প্রধানমন্ত্রী শ্রী নরেন্দ্র মোদী আজ ভিডিও কনফারেন্সের মাধ্যমে জাতীয় মানবাধিকার কমিশন (এনএইচআরসি) –র ২৮তম প্রতিষ্ঠা দিবসের অনুষ্ঠানে অংশগ্রহণ করেন।
এই উপলক্ষ্যে প্রধানমন্ত্রী বলেন, ভারতের স্বাধীনতা আন্দোলন এবং তার ইতিহাস মানবাধিকার ও ভারতের মানবাধিকারের মূল্যবোধের জন্য অনুপ্রেরণার মহান উৎস। “দেশ হিসেবে, সমাজ হিসেবে আমরা অন্যায় অবিচারকে প্রতিহত করি। শতাব্দীর পর শতাব্দী ধরে আমরা আমাদের অধিকারের জন্য লড়াই করেছি। যখন সারা বিশ্ব প্রথম বিশ্বযুদ্ধের সহিংসতার সমস্যায় দীর্ণ সেই সময়ে ভারত অধিকার ও অহিংসার নতুন পথ দেখিয়েছে। ভারতের পথ শান্তি ও অহিংসার। শুধুমাত্র ভারতই নয়, সারা বিশ্ব আমাদের বাপুকে মানবাধিকার ও মানবিক মূল্যবোধের প্রতীক হিসেবে বিবেচনা করে।” প্রধানমন্ত্রী আরো বলেন, বিভিন্ন বিষয়ে সারা বিশ্ব যখন বিভ্রান্ত, ভারত সেই সময় মানবাধিকারের প্রশ্নে অবিচল থেকেছে।
প্রধানমন্ত্রী বলেছেন, দরিদ্র মানুষের মর্যাদার সঙ্গে মানবাধিকারের ধারণা নিবিড়ভাবে জড়িত। তিনি বলেন, যখন দরিদ্রতম ব্যক্তিটি সরকারী প্রকল্পের সম সুযোগ পান না, সেই সময় মানবাধিকারের সম্পর্কে প্রশ্ন তৈরি হয়। প্রধানমন্ত্রী সরকারের গৃহীত বিভিন্ন উদ্যোগগুলির ব্যাখ্যা করে বলেন, এগুলির সাহায্যে দরিদ্র মানুষের মর্যাদাবোধ নিশ্চিত করা হয়। যখন একজন দরিদ্র মানুষ খোলা স্থানে শৌচকর্মের সমস্যা থেকে মুক্তি পান, তখন তিনি তার মর্যাদা ফিরে পান। একজন দরিদ্র মানুষ যখন জন ধন অ্যাকাউন্ট খোলার জন্য ব্যাঙ্কে ঢুকতে ইতস্তত করেন, সেই সময় তার মর্যাদা ধুলোয় মিশে যায়। একইভাবে রুপে কার্ড, উজ্জ্বলা গ্যাসের সংযোগ এবং মহিলাদের পাকা বাড়ির অধিকার নিশ্চিত করতে গুরুত্বপূর্ণ পদক্ষেপ নেওয়া হয়েছে।
গত কয়েক বছরে ভারতে সমাজের বিভিন্ন শ্রেণীর মধ্যে অন্যায় দূর করার উদ্যোগ নেওয়া হয়েছে। “দশকের পর দশক ধরে মুসলিম মহিলারা তিন তালাকের বিরুদ্ধে একটি আইনের দাবি জানাচ্ছিলেন। আমরা তিন তালাকের বিরুদ্ধে আইন প্রণয়ন করে মুসলিম মহিলাদের নতুন অধিকার দিয়েছি।“ মহিলাদের জন্য বিভিন্ন ক্ষেত্রে সুযোগ তৈরি করা হয়েছে এবং তারা যাতে সব সময় নিরাপদে কাজ করতে পারেন, সেটি নিশ্চিত করা হয়েছে। ভারতে কর্মরতা মহিলাদের ২৬ সপ্তাহ মাতৃত্বকালীন সবেতন ছুটির ব্যবস্থা করা হয়েছে। বিশ্বের অনেক উন্নত দেশে এই সুযোগ এখনও নেই। একইভাবে প্রধানমন্ত্রী তৃতীয় লিঙ্গ, শিশু, যাযাবর ও আধা যাযাবর সম্প্রদায়ের অধিকারের জন্য সরকারের বিভিন্ন উদ্যোগের কথা উল্লেখ করেন। সম্প্রতি প্যারালিম্পিক্সে প্যারা অ্যাথলিটদের অনুপ্রেরণাদায়ক পারফরমেন্সের কথা উল্লেখ করে প্রধানমন্ত্রী বলেন, ভিন্নভাবে সক্ষমদের জন্য সম্প্রতি বেশ কিছু আইন বলবৎ হয়েছে। এই আইনগুলি নতুন নতুন সুযোগ সুবিধে গড়ে তুলেছে। এখন অট্টালিকা নির্মাণের সময় সেটি যাতে ভিন্নভাবে সক্ষমরা সহজেই ব্যবহার করতে পারেন, সেই দিকগুলি বিবেচনা করা হয়। দিব্যাঙ্গ বা ভিন্নভাবে সক্ষমদের জন্য অভিন্ন ভাষা তৈরি করা হয়েছে।
শ্রী মোদী বলেন, মহামারীর সময় দরিদ্র, অসহায় ও প্রবীণ নাগরিকদের আর্থিক সাহায্যের জন্য তাঁদের অ্যাকাউন্টে সরাসরি টাকা পাঠানো হয়েছে। এক দেশ, এক রেশন কার্ড ব্য়বস্থা চালু হওয়ার ফলে পরিযায়ী শ্রমিকরা বিভিন্ন সমস্যা থেকে রেহাই পেয়েছেন।
প্রধানমন্ত্রী মানবাধিকারের বাছাই করা ব্যাখ্যা এবং মানবাধিকারকে ব্যবহার করে দেশের ভাবমূর্তি ক্ষুন্ন করার অপপ্রয়াস সম্পর্কে সবাইকে সতর্ক থাকতে বলেন। তিনি বলেন, কেউ কেউ মানবাধিকারকে তাঁদের নিজস্ব স্বার্থ সিদ্ধির কাজে ব্যবহার করে। একটি ক্ষেত্রে মানবাধিকার লঙ্ঘিত হচ্ছে, অথচ একই বিষয়ে অন্য ক্ষেত্রে তা লঙ্ঘিত হচ্ছে না বলে, ব্যাখ্যা করার যে প্রবণতা সেটি মানবাধিকারের জন্য ক্ষতিকর। তিনি বলেন, রাজনীতি এবং রাজনৈতিক লাভ – ক্ষতির আতসকাঁচ থেকে যখন বিষয়গুলি দেখা হয়, তখন সেটি মানবাধিকার লঙ্ঘনের সব থেকে বড় উদাহরণ। শ্রী মোদী সতর্ক করে দিয়ে বলেন, “এই বাছাই করা আচরণ গণতন্ত্রের পক্ষেও ক্ষতিকারক।”
প্রধানমন্ত্রী বলেন, মানবাধিকার শুধুমাত্র অধিকারের মধ্যেই সীমাবদ্ধ নয়, বরং তা আমাদের দায়িত্বের বিষয়টিও বিবেচনা করে। “অধিকার এবং দায়িত্ব দুটি পথ, যে পথ দিয়ে মানব উন্নয়ন ও মানুষের মর্যাদা নিশ্চিত হয়। তিনি জোর দিয়ে বলেন, দায়িত্ব অধিকারের মতোই সমান গুরুত্বপূর্ণ। তাই এই দুটি বিষয়কে আলাদা ভাবে আলোচনা না করে একসঙ্গে আলোচনা করতে হবে। কারণ এই দুটি বিষয় একে অপরের পরিপূরক।”
প্রধানমন্ত্রী তাঁর ভাষণের শেষে ভবিষ্য়ৎ প্রজন্মের মানবাধিকারে প্রসঙ্গটি উল্লেখ করেন। আন্তর্জাতিক সৌর জোট, পুনর্নবিকরণযোগ্য শক্তি ও হাইড্রোজেন মিশনের মতো বিভিন্ন উদ্যোগ গ্রহণের মধ্যে দিয়ে ভারত স্থিতিশীল জীবন যাত্রা এবং পরিবেশ বান্ধব উন্নয়নের পথে দ্রুত এগিয়ে চলেছে।
एक ऐसे समय में जब पूरी दुनिया विश्व युद्ध की हिंसा में झुलस रही थी, भारत ने पूरे विश्व को ‘अधिकार और अहिंसा’ का मार्ग सुझाया।
— PMO India (@PMOIndia) October 12, 2021
हमारे बापू को देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व मानवाधिकारों और मानवीय मूल्यों के प्रतीक के रूप में देखता है: PM @narendramodi
भारत के लिए मानवाधिकारों की प्रेरणा का, मानवाधिकार के मूल्यों का बहुत बड़ा स्रोत आज़ादी के लिए हमारा आंदोलन, हमारा इतिहास है।
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हमने सदियों तक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
एक राष्ट्र के रूप में, एक समाज के रूप में अन्याय-अत्याचार का प्रतिरोध किया: PM @narendramodi
बीते दशकों में ऐसे कितने ही अवसर विश्व के सामने आए हैं, जब दुनिया भ्रमित हुई है, भटकी है।
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लेकिन भारत मानवाधिकारों के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहा है, संवेदनशील रहा है: PM @narendramodi
जो गरीब कभी शौच के लिए खुले में जाने को मजबूर था, उब गरीब को जब शौचालय मिलता है, तो उसे Dignity भी मिलती है।
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जो गरीब कभी बैंक के भीतर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था उस गरीब का जब जनधन अकाउंट खुलता है, तो उसमें हौसला आता है, उसकी Dignity बढ़ती है: PM @narendramodi
बीते वर्षों में देश ने अलग-अलग वर्गों में, अलग-अलग स्तर पर हो रहे Injustice को भी दूर करने का प्रयास किया है।
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दशकों से मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के खिलाफ कानून की मांग कर रही थीं।
हमने ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून बनाकर, मुस्लिम महिलाओं को नया अधिकार दिया है: PM @narendramodi
आज महिलाओं के लिए काम के अनेक सेक्टर्स को खोला गया है, वो 24 घंटे सुरक्षा के साथ काम कर सकें, इसे सुनिश्चित किया जा रहा है।
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दुनिया के बड़े-बड़े देश ऐसा नहीं कर पा रहे लेकिन भारत आज career women को 26 हफ्ते की paid maternity leave दे रहा है: PM @narendramodi
हमारे दिव्यांग भाई-बहनों की क्या शक्ति है, ये हमने हाल के पैरालंपिक में फिर अनुभव किया है।
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बीते वर्षों में दिव्यांगों को सशक्त करने के लिए भी कानून बनाए गए हैं, उनको नई सुविधाओं से जोड़ा गया है: PM @narendramodi
भारत ने इसी कोरोना काल में गरीबों, असहायों, बुजुर्गों को सीधे उनके खाते में आर्थिक सहायता दी है।
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प्रवासी श्रमिकों के लिए ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ की सुविधा भी शुरू की गई है, ताकि वो देश में कहीं भी जाएँ, उन्हें राशन के लिए भटकना न पड़े: PM @narendramodi
एक ही प्रकार की किसी घटना में कुछ लोगों को मानवाधिकार का हनन दिखता है और वैसी ही किसी दूसरी घटना में उन्हीं लोगों को मानवाधिकार का हनन नहीं दिखता।
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इस प्रकार की मानसिकता भी मानवाधिकार को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती है: PM @narendramodi
मानवाधिकारों से जुड़ा एक और पक्ष है, जिसकी चर्चा मैं आज करना चाहता हूं।
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हाल के वर्षों में मानवाधिकार की व्याख्या कुछ लोग अपने-अपने तरीके से, अपने-अपने हितों को देखकर करने लगे हैं: PM @narendramodi
मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है जब उसे राजनीतिक रंग से देखा जाता है, राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है, राजनीतिक नफा-नुकसान के तराजू से तौला जाता है।
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इस तरह का सलेक्टिव व्यवहार, लोकतंत्र के लिए भी उतना ही नुकसानदायक होता है: PM @narendramodi