PM Narendra Modi launches IDFC Bank
PM Modi compliments IDFC for its successful journey of 18 years
The main aim of this bank is to venture out to the villages: PM Narendra Modi
Our villages have the ability to become great growth centres: PM Modi
From helping to build infrastructure, IDFC is now progressing to building lives: PM
Future of banking would not just be premises-less & paper-less, but also, eventually, currency-less: PM
Govt will bring improvements in appointments at top levels of banks. This improves efficiency: PM

उपस्थित सभी वरिष्‍ठ महानुभाव,

मैं आईडीएफसी बैंक को बधाई देता हूं कि 18 साल की यात्रा कोई बहुत बड़ी नहीं होती, लेकिन 18 साल की इस छोटी सी यात्रा में भी भारत के नक्‍श्‍ो पर अपनी एक जगह बनाई है। लेकिन अब तक जो उन्‍होंने जगह बनाई थी वो ईंट, चूना, माटी, पत्‍थर, तार इसी के द्वारा बनाई थी। कभी रोड बनाएं कभी बिल्डिंग बनाएं, कभी port बनाए लेकिन अब वो जीवन निर्माण की दिशा में कदम रख रहे हैं। और मैं मानता हूं कि 18 साल में जो चुनौतियां आपको मिली हैं, अब शायद ज्‍यादा चुनौतियां आपके सामने हैं। क्‍योंकि वो एक limited clientele होता है और आपको अपनी गाड़ी को आगे बढ़ाना होता है। और कुछ चीजें उसमें assured होती हैं, पहले से पता होता है कि भई इस Project का क्‍या होगा, क्‍या refund होगा, क्‍या revenue होगा, बैंक की क्‍या स्थिति रहेगी। ये वो क्षेत्र नहीं है। और इसलिए एक इंजीनियर का काम सरल होता है, लेकिन एक शिक्षक का काम बड़ा भारी होता है क्‍योंकि शिक्षक को जीवन तैयार करना होता है, इंजीनियर को इमारत बनानी होती है। IDFC अब तक जो काम करती थी अब उसको शिक्षक का रोल भी अदा करना होगा और इसलिए मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में ये चुनौतियों के बावजूद भी, एक सही दिशा में कदम होगा।

ये बैंक का मूल उद्देश्‍य तो गांव में जाना है और मैं मानता हूं ये देश का दुर्भाग्‍य है कि देश को नियम बनाना पड़ा कि 25% जब तक आप बैंक में गांव नहीं खोलते हैं आपको permission नहीं मिलेगी। मैं मानता हूं ये नियम बनाने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए थी, लेकिन पड़ी। क्‍योंकि हम लोगों ने कभी भी हमारे ग्रामीण जीवन के potential को समझा नहीं और urban life, governments, government machinery, वहां पर इन कारोबार को चलाने के लिए बहुत अवसर होता है और इसलिए एक प्रकार से बैंक को चलाना, बैंक का growth continue करना ये ज्‍यादा challenging work नहीं है और इस तरफ ध्‍यान नहीं गया। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ये ध्‍यान में आया है और हर किसी की नजर गई है कि भारत में ग्रामीण जीवन भी एक बहुत बड़ा growth centre बना है। आपको मालूम होगा जब telecom industry आई और उनको जब भी spectrum दिया जाता था और गांव की बात कहते थे तो आगे-पीछे, आगे-पीछे होते थे। या तो किसी को sub-contract दे देते थे और अपनी गाड़ी चला लेते थे। लेकिन जब गांव में गए तो उनके लिए surprise था कि telecom के growth का शहरी percentage से ग्रामीण percentage ज्‍यादा ऊंचा था। Spread भी ज्‍यादा था, गति भी तेज थी। और इस अर्थ में उनके लिए वो.. अच्‍छा! गांव के व्‍यक्ति का communication ज्‍यादातर अन्‍य शहरों से होता है, इसलिए Income का level भी ज्‍यादा था। शहर का गांव, शहर में ही शहर में करता था, लेकिन उनका Income level….लेकिन ये बातें उनको ध्‍यान आईं, बाद में जाने के बाद। मैं समझता हूं बैंकिग sector के लिए भी अब ये अनुभव आने वाला है। बहुत तेजी से ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था भारत के जीवन को एक ताकत दे रही है। बड़ा बदलाव आ रहा है।

एक बात और भी है, जैसे अरुण जी ने बड़ा विस्‍तार से बताया कि अब, अब banking जीवन बदल चुका है, अब वो mobile banking ही चलने वाला है। premises-less, paper-less, ये ही बैंक की पहचान होने वाली है। न जिसमें कोई premises होगा और न ही कोई paper होगा। और उसके बाद भी बैंक चलेगी, लोगों को पैसे मिलेंगे, लोगों का कारेाबार चलेगा। और धीरे-धीरे हमारे देश में ये स्थिति आने वाली है कि currency भी, शायद आज जो currency print करने का खर्चा होता है, वो भी धीरे-धीरे-धीरे-धीरे कम होता जाएगा क्‍योंकि ये कारोबार इस प्रकार से बढ़ने वाला है। और हमने भी देश को उस दिशा में ले जाना है। और जैसे-जैसे हम technology के सहारे banking करेंगे, जब हम paper-less bank की व्‍यवस्‍था करेंगे, currency-less कारोबार चलाएंगे तो काले धन की संभावनाएं धीरे-धीरे-धीरे जीरो की तरफ चली जाएंगी। और इसलिए इस सारी व्‍यवस्‍था का उपयोग एक उस दायरे में होने वाला है जो देश की मूलभूत कुछ बाते हैं जिसको address करने वाला है। IDFC उसकी beginning कर रहा है। मध्‍यप्रदेश से उनका प्रारंभ हो रहा है, वो भी उस इलाके, जो एक प्रकार से आदिवासी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, नर्मदा के तट के साथ जुड़े हुए हैं, वहां से इस काम का आंरभ हो रहा है। ये भी आवश्‍यक है।

आज सारा विश्‍व आर्थिक दृष्टि से भारत के प्रति एक बड़े संतोष की नजर से देख रहा है, सिर्फ आशा की नजर से नहीं, एक संतोष की नजर से। और उसको लगता है कि पूरे विश्‍व में इतना turmoil आ रहा है लेकिन एक भारत है जो स्थिर खड़ा रह पाया है और global economy में भी किसी राष्‍ट्र का स्थिर economy को handle करना ये भी अपने-आप में विश्‍व में संतुलन बनाने के लिए बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है। और वो भूमिका भारत ने इस पूरे वैश्विक संकट के समय अदा की है। इतने बड़े तूफान के बीच भारत अपने आप को बना पाया है। और बना पाया है तो आगे बढ़ने की संभावना भी उसमें बहुत ज्‍यादा है।

विश्‍व भारत के संबंध में ये अनुमान लगाता है कि भारत का potential इतना अपरम्‍पार है अभी तक आप tap नहीं कर पाए। लोग ये नहीं करते हैं कि भई आप कैसे आगे बढ़ोगे, आप कुछ टिक पाओगे के नहीं पाओगे, बचोगे कि नहीं बचोगे, ये चर्चा नहीं। चर्चा ये है, अरे भाई इतना मौका है, आप, आप ठंडे क्‍यों ? ये सवाल पूछा जा रहा है। यानी सारे विश्‍व को लग रहा है कि आज विश्‍व के आर्थिक जीवन में सबसे अगर कोई potential area है जहां growth story है तो वो हिंदुस्‍तान में है। और हमने भी देखा है World Bank हो, IMF हो, बाकी जितनी Rating Agencies हों, सबने कहा है कि भारत आज दुनिया की, बड़े देशों की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली कम्‍पनी है। अगर ये ताकत हमारे पास है, तो हमारा काम है कि हम foundation को भी मजबूत करें और vertical भी जाएं। Horizontal and vertical, दोनों तरफ हमें आगे बढ़ना पड़ेगा और Horizontal जाने के लिए ये ग्रामीण जीवन में हम कैसे प्रवेश ? हमारा व्‍याप कैसे बढ़ाएं? उसी प्रकार से हम नए-नए क्षेत्रों को कैसे चुनें? अगर हम priority sector देखें, priority sector को पैसे देना, ये सरकार के कुछ नियम हैं, जाते हैं लेकिन मान लीजिए कहा गया कि भाई agriculture sector को पैसा देना है, लेकिन एक fertilizer कारखाने को दे दिया, माना जाएगा agriculture sector और हिसाब ठीक हो जाएगा तो agriculture sector को दे दिया। इससे हमें बाहर आना है। हम एक सामान्‍य agriculturist को या गांव को ध्‍यान में रख करके या दो, चार, दस गांव के बीच में cold storage कैसे बनें? Warehousing की व्‍यवस्‍था कैसे हो? उसमें banking कैसे? हम value addition में कैसे मदद कर सकते? हम सिर्फ agriculture sector को पकड़ें, आज मैं समझता हूं कि इतनी संभावनाएं पड़ी हुई हैं, हिन्‍दुस्‍तान का किसान आज दुनिया के साथ अपने-आप में तालमेल करने की कोशिश कर रहा है। आपने देखा होगा, कि एक महिला अपना नम्‍बर अंग्रेजी में बता रही थी, Mobile Number अंग्रेजी में बता रही थी। अब ये कोई जरूरी नहीं है कि उन्‍होंने किसी स्‍कूल में जा करके पढ़ा होगा। लेकिन अब धीरे-धीरे करके सब चीजें समाज, जीवन में सहज हिस्‍सा बन रही हैं। ये इस ताकत को पहचानना, यही तो सबसे बड़ी खूबी है। हम इसको अगर ताकत मानते हुए, हां ये बदलाव है क्‍योंकि मेरा तो ये अनुभव है।

मैंने एक बार कहीं वर्णन भी किया था, में गुजरात में जब मुख्‍यमंत्री था तो एक बहुत ही पिछड़ा तहसील है हमारे यहां, धर्मपुर के पास, बलसाड़ जिले में, tribal belt है। अब मेरा मुख्‍यमंत्री रहते हुए वहां कभी कार्यक्रम नहीं हुआ था तो मैंने आग्रह किया, मैंने कहा मुझे वहां जाना है। न एक दिन कोई कार्यक्रम नहीं होगा तो ऐसे ही जा करके एक पेड़ लगा करके वहां से वापिस आऊंगा। तो फिर एक chilling centre के उद्घाटन के लिए कार्यक्रम बन गया। अब chilling centre क्‍या 50 लाख का होता है, छोटा सा क्‍या होता है, जो दूध लोग देने आते हैं, उसको, ट्रक आने तक उसको संभालते हैं। इतना ही होता है। मैंने कहा मैं उसके लिए जाऊंगा। फिर वहां करनी थी तो जगह नहीं थी, क्‍योंकि जंगल है तो कोई जगह नहीं थी, तो एक स्‍कूल थी दूर, दो-ढाई किलोमीटर, स्‍कूल में function था। लेकिन इस कार्यक्रम के लिए उन्‍होंने 50 करीब आदिवासी महिलाओं को बुलाया था। दूध भरने वाली जो महिलाएं होती हैं, 50 को बुलाया था। जहां chilling centre था, वहां। सब वहां तो अलग था माहौल। मैं हैरान था जब chilling center में उद्घाटन वगैरह हुआ, ये महिलाएं सारी मोबाइल से फोटो निकालती थी। आदिवासी महिलाएं फोन से फोटो निकालती थी। मुझे जरा surprise हुआ। मैं उनके पास गया। मैंने कहा ये फोटो निकाल कर क्‍या करोगे? उन्‍होंने जो जवाब दिया वो और आश्‍चर्यजनक था। उन्‍होंने कहा, हम इसको download करवा देंगे। अब ये download शब्‍द उनको मालूम था। download कैसे होता है, कहां होता है, ये पता था। इसका मतलब ये हुआ कि हम कहां तक पहुंचे। इसको हम किस प्रकार से आने वाले दिनों में हमारी growth story का हिस्‍सा कैसे बनाए और उस दिशा में हम कैसे काम करे?

उसी प्रकार से हमारे नौजवान। उनको पढ़ाई के लिए सरलता से Bank loan की व्‍यवस्‍था क्‍यों न हो? मेरा मत है ये women self-help groups....Women self-help group को पैसा मिलता है, अगर उनको बुधवार को पैसा जमा करवाना है 100 रुपए तो मंगल को आकर के दे जाते हैं कि लीजिए साहब मेरा पैसा कल पता नहीं कहीं और खर्च हो जाएगा। ये sensitivity है हमारे यहां, ग्रामीण जीवन में। इसका जितना लाभ लेना चाहिए हमने लिया नहीं और साहूकारों ने इस पर अपनी पकड़ा जमा दी और उसने हमारी economy को भी बहुत बड़ा नुकसान किया है। तो हमने एक विश्‍वास पैदा करना है, एक गारंटी पैदा करनी है। मैं समझता हूं ये जो प्रयास है, वो प्रयास उस परिणामों को जरूर अवश्‍य फल देगा।

Banking sector में हमारी ये कोशिश रही है कि bank nationalize हुई। तब तो बताया गया था कि भई गरीबों के लिए हुआ, लेकिन हमने जो देखा कि वो बहुत सीमित रहा। जैसे मध्‍यम वर्ग के परिवारों तक family doctor होता है, वैसे उच्‍च परिवारों का एक Banker होता है। बड़े ऊंचे घरानों का और बीमार भी होंगे लेकिन अगर Banker ने कहीं lunch-dinner रखा है तो जरूर जाएंगे क्‍योंकि उनको पता है कि भई इसका उनका कारोबार कितना महत्‍वपूर्ण है। ये अच्‍छा है, बुरा है लेकिन है। मैं समझता हूं कि अब हमारे यहां Neo-Middle Class कहो या मध्‍यम वर्ग कहो, ये एक बहुत बड़ी ताकत होती है। हम उनकी तरफ ध्‍यान केन्‍द्रित करके, ऐसी व्‍यवस्‍थाओं को कैसे विकसित करें। मान लीजिए आप, आपके सामने दो proposal है। एक है कि कोई भवन बनाना है, सरकारी दफ्तर बनाना है और दूसरी proposal है कि इसने प्राइवेट में कहा है कि मैं यहां एक कॉलेज खड़ा करना चाहता हूं, एक Higher-Secondary School चालू करना चाहता हूं, मुझे बैंक से पैसा चाहिए। अगर मैं बैंक में हूं तो मैं पहली priority उस स्‍कूल वाले को दूंगा। क्‍योंकि मुझे मालूम है कि वहां स्‍कूल बनता है तो फिर ऐसे 50 दफ्तर बनाने की ताकत उनसे अपने आप आ जाने वाली है। इसलिए हमारे investment की priority क्‍या बने? पैसे देने की priority क्‍या बने? ये अगर हमने chain शुरू की जिसके multiple हमें benefit हो। अगर ये होगा तो मैं मानता हूं कि बहुत ही लाभ होगा।

हमने जो financial inclusion का जो मिशन उठाया है। अब जैसे अरुण जी बता रहे थे कि प्रधानमंत्री की जो हमने योजना बनाई जिसमें हमने मध्‍यम वर्ग, गरीब, धोबी हो, नाई हो, दूध बेचने वाला हो, अखबार बेचने वाला हो उसको मुद्रा योजना के तहत finance कैसे हो। इस देश में करीब 6 करोड़ लोग ऐसे हैं, इस प्रकार के काम में और उनका average कर्ज 17 हजार रुपए है। कोई ज्‍यादा नहीं है, लेकिन वे ये पैसे साहूकार से लेते हैं, बहुत ब्‍याज देते हैं और वो अपना विकास-विस्‍तार नहीं कर पाते हैं। मुद्रा योजना के तहत हमारी कोशिश है कि ऐसे लोगों को इस ब्‍याज के चक्‍कर से मुक्‍ति दिलाना और उनको financial help liberally करना। हमने 50 हजार, 5 लाख, 10 लाख तक की, उसकी व्‍यवस्‍थाएं की, 50 लाख तक की की। अभी तो मैं समझता हूं मुश्‍किल से 100 दिन हुए होंगे इस योजना को launch किए। अब तक 61 लाख clients and करीब 35 thousand crore rupees, ये वहां गया है। 35 हजार करोड़ रुपया बाजार के अंदर नीचे जाना मतलब economy को कितनी बड़ी ताकत देता है वो। 35 हजार करोड़ किसी एक शहर में डालने से उतना change नहीं आता है जितना कि हजारों गांवों के अंदर 35 हजार करोड़ रुपया जाता है, तो economy में एक vibrancy आना शुरू हो जाता है, नीचे से शुरू हो जाता है और ये आने वाले दिनों में देखेंगे और हमारी कोशिश यही है कि हम उसको आगे बढ़ाना चाहते हैं।

हमारे देश में Banking sector के संबंध में पचासों प्रकार के सवालिया निशान उठे हैं। Appointment से लेकर के, governance से लेकर के, पैसे देने के संबंध में पचासों प्रकार के सवालिया निशान लगे हैं। हमने आने के बाद एक दिन round-table conference किया, चिंतन शिविर की, सभी बैंक के लोगों के साथ detail में चर्चा की। उनकी समस्‍याएं क्‍या हैं, सरकार से अपेक्षाएं क्‍या हैं, कानूनी मुसीबतें क्‍या हैं। सारी चीजों की विस्‍तार से चर्चा की। RBI भी मौजूद था, मैं भी था, अरुण जी भी थे, काफी विस्‍तार से चर्चा की और उसमें से जो बातें आईं उस बातों को हमने लागू करने का प्रयास किया है। हमने एक सप्‍तसूत्री योजना बनाई है, जिस योजना का मैं समझता हूं कि हमारे देश में ऐसी चीजों की चर्चा बहुत कम होती है। लेकिन इसका बहुत बड़ा निर्णय है और A B C D E F G, ये सप्‍तसूत्री मेरा कार्यक्रम है। ये सप्‍तसूत्री कार्यक्रम बैंकों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला है।

एक है हमारा A – Appointments. बैंकों में उच्‍च पदों पर नियुक्‍तियों में सुधार लाने का हमने फैसला किया है और इसलिए हमने 1969 के बाद nationalised bank में private sector के लोगों को भी लिया है, वरना nationalised bank से लोग private में चले जाते थे। पहली बार ये reverse trend शुरू हुआ है, जिसमें efficiency को हमने महत्‍व दिया है।

B – B for Bank, Board, Bureau. ये B3 पहली बार हम इस देश में लाए हैं कि बैंकों में जो भी नियुक्‍तियां हुईं उसका selection top rank के लिए, ये board करेगा। Politically मुझे ये पसंद आया, उसको मैं एक director बना दू और वो वहां बैठ जाए और फिर बाद में जब loan देनी हो तो वाया उसी से आ जाए proposal और फिर पता चले भई ये तो PM का आदमी बोल रहा है, देना ही पड़ेगा। ये डूबने के पीछे कारण यही है और इसलिए हमने कहा है कि ये कतई हम नहीं करेंगे, सारे professional लोगों को हम इस काम में लगाएंगे।

C – Capitalization. पिछले कुछ वर्षों में दिए गए loans में bad loans हैं। उसके कारण संकट आया है। अब रोते-बैठने का कोई अर्थ नहीं है इसलिए हमने करीब आने वाले कुछ वर्षों में 70 हजार करोड़ रुपया बैंक के अंदर डालकर के ये bad loans के कारण जो संकट है, उसमें से हम बाहर लाने का कार्यक्रम कर रहे हैं।

D – De-stress of assets. कुछ क्षेत्रों में जहां ये समस्‍या गंभीर है, हमने import duties बढ़ाने का domestic producer को सहारा दिया है। आपने देखा होगा हमने Steel में अभी किया। ताकि जिसके कारण Steel जो बैंक के साथ Steel उद्योग पैसा लेता था, उसको एक ताकत मिले। तो हमने De-stress के लिए कई कदम उठाने की दिशा में काम किया है।

6 है -नए debt recovery tribunal. जिसमें हम bad loans recovery इन सारे कामों को मैंने कहा है जैसे Power sector. हम बहुत तेज गति से निर्णय पर जा रहे हैं। Power sector जो NPA की समस्‍या से जुड़ा हुआ है उसको कैसे handle करना है।

E – Empower. Empower का मेरा सीधा-सीधा मतलब था, जब मैं पुणे में गया था इस मीटिंग में तब मैंने कहा था, Zero interferes. आपको political leadership और establishment से कभी फोन नहीं आएगा कि इसके loan का क्‍या करना है लेना, देना और आज तक इतने महीने हो गए, एक भी जगह से खबर नहीं आई है कि ऐसा कोई pressure है। purely, professionally चलाइए और बाहर लाइए। तो इस प्रकार से बैंकों को Empower करने की दिशा में हमने काम किया है।

F – Framework for accountability. बैंकों का performance monitor करने के लिए key performance indicator हमने set किए हैं ताकि हमें regularly पता चले कि भई कहां जा रहे हैं, किस दिशा में जा रहे हैं। कितना जा रहे हैं, वो नहीं। कितना तो संतोष कभी-कभी दे देता है, लेकिन कहां और कैसे और कितने समय में। उस दिशा में indicators को हमने बल दिया है।

और last है G – Governance. हमारे banking sectorमें governance को बल देना है। हमने technology पर जाना है, transparency को लाना है। cyber crime की सबसे ज्‍यादा संभावनाएं banking sector, financial world में हैं या तो data चोरी करने की। ये दो ही सबसे बड़े क्षेत्र हैं और इसलिए हमको assure करना होगा हमारे governance को।

तो ऐसी सप्‍तसूत्री हमारी योजना के द्वारा इन seven pillars पर पूरा banking sector को ताकत कैसे मिले। सरकार ने इतने महत्‍वपूर्ण initiative लिए हैं। मुझे विश्‍वास है कि आने वाले दिनों में भारत जिस तेज गति से आगे बढ़ रहा है बैंक कंधे से कंधा मिलाकर के उसके साथ चलेगा। कुछ क्षेत्रों में बैंक दो कदम आगे होगा और मैं समझता हूं कि ये ताकत ultimately भारत के जो निर्धारित लक्ष्‍य हैं और जिन माध्‍यमों से हैं, उन सबको मिलकर के हम पूरा कर सकते हैं।

आने वाले दिनों में IDFC को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं वो इस क्षेत्र में बहुत-बहुत प्रगति करें। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।