Government is determined to preserve the legacy of all those who contributed to the cause of India's defence and security, and to its social life: PM
In just 100 days, over 6 lakh people had benefited from the Ayushman Bharat: PM Modi
20 crore people across the country have joined the JeevanJyoti, or Suraksha Beema schemes: PM Modi

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय, मैं एक नारा बुलवाऊंगा आप सबको मेरे साथ बोलना होगा- मैं कहूंगा महाराजा सुहेलदेव.. आप सब दोनो हाथ ऊपर करके बोलेंगे दो बार बोलेंगें अमर रहे अमर रहे, महाराजा सुहेलदेव अमर रहे अमर रहे, महाराजा सुहेलदेव अमर रहे अमर रहे, महाराजा सुहेलदेव अमर रहे अमर रहे, महाराजा सुहेलदेव अमर रहे अमर रहे।

विशाल संख्‍या में पधारे मेरे प्रिय भाईयो और बहनों।

 देश की सुरक्षा के लिए शूरवीर देने वाली, वीर सपूत देने वाली, सेनानियों को जन्‍म देने वाली, ये धरती जहां ऋषियों, मुनियों के चरण पड़े हैं। ऐसे गाजीपुर में एक बार फिर आना मेरे लिए बहुत ही सुखद है।

आप सभी का उत्‍साह और जोश हमेशा से मेरी ऊर्जा का स्रोत रहा है। आज भी आप इतनी भारी संख्‍या में यहां आए हैं और ऐसे ठंड के माहौल में मुझे आशीर्वाद देने पहुंचे हैं। इसके लिए मैं आप सभी को नमन करता हूं।

साथियों, उत्‍तर प्रदेश में मेरे आज के प्रवास के दौरान आज पूर्वांचल को देश का एक बड़ा Medical Hub बनाने का, कृषि से जुड़े शोध का महत्‍वपूर्ण सेंटर बनाने और यूपी के लघू उद्योगों को मजबूत करने की दिशा में अनेक महत्‍वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे। थोड़ी देर पहले ही गाजीपुर में बनने वाले नए मेडिकल कॉलेज का शिलान्‍यास किया गया है।

आज यहां पूर्वांचल और पूरे उत्‍तर प्रदेश का गौरव बढ़ाने वाला एक और पुण्‍य कार्य हुआ है। पूरे देश के कोने-कोने का ये गौरव बढ़ाने वाले अवसर हैं। हर हिन्‍दुस्‍तानी को अपना देश, अपनी संस्‍कृति, अपनी महाक्रोश उनकी वीरता का पुन: स्‍मरण कराने का एक पुण्‍य कार्य आज यहां हुआ है। महाराजा सुहेलदेव की शौर्य गाथा देश के लिए उनके योगदान को नमन करते हुए थोड़ी देर पहले उनकी स्‍मृति में Postal Stamp जारी किया गया है। पांच रुपये की कीमत का ये डाक टिकट लाखों की संख्‍या में देश भर के Post Office के माध्‍यम से देश के घर-घर पहुंचने वाला है। महाराजा सुहेलदेव को- उनके महान कार्यों को हिन्‍दुस्‍तान के हर कोनें में, हर घर में पहुंचाने का एक नम्र प्रयास इस postal stamp के माध्‍यम से होने वाला है। 

साथियों, महाराजा सुहेलदेव देश के उन वीरों में रहे हैं। जिन्‍होंने मां भारती के सम्‍मान के लिए संघर्ष किया। महाराजा सुहेलदेव जैसे नायक जिनसे हर वंचित, हर शोषित प्रेरणा लेता है। उनका स्‍मरण भी तो ‘सबका साथ सबका विकास के मंत्र को और नई शक्ति देता है। ऐसा कहते हैं कि जब महाराजा सुहेलदेव का राज था तो लोग घरों में ताला लगाने की भी जरूरत नहीं समझते थे। अपने शासन में उन्‍होंने लोगों के जीवन को आसान बनाने, गरीबों को सशक्‍त करने के लिए अनेक कार्य किए हैं। उन्‍होंने सड़कें बनवाई, बगीचे लगवाए, पाठशालाएं खुलवाई, मंदिरों की स्‍थापना की और अपने राज्‍य को बहुत ही सुंदर रूप दिया। जब विदेशी आंक्राता ने भारत भूमि पर आंख उठाई तो महाराजा सुहेलदेव उन महावीरों में थे जिन्‍होंने उनका डटकर मुकाबला किया और दुश्‍मनों को परास्‍त किया। उन्‍होंने आस-पास के अन्‍य राजाओं को जोड़कर ऐसी संगठन शक्ति उत्‍पन्‍न की, कि दुश्‍मन उनके सामने टिक नहीं पाए। महाराजा सुहेलदेव का जीवन एक बेहतरीन योद्धा, कुशल रणनीतिकार, संगठन शक्ति के निर्माता ऐसी अनेक प्रेरणा की वे मूर्ति रहे हैं। वो सबको साथ लेकर चलते थे। महाराजा सुहेलदेव सबके थे।

भाईयों और बहनों देश के ऐेसे वीर वीरागनाओं को, जिन्‍हें पहले की सरकारों ने एक प्रकार से भूला दिया, मान नहीं दिया, उनको नमन करना ये हमारी सरकार ने अपना दायित्‍व समझा है। हमने हमारी जिम्‍मेवारी समझी है।

भाईयों और बहनों उत्‍तर प्रदेश के बहराइच जनपद में चितोरा, जब भी हम महाराजा सुहेलदेव को याद करते हैं तो बहराइच जनपद के चितोरा को कभी भूल नहीं सकते। वही धरती थी जहां महाराजा ने आंक्राताओं को समाप्‍त किया था, परास्‍त किया था। योगी जी की सरकार ने उस स्‍थान पर जहां महाराजा सुहेलदेव ने भव्‍य विजय प्राप्‍त किया था और जिस महापुरुष को हजार साल तक भूला दिया गया था। उनकी स्‍मारक में उस विजय को याद कराने वाली पीढि़यां इसके लिए एक भव्‍य स्‍मारक बनाने का भी आज उत्‍तर प्रदेश की सरकार ने फैसला किया है। मैं उत्‍तर प्रदेश सरकार को महाराजा सुहेलदेव के स्‍मारक के लिए, इस कल्‍पना के लिए, इतिहास को पुर्नजीवित करने के लिए हृदयपूर्वक बहुत-बहुत बधाई देता हूं और महाराजा सुहेलदेव से प्रेरणा लेने वाले हर किसी को देश के कोने-कोने में प्रेरणा मिलती रहे इसके लिए शुभकामनाएं देता हूं।

ये भारतीय जनता पार्टी के अगुवाई वाली केंद्र सरकार का दृढ़ निश्‍चय है कि जिन्‍होंने भी भारत की रक्षा, सुरक्षा, भारत के सामाजिक जीवन को ऊपर उठाने में योगदान दिया है उनकी स्‍मृति को मिटने नहीं दिया जाएगा। अपने इतिहास, अपनी पुरातन संस्‍कृति के स्‍वर्णिम पृष्‍ठों पर धूल जमने नहीं दी जाएगी।  

साथियों, महाराजा सुहेलदेव जितने बड़े वीर थे उतने ही बड़े दयालु और संवेदनशील थे। संवेदनशीलता के यही संस्‍कार हम सरकार में, व्‍यवस्‍था में लाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। केंद्र और यूपी सरकार पूरी ईमानदारी से ये प्रयास कर रही है कि गरीब, पिछड़े, दलित, शाषित, वंचित हर प्रकार से समाज का ये तबका सशक्‍त हो, सामर्थ्‍यवान हो, अपने हकों को पाकर के रहे। ये सपना लेकर के हम काम कर रहे हैं। उनकी आवाज व्‍यवस्‍था तक आसानी से पहुंचे।

भाईयों और बहनों आज सरकार सामान्‍य जनता के लिए सुलभ भी है और अनेक समस्‍याओं के स्‍थायी समाधान की कोशिश कर रही है। वोट के लिए तत्‍कालीक घोषनाओं, फीते काटने की परंपरा को हमारी सरकार ने पूरी तरह बदला है। सरकार के संस्‍कार और व्‍यवहार में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। यही कारण है कि आज गरीब से गरीब की भी सुनवाई होने का मार्ग खुला है।   

साथियों, समाज के आखिरी पायदान पर खड़ें व्‍यक्ति को गरिमा पूर्ण जीवन देने का ये अभियान अभी शुरुआती दौर में है। अभी एक ठोस आधार बनाने में सरकार सफल हुई है। इसी नींव पर मजबूत इमारत तैयार करने का काम अभी बाकी है। पूर्वांचल में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं का विस्‍तार इसी दिशा में उठाया गया कदम है। स्‍वास्‍थ्‍य की दृष्टि से देश में सबसे कम विकसित क्षेत्रों में से एक पूर्वांचल को Medical Hub बनाने की दिशा में निरंतर तेजी लाई जा रही है।

भाईयों और बहनों थोड़ी देर पहले जिस medical college का शिलान्‍यास किया गया है, उससे इस क्षेत्र को आधुनिक चिकित्‍सा सुविधा तो मिलेगी ही। गाजीपुर में नए और मेधावी डॉक्‍टर भी तैयार होंगे। यहां के नौजवानों को डॉक्‍टर बनने का सपना अपने घर में पूरा करने का मौका मिलेगा। करीब ढाई सौ करोड़ की लागत से जब ये कॉलेज बनकर तैयार हो जाएगा तो गाजीपुर का जिला अस्‍पताल 300 बेड का हो जाएगा। इस अस्‍पताल से गाजीपुर के साथ-साथ आस-पास के अन्‍य जिलों के लोगों को भी लाभ होगा। लंबे समय से ये आप सभी की मांग रही थी और आप सभी के प्रिय हमारे साथी मनोज सिन्‍हा जी भी निरंतर इसको आवाज देते रहे हैं। बहुत जल्‍दी ही ये अस्‍पताल आप सभी की सेवा के लिए समर्पित होगा। इसके अलावा गाजीपुर में 100 बिस्‍तर वाले मेटरनिटी अस्‍पताल की सुविधा भी जुड़ चुकी है। जिला अस्‍पताल में आधुनिक एंबुलेंस की सुविधा दी गई है। आने वाले समय में इन सुविधाओं को और विस्‍तार दिया जाएगा।

भाईयों और बहनों गाजीपुर का नया मेडिकल कॉलेज हो, गोरखपुर का एम्‍स हो, वाराणसी में बन रहे अनेक आधुनिक अस्‍पताल हो, पुराने अस्‍पतालों का विस्‍तार हो, पूर्वांचल में हजारों करोड़ो की स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं तैयार हो रही हैं।  

साथियों, गरीब और मध्‍यम वर्ग के स्‍वास्‍थ्‍य को आजादी के इतिहास में पहली बार इतनी प्राथमिकता दी जा रही है। आयुष्‍मान भारत योजना, PMJAY लोग उसको मोदीकेयर भी कहते हैं। इस PMJAY  आयुष्‍मान योजना का लाभ ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों तक पहुंचे इसका प्रयास किया जा रहा है। इस योजना से केंसर जैसी सैंकड़ों गंभीर बीमारियों की स्थिति में पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज सुनिश्चित हुआ है। सिर्फ 100 दिन के भीतर ही देश भर के करीब साढ़े छह लाख गरीब बहनों-भाईयों का मुफ्त इलाज या तो हो चुका है या फिर अभी अस्‍पताल में इलाज चल रहा है। इसमें हमारे उत्‍तर प्रदेश के भी 14 हजार से ज्‍यादा बहनों-भाईयों को इसका लाभ मिला है। और ये वो लोग हैं दो-दो, चार-चार, पांच-पांच साल से गंभीर बीमारी के साथ मौत का इंतजार कर रहे थे। डर लग रहा था अगर उपचार कराऊंगा तो पूरा परिवार कर्ज में डूब जाएगा। वो दवाई नहीं करवाते थे मुसीबत झेलते थे, आयुष्‍मान भारत योजना ने ऐसे लोगों को ताकत दी, हौंसला दिया, अब वो अस्‍पताल आए हैं उनके ऑपरेशन हो रहे हैं और हंसते-खेलते अपने घर लौट रहे हैं। इतना ही नहीं सरकार देश के हर परिवार को प्रधानमंत्री जीवन ज्‍योति और सुरक्षा बीमा जैसी योजनाओं से जोड़ने का भी प्रयास कर रही है। मुश्किल समय में 2 लाख रुपये तक की मदद मिल पाए इसके लिए सिर्फ 90 पैसे प्रतिदिन और 1 रुपये महीना के थोड़े से प्रीमियम पर ये योजनाएं चल रही हैं। इन दोनों योजनाओं से देश भर में 20 करोड़ से अधिक लोग जुड़ चुके हैं इसमें करीब पौने दो करोड़ लोग हमारे उत्‍तर प्रदेश के भी हैं जिसके तहत 3 हजार करोड़ रुपये से अधिक जरूरतमंद परिवारों तक ये रकम पहुंच चुकी है और जिसमें से करीब 4 सौ करोड़ रुपये का क्‍लेम उत्‍तर प्रदेश के ऐसे परिवारों के घर पहुंच चुका है।     

साथियों, 4 सौ करोड़ रुपया 90 पैसे के बीमा से इन परिवारों तक पहुंचा, उनके परिवारों को कितनी ताकत मिली होगी। 

साथियों, जब सरकारें पारदर्शिेता के साथ काम करती हैं, जब जनहित स्‍व:हित से ऊपर रखा जाता है, संवेदनशीलता जब साधन का स्‍वभाव होता है तो ऐसे बड़े काम स्‍वाभाविक रूप से होते हैं। जब लक्ष्‍य व्‍यवस्‍था में स्‍थायी परिवर्तन होता है तब ऐसे बड़े काम होते है। तब दूर की सोच के साथ स्‍थाई और ईमानदार प्रयास किए जाते है।

साथियों, काशी का Rice Research Institute हो वाराणसी और गाजीपुर में बने Cargo Centre हो, गोरखपुर में बन रहे खाद्य का कारखाना हो, बाणसागर जैसी सिंचाई परियोजनाएं हो, बीच से बाजार तक की अनेक व्‍यवस्थाएं देश भर में तैयार हो रही है। मुझे बताया गया है कि गाजीपुर में जो Perishable Cargo Centre बना है उससे यहां की हरी मिर्च और हरी मटर… हमारे मनोज जी बता रहे थे दुबई के बाजार में बिक रही है। किसानों को पहले की तुलना में अब बेहतर दाम मिल रहे है।

आज जो भी काम हो रहा है पूरी प्रमाणिकता के साथ ईमानदारी से किसानों की आय दोगुना करने के लिए हो रहा है। कम लागत में अधिक लाभ किसानों को मिले इस दिशा में पूरी लगन से काम किया जा रहा है।

भाईयो और बहनों वोट बटोरने के लिए लुभावने उपायों को हर्ष क्‍या होता है वो अभी मध्‍यप्रदेश और राजस्‍थान में दिख रहा है। सरकार बदलते ही अब वहां खाद्य के लिए, यूरिया के लिए कतारें लगनी लगी, लाठियां चलने लगी। काले बाजार करने वाले मैदान में आ गए। कर्नाटक में लाखों किसानों की कर्ज माफी का वायदा किया गया था।

भाईयो और बहनों ये सच्‍चाई समझिए कर्नाटक में अभी-अभी कांग्रेस ने पिछले दरवाजे से सरकार बनाई और कर्ज माफी का किसानों को वायदा किया था। लॉलीपोप पकड़ा दिया था। लाखों किसानों का कर्ज माफ होना था और किया कितना बताऊं...बताऊं.... कितना किया.... कितने किसानों को लाभ मिला बताऊं...आप हैरान हो जाएंगे। बताऊं.... लाखों किसानों की कर्ज माफी का वायदा किया गया था, वोट चुरा लिए गए। पिछले दरवाजे से चोरी रास्‍ते से सरकार बना दी गई और दिया कितनों को सिर्फ .... सिर्फ .... सिर्फ .... सिर्फ .... 800 लोगों को।

आप मुझे बताइए ये कैसे वायदे ये कैसे खेल... ये किसानों के साथ कैसा धोखा हो रहा है इसको आप समझिए भाईयो और बहनों। जिनका नहीं हुआ कर्जमाफी तो नहीं हुआ लेकिन अब उनके पीछे पुलिस छोड़ दी गई है....जाओ पैसे जमा करवाओ।

साथियों, तत्‍कालीक राजनीति लाभ के लिए जो वायदे किए जाते हैं, जो फैसले लिए जाते हैं उनसे देश की समस्‍याओं का स्‍थाई समाधान नहीं हो सकता।

2009 के चुनाव से पहले क्‍या हुआ आप सभी उसके साक्षी है, 2009 के चुनाव से पहले भी ये ऐसे ही लॉलीपोप पकड़ाने वालो ने कर्जमाफी का वायदा किया था। देश भर के किसानों का कर्जमाफी का वायदा किया था। मैं यहां जो किसान हैं मैं जरा पूछना चाहता हूं 10 साल पहले 2009 में क्‍या आपका कर्ज माफ हुआ था क्‍या, माफ हुआ था क्‍या, आपके खाते में पैसा आया क्‍या, आपको कोई मदद मिली क्‍या। वायदा हुआ था कि नहीं हुआ था। सरकार बनी थी कि नहीं बनी थी और आपको भूला दिया गया था कि नहीं भूला दिया गया था। ऐसे लोगों पर भरोसा करोगे क्‍या... ये लॉलीपोप कंपनी पर भरोसा करोगे क्‍या...  ये झूठ बोलने वालो पर भरोसा करोगे क्‍या... ये जनता को धोखा देने वालों पर भरोसा करोगे क्‍या...

भाईयो और बहनों आपको हैरानी होगी तब छह लाख करोड़ रुपए का कर्ज किसानों पर था पूरे देश में छह लाख करोड़ रुपए का लेकिन माफ करने की घोषणा की गई वो कितने की हुई आपको मालूम है... छह लाख करोड़ का कर्ज था और चुनने के बाद, सरकार बनने के बाद कैसी डरामेबाजी की गई, कैसा किसानों की आंख में धूल झोंकी गई ये आंकड़ा खुद बोल देता है। छह लाख करोड़ के सामने कितने रूपयों का कर्ज माफ कर दिया गया मालूम है आपको मैं बताऊं.... याद रखोगे... याद रखोगे ये लोग आ जाए लॉलीपोप पकड़ाने, दुबारा याद कराओगे, पक्‍का कराओगे... छह लाख करोड़ रुपए का कर्ज किसानों का और दिए कितने सिर्फ .... सिर्फ .... सिर्फ ....  60 हजार करोड़, कहां छह लाख करोड़ और कहां 60 हजार करोड़... इतना ही नहीं... दिया वो भी किसको दिया जब CAG का रिर्पोट आया तो पाया गया कि उसमें 35 लाख बहुत बड़ी रकम इन 35 लाख लोगों के घर में ही गई और वो न किसान थे, न कर्ज था, न कर्जमाफी के हकदार थे। ये रुपया आपका गया कि नहीं गया, ये चोरी हुई कि नहीं हुई जिनका कर्ज माफ हुआ भी उनमें से भी लाखों को सर्टिफिकेट ही नहीं दिया गया। जिसके चलते उसका ब्‍याज चढ़ता गया और बाद में उस बेचारे किसान को कर्ज ब्‍याज समेत extra देना पड़ा। ये पाप इन लोगों ने किया है।

भाईयो और बहनों ये लोग दु‍बारा भी कर्ज लेने के लायक नहीं रहे। उनको शराब के पास जाना पड़ा, उनको प्राईवेट में कर्ज लेने जाना पड़ा। मंहगे कर्ज लेना पड़ा।

साथियों, इस प्रकार की कर्जमाफी का लाभ किसको हुआ कम-से-कम किसान को तो नहीं हुआ। इसलिए मेरा आग्रह होगा कि कांग्रेस के इस झूठ और बेईमानी से सतर्क रहिए। याद रखिए कि कांग्रेस की सरकार ने तो स्‍वामीनाथन आयोग की सिफारिश तक को लागू नहीं किया था। कांग्रेस के चलते ही किसानों को लागत का डेढ़ गुना मूल्‍य देने की सिफारिश वाली फाइल बरसों तक ये कांग्रेस वाले उस पर बैठ रहे थे, बैठे हुए थे। निकालते नहीं थे, अगर कांग्रेस ने अपने जमाने में आज से 11 साल पहले अगर स्‍वामीनाथन कमीशन को स्‍वीकार किया होता, लागू किया होता, लागत का डेढ गुना दाम किसानों को देना तय किया होता तो आज मेरा किसान कर्जदार होता ही नहीं, उसको कर्ज की जरूरत ही नहीं पड़ती। लेकिन आपका पाप, आपने उस फाइल को दबाकर के रखा, किसान को दाम नहीं दिया, एमएसपी नहीं दिया, किसान बर्बाद हो गया, कर्जदार हो गया। ये आपके पापों का परिणाम है। इस फाइल को भाजपा सरकार ने बाहर निकाला और दाम सहित 22 फसलों का एमएसपी लागत का डेढ़ गुना तय किया गया। 

भाईयो और बहनों ऐसे अनेक काम हैं जो बीते चार वर्षों से किए जा रहे हैं। जो छोटा किसान है उसको भी हमारी सरकार बैंकों से जोड़ रही है। मंडियों में नया Infrastructure नई सुविधाएं अब तैयार हो रही हैं।  तकनीक के माध्‍यम से मंडियों को अब तैयार किया जा रहा है। नए cold storage, mega food park उसकी भी चेन अब तैयार हो रही है।

साथियों, किसान की फसल से लेकर उद्योगों के लिए जरूरी आधुनिक Infrastructure भी यही सरकार तैयार कर रही है। पूर्वांचल की बेहतर  connectivity के लिए बीते साढ़े चार वर्ष में अनेक काम पूरे हो चुके हैं और अनेक प्रोजेक्‍टस आने वाले समय में पूरे होने वाले हैं। पूर्वांचल expressway पर काम तेज गति से चल रहा है।

पिछली बार जब में गाजीपुर आया था तो ताड़ीघाट गाजीपुर रेल रोड पुल का शिलान्‍यास किया था। मुझे बताया गया है कि जल्‍द ही ये भी सेवा के लिए तैयार हो जाएगा। इससे पूर्वांचल के लोगों को दिल्‍ली और हावड़ा जाने के लिए एक वैकल्पिक रास्‍ता मिलेगा।  

साथियों, बीते साढ़े चार वर्षों में पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में रेलवे के महत्‍वपूर्ण काम हुए हैं। स्‍टेशन आधुनिक हो रहे हैं, लाइनों का दोहरीकरण और विद्युतीकरण हो रहा है। कई नई ट्रेंने शुरु हुई हैं। गांवों की सड़कें हो, नेशनल हाईवे हो, या फिर पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे.... जब ये तमाम प्रोजेक्‍ट पूरे हो जाएगें तो इस क्षेत्र की तस्‍वीर ही बदलने वाली है। हाल में जो वाराणसी से लेकर कोलकत्‍ता तक नदी मार्ग की शुरुआत की गई है उसका भी लाभ गाजीपुर को मिलना तय है। यहां जेटी बनने वाली है जिसका शिलान्‍यास भी हो चुका है। इन तमाम सुविधाओं के बनने से ये पूरा क्षेत्र व्‍यापार और कारोबार का सेंटर बनेगा, यहां उद्योग धंधे लगेगे, युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

साथियों, स्‍वराज के इस संकल्‍प की तरफ हम निरंतर कदम उठा रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना हो, स्‍वच्‍छ भारत अभियान हो, उज्‍ज्‍वला योजना हो, आयुष्‍मान भारत योजना हो, मुद्रा योजना हो, सौभाग्‍य योजना हो, ये सिर्फ योजनाएं नहीं बल्कि सशक्तिकरण के माध्‍यम हैं। विकास की पंचधारा बच्‍चों को पढ़ाई, युवाओं को कमाई, बुर्जुगों को दवाई, किसान को सिंचाई और जन-जन की सुनवाई के लिए ये मजबूत कडि़या है।

भाईयो और बहनों आना वाला समय आपका है, आपके बच्‍चों का है, युवा पीढ़ी का है। आपके भविष्‍य को संवारने के लिए आपके बच्‍चों का भविष्‍य बनाने के लिए आपका ये चौकीदार बहुत ईमानदारी से बहुत लगन के साथ दिन-रात एक कर रहा है। आप अपना विश्‍वास और आशीर्वाद इसी तरह बनाए रखिए क्‍योंकि चौकीदार की वजह से कुछ चोरों की रातों की नींद उड़ गई है। मुझपर आपका विश्‍वास और आशीर्वाद ही एक दिन.... एक दिन ऐसा आएगा इन चोरों को सही जगह तक ले जाएगा।

एक बार फिर आपको नए मेडिकल कॉलेज के लिए बहुत-बहुत बधाई के साथ फिर एक बार महाराजा सु‍हेलदेव के महान पराक्रमों को प्रणाम करते हुए, मैं मेरी बात को समाप्‍त करता हूं। दो दिन बाद 2019 का वर्ष शुरू होगा इस नए वर्ष के लिए भी मैं आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

भारत माता की जय...... भारत माता की जय 

 

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!