The Viksit Bharat Ambassadors' 'Nari Shakti Conclave' held at the DU Indoor Stadium, North Campus, Delhi, witnessed a historic gathering of over 6,000 female students and faculty. The event's response was so overwhelming that an additional 3,000 students joined, united under the shared goal of building a developed India by 2047. This conclave marked a significant milestone as the first-ever female-only event of such magnitude, organized a day before Women's Day, observed globally on March 8th.

All student attendees proudly sported 'Viksit Bharat Ambassador' T-shirts and Wristbands in solidarity with the movement. Several thousand students had pre-registered through the NaMo App, totalling over 11,000 registrations, showing immense enthusiasm and support for the Viksit Bharat Ambassador movement.

The event's main highlight was a thought-provoking conversation between Chief Guest and Union Minister Smt. Smriti Irani and Guest of Honor RJ Sharat. Their dialogue covered crucial topics such as the role of women in education and their leadership in spearheading the 'Viksit Bharat' journey. Four female student anchors, each representing different regions of India and adorned in traditional attire, hosted the conclave.

On Women's Day, Prime Minister Narendra Modi also took to X to praise the #ViksitBharatAmbassador community, acknowledging their determination and commitment to nation-building. He emphasized that Nari Shakti's active involvement would undoubtedly accelerate India's journey towards becoming a developed and empowered nation.

During her address at the Viksit Bharat Ambassadors' 'Nari Shakti Conclave', the Minister of Women and Child Development of India, Smriti Irani, urged students to join the Viksit Bharat 2047 mission and shared her mantra for women's empowerment. The students were also given a brief 'explainer' on how they could join the ambitious Viksit Bharat movement on the NaMo App and contribute to India's growth story by unleashing their inherent potential. Minister Smriti Irani highlighted the government's focus on women empowerment, citing initiatives like building toilets in urban and rural areas since 2014 to ensure equal participation in Viksit Bharat.

She noted the growing aspiration among youth to become Prime Minister, contrasting it with past beliefs about predetermined leadership based on family background.

The Vision of Viksit Bharat: 140 crore dreams, 1 purpose

The Viksit Bharat Ambassador movement aims to encourage citizens to take responsibility for contributing to India's development. VBA meet-ups and events are being organized in various parts of the country to achieve this goal. These events provide a platform for participants to engage in constructive discussions, exchange ideas, and explore practical strategies for contributing to the movement.

Join the movement on the NaMo

App: https://www.narendramodi.in/ViksitBharatAmbassador

The NaMo App: Bridging the Gap

Prime Minister Narendra Modi's app, the NaMo App, is a digital bridge that empowers citizens to participate in the Viksit Bharat Ambassador movement. The NaMo App serves as a one-stop platform for individuals to:

Join the cause: Sign up and become a Viksit Bharat Ambassador and make 10 other people
Amplify Development Stories: Access updates, news, and resources related to the movement.
Create/Join Events: Create and discover local events, meet-ups, and volunteer opportunities.
Connect/Network: Find and interact with like-minded individuals who share the vision of a developed India.

The 'VBA Event' section in the 'Onground Tasks' tab of the 'Volunteer Module' of the NaMo App allows users to stay updated with the ongoing VBA events.

 

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  • रीना चौरसिया September 13, 2024

    भाजपा
  • रीना चौरसिया September 13, 2024

    बीजेपी
  • Sudeep Singh Sengar May 12, 2024

    जय श्रीराम
  • Sudeep Singh Sengar May 12, 2024

    जय श्रीराम
  • HITESH HARYANA District Vice President BJYM Nuh April 23, 2024

    जय श्री राम 🚩🌹
  • pradeep goyal April 11, 2024

    Jai shree ram 🚩
  • Shabbir meman April 10, 2024

    🙏🙏
  • RamrajThakur April 04, 2024

    जय नारी शक्ति 🙏🙏
  • Ashutosh Sharma March 30, 2024

    Jai Nari Shakti
  • Ashutosh Sharma March 30, 2024

    Jai Nari Shakti
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Our government is making the vision of women-led development the axis of development: PM Modi in Bhopal, Madhya Pradesh
May 31, 2025
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मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान मंगुभाई पटेल, हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन यादव जी, टेक्नोलॉजी के माध्यम से हमारे साथ जुड़े हुए केंद्रीय मंत्री, इंदौर से तोखन साहू जी, दतिया से राम मोहन नायडू जी, सतना से मुरलीधर मोहोल जी, यहां मंच पर उपस्थित राज्य के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा जी, राजेंद्र शुक्ला जी, लोकसभा में मेरे साथी वी डी शर्मा जी, अन्य मंत्रिगण, जनप्रतिनिधिगण और विशाल संख्या में आए हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

सबसे पहले मैं मां भारती को भारत की मातृशक्ति को प्रणाम करता हूं। आज यहां इतनी बड़ी संख्या में माताएं-बहनें-बेटियां हमें आशीर्वाद देने आई हैं। मैं आप सभी बहनों के दर्शन पाकर धन्य हो गया हूं।

भाइयों और बहनों,

आज लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर जी की तीन सौवीं जन्म जयंती है।140 करोड़ भारतीयों के लिए ये अवसर प्रेरणा का है, राष्ट्र निर्माण के लिए हो रहे भागीरथ प्रयासों में अपना योगदान देने का है। देवी अहिल्याबाई कहती थीं, कि शासन का सही अर्थ जनता की सेवा करना और उनके जीवन में सुधार लाना होता है। आज का कार्यक्रम, उनकी इस सोच को आगे बढ़ाता है। आज इंदौर मेट्रो की शुरुआत हुई है। दतिया और सतना भी अब हवाई सेवा से जुड़ गए हैं। ये सभी प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश में सुविधाएं बढ़ाएंगे, विकास को गति देंगे और रोजगार के अनेक नए अवसर बनाएंगे। मैं आज इस पवित्र दिवस पर विकास के इन सारे कामों के लिए आप सबको, पूरे मध्य प्रदेश को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

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साथियों,

लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर, ये नाम सुनते ही मन में श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है। उनके महान व्यक्तित्व के बारे में बोलने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। देवी अहिल्याबाई प्रतीक हैं, कि जब इच्छाशक्ति होती है, दृढ़ प्रतिज्ञा होती है, तो परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों ना हों, परिणाम लाकर दिखाया जा सकता है। ढाई-तीन सौ साल पहले, जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, उस समय ऐसे महान कार्य कर जाना, कि आने वाली अनेक पीढ़ियां उसकी चर्चा करें, ये कहना तो आसान है, करना आसान नहीं था।

साथियों,

लोकमाता अहिल्याबाई ने प्रभु सेवा और जन सेवा, इसे कभी अलग नहीं माना। कहते हैं, वे हमेशा शिवलिंग अपने साथ लेकर चलती थीं। उस चुनौतीपूर्ण कालखंड में एक राज्य का नेतृत्व कांटों से भरा ताज, कोई कल्पना कर सकता है, कांटों से भरा ताज पहनने जैसा वो काम, लेकिन लोकमाता अहिल्याबाई ने अपने राज्य की समृद्धि को नई दिशा दी। उन्होंने गरीब से गरीब को समर्थ बनाने के लिए काम किया। देवी अहिल्याबाई भारत की विरासत की बहुत बड़ी संरक्षक थीं। जब देश की संस्कृति पर, हमारे मंदिरों, हमारे तीर्थ स्थलों पर हमले हो रहे थे, तब लोकमाता ने उन्हें संरक्षित करने का बीड़ा उठाया, उन्होंने काशी विश्वनाथ सहित पूरे देश में हमारे अनेकों मंदिरों का, हमारे तीर्थों का पुनर्निर्माण किया। औऱ ये मेरा सौभाग्य है कि जिस काशी में लोकमाता अहिल्याबाई ने विकास के इतने काम किए, उस काशी ने मुझे भी सेवा का अवसर दिया है। आज अगर आप काशी विश्वनाथ महादेव के दर्शन करने जाएंगे, तो वहां आपको देवी अहिल्याबाई की मूर्ति भी वहाँ पर मिलेगी।

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साथियों,

माता अहिल्याबाई ने गवर्नेंस का एक ऐसा उत्तम मॉडल अपनाया, जिसमें गरीबों और वंचितों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गई। रोजगार के लिए, उद्यम बढ़ाने के लिए उन्होंने अनेक योजनाओं को शुरू किया। उन्होंने कृषि और वन-उपज आधारित कुटीर उद्योग और हस्तकला को प्रोत्साहित किया। खेती को बढ़ावा देने के लिए, छोटी-छोटी नहरों की जाल बिछाई, उसे विकसित किया, उस जमाने में आप सोचिए 300 साल पहले। जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने कितने ही तालाब बनवाए और आज तो हम लोग भी लगातार कह रहे हैं, catch the rain, बारिश के एक एक बूंद पानी को बचाओ। देवी अहिल्या जी ने ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमें ये काम बताया था। किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्होंने कपास और मसालों की खेती को प्रोत्साहित किया। आज ढाई सौ-तीन सौ साल के बाद भी हमें बार बार किसानों को कहना पड़ता है, कि crop diversification बहुत जरूरी है। हम सिर्फ धान की खेती करके या गन्ने की खेती करके अटक नहीं सकते, देश की जरूरतों को, सारी चीजों को हमें diversify करके उत्पादित करना चाहिए। उन्होंने आदिवासी समाज के लिए, घुमन्तु टोलियों के लिए, खाली पड़ी जमीन पर खेती की योजना बनाई। ये मेरा सौभाग्य है, कि मुझे एक आदिवासी बेटी, आज जो भारत के राष्ट्रपति पद पर विराजमान है, उनके मार्गदर्शन में मेरे आदिवासी भाई-बहनों की सेवा करने का मौका मिला है। देवी अहिल्या ने विश्व प्रसिद्ध माहेश्वरी साड़ी के लिए नए उद्योग लगाए और बहुत कम लोगों को पता होगा, कि देवी अहिल्या जी हूनर की पारखी थी और वो जूनागढ़ से गुजरात में, जूनागढ़ से कुछ परिवारों को माहेश्वर लाईं और उनको साथ जोड़कर के, आज से ढाई सौ-तीन सौ साल पहले ये माहेश्वरी साड़ी का काम आगे बढ़ाया, जो आज भी अनेक परिवारों को वो गहना बन गया है, और जिससे हमारे बुनकरों को बहुत फायदा हुआ।

साथियों,

देवी अहिल्याबाई को कई बड़े सामाजिक सुधारों के लिए भी हमेशा याद रखा जाएगा। आज अगर बेटियों की शादी की उम्र की चर्चा करें, तो हमारे देश में कुछ लोगों को सेक्यूलरिज्म खतरे में दिखता है, उनको लगता है ये हमारे धर्म के खिलाफ है। ये देवी अहिल्या जी देखिए, मातृशक्ति के गौरव के लिए उस जमाने में बेटियों की शादी की उम्र के विषय में सोचती थीं। उनकी खुद की शादी छोटी उम्र में हुई थी, लेकिन उनको सब पता था, बेटियों के विकास के लिए कौन सा रास्ता होना चाहिए। ये देवी अहिल्या जी थीं, उन्होंने महिलाओं का भी संपत्ति में अधिकार हो, जिन स्त्रियों के पति की असमय मृत्यु हो गई हो, वो फिर विवाह कर सकें, उस कालखंड में ये बातें करना भी बहुत मुश्किल होता था। लेकिन देवी अहिल्याबाई ने इन समाज सुधारों को भरपूर समर्थन दिया। उन्होंने मालवा की सेना में महिलाओं की एक विशेष टुकड़ी भी बनाई थी। ये पश्चिम की दुनिया के लोगों को पता नहीं है। हमें कोसते रहते हैं, हमारी माताओं बहनों के अधिकारों के नाम पर हमें नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमारे देश में सेना में महिलाओं का होना, साथियों महिला सुरक्षा के लिए उन्होंने गांवों में नारी सुरक्षा टोलियां, ये भी बनाने का काम किया था। यानी माता अहिल्याबाई, राष्ट्र निर्माण में हमारी नारीशक्ति के अमूल्य योगदान का प्रतीक हैं। मैं, समाज में इतना बड़ा परिवर्तन लाने वाली देवी अहिल्या जी को आज श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं, उनके चरणों में प्रणाम करता हूं और मैं उनसे प्रार्थना करता हूं, कि आप जहां भी हों, हम सभी पर अपना आशीर्वाद बरसाए।

साथियों,

देवी अहिल्या का एक प्रेरक कथन है, जो हम कभी भूल नहीं सकते। और उस कथन का अगर मोटे-मोटे शब्दों में मैं कहूं, उसका भाव यही था, कि जो कुछ भी हमें मिला है, वो जनता द्वारा दिया ऋण है, जिसे हमें चुकाना है। आज हमारी सरकार लोकमाता अहिल्याबाई के इन्हीं मूल्यों पर चलते हुए काम कर रही है। नागरिक देवो भव:- ये आज गवर्नेंस का मंत्र है। हमारी सरकार, वीमेन लेड डवलपमेंट के विजन को विकास की धुरी बना रही है। सरकार की हर बड़ी योजना के केंद्र में माताएं-बहनें-बेटियां हैं। आप भी जानती हैं, गरीबों के लिए 4 करोड़ घर बनाए जा चुके हैं और इनमें से अधिकतर घर हमारी माताओं-बहनों के नाम पर हैं, मालिकाना हक मेरी माताओं-बहनों को दिया है। इनमें से ज्यादातर महिलाएं ऐसी हैं, जिनके नाम पर पहली बार कोई संपत्ति दर्ज हुई है। यानी देश की करोड़ों बहनें पहली बार घर की मालकिन बनी हैं।

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साथियों,

आज सरकार, हर घर तक नल से जल पहुंचा रही है, ताकि हमारी माताओं-बहनों को असुविधा न हो, बेटियां अपनी पढ़ाई में ध्यान दे सकें। करोड़ों बहनों के पास पहले, बिजली, एलपीजी गैस और टॉयलेट जैसी सुविधाएं भी नहीं थीं। ये सुविधाएं भी हमारी सरकार ने पहुंचाईं। और ये सिर्फ सुविधाएं नहीं हैं, ये माताओं-बहनों के सम्मान का हमारी तरफ से एक नम्र प्रयास है। इससे गांव की, गरीब परिवारों की माताओं-बहनों के जीवन से अनेक मुश्किलें कम हुईं हैं।

साथियों,

पहले माताएं-बहनें अपनी बीमारियां छुपाने पर मजबूर थीं। गर्भावस्था के दौरान अस्पताल जाने से बचती थीं। उनको लगता था, कि इससे परिवार पर बोझ पड़ेगा और इसलिए दर्द सहती थीं, लेकिन परिवार में किसी को बताती नहीं थीं। आयुष्मान भारत योजना ने उनकी इस चिंता को भी खत्म किया है। अब वो भी अस्पताल में 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज करा सकती हैं।

साथियों,

महिलाओं के लिए पढ़ाई और दवाई के साथ ही जो बहुत जरूरी चीज है, वो कमाई भी है। जब महिला की अपनी आय होती है, तो घर में उसका स्वाभिमान और बढ़ जाता है, घर के निर्णयों में उसकी सहभागिता और बढ़ जाती है। बीते 11 वर्षों में हमारी सरकार ने देश की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए निरंतर काम किया है। आप कल्पना कर सकते है, 2014 से पहले, आपने मुझे सेवा करने का मौका दिया उसके पहले, 30 करोड़ से ज्यादा बहनें ऐसी थीं, जिनका कोई बैंक खाता तक नहीं था। हमारी सरकार ने इन सभी के बैंक में जनधन खाते खुलवाए, इन्हीं खातों में अब सरकार अलग-अलग योजनाओं का पैसा सीधा उनके खाते में भेज रही है। अब वे गांव हो या शहर अपना कुछ ना कुछ काम कर रही हैं, आर्थिक उपार्जन कर रही हैं, स्वरोजगार कर रही हैं। उन्हें मुद्रा योजना से बिना गारंटी का लोन मिल रहा है। मुद्रा योजना की 75 प्रतिशत से ज्यादा लाभार्थी, ये हमारी माताएं-बहनें-बेटियां हैं।

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साथियों,

आज देश में 10 करोड़ बहनें सेल्फ हेल्प ग्रुप्स से जुड़ी हैं, जो कोई न कोई आर्थिक गतिविधि करती हैं। ये बहनें अपनी कमाई के नए साधन बनाएं, इसके लिए सरकार लाखों रुपयों की मदद कर रही है। हमने ऐसी 3 करोड़ बहनों को लखपति दीदी बनाने का संकल्प लिया है। मुझे संतोष है कि अब तक डेढ़ करोड़ से ज्यादा बहनें, लखपति दीदी बन भी चुकी हैं। अब गांव-गांव में बैंक सखियां लोगों को बैंकिंग से जोड़ रही हैं। सरकार ने बीमा सखियां बनाने का अभियान भी शुरु किया है। हमारी बहनें-बेटियां अब देश को बीमा की सुरक्षा देने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभा रही हैं।

साथियों,

एक समय था, जब नई टेक्नोलॉजी आती थी, तो उससे महिलाओं को दूर रखा जाता था। हमारा देश आज उस दौर को भी पीछे छोड़ रहा है। आज सरकार का प्रयास है कि आधुनिक टेक्नॉलॉजी में भी हमारी बहनें, हमारी बेटियां आगे बढ़कर के नेतृत्व दें। अब जैसे आज खेती में ड्रोन क्रांति आ रही है। इसको हमारी गांव की बहनें ही नेतृत्व दे रही हैं। नमो ड्रोन दीदी अभियान से गांव की बहनों का हौसला बढ़ रहा है, उनकी कमाई बढ़ रही है और गांव में उनकी एक नई पहचान बन रही है।

साथियों,

आज बहुत बड़ी संख्या में हमारी बेटियां वैज्ञानिक बन रही हैं, डॉक्टर-इंजीनियर और पायलट बन रही हैं। हमारे यहां साइंस और मैथ्स पढ़ने वाली बेटियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आज जितने भी हमारे बड़े स्पेस मिशन हैं, उनमें बड़ी संख्या में वैज्ञानिक के नाते हमारी माताएं-बहनें-बेटियां काम कर रही हैं। चंद्रयान थ्री मिशन, पूरा देश गौरव कर रहा है। चंद्रयान थ्री मिशन में तो 100 से अधिक महिला वैज्ञानिक और इंजीनियर शामिल थीं। ऐसे ही जमाना स्टार्ट अप्स का है, स्टार्ट अप्स के क्षेत्र में भी हमारी बेटियां अदभुत काम कर रही हैं। देश में लगभग पैंतालीस परसेंट स्टार्ट अप्स की, उसमे कम से कम एक डायरेक्टर कोई न कोई हमारी बहन है, कोई न कोई हमारी बेटी है, महिला है। और ये संख्या लगातार बढ़ रही है।

साथियों,

हमारा प्रयास है, कि नीति निर्माण में बेटियों की भागीदारी लगातार बढ़े। बीते एक दशक में इसके लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं। हमारी सरकार में पहली बार पूर्ण कालिक महिला रक्षामंत्री बनीं। पहली बार देश की वित्तमंत्री, एक महिला बनीं। पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक, महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस बार 75 सांसद महिलाएं हैं। लेकिन हमारा प्रयास है कि ये भागीदारी और बढ़े। नारीशक्ति वंदन अधिनियम के पीछे भी यही भावना है। सालों तक इस कानून को रोका गया, लेकिन हमारी सरकार ने इसे पारित करके दिखाया। अब संसद और विधानसभाओं में महिला आरक्षण पक्का हो गया है। कहने का अर्थ ये है कि भाजपा सरकार, बहनों-बेटियों को हर स्तर पर, हर क्षेत्र में सशक्त कर रही है।

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साथियों,

भारत संस्कृति और संस्कारों का देश है। और सिंदूर, ये हमारी परंपरा में नारीशक्ति का प्रतीक है। राम भक्ति में रंगे हनुमान जी भी सिंदूर को ही धारण किए हुए हैं। शक्ति पूजा में हम सिंदूर का अर्पण करते हैं। और यही सिंदूर अब भारत के शौर्य का प्रतीक बना है।

साथियों,

पहलगाम में आतंकियों ने सिर्फ भारतीयों का खून ही नहीं बहाया, उन्होंने हमारी संस्कृति पर भी प्रहार किया है। उन्होंने हमारे समाज को बांटने की कोशिश की है। और सबसे बड़ी बात, आतंकवादियों ने भारत की नारीशक्ति को चुनौती दी है। ये चुनौती, आतंकवादियों और उनके आकाओं के लिए काल बन गई है काल। ऑपरेशन सिंदूर, आतंकवादियों के खिलाफ भारत के इतिहास का सबसे बड़ा और सफल ऑपरेशन है। जहां पाकिस्तान की सेना ने सोचा तक नहीं था, वहां आतंकी ठिकानों को हमारी सेनाओं ने मिट्टी में मिला दिया। सैंकड़ों किलोमीटर अंदर घुसकर के मिट्टी में मिला दिया। ऑपरेशन सिंदूर ने डंके की चोट पर कह दिया है, कि आतंकवादियों के जरिए छद्म युद्ध, proxy war नहीं चलेगा। अब घर में घुसकर भी मारेंगे और जो आतंकियों की मदद करेगा, उसको भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अब भारत का एक-एक नागरिक कह रहा है, 140 करोड़ देशवासियों की बुलंद आवाज कह रही है- अगर, अगर तुम गोली चलाओगे, तो मानकर चलों गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा।

साथियों,

ऑपरेशन सिंदूर हमारी नारीशक्ति के सामर्थ्य का भी प्रतीक बना है। हम सभी जानते हैं, कि BSF का इस ऑपरेशन में कितना बड़ा रोल रहा है। जम्मू से लेकर पंजाब, राजस्थान और गुजरात की सीमा तक बड़ी संख्या में BSF की हमारी बेटियां मोर्चे पर रही थीं, मोर्चा संभाल रही थीं। उन्होंने सीमापार से होने वाली फायरिंग का मुंहतोड़ जवाब दिया। कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स से लेकर दुश्मन की पोस्टों को ध्वस्त करने तक, BSF की वीर बेटियों ने अद्भुत शौर्य दिखाया है।

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साथियों,

आज दुनिया, राष्ट्ररक्षा में भारत की बेटियों का सामर्थ्य देख रही है। इसके लिए भी बीते दशक में सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। स्कूल से लेकर युद्ध के मैदान तक, आज देश अपनी बेटियों के शौर्य पर अभूतपूर्व भरोसा कर रहा है। हमारी सेना ने पहली बार सैनिक स्कूलों के दरवाज़े बेटियों के लिए खोले हैं। 2014 से पहले एनसीसी में सिर्फ 25 प्रतिशत कैडेट्स ही बेटियां होती थीं, आज उनकी संख्या 50 प्रतिशत की तरफ आगे बढ़ रही है। कल के दिन देश में एक औऱ नया इतिहास बना है। आज अखबार में देखा होगा आपने, नेशनल डिफेंस एकेडमी यानी NDA से महिला कैडेट्स का पहला बैच पास आउट हुआ है। आज सेना, नौसेना और वायुसेना में बेटियां अग्रिम मोर्चे पर तैनात हो रही हैं। आज फाइटर प्लेन से लेकर INS विक्रांत युद्धपोत तक, वीमेन ऑफीसर्स अपनी जांबाजी दिखा रही हैं।

साथियों,

हमारी नौसेना की वीर बेटियों के साहस का ताज़ा उदाहरण भी देश के सामने है। आपको मैं नाविका सागर परिक्रमा के बारे में बताना चाहता हूं। नेवी की दो वीर बेटियों ने करीब ढाई सौ दिनों की समुद्री यात्रा पूरी की है, धरती का चक्कर लगाया है। हज़ारों किलोमीटर की ये यात्रा, उन्होंने ऐसी नाव से की जो मोटर से नहीं बल्कि हवा से चलती है। सोचिए, ढाई सौ दिन समंदर में, इतने दिनों तक समंदर में रहना, कई कई हफ्ते तक जमीन के दर्शन तक नहीं होना और ऊपर से समंदर का तूफान कितना तेज होता है, हमें पता है, खराब मौसम, भयानक तूफान, उन्होंने हर मुसीबत को हराया है। ये दिखाता है, कि चुनौती कितनी भी बड़ी हो, भारत की बेटियां उस पर विजय पा सकती हैं।

साथियों,

नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन हों या फिर सीमापार का आतंक हो, आज हमारी बेटियां भारत की सुरक्षा की ढाल बन रही हैं। मैं आज देवी अहिल्या की इस पवित्र भूमि से, देश की नारीशक्ति को फिर से सैल्यूट करता हूं

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साथियों,

देवी अहिल्या ने अपने शासनकाल में विकास के कार्यों के साथ साथ विरासत को भी सहेजा। आज का भारत भी विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चल रहा है। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को देश कैसे गति दे रहे है, आज का कार्यक्रम इसका उदाहरण है। आज मध्य प्रदेश को पहली मेट्रो सुविधा मिली है। इंदौर पहले ही स्वच्छता के लिए दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है। अब इंदौर की पहचान उसकी मेट्रो से भी होने जा रही है। यहां भोपाल में भी मेट्रो का काम तेज़ी से चल रहा है। मध्य प्रदेश में, रेलवे के क्षेत्र में व्यापक काम हो रहा है। कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने रतलाम-नागदा रूट को चार लाइनों में बदलने के लिए स्वीकृति दे दी है। इससे इस क्षेत्र में और ज्यादा ट्रेनें चल पाएंगी, भीड़भाड़ कम होगी। केंद्र सरकार ने इंदौर–मनमाड रेल परियोजना को भी मंजूरी दे दी है।

साथियों,

आज मध्य प्रदेश के दतिया और सतना भी हवाई यात्रा के नेटवर्क से जुड़ गए हैं। इन दोनों हवाई अड्डों से बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में एयर कनेक्टिविटी बेहतर होगी। अब माँ पीतांबरा, मां शारदा देवी और पवित्र चित्रकूट धाम के दर्शन करना और सुलभ हो जाएगा।

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साथियों,

आज भारत, इतिहास के उस मोड़ पर है, जहां हमें अपनी सुरक्षा, अपने सामर्थ्य और अपनी संस्कृति, हर स्तर पर काम करना है। हमें अपना परिश्रम बढ़ाना है। इसमें हमारी मातृशक्ति, हमारी माताओं-बहनों-बेटियों की भूमिका बहुत बड़ी है। हमारे सामने लोकमाता देवी अहिल्याबाई जी की प्रेरणा है। रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, रानी कमलापति, अवंतीबाई लोधी, कित्तूर की रानी चेनम्मा, रानी गाइडिन्ल्यू, वेलु नाचियार, सावित्री बाई फुले, ऐसे हर नाम हमें गौरव से भर देते हैं। लोकमाता अहिल्याबाई की ये तीन सौवीं जन्मजयंती, हमें निरंतर प्रेरित करती रहे, आने वाली सदियों के लिए हम एक सशक्त भारत की नींव मजबूत करें, इसी कामना के साथ आप सभी को फिर से एक बार बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। अपना तिरंगा ऊपर उठाकर के मेरे साथ बालिए –

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!