We have taken a comprehensive & integrative approach. We know the problems & we want to change them with strength, not incremental change: PM
When it comes to roads, we need to also think about facilities for people & how our roads can help people in rural areas: PM
This infrastructure will give speed and strength to the development of India: PM Modi
Rural roads have been a focus area of our Government in #Budget2016: PM Modi
We've brought qualitative changes in railways & are still working on how more changes can be brought in the sector: PM Modi

उपस्थित सभी राज्‍यों से आये हुए प्रतिनिधि मंत्री परिषद के सदस्‍य, सांसदगण के प्रतिनिधि और सभी महानुभाव, 

आमतौर पर सरकार एकाध भी bridge बनाती हैं तो एकाध रोड बनाती है तो हमारे देश में एक बहुत बड़ी घटना मानी जाती है। मीडिया का भी ध्‍यान रहता है और उस क्षेत्र के लोग भी उस विषय में ज्‍यादा चर्चा करते हैं क्‍योंकि वर्षों तक जिस चीज की मांग रहती है और बड़ी मुश्किल से 15-15 साल के इंतजार के बाद कुछ होता है, तो ये हम इन चीजों से अनुभव करते हैं। हमने एक comprehensive, integrative approach लिया है। हमें पता है कि भई ये समस्‍याएं हैं, तो उन समस्‍याओं को एक पूरी ताकत के साथ देश को समस्‍या से कैसे बाहर निकाला जाए। Normally सरकारें incremental काम करने की आदत रखती है, पहले पांच करते थे, अब सात करते हैं, सात करते थे दस करते हैं, हमारी कोशिश है quantum jump की, break-through की, पुरानी स्‍पीड और निर्णय करने की प्रक्रियाओं से एकदम से बाहर निकलना। गति बढ़ा देना, quick decision लेना उसमें से ही सारी योजनाएं साकार होती हैं।

सेतु भारतम्, अभी नितिन जी बता रहे थे आपको भी आश्‍चर्य होगा इतनी बड़ी सरकार उसको address मालूम नहीं है कि कौन सा bridge कहां है, यानी कैसे काम किए होंगे और मैं इसमें कोई elected body का दोष नहीं देता हूं कि फलाने प्रधानमंत्री थे, या ढिकरे राज्‍यमंत्री थे। मैं ये नहीं कह रहा हूं। व्‍यवस्‍था का दोष है, हमने ये इन चीजों को प्राथमिकता नहीं दी। और इसलिए सबसे पहला काम किया कि भई एक बार देखो तो सही इस देश में क्‍या है कहां है, क्‍या स्थिति है। अब उसका gradation का काम चल रहा है कि उमर के हिसाब से bridge किस category में आते हैं, लंबाई-चौड़ाई के हिसाब से किस category में आते हैं, material के संदर्भ में, किस प्रकार की डिजाइन है, कितनी पुराने जमाने की डिजाइन हैं, नई ये सारा उसका gradation चल रहा है। और दूसरा उसका address पक्‍का हो रहा है longitude-latitude के माध्‍यम से, Space-Technology का उपयोग करके कहां यहां ये bridge है? हो सकता है कुछ जगह पर कागज पर bridge होगा वहां नहीं होगा वो भी हाथ में आएगा। लेकिन कोशिश ये है।

दूसरा छोटी-छोटी चीजें हैं लेकिन आप लोगों को हैरानी होगी कि हमारे यहां पहले highways बनते थे जमीन तो acquire करते थे। लेकिन जब highway बनता था, तो जमीन के बगल में encroachment हो जाता था और कभी four-lane करना है, six-lane करना है, तो आप चौड़ाई नहीं बढ़ा सकते है। क्‍योंकि ये encroachment था। Encroachment, अब आ नहीं सकते क्‍योंकि हर दूसरे साल चुनाव होते हैं तो कोई-कोई चुनाव सामने दिखता है तो कोई हिम्‍मत नहीं करता है। और फिर कोर्ट-कचहरी से भी तुरंत stay मिल जाते हैं तो ये कई कठिनाईयों से भी रोड बढ़ते ही नहीं है।

हमने छोटा-सा निर्णय किया हमने कहा जब रोड बनाएंगे, तो जो जमीन acquire करेंगे दो छोर पर ups and down का रोड बनाएंगे और बीच में जगह खाली रखेंगे जब expansion करना होगा, तो वो अंदर की तरफ करेंगे, तो encroachment का सवाल नहीं आएगा। अब चीजें छोटी होती हैं, लेकिन ये लंबे अरसे तक सहाय करने वाली है। उसी प्रकार से हमारे यहां जिस प्रकार से देश का विकास हो रहा है, तो बहुत-सी चीजें आवश्‍यक है। क्‍यों न अभी से हम, उसके साथ सामान्‍य मानविकी जो Facilities की जो आवश्‍यकता है, 20 किलोमीटर 30 किलोमीटर क्‍यों न व्‍यवस्‍था करें? Rest-Room वगैरह क्‍यों न साथ में उसके डिजाइन में क्‍यों न हो? उस पर बल दे रहे हैं।

उसी प्रकार से ग्रामीण व्‍यक्तियों को अपना माल शहर में बेचना है, तो क्‍यों न इस बड़े रोड रास्‍तों के नजदीक में ऐसी कोई जगह हो, जहां से वो माल ला करके वहां से बेचने के लिए लाए। यानी एक Comprehensive Development की दिशा में हमारा प्रयास चल रहा है। और उसी के तहत इस काम को करेंगे। एक साथ 1500 bridge, करीब 51 हजार करोड़ रूपये की लागत। कभी तो रेल और रोड उनके बीच में इतने कागज चलते थे, कभी-कभी लगता है कि सारे पत्र व्‍यवहार को इकट्ठा करे, तो एकाद यहां monument bridge बना सकते हैं। हमने कहा ऐसा नहीं भई बैठो, बैठ करके बताइए क्‍या समस्‍या है, अब क्‍या किया फॉर्मूला बना दिया कि रेलवे के ऊपर bridge बनाया तो ऐसा बनेगा, रोड और रेल को क्रोसिंग होता है, तो ऐसा bridge बनेगा, इसकी ये डिजाइन होगी। अब ये डिजाइन आती है, तो तुरंत उसको sanction कर दो। तेज गति से चीजे sanction हो रही हैं, आगे बढ़ रही हैं। उसी का परिणाम है कि आज 1500 bridge, जिसमें repairing का भी है, नए निर्माण का काम भी है और समय सीमा में करने की दिशा में काम करने का सोचा गया है। Land की जरूरत होगी तो उसके लिए राज्‍य सरकारों से बात करके आगे बढ़ना है। कोशिश ये है कि हम बदलाव लाएं और ये बात हम मान के चलें जैसे शरीर में नसों का role है, धमनियों का role है, veins का role है और उसकी जो गतिविधि और काम है उससे वो शरीर को शक्ति भी देते हैं, शरीर को गति भी देते हैं। जो ये नसें veins शरीर में role करती हैं वैसे ही ये Infrastructure इस राष्‍ट्र के शरीर में काम करता है। अगर Road Infrastructure आपका होगा, Rail Infrastructure होगा आप गति बढ़ाएंगे।

युग बदलते ही Infrastructure की परिभाषाएं बदलती हैं। पहले एक मुझे याद है, जब हम छोटे थे, तो ये अकाल जब होता था तो अकाल में मिट्टी का काम निकलता था। तो गांव के लोग चिट्ठियां लिखते थे, के भई हमारे गांव में मिट्टी का करवा दीजिए, ताकि हमको जाने-आने की सुविधा हो जाए। तो अकाल के काम में मिट्टी डलवाते थे, मिट्टी डल गई तो वो कहते वाह, वहां बहुत बड़ा काम किया। हमारे MLA, MP बड़े सक्रिय हैं, बड़ा संतोष हो जाता था। फिर थोड़ा समय आया बोलते साहब थोड़ा Tar-Road बना दीजिए, आज गांव का आदमी भी कहता है साहब Fiber-Road चाहिए। Fiber-Road चाहिए उसको, ये जो बदलाव आया है, हमने भी उसको ने meet करने की दिशा में काम करना पड़ेगा। और उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं। ग्रामीण सड़कों पर हमारा बल है।

आपने देखा होगा, इस बार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में बहुत बड़ी मात्रा में बजट डाला गया। ये Infrastructure है जो मैंने कहा, शरीर में नसों का काम है उसी प्रकार से गति देने वाला काम है। एक जमाना था मैंने कहा, अगर मिट्टी डाल दी है तो संतोष होता था, आज highways भी चाहिए I-ways भी चाहिए। Iways-Information Ways, I-ways और highways, ये साथ-साथ करना हो इसलिए सरकार की कोशिश है। Digital Optical Fiber Network खड़ा करना है, उसी प्रकार से Agriculture Sector के Infrastructure का जो महत्‍व है, जितना हम Irrigation Infrastructure खड़ा करते हैं, उतनी पूरे Agriculture Sector को ता‍कत मिलती है। हम उस पर बल दे रहे हैं।

Railway, पहले क्‍या था? Railway यानी पार्लियामेंट में बेंच पर तालियां बज जाएं। तो ये इस MP को खुश करने के लिए उसके रास्‍ते से निकलने वाली, एक ट्रेन घोषित कर दो, तो उस रास्‍ते पर पड़ने वाले सारे दस-बारह MP खुश हो जाएंगे। ये ही करना, फिर करना-वरना कुछ नहीं, यार देखना पुरानी कई घोषणाएं पड़ी हैं, जिसको अब तक चालू नहीं किया गया। हमने कहा भाई ये तालियां बजाने से देश नहीं चलेगा, रेलवे में आमूल-चूल परिवर्तन लाना चाहिए। रेल, रेल की पटरियां डालो, gaze बदलो, आप, आप उसको डीजल से electrification की तरफ ले जाओ, Environment की दृष्टि से काम करो, गति की दृष्टि से काम करो, एक पूरा, पूरा focus बदल दिया है रेलवे का। अभी तक हमारे देश में अकेले railway में जो reform हो रहे हैं उस पर किसी का ध्‍यान नहीं गया है। वो जो Big Bank की बातें करते हैं, reform की बातें करते हैं, सिर्फ Railway देख लें कि कैसे बदलाव किया है तो उनको अंदाज आ जाए कि कहां से कहां Railway जा सकती है।

चाहे optical fiber network हो, चाहे Railway network हो, चाहे road network हो, चाहे bridges का निर्माण हो। हर एक पूरे देश में और qualitative change। सिर्फ किलोमीटर नहीं बढ़ाने हैं। हमें qualitative change लाना है और एक लंबे अरसे की आवश्‍यकताओं की पूर्ति को ध्‍यान में रख करके लाना है। मुझे विश्‍वास है कि राष्‍ट्र को सशक्‍त बनाने में, राष्‍ट्र को समृद्ध बनाने में, राष्‍ट्र को गति‍शील बनाने में Infrastructure अहम भूमिका अदा करता है। जैसे शरीर की मजबूती का कारण शरीर की नसों का role है, veins का role है, वैसे ही राष्‍ट्र की मजबूती का आधार इस Infrastructure पर है, road network पर है, Rail network पर है, optical fiber network पर है, water connectivity पर है, grid connectivity पर है, electricity generation पर है, electricity supply पर है। ये चीजों पर हम जितना बल देंगे, उतना ही आने वाले दिनों में परिवर्तन आने वाला है। और इसलिए ये सरकार उस दिशा में काम कर रही है।

मैं नितिन जी को बधाई देता हूं कि सेतु भारतम् के माध्‍यम से देश में bridges की तरफ देख रहे हैं। मैं तो चाहूंगा कि हमारी जितनी Universities हैं, खास करके Engineering and Architecture, वे देश में सबसे oldest bridge, उसकी Technology उस पर कोई Phd करे कोई student, दुनिया में क्या हो रहा है उस पर Phd. हम एक इसको एक science के रूप में develop करें। उसी प्रकार से हमारे Engineering और Architecture के students, उनको internship के लिए हम brides पर अवसर दें । बहुत बड़ी मात्रा में रोजगार की भी संभावना होगी, और हमारे यहां qualitative man-power तैयार होगा। तो एक प्रकार से human resource development भी हो, दूसरी प्रकार से Infrastructure भी develop हो, हमारे Institutions की capability बढ़े, उन सारी बातों को एक साथ लेकर के हमें आगे बढ़ना है। मैं फिर एक बार बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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PM to participate in ‘Odisha Parba 2024’ on 24 November
November 24, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will participate in the ‘Odisha Parba 2024’ programme on 24 November at around 5:30 PM at Jawaharlal Nehru Stadium, New Delhi. He will also address the gathering on the occasion.

Odisha Parba is a flagship event conducted by Odia Samaj, a trust in New Delhi. Through it, they have been engaged in providing valuable support towards preservation and promotion of Odia heritage. Continuing with the tradition, this year Odisha Parba is being organised from 22nd to 24th November. It will showcase the rich heritage of Odisha displaying colourful cultural forms and will exhibit the vibrant social, cultural and political ethos of the State. A National Seminar or Conclave led by prominent experts and distinguished professionals across various domains will also be conducted.