कृषि महोत्सव 2012: विडियो कांफ्रेंस द्वारा श्री मोदी का किसानों से वार्तालाप
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि महोत्सव में आज शामिल हुए किसानों को विडियो कांफ्रेंस के द्वारा सम्बोधित करते हुए कहा कि कृषि महोत्सव स्वयं ही प्रशिक्षण की विशाल युनिवर्सिटी बन गया है।
श्री मोदी ने रोजाना शाम को गांधीनगर से विडियो कांफ्रेंस के माध्यम से एक लाख किसानों- पशुपालकों से वार्तालाप का सिलसिला जारी रखा है। कृषि महोत्सव द्वारा देश के समक्ष खेती क्षेत्र में चुनौतीयों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि की वजह से खेती की जमीन घट रही है और कृशि उत्पादों की मांग बढ़ रही है ऐसे में ज्यादा उत्पादन ही एकमात्र उपाय है। कृषि उत्पादन और दूध का उत्पादन बढ़ाना ही होगा।चीन और भारत की तुलना करते हुए श्री मोदी ने कहा कि चीन के पास 130 मिलियन हेक्टेयर जमीन है जबकि भारत के पास 161 मिलियन जमीन है। चीन और भारत के बीच सिंचाई क्षेत्र का फर्क सिर्फ दो मिलियन हेक्टेयर का है लेकिन भारत की तुलना में चीन का किसान तीन गुणा ज्यादा उत्पादन हासिल करता है। चावल और कपास में डेढ़ गुणा ज्यादा उत्पादन भारत से काफी आगे है। इसलिए भारत को परम्परागत खेती में बदलाव लाकर उत्पादकता में वृद्धि करनी होगी। किसानों ने बिजली के बजाए पानी का रास्ता अपनाया है तब खेती के क्षेत्र में नाम कमाया है।
श्री मोदी ने कहा कि यह सरकार लगातार कृषि प्रशिक्षण के दायरे को विकसित कर रही है और किसानों को आधुनिक प्रशिक्षण देकर अनेक प्रगतिशील किसान समृद्ध खेती के लिए कृषि के ऋषि बन गए हैं। इसमें महिला किसान शक्ति भी गौरव हासिल कर रही है और इसने मुल्यवर्धित खेती में गुजरात का नाम रौशन किया है।
कृषि प्रशिक्षण का महत्व समझाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ने कहा कि कृषि, बागायत और पशुपालन व्यवसाय में प्रशिक्षण हासिल कर किसान भारी आय हासिल करने लगा है। जमाना बदल गया है, पुरानी पद्धति नहीं चलेगी। जमीन के छोटे भाग पर भी समृद्ध खेती के लिए ग्रीन हाउस और नेट हाउस की समृद्ध खेती का मार्ग किसानों की नई पीढ़ी और छोटे-सीमांत किसान अपना रहे हैं।
किसानों को आधुनिक खेती के लिए प्रशिक्षण लेने पर विचार करने का अनुरोध करते हुए श्री मोदी ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग और खेत बाजारों की चुनौतीयों के लिये किसान को जागृत होना पड़ेगा। युनिवर्सिटियों के प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण कृषि वैज्ञानिकों को लैब टु लैंड योजना में शामिल करने का उल्लेख करते हुए उन्होंने ग्रामीण स्तर पर आयोजित होनेवाले विज्ञान मेलों में वैज्ञानिक खेती को केन्द्र स्थान पर रखने का अनुरोध किया।
श्री मोदी ने कहा कि गुजरात में सोइल हैल्थ कार्ड की नई दिशा इस सरकार ने अपनाई है। टपक सिंचाई का नया आयाम किसान अपना रहे हैं। आदिवासी किसान तकनीकी खेती करने लगे इसके लिए ढ़ाई लाख किसानों को ट्रेनिंग दी गई है। राज्य में आठ नये एग्रीकल्चर कॉलेजे खोले जाएंगे।