মহামহিম,

নমস্কাৰ!

এই পদক্ষেপ অব্যাহত ৰখাৰ বাবে ৰাষ্ট্ৰপতি ইউন ছুক য়েঅলক ধন্যবাদ জনাইছোঁ। ''ছামিট ফৰ ডেমক্ৰেচী''য়ে এক গুৰুত্বপূৰ্ণ মঞ্চ হিচাপে আত্মপ্ৰকাশ কৰিছে, য'ত গণতন্ত্ৰসমূহে অভিজ্ঞতা ভাগ-বতৰা কৰে আৰু ইজনে সিজনৰ পৰা শিকে।

মহামহিম,

এতিয়াৰ পৰা কেইসপ্তাহমানৰ পাছত বিশ্বই ভাৰতৰ সৰ্ববৃহৎ গণতন্ত্ৰ উৎসৱৰ সাক্ষী হ’ব। প্ৰায় এক বিলিয়ন ভোটাৰে ভোটদান কৰাৰ আশা কৰা হৈছে, এইটোৱেই হ’ব মানৱ জাতিৰ ইতিহাসৰ আটাইতকৈ ডাঙৰ নিৰ্বাচনী কচৰৎ। ভাৰতৰ জনসাধাৰণে পুনৰবাৰ গণতন্ত্ৰৰ প্ৰতি বিশ্বাস দৃঢ় কৰিব। ভাৰতবৰ্ষত গণতন্ত্ৰৰ এক প্ৰাচীন আৰু অখণ্ড সংস্কৃতি আছে। ই ভাৰতীয় সভ্যতাৰ প্ৰাণকেন্দ্ৰ হৈ আহিছে। ঐকমত্য-নিৰ্মাণ, মুক্ত বাৰ্তালাপ আৰু মুক্ত আলোচনাই সমগ্ৰ ভাৰতৰ ইতিহাসত প্ৰতিধ্বনিত হৈ আহিছে। সেইবাবেই মোৰ সহ নাগৰিকসকলে ভাৰতক গণতন্ত্ৰৰ মাতৃ বুলি গণ্য কৰে।

মহামহিম,

যোৱা এটা দশকত ভাৰতে ''सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास सबका प्रयास'' - অৰ্থাৎ সৰ্বাংগীন বৃদ্ধিৰ বাবে সামূহিক প্ৰচেষ্টাৰে আগবাঢ়িছে। সমাজৰ সকলো শ্ৰেণী, বিশেষকৈ দৰিদ্ৰ, মহিলা, যুৱক-যুৱতী, আৰু কৃষকৰ সৈতে যোগাযোগ কৰাটো অন্তৰ্ভুক্তিৰ প্ৰকৃত মনোভাৱত আমাৰ শীৰ্ষ অগ্ৰাধিকাৰ হৈ আহিছে। আমি পৰিৱেশন ভিত্তিক শাসন ব্যৱস্থালৈ পৰিৱৰ্তিত হৈছোঁ, য’ত নাটনি, দুৰ্নীতি আৰু বৈষম্যৰ ঠাইত স্বচ্ছতা, জবাবদিহিতা আৰু সুযোগে স্থান লাভ কৰিছে। এই প্ৰচেষ্টাসমূহত প্ৰযুক্তিয়ে এক মহান কাৰক হিচাপে গুৰুত্বপূৰ্ণ ভূমিকা পালন কৰিছে। ডিজিটেল ৰাজহুৱা আন্তঃগাঁথনিৰ ক্ষেত্ৰত ভাৰতৰ দ্ৰুত অগ্ৰগতিয়ে ৰাজহুৱা সেৱা প্ৰদানৰ ক্ষেত্ৰত এক বৈপ্লৱিক পৰিৱৰ্তন আনিছে আৰু বিত্তীয় অন্তৰ্ভুক্তি বৃদ্ধি কৰিছে। যুৱক-যুৱতী আৰু প্ৰযুক্তিৰ শক্তিৰ ওপৰত নিৰ্ভৰ কৰি ভাৰত দ্ৰুতগতিত বিশ্বৰ তৃতীয় বৃহত্তম ষ্টাৰ্টআপ ইক’-ছিষ্টেমলৈ বিকশিত হৈছে। তৃণমূল পৰ্যায়ত ১.৪ নিযুততকৈ অধিক নিৰ্বাচিত মহিলা প্ৰতিনিধি হৈছে মহিলা নেতৃত্বাধীন উন্নয়নৰ বাবে আমাৰ পৰিৱৰ্তনৰ এজেণ্ট।

 

 

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মহামহিম,

আজি ভাৰতে কেৱল নিজৰ ১.৪ বিলিয়ন জনসাধাৰণৰ আকাংক্ষা পূৰণ কৰাই নহয়, গণতন্ত্ৰই যে প্ৰদান কৰে আৰু গণতন্ত্ৰই শক্তিশালী কৰে, সেই আশাও বিশ্ববাসীক প্ৰদান কৰি আছে। ভাৰতীয় সংসদে যেতিয়া মহিলা বিধায়কৰ বাবে নূন্যতম এক তৃতীয়াংশ প্ৰতিনিধিত্ব নিশ্চিত কৰিবলৈ আইন প্ৰণয়ন কৰিছিল, তেতিয়া ই সমগ্ৰ গণতান্ত্ৰিক বিশ্বৰ মহিলাসকলক আশাৰ সঞ্চাৰ কৰিছিল। বিগত ১০ বছৰত যেতিয়া ভাৰতে ২৫ কোটি লোকক দৰিদ্ৰতাৰ পৰা উলিয়াই আনিলে, তেতিয়া ই গণতন্ত্ৰক ইতিবাচক পৰিৱৰ্তনৰ এজেণ্ট হিচাপে বিশ্বব্যাপী বিশ্বাসক অধিক শক্তিশালী কৰি তুলিলে। ভাৰতে যেতিয়া ১৫০খনতকৈও অধিক দেশলৈ কোভিডৰ ঔষধ আৰু ভেকচিন যোগান ধৰিছিল, তেতিয়া ইয়াত গণতন্ত্ৰৰ নিৰাময় শক্তিৰ প্ৰতিফলন ঘটিছিল। যেতিয়া ভাৰতে চন্দ্ৰযানক সফলতাৰে চন্দ্ৰত অৱতৰণ কৰিছিল, তেতিয়া ভাৰতৰ বাবে সেয়া কেৱল গৌৰৱৰ মুহূৰ্ত নাছিল, গণতন্ত্ৰৰ জয়ো আছিল। জি-২০ৰ অধ্যক্ষতাৰ সময়ত যেতিয়া ভাৰতে গ্ল’বেল ছাউথৰ কণ্ঠ বৃদ্ধি কৰিছিল, তেতিয়া ই আন্তঃৰাষ্ট্ৰীয় ৰাজনীতিত পৰামৰ্শমূলক সিদ্ধান্ত গ্ৰহণৰ গুৰুত্ব দেখুৱাইছিল। এতিয়া যি সময়ত ভাৰত বিশ্বৰ তৃতীয় বৃহত্তম অৰ্থনীতি হোৱাৰ পথত আগবাঢ়িছে, সেয়েহে ই বিশ্বৰ লাখ লাখ লোকক এক উজ্জ্বল ভৱিষ্যতৰ আশাৰ সঞ্চাৰ কৰিছে। ২০৪৭ চনৰ ভিতৰত ভাৰতে উন্নত ৰাষ্ট্ৰ হোৱাৰ সংকল্প লোৱাৰ লগে লগে ই দেখুৱাইছে যে গণতন্ত্ৰই আকাংক্ষা কৰিব পাৰে, অনুপ্ৰাণিত কৰিব পাৰে, আৰু সাধন কৰিব পাৰে।

মহামহিম,

অস্থিৰতা আৰু পৰিৱৰ্তনৰ যুগত গণতন্ত্ৰই বহু প্ৰত্যাহ্বানৰ সন্মুখীন হৈছে। ইয়াৰ বাবে আমি একেলগে কাম কৰিব লাগিব। আন্তঃৰাষ্ট্ৰীয় ব্যৱস্থা আৰু প্ৰতিষ্ঠানসমূহক অধিক সমাৱেশী, গণতান্ত্ৰিক, অংশগ্ৰহণমূলক আৰু ন্যায্য কৰি তোলাৰ প্ৰচেষ্টাত গণতান্ত্ৰিক দেশসমূহে নেতৃত্ব দিয়া উচিত। এনে ভাগ-বতৰা কৰা প্ৰচেষ্টাৰ জৰিয়তেহে আমি আমাৰ জনসাধাৰণৰ আকাংক্ষা পূৰণ কৰিব পাৰিম। আৰু, আমি আগন্তুক প্ৰজন্মৰ বাবেও এক সুৰক্ষিত, সুস্থিৰ আৰু সমৃদ্ধিশালী ভৱিষ্যতৰ ভেটি স্থাপন কৰিম। এই সাধনাত ভাৰতে নিজৰ অভিজ্ঞতা সকলো সতীৰ্থ গণতন্ত্ৰৰ সৈতে ভাগ-বতৰা কৰিবলৈ সাজু হৈ আছে।

ধন্যবাদ।

 

  • कृष्ण सिंह राजपुरोहित भाजपा विधान सभा गुड़ामा लानी November 21, 2024

    जय हो
  • कृष्ण सिंह राजपुरोहित भाजपा विधान सभा गुड़ामा लानी November 21, 2024

    जय श्री राम 🚩 वन्दे मातरम् जय भाजपा विजय भाजपा
  • Devendra Kunwar October 08, 2024

    BJP
  • रीना चौरसिया September 25, 2024

    JAI HO
  • दिग्विजय सिंह राना September 19, 2024

    हर हर महादेव
  • krishangopal sharma Bjp June 11, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏
  • krishangopal sharma Bjp June 11, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏
  • krishangopal sharma Bjp June 11, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏
  • Mohd Husain May 31, 2024

    Jay ho
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    जय श्री राम
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In future leadership, SOUL's objective should be to instill both the Steel and Spirit in every sector to build Viksit Bharat: PM
February 21, 2025
QuoteThe School of Ultimate Leadership (SOUL) will shape leaders who excel nationally and globally: PM
QuoteToday, India is emerging as a global powerhouse: PM
QuoteLeaders must set trends: PM
QuoteIn future leadership, SOUL's objective should be to instill both the Steel and Spirit in every sector to build Viksit Bharat: PM
QuoteIndia needs leaders who can develop new institutions of global excellence: PM
QuoteThe bond forged by a shared purpose is stronger than blood: PM

His Excellency,

भूटान के प्रधानमंत्री, मेरे Brother दाशो शेरिंग तोबगे जी, सोल बोर्ड के चेयरमैन सुधीर मेहता, वाइस चेयरमैन हंसमुख अढ़िया, उद्योग जगत के दिग्गज, जो अपने जीवन में, अपने-अपने क्षेत्र में लीडरशिप देने में सफल रहे हैं, ऐसे अनेक महानुभावों को मैं यहां देख रहा हूं, और भविष्य जिनका इंतजार कर रहा है, ऐसे मेरे युवा साथियों को भी यहां देख रहा हूं।

साथियों,

कुछ आयोजन ऐसे होते हैं, जो हृदय के बहुत करीब होते हैं, और आज का ये कार्यक्रम भी ऐसा ही है। नेशन बिल्डिंग के लिए, बेहतर सिटिजन्स का डेवलपमेंट ज़रूरी है। व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण, जन से जगत, जन से जग, ये किसी भी ऊंचाई को प्राप्त करना है, विशालता को पाना है, तो आरंभ जन से ही शुरू होता है। हर क्षेत्र में बेहतरीन लीडर्स का डेवलपमेंट बहुत जरूरी है, और समय की मांग है। और इसलिए The School of Ultimate Leadership की स्थापना, विकसित भारत की विकास यात्रा में एक बहुत महत्वपूर्ण और बहुत बड़ा कदम है। इस संस्थान के नाम में ही ‘सोल’ है, ऐसा नहीं है, ये भारत की सोशल लाइफ की soul बनने वाला है, और हम लोग जिससे भली-भांति परिचित हैं, बार-बार सुनने को मिलता है- आत्मा, अगर इस सोल को उस भाव से देखें, तो ये आत्मा की अनुभूति कराता है। मैं इस मिशन से जुड़े सभी साथियों का, इस संस्थान से जुड़े सभी महानुभावों का हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। बहुत जल्द ही गिफ्ट सिटी के पास The School of Ultimate Leadership का एक विशाल कैंपस भी बनकर तैयार होने वाला है। और अभी जब मैं आपके बीच आ रहा था, तो चेयरमैन श्री ने मुझे उसका पूरा मॉडल दिखाया, प्लान दिखाया, वाकई मुझे लगता है कि आर्किटेक्चर की दृष्टि से भी ये लीडरशिप लेगा।

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साथियों,

आज जब The School of Ultimate Leadership- सोल, अपने सफर का पहला बड़ा कदम उठा रहा है, तब आपको ये याद रखना है कि आपकी दिशा क्या है, आपका लक्ष्य क्या है? स्वामी विवेकानंद ने कहा था- “Give me a hundred energetic young men and women and I shall transform India.” स्वामी विवेकानंद जी, भारत को गुलामी से बाहर निकालकर भारत को ट्रांसफॉर्म करना चाहते थे। और उनका विश्वास था कि अगर 100 लीडर्स उनके पास हों, तो वो भारत को आज़ाद ही नहीं बल्कि दुनिया का नंबर वन देश बना सकते हैं। इसी इच्छा-शक्ति के साथ, इसी मंत्र को लेकर हम सबको और विशेषकर आपको आगे बढ़ना है। आज हर भारतीय 21वीं सदी के विकसित भारत के लिए दिन-रात काम कर रहा है। ऐसे में 140 करोड़ के देश में भी हर सेक्टर में, हर वर्टिकल में, जीवन के हर पहलू में, हमें उत्तम से उत्तम लीडरशिप की जरूरत है। सिर्फ पॉलीटिकल लीडरशिप नहीं, जीवन के हर क्षेत्र में School of Ultimate Leadership के पास भी 21st सेंचुरी की लीडरशिप तैयार करने का बहुत बड़ा स्कोप है। मुझे विश्वास है, School of Ultimate Leadership से ऐसे लीडर निकलेंगे, जो देश ही नहीं बल्कि दुनिया की संस्थाओं में, हर क्षेत्र में अपना परचम लहराएंगे। और हो सकता है, यहां से ट्रेनिंग लेकर निकला कोई युवा, शायद पॉलिटिक्स में नया मुकाम हासिल करे।

साथियों,

कोई भी देश जब तरक्की करता है, तो नेचुरल रिसोर्सेज की अपनी भूमिका होती ही है, लेकिन उससे भी ज्यादा ह्यूमेन रिसोर्स की बहुत बड़ी भूमिका है। मुझे याद है, जब महाराष्ट्र और गुजरात के अलग होने का आंदोलन चल रहा था, तब तो हम बहुत बच्चे थे, लेकिन उस समय एक चर्चा ये भी होती थी, कि गुजरात अलग होकर के क्या करेगा? उसके पास कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं है, कोई खदान नहीं है, ना कोयला है, कुछ नहीं है, ये करेगा क्या? पानी भी नहीं है, रेगिस्तान है और उधर पाकिस्तान है, ये करेगा क्या? और ज्यादा से ज्यादा इन गुजरात वालों के पास नमक है, और है क्या? लेकिन लीडरशिप की ताकत देखिए, आज वही गुजरात सब कुछ है। वहां के जन सामान्य में ये जो सामर्थ्य था, रोते नहीं बैठें, कि ये नहीं है, वो नहीं है, ढ़िकना नहीं, फलाना नहीं, अरे जो है सो वो। गुजरात में डायमंड की एक भी खदान नहीं है, लेकिन दुनिया में 10 में से 9 डायमंड वो है, जो किसी न किसी गुजराती का हाथ लगा हुआ होता है। मेरे कहने का तात्पर्य ये है कि सिर्फ संसाधन ही नहीं, सबसे बड़ा सामर्थ्य होता है- ह्यूमन रिसोर्स में, मानवीय सामर्थ्य में, जनशक्ति में और जिसको आपकी भाषा में लीडरशिप कहा जाता है।

21st सेंचुरी में तो ऐसे रिसोर्स की ज़रूरत है, जो इनोवेशन को लीड कर सकें, जो स्किल को चैनेलाइज कर सकें। आज हम देखते हैं कि हर क्षेत्र में स्किल का कितना बड़ा महत्व है। इसलिए जो लीडरशिप डेवलपमेंट का क्षेत्र है, उसे भी नई स्किल्स चाहिए। हमें बहुत साइंटिफिक तरीके से लीडरशिप डेवलपमेंट के इस काम को तेज गति से आगे बढ़ाना है। इस दिशा में सोल की, आपके संस्थान की बहुत बड़ी भूमिका है। मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि आपने इसके लिए काम भी शुरु कर दिया है। विधिवत भले आज आपका ये पहला कार्यक्रम दिखता हो, मुझे बताया गया कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के effective implementation के लिए, State Education Secretaries, State Project Directors और अन्य अधिकारियों के लिए वर्क-शॉप्स हुई हैं। गुजरात के चीफ मिनिस्टर ऑफिस के स्टाफ में लीडरशिप डेवलपमेंट के लिए चिंतन शिविर लगाया गया है। और मैं कह सकता हूं, ये तो अभी शुरुआत है। अभी तो सोल को दुनिया का सबसे बेहतरीन लीडरशिप डेवलपमेंट संस्थान बनते देखना है। और इसके लिए परिश्रम करके दिखाना भी है।

साथियों,

आज भारत एक ग्लोबल पावर हाउस के रूप में Emerge हो रहा है। ये Momentum, ये Speed और तेज हो, हर क्षेत्र में हो, इसके लिए हमें वर्ल्ड क्लास लीडर्स की, इंटरनेशनल लीडरशिप की जरूरत है। SOUL जैसे Leadership Institutions, इसमें Game Changer साबित हो सकते हैं। ऐसे International Institutions हमारी Choice ही नहीं, हमारी Necessity हैं। आज भारत को हर सेक्टर में Energetic Leaders की भी जरूरत है, जो Global Complexities का, Global Needs का Solution ढूंढ पाएं। जो Problems को Solve करते समय, देश के Interest को Global Stage पर सबसे आगे रखें। जिनकी अप्रोच ग्लोबल हो, लेकिन सोच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा Local भी हो। हमें ऐसे Individuals तैयार करने होंगे, जो Indian Mind के साथ, International Mind-set को समझते हुए आगे बढ़ें। जो Strategic Decision Making, Crisis Management और Futuristic Thinking के लिए हर पल तैयार हों। अगर हमें International Markets में, Global Institutions में Compete करना है, तो हमें ऐसे Leaders चाहिए जो International Business Dynamics की समझ रखते हों। SOUL का काम यही है, आपकी स्केल बड़ी है, स्कोप बड़ा है, और आपसे उम्मीद भी उतनी ही ज्यादा हैं।

|

साथियों,

आप सभी को एक बात हमेशा- हमेशा उपयोगी होगी, आने वाले समय में Leadership सिर्फ Power तक सीमित नहीं होगी। Leadership के Roles में वही होगा, जिसमें Innovation और Impact की Capabilities हों। देश के Individuals को इस Need के हिसाब से Emerge होना पड़ेगा। SOUL इन Individuals में Critical Thinking, Risk Taking और Solution Driven Mindset develop करने वाला Institution होगा। आने वाले समय में, इस संस्थान से ऐसे लीडर्स निकलेंगे, जो Disruptive Changes के बीच काम करने को तैयार होंगे।

साथियों,

हमें ऐसे लीडर्स बनाने होंगे, जो ट्रेंड बनाने में नहीं, ट्रेंड सेट करने के लिए काम करने वाले हों। आने वाले समय में जब हम Diplomacy से Tech Innovation तक, एक नई लीडरशिप को आगे बढ़ाएंगे। तो इन सारे Sectors में भारत का Influence और impact, दोनों कई गुणा बढ़ेंगे। यानि एक तरह से भारत का पूरा विजन, पूरा फ्यूचर एक Strong Leadership Generation पर निर्भर होगा। इसलिए हमें Global Thinking और Local Upbringing के साथ आगे बढ़ना है। हमारी Governance को, हमारी Policy Making को हमने World Class बनाना होगा। ये तभी हो पाएगा, जब हमारे Policy Makers, Bureaucrats, Entrepreneurs, अपनी पॉलिसीज़ को Global Best Practices के साथ जोड़कर Frame कर पाएंगे। और इसमें सोल जैसे संस्थान की बहुत बड़ी भूमिका होगी।

साथियों,

मैंने पहले भी कहा कि अगर हमें विकसित भारत बनाना है, तो हमें हर क्षेत्र में तेज गति से आगे बढ़ना होगा। हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है-

यत् यत् आचरति श्रेष्ठः, तत् तत् एव इतरः जनः।।

यानि श्रेष्ठ मनुष्य जैसा आचरण करता है, सामान्य लोग उसे ही फॉलो करते हैं। इसलिए, ऐसी लीडरशिप ज़रूरी है, जो हर aspect में वैसी हो, जो भारत के नेशनल विजन को रिफ्लेक्ट करे, उसके हिसाब से conduct करे। फ्यूचर लीडरशिप में, विकसित भारत के निर्माण के लिए ज़रूरी स्टील और ज़रूरी स्पिरिट, दोनों पैदा करना है, SOUL का उद्देश्य वही होना चाहिए। उसके बाद जरूरी change और रिफॉर्म अपने आप आते रहेंगे।

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साथियों,

ये स्टील और स्पिरिट, हमें पब्लिक पॉलिसी और सोशल सेक्टर्स में भी पैदा करनी है। हमें Deep-Tech, Space, Biotech, Renewable Energy जैसे अनेक Emerging Sectors के लिए लीडरशिप तैयार करनी है। Sports, Agriculture, Manufacturing और Social Service जैसे Conventional Sectors के लिए भी नेतृत्व बनाना है। हमें हर सेक्टर्स में excellence को aspire ही नहीं, अचीव भी करना है। इसलिए, भारत को ऐसे लीडर्स की जरूरत होगी, जो Global Excellence के नए Institutions को डेवलप करें। हमारा इतिहास तो ऐसे Institutions की Glorious Stories से भरा पड़ा है। हमें उस Spirit को revive करना है और ये मुश्किल भी नहीं है। दुनिया में ऐसे अनेक देशों के उदाहरण हैं, जिन्होंने ये करके दिखाया है। मैं समझता हूं, यहां इस हॉल में बैठे साथी और बाहर जो हमें सुन रहे हैं, देख रहे हैं, ऐसे लाखों-लाख साथी हैं, सब के सब सामर्थ्यवान हैं। ये इंस्टीट्यूट, आपके सपनों, आपके विजन की भी प्रयोगशाला होनी चाहिए। ताकि आज से 25-50 साल बाद की पीढ़ी आपको गर्व के साथ याद करें। आप आज जो ये नींव रख रहे हैं, उसका गौरवगान कर सके।

साथियों,

एक institute के रूप में आपके सामने करोड़ों भारतीयों का संकल्प और सपना, दोनों एकदम स्पष्ट होना चाहिए। आपके सामने वो सेक्टर्स और फैक्टर्स भी स्पष्ट होने चाहिए, जो हमारे लिए चैलेंज भी हैं और opportunity भी हैं। जब हम एक लक्ष्य के साथ आगे बढ़ते हैं, मिलकर प्रयास करते हैं, तो नतीजे भी अद्भुत मिलते हैं। The bond forged by a shared purpose is stronger than blood. ये माइंड्स को unite करता है, ये passion को fuel करता है और ये समय की कसौटी पर खरा उतरता है। जब Common goal बड़ा होता है, जब आपका purpose बड़ा होता है, ऐसे में leadership भी विकसित होती है, Team spirit भी विकसित होती है, लोग खुद को अपने Goals के लिए dedicate कर देते हैं। जब Common goal होता है, एक shared purpose होता है, तो हर individual की best capacity भी बाहर आती है। और इतना ही नहीं, वो बड़े संकल्प के अनुसार अपनी capabilities बढ़ाता भी है। और इस process में एक लीडर डेवलप होता है। उसमें जो क्षमता नहीं है, उसे वो acquire करने की कोशिश करता है, ताकि औऱ ऊपर पहुंच सकें।

साथियों,

जब shared purpose होता है तो team spirit की अभूतपूर्व भावना हमें गाइड करती है। जब सारे लोग एक shared purpose के co-traveller के तौर पर एक साथ चलते हैं, तो एक bonding विकसित होती है। ये team building का प्रोसेस भी leadership को जन्म देता है। हमारी आज़ादी की लड़ाई से बेहतर Shared purpose का क्या उदाहरण हो सकता है? हमारे freedom struggle से सिर्फ पॉलिटिक्स ही नहीं, दूसरे सेक्टर्स में भी लीडर्स बने। आज हमें आज़ादी के आंदोलन के उसी भाव को वापस जीना है। उसी से प्रेरणा लेते हुए, आगे बढ़ना है।

साथियों,

संस्कृत में एक बहुत ही सुंदर सुभाषित है:

अमन्त्रं अक्षरं नास्ति, नास्ति मूलं अनौषधम्। अयोग्यः पुरुषो नास्ति, योजकाः तत्र दुर्लभः।।

यानि ऐसा कोई शब्द नहीं, जिसमें मंत्र ना बन सके। ऐसी कोई जड़ी-बूटी नहीं, जिससे औषधि ना बन सके। कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं, जो अयोग्य हो। लेकिन सभी को जरूरत सिर्फ ऐसे योजनाकार की है, जो उनका सही जगह इस्तेमाल करे, उन्हें सही दिशा दे। SOUL का रोल भी उस योजनाकार का ही है। आपको भी शब्दों को मंत्र में बदलना है, जड़ी-बूटी को औषधि में बदलना है। यहां भी कई लीडर्स बैठे हैं। आपने लीडरशिप के ये गुर सीखे हैं, तराशे हैं। मैंने कहीं पढ़ा था- If you develop yourself, you can experience personal success. If you develop a team, your organization can experience growth. If you develop leaders, your organization can achieve explosive growth. इन तीन वाक्यों से हमें हमेशा याद रहेगा कि हमें करना क्या है, हमें contribute करना है।

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साथियों,

आज देश में एक नई सामाजिक व्यवस्था बन रही है, जिसको वो युवा पीढी गढ़ रही है, जो 21वीं सदी में पैदा हुई है, जो बीते दशक में पैदा हुई है। ये सही मायने में विकसित भारत की पहली पीढ़ी होने जा रही है, अमृत पीढ़ी होने जा रही है। मुझे विश्वास है कि ये नया संस्थान, ऐसी इस अमृत पीढ़ी की लीडरशिप तैयार करने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। एक बार फिर से आप सभी को मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

भूटान के राजा का आज जन्मदिन होना, और हमारे यहां यह अवसर होना, ये अपने आप में बहुत ही सुखद संयोग है। और भूटान के प्रधानमंत्री जी का इतने महत्वपूर्ण दिवस में यहां आना और भूटान के राजा का उनको यहां भेजने में बहुत बड़ा रोल है, तो मैं उनका भी हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

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साथियों,

ये दो दिन, अगर मेरे पास समय होता तो मैं ये दो दिन यहीं रह जाता, क्योंकि मैं कुछ समय पहले विकसित भारत का एक कार्यक्रम था आप में से कई नौजवान थे उसमें, तो लगभग पूरा दिन यहां रहा था, सबसे मिला, गप्पे मार रहा था, मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला, बहुत कुछ जानने को मिला, और आज तो मेरा सौभाग्य है, मैं देख रहा हूं कि फर्स्ट रो में सारे लीडर्स वो बैठे हैं जो अपने जीवन में सफलता की नई-नई ऊंचाइयां प्राप्त कर चुके हैं। ये आपके लिए बड़ा अवसर है, इन सबके साथ मिलना, बैठना, बातें करना। मुझे ये सौभाग्य नहीं मिलता है, क्योंकि मुझे जब ये मिलते हैं तब वो कुछ ना कुछ काम लेकर आते हैं। लेकिन आपको उनके अनुभवों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा, जानने को मिलेगा। ये स्वयं में, अपने-अपने क्षेत्र में, बड़े अचीवर्स हैं। और उन्होंने इतना समय आप लोगों के लिए दिया है, इसी में मन लगता है कि इस सोल नाम की इंस्टीट्यूशन का मैं एक बहुत उज्ज्वल भविष्य देख रहा हूं, जब ऐसे सफल लोग बीज बोते हैं तो वो वट वृक्ष भी सफलता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने वाले लीडर्स को पैदा करके रहेगा, ये पूरे विश्वास के साथ मैं फिर एक बार इस समय देने वाले, सामर्थ्य बढ़ाने वाले, शक्ति देने वाले हर किसी का आभार व्यक्त करते हुए, मेरे नौजवानों के लिए मेरे बहुत सपने हैं, मेरी बहुत उम्मीदें हैं और मैं हर पल, मैं मेरे देश के नौजवानों के लिए कुछ ना कुछ करता रहूं, ये भाव मेरे भीतर हमेशा पड़ा रहता है, मौका ढूंढता रहता हूँ और आज फिर एक बार वो अवसर मिला है, मेरी तरफ से नौजवानों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।