Published By : Admin | November 9, 2017 | 11:28 IST
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PM Modi flags off new train service between Kolkata & Khulna via video conference
The rail network which has been constructed with almost $100 million will enhance connectivity in a big way between India & Bangladesh: PM
ভারতও বাংলাদেশের মধ্যে আজ ‘বন্ধন এক্সপ্রেস’ নামে একটি নতুন ট্রেন পরিষেবার একযোগেসূচনা করলেন ভারতের প্রধানমন্ত্রী শ্রী নরেন্দ্র মোদী, বাংলাদেশের প্রধানমন্ত্রীশ্রীমতী শেখ হাসিনা এবং পশ্চিমবঙ্গের মুখ্যমন্ত্রী শ্রীমতী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়।এইনতুন ট্রেন পরিষেবাটি চালু হল কলকাতা ও খুলনার মধ্যে। এছাড়াও, দু’দেশের মধ্যে দুটিসংযোগ ও যোগাযোগ প্রকল্পেরও সূচনা হল ঐ একই অনুষ্ঠানে। প্রকল্প দুটি হল– ভৈরব ওতিতাস রেল সেতুএবং কলকাতার চিৎপুরে আন্তর্জাতিক রেল যাত্রী টার্মিনাস । নয়াদিল্লিথেকে ভিডিও কনফারেন্সের মাধ্যমে এই নতুন ট্রেন পরিষেবার সূচনা হয়। কেন্দ্রীয় বিদেশমন্ত্রী শ্রীমতী সুষমা স্বরাজও যোগ দেন এই অনুষ্ঠানে।
ভারতও বাংলাদেশের মধ্যে এই রেল প্রকল্পগুলির সূচনা উপলক্ষে প্রদত্ত এক ভাষণেপ্রধানমন্ত্রী শ্রী নরেন্দ্র মোদী বলেন :
“এইপ্রকল্পের সঙ্গে যুক্ত সকলকেই বিশেষ করে, বাংলাদেশের অধিবাসী ভাই-বোনদের আমিনমস্কার জানাই।
কিছুদিনআগেই দুটি দেশেউদযাপিত হয়েছে দুর্গাপূজা, দীপাবলী এবং কালী পূজা মহোৎসব ।
উৎসবেরএই মরশুমে দুই দেশের অধিবাসীদের আমি শুভেচ্ছা জানাই।
একভিডিও কনফারেন্সের মাধ্যমে আপনাদের সকলের সঙ্গে মিলিত হওয়ার আরও একবার সুযোগ পেয়েআমি খুবই আনন্দিত।
আমিআপনাদের সকলেরই সুস্বাস্থ্য কামনা করি।
আমিপ্রথম থেকেই বলে এসেছি যে প্রতিবেশী দেশগুলির নেতৃবৃন্দের সঙ্গে প্রতিবেশী সুলভসম্পর্ক গড়ে তুলতেই আমি বিশেষভাবে আগ্রহী।
যখনইইচ্ছা হবে আমরা একে অপরের সাথে আলোচনায় মিলিত হতে পারি, এমনকি একে অপরের দেশ সফরওকরতে পারি।
এইসমস্ত কিছুই আমরা নিছক প্রোটোকলের বাঁধনে বেঁধে রাখতে চাই না।
কিছুদিনআগে দক্ষিণ এশীয় উপগ্রহের সূচনা হয় এই ধরনেরই এক ভিডিও কনফারেন্সের মাধ্যমে ।
গতবছর আমরা সকলে মিলিতভাবে এইভাবেই সূচনা করেছিলাম পেট্রাপোল আইসিপি-র।
আমিআরও খুশি এই কারণে যে আমাদের পারস্পরিক সংযোগ ও যোগাযোগকে আরও শক্তিশালী করে তোলারলক্ষ্যে গুরুত্বপূর্ণ প্রকল্পগুলির আজসূচনা আমরা একসঙ্গে এক ভিডিও কনফারেন্সেরমাধ্যমেই সম্পন্ন করছি।
সংযোগও যোগাযোগের ক্ষেত্রে আমরা সর্বাপেক্ষা বেশি গুরুত্ব দিয়েছি এক দেশের জনসাধারণেরসঙ্গে অন্য দেশের জনসাধারণের সংযোগ ও যোগাযোগের প্রসারের ওপর।
আন্তর্জাতিকযাত্রী টার্মিনাসের যে উদ্বোধন আজ অনুষ্ঠিত হল তাতে কলকাতা-ঢাকা মৈত্রী এক্সপ্রেসএবং আজ থেকে চালু হওয়া কলকাতা-খুলনা বন্ধন এক্সপ্রেসের যাত্রীদের যথেষ্ট সুবিধাহবে।
এরফলে, শুধুমাত্র শুল্ক এবং অভিবাসন সম্পর্কিত কাজেরই অনেক সুবিধা হবে তাই নয়,যাত্রার সময়ও কমে যাবেতিন ঘন্টার মতো ।
মৈত্রীএবং বন্ধন – দুটিই হল রেলের সুযোগ-সুবিধা প্রসারের দুটি ভিন্ন ভিন্ন নাম যা একইসঙ্গে আমাদের মিলিত দৃষ্টিভঙ্গি ও চিন্তাভাবনার প্রতিফলক বটে।
যখনইআমি দু’দেশের মধ্যে সংযোগ ও যোগাযোগ সম্পর্কে কোন বক্তব্য পেশ করি, তখনই ১৯৬৫-রআগে দু’দেশের মধ্যে যে যোগাযোগ ব্যবস্থা চালু ছিল তার একটি ছবি আমার মানশ্চক্ষেভেসে ওঠে।
আমারখুশির আরেকটি বিশেষ কারণ হল যে ঠিক ঐ লক্ষ্যেই আমরা একটু একটু করে ক্রমশ এগিয়েচলেছি।
আজআমরা দুটি রেল সেতুরও উদ্বোধন করেছি। প্রায় ১০০ মিলিয়ন মার্কিন ডলার বিনিয়োগেনির্মিত এই সেতু বাংলাদেশের রেল নেটওয়ার্ককে আরও শক্তিশালী করে তুলতে যথেষ্টসাহায্য করবে। বাংলাদেশেরউন্নয়ন প্রচেষ্টার এক বিশ্বস্ত অংশীদার হয়ে উঠতে পারা ভারতের পক্ষে এক গর্বেরবিষয়।
আমিআনন্দিত যে অপেক্ষাকৃত সুবিধাজনক হারে ৮ বিলিয়ন মার্কিন ডলারের মতো অর্থ সহায়তারযে প্রতিশ্রুতি আমরা দিয়েছি, তার আওতায় নির্মীয়মান প্রকল্পগুলির কাজ বেশ ভালোভাবেইএগিয়ে চলেছে।
উন্নয়নও যোগাযোগ পরস্পর সম্পৃক্ত দুটি বিষয়। আমাদের এই দুটি দেশের মধ্যে বহু প্রাচীন যেঐতিহাসিক সম্পর্ক রয়েছে, বিশেষত পশ্চিমবঙ্গ এবং বাংলাদেশের জনসাধারণের মধ্যে যেসম্পর্ক গড়ে উঠেছে তাকে আরও জোরদার করে তোলার লক্ষ্যে আজ আমরা আরও বেশ কিছুটা পথএগিয়ে গেলাম।
আমিদৃঢ়ভাবে বিশ্বাস করি যে আমরা যদিএইভাবেইপারস্পরিক সম্পর্কের প্রসার ঘটিয়ে যেতে পারিএবং দু’দেশের জনসাধারণের মধ্যে সম্পর্ক আরও মজবুত হয়ে ওঠে, তাহলে উন্নয়ন ওসমৃদ্ধির এক নতুন শিখরে আমরা নিশ্চিতভাবেই আরোহণ করতে পারব।
এইকাজে সহযোগিতার প্রধানমন্ত্রী শেখ হাসিনাজি এবং মুখ্যমন্ত্রী শ্রীমতী মমতাবন্দ্যোপাধ্যায়জির আন্তরিক শুভেচ্ছা ও আগ্রহের প্রতিফলন আজ আমরা লক্ষ্য করেছি।
कुछ समय पहले हमने South Asia Satellite के launch के समय इसी प्रकार video conference की थी। पिछले वर्ष हमने मिल कर Petrapole ICP का उद्घाटन भी इसी प्रकार किया था। आज हमारी connectivity को मज़बूत करने वाले महत्वपूर्ण projects का उद्घाटन हमने video conference के माध्यम से किया: PM
आज हमने दो rail पुलों का भी उद्घाटन किया है। लगभग $ 100 million की लागत से बने ये पुल बांग्लादेश के rail network को मजबूत करने में सहायक होंगे। बांग्लादेश के विकास कार्यों में विश्वस्त साझेदार होना भारत के लिए गर्व का विषय है: PM @narendramodi
Development और Connectivity दोनों एक साथ जुड़े हुए हैं, और हम दोनों देशों के बीच जो सदियों पुराने एतिहासिक links हैं, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के लोगों के बीच, उन्हें मजबूत करने की दिशा में आज हमने कुछ और क़दम उठाए हैं: PM @narendramodi
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM
जय जगन्नाथ!
जय जगन्नाथ!
केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।
ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।
मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।
ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।
साथियों,
ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।
साथियों,
ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।
साथियों,
उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।
साथियों,
ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।
साथियों,
इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।
साथियों,
ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।
साथियों,
एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।
साथियों,
ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।
साथियों,
ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।
साथियों,
हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
साथियों,
ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।
साथियों,
ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।
साथियों,
हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।
साथियों,
ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।
साथियों,
हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।
साथियों,
ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।
साथियों,
हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।
साथियों,
कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।
साथियों,
आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।