার” । 

প্রধানমন্ত্রী বলেন, সংসদ কোন রাজনৈতিক দলের সুবিধার জন্য নয়, দেশের উন্নয়নের জন্য। সংসদ দেশের সেবা করার সর্বোচ্চ স্থান। এর সদস্য হিসেবে আমাদের উচিত কথায়, ভাবনায় ও কাজে সংবিধানের চেতনাকে তুলে ধরা। প্রতিটি সদস্য সভার প্রত্যাশা ও আকাঙ্খা মেনে চলবেন এবং তাঁর নির্দেশনায় কাজ করবেন বলে প্রধানমন্ত্রী সভার অধ্যক্ষকে প্রতিশ্রুতি দেন। প্রধানমন্ত্রী বলেন, সভার সমস্ত কাজ সাধারণ মানুষের চোখের সামনে হচ্ছে। সদস্যরা কে কেমন আচরণ করছেন, তাও সাধারণ মানুষ দেখতে পাচ্ছেন। কোন সদস্য শাসক বা বিরোধী কোন আসনে বসবেন, তার অন্যতম নির্ণায়ক হল তাঁদের আচরণ।

সাধারণ মানুষের কল্যাণে প্রধানমন্ত্রী সম্মিলিত প্রয়াস ও অভিন্ন লক্ষ্যের ওপর জোর দিয়ে বলেন, “আমাদের সকলেরই সংসদীয় ঐতিহ্যের লক্ষণরেখা মেনে চলা উচিত” । 

সমাজের কার্যকর রূপান্তর সাধনে রাজনীতির ভূমিকার উল্লেখ করে প্রধানমন্ত্রী বলেন, মহাকাশ থেকে খেলাধুলো সব ক্ষেত্রেই ভারতের মহিলাদের গুরুত্বপূর্ণ অবদান রয়েছে। জি-২০-তে মহিলা নেতৃত্বাধীন উন্নয়নের ধারণাকে সারা বিশ্ব কিভাবে স্বাগত জানিয়েছে, প্রধানমন্ত্রী তারও উল্লেখ করেন। তিনি জানান, জনধন যোজনার ৫০ কোটি সুবিধাভোগীর মধ্যে অধিকাংশই মহিলা। মুদ্রা যোজনা, প্রধানমন্ত্রী আবাস যোজনার মত প্রকল্পগুলি থেকেও মহিলারা প্রভূত উপকার পাচ্ছেন। 

প্রধানমন্ত্রী বলেন, প্রতিটি জাতির উন্নয়ন যাত্রায় এমন এক মোড় আসে, যখন ইতিহাসের সৃষ্টি হয়। আজ ভারতও তেমন এক সন্ধিক্ষণের মুখোমুখি। মহিলা সংরক্ষণ নিয়ে সংসদে আলোচনার ওপর আলোকপাত করে প্রধানমন্ত্রী বলেন, এই নিয়ে প্রথমবার ১৯৯৬ সালে সংসদে বিল পেশ করা হয়েছিল। এরপর অটলবিহারী বাজপেয়ীর প্রধানমন্ত্রিত্বের সময়েও কয়েকবার এই বিলটি পেশ করা হয়, কিন্তু কোনবারই এটি প্রয়োজনীয় সমর্থন জোগাড় করতে পারেনি, তাই মহিলাদের স্বপ্নও বাস্তবে পরিণত হয়নি। এই কাজ সম্পন্ন করতে ঈশ্বর তাঁকেই বেছে নিয়েছেন বলে প্রধানমন্ত্রী মন্তব্য করেন। তিনি জানান, “কেন্দ্রীয় মন্ত্রিসভা সংসদে মহিলাদের সংরক্ষণ সংক্রান্ত বিলে অনুমোদন দিয়েছে। ১৯ সেপ্টেম্বর ২০২৩-এর এই ঐতিহাসিক দিনটি ভারতের ইতিহাসে চিরস্মরণীয় হয়ে থাকবে”। প্রতিটি ক্ষেত্রে মহিলাদের ক্রমবর্ধমান অবদানের উল্লেখ করে প্রধানমন্ত্রী বলেন, নীতি প্রণয়নেও আরও বেশি করে মহিলাদের অংশগ্রহণ থাকা জরুরী। মহিলাদের সামনে সম্ভাবনার দ্বার উন্মুক্ত করে দিতে সদস্যদের প্রতি আহ্বান জানান প্রধানমন্ত্রী। 

প্রধানমন্ত্রী বলেন, “মহিলা নেতৃত্বাধীন উন্নয়নের সংকল্পকে আরও এগিয়ে নিয়ে যেতে আমাদের সরকার আজ এক গুরুত্বপূর্ণ সংবিধান সংশোধনী বিল পেশ করছে। এই বিলের লক্ষ্য হল লোকসভা ও বিধানসভাগুলিতে মহিলাদের অংশগ্রহণ আরও বাড়ানো। নারীশক্তি বন্ধন অধিনিয়ম আমাদের গণতন্ত্রকে আরও শক্তিশালী করবে। নারীশক্তি বন্ধন অধিনিয়মের জন্য আমি দেশের প্রত্যেক মা, বোন ও মেয়েকে অভিনন্দন জানাই। আমি তাঁদের আশ্বস্ত করছি যে, এই বিলকে আইনে পরিণত করতে আমরা প্রতিশ্রুতিবদ্ধ। এই সভার শুভ সূচনার মুহূর্তে আমরা যদি সর্বসম্মতিক্রমে এই বিলকে আইনে পরিণত করতে পারি, তাহলে সভার শক্তি বহুগুণ বৃদ্ধি পাবে। তাই সংসদের উভয় সভায় এই বিলটি সর্বসম্মতিক্রমে অনুমোদন করতে আমি আমার সব সহকর্মীর কাছে অনুরোধ জানাই।”

সম্পূর্ণ ভাষণ পড়তে এখানে ক্লিক করুন

  • Ravi Shankar September 23, 2023

    नरेंद्र मोदी जी जिंदाबाद
  • Aakash Kumar September 23, 2023

    #मोदी_है_तो_मुमकिन_है 🚩जयतु हिन्दुराष्ट्रम्🚩 🚩जय श्री राम🚩🙏
  • Mahendra singh Solanky Loksabha Sansad Dewas Shajapur mp September 22, 2023

    नवभारत में नारी शक्ति तेरा वंदन!
  • Rajshekhar Hitti September 22, 2023

    Jai Bharat mata
  • CHANDRA KUMAR September 22, 2023

    बीजेपी सोच रहा होगा, सिक्ख "खालिस्तान" मांगता है, कश्मीरी "आजाद काश्मीर" मांगता है, नगा जनजाति "नागालैंड" मांगता है, दक्षिणी भारतीय राज्य "द्रविड़ लैंड" मांगता है। यह सब क्या हो रहा है। भारत के राज्य स्वतंत्रता क्यों मांग रहा है? किससे स्वतंत्रता मांग रहा है? शिवसेना के संजय राऊत ने कहा कि जिस तरह से यूरोपीय संघ में बहुत सारे देश हैं, उसी तरह से भारत भी एक संघ है जिसमें बहुत सारे राज्य है, यहां सिर्फ वीजा नहीं लग रहा है, लेकिन बात बराबर है। ममता बनर्जी चिल्लाते रहती है, बीजेपी संघीय ढांचे को तोड़ रहा है, हम इसे बर्दास्त नहीं करेंगे, सीबीआई को पश्चिम बंगाल नहीं आने देंगे। बीजेपी सोचती है की धारा 370 हटाकर हमने कश्मीर को भारत से जोड़ दिया। यह एक गलतफहमी है। मेरा प्रश्न है, क्या भारत जुड़ा हुआ है? पहले जानते हैं, राज्य किसे कहते हैं, संघ किसे कहते हैं, प्रांत किसे कहते हैं, देश किसे कहते हैं? 1. संघ : दो या दो से अधिक पृथक एवं स्वतंत्र इकाइयों से एकल राजनीतिक इकाई का गठन। 2. राज्य : राज्य शब्द का अर्थ एक निश्चित क्षेत्र के भीतर एक स्वतंत्र सरकार के तहत राजनीतिक रूप से संगठित समुदाय या समाज है। इसे ही कानून बनाने का विशेषाधिकार है। कानून बनाने की शक्ति संप्रभुता से प्राप्त होती है, जो राज्य की सबसे विशिष्ट विशेषता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1(1) में कहा गया है, "इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा।" 13 दिसंबर, 1946 को जवाहरलाल नेहरू ने एक संकल्प के माध्यम से संविधान सभा के लक्ष्यों और उद्देश्यों को पेश किया था कि भारत, "स्वतंत्र संप्रभु गणराज्य" में शामिल होने के इच्छुक क्षेत्रों का एक संघ होगा। जबकि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने,एक मज़बूत संयुक्त देश बनाने के लिये विभिन्न प्रांतों और क्षेत्रों के एकीकरण और संधि पर जोर दिया गया था। संविधान सभा के सदस्य संविधान में 'केंद्र' या 'केंद्र सरकार' शब्द का प्रयोग न करने के लिये बहुत सतर्क थे क्योंकि उनका उद्देश्य एक इकाई में शक्तियों के केंद्रीकरण की प्रवृत्ति को दूर रखना था। अर्थात् एक इकाई अपने स्वतंत्र क्षेत्र में दूसरी इकाई के अधीन नहीं है और एक का अधिकार दूसरे के साथ समन्वित है। हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने अपने आधिकारिक पत्राचार या संचार में 'केंद्र सरकार' (Central Government) शब्द के उपयोग को बंद करने एवं इसके स्थान पर 'संघ सरकार' (Union Government) शब्द का उपयोग करने का फैसला किया है। 3. प्रांत : प्रान्त एक प्रादेशिक इकाई है, जो कि लगभग हमेशा ही एक देश या राज्य के अन्तर्गत एक प्रशासकीय खण्ड होता है। 4. देश : एक देश किसी भी जगह या स्थान है जिधर लोग साथ-साथ रहते है, और जहाँ सरकार होती है। संप्रभु राज्य एक प्रकार का देश है। अर्थात् देश एक भौगोलिक क्षेत्र है, जबकि राज्य एक राजनीतिक क्षेत्र है। निष्कर्ष : 1. वर्तमान समय में भारत एक संघ (ग्रुप) है। इस संघ में कोई भी राज्य शामिल हो सकता है और कोई भी राज्य अलग हो सकता है। क्योंकि संप्रभुता राज्य में होती है, संघ में नहीं। संघ राज्यों को सम्मिलित करके रखने का एक प्रयास मात्र है। जिस तरह यूरोपीय संघ से ब्रिटेन बाहर निकल गया, उसी तरह से भारतीय संघ से पाकिस्तान बाहर निकल गया। 2. यदि भारत को "संघ" के जगह पर "राज्य" बना दिया जाए, और भारत के सभी राज्य को प्रांत घोषित कर दिया जाए। तब भारत एक केंद्रीयकृत सत्ता में परिवर्तित हो जायेगा। जिससे सभी प्रांत स्वाभाविक रूप से, भारतीय सत्ता का एक शासकीय अंग बन जायेगा, और प्रांतों की संप्रभुता भारत राज्य में केंद्रित हो जायेगा। फिर कोई भी प्रांत भारत राज्य से अलग नहीं हो सकेगा। प्रांतों की सभी प्रकार की राजनीतिक स्वायत्तता स्वतः समाप्त हो जायेगा। फिर भारत का विभाजन बंद हो जायेगा। 3. जब भारत स्वतंत्र हो रहा था, तब इसमें कई राजाओं को मनाकर शामिल करने की जरूरत थी, सभी राजाओं ने कई तरह की स्वायत्तता और प्रेवीपर्स मनी लेने के बाद भारतीय संघ का सदस्य बनना स्वीकार किया। अब भारत का लोकतंत्र काफी विकसित हो गया है, राजाओं का प्रेवीपर्स मनी खत्म कर दिया गया है। ऐसे में क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों और क्षेत्रीय विभाजनकारी संगठनों के भारत विभाजन के लालसा को खत्म करने के लिए, अब भारत को एक संघ की जगह, एक राज्य घोषित कर दिया जाए। और भारत के राज्यों को प्रांत घोषित कर दिया जाए। राज्यसभा को प्रांतसभा घोषित कर दिया जाए। राज्य के मुख्यमंत्री को प्रांतमंत्री घोषित कर दिया जाए। इससे क्षेत्रीय विभाजनकारी तत्वों को हतोत्साहित किया जा सकेगा। क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के दबंग आचरण को नियंत्रित किया जा सकेगा। जब संप्रभुता केंद्र सरकार में केंद्रित होगा , तभी खालिस्तान, नागालैंड , आजाद काश्मीर जैसी मांगें बंद होंगी। और तभी तमिलनाडु जैसे राज्य , खुद को द्रविड़ देश समझना बंद करेगा और केंद्र सरकार को संघ सरकार कहने का साहस नहीं कर पायेगा। और तभी ममता बनर्जी जैसी अधिनायकवादी राजनीतिज्ञ, केंद्रीय जांच एजेंसी को अपने प्रांत में प्रवेश करने से रोक नहीं पायेगा। 4. कानून बनाने का अधिकार तब केवल भारत राज्य को होगा। कोई भी प्रांत, जैसे बंगाल प्रांत, बिहार प्रांत, कानून नहीं बना सकेगा। क्योंकि प्रांत कोई संप्रभु ईकाई नहीं है। प्रांत भारत राज्य से कानून बनाने का आग्रह कर सकता है, सलाह दे सकता है। भारत राज्य का कानून ही अंतिम और सर्वमान्य होगा। केवल लोकसभा में ही बहुमत से कानून बनाया जायेगा। 5. राज्यसभा का अर्थ होता है, संप्रभुता प्राप्त राज्यों का सभा। इसीलिए राज्य सभा का नाम बदल कर प्रांत सभा कर दिया जाए। लोकसभा को उच्च सदन और प्रांत सभा को निम्न सदन घोषित किया जाए। प्रांत सभा केवल कानून बनाने का प्रस्ताव बनाकर लोकसभा को भेज सकता है। प्रांत सभा किसी कानून के बनते समय केवल सुझाव दे सकता है। प्रांत सभा को किसी भी स्थिति में मतदान द्वारा कानून बनाने में भागीदारी करने का अधिकार नहीं दिया जाए। तभी जाकर केंद्र सरकार वास्तव में प्रभुत्व संपन्न बनेगा। तभी जाकर केंद्र सरकार संप्रभुता को प्राप्त करेगा। तभी जाकर राष्ट्र के विभाजन कारी तत्व की मंशा खत्म होगी। तभी जाकर भारत एक शक्तिशाली राज्य बनकर उभरेगा। 6. अभी भारत का कोई भी राज्य, कोई भी कानून बना सकता है। अभी राज्यसभा किसी भी कानून को पारित होने से रोक सकता है। अभी राज्य सभा उच्च सदन बनकर बैठा है। सोचिए राज्यों ने कितना संप्रभुता हासिल करके रखा है। वह केंद्र सरकार से आजाद होने का सपना देखे, तब इसमें आश्चर्य की क्या बात है। केंद्र सरकार का लोकसभा निम्न सदन बनकर, यह चाहत रखता है की सभी राज्य उसकी बात माने। यह कैसे संभव है। लोकसभा के कानून को राज्यसभा निरस्त करके खुशी मनाता है। कांग्रेस पार्टी कहती है, लोकसभा में बीजेपी बहुमत में है, सभी विपक्षी पार्टी राज्यसभा में बीजेपी के खिलाफ काम करेंगे। और बीजेपी के बनाए कानून को रोक राज्यसभा में रोक देंगे। ऐसे में केंद्र सरकार के पास संप्रभुता कहां है। दरअसल जिस तरह यूरोपीय संघ से ज्यादा यूरोप के राज्यों के पास संप्रभुता है। उसी तरह भारत संघ से ज्यादा भारत के राज्यो के पास संप्रभुता ज्यादा है। 7. अतः भारत को संघ की जगह राज्य बना और राज्यों को प्रांत बना दीजिए। 8. भारतीय संविधान के अनुच्छेद एक में संशोधन करना चाहिए। वर्तमान में, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1(1) में कहा गया है, "इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा।" इसे संशोधित करते हुए, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1(1) में कहा जाए, " जम्बूद्वीप, जो की भारत है, प्रांतों का एक राज्य होगा।" 9. दूसरा संशोधन यह करना चाहिए की, "भारतीय संविधान में जहां - जहां पर राज्य शब्द का प्रयोग हुआ है, उन्हें संशोधन के उपरांत प्रांत समझा जाए। क्योंकि भारत संघ की जगह राज्य का स्थान ले चुका है। 10. भारत राजनीतिक रूप से राज्य है और भौगोलिक रूप से देश है। भारत राज्य में से किसी भी प्रांत को स्वतंत्र होकर राज्य बनाने की स्वीकार्यता नहीं दी जायेगी। अर्थात अब कोई खालिस्तान , कोई नागालैंड, कोई आजाद काश्मीर या कोई द्रविड़ प्रदेश बनाने की मांग नहीं कर सकेगा। भारत सरकार वास्तव में तभी एक संप्रभु राज्य, संप्रभु शासक होगा। अभी भारत सरकार, एक तरह से, बहुत सारे संप्रभु राज्यों के समूह का संघ बनाकर शासन चला रहा है। जिस संघ (Group) से सभी राज्य अलग होने की धमकी देते रहता है। यदि भारतवर्ष को विश्वगुरु बनाना है तो भारत में एक शक्तिशाली केंद्र सरकार होना चाहिए। न की एक कमजोर संघीय सरकार। अब संविधान के संघीय ढांचे का विदाई कर देना चाहिए और उपरोक्त दोनों संविधान संशोधन शीघ्र ही कर देना चाहिए।
  • HARGOVIND JOSHI September 20, 2023

    आपश्री का भाषण पूरा सुना हमने दिल और आत्मा प्रसन्न हो गये।
  • HARGOVIND JOSHI September 20, 2023

    भारत की नयी संसद भवन का लोकार्पण करने हेतु माननीय प्रधानमंत्री जी एवं हमारी भारत सरकार को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं
  • Arun Potdar September 20, 2023

    अमृत वाणी
  • Neeraj Khatri September 20, 2023

    जय हो 🙏
  • Raj kumar September 20, 2023

    Namaskar 🙏 Prime Minister Shri Narendra Modi Ji. Welcome in the new building of the Parliament.
Explore More
৭৮ তম স্বাধীনতা দিবস উপলক্ষ্যে নয়াদিল্লির লালকেল্লার প্রাকার থেকে প্রধানমন্ত্রীর ভাষণ ১৫ই আগস্ট , ২০২৪

জনপ্রিয় ভাষণ

৭৮ তম স্বাধীনতা দিবস উপলক্ষ্যে নয়াদিল্লির লালকেল্লার প্রাকার থেকে প্রধানমন্ত্রীর ভাষণ ১৫ই আগস্ট , ২০২৪
How has India improved its defence production from 2013-14 to 2023-24 since the launch of

Media Coverage

How has India improved its defence production from 2013-14 to 2023-24 since the launch of "Make in India"?
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
সোশ্যাল মিডিয়া কর্নার 27 মার্চ 2025
March 27, 2025

Citizens Appreciate Sectors Going Global Through PM Modi's Initiatives