For ages, conservation of wildlife and habitats has been a part of the cultural ethos of India, which encourages compassion and co-existence: PM Modi
India is one of the few countries whose actions are compliant with the Paris Agreement goal of keeping rise in temperature to below 2 degree Celsius: PM

প্রধানমন্ত্রী শ্রী নরেন্দ্র মোদী আজ ভিডিও কনফারেন্সের মাধ্যমে গান্ধীনগরে বন্য পরিযায়ী পশু-প্রাণী সংরক্ষণ সংক্রান্ত ত্রয়োদশ কনফারেন্স অফ পার্টিজ (সিওপি) সম্মেলনের উদ্বোধন করেন।

এই উপলক্ষে প্রধানমন্ত্রী জোর দিয়ে বলেন, ভারত বিশ্বের অন্যতম বৈচিত্র্যপূর্ণ দেশ। বিশ্বের মোট ভৌগোলিক এলাকার ২.৪ শতাংশ ভারতীয় ভূখণ্ডের অংশ হলেও এখানে বিশ্বের জীববৈচিত্র্যের প্রায় ৮ শতাংশের বসবাস। প্রধানমন্ত্রী আরও বলেন, যুগ যুগ ধরে বন্যপ্রাণী ও তাদের বাসস্থানের সংরক্ষণ ভারতের সাংস্কৃতিক মূল্যবোধের অঙ্গ। এই মূল্যবোধই করুণা ও সহাবস্থানে প্রেরণা যোগায়। তিনি বলেন, “গান্ধীজির আদর্শে অনুপ্রাণিত হয়ে অহিংসার নীতি তথা পশু-প্রাণী ও প্রকৃতির সুরক্ষার বিষয়টি ভারতের সংবিধান এবং একাধিক আইনে যথাযথভাবে প্রতিফলিত হয়েছে।”

ভারতের অরণ্য অঞ্চলের পরিধি বৃদ্ধি সম্পর্কে প্রধানমন্ত্রী বলেন, বর্তমানে দেশের মোট ভৌগোলিক এলাকার ২১.৬৭ শতাংশ অংশই অরণ্যভূমি। সংরক্ষণ, সুস্থায়ী জীবনশৈলী এবং আদর্শ সবুজায়নের মাধ্যমে ভারত কিভাবে জলবায়ু পরিবর্তনের মোকাবিলায় অগ্রণী ভূমিকা পালন করে চলেছে তা শ্রী মোদী উল্লেখ করেন। এই প্রসঙ্গে তিনি বলেন, বৈদ্যুতিক যানবাহন, স্মার্ট সিটি ও জল সংরক্ষণে গুরুত্ব দেওয়া হচ্ছে। তিনি বলেন, ভারত হাতেগোনা কয়েকটি দেশের অন্যতম যারা ভূপৃষ্ঠের তাপমাত্রা ২ ডিগ্রি সেলসিয়াসের নিচে বজায় রাখতে প্যারিস চুক্তির উদ্দেশ্যগুলি মেনে চলছে।

প্রধানমন্ত্রী বলেন, পশু-প্রাণী সংরক্ষণমূলক কর্মসূচিগুলিতে অগ্রাধিকার দেওয়ায় তার পরিণাম মিলতে শুরু করেছে। তিনি বলেন, “ভারত ২০২২ সালে ধার্য লক্ষ্যমাত্রা পূরণের দু’বছর আগেই বন্য পরিবেশে বাঘের সংখ্যা ২০১০-এর ১,৪১১ থেকে দ্বিগুণ বাড়িয়ে বর্তমানে ২,৯৬৭-তে পৌঁছতে পেরেছে।” বন্য পরিবেশে বাঘের অস্তিত্ব রয়েছে সম্মেলনে উপস্থিত এমন দেশগুলি ছাড়াও, অন্যান্য দেশকে ব্যাঘ্র সংরক্ষণের প্রয়াস আরও জোরদার করতে শ্রী মোদী আহ্বান জানান। এশীয় প্রজাতির হাতি সংরক্ষণে ভারত যেসব প্রয়াস নিয়েছে তার কথা উল্লেখ করে প্রধানমন্ত্রী বলেন, তুষার চিতা, এশীয় প্রজাতির সিংহ, একশৃঙ্গ-বিশিষ্ট গণ্ডার এবং গ্রেট ইন্ডিয়ান বাস্টার্ড পাখির সংরক্ষণ ও সংখ্যা বৃদ্ধিতেও কর্মসূচি রূপায়িত হচ্ছে। গ্রেট ইন্ডিয়ান বাস্টার্ড পাখির প্রতি সম্মানের নিদর্শনস্বরূপ ‘জিবি-দ্য গ্রেট’ ম্যাসকট তৈরি করা হয়েছে।

দক্ষিণ ভারতের পরম্পরাগত ‘কোলাম’ থেকে অনুপ্রাণিত হয়ে এবারের ত্রয়োদশ সিওপি সম্মেলনের প্রতীক তৈরি করা হয়েছে। এই প্রতীক প্রকৃতির সঙ্গে সামঞ্জস্যপূর্ণ সহাবস্থানের তাৎপর্যকে প্রতিফলিত করে। তিনি বলেন, ত্রয়োদশ সম্মেলনের ভাবনার সঙ্গে ভারতের ‘অতিথি দেব ভবঃ’ মন্ত্রের আদর্শ প্রতিফলিত হয়।

সিওপি-র এই সম্মেলনের আগামী তিন বছর সভাপতির পদে দায়িত্ব পালনের সময় ভারতের অগ্রাধিকারের বিষয়গুলির কথাও প্রধানমন্ত্রী ব্যাখ্যা করেন।

পরিযায়ী পাখির যাতায়াতের ক্ষেত্রে ভারতকে মধ্য এশিয়ার একটি এলাকা বলে উল্লেখ করে প্রধানমন্ত্রী বলেন, মধ্য এশিয়া অঞ্চলে পরিযায়ী পাখি ও তাদের বাসস্থানের সুরক্ষায় ভারত মধ্য এশিয়া এলাকা বরাবর পরিযায়ী পাখির সংরক্ষণে জাতীয় স্তরের একটি পরিকল্পনা প্রস্তুত করছে। “মধ্য এশিয়া অঞ্চলের অন্যান্য দেশের সক্রিয় সহযোগিতায় পরিযায়ী পাখির সংরক্ষণে এক নতুন উচ্চতায় পৌঁছতে আমরা আগ্রহী” বলে তিনি অভিমত প্রকাশ করেন।

প্রধানমন্ত্রী বলেন, আসিয়ান ও পূর্ব এশীয় দেশগুলির সঙ্গে সহযোগিতা আরও নিবিড় করার প্রস্তাব দিয়েছে ভারত। ভারত ২০২০ নাগাদ সামুদ্রিক কচ্ছপ নীতি এবং সামুদ্রিক স্থিতাবস্থা ব্যবস্থাপনা নীতি গ্রহণ করবে বলে জানিয়ে শ্রী মোদী বলেন, এই নীতি সমুদ্রে মাইক্রো প্লাস্টিকজনিত দূষণ প্রতিরোধেও কার্যকর ভূমিকা নেবে। পরিবেশের সুরক্ষায় একবার ব্যবহারযোগ্য প্লাস্টিককে বড় চ্যালেঞ্জ হিসেবে উল্লেখ করে তিনি বলেন, “ভারতে আমরা মিশন মোড ভিত্তিতে একবার ব্যবহারযোগ্য প্লাস্টিক বর্জনের অভিযান গ্রহণ করেছি।”

ভারতের এমন অনেক সংরক্ষিত এলাকা রয়েছে যেগুলির সীমানা প্রতিবেশী দেশগুলির সংরক্ষিত এলাকা লাগোয়া। এ প্রসঙ্গে প্রধানমন্ত্রী বলেন, বন্যপ্রাণী সংরক্ষণে সীমান্তপারের সুরক্ষা নীতি ইতিবাচক ভূমিকা নিতে পারে।

সুস্থায়ী উন্নয়নের লক্ষ্যে কেন্দ্রীয় সরকারের অঙ্গীকারের কথা পুনরায় উল্লেখ করে প্রধানমন্ত্রী বলেন, “বাস্তুতান্ত্রিক দিক থেকে অত্যন্ত স্পর্শকাতর এলাকাগুলিতে উন্নয়নের জন্য আমরা যথোপযুক্ত পরিকাঠামো নীতি-নির্দেশিকা গ্রহণ করেছি।”

অরণ্য লাগোয়া অঞ্চলে বসবাসকারী লক্ষ লক্ষ মানুষকে যৌথ বনাঞ্চল পরিচালনা কমিটি ও ইকো ডেভেলপমেন্ট কমিটি গঠনের মাধ্যমে সামিল করা হয়েছে। এই উদ্যোগ ‘সবকা সাথ, সবকা বিকাশ, সবকা বিশ্বাস’-এর মানসিকতাকেই প্রতিফলিত করে বলে প্রধানমন্ত্রী উল্লেখ করেন। তিনি বলেন, অরণ্য ও বন্য জীবনের সুরক্ষায় সাধারণ মানুষের সক্রিয় অংশগ্রহণ আরও বাড়ানোই এই উদ্যোগগুলির উদ্দেশ্য।

 

 

 

 

 

 

 

 

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!