রাষ্ট্রসংঘের 'চ্যাম্পিয়ন অফ দ্য আর্থ’ পুরস্কারে ভূষিত হলেন প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদী
রাষ্ট্রসংঘের মহাসচিব অ্যান্টোনিও গুতারেস প্রধানমন্ত্রী মোদীর হাতে 'চ্যাম্পিয়ন অফ দ্য আর্থ’ পুরস্কারটি তুলে দেন
পরিবেশ রক্ষার বিষয়টি যত ক্ষণ না পর্যন্ত আমাদের সংস্কৃতির সঙ্গে জুড়ছে, তত ক্ষণ বিপর্যয়কে ঠেকানো মুশকিল: 'চ্যাম্পিয়ন অফ দ্য আর্থ’ পুরস্কার গ্রহণের পর প্রধানমন্ত্রী মোদী
যখন আমি 'সবকা কা সাথ'-এর কথা বলি, তখন তার মধ্যে প্রকৃতিও থাকে, বললেন প্রধানমন্ত্রী মোদী
যদি দ্রুত শহুরেীকরণের কথা বলা হয় তাহলে আজ ভারত বিশ্বের অন্যতম নেতৃস্থানীয় দেশগুলির মধ্যে একটি। এই গতি বজায় রাখার জন্য আমরা ক্রমাগত এক স্মার্ট সিস্টেম তৈরির জন্য কাজ করছি: প্রধানমন্ত্রী

संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव His excellency एंटोनियो गुटेरस जी, मंत्रिपरिषद की मेरी सहयोगी सुषमा स्‍वराज जी, डॉक्‍टर हर्षवर्धन जी, डॉक्‍टर महेश शर्मा, United Nations Environment Programme के Executive Director Erik Solheim, देश-विदेश से पधारे अतिथिगण।

देवियों और सज्‍जनों। मैं इस सम्‍मान के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र का हृदय से आभारी हूं। हमारे लिए यह विशेष गर्व की बात है कि इस कार्यक्रम का आयोजन हिन्‍दुस्‍तान की धरती पर हो रहा है और इसके लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव स्‍वयं यहां आए, Erik (एरिक) और उनकी पूरी टीम यहां आई। और जैसा कि मैंने पहले कहा है, यह सम्‍मान पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भारत की सवा सौ करोड़ जनता की प्रतिबद्धता का परिणाम है। Champions of the Earth Award भारत की उस नित्‍य नूतन चिर पुरातन परंपरा का सम्‍मान है जिसने प्रकृति में परमात्‍मा को देखा है, जिसने सृष्टि के मूल में पंच तत्‍व; पृथ्‍वी, आकाश, अग्नि, जल, वायु उसके अधिष्‍ठान का आह्वान किया है।  यह भारत के जंगलों में बसे उस आदिवासी भाई-बहनों का सम्‍मान है जो अपने जीवन से ज्‍यादा जंगलों को प्‍यार करते हैं। यह भारत के उन मछुआरों का सम्‍मान है जो समंदर और नदियों से उतना ही लेते है, जितना अर्थ उपार्जन के लिए आवश्‍यक होता है। ये वो लोग हैं शायद स्‍कूल कॉलेज में नहीं गए होंगे, लेकिन वो लोग मछलियों के प्रजनन के मौसम में मत्‍स्‍य का काम, समंदर में जाने का काम बंद कर देते हैं। अपने काम को रोक देते हैं। यह भारत के उन करोड़ों किसानों का सम्‍मान है, जिनके लिए ऋतु चक्र ही जीवन चक्र है। जो इस मिट्टी को अपने प्राणों से भी प्रिय मानते हैं। यह भारत की उस महान नारी का सम्‍मान है जिसके लिए सदस्‍यों से reuse और recycle रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्‍सा रहा है। जो पौधे में भी परमात्‍मा का रूप देखती है, जो तुलसी की पत्तियां भी तोड़ती है, तो गिन करके तोड़ती है। जो चींटी को भी अन्‍न देना पुण्‍य मानती है। यह भारत में प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले अनाम चेहरों का सम्‍मान है, जो लाभ, हानि, सुख, समृद्धि की चिंता किए बिना दूर किसी गांव, किसी बस्‍ती, किसी पहाड़, किसी आदिवासी इलाके में वर्षों से काम कर रहे हैं। मैं इस सम्‍मान के लिए आप सबका हृदय से फिर से एक बार आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

भारत के लिए यह दोहरे सम्‍मान का अवसर भी इसलिए है, क्‍योंकि कोच्चि एयरपोर्ट को भी award प्राप्‍त हुआ है। यह Sustainable energy को लेकर हमारी वचनबद्धता का प्रतीक है। इस अवसर पर मैं उन सभी साथियों, संस्‍थाओं को बधाई देता हूं, जिनको अलग-अलग श्रेणियों में यह पुरस्‍कार मिला है, विश्‍व के अलग-अलग देशों में मिला है। साथियों, मैं पर्यावरण और प्रकृति को लेकर भारतीय दर्शन की बात इसलिए करता हूं, क्‍योंकि climate और calamity का culture से सीधा रिश्‍ता है। climate की चिंता जब तक culture का हिस्‍सा नहीं होती तब तक calamity से बच पाना मुश्किल है। पर्यावरण के प्रति भारत की संवेदना को आज विश्‍व स्‍वीकार कर रहा है। लेकिन जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि हजारों वर्षों से हमारी जीवन शैली का हिस्‍सा रहा है और अभी सुषमा जी ने इस बात का उल्‍लेख किया। हम उस समाज का हिस्‍सा है जहां सुबह उठने पर सबसे पहले धरती माता से क्षमा मांगी जाती है, क्‍योंकि उस पर हम अपने पैर रखने वाले हैं। एक तरह से अपना बोझ धरती पर डालने वाले हैं। हमारे यहां कहा गया है-

समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मंडिते ।

विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यं पाद स्पर्शं क्षमश्वमेव ॥

मतलब है समुद्र रूपी वस्‍त्र धारण करने वाली, पर्वत रूपी शरीर वाली भगवान विष्‍णु की पत्‍नी, है भूमिदेवी मैं आपको नमस्‍कार करता हूं। मुझे क्षमा करना, क्‍योंकि मैं आपको अपने पैरों से स्‍पर्श कर रहा हूं। यह संवेदना है जो हमारे जीवन का हिस्‍सा है। पेड़-पौधों की पूजा करना, मौसम, ऋतुओं को व्रत और त्‍योहार के रूप में मनाना। लोरियां, लोकगाथाओं में प्रकृति के रिश्‍ते की बात करना। हमने प्रकृति को हमेशा सजीव माना है। और सिर्फ सजीव माना है ऐसा नहीं है, हम वो लोग हैं, जिन्‍होंने प्रकृति को सजीव माना है, सहजीव भी माना है। प्रकृति के साथ इस बावत और रिश्‍ते के साथ ही पूरे ब्रह्माण की कामना को हमारे यहां सर्वोपरि माना गया है। यजुर्वेद में इसलिए ही कहा गया है  -

ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:,

पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।

वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,

सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥

ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥

साथियों संस्‍कृत के इस श्‍लोक में परमात्‍मा से प्रार्थना की गई है कि वायु में शांति हो, अंतरिक्ष में शांति हो, पृथ्‍वी पर शांति हो, जल में शांति हो, औषधि में शांति में हो, वनस्‍पतियों में शांति, विश्‍व में शांति हो, सभी देवतागणों में शांति हो। पूरे विश्‍व की शांति के लिए इस मंत्र से आह्वान किये बिना हमारे कोई भी यज्ञ-अनुष्‍ठान पूरा नहीं होता है, जब तक यह होता नहीं है। और तो और स्‍वयं ईश्‍वर को जब अपना परिचय देना था, अपने विस्‍तार का वर्णन करना होता है तो स्‍वयं ईश्‍वर कहते हैं -

श्रोतस्‍य असमी जाह्नवी,

संसार असमी सागर

यानि मैं ही जलाशय हूं, मैं ही नदी हूं और मैं ही समुद्र भी हूं। इसलिए जो सम्‍मान आपने दिया वो भारत की जनता और उसके लोगों की इस आस्‍था का सम्‍मान है।

साथियों भारत की अर्थव्‍यवस्‍था आज तेज गति से आगे बढ़ रही है। हर वर्ष करोड़ों लोगों भीषण गरीबी की स्थिति से बाहर आ रहे हैं। विकास की इस रफ्तार को और तेज करने के लिए हम समर्पित है। इसलिए नहीं क्‍योंकि हमें किसी से मुकाबला करना है या फिर हमें सम्‍पन्‍नता का लोभ है, बल्कि इसलिए क्‍योंकि आबादी के एक हिस्‍से को गरीबी का दम सहने के लिए हम ऐसे ही नहीं छोड़ सकते। उनको गरिमापूर्ण जीवन देना हम सभी का दायित्‍व है। दुनिया के अनेकों देशों में सबसे गरीब ही प्रकृति के अंधाधुंध दोहन के दुष्‍परिणाम को झेल रही है। सूखे और बाढ़ की गंभीरता साल दर साल बढ़ रही है। और इसमें सबसे ज्‍यादा परेशान वही हो रहा है जिसके पास सीमित संसाधन है, जो गरीब है। लिहाजा इस बहुत बड़ी आबादी को पर्यावरण पर, प्रकृति पर अतिरिक्‍त दबाव डाले बिना विकास के अवसरों से जोड़ने के लिए सहारे की आवश्‍यकता है। हाथ थामने की जरूरत है। इसलिए पेरिस में भी मैंने इस बात की वकालत की है और मैंने एक शब्‍द दुनिया के सामने प्रस्‍तुत किया है। और मैंने वकालत की है climate justice की climate change की चुनौती से climate justice सुनिश्चित किए बिना हम इस परिस्थिति से बाहर नहीं आ सकते है। मुझे खुशी है कि पेरिस समझौते में इस बात को दुनिया ने माना है और climate justice को लेकर commitment भी दिखाया है। लेकिन इसको जमीन पर उतारने के लिए हमें अभी भी बहुत कुछ करना है और तेजी से करना है।

यहां उपस्थित His excellency एंटोनियो गुटेरस का विशेषतौर पर आभारी हूं कि उन्‍होंने इस समय की मांग को समझा हो, उन्‍होंने kyoto protocol के second commitment period की ratification प्रक्रिया और Sustainable Development Goal के अमलीकरण में तेजी लाने के लिए भरसक प्रयास किए हैं। और इसलिए हम भारत में सबका, सबका विकास के मंत्र पर आगे बढ़ रहे हैं। जब मैं सबका विकास की बात करता हूं तो उसमें प्रकृति भी शामिल है और उसमें सबका साथ यानि कि सवा सौ करोड़ देशवासियों की सक्रिय भागीदारी का भी आह्वान करता है।

साथियों, हमारी अर्थव्‍यवस्‍था के लिए गांवों और शहरों दोनों महत्‍वपूर्ण स्‍तंभ हैं। हमारे यहां रोजगार एक बड़ा हिस्‍सा गांव और खेती से जुड़ा है, तो हमारे शहर, service और manufacturing यानि industry के hub हैं। और इसलिए सरकार holistic approach के साथ काम कर रही है। देश के वर्तमान और भविष्‍य के लिए सरकार की हर पॉलिसी का आधार हरा-भरा और साफ-सुथरा पर्यावरण है। साथियों हमारे गांव हमेशा से ही पर्यावरण के प्रति सचेत रहे हैं, वो प्रकृति से जुड़े रहे हैं। पिछले चार वर्षों से हमारे यहां गांव ने अपनी इस साशवस्‍त शक्ति को और अधिक विस्‍तार किया है। गांवों में भी waste to wealth और waste to energy जैसे initiative से बायो waste को ऊर्जा में बदलने के प्रयास शुरू हुए हैं। Organic Farm से लेकर Soil heath Card और per drop more crop को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे हमारी मिट्टी और जल स्रोतों को जहरीली chemical से मुक्ति में मदद मिल रही है और पानी के उचित उपयोग की भावना प्रबल हुई है। जहां हम industry और manufacturing की बात करते हैं, तो हमारा motto है zero defect, zero effect. जब हम agriculture की बात करते हैं तो हमारा motto रहा है per drop more crop.

साथियों, आज भारत दुनिया के उन देशों में हैं जहां सबसे तेज गति से शहरीकरण हो रहा है। ऐसे में अपने शहरी जीवन को smart और sustainable बनाने पर भी हम बल दे रहे हैं। आज देशभर में जो भी next generation infrastructure आवश्‍यकता है और वो sustainable environment and inclusive growth के लक्ष्‍य के साथ बनाये जा रहे हैं। आज भारत में hundred smart city का काम तेज गति से चल रहा है। sewer से लेकर surveillance तक smart व्‍यवस्‍थाएं तैयारी की जा रही है। स्‍थानीय लोगों के सुझाव के आधार पर Cutting-Edge Technology और Renewable energy इस व्‍यवस्‍था का आधार है। देश के National highway expressway को eco friendly बनाया जा रहा है। उनके साथ-साथ green corridor विकसित किया जा रहा है। नये highways के साथ-साथ विकसित हो रही अन्‍य सुविधाओं की सारी ऊर्जा जरूरतें सोलार पावर से पूरा करने का हम भरसक प्रयास कर रहे हैं। मेट्रो जैसे city transport network को भी Solar Energy से जोड़ा जा रहा है, वहीं रेलवे की Fossil fuel पर निर्भरता को हम तेजी से कम कर रहे हैं।

साथियों आज भारत में घरों से ले करके गलियों तक, दफ्तरों से लेकर सड़कों तक और पोर्ट से लेकर एयरपोर्ट तक Water & Energy Conservation की मुहिम तेज गति से चल रही है। LED बल्‍ब से लेकर Rainwater harvesting तक हर स्‍तर पर technology को promote किया जा रहा है। इतना ही घर के किचन से लेकर transport sector तक को Clean Fuel based बनाने की तरफ हम तेजी से काम कर रहे हैं। बीते चार वर्षों में दस करोड़ से अधिक घरों को LPG से जोड़ा गया है, जिसमें से साढ़े पांच करोड़ से अधिक तो उज्‍ज्‍वला योजना के माध्‍यम से दिये गये मुफ्त गैस connection है। घरों के साथ-साथ mobility को भी धुंआ मुक्‍त करने का अभियान चल रहा है। Air quality को सुधारने के लिए NCAP यानि National Clean Air Programme पर काम किया जा रहा है। वाहनों के लिए Emission standard तय करने की बात आई तो हमने BS-4 से सीधे  BS-6 मानक को लागू करने का फैसला किया है।

साथियों, आज जब भारत का फोकस Ease of Living पर है। सबको घर, सबको बिजली, सबको भोजन, सबको शिक्षा, सबको रोजगार यह हमारे महत्‍वपूर्ण पहलू हैं। और तभी पर्यावरण को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में बढ़ोतरी हुई है, हमने कमी नहीं आने दी। हमारा प्रयास है कि अगले दो वर्षों में Emission intensity वर्ष 2005 के स्‍तर की तुलना में 20 to 25 percent कम हो गई है। हमारी कोशिश इसे साल 2030 तक 30 to 35 percent तक कम करने की है। इन सारे प्रयासों के बीच अगर सबसे बड़ी सफलता हमें मिली है, तो वो है लोगों के behaviour, लोगों के thought process में बदलाव। पर्यावरण के प्रति लगाव हमारी आस्‍था के साथ-साथ अब आचरण में भी और मजबूत हो रहा है। इसी वजह से भारत आज यह संकल्‍प ले सका है कि वह खुद को 2022 तक single use plastic से मुक्‍त करके रहेगा। मुझे विश्‍वास है कि महात्‍मा गांधी के विराट व्‍यक्तित्‍व से प्रेरणा लेते हुए नया भारत अपने इन संकल्‍पों को पूरा करेगा और विश्‍व के लिए एक मॉडल बन करके उभरेगा। भारत को प्रयासों को सम्‍मान देने के लिए मैं फिर एक बार संयुक्‍त राष्‍ट्र का हृदयपूर्वक आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

आप सब समय निकाल करके इस महत्‍वपूर्ण अवसर में शरीक हुए, व्‍यक्तिगत रूप से यह मेरी जिम्‍मेदारी बनती है कि जिन संकल्‍पों को ले करके हमें चले हैं उसको पूरा करने में हम कोई कमी न छोड़ें और आगे आ करके हमारा हौंसला बुलंद किया है।

मैं इसलिए आप सबका हृदय से बहुत बहुत धन्‍यवाद करता हूं।

Thank you.

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President of the European Council, Antonio Costa calls PM Narendra Modi
January 07, 2025
PM congratulates President Costa on assuming charge as the President of the European Council
The two leaders agree to work together to further strengthen the India-EU Strategic Partnership
Underline the need for early conclusion of a mutually beneficial India- EU FTA

Prime Minister Shri. Narendra Modi received a telephone call today from H.E. Mr. Antonio Costa, President of the European Council.

PM congratulated President Costa on his assumption of charge as the President of the European Council.

Noting the substantive progress made in India-EU Strategic Partnership over the past decade, the two leaders agreed to working closely together towards further bolstering the ties, including in the areas of trade, technology, investment, green energy and digital space.

They underlined the need for early conclusion of a mutually beneficial India- EU FTA.

The leaders looked forward to the next India-EU Summit to be held in India at a mutually convenient time.

They exchanged views on regional and global developments of mutual interest. The leaders agreed to remain in touch.