বুদ্ধ জয়ন্তী উপলক্ষে নতুন দিল্লীর ইন্দিরা গান্ধী ইন্ডোর স্টেডিয়ামে আয়োজিত এক অনুষ্ঠানে প্রধানমন্ত্রী শ্রী নরেন্দ্র মোদী যোগ দেন।
এই উপলক্ষে, প্রধানমন্ত্রী সংগদানপর্বে যোগ দেন। সারনাথের সেন্ট্রাল ইনস্টিটিউট অফ হায়ার টিবেটান স্টাডিজ এবং বুদ্ধ গয়ার সর্বভারতীয় ভিক্ষু সংঘ-কে ‘বৈশাখ সম্মান প্রশস্তিপত্র’ প্রদান করেন।
জনসমাবেশে ভাষণ দিতে গিয়ে প্রধানমন্ত্রী বলেন, ভারত অনন্য ঐতিহ্যে সমৃদ্ধ এক দেশ, যেখানে ভিন্ন ধরণের মতাদর্শ ও চিন্তাভাবনা সর্বদাই মানবতাবাদের কল্যাণে এসেছে। তিনি বলেন, ভগবান বুদ্ধের উপদেশ বেশ কিছু দেশ নির্মাণেও কাজে লেগেছে। ভারত কখনও আগ্রাসী দেশ হয়ে ওঠেনি বলেও তিনি মন্তব্য করেন।
ভগবান বুদ্ধের দেওয়া আটটি ধর্মসংঘ দর্শনের কথা উল্লেখ করে শ্রী মোদী বলেন, আজ আমরা যে সব সমস্যার সম্মুখীন, তা ঐ দর্শন অনুসণেরমাধ্যমে সমাধান সম্ভব।
প্রধানমন্ত্রী আরও বলেন, ভগবান বুদ্ধের ভালোবাসা ও করুণার বার্তা বর্তমান বিশ্বের পক্ষে বিশেষ উপযোগী। এ প্রসঙ্গে তিনি জোর দিয়ে বলেন, ভগবান বুদ্ধের প্রতি যাঁদের বিশ্বাস রয়েছে, বিশ্ব মানবতার স্বার্থে তাঁদের সকলেরই একজোট হওয়া দরকার।
ভগবান বুদ্ধের দেখানো পথ অনুসরণ করে সহমর্মিতার সঙ্গে সরকার মানুষের সেবা করে চলেছে বলেও প্রধানমন্ত্রী অভিমত প্রকাশ করেন। ভারতের সাংস্কৃতিক ঐতিহ্যগুলি সংরক্ষণে কেন্দ্রীয় সরকার এক ব্যাপক দৃষ্টিভঙ্গী নিয়ে কাজ করছে, যার মধ্যে ভগবান বুদ্ধের সঙ্গে জড়িত ঐতিহ্যগুলিও রয়েছে। তিনি জানান, বুদ্ধ সার্কিটের সার্বিক উন্নয়নের জন্য ৩৬০ কোটি টাকা অনুমোদন করা হয়েছে।
স্বাধীনতার ৭৫ বছর পূর্তি উপলক্ষে, ২০২২-এর মধ্যে এক নতুন ভারত গড়ে তোলার লক্ষ্যে জনসমাবেশে উপস্থিত সকলকে তিনি অবদান রাখার আহ্বান জানান। তিনি প্রত্যেককে কিছু কাজ চিহ্নিত করার আর্জি জানান যা নির্ধারিত সময়সীমার মধ্যে সম্পন্ন করা সম্ভব হবে।
समय की मांग है कि संकट से अगर विश्व को बचाने के लिए, बुद्ध का करुणा प्रेम का संदेश काम आता है तो बुद्ध को मानने वाली सभी शक्तियां सक्रिय होनी चाहिए।
— PMO India (@PMOIndia) April 30, 2018
भगवान बुद्ध ने भी कहा था कि इस रास्ते पर संगठित होकर चलने से ही सामर्थ्य प्राप्त होगा: PM
भगवान बुद्ध कहते थे कि किसी के दुख को देखकर दुखी होने से ज्यादा बेहतर है कि उस व्यक्ति को उसके दुख को दूर करने के लिए तैयार करो, उसे सशक्त करो।
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मुझे प्रसन्नता हैं की हमारी सरकार करुणा और सेवाभाव के उसी रास्ते पर चल रही हैं जिस रास्ते को भगवान बुद्ध ने हमें दिखाया था: PM
गुलामी के कालखंड के बाद अनेक वजहों से हमारे यहां अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का कार्य उस तरीके से नहीं हुआ, जैसे होना चाहिए था।
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इसे ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार अपनी सांस्कृतिक धरोहर और भगवान बुद्ध से जुड़ी स्मृतियों की रक्षा के लिए एक बृहद विजन पर भी काम कर रही है: PM
Buddhist Circuit के लिए सरकार 360 करोड़ रुपए से ज्यादा स्वीकृत कर चुकी है। इससे उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और गुजरात में बौद्ध स्थलों का और विकास किया जा रहा है: PM
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ये हम सभी का सौभाग्य है कि 2500 वर्ष बाद भी भगवान बुद्ध की शिक्षाएं हमारे बीच हैं। निश्चित तौर पर हमारे पहले जो लोग थे, इसमें उनकी बड़ी भूमिका रही है। ये हमसे पहले वाली पीढ़ियों का योगदान था,कि आज हम बुद्ध पूर्णिमा पर इस तरह के कार्यक्रम कर पा रहे हैं: PM
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अब आने वाला मानव इतिहास आपकी सक्रिय भूमिका का इंतजार कर रहा है । मैं चाहता हूं कि आज जब आप यहां से जाएं, तो मन में इस विचार के साथ जाएं कि 2022 में, जब हमारा देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मना रहा होगा, तब तक ऐसे कौन से
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5 या 10 संकल्प होंगे, जिन्हें आप पूरा करना चाहेंगे: PM