QuoteTMC opposes the CAA law and spreads false rumors about it: PM Modi in Raiganj
QuotePeople from the TMC openly used to torture our sisters and daughters: PM Modi in Raiganj

भारत माता की जय...भारत माता की जय

शबाईके नबोबर्षेर आंतोरिक प्रीति ओ शुभेच्छा जानाई

आज महाअष्टमी के दिन मैं दुर्गापूजा की भूमि पर माता बोयरा काली, मां भैरवी काली, उन मां का आशीर्वाद लेने के लिए आया हूं। दो दिन पहले ही, बंगाल में पोयेला वैशाख के साथ नए वर्ष की शुरुआत भी हुई है। और कल, रामनवमी का महा-उत्सव भी मनाया जाएगा। ऐसे समय में, आज इतनी विशाल संख्या में आपकी उपस्थित. रायगंज का ये उत्साह ये बता रहा है कि, बंगाल में ये नया साल नई आशा लेकर आया है। आज हर कोई यही कह रहा है, चार जून, चार शो पार. हर कोई यही कह रहा है, चार जून चार सौ पार। आबार एक बार…मोदी शोरकार। आबार एक बार…मोदी शोरकार। आबार एक बार…मोदी शोरकार

साथियों,

बंगाल की धरती से स्वामी विवेकानंद, बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जैसे विचारकों ने पूरे देश को दिशा दी है। बंगाल के ये विचार आज बीजेपी के विज़न का हिस्सा है। अपने इसी विज़न के साथ बीजेपी ने संकल्प-पत्र जारी किया है। बीजेपी का ये संकल्प-पत्र मोदी का गारंटी कार्ड है। आमार बांग्लार मानुष बुझलेन- मोदीर गारंटी होलो गारंटी पूर्ण होवार गारंटी। अगले 5 वर्षों के लिए मोदी की गारंटी है, पीएम आवास योजना के तहत 3 करोड़ गरीबों को घर मिलेंगे। बंगाल के विकास के लिए वंदेभारत और अमृतभारत जैसी ट्रेनों का विस्तार होगा। 70 वर्ष से अधिक आयु के हर बुजुर्ग को मुफ्त इलाज मिलेगा। और आप भी अपने परिवार में, सभी बुजुर्गों को बता दिजिए कि अब बीमारी छिपाने की जरूरत नहीं है, खर्चे की चिंता करने की जरूरत नहीं है। ये आपका बेटा दिल्ली में बैठा है वो आपकी चिंता करेगा। हमारा सपना है पूर्वी भारत में में भी बुलेट ट्रेन दौड़नी चाहिए। देश और बंगाल की करोड़ों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आईटी, रिटेल, टूरिज्म जैसे सेक्टर्स में ट्रेनिंग दी जाएगी। हम करोड़ों लोगों को मुफ्त बिजली के लिए सोलर पैनेल देंगे। बंगाल के मेरे नौजवानों को मुद्रा योजना में अब 20 लाख रुपये तक का लोन भी मिलेगा। एटा मोदीर गारंटी।

साथियों,

आज बंगाल में भाजपा सरकार के पास अपने कामों को गिनाने के लिए लंबी लिस्ट है। आप देखिए, हमने पीएम आवास योजना के तहत बंगाल में 50 लाख से ज्यादा घर स्वीकृत किए। हमने बंगाल में जलजीवन मिशन के तहत 80 लाख घरों में पानी के कनेक्शन दिए। ये लाखों परिवार पानी के संकट से जूझ रहे थे। उज्ज्वला योजना के तहत उन सवा करोड़ परिवारों को गैस कनेक्शन मिले, जहां महिलाएं पीढ़ियों से धुएं में खाना बनाती थीं। बीजेपी सरकार ने जनधन योजना के तहत पहली बार बंगाल के 5 करोड़ से ज्यादा लोगों के बैंक खाते खुलवाए। बीजेपी सरकार बंगाल के 6 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन दे रही है, ताकि गरीब के घर का चूल्हा बुझना नहीं चाहिए। बच्चे भूखे सोने नहीं चाहिए। यहां पीएम ग्राम सड़क योजना के तहत 20 हजार किलोमीटर से ज्यादा सड़कों का निर्माण भी किया गया।

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भाइयों बहनों,

ये लिस्ट इतनी लंबी है कि गिनाने लगें तो कई घंटे कम पड़ जाएंगे। 10 बछोरे जा होलो ओटा ट्रेलार छिलो। अभी हमें देश को और बंगाल को बहुत आगे ले जाना है। और, ये काम सिर्फ बीजेपी सरकार की उपलब्धियां ही नहीं हैं। ये काँग्रेस, लेफ्ट और TMC के कारनामों का काले कारनामों का चिट्ठा भी है। इतने बरसों तक बंगाल में सरकार चलाने वालों ने बंगाल को कितना पीछे कर दिया है। लेकिन, मैं आपको बताना चाहता हूँ- बंगाल का विकास, ये मोदी की प्राथमिकता है। आप मुझे बताइए, बंगाल का विकास कौन कर सकता है, बंगाल का विकास कौन कर सकता है? आपके सपने कौन पूरे कर सकता है? आपके लिए दिन रात कौन दौड़ सकता है? हर पल आपके लिए खपाने वाला कौन है?

साथियों,

बंगाल के सपूत हमारे डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर के लिए अपना बलिदान दिया था। वही हमारी प्रेरणा हैं। पश्चिम बंगाल के विकास में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगें। साथियों, कांग्रेस सरकारों में एक समय था जब राज्य सरकारों को अपने यहां विकास की फरियादें लेकर दिल्ली के चक्कर काटने पड़ते थे। मैं खुद भी तब गुजरात का मुख्यमंत्री था। लेकिन, तब कांग्रेस सरकार ये देखकर काम करती थी कि किस राज्य में उसकी सरकार है, और कहां विरोधी पार्टी की सरकार है। लेकिन, आज हालात एकदम उल्टे हैं। मैं केंद्र से हर राज्य, हर जिले के विकास के लिए योजनाएँ भेजता हूँ। बंगाल और पूर्वी भारत के विकास के लिए हम लगातार मेहनत कर रहे हैं। लेकिन, बंगाल की TMC सरकार ये कोशिश करती है कि मोदी की योजनाएँ यहां के लोगों तक पहुँच न पाए! आपको इसका लाभ न मिले।TMC सरकार या तो केंद्र की गरीब कल्याण की योजनाओं को ठप्प कर देती है, या उस पर अपना स्टिकर लगा देती है। आप देखिए, आज देश भर में करोड़ों गरीबों को आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिल रहा है। लेकिन, बंगाल की TMC सरकार यहां उसे लागू नहीं होने देती। हम बंगाल में आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए काम करते हैं, तो राज्य सरकार उसमें भी रोड़े अटकाती है। मोदी बंगाल में पहले एम्स की शुरुआत कराता है, तो यहां की सरकार कहती है कि हमसे परमिशन क्यों नहीं ली? केंद्र सरकार के जलजीवन मिशन को भी ये लोग आगे नहीं बढ़ने देना चाहते। पीएम-आवास के घर गरीबों की जगह गलत लोगों को बांटे जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने मनरेगा के लिए पैसे दिए, उसे भी TMC के लोग खा गए। क्या ऐसी TMC को माफ करना चाहिए, ऐसी TMC को माफ करना चाहिए, ऐसी TMC को माफ करना चाहिए। इनकी ये सोच बताती है कि इन्हें बंगाल के विकास की चिंता नहीं है। इन्हें चिंता इस बात की है कि कहीं बंगाल के गरीब लोग, बंगाल की महिलाएं आगे न बढ़ जाएं! TMC बंगाल को गरीब बनाए रखना चाहती है ताकि उसका कारोबार फलता-फूलता रहे।

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साथियों,

TMC के बंगाल में किस चीज की परमिशन मिलेगी, किसकी परमिशन नहीं मिलेगी, ये कानून तय नहीं करता। ये TMC के तोलाबाज़ और गुंडे तय करते हैं। बंगाल में रामनवमी की शोभायात्रा की परमिशन नहीं मिलती। उसके लिए श्रद्धालुओं को कोर्ट जाना पड़ता है। लेकिन, रामनवमी और दुर्गापूजा की शोभा यात्राओं पर पत्थर फेंकने वालों को TMC सरकार ने पूरी परमिशन दे रखी है। ये लोग मतदाताओं को अपने लोकतान्त्रिक तरीके से वोट डालने की परमिशन नहीं देना चाहते। आपका प्यार, आपका ये उत्साह. सिर आंखों पर। मैं ये प्यार जीवन भर अपने साथ रखूंगा।

साथियों,

ये TMC वाले मतदाताओं को अपने लोकतांत्रिक तरीके से वोट डालने की परमिशन नहीं देना चाहते हैं लेकिन, TMC नेताओं को वोटर्स को धमकाने की पूरी परमिशन है। विभाजन का शिकार हमारे जो बंगाली भाई-बहन, जो विभाजन के खिलाफ थे, उनको ये लोग नागरिकता नहीं देना चाहते। TMC नागरिकता देने वाले CAA कानून का विरोध करती है, इसके बारे में झूठी अफवाहें फैलाती है। लेकिन, TMC ने बांग्लादेशी-रोहिंगिया ऐसे घुसपैठियों को बंगाल की डेमोग्राफी और कानून व्यवस्था बिगाड़ने की परमिशन दे रखी है। उन्हें ये लोग संरक्षण देते हैं। इन लोगों ने अपना वोटबैंक बढ़ाने के लिए बंगाल के भविष्य को दांव पर लगा दिया है।

साथियों,

आज ममता दीदी की सरकार में हमारी बहन बेटियाँ सुरक्षित नहीं हैं। संदेशखाली की घटनाओं ने पूरे देश और दुनिया को दहला दिया है। हमारी बहन-बेटियों के साथ TMC के लोग खुलेआम अत्याचार करते थे। उन्हें अपनी बंधक गुलाम मानकर रखते थे। ऐसी-ऐसी वारदात, सभ्य समाज जिनकी कल्पना भी नहीं कर सकता! कभी शिक्षा और सभ्यता के जाने जाने वाले बंगाल को, देवी की पूजा करने वाले बंगाल को इन लोगों ने ऐसी हालत में पहुंचा दिया है। संदेशखाली के गुंडों-माफियाओं को महिलाओं पर अत्याचार की खुली परमिशन किसने दी थी? अत्याचार की परमिशन किसने दी थी, महिलाओं पर जुर्म करने की परमिशन किसने दी थी। जब महिला संगठनों और दूसरी महिलाओं ने उन बहनों के आँसू पोछने चाहे, तो TMC सरकार उन्हें क्यों परमिशन नहीं दे रही थी? आप मुझे बताइये, क्या शक्ति की उपासना करने वाला बंगाल इस घोर पाप के लिए ये TMC वालों को सजा करेगा या नहीं करेगा, बड़ी से बड़ी सजा करेगा कि नहीं करेगा, इन्हें इस अपराध की सजा मिलनी चाहिए, सजा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए?

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साथियों, बंगाल के लोकप्रिय कवि सुकुमार रॉय ने कभी लिखा था-
आरे छी छी राम राम, बोलो ना बोलो ना।
चोलचे जा जुआचुरी, नेई तार तुलना॥

पहले काँग्रेस और लेफ्ट ने, और TMC ने मिलकर बंगाल का यही हाल कर दिया है। आज बंगाल में भ्रष्टाचार एक फुल-टाइम बिज़नेस बन चुका है। बंगाल में अपराध और गैर-कानूनी काम फुलटाइम बिज़नेस बन गए हैं। अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि केंद्रीय एजेंसियों पर खुलेआम हमले करते हैं। यहां राजनैतिक हत्याएं कराई जाती हैं। बंगाल का हर व्यक्ति ये बात कह रहा है- TMC माने विश्वाशघात, औत्ताचार, TMC माने भ्रष्टाचार, पोरिवारवाद

साथियों,

मुझे विश्वास है, आने वाली 26 अप्रैल की तारीख, बंगाल के लिए एक और नवजागरण का काल उसकी तारीख बनेगी। 26 अप्रैल को आपको रायगंज लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी श्री कार्तिक पॉल जी को भारी मतों से जिताकर दिल्ली मेरी मदद के लिए भेजना है। औऱ इसके लिए आपको हर पोलिंग बूथ में जाना है, जाएगें, हर मतदाता को मिलेंगे। घर घर जाएगें, पोलिंग बूथ जिताएगें। कितनी ही गर्मी क्यों ना हो, ज्यादा से ज्यादा वोट करवाएगें। पोलिंग बूथ जीत कर आएगें।
अच्छा मेरा एक और काम करेगें, करेंगे,जरा सब बताइए सब करेंगे। मेरा एक काम करना, हर घर जाना औऱ हर घर जा करके कहना मोदी जी आए थे, मोदी जी ने आपको प्रणाम कहा है, मेरा प्रणाम पहुंचा दोगे, मेरा प्रणाम पहुंचा दोगे, घर घर पहुंचा दोगे।

मेरे साथ बोलिए, भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय।

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम.....वंदे मातरम...

  • कृष्ण सिंह राजपुरोहित भाजपा विधान सभा गुड़ामा लानी November 21, 2024

    जय श्री राम 🚩 वन्दे मातरम् जय भाजपा विजय भाजपा
  • Devendra Kunwar October 08, 2024

    BJP
  • दिग्विजय सिंह राना September 18, 2024

    हर हर महादेव
  • Pradhuman Singh Tomar June 19, 2024

    BJP
  • Dharmendra Singh June 18, 2024

    जय श्रीं राम ||🙏
  • Mohd Husain May 31, 2024

    Jay ho
  • JBL SRIVASTAVA May 27, 2024

    मोदी जी 400 पार
  • Domanlal korsewada May 21, 2024

    BJP
  • Shabbir meman May 20, 2024

    🙏🙏
  • गणेश कांबळे May 15, 2024

    jay ho
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India is driving global growth today: PM Modi at Republic Plenary Summit
March 06, 2025
QuoteIndia's achievements and successes have sparked a new wave of hope across the globe: PM
QuoteIndia is driving global growth today: PM
QuoteToday's India thinks big, sets ambitious targets and delivers remarkable results: PM
QuoteWe launched the SVAMITVA Scheme to grant property rights to rural households in India: PM
QuoteYouth is the X-Factor of today's India, where X stands for Experimentation, Excellence, and Expansion: PM
QuoteIn the past decade, we have transformed impact-less administration into impactful governance: PM
QuoteEarlier, construction of houses was government-driven, but we have transformed it into an owner-driven approach: PM

नमस्कार!

आप लोग सब थक गए होंगे, अर्णब की ऊंची आवाज से कान तो जरूर थक गए होंगे, बैठिये अर्णब, अभी चुनाव का मौसम नहीं है। सबसे पहले तो मैं रिपब्लिक टीवी को उसके इस अभिनव प्रयोग के लिए बहुत बधाई देता हूं। आप लोग युवाओं को ग्रासरूट लेवल पर इन्वॉल्व करके, इतना बड़ा कंपटीशन कराकर यहां लाए हैं। जब देश का युवा नेशनल डिस्कोर्स में इन्वॉल्व होता है, तो विचारों में नवीनता आती है, वो पूरे वातावरण में एक नई ऊर्जा भर देता है और यही ऊर्जा इस समय हम यहां महसूस भी कर रहे हैं। एक तरह से युवाओं के इन्वॉल्वमेंट से हम हर बंधन को तोड़ पाते हैं, सीमाओं के परे जा पाते हैं, फिर भी कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं रहता, जिसे पाया ना जा सके। कोई मंजिल ऐसी नहीं रहती जिस तक पहुंचा ना जा सके। रिपब्लिक टीवी ने इस समिट के लिए एक नए कॉन्सेप्ट पर काम किया है। मैं इस समिट की सफलता के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। अच्छा मेरा भी इसमें थोड़ा स्वार्थ है, एक तो मैं पिछले दिनों से लगा हूं, कि मुझे एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है और वो एक लाख ऐसे, जो उनकी फैमिली में फर्स्ट टाइमर हो, तो एक प्रकार से ऐसे इवेंट मेरा जो यह मेरा मकसद है उसका ग्राउंड बना रहे हैं। दूसरा मेरा व्यक्तिगत लाभ है, व्यक्तिगत लाभ यह है कि 2029 में जो वोट करने जाएंगे उनको पता ही नहीं है कि 2014 के पहले अखबारों की हेडलाइन क्या हुआ करती थी, उसे पता नहीं है, 10-10, 12-12 लाख करोड़ के घोटाले होते थे, उसे पता नहीं है और वो जब 2029 में वोट करने जाएगा, तो उसके सामने कंपैरिजन के लिए कुछ नहीं होगा और इसलिए मुझे उस कसौटी से पार होना है और मुझे पक्का विश्वास है, यह जो ग्राउंड बन रहा है ना, वो उस काम को पक्का कर देगा।

साथियों,

आज पूरी दुनिया कह रही है कि ये भारत की सदी है, ये आपने नहीं सुना है। भारत की उपलब्धियों ने, भारत की सफलताओं ने पूरे विश्व में एक नई उम्मीद जगाई है। जिस भारत के बारे में कहा जाता था, ये खुद भी डूबेगा और हमें भी ले डूबेगा, वो भारत आज दुनिया की ग्रोथ को ड्राइव कर रहा है। मैं भारत के फ्यूचर की दिशा क्या है, ये हमें आज के हमारे काम और सिद्धियों से पता चलता है। आज़ादी के 65 साल बाद भी भारत दुनिया की ग्यारहवें नंबर की इकॉनॉमी था। बीते दशक में हम दुनिया की पांचवें नंबर की इकॉनॉमी बने, और अब उतनी ही तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।

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साथियों,

मैं आपको 18 साल पहले की भी बात याद दिलाता हूं। ये 18 साल का खास कारण है, क्योंकि जो लोग 18 साल की उम्र के हुए हैं, जो पहली बार वोटर बन रहे हैं, उनको 18 साल के पहले का पता नहीं है, इसलिए मैंने वो आंकड़ा लिया है। 18 साल पहले यानि 2007 में भारत की annual GDP, एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंची थी। यानि आसान शब्दों में कहें तो ये वो समय था, जब एक साल में भारत में एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी होती थी। अब आज देखिए क्या हो रहा है? अब एक क्वार्टर में ही लगभग एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही है। इसका क्या मतलब हुआ? 18 साल पहले के भारत में साल भर में जितनी इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही थी, उतनी अब सिर्फ तीन महीने में होने लगी है। ये दिखाता है कि आज का भारत कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा, जो दिखाते हैं कि बीते एक दशक में कैसे बड़े बदलाव भी आए और नतीजे भी आए। बीते 10 सालों में, हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुए हैं। ये संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। आप वो दौर भी याद करिए, जब सरकार खुद स्वीकार करती थी, प्रधानमंत्री खुद कहते थे, कि एक रूपया भेजते थे, तो 15 पैसा गरीब तक पहुंचता था, वो 85 पैसा कौन पंजा खा जाता था और एक आज का दौर है। बीते दशक में गरीबों के खाते में, DBT के जरिए, Direct Benefit Transfer, DBT के जरिए 42 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं, 42 लाख करोड़ रुपए। अगर आप वो हिसाब लगा दें, रुपये में से 15 पैसे वाला, तो 42 लाख करोड़ का क्या हिसाब निकलेगा? साथियों, आज दिल्ली से एक रुपया निकलता है, तो 100 पैसे आखिरी जगह तक पहुंचते हैं।

साथियों,

10 साल पहले सोलर एनर्जी के मामले में भारत दुनिया में कहीं गिनती नहीं होती थी। लेकिन आज भारत सोलर एनर्जी कैपेसिटी के मामले में दुनिया के टॉप-5 countries में से है। हमने सोलर एनर्जी कैपेसिटी को 30 गुना बढ़ाया है। Solar module manufacturing में भी 30 गुना वृद्धि हुई है। 10 साल पहले तो हम होली की पिचकारी भी, बच्चों के खिलौने भी विदेशों से मंगाते थे। आज हमारे Toys Exports तीन गुना हो चुके हैं। 10 साल पहले तक हम अपनी सेना के लिए राइफल तक विदेशों से इंपोर्ट करते थे और बीते 10 वर्षों में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट 20 गुना बढ़ गया है।

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साथियों,

इन 10 वर्षों में, हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्टील प्रोड्यूसर हैं, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरर हैं और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बने हैं। इन्हीं 10 सालों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपने Capital Expenditure को, पांच गुना बढ़ाया है। देश में एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी हो गई है। इन दस सालों में ही, देश में ऑपरेशनल एम्स की संख्या तीन गुना हो गई है। और इन्हीं 10 सालों में मेडिकल कॉलेजों और मेडिकल सीट्स की संख्या भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है।

साथियों,

आज के भारत का मिजाज़ कुछ और ही है। आज का भारत बड़ा सोचता है, बड़े टार्गेट तय करता है और आज का भारत बड़े नतीजे लाकर के दिखाता है। और ये इसलिए हो रहा है, क्योंकि देश की सोच बदल गई है, भारत बड़ी Aspirations के साथ आगे बढ़ रहा है। पहले हमारी सोच ये बन गई थी, चलता है, होता है, अरे चलने दो यार, जो करेगा करेगा, अपन अपना चला लो। पहले सोच कितनी छोटी हो गई थी, मैं इसका एक उदाहरण देता हूं। एक समय था, अगर कहीं सूखा हो जाए, सूखाग्रस्त इलाका हो, तो लोग उस समय कांग्रेस का शासन हुआ करता था, तो मेमोरेंडम देते थे गांव के लोग और क्या मांग करते थे, कि साहब अकाल होता रहता है, तो इस समय अकाल के समय अकाल के राहत के काम रिलीफ के वर्क शुरू हो जाए, गड्ढे खोदेंगे, मिट्टी उठाएंगे, दूसरे गड्डे में भर देंगे, यही मांग किया करते थे लोग, कोई कहता था क्या मांग करता था, कि साहब मेरे इलाके में एक हैंड पंप लगवा दो ना, पानी के लिए हैंड पंप की मांग करते थे, कभी कभी सांसद क्या मांग करते थे, गैस सिलेंडर इसको जरा जल्दी देना, सांसद ये काम करते थे, उनको 25 कूपन मिला करती थी और उस 25 कूपन को पार्लियामेंट का मेंबर अपने पूरे क्षेत्र में गैस सिलेंडर के लिए oblige करने के लिए उपयोग करता था। एक साल में एक एमपी 25 सिलेंडर और यह सारा 2014 तक था। एमपी क्या मांग करते थे, साहब ये जो ट्रेन जा रही है ना, मेरे इलाके में एक स्टॉपेज दे देना, स्टॉपेज की मांग हो रही थी। यह सारी बातें मैं 2014 के पहले की कर रहा हूं, बहुत पुरानी नहीं कर रहा हूं। कांग्रेस ने देश के लोगों की Aspirations को कुचल दिया था। इसलिए देश के लोगों ने उम्मीद लगानी भी छोड़ दी थी, मान लिया था यार इनसे कुछ होना नहीं है, क्या कर रहा है।। लोग कहते थे कि भई ठीक है तुम इतना ही कर सकते हो तो इतना ही कर दो। और आज आप देखिए, हालात और सोच कितनी तेजी से बदल रही है। अब लोग जानते हैं कि कौन काम कर सकता है, कौन नतीजे ला सकता है, और यह सामान्य नागरिक नहीं, आप सदन के भाषण सुनोगे, तो विपक्ष भी यही भाषण करता है, मोदी जी ये क्यों नहीं कर रहे हो, इसका मतलब उनको लगता है कि यही करेगा।

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साथियों,

आज जो एस्पिरेशन है, उसका प्रतिबिंब उनकी बातों में झलकता है, कहने का तरीका बदल गया , अब लोगों की डिमांड क्या आती है? लोग पहले स्टॉपेज मांगते थे, अब आकर के कहते जी, मेरे यहां भी तो एक वंदे भारत शुरू कर दो। अभी मैं कुछ समय पहले कुवैत गया था, तो मैं वहां लेबर कैंप में नॉर्मली मैं बाहर जाता हूं तो अपने देशवासी जहां काम करते हैं तो उनके पास जाने का प्रयास करता हूं। तो मैं वहां लेबर कॉलोनी में गया था, तो हमारे जो श्रमिक भाई बहन हैं, जो वहां कुवैत में काम करते हैं, उनसे कोई 10 साल से कोई 15 साल से काम, मैं उनसे बात कर रहा था, अब देखिए एक श्रमिक बिहार के गांव का जो 9 साल से कुवैत में काम कर रहा है, बीच-बीच में आता है, मैं जब उससे बातें कर रहा था, तो उसने कहा साहब मुझे एक सवाल पूछना है, मैंने कहा पूछिए, उसने कहा साहब मेरे गांव के पास डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बना दीजिए ना, जी मैं इतना प्रसन्न हो गया, कि मेरे देश के बिहार के गांव का श्रमिक जो 9 साल से कुवैत में मजदूरी करता है, वह भी सोचता है, अब मेरे डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा। ये है, आज भारत के एक सामान्य नागरिक की एस्पिरेशन, जो विकसित भारत के लक्ष्य की ओर पूरे देश को ड्राइव कर रही है।

साथियों,

किसी भी समाज की, राष्ट्र की ताकत तभी बढ़ती है, जब उसके नागरिकों के सामने से बंदिशें हटती हैं, बाधाएं हटती हैं, रुकावटों की दीवारें गिरती है। तभी उस देश के नागरिकों का सामर्थ्य बढ़ता है, आसमान की ऊंचाई भी उनके लिए छोटी पड़ जाती है। इसलिए, हम निरंतर उन रुकावटों को हटा रहे हैं, जो पहले की सरकारों ने नागरिकों के सामने लगा रखी थी। अब मैं उदाहरण देता हूं स्पेस सेक्टर। स्पेस सेक्टर में पहले सबकुछ ISRO के ही जिम्मे था। ISRO ने निश्चित तौर पर शानदार काम किया, लेकिन स्पेस साइंस और आंत्रप्रन्योरशिप को लेकर देश में जो बाकी सामर्थ्य था, उसका उपयोग नहीं हो पा रहा था, सब कुछ इसरो में सिमट गया था। हमने हिम्मत करके स्पेस सेक्टर को युवा इनोवेटर्स के लिए खोल दिया। और जब मैंने निर्णय किया था, किसी अखबार की हेडलाइन नहीं बना था, क्योंकि समझ भी नहीं है। रिपब्लिक टीवी के दर्शकों को जानकर खुशी होगी, कि आज ढाई सौ से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप्स देश में बन गए हैं, ये मेरे देश के युवाओं का कमाल है। यही स्टार्टअप्स आज, विक्रम-एस और अग्निबाण जैसे रॉकेट्स बना रहे हैं। ऐसे ही mapping के सेक्टर में हुआ, इतने बंधन थे, आप एक एटलस नहीं बना सकते थे, टेक्नॉलाजी बदल चुकी है। पहले अगर भारत में कोई मैप बनाना होता था, तो उसके लिए सरकारी दरवाजों पर सालों तक आपको चक्कर काटने पड़ते थे। हमने इस बंदिश को भी हटाया। आज Geo-spatial mapping से जुडा डेटा, नए स्टार्टअप्स का रास्ता बना रहा है।

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साथियों,

न्यूक्लियर एनर्जी, न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े सेक्टर को भी पहले सरकारी कंट्रोल में रखा गया था। बंदिशें थीं, बंधन थे, दीवारें खड़ी कर दी गई थीं। अब इस साल के बजट में सरकार ने इसको भी प्राइवेट सेक्टर के लिए ओपन करने की घोषणा की है। और इससे 2047 तक 100 गीगावॉट न्यूक्लियर एनर्जी कैपेसिटी जोड़ने का रास्ता मजबूत हुआ है।

साथियों,

आप हैरान रह जाएंगे, कि हमारे गांवों में 100 लाख करोड़ रुपए, Hundred lakh crore rupees, उससे भी ज्यादा untapped आर्थिक सामर्थ्य पड़ा हुआ है। मैं आपके सामने फिर ये आंकड़ा दोहरा रहा हूं- 100 लाख करोड़ रुपए, ये छोटा आंकड़ा नहीं है, ये आर्थिक सामर्थ्य, गांव में जो घर होते हैं, उनके रूप में उपस्थित है। मैं आपको और आसान तरीके से समझाता हूं। अब जैसे यहां दिल्ली जैसे शहर में आपके घर 50 लाख, एक करोड़, 2 करोड़ के होते हैं, आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू पर आपको बैंक लोन भी मिल जाता है। अगर आपका दिल्ली में घर है, तो आप बैंक से करोड़ों रुपये का लोन ले सकते हैं। अब सवाल यह है, कि घर दिल्ली में थोड़े है, गांव में भी तो घर है, वहां भी तो घरों का मालिक है, वहां ऐसा क्यों नहीं होता? गांवों में घरों पर लोन इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि भारत में गांव के घरों के लीगल डॉक्यूमेंट्स नहीं होते थे, प्रॉपर मैपिंग ही नहीं हो पाई थी। इसलिए गांव की इस ताकत का उचित लाभ देश को, देशवासियों को नहीं मिल पाया। और ये सिर्फ भारत की समस्या है ऐसा नहीं है, दुनिया के बड़े-बड़े देशों में लोगों के पास प्रॉपर्टी के राइट्स नहीं हैं। बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कहती हैं, कि जो देश अपने यहां लोगों को प्रॉपर्टी राइट्स देता है, वहां की GDP में उछाल आ जाता है।

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साथियों,

भारत में गांव के घरों के प्रॉपर्टी राइट्स देने के लिए हमने एक स्वामित्व स्कीम शुरु की। इसके लिए हम गांव-गांव में ड्रोन से सर्वे करा रहे हैं, गांव के एक-एक घर की मैपिंग करा रहे हैं। आज देशभर में गांव के घरों के प्रॉपर्टी कार्ड लोगों को दिए जा रहे हैं। दो करोड़ से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड सरकार ने बांटे हैं और ये काम लगातार चल रहा है। प्रॉपर्टी कार्ड ना होने के कारण पहले गांवों में बहुत सारे विवाद भी होते थे, लोगों को अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते थे, ये सब भी अब खत्म हुआ है। इन प्रॉपर्टी कार्ड्स पर अब गांव के लोगों को बैंकों से लोन मिल रहे हैं, इससे गांव के लोग अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, स्वरोजगार कर रहे हैं। अभी मैं एक दिन ये स्वामित्व योजना के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस पर उसके लाभार्थियों से बात कर रहा था, मुझे राजस्थान की एक बहन मिली, उसने कहा कि मैंने मेरा प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद मैंने 9 लाख रुपये का लोन लिया गांव में और बोली मैंने बिजनेस शुरू किया और मैं आधा लोन वापस कर चुकी हूं और अब मुझे पूरा लोन वापस करने में समय नहीं लगेगा और मुझे अधिक लोन की संभावना बन गई है कितना कॉन्फिडेंस लेवल है।

साथियों,

ये जितने भी उदाहरण मैंने दिए हैं, इनका सबसे बड़ा बेनिफिशरी मेरे देश का नौजवान है। वो यूथ, जो विकसित भारत का सबसे बड़ा स्टेकहोल्डर है। जो यूथ, आज के भारत का X-Factor है। इस X का अर्थ है, Experimentation Excellence और Expansion, Experimentation यानि हमारे युवाओं ने पुराने तौर तरीकों से आगे बढ़कर नए रास्ते बनाए हैं। Excellence यानी नौजवानों ने Global Benchmark सेट किए हैं। और Expansion यानी इनोवेशन को हमारे य़ुवाओं ने 140 करोड़ देशवासियों के लिए स्केल-अप किया है। हमारा यूथ, देश की बड़ी समस्याओं का समाधान दे सकता है, लेकिन इस सामर्थ्य का सदुपयोग भी पहले नहीं किया गया। हैकाथॉन के ज़रिए युवा, देश की समस्याओं का समाधान भी दे सकते हैं, इसको लेकर पहले सरकारों ने सोचा तक नहीं। आज हम हर वर्ष स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन आयोजित करते हैं। अभी तक 10 लाख युवा इसका हिस्सा बन चुके हैं, सरकार की अनेकों मिनिस्ट्रीज और डिपार्टमेंट ने गवर्नेंस से जुड़े कई प्रॉब्लम और उनके सामने रखें, समस्याएं बताई कि भई बताइये आप खोजिये क्या सॉल्यूशन हो सकता है। हैकाथॉन में हमारे युवाओं ने लगभग ढाई हज़ार सोल्यूशन डेवलप करके देश को दिए हैं। मुझे खुशी है कि आपने भी हैकाथॉन के इस कल्चर को आगे बढ़ाया है। और जिन नौजवानों ने विजय प्राप्त की है, मैं उन नौजवानों को बधाई देता हूं और मुझे खुशी है कि मुझे उन नौजवानों से मिलने का मौका मिला।

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साथियों,

बीते 10 वर्षों में देश ने एक new age governance को फील किया है। बीते दशक में हमने, impact less administration को Impactful Governance में बदला है। आप जब फील्ड में जाते हैं, तो अक्सर लोग कहते हैं, कि हमें फलां सरकारी स्कीम का बेनिफिट पहली बार मिला। ऐसा नहीं है कि वो सरकारी स्कीम्स पहले नहीं थीं। स्कीम्स पहले भी थीं, लेकिन इस लेवल की last mile delivery पहली बार सुनिश्चित हो रही है। आप अक्सर पीएम आवास स्कीम के बेनिफिशरीज़ के इंटरव्यूज़ चलाते हैं। पहले कागज़ पर गरीबों के मकान सेंक्शन होते थे। आज हम जमीन पर गरीबों के घर बनाते हैं। पहले मकान बनाने की पूरी प्रक्रिया, govt driven होती थी। कैसा मकान बनेगा, कौन सा सामान लगेगा, ये सरकार ही तय करती थी। हमने इसको owner driven बनाया। सरकार, लाभार्थी के अकाउंट में पैसा डालती है, बाकी कैसा घर बनेगा, ये लाभार्थी खुद डिसाइड करता है। और घर के डिजाइन के लिए भी हमने देशभर में कंपीटिशन किया, घरों के मॉडल सामने रखे, डिजाइन के लिए भी लोगों को जोड़ा, जनभागीदारी से चीज़ें तय कीं। इससे घरों की क्वालिटी भी अच्छी हुई है और घर तेज़ गति से कंप्लीट भी होने लगे हैं। पहले ईंट-पत्थर जोड़कर आधे-अधूरे मकान बनाकर दिए जाते थे, हमने गरीब को उसके सपनों का घर बनाकर दिया है। इन घरों में नल से जल आता है, उज्ज्वला योजना का गैस कनेक्शन होता है, सौभाग्य योजना का बिजली कनेक्शन होता है, हमने सिर्फ चार दीवारें खड़ी नहीं कीं है, हमने उन घरों में ज़िंदगी खड़ी की है।

साथियों,

किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी पक्ष है उस देश की सुरक्षा, नेशनल सिक्योरिटी। बीते दशक में हमने सिक्योरिटी पर भी बहुत अधिक काम किया है। आप याद करिए, पहले टीवी पर अक्सर, सीरियल बम ब्लास्ट की ब्रेकिंग न्यूज चला करती थी, स्लीपर सेल्स के नेटवर्क पर स्पेशल प्रोग्राम हुआ करते थे। आज ये सब, टीवी स्क्रीन और भारत की ज़मीन दोनों जगह से गायब हो चुका है। वरना पहले आप ट्रेन में जाते थे, हवाई अड्डे पर जाते थे, लावारिस कोई बैग पड़ा है तो छूना मत ऐसी सूचनाएं आती थी, आज वो जो 18-20 साल के नौजवान हैं, उन्होंने वो सूचना सुनी नहीं होगी। आज देश में नक्सलवाद भी अंतिम सांसें गिन रहा है। पहले जहां सौ से अधिक जिले, नक्सलवाद की चपेट में थे, आज ये दो दर्जन से भी कम जिलों में ही सीमित रह गया है। ये तभी संभव हुआ, जब हमने nation first की भावना से काम किया। हमने इन क्षेत्रों में Governance को Grassroot Level तक पहुंचाया। देखते ही देखते इन जिलों मे हज़ारों किलोमीटर लंबी सड़कें बनीं, स्कूल-अस्पताल बने, 4G मोबाइल नेटवर्क पहुंचा और परिणाम आज देश देख रहा है।

साथियों,

सरकार के निर्णायक फैसलों से आज नक्सलवाद जंगल से तो साफ हो रहा है, लेकिन अब वो Urban सेंटर्स में पैर पसार रहा है। Urban नक्सलियों ने अपना जाल इतनी तेज़ी से फैलाया है कि जो राजनीतिक दल, अर्बन नक्सल के विरोधी थे, जिनकी विचारधारा कभी गांधी जी से प्रेरित थी, जो भारत की ज़ड़ों से जुड़ी थी, ऐसे राजनीतिक दलों में आज Urban नक्सल पैठ जमा चुके हैं। आज वहां Urban नक्सलियों की आवाज, उनकी ही भाषा सुनाई देती है। इसी से हम समझ सकते हैं कि इनकी जड़ें कितनी गहरी हैं। हमें याद रखना है कि Urban नक्सली, भारत के विकास और हमारी विरासत, इन दोनों के घोर विरोधी हैं। वैसे अर्नब ने भी Urban नक्सलियों को एक्सपोज करने का जिम्मा उठाया हुआ है। विकसित भारत के लिए विकास भी ज़रूरी है और विरासत को मज़बूत करना भी आवश्यक है। और इसलिए हमें Urban नक्सलियों से सावधान रहना है।

साथियों,

आज का भारत, हर चुनौती से टकराते हुए नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मुझे भरोसा है कि रिपब्लिक टीवी नेटवर्क के आप सभी लोग हमेशा नेशन फर्स्ट के भाव से पत्रकारिता को नया आयाम देते रहेंगे। आप विकसित भारत की एस्पिरेशन को अपनी पत्रकारिता से catalyse करते रहें, इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत-बहुत आभार, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद!