भारत माता की 'जय'!

अमेरिका में बसे हुए मेरे प्‍यारे भाईयों और बहनों!

आज इस समारोह में विशेष रूप से उपस्थित अमेरिका की राजनीति के सभी श्रेष्‍ठ महानुभाव और भारत में भी टीवी और इंटरनेट के माध्‍यम से कार्यक्रम को देख रहे सभी भाईयों-बहनों!

आज कई लोग इस सभागृह में पहुंच नहीं पाएं है, वो बाहर खड़े हैं, उनका भी मैं स्‍मरण करता हूं। आप सब को नवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं!

नवरात्रि का पर्व, ये शक्ति उपासना का पर्व है। नवरात्रि का पर्व शुद्धिकरण का पर्व है। नवरात्रि का पर्व समर्पण भाव को अधिक तीव्र बनाने का पर्व है। ऐसे पावन पर्व पर मुझे आप सबसे मिलने का अवसर मिला है, मैं बहुत भाग्‍यशाली हूं कि मेरे देशवासी, जिन्‍होंने हजारों मील दूर यहां रहकर के भारत की इज्‍जत को बढ़ाया है। भारत की आन-बान-शान को बढ़ाया है। वरना एक जमाना था, हमारे देश को सांप-सपेरों वालों का देश माना जाता था। अगर आप न होते, हमारे देश की युवा पीढ़ी न होती, Information Technology के क्षेत्र में आप लोगों ने जो कमाल करके दिखाया है, वो न होता तो आज भी दुनिया शायद हमें सांप-सपेरों का ही देश मानती।

मैं कुछ वर्ष पहले ताइवान गया, तब तो मैं मुख्‍यमंत्री नहीं था, प्रधानमंत्री नहीं था। एक Interpreter मेरे साथ था। कुछ दिन साथ रहने के बाद परिचय हो गया। एक दिन वो मुझे पूछता है कि आपको अगर बुरा न लगे तो मैं आपको एक सवाल पूछना चाहता हूं। मैंने कहा मुझे बुरा नहीं लगेगा, पूछिए क्‍या पूछना चाहते हैं। उसने बोला, आपको बुरा नहीं लगेगा न! मैंने कहा नहीं लगेगा, पूछिए क्‍या पूछना चाहते हैं। फिर भी वो झिझक रहा था। फिर उसने कहा कि मैंने सुना है कि भारत में तो काला जादू होता है, Black Magic होता है। सांप-सपेरे का देश है। लोग सांप को ही खेल करते रहते हैं, यही है क्‍या? मैंने कहा नहीं! हमारे देश का अब बहुत Devaluation हो गया है। मैंने कहा हमारे पूर्वज तो सांप के साथ खेलते थे, लेकिन हम Mouse के साथ खेलते हैं। हमारे नौजवान Mouse को घुमाते हैं, सारी दुनिया को डुलाते हैं।

आप सबने अपने व्‍यवहार के द्वारा, अपने संस्‍कारों के द्वारा, अपनी क्षमता के द्वारा अमेरिका के अंदर बहुत इज्‍जत कमाई है। आपके माध्‍यम से, न सिर्फ अमेरिका में, बल्कि अमेरिका में बसने वाले और देशों के लोगों के कारण भी, दुनिया में भी भारत के लिए एक सकारात्‍मक पहचान बनाने में आपकी बहुत बड़ी अहम भूमिका रही है। भारत में अभी-अभी चुनाव हुए। आपमें से बहुत लोग होंगे जिनको चुनाव में मतदान करने का सौभाग्‍य नहीं मिला। लेकिन आप सभी होंगे, जिस दिन नतीजे आए होंगे, आप सोये नहीं होंगे।

यहां एक भी व्‍यक्ति ऐसा नहीं होगा जो उस रात सो पाया होगा। जितना जश्‍न हिन्‍दुस्‍तान मना रहा था, उससे भी कई गुणा ज्‍यादा जश्‍न दुनिया भर में फैला हुआ भारतीय समाज मना रहा था। आपमें से बहुत सारे लोग भारत के चुनाव अभियान के साथ जुड़े थे, वो आए थे, अपना समय दिया था। मैं उनको मिल कर Thanks भी नहीं कह पाया था। आज, मैं सबको Thanks कहता हूं, रूबरू आकर कहता हूं कि आप आए, हिन्‍दुस्‍तान के गांवों में महीनों तक रहे। भारत के लोकतंत्र में एक अभूतपूर्व विजय की घटना घटी। इसे चरितार्थ करने में आपका योगदान रहा।



30 साल के बाद! आप लोग 30 साल के बाद से परिचित हैं। 30 साल के बाद भारत में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनी। ये चुनाव नतीजे, हिन्‍दुस्‍तान के किसी Political पंडित के गले ये परिणाम नहीं उतरते थे। Opinion Makers भी Opinion बनाने में असफल रहे। हिन्‍दुस्‍तान के गांव, गरीब, अनपढ़ लोगों ने Opinion Maker का Opinion बना दिया। गरीब से गरीब व्‍यक्ति की भी लोकतंत्र में कितनी निष्‍ठा है, लोकतंत्र में उसकी कितनी अहमियत है, इसका उदाहरण, ये भारत के चुनाव ने बताया है। लेकिन चुनाव जीतना, वो सिर्फ पद ग्रहण नहीं होता। चुनाव जीतना, वो किसी कुर्सी पर विराजने का कार्यक्रम नहीं होता। चुनाव जीतना, एक जिम्‍मेदारी होती है।

जब से मैंने इस कार्य का दायित्‍व संभाला है, 15 मिनट भी vacation नहीं लिया। हम एक भी vacation नहीं लेंगे और मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं। हिंदुस्‍तान में आपने मुझे जो दायित्‍व दिया है, देशवासियों ने जो दायित्‍व दिया है, हम ऐसा कभी कुछ भी नहीं करेंगे, जिनके कारण आपको नीचा देखने की नौबत आए। हमारे देश में एक ऐसा उमंग और उत्‍साह का माहौल है। देश के लोग बदलाव चाहते हैं। देश बदलाव चाहता है। विश्‍व जिस प्रकार से आर्थिक गतिविधियों से आगे बढ़ रहा है, भारत का गरीब से गरीब व्‍यक्ति भी कहने लगा है, कब तक ऐसे जियेंगे। बदलाव चाहता है, और मेरे सारे देशवासियों, मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं, भारत की आर्थिक स्थिति को बदलने में, भारत के सामाजिक जीवन में सामर्थ देने में, भारत के व्‍यक्तिगत जीवन में quality of life के लिए आपने जिस सरकार को चुनाव है, वह कोई कमी रखेगी।

मैं इस बात को भली-भांति जानता हूं कि यहां बैठे हुए आप सब के मन में भी भारत के लिए वर्तमान सरकार से अनेक-अनेक अपेक्षाएं हैं। भारत के नागरिकों के मन में भी भारत के लिए वर्तमान सरकार से अनेक-अनेक अपेक्षाएं हैं। लेकिन मैं विश्‍वास से कह सकता हूं, ये सरकार अपने कार्यकाल के दरम्यान जन सामान्‍य की आशा-आकांक्षाओं को पूर्ण करने में शत-प्रतिशत सफल होगी।

जब मैं गुजरात का मुख्‍यमंत्री था तो एक बार मैंने एक कार्यक्रम में कहा था, मैंने कहा- जिसको हिंदुस्‍तान वापस आना है, जल्‍दी आइए, देर मत कीजिए।तब मुझे पता नहीं था कि ये दायित्‍व मेरे जिम्‍मे आपने वाला है लेकिन अब यहां रहने वाला हर व्‍यक्ति, कितने ही सालों से अमेरिका में बसा हो अब उसको भी लगने लगा है, एक पैर तो हिंदुस्‍तान में रखना ही चाहिए। मेरे प्‍यारे देशवासियों, सारा विश्‍व इस बात में convince है कि 21वीं सदी एशिया की सदी हैं। अमेरिका के भी गणमान्‍य राजनेताओं ने पब्लिकली ये कहा है कि 21वीं सदी, कोई कहता है एशिया की सदी है, कोई कहता है हिंदुस्‍तान की सदी है।

ऐसे ही नहीं कहा जाता है, भारत के पास वो सामर्थ्‍य है, वो संभावनाएं है, और अब संजोग भी है। इसलिए आप कल्‍पना कीजिए, आज हिंदुस्‍तान दुनिया का सबसे नौजवान देश है। दुनिया की सबसे पुरातन संस्‍कृति वाला देश और दुनिया का सबसे नौजवान देश। एक ऐसा अद्भुत मिलन है, ऐसा अद्भुत संयोग पैदा हुआ है, आज भारत में 65% population 35 age group से नीचे है। 35 से कम आयु के 65% जिस देश के पास नौजवान हो, जिसके पास ऐसी सामर्थ्‍यवान भुजाएं हों, जिसकी अंगुलियों में कंप्‍यूटर के माध्‍यम से दुनिया से जुड़ने की ताकत पड़ी हो, जिस देश का नौजवान अपने सामर्थ से अपना भविष्‍य बनाने के लिए कृत संकल्‍प हो, उस देश को पीछे मुड़कर के देखने की आवश्‍यकता नहीं है।

निराशा का कोई काम नहीं है साथियों। मैं बहुत विश्‍वास के साथ कहता हूं, ये देश बहुत तेज गति से आगे बढ़ने वाला है। इन नौजवानों के सामर्थ से आगे बढ़ने वाला है। भारत के पास तीन ऐसी चीजें हैं आज जो दुनिया के किसी भी देश के पास नहीं है। लेकिन हमारा दायित्‍व बनता है कि हमारी इन तीन शक्तियों को हम पहचानें। हमारी इन तीन शक्तियों को विश्‍व के सामने प्रस्‍तुत करें। हमारी इन तीन शक्तियों को एक-दूसरे के साथ जोड़कर के mobilise करें, तीव्र गति से आगे बढ़े।

वो तीन चीजें हैं, जब सवा सौ करोड़ देशवासियों ने आर्शीवाद दे दिया तो वो ईश्‍वर का ही आर्शीवाद होता है। जनता जनार्दन ईश्‍वर का रूप होता है। जनता जनार्दन वो भगवान का रूप होता है और जब जनता जनार्दन का आर्शीवाद होता है तो वह स्‍वयं परमात्‍मा का आर्शीवाद होता है। वो तीन चीजें, जिसके लिए भारत गर्व कर सकता है और जिसके आधार पर भारत आगे बढ़ सकता है।

एक डेमोक्रेसी, लोकतंत्र। ये हमारी सबसे बड़ी ताकत है, सबसे बड़ी पूंजी है। मैं देख रहा था, जब चुनाव अभियान, मई महीने की भयंकर गर्मी। बदन पर कपड़े ना हो, ऐसा गरीब व्‍यक्ति भी जनसभाओं में सुनने के लिए पहुंचाता था, उस आशा के साथ पहुंचता था। यही लोकतंत्र है, जिस लोकतंत्र के माध्‍यम से आशा आकाक्षाओं को पूर्व करता है। भारत में लोकतंत्र सिर्फ व्‍यवस्‍था नहीं है। भारत में लोकतंत्र आस्‍था है। आस्‍था है, विश्‍वास है।

दूसरी ताकत है Demographic Dividend. जिस देश के पास 35 से कम उम्र के 65 प्रतिशत नौजवान हों, इससे बड़ा इस देश को और क्‍या चाहिए! इससे बड़ी क्‍या सम्‍पदा हो सकती है! और तीसरी बात, demand. पूरा विश्‍व भारत की तरफ नज़र कर रहा है। क्‍यों! क्‍योंकि उसे मालूम है सवा सौ करोड़ का देश है, बहुत बड़ा बाजार है, बहुत ज्‍यादा demand है। ये तीनों चीज़ें किसी एक देश के पास हो, ऐसा आज दुनिया में कहीं नहीं है। इसी सामर्थ्‍य के आधार पर, इसी शक्ति के भरोसे भारत नई ऊंचाईयों को पार करेगा, ये मेरा विश्‍वास है।

अमेरिका दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। सारी दुनिया के लोग अमेरिका में आ करके बसे हैं और भारत के लोग सारी दुनिया में जा करके बसे हैं। दुनिया का कोई कोना नहीं होगा जहां आपको भारतीय न मिले। अमेरिका का कोई शहर ऐसा नहीं है जहां दुनिया का कोई नागरिक न मिले। कितनी मिली-जुली बातें हैं! और इसलिए भाईयों-बहनों! भारत आने वाले दिनों में ……मेरा स्‍पष्‍ट मत रहा है कि सरकारें विकास नहीं कर पाती है। सरकार ज्‍यादा से ज्‍यादा अपनी स्‍कीम लागू कर सकती है। रोड बना लेगी, अस्‍पताल बना लेगी, स्‍कूल बना लेगी। उसकी बजट की सीमाएं होती हैं। विकास तब होता है जब जन-भागीदारी होती है। दुर्भाग्‍य से अब तक हमारे देश में सरकारों ने development का ठेका लिया था। हमने, development की जिम्‍मेदारी, मिलजुल कर सवा सौ करोड़ देशवासी और सरकार मिल करके करेंगे, ये रास्‍ता हमने अपनाया।

हमारे देश में एक और दिक्‍कत है.. और अगर देश को प्रगति करनी है तो सरकार का दायित्‍व बनता है- Good Governance. आप लोग भी.. आपकी क्‍या शिकायत होती होगी- यही न कि साहब, airport पर उतरे थे.. ऐसा हुआ; Visa लेने गए थे.. पता नहीं । भले ही मैं हज़ारों मील दूर रहता हूं आपसे, लेकिन आपके दर्द को भी भलीभांति जानता हूं। आपकी पीड़ा को मैं भलीभांति जानता हूं और इसलिए भाईयो-बहनों! हमारी ये कोशिश है कि हम विकास को एक जन-आंदोलन बनाएं और जब मैं विकास को जन-आंदोलन बनाने की बात कहता हूं….!

हम लोग आज़ादी के इतिहास से भलीभांति परिचित हैं। अंग्रेज़ लोग हमारे देश में शासन करते थे, उसके पहले कई लोगों ने हमारे देश पर शासन किया। करीब हज़ार 12 सौ साल तक हम गुलाम रहे, लेकिन अगर इतिहास देखेंगे, हर समय कोई न कोई ऐसा महापुरूष मिला है, जिसने देश के लिए बलिदान दिया है। आप सिक्‍ख परम्‍परा के सभी गुरूओं के नाम लो, एक के बाद एक! देश के लिए कितना बलिदान! भगत सिंह त‍क उस परम्‍परा को देखिए। आज भी सीमा पर हमारे सरदार देश के लिए जीने-मरने को तैयार होते हैं।

हर युग में, हर युग में महापुरूषों ने देश के लिए बलिदान दिए हैं। लेकिन! वो बलिदान देते थे, फांसी पर चढ़ जाते थे, विदेशियों की गोलियों का शिकार हो जाते थे। फिर कोई नया पैदा होता था, फिर वो कुछ करता था, फिर वो खत्‍म होता था, फिर कोई तीसरा पैदा होता था। मरने वालों की संख्‍या कम नहीं थी, लेकिन वो अकेला आता था देश के लिए जी-जान से लड़ जाता था, शहीद हो जाता था। पांच-पचास अपने यार-दोस्‍तों की टोली ले करके लड़ पड़ता था। लेकिन महात्‍मा गांधी जी ने क्‍या किया!

महात्‍मा गांधी जी ने आज़ादी को जन-आंदोलन बना दिया। कोई खादी पहनता है, तो आज़ादी के लिए पहनता है, कोई किसी बच्‍चे को पढ़ाता है तो आज़ादी के लिए पढ़ाता है, कोई किसी भूखे को खाना खिलाता है तो आज़ादी के लिए खिलाता है, कोई सफाई करता है, झाडू लगाता है तो आज़ादी के लिए। उन्‍होंने हर व्‍यक्ति को उसकी क्षमता के अनुसार, ये दिशा दी, ये सामर्थ्‍य दिया और हर हिन्‍दुस्‍तानी को लगने लगा कि मैं भी आज़ादी की लड़ाई लड़ रहा हूं। ये महात्‍मा गांधी का सबसे बड़ा contribution था।

आज़ादी की जंग में पूरे हिन्‍दुस्‍तान को, हर नागरिक को अपने काम के माध्‍यम से ही.. ये मैं देश के लिए करता हूं ये भाव जगा करके आज़ादी के आंदोलन को एक नई ताकत दी थी। भाईयों-बहनों! जिस प्रकार से आज़ादी का आंदोलन एक जन-आंदोलन था, वैसे ही विकास.. ये जन-आंदोलन बनना जरूरी है। हिन्‍दुस्‍तान के सवा सौ करोड़ देशवासियों को लगना चाहिए कि मैं बच्‍चों को अच्‍छी तरह शिक्षा देता हूं, मैं भले ही शिक्षक हूं, मैं देश की सेवा कर रहा हूं, मैं प्रधानमंत्री से भी अच्‍छा काम कर रहा हूं। एक सफाई करने वाला सफाई कर्मचारी होगा, वो अच्‍छी सफाई करता है, क्‍यों! क्योंकि मेरे देश के शान बान के लिए काम करता हूं। यहां गंदगी नहीं होनी चाहिए। यह देश सेवा होगी। एक डाक्‍टर भी गरीब परिवार के मरीज की सेवा करेगा, और सेवाभाव से करेगा। गरीब की जिंदगी भी मूल्‍यवान होती है और वह डॉक्‍टर भी राष्‍ट्रभक्ति के लिए काम करता है।

मेरी कोशिश यह है कि विकास एक जन आंदोलन बने। सवा सौ करोड़ देशवासी, ये विकास के जन आंदोलन का हिस्‍सा बने। और हर कोई, जो भी करता है, मैं देश के लिए करूं। मैं ऐसा कोई काम नहीं करूंगा, जिसके कारण मेरे देश को नुकसान हो, ये भाव मुझे जगाना है। और मुझे विश्‍वास है और मुझे विश्‍वास है कि फिर एक बार वो दिन आए। फिर एक बार माहौल बना है, हर कोने में हिन्दुस्तानी को लगता है कि अब देश को आगे ले जाना है। इसी सवा सौ करोड़ देशवासियों की इच्‍छाशक्ति, यही मेरा संबल है, यही मेरी ताकत है। इसी पर मेरा भरोसा है, जिसके कारण 21वीं सदी का नेतृत्‍व हिंदुस्‍तान के करने की पूरी संभावना है।

हमारे नौजवान, आने वाले दिनों में, आप लोग जो पढ़ते होंगे, उनको पता होगा, 2020 के समय आते-आते दुनिया में इतनी बड़ी मात्रा में वर्ककोर्स की जरूरत पड़ने वाली है। इनके यहां सब बूढ़े-बूढ़े सब लोग होंगे। दुनिया के पास काम करने वाले लोग नहीं होंगे। हम पूरी दुनिया को workforce supply कर पाएंगे। आज पूरे विश्‍व को नर्सिंग क्षेत्र में इतनी मांग है। अगर भारत से हम नर्सिंग की training करके दुनिया में भेजें तो उनके लिए बहुत बड़ा उपकार है। आज विश्‍व को teachers की मांग है। Maths और Science के teachers नहीं मिलते। क्‍या भारत ये teachers export नहीं कर सकता है। जिस देश के पास नौजवान हो, वह नौजवानों की क्षमता बढ़ा करके, विश्‍व में जिस प्रकार के manpower की जरूरत है, भारत अपनी युवा शक्ति के माध्‍यम से दुनिया में छा जाने की ताकत रखता है। दुनिया में जगह बनाने की ताकत रखता है।

भारत के नौजवानों का talent, दुनिया को उसका लोहा मानना पड़ेगा मेरे भाइयों-बहनों। आप लोगों ने यहां आकर के क्‍या कमाल नहीं किया है। आखिरकर जो अनाज खाकर के आप आए हैं, जो पानी पीकर के आप आए हैं, वही तो अनाज-पानी हम भी तो खा रहे हैं। अगर आप कर सकते हैं तो हम क्‍यों नहीं कर सकते? हम भी कर सकते हैं। talent देखिए इस देश की।

आपको अहमदाबाद में अगर एक किलोमीटर ऑटो रिक्‍शा में जाना है तो करीब 10 रुपये खर्च होते हैं। एक किलोमीटर अगर ऑटो रिक्‍शा में जाना है तो 10 रुपए खर्च होते हैं। भारत के talent का कमाल देखिए 650 million किलोमीटर, 65 करोड़ किलोमीटर Mars की यात्रा की हमने और सारा Indigenous, छोटे-छोटे कारखानों में पुर्जें बने थे, उसको इकट्ठा करके Mars का प्रयोग किया गया। अहमदाबाद में 1 किलोमीटर ऑटो रिक्‍शा में जाना है तो 10 रुपये लगते हैं, हमें मार्स पर पहुंचने में सिर्फ 7 रुपये लगे एक किलोमीटर पर। 7 रुपये में 1 किलोमीटर, यह हमारी talent नहीं है तो क्‍या है। यह हमारे नौजवानों का सामर्थ्‍य नहीं है तो क्‍या है? इतना ही नहीं, दुनिया में हिंदुस्‍तान पहला देश है जो पहले ही प्रयास में Mars पर पहुंचने में सफल हुआ है।

अमेरिका और भारत सिर्फ नीचे ही बात कर रहे हैं, ऐसा नहीं है, Mars में भी बात कर रहे हैं। 22 तारीख को अमेरिका पहुंचा, 24 को हम पहुंच गए और इतना ही नहीं, हॉलीवुड की फिल्‍म बनाने का जितना बजट होता है, उससे कम बजट में Mars पर पहुंच गया।

जिसके पास ये talent हो, जिस देश के पास ये सामर्थ्‍य हो, वह देश कई नई ऊंचाइयों को पार कर सकता है और उसको पार करने के लिए हमने एक बीड़ा उठाया है, Skill Development। हमारे नौजवानों में, उसके हाथ में हुनर हो, काम करने का अवसर हो, तो एक आधुनिक हिंदुस्‍तान खड़ा करने की उसकी ताकत होती है। इसलिए Skill Development पर हमने बल दिया है। नई सरकार बनने के बाद Skill Development के लिए अलग ministry बना दी गई है। और पूरी शक्ति और हम इसमें दुनिया के देशों के अनुभव को भी share करने वाले हैं। हम उनको निमंत्रण देने वाले है, आइए, Skill Development में हमारे साथ जुडि़ये। विश्‍व की Skill Universities हैं, आए, हमारे साथ जुड़े। हम इस प्रकार का Skill Development करना चाहते हैं, जिसमें हमारे दो इरादे है। एक वो Skill Development जो लोग तैयार होकर के Job Creator बने, दूसरा वो जिनकी Job Creator बनने की संभावना नहीं है, पर Job पाने के लिए पहली पसंद में पसंद हो जाए, उस प्रकार का वो नौजवान तैयार हो।

हमारे यहां कुछ वर्षों पहले बैंकों का राष्‍ट्रीयकरण हुआ था, Nationalisation हुआ था बैंकों का। इस इरादे से हुआ था कि गरीब से गरीब व्‍यक्ति को, भारत की जो मुख्‍य धारा है आर्थिक, बैंकिंग क्षेत्र, Financial क्षेत्र, उसका उन्‍हें सदभाग्‍य मिला और बहुत बड़ा राजनीतिक एजेंडा बन गया था। जो लोग 70’s के इतिहास के कालखंड को जानते होंगे, उनको मालूम होगा। देखिए हुआ क्‍या, इतनी सारी बैंक होने के बाद भी भारत में 50% परिवार ऐसे हैं, जिनका बेचारों को बैंक में खाता ही नहीं है और उसके कारण वह साहूकार से ब्‍याज पर पैसे लेता है। गरीब आदमी को साहूकार कैसे लूटता है, आपको मालूम है।

मेरे गौरा समाज के लोग यहां बैठे है, उनको पता है। क्‍या सरकारी खजाना गरीबों की भलाई के लिए नहीं उपयोग होना चाहिए? क्‍या सरकारी खजाना सिर्फ अमीरों के लिए होना चाहिए। इसलिए हमने एक आते ही प्रधानमंत्री जनधन योजना को लांच किया और मैं आज बड़े गर्व के साथ कहता हूं। सरकार चलती है, इसका सबूत क्‍या है? सिर्फ दो सप्‍ताह के भीतर भीतर 4 करोड़ परिवारों के खाते खोलने में ये बैंक वाले घर-घर गए थे। आपने कभी सोचा है कि बैंक वाला आपके घर आए। पोस्‍ट वाला तो आता है बेचारा, बैंक वाला कभी नहीं आता है। स्थिति बदली जा सकती है, लोगों को Motivate किया जा सकता है और परिणाम प्राप्‍त किया जा सकता है।

हमने यह कहा था कि zero-balance से account खोला जाएगा। लेकिन मेरे देश के नागरिकों की ईमानदारी देखिए! मोदी ने भले ही कहा कि जीरो बैलेंस से अकांउट खोलूंगा लेकिन इन नागरिकों ने 15 सौ करोड़ रुपया बैंक में जमा करवाया। अब मुद्दा इस बात का है कि गरीब से गरीब व्‍यक्ति भी देश के विकास में अपनी भागीदारी को किस प्रकार से करता है उसका ये जीता-जागता उदाहरण है। यही चीज़ें हैं जो बदलाव लाती है।

भारत के पास बहुत संभावनाएं हैं। मैंने अभी एक कार्यक्रम launch किया है और पूरे विश्‍व को निमंत्रण देता हूं, मैं यहां बैठे हुए आपको भी निमंत्रण देता हूं। मेरा निमंत्रण इस बात के लिए है- Make In India. अगर आज, आपको Human Recourses चाहिए, आपको Effective Governance चाहिए, अगर आपको Low Cost Production चाहिए तो भारत से बड़ी कोई अवसर की जगह नहीं हो सकती भाईयों! हम इस पर बल दे रहे हैं और ‘Make in India’ के लिए…..!

आखिरकार बाहर से आते समय लोग क्‍या कहते है.. कि साहब, आते तो हैं लेकिन सरकार में इतने धक्‍के खाने पड़ते हैं, इधर जाएं, उधर जाएं। अब मैं आपको कहता हूं- वो दिन चले गए। Online सारी व्‍यवस्‍था है और इस ‘Make In India’ Campaign से तो आप अपने मोबाइल फोन से सरकार के साथ जुड़ सकते हैं, यहां तक उसको Develop किया है। आप अपना application, अपनी बातें, अपनी requirement मोबाइल फोन के जरिए भारत सरकार को दे सकते है।

यहां जो नौजवान हैं, जो देश के लिए कुछ करना चाहते हैं, यहां जो पहली पीढ़ी के लोग हैं, जो बुर्जुग लोग हैं, जिनके मन में है कि देश के लिए कुछ करना है उनसे मैं आग्रह करता हूं कि मेरी एक Website है- www.mygov.in उसमें मैंने आपके सुझावों के लिए, आप अगर जुड़ना चाहते हैं, उसके लिए बहुत अच्‍छी व्‍यवस्‍था रखी है। मैं चाहता हूं कि आज इसको आज, यहां से जाने के बाद आप चेक किजिए और देखिए कि आप कहां मेरे साथ जुड़ सकते हैं। आप आईये। भारत का भाग्‍य बदलने के लिए हम सब की इच्‍छा है। आप उसके साथ जुडि़ए। Technology का सर्वाधिक प्रयोग करके हम अपनी ताकत का परिचय कर सकते हैं, हम अपनी ताकत का Contribution भी कर सकते हैं।

‘Make in India’, ease of business. हमारे यहां पहली जो सरकारें थी वे इस बात का गर्व करती थीं कि हमने ये कानून बनाया, हमने वो कानून बनाया, हमने फलाना कानून बनाया, हमने ढिकाना कानून बनाया। आपने पूरे चुनाव के Campaign में देखा होगा, यही बातें चलती थीं। हमने ये कानून बनाया, हमने वो कानून बनाया। मैंने काम दूसरा शुरू किया है। मैंने, कानून जितने पुराने हैं, बेकार कानून हैं, सबको खत्‍म करने का काम शुरू किया है। इतने out-dated कानून! ऐसा कानूनों का जाल! कोई भी व्‍यक्ति बेचारा एक बार अंदर गया तो बाहर नहीं निकल सकता। मैंने Specially Expert लोगों की कमेटी बनाई है, उनको कहा है- निकालो! अगर हर दिन एक कानून मैं खत्‍म कर सकता हू्ं तो मुझे सबसे ज्‍यादा आनंद होगा।

अगर Good Governance की बात मैं बात करता हूं तो Governance easy हो, effective हो और Governance जन-सामान्‍य की आशाओं, आकांक्षाओं की पूर्ति लिए होना चाहिए, उस पर हम बल दे रहे हैं।

आपने अखबारों में पढ़ा होगा। अखबारों में छपता था कि आजकल दिल्‍ली में सरकारी अफसर समय पर दफ्तर पहुंचते हैं। अब मुझे बताइये भइया, कि ये कोई न्‍यूज़ है क्‍या! लेकिन हमारे देश में ये खबर थी सरकारी अफसर समय पर दफ्तर जाते हैं। ये समाचार मुझे इतनी पीड़ा देते थे कि क्‍या समय पर जाना जिम्‍मेदारी नहीं है क्‍या? ये कोई खबर होती है क्‍या! लेकिन हालात ऐसे बने हुए थे।

इन दिनों मैंने एक अभियान चलाया है- सफाई का अभियान। मैं जानता हूं आपको, सबको ये प्रिय होगा। लोगों को लगेगा कि प्रधानमंत्री को तो कितने बड़े-बड़े काम करने चाहिए। ये काम कोई प्रधानमंत्री के करने के काम हैं! भाईयों मैं नहीं जानता कि करने वाले काम हैं या नहीं लेकिन मैंने तय किया है कि टॉयलेट बनाने का काम करुंगा।

कभी-कभी लोग मुझसे पूछते हैं- मोदी जी बड़ा vision बताओ ना! बड़ा vision! मैंने उनको कहा देखिए, मैं चाय बेचते-बेचते यहां आया हूं। मैं एक बहुत ही छोटा इंसान हूं। मैं बहुत ही सामान्य इंसान हूं। मेरा बचपन भी ऐसा ही बीता है और छोटा हूं इसलिए मेरा मन भी छोटे-छोटे काम करने में लगता है। छोटे-छोटे लोगों के लिए काम करने में मेरा मन लगता है। लेकिन छोटा हूं इसलिए छोटे-छोटे लोगों के लिए बड़े-बड़े काम करने का इरादा रखता हूं।

अब देखिए हमारे देश में, गंगा.. आप मुझे बताइए आप में से कोई ऐसा होगा जिसके मन की यह इच्छा नहीं होगी कि अपने मां-बाप को कभी न कभी तो गंगा स्नान के लिए ले जाए। हर एक के मन की यह इच्छा रही होगी। लेकिन जब पढ़ता है कि गंगा इतनी मैली हो गई है, उसको लगता है कि……!

आप मुझे बताइए भैया, हमारी गंगा शुद्ध होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए गंगा? गंगा साफ होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए। सफाई में सारे देशवासियों को मदद करनी चाहिए कि नहीं करनी चाहिए। आप लोगों के भी गंगा सफाई में मेरी मदद करनी है कि नहीं करनी है। पक्का करोगो?

भाइयों-बहनों, हजारों करोड़ रुपए अब तक खर्च हो चुके हैं। मैंने जब ये बात उठाई तो लोग कहते हैं मोदी जी आप अपने आप को मार रहे हो। ऐसी चीजों को क्यों हाथ लगाते हो? अगर सरल चीजों को हाथ लगाना होता तो लोग मुझे प्रधानमंत्री नहीं बनाते। मुश्किल कार्यों को तो हाथ लगाने के लिए ही तो मुझे बनाया है। मेरी सवा सौ करोड़ देशवासियों की गंगा के प्रति जो आस्था है, उस आस्था में मेरी भी आस्था है और गंगा की सफाई, ये आस्था से जुड़ा हुआ विषय तक सीमित नहीं है।

आज दुनिया में climate को लेकर जितनी चिंता होती है, पर्यावरण को लेकर के जितनी चिंता होती है, उस दृष्टि से भी गंगा की सफाई आवश्यक है। इतना ही नहीं, गंगा के किनारे की जो आवस्था है, उत्तराखंड हो, उत्तर प्रदेश है, बिहार हो, बंगाल हो। करीब-करीब भारत की 40 प्रतिशत जनसंख्या की आर्थिक गतिविधि ये गंगा मैया पर निर्भर है। अगर वह गंगा फिर से प्राणवान बनती है, सामर्थवान बनती है, तो मेरे सारे 40 प्रतिशत जनसंख्या वहां का किसान होगा, वहां का कारीगर होगा, उनकी जिदंगी में बदलाव आएगा और इसलिए यह एक बहुत बड़ा economic agenda भी है ये।

150 वर्ष हो रहे हैं महात्मा गांधी को, 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती आ रही है। महात्मा गांधी ने हमें आजादी दी, हमने महात्मा गांधी क्या दिया। मुझे बताइए, ये सवाल हमें, हर हिंदुस्तानी को पूछना चाहिए कि नहीं पूछना चाहिए। जिस गांधी ने हमें आजादी दी, उस गांधी को हमने क्या दिया। कभी गांधी मिल जाएंगे, जब पूछेंगे तो जवाब कुछ दे पाएंगे क्या? और इसलिए 2019 में जब महात्मा गांधी के 150 वर्ष पूरे हों, तब पूरा भारत ये संकल्प करे, हम महात्मा गांधी को जो सबसे प्रिय जो चीजें थी, वह दें।

एक उनको प्रिय था हिंदुस्तान की आजादी और दूसरा उनको प्रिय था सफाई। गांधी जी स्वच्छता में कभी Compromise नहीं करते थे। बड़े अडिग रहते थे। गांधीजी ने हमें आजादी दिलाई थी। भारत मां को गुलामी की जंजीरों से मुक्त किया। क्या भारत मां को गंदगी से मुक्त करना, यह हमारी जिम्मेवारी है या नहीं है। क्या हम 2019 में जब गांधीजी की 150 वीं जयंती आए, तब महात्मा गांधी के चरणों में स्वच्छ-साफ हिंदुस्तान उनके चरणों में दे सकते हैं कि नहीं दे सकते हैं? जिस महापुरुष ने हमें आजादी दी, उस महापुरुष को हम ये दे सकते हैं कि नहीं दे सकते हैं? देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए? ये जिम्मेदारी उठानी चाहिए कि नहीं उठानी चाहिए? अगर एक बार सवा सौ करोड़ देशवासी तय कर लें कि मैं गंदगी नहीं करुंगा, तो दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो हिंदुस्तान को गंदा कर सकती है।

सन 2022 में हमारी आजादी के 75 साल होंगे। हमारे यहां जब 75 साल होते हैं जीवन में, बड़ा महत्व होता है। भारत की परंपरा में 75 साल बड़े महत्वपूर्ण माने जाते हैं। आजादी के 75 साल कैसे मनाएं जाए। अभी से तैयारी क्यों न करें? हमारे मन में एक सपना है और आप सबके आशीर्वाद से वह सपना पूरा होगा। मेरे मन में सपना है, मेरे मन में सपना है कि 2022 में, जब भारत के 75 साल हो तब तक हमारे देश में कोई परिवार ऐसा न हो, जिसके पास रहने के लिए अपना घर न हो। ये ऐसी छोटी-छोटी बातें मैं आपसे बता रहा हूं, लेकिन यही छोटी-छोटी बातें हैं, जो भारत का भाग्य बदलने वाली हैं और भाग्य बदलने के काम में हम सब मिल कर के जुड़े हैं।

2015, अगला वर्ष, बड़ा महत्वपूर्ण वर्ष है। आप सब प्रवासी भारतीय हैं, क्योंकि आप भारत से बाहर आए हैं, आपकी तरह एक M K Gandhi भी थे, मोहनदास करमचंद गांधी। ये भी प्रवासी भारतीय थे। महात्मा गांधी जनवरी 1915 में भारत वापस आए थे। जनवरी 2015 गांधी के भारत आने के 100 साल हो रहे हैं। 8-9 जनवरी, हिंदुस्तान में प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। आप में से कई लोग उसमें आते हैं। इस बार प्रवासी भारतीय दिवस अहमदाबाद में होने वाला है। महात्मा गांधी के भारत आने को शताब्दी हो रही है, इसलिए हर प्रवासी भारतीय, जो कि हिंदुस्तान से बाहर गया है…… महात्मा गांधी, विदेश गए, बैरिस्टर बने, सुख-वैभव की पूरी संभावनाएं थीं। लेकिन देश के लिए जीना पसंद किया।

मैं आपसे अनुरोध करता हूं, उन सबसे प्रेरणा लेकर के आइए, हम भी अपने वतन का, अपनी मातृभूमि का, जिस धरती पर जन्म लिया, उसका कर्ज चुकाने के लिए अपनी तरफ से कोई न कोई प्रयास करें। अपने हिसाब से कोई न कोई कोशिश करें।

कुछ बातें मुझे कहनी हैं आप लोगों से , प्रधानमंत्री बनने के बाद कुछ बातें मेरे मन में आई हैं, उसको ध्यान में रखते हुए कुछ बातें मैं कहना चाहता हूं। एक तो PIO card holder जो हैं, उनकी visa की कुछ समस्याएं हैं। हमने निर्णय लिया है, PIO card holder को आजीवन visa दिया जाएगा। खुश?

उससे भी आगे जो लंबे समय तक हिंदुस्तान रहते हैं, उनको पुलिस थाने जाना पड़ता है। अब उनको पुलिस थाने जाना नहीं पड़ेगा। उसी प्रकार से मुझे बताया गया कि PIO तथा OCI स्कीमों के प्रावधानों में फर्क होने के कारण भारतीय मूल के लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। विशेषकर Spouse के भारतीय मूल के न होने पर, कठिनाई और बढ़ जाती है। किसी ने यहां शादी कर ली बेचारा मुसीबत में फंस जाता है। मेरे साथियों मैं आपको खुशखबरी देता हूं कि कुछ ही महीनों में हम PIO तथा OCI schemes मिलाकर के एक बना देते हैं। एक नई scheme, जो कठिनाइयां हैं उनको दूर करके एक नई स्‍कीम आने वाले कुछ ही महीनों में, उसको हम तैयार कर देंगे।

तीसरी बात है.. अभी इंतजार कीजिए, मैं बोल रहा हूं। अमेरिका में हमारे दूतावास और consulate, भारत में पर्यटन की इच्‍छा से आने वाले US Nationals के लिए हम long term visa प्रदान करेंगे। चौथी बात, बिना किसी कठिनाई के अमेरिकी टूरिस्‍ट भारत की यात्रा कर सके, इसके लिए हमने ‘Electronic Travel authorisation’ तथा ‘Visa on arrival’ की सुविधा को बहुत ही निकट भविष्‍य में इसको भी लागू कर देंगे।

इन चीजों को सुनिश्चित करने के लिए सेवाओं की speed भी बढ़े। यहां भारतीयों की संख्या भी बहुत है। अब धन की इतनी मात्रा है कि हर छोटे-मोटे काम में लोग आते जाते रहते हैं। और जो outsourcing service है, वह कम पड़ जाती है, और इसलिए हमने कहा है कि जो outsourcing services हैं, उसका दायरा बढ़ाया जाएगा ताकि आपका ज्यादा समय न जाए, ज्यादा कठिनाइयां न हों और सरलता से आपको visa प्राप्त हो। यह साफ-साफ हमने कहा है। और मुझे विश्वास है कि आपकी जो कठिनाइयां मेरे ध्यान में आई थी, मैंने यहां से आने से पहले ही इस विषय में विस्तार से निर्णय करके इन चीजों को पूरा किया है।

आप इतनी बड़ी संख्या में आए, नवरात्रि के पवित्र त्योहार पर आए। और मैं भी बोलता ही चला जा रहा हूं। घड़ी की ओर नहीं देख रहा हूं।

मैं हृदय से आप सबका बहुत आभारी हूं। आपने मुझे बहुत प्यार दिया है। शायद, शायद मैं पिछले 15 साल से देख रहा हूं, शायद इतना प्यार हिन्दुस्तान के किसी राजनेता को नहीं मिला। मैं आपका बहुत आभारी हूं। मैं, मैं ये कर्ज चुकाउंगा। ये कर्ज चुकाउंगा। आपके सपनों का भारत बना करके कर्ज चुकाउंगा।

हम मिल कर के, हम सब मिल कर के भारत मां की सेवा करें, हमसे जो हो सके, हमारे देशवासियों के लिए करें। अपने वतन के लिए करें। जिस धरती पर जन्म लिया, जिस स्कूल में हमने शिक्षा पाई, इसमें जो हो सकता है, करें। इसी एक अपेक्षा के साथ फिर एक बार हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद।

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय

बहुत बहुत धन्यवाद।

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মোৰ প্ৰিয় দেশবাসী, নমস্কাৰ। ২০২৫ চনে নিচেই সমাগত। ২০২৫ চনৰ ২৬ জানুৱাৰীত আমাৰ সংবিধান বলবৎ হোৱাৰ ৭৫ বছৰ সম্পূৰ্ণ হ’ব৷ আমাৰ সকলোৰে বাবে ই এক অতি গৌৰৱৰ বিষয়। আমাৰ সংবিধান নিৰ্মাতাসকলে আমাক প্ৰদান কৰা সংবিধানখনে সময়ৰ পৰীক্ষাত উপনীত হৈছে। সংবিধান আমাৰ বাবে পথ প্ৰদৰ্শক, আমাৰ মাৰ্গদৰ্শক। ভাৰতৰ সংবিধানৰ বাবেই আজি মই ইয়াত উপস্থিত হৈ আপোনালোকৰ লগত কথা পাতিব পাৰিছো। এইবাৰ ২৬ নৱেম্বৰৰ সংবিধান দিৱসৰ পৰা আৰম্ভ হৈছে বহু কাৰ্যসূচী, যিটো এবছৰ ধৰি চলিব। দেশৰ নাগৰিকক সংবিধানৰ উত্তৰাধিকাৰৰ সৈতে সংযোগ কৰিবলৈ constitution75.com নামৰ এটা বিশেষ ৱেবছাইটো প্ৰস্তুত কৰা হৈছে। ইয়াত আপোনালোকে সংবিধানৰ প্ৰস্তাৱনা পঢ়ি আপোনালোকৰ ভিডিঅ'টো আপলোড কৰিব পাৰিব। আপোনালোকে বিভিন্ন ভাষাত সংবিধান পঢ়িব পাৰে আৰু সংবিধানৰ বিষয়েও প্ৰশ্ন কৰিব পাৰে। 'মন কী বাত'ৰ শ্ৰোতা, স্কুলীয়া শিক্ষাৰ্থী, কলেজীয়া ছাত্ৰ-ছাত্ৰীসকলক এই ৱেবচাইটটো নিশ্চয়কৈ চাবলৈ অনুৰোধ জনালোঁ।

বন্ধুসকল, ১৩ জানুৱাৰীৰ পৰা প্ৰয়াগৰাজত মহাকুম্ভও আৰম্ভ হ'ব। বৰ্তমান সংগমৰ পাৰত ব্যাপক প্ৰস্তুতি চলি আছে। মনত আছে, মাত্ৰ কেইদিনমান আগতে প্ৰয়াগৰাজলৈ যোৱাৰ সময়ত হেলিকপ্টাৰৰ পৰা সমগ্ৰ কুম্ভ অঞ্চলটো দেখি মোৰ হৃদয় আনন্দৰে ভৰি পৰিছিল। ইমান বিশাল! ইমান ধুনীয়া! ইমান ভব্য!

বন্ধুসকল, মহাকুম্ভৰ বিশেষত্ব কেৱল ইয়াৰ বিশালতাতেই নহয়। কুম্ভ ৰাশিৰ বিশেষত্বও ইয়াৰ বৈচিত্ৰ্যত নিহিত হৈ আছে। এই অনুষ্ঠানত কোটি কোটি লোক একত্ৰিত হয়। লাখ লাখ সাধু, হাজাৰ হাজাৰ পৰম্পৰা, শ শ পন্থা, অসংখ্য আখৰা, সকলোৱে এই অনুষ্ঠানৰ অংশ হৈ পৰে। ক'তো বৈষম্য নাই, কোনো ডাঙৰ নহয়, কোনো সৰু নহয়। বৈচিত্ৰ্যতাৰ মাজত ঐক্যৰ এনে দৃশ্য পৃথিৱীৰ আন ক’তো দেখা নাযায়। সেইবাবেই আমাৰ কুম্ভ ঐক্যৰো মহাকুম্ভ। এইবাৰৰ মহাকুম্ভইও একতাৰ মন্ত্ৰক শক্তিশালী কৰিব। আপোনালোক সকলোকে কব বিচাৰিছোঁ, যেতিয়া আমি কুম্ভত যোগদান কৰো, তেতিয়া ঐক্যৰ এই সংকল্প লৈ ঘুৰি আহো। সমাজত বিভাজন আৰু ঘৃণাৰ অনুভূতি ধ্বংস কৰাৰ প্ৰতিশ্ৰুতিও লও আহক। যদি মই কম শব্দত প্ৰকাশ কৰোঁ, তেন্তে মই ক'ম...

মহাকুম্ভৰ বাৰ্তা, সমগ্ৰ দেশ একত্ৰিত হ'ব লাগে।

মহাকুম্ভৰ বাৰ্তা, সমগ্ৰ দেশ একত্ৰিত হ'ব লাগে।

আৰু যদি মই বেলেগ ধৰণে ক'বলগীয়া হয়, মই ক'ম...

গংগাৰ নিৰৱচ্ছিন্ন প্ৰবাহ, আমাৰ সমাজখন বিভাজিত নহওক।

গংগাৰ নিৰৱচ্ছিন্ন প্ৰবাহ, আমাৰ সমাজখন বিভাজিত নহওক।

বন্ধুসকল, এইবাৰ দেশৰ লগতে বিশ্বৰ বিভিন্ন প্ৰান্তৰ ভক্তসকলেও প্ৰয়াগৰাজত ডিজিটেল মহাকুম্ভৰ সাক্ষী হ’ব। ডিজিটেল নেভিগেচনৰ সহায়ত আপোনালোকে বিভিন্ন ঘাট, মন্দিৰ আৰু সাধুসকলৰ আখৰালৈ যোৱাৰ পথ পাব। এই নেভিগেচন ছিষ্টেমে আপোনাক পাৰ্কিং স্থানত উপনীত হোৱাতো সহায় কৰিব। প্ৰথমবাৰৰ বাবে কুম্ভ অনুষ্ঠানত ব্যৱহাৰ কৰা হ’ব AI chatbot। কুম্ভ সম্পৰ্কীয় সকলো ধৰণৰ তথ্য AI chatbotৰ জৰিয়তে ১১টা ভাৰতীয় ভাষাত উপলব্ধ হব। যিকোনো ব্যক্তিয়ে এই ছাটবটৰ পৰা তেওঁলোকৰ কথাখিনি লিখি বা কথা কৈ যিকোনো ধৰণৰ সহায় বিচাৰিব পাৰে। সমগ্ৰ মেলা এলেকাটো এআই চালিত কেমেৰাৰে নিৰীক্ষণ কৰা হৈছে। যদি কোনোবাই কুম্ভত তেওঁলোকৰ আত্মীয় বা সংগীৰ পৰা বিচ্ছিন্ন হয়, তেন্তে এই কেমেৰাবোৰেও তেওঁলোকক বিচাৰি উলিওৱাত সহায় কৰিব। ভক্তসকলে ডিজিটেল হেৰুওৱা আৰু লগ পোৱা কেন্দ্ৰটোৰ সুবিধাও লাভ কৰিব। ভক্তসকলক চৰকাৰে অনুমোদিত ট্যুৰ পেকেজ, থকাৰ ব্যৱস্থা আৰু হোমষ্টেৰ বিষয়েও ম’বাইল ফোনত দিয়া হ’ব। যদি আপোনালোকেও মহাকুম্ভলৈ যায় তেন্তে এই সুবিধাসমূহ লাভ কৰক আৰু  #EktaKaMahakumbh ৰ সৈতে আপোনালোকৰ চেলফি আপলোড কৰক।

বন্ধুসকল, এতিয়া 'মন কী বাত' অৰ্থাৎ এমকেবিত আমি কেটিবিৰ কথা ক'ম, বৃদ্ধসকলৰ মাজত তেওঁলোকৰ বহুতেই কেটিবিৰ কথা নাজানিলেহেঁতেন। কিন্তু ল’ৰা-ছোৱালীবোৰক সুধিব, তেওঁলোকৰ মাজত কেটিবি ছুপাৰহিট৷ কেটিবিৰ অৰ্থ হ’ল কৃষ, ত্ৰিশ আৰু বালটিবয়। শিশুৰ প্ৰিয় এনিমেচন ধাৰাবাহিকখনৰ বিষয়ে আপোনালোকে হয়তো জানে আৰু ইয়াৰ নাম কেটিবি-ভাৰত হ্যে হম আৰু এতিয়া ইয়াৰ দ্বিতীয় ছিজনো আহিল। এই তিনিটা এনিমেচন চৰিত্ৰই ভাৰতীয় স্বাধীনতা সংগ্ৰামৰ সেই নায়ক-নায়িকাসকলৰ বিষয়ে কয়, যাৰ বিষয়ে বিশেষ আলোচনা নহয়। শেহতীয়াকৈ ইয়াৰ ছিজন-২ অতি বিশেষ ধৰণেৰে ভাৰতৰ আন্তঃৰাষ্ট্ৰীয় চলচ্চিত্ৰ মহোৎসৱ গোৱাত মুকলি কৰা হয়। আটাইতকৈ ভাল কথাটো হ’ল এই ধাৰাবাহিকখন কেৱল বহু ভাৰতীয় ভাষাতে নহয়, বিদেশী ভাষাতো সম্প্ৰচাৰিত হৈছে। ইয়াক দূৰদৰ্শনৰ লগতে অন্যান্য অ’টিটি প্লেটফৰ্মতো দেখা পোৱা যায়।

বন্ধুসকল, আমাৰ এনিমেচন ছবি, নিয়মীয়া ছবি, টিভি ধাৰাবাহিকৰ জনপ্ৰিয়তাই দেখুৱাইছে ভাৰতৰ সৃষ্টিশীল উদ্যোগৰ কিমান সম্ভাৱনা আছে। এই উদ্যোগটোৱে কেৱল দেশৰ প্ৰগতিৰ ক্ষেত্ৰত ডাঙৰ অৱদান আগবঢ়োৱাই নহয় আমাৰ অৰ্থনীতিকো নতুন উচ্চতালৈ লৈ গৈছে। আমাৰ ছবি আৰু মনোৰঞ্জন উদ্যোগ অতি বিশাল। দেশৰ বহু ভাষাত ছবি নিৰ্মাণ কৰা হয় আৰু সৃষ্টিশীল বিষয়বস্তুৰ সৃষ্টি হয়। লগতে আমাৰ চলচ্চিত্ৰ আৰু মনোৰঞ্জন উদ্যোগটোক অভিনন্দন জনাইছো কাৰণ ই ‘এক ভাৰত-শ্ৰেষ্ঠ ভাৰত’ৰ আৱেগক অধিক শক্তিশালী কৰি তুলিছে।

বন্ধুসকল, ২০২৪ চনত আমি চলচ্চিত্ৰ জগতৰ বহু মহান ব্যক্তিৰ ১০০বছৰীয়া জয়ন্তী উদযাপন কৰিছো। এই মহান ব্যক্তিসকলে ভাৰতীয় চিনেমাক বিশ্ব পৰ্যায়ত স্বীকৃতি দিছিল। ৰাজ কাপুৰ জীয়ে ছবিৰ জৰিয়তে বিশ্ববাসীক ভাৰতৰ কোমল শক্তিৰ সৈতে পৰিচয় কৰাই দিছিল। ৰফী চাহাবৰ কণ্ঠত এক যাদুই প্ৰত্যেক হৃদয় চুই গৈছিল। তেওঁৰ মাতটো আচৰিত ধৰণৰ আছিল। ভক্তিমূলক গীত হওক বা ৰোমান্টিক গীত হওক, দুখৰ গীত হওক, তেওঁ নিজৰ কণ্ঠৰে প্ৰতিটো আৱেগক সজীৱ কৰি তুলিছিল। এজন শিল্পী হিচাপে তেওঁৰ মহানতা এইখিনিৰ পৰাই বিচাৰ কৰিব পাৰি যে আজিও নৱপ্ৰজন্মই তেওঁৰ গীতবোৰ একে আবেগেৰে শুনে-এয়াই কালজয়ী শিল্পৰ প্ৰতীক। আক্কিনেনি নাগেশ্বৰা ৰাও গাৰোৱে তেলেগু চিনেমাক নতুন উচ্চতালৈ লৈ গৈছে। তেওঁৰ ছবিসমূহে ভাৰতীয় পৰম্পৰা আৰু মূল্যবোধক সুন্দৰভাৱে উপস্থাপন কৰিছিল। তপন সিনহা জীৰ ছবিয়ে সমাজখনক এক নতুন দৃষ্টিভংগী দিলে। তেওঁৰ ছবিবোৰত আছিল সামাজিক চেতনা আৰু জাতীয় ঐক্যৰ বাৰ্তা। এই চেলিব্ৰিটিসকলৰ জীৱন আমাৰ সমগ্ৰ চলচ্চিত্ৰ উদ্যোগৰ বাবে এক প্ৰেৰণা।

বন্ধুসকল, আপোনালোকক আৰু এটা ভাল খবৰ দিব বিচাৰিছো। ভাৰতৰ সৃষ্টিশীল প্ৰতিভাক বিশ্বৰ আগত প্ৰদৰ্শনৰ এক বৃহৎ সুযোগ আহি আছে। অহা বছৰ আমাৰ দেশত প্ৰথমবাৰৰ বাবে World Audio Visual Entertainment Summit অৰ্থাৎ WAVES সন্মিলনৰ আয়োজন কৰিছে। আপোনালোক সকলোৱে নিশ্চয় শুনিছে ডাভোছৰ কথা, য’ত বিশ্বৰ অৰ্থনীতি অগ্ৰণী দেশসমূহ গোট খায়। একেদৰে WAVES সন্মিলনৰ বাবে সংবাদ মাধ্যম আৰু মনোৰঞ্জন উদ্যোগৰ বিশিষ্ট ব্যক্তিত্ব আৰু সমগ্ৰ বিশ্বৰ সৃষ্টিশীল জগতৰ লোক ভাৰতলৈ আহিব। এই সন্মিলন ভাৰতক বিশ্বৰ বিষয়বস্তু সৃষ্টিৰ কেন্দ্ৰ হিচাপে গঢ়ি তোলাৰ দিশত এক গুৰুত্বপূৰ্ণ পদক্ষেপ। মই গৌৰৱেৰে জনাইছো যে আমাৰ দেশৰ যুৱ সৃষ্টিকৰ্তাসকলেও এই সন্মিলনৰ প্ৰস্তুতিত সম্পূৰ্ণ উৎসাহেৰে যোগদান কৰিছে। আমি ৫ ট্ৰিলিয়ন ডলাৰৰ অৰ্থনীতিৰ দিশে আগবাঢ়ি যোৱাৰ লগে লগে আমাৰ সৃষ্টিকৰ্তা অৰ্থনীতিয়ে এক নতুন শক্তি আনিছে। মই ভাৰতৰ সমগ্ৰ মনোৰঞ্জন আৰু সৃষ্টিশীল উদ্যোগটোক আহ্বান জনাব বিচাৰিছো - আপোনালোকে এজন যুৱ সৃষ্টিকৰ্তা হওক বা প্ৰতিষ্ঠিত শিল্পী হওক, বলীউড বা আঞ্চলিক চিনেমাৰ সৈতে জড়িত হওক, টিভি উদ্যোগৰ এজন পেছাদাৰী হওক বা এনিমেচন, গেমিং বা মনোৰঞ্জন প্ৰযুক্তিৰ বিশেষজ্ঞই হওক উদ্ভাৱকে, আপোনালোক সকলোৱে ৱেভছ সন্মিলনৰ অংশ হওক।

মোৰ প্ৰিয় দেশবাসী, ভাৰতীয় সংস্কৃতিৰ পোহৰ আজি বিশ্বৰ প্ৰতিটো কোণত কেনেকৈ বিয়পি পৰিছে, আপোনালোক সকলোৱে জানে। আজি মই আপোনালোকক ক’ম তিনিখন মহাদেশৰ এনে প্ৰচেষ্টাৰ বিষয়ে, যিবোৰ আমাৰ সাংস্কৃতিক ঐতিহ্যৰ বিশ্ব সম্প্ৰসাৰণৰ সাক্ষী। এই সকলোবোৰ ইটোৱে সিটোৰ পৰা বহু দূৰত। কিন্তু ভাৰতক চিনি পোৱা আৰু আমাৰ সংস্কৃতিৰ পৰা শিকিবলৈ তেওঁলোকৰ ইচ্ছা একেই।

বন্ধুসকল, চিত্ৰৰ জগতখন যিমানেই ৰঙেৰে ভৰি থাকে সিমানেই সুন্দৰ হয়। টিভিৰ জৰিয়তে ‘মন কী বাত’ৰ সৈতে সংযুক্ত হৈ থকা সকলেও বৰ্তমানে টিভিত কিছু ছবি চাব পাৰিব। এই চিত্ৰসমূহত আমাৰ দেৱ-দেৱী, নৃত্য কলা আৰু মহান ব্যক্তিত্বক দেখি আপোনালোকে ভাল পাব। এইবোৰত আপোনালোকে ভাৰতত পোৱা জীৱ-জন্তুৰ পৰা আৰম্ভ কৰি বহুতো বস্তু চাবলৈ পাব। ইয়াৰ ভিতৰত আছে ১৩ বছৰীয়া ছোৱালী এজনীয়ে নিৰ্মাণ কৰা তাজমহলৰ এক সুন্দৰ ছবি। আপোনালোকে জানি আচৰিত হ’ব যে এইগৰাকী বিশেষভাৱে সক্ষম ছোৱালীয়ে মুখেৰে এই ছবিখন প্ৰস্তুত কৰিছে। আটাইতকৈ আমোদজনক কথাটো হ’ল এই ছবিবোৰ নিৰ্মাণ কৰা লোকসকল ভাৰতৰ নহয় ইজিপ্তৰ ছাত্ৰ-ছাত্ৰী। কেইসপ্তাহমানৰ আগতে ইজিপ্তৰ পৰা প্ৰায় ২৩ হাজাৰ ছাত্ৰ-ছাত্ৰীয়ে এখন চিত্ৰকলা প্ৰতিযোগিতাত অংশগ্ৰহণ কৰিছিল। তাত তেওঁ ভাৰতৰ সংস্কৃতি আৰু দুয়োখন দেশৰ ঐতিহাসিক সম্পৰ্কক চিত্ৰিত কৰা চিত্ৰ প্ৰস্তুত কৰিবলগীয়া হৈছিল। এই প্ৰতিযোগিতাত অংশগ্ৰহণ কৰা সকলো যুৱক-যুৱতীক মই শলাগ লৈছো। তেওঁৰ সৃষ্টিশীলতাৰ বাবে যিকোনো পৰিমাণৰ প্ৰশংসা কম হ’ব।

বন্ধুসকল, পাৰাগুৱে দক্ষিণ আমেৰিকাৰ এখন দেশ। তাত বসবাস কৰা ভাৰতীয়ৰ সংখ্যা প্ৰায় এক হাজাৰ। পাৰাগুৱেত চলি আছে এক আচৰিত প্ৰচেষ্টা। এৰিকা হুবাৰে তাত থকা ভাৰতীয় দূতাবাসত বিনামূলীয়া আয়ুৰ্বেদ পৰামৰ্শ আগবঢ়ায়। আজি স্থানীয় লোকেও আয়ুৰ্বেদিক পৰামৰ্শ ল’বলৈ ব্যাপক হাৰত তেওঁৰ ওচৰলৈ আহিছে। এৰিকা হুবাৰে হয়তো অভিযান্ত্ৰিক অধ্যয়ন কৰিছিল, কিন্তু তেওঁৰ হৃদয় আয়ুৰ্বেদত নিহিত হৈ আছে। আয়ুৰ্বেদ সম্পৰ্কীয় পাঠ্যক্ৰম অধ্যয়ন কৰিছিল আৰু সময়ৰ লগে লগে তেওঁ সেই দিশতে পাকৈত হৈ উঠিল।

বন্ধুসকল, আমাৰ বাবে অতি গৌৰৱৰ বিষয় যে তামিল ভাষা বিশ্বৰ আটাইতকৈ পুৰণি ভাষা আৰু প্ৰতিজন ভাৰতীয়ই ইয়াৰ বাবে গৌৰৱ অনুভৱ কৰে। বিশ্বৰ দেশসমূহত ইয়াক শিকি অহা লোকৰ সংখ্যা ক্ৰমাগতভাৱে বৃদ্ধি পাইছে। ভাৰত চৰকাৰৰ সহযোগত যোৱা মাহৰ শেষৰ ফালে ফিজিত তামিল পাঠদান কাৰ্যসূচী আৰম্ভ হৈছিল। যোৱা ৮০ বছৰৰ ভিতৰত প্ৰথমবাৰৰ বাবে প্ৰশিক্ষিত তামিল শিক্ষকে ফিজিত এই ভাষা শিকোৱা হৈছে। মই জানি সুখী হৈছো যে আজি ফিজিৰ ছাত্ৰ-ছাত্ৰীসকলে তামিল ভাষা আৰু সংস্কৃতি শিকিবলৈ অতি আগ্ৰহ প্ৰকাশ কৰিছে।

বন্ধুসকল, এইবোৰ কথা, এইবোৰ ঘটনা, কেৱল সফলতাৰ কাহিনী নহয়। এইবোৰ আমাৰ সাংস্কৃতিক ঐতিহ্যৰো কাহিনী। এই উদাহৰণবোৰে আমাক গৌৰৱেৰে ভৰাই তোলে। শিল্পৰ পৰা আয়ুৰ্বেদলৈ আৰু ভাষাৰ পৰা সংগীতলৈকে ভাৰতত ইমানখিনি আছে যিয়ে বিশ্বত নিজৰ নাম উজলাই তুলিছে।

বন্ধুসকল, এই শীতকালত সমগ্ৰ দেশতে ক্ৰীড়া আৰু ফিটনেছৰ সৈতে জড়িত বহুতো কাৰ্যসূচী চলি আছে। মই আনন্দিত যে মানুহে ফিটনেছক নিজৰ দৈনন্দিন জীৱনৰ অংশ কৰি তুলিছে। কাশ্মীৰত স্কাইঙৰ পৰা আৰম্ভ কৰি গুজৰাটত চিলা উৰুৱালৈকে ক্ৰীড়াৰ প্ৰতি থকা উৎসাহ সকলোতে দেখা যায়। #SundayOnCycle আৰু #CyclingTuesday আদি অভিযানে চাইকেল চলোৱাৰ প্ৰচাৰ কৰিছে।

বন্ধুসকল, এতিয়া মই আপোনালোকক এক অনন্য কথা ক’ব বিচাৰিছো যিটো আমাৰ দেশত ঘটি থকা পৰিৱৰ্তন আৰু আমাৰ যুৱ বন্ধুসকলৰ উদ্যম আৰু আবেগৰ প্ৰতীক। আপোনালোকে জানেনে যে আমাৰ বাষ্টাৰত আৰম্ভ হৈছে এক অনন্য অলিম্পিক! হয়, প্ৰথমবাৰৰ বাবে বাষ্টাৰ অলিম্পিকৰ সৈতে এক নতুন বিপ্লৱ জন্ম দিছে। বাষ্টাৰ অলিম্পিকৰ সপোন বাস্তৱায়িত হোৱাটো মোৰ বাবে এক বৃহৎ সুখৰ কথা। আপোনালোকেও জানি সুখী হ’ব যে এসময়ত মাওবাদী হিংসাৰ সাক্ষী হোৱা অঞ্চলত এনেকুৱা হৈছে। বাষ্টাৰ অলিম্পিকৰ প্ৰতীকপট হ’ল–‘বনৰীয়া ম’হ’ আৰু ‘পাহাৰীয়া মইনা’। ইয়াত বাষ্টাৰৰ চহকী সংস্কৃতিৰ প্ৰতিফলন ঘটিছে। এই বাষ্টাৰৰ খেল মহাকুম্ভৰ মূল মন্ত্ৰ হ'ল-

“কৰসায় তা বাষ্টাৰ, বৰসায় তা বাষ্টাৰ”

তাৰ মানে ‘বাষ্টাৰে খেলিব–বাষ্টাৰ জিকিব’।

প্ৰথমবাৰৰ বাবে সাতখন জিলাৰ ১,৬৫,০০০ খেলুৱৈয়ে বাষ্টাৰ অলিম্পিকত অংশগ্ৰহণ কৰিছে। এয়া কেৱল পৰিসংখ্যা নহয়–আমাৰ যুৱ প্ৰজন্মৰ সংকল্পৰ এক গৌৰৱৰ কাহিনী। এথলেটিকছ, আৰ্চাৰী, বেডমিণ্টন, ফুটবল, হকী, ভাৰোত্তোলন, কাৰাটে, কাবাডী, খো-খো আৰু ভলীবল–আমাৰ যুৱক-যুৱতীসকলে প্ৰতিটো খেলতে নিজৰ প্ৰতিভা প্ৰদৰ্শন কৰিছে। কাৰি কাশ্যপ জীৰ কাহিনীয়ে মোক বহুত অনুপ্ৰাণিত কৰে। এখন সৰু গাঁৱৰ পৰা অহা কাৰি জীয়ে ধনুৰ্বিদত ৰূপৰ পদক অৰ্জন কৰিছে। তেওঁ কয়, “বাষ্টাৰ অলিম্পিকে আমাক কেৱল খেলপথাৰেই নহয়, জীৱনত আগবাঢ়ি যোৱাৰ সুযোগো দিছে”। সুকুমাৰ পায়েল কৱাছি জীৰ কথাও কম প্ৰেৰণাদায়ক নহয়। জেভেলিন থ্ৰ’ত স্বৰ্ণ পদক লাভ কৰা পায়েল জীয়ে কয়– “অনুশাসন আৰু কঠোৰ পৰিশ্ৰমৰ দ্বাৰা কোনো লক্ষ্য অসম্ভৱ নহয়”। সুকুমাৰ দোৰ্নাপালৰ পুনেম সন্না জীৰ কাহিনী নতুন ভাৰতৰ এক প্ৰেৰণাদায়ক কাহিনী। এসময়ত নক্সালবাদী প্ৰভাৱত থকা পুনেম জীয়ে আজি হুইল চেয়াৰত দৌৰি পদক লাভ কৰিবলৈ সক্ষম হৈছে। তেওঁৰ সাহস আৰু দৃঢ়তা সকলোৰে বাবে প্ৰেৰণা। কোদাগাঁৱৰ ধনুৰ্বিদ ৰঞ্জু ছৌৰী জীক ‘বাষ্টাৰ য়ুথ আইকন’ হিচাপে নিৰ্বাচিত কৰা হৈছে। তেওঁৰ মতে বাষ্টাৰ অলিম্পিকে দুৰ্গম অঞ্চলৰ যুৱক-যুৱতীসকলক ৰাষ্ট্ৰীয় মঞ্চত উপনীত হোৱাৰ সুযোগ প্ৰদান কৰি আছে।

বন্ধুসকল, বাষ্টাৰ অলিম্পিক কেৱল ক্ৰীড়া অনুষ্ঠান নহয়। এইখন এনে এক মঞ্চ য’ত উন্নয়ন আৰু ক্ৰীড়া একত্ৰিত হৈছে। য'ত আমাৰ যুৱক-যুৱতীসকলে নিজৰ প্ৰতিভাক নিখুঁত কৰি নতুন ভাৰত গঢ়ি তুলিছে। আপোনালোক সকলোকে আহ্বান জনাইছো যে:

• আপোনাৰ অঞ্চলত এনে ক্ৰীড়া অনুষ্ঠানক উৎসাহিত কৰক

• আপোনাৰ অঞ্চলৰ ক্ৰীড়া প্ৰতিভাৰ কাহিনী #খেলেগা ভাৰত – জীতেগা ভাৰতৰ সৈতে শ্বেয়াৰ কৰক

• স্থানীয় ক্ৰীড়া প্ৰতিভাক লাভৱান হোৱাৰ সুযোগ প্ৰদান কৰক

মনত ৰাখিব ক্ৰীড়াই কেৱল শাৰীৰিক বিকাশৰ সূচনা কৰাই নহয়, ই ক্ৰীড়াবিদ মনোভাৱৰ সৈতে সমাজখনক সংযোগ কৰাৰ এক শক্তিশালী মাধ্যমো। গতিকে বহুতে খেলক আৰু ইয়াৰ আনন্দ লওক।

মোৰ প্ৰিয় দেশবাসী, ভাৰতৰ দুটা ডাঙৰ কৃতিত্বই আজি বিশ্বৰ দৃষ্টি আকৰ্ষণ কৰিছে আপোনালোকেও এইবোৰ শুনি গৌৰৱ অনুভৱ কৰিব। স্বাস্থ্যৰ ক্ষেত্ৰত এই দুয়োটা সফলতা লাভ কৰা হৈছে। চাৰি হাজাৰ বছৰতকৈও অধিক সময় ধৰি মানৱতাৰ বাবে মেলেৰিয়া এক ডাঙৰ প্ৰত্যাহ্বান হৈ আহিছে, আনকি আজিৰ দিনত এমাহৰ পৰা পাঁচ বছৰ বয়সৰ ভিতৰত শিশুৰ মৃত্যু হোৱা সকলো সংক্ৰামক ৰোগৰ ভিতৰত ই আছিল আমাৰ অন্যতম ডাঙৰ প্ৰত্যাহ্বান, মই সন্তুষ্টিৰে ক’ব পাৰো যে দেশবাসীয়ে ঐক্যবদ্ধভাৱে এই প্ৰত্যাহ্বানৰ সন্মুখীন হৈছে বিশ্ব স্বাস্থ্য সংস্থা–হুৰ প্ৰতিবেদনত কোৱা হৈছে– “ভাৰতত ২০১৫ চনৰ পৰা ২০২৩ চনৰ ভিতৰত মেলেৰিয়া ৰোগী আৰু মৃত্যুৰ সংখ্যা ৮০শতাংশ হ্ৰাস পাইছে। এয়া কম কৃতিত্ব নহয়, কিন্তু যেতিয়া চাহ বাগিচাৰ বাসিন্দাসকলে ইয়াক নিৰ্মূল কৰিবলৈ একত্ৰিত হৈছিল, তেতিয়া তেওঁলোকে বহু পৰিমাণে সফলতা লাভ কৰিবলৈ আৰম্ভ কৰিছিল। হাৰিয়ানাত মেলেৰিয়া নিয়ন্ত্ৰণ হৈছে। ইয়াত মেলেৰিয়া নিৰীক্ষণৰ বাবে জনসাধাৰণৰ অংশগ্ৰহণ যথেষ্ট সফল হৈছে, যাৰ ফলত মহৰ প্ৰজনন হ্ৰাস কৰাত বহুখিনি সহায় হৈছে। দেশত আমি মেলেৰিয়াৰ বিৰুদ্ধে যুঁজখন অধিক দ্ৰুতগতিত আগুৱাই নিবলৈ সক্ষম হৈছো

বন্ধুসকল, আমাৰ সজাগতা আৰু দৃঢ়তাৰে আমি কি লাভ কৰিব পাৰো তাৰ আন এক উদাহৰণ কেন্সাৰৰ বিৰুদ্ধে যুঁজ। বিশ্ববিখ্যাত মেডিকেল জাৰ্নেল লেন্সেটৰ অধ্যয়ন সঁচাকৈয়ে অতি আশাব্যঞ্জক। এই জাৰ্নেলৰ মতে, এতিয়া ভাৰতত কৰ্কট ৰোগৰ চিকিৎসা সময়মতে আৰম্ভ কৰাৰ সম্ভাৱনা বহু পৰিমাণে বৃদ্ধি পাইছে। সময়মতে চিকিৎসাৰ অৰ্থ হ’ল ৩০ দিনৰ ভিতৰত কৰ্কট ৰোগীৰ চিকিৎসা আৰম্ভ কৰা আৰু ইয়াত ‘আয়ুষ্মান ভাৰত যোজনাই’ ডাঙৰ ভূমিকা লৈছে। এই আঁচনিৰ বাবেই ৯০ শতাংশ কৰ্কট ৰোগীয়ে সময়মতে চিকিৎসা আৰম্ভ কৰিবলৈ সক্ষম হৈছে। এনে হৈছে কাৰণ আগতে ধনৰ অভাৱত দুখীয়া ৰোগীয়ে কেন্সাৰ পৰীক্ষা আৰু ইয়াৰ চিকিৎসা কৰিবলৈ সংকোচ কৰিছিল। এতিয়া ‘আয়ুষ্মান ভাৰত যোজনা’ তেওঁলোকৰ বাবে এক ডাঙৰ সমৰ্থন হৈ পৰিছে। এতিয়া তেওঁলোকৰ চিকিৎসা কৰিবলৈ আগবাঢ়ি আহিছে। ‘আয়ুষ্মান ভাৰত যোজনাই’ কৰ্কট ৰোগৰ চিকিৎসাত সন্মুখীন হোৱা আৰ্থিক সমস্যা বহু পৰিমাণে হ্ৰাস কৰিছে। ভাল কথাটো হ’ল আজিৰ দিনত কৰ্কট ৰোগৰ সময়মতে চিকিৎসাৰ ক্ষেত্ৰত পূৰ্বতকৈ অধিক সচেতন হৈ পৰিছে। এই কৃতিত্ব আমাৰ স্বাস্থ্যসেৱা ব্যৱস্থা, চিকিৎসক, নাৰ্ছ আৰু কাৰিকৰী কৰ্মচাৰীৰ লগতে সমানেই কৃতিত্ব আপোনালোক, মোৰ মৰমৰ নাগৰিক, মোৰ ভাই-ভনীসকলৰ। সকলোৰে প্ৰচেষ্টাত কেন্সাৰক পৰাস্ত কৰাৰ সংকল্প আৰু অধিক শক্তিশালী হৈ উঠিছে। এই সফলতাৰ কৃতিত্ব সেই সকলোৰে বাবে যিসকলে সজাগতা বিয়পোৱাত যথেষ্ট অৰিহণা যোগাইছে।

কৰ্কট ৰোগৰ বিৰুদ্ধে যুঁজিবলৈ মাত্ৰ এটাই মন্ত্ৰ –সজাগতা, কাৰ্য আৰু  আশ্বাস। সজাগতা মানে কেন্সাৰ আৰু ইয়াৰ লক্ষণসমূহৰ বিষয়ে সজাগতা, কাৰ্য্যৰ অৰ্থ হ’ল সময়মতে ৰোগ নিৰ্ণয় আৰু চিকিৎসা, আশ্বাসৰ অৰ্থ হ’ল প্ৰতিটো সহায় ৰোগীৰ বাবে উপলব্ধ বুলি বিশ্বাস কৰা। আহক, আমি একেলগে কৰ্কট ৰোগৰ বিৰুদ্ধে এই যুঁজখন দ্ৰুতগতিত আগুৱাই লৈ যাওঁ আৰু যিমান পাৰি সিমান ৰোগীক সহায় কৰোঁ।

মোৰ প্ৰিয় দেশবাসী, আজি আপোনালোকক ক’ব বিচাৰিছো ওড়িশাৰ কালাহাণ্ডিত এনে এটা প্ৰচেষ্টাৰ বিষয়ে, যিয়ে কম পানী আৰু কম সম্পদৰ মাজতো সফলতাৰ এক নতুন কাহিনী লিখিছে। এয়াই কালাহাণ্ডীৰ 'পাচলি বিপ্লৱ'। য'ত এসময়ত কৃষকসকলে আমদানি কৰিবলৈ বাধ্য হৈছিল, আজি কালাহাণ্ডীৰ গোলামুণ্ডা ব্লক শাক-পাচলিৰ কেন্দ্ৰ হৈ পৰিছে। এই পৰিৱৰ্তন কেনেকৈ হ’ল? মাত্ৰ ১০ জনীয়া কৃষকৰ এটা সৰু গোটৰ পৰা আৰম্ভ হৈছিল। এই গোটটোৱে মিলি এটা এফপিঅ’ - ‘কিষাণ উৎপাদক সংঘ’ স্থাপন কৰিলে। খেতিত আধুনিক প্ৰযুক্তি ব্যৱহাৰ কৰিবলৈ আৰম্ভ কৰিলে আৰু আজি তেওঁলোকৰ এফপিঅ’ই কোটি কোটি মূল্যৰ ব্যৱসায় কৰি আছে। আজি এই এফপিঅ’ৰ সৈতে ২০০ৰো অধিক কৃষক জড়িত হৈ আছে, য’ত ৪৫গৰাকী মহিলা কৃষকো আছে। এইসকল লোকে একেলগে ২০০ একৰ ভূমিত বিলাহীৰ খেতি, ১৫০একৰ ভূমিত তিতা গছৰ উৎপাদন কৰি আছে। এতিয়া এই এফপিঅ’ৰ বাৰ্ষিক ব্যৱসায়ো ১.৫ কোটিতকৈও অধিক হৈছেগৈ। আজি কালাহাণ্ডীৰ পৰা অহা শাক-পাচলি কেৱল ওড়িশাৰ বিভিন্ন জিলাতে নহয়, অন্যান্য ৰাজ্যতো বিয়পি পৰিছে আৰু তাত থকা কৃষকসকলে এতিয়া আলু-পিঁয়াজ খেতিৰ নতুন কৌশল শিকিবলৈ লৈছে।

বন্ধুসকল, কালাহাণ্ডীৰ এই সফলতাই আমাক শিকাইছে যে দৃঢ়তা আৰু সামূহিক প্ৰচেষ্টাৰে কি লাভ কৰিব নোৱাৰি। আপোনালোক সকলোকে অনুৰোধ জনালোঁ যে:-

• আপোনালোকৰ অঞ্চলত এফপিঅ’ক উৎসাহিত কৰক

• কৃষক উৎপাদক সংঘত যোগদান আৰু শক্তিশালী ককৰ।

মনত ৰাখিব – সৰু সৰু আৰম্ভণিৰ পৰাও ডাঙৰ পৰিৱৰ্তন সম্ভৱ। আমাক মাত্ৰ দৃঢ়তা আৰু দলীয় মনোভাৱৰ প্ৰয়োজন।

বন্ধুসকল, আজিৰ 'মন কী বাত'ত আমি শুনিছিলো যে আমাৰ ভাৰত কেনেকৈ বৈচিত্ৰ্যতাৰ মাজত ঐক্যৰে আগবাঢ়িছে। খেলপথাৰেই হওক বা বিজ্ঞানৰ ক্ষেত্ৰই হওক, স্বাস্থ্য বা শিক্ষাৰ ক্ষেত্ৰই হওক–ভাৰতে প্ৰতিটো ক্ষেত্ৰতে নতুন উচ্চতা স্পৰ্শ কৰিছে। পৰিয়াল হিচাপে একেলগে আমি প্ৰতিটো প্ৰত্যাহ্বানৰ সন্মুখীন হ’লোঁ আৰু নতুন সফলতা লাভ কৰিলোঁ। ২০১৪ চনৰ পৰা ‘মন কী বাত’ৰ ১১৬টা খণ্ডত মই দেখিছোঁ যে ‘মন কী বাত’ দেশৰ সামূহিক শক্তিৰ এক জীৱন্ত নথিত পৰিণত হৈছে। আপোনালোক সকলোৱে এই কাৰ্যসূচী গ্ৰহণ কৰি নিজৰ কৰি লৈছিল। প্ৰতিমাহে আপোনালোকে আপোনালোকৰ ধাৰণা আৰু প্ৰচেষ্টা শ্বেয়াৰ কৰিছিল। কেতিয়াবা এজন যুৱ উদ্ভাৱকৰ ধাৰণাই মোক আপ্লুত কৰিছিল আৰু আন কেতিয়াবা এগৰাকী কন্যাৰ কৃতিত্বই মোক গৌৰৱান্বিত কৰিছিল। আপোনালোক সকলোৰে অংশগ্ৰহণৰেই দেশৰ প্ৰতিটো কোণৰ পৰা ইতিবাচক শক্তিক একত্ৰিত কৰে। ‘মন কী বাত’ এই ধনাত্মক শক্তিৰ পৰিবৰ্ধনৰ এক মঞ্চত পৰিণত হৈছে আৰু এতিয়া, ২০২৫ চনে দুৱাৰত টোকৰ মাৰিছে। আগন্তুক বছৰত আমি ‘মন কী বাত’ৰ জৰিয়তে আৰু অধিক প্ৰেৰণাদায়ক প্ৰচেষ্টা হাতত ল’ম। দেশবাসীৰ ইতিবাচক চিন্তা আৰু উদ্ভাৱনৰ মনোভাৱেৰে ভাৰতে নতুন উচ্চতা স্পৰ্শ কৰিব বুলি মোৰ বিশ্বাস। আপোনালোকৰ চৌপাশৰ অনন্য প্ৰচেষ্টাসমূহ ##Mannkibaatৰ সৈতে শ্বেয়াৰ কৰক। মই জানো যে অহা বছৰৰ প্ৰতিটো ‘মন কী বাত’ৰ খণ্ডত আমি ইজনে সিজনৰ লগত বহুত কথা শ্বেয়াৰ কৰিব লাগিব। ২০২৫ চনৰ বাবে আপোনালোক সকলোলৈ শুভেচ্ছা থাকিল। সুস্থ হৈ থাকক, সুখী হৈ থাকক, ফিট ইণ্ডিয়া আন্দোলনত যোগদান কৰক, নিজকে ফিট কৰি ৰাখক। জীৱনত আগবাঢ়ি যাওক। আপোনালোকক সকলোকে অশেষ ধন্যবাদ।