QuoteUjjwala Yojana aims to provide cooking gas connections to five crore below-poverty-line beneficiaries: PM Modi
QuoteThe aim of all workers across the world should be to unite the world: PM Modi
QuoteUnion Government’s primary focus is the welfare of the poor: PM
QuoteFruits of development must reach eastern part of India, for us to gain strength in the fight against poverty: PM
QuotePradhan Mantri Ujjwala Yojana will benefit the poor, especially the women: PM Modi
QuoteSchemes must be made for the welfare of the poor not keeping in mind considerations of the ballot box: PM

विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

भृगु बाबा की धरती पर रउवा, सभन के प्रणाम। ‘ई धरती त साक्षात भृगु जी की भूमि रहल’ ब्रह्मा जी भी यही जमीन पर उतर रहल। रामजी यहीं से विश्वामित्र मुनी के साथे गइल। त सुन्दर धरती पर सभी के हाथ जोड़ के फिर से प्रणाम।

भाइयों – बहनों मैं पहले भी बलिया आया हूं। ये बलिया की धरती क्रांतिकारी धरती है। देश को आजादी दिलाने के लिए इसी धरती के मंगल पाण्डे और वहां से लेकर के चितु पाण्डे तक एक ऐसा सिलसिला हर पीढ़ी में, हर समय देश के लिए जीने-मरने वाले लोग इस बलिया की धरती ने दिये। ऐसी धरती को मैं नमन करता हूं। यही धरती है जहां भारत के प्रधानमंत्री श्रीमान चन्द्र शेखर जी का भी नाम जुड़ा हुआ है। यही धरती है, जिसका सीधा नाता बाबू जयप्रकाश नारायण के साथ जुड़ता है। और यही तो धरती है। उत्तर प्रदेश राम मनोहर लोहिया और दीनदयाल उपाध्याय के बिना अधूरा लगता है। ऐसे एक से बढ़कर एक दिग्गज, जिस धरती ने दिये उस धरती को मैं नमन करता हूं। आपके प्यार के लिए सत्, सत् नमन।

आप मुझे जितना प्यार देते हैं, मुझ पर आपका कर्ज चड़ता ही जाता है, चढ़ता ही जाता है, लेकिन मेरे प्यारे भाइयों -बहनों मैं इस कर्ज को इस प्यार वाले कर्ज को ब्याज समेत चुकाने का संकल्प लेकर के काम कर रहा हूं और ब्याज समेत मैं चुकाऊंगा, विकास करके चुकाऊंगा मेरे भाइयों बहनों, विकास कर के चुकाऊंगा।

आज पहली May है, एक मई, पूरा विश्व आज श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। और आज देश का ये ‘मजदूर नम्बर एक’ देश के सभी श्रमिकों को उनके पुरुषार्थ को, उनके परिश्रम को, राष्ट्र को आगे बढ़ाने में उनके अविरथ योगदान को कोटि-कोटि अभिनन्दन करता है। उस महान परम्परा को प्रणाम करता है।

भाइयों–बहनों दुनिया में एक नारा चलता था। जिस नारे में राजनीति की बू स्वाभाविक थी। और वो नारा चल रहा था। दुनिया के मजदूर एक था, दुनिया के मजदूर एक हो जाओ, और वर्ग संघर्ष के लिए मजदूरों को एक करने के आह्वान हुआ करते थे। भाइयों–बहनों जो लोग इस विचार को लेकर के चले थे, आज दुनिया के राजनीतिक नक्शे पर धीरे-धीरे करके वो अपनी जगह खोते चले जा रहे हैं। 21वीं सदी में दुनिया के मजदूर एक हो जाओ इतनी बात से चलने वाला नहीं है। 21वीं सदी की आवश्यकताएं अलग हैं, 21वीं सदी की स्थितियां अलग है और इसलिये 21वीं सदी का मंत्र एक ही हो सकता है ‘विश्व के मजदूरों विश्व के श्रमिकों आओ हम दुनिया को एक करें दुनिया को जोड़ दें’ ये नारा 21वीं सदी का होना चाहिए।

वो एक वक्त था ‘Labourers of the World, Unite’, आज वक्त है ‘Labourers, Unite the World’ ये बदलाव इस मंत्र के साथ। आज दुनिया को जोड़ने की जरूरत है। और दुनिया को जोड़ने के लिए अगर सबसे बड़ा कोई chemical है, सबसे बड़ा ऊर्जावान कोई cementing force है, तो वो मजदूर का पसीना है। उस पसीने में एक ऐसी ताकत है, जो दुनिया को जोड़ सकता है।

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भाइयों–बहनों जब आप लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को भारी बहुमत से विजयी बनाया। तीस साल के बाद दिल्ली में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी। और NDA के सभी घटकों ने मुझे अपने नेता के रूप में चुना, तो उस दिन Parliament के Central Hall में मेरे प्रथम भाषण में मैंने कहा था कि मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है। ये सरकार जो भी करेगी वो गरीबों की भलाई के लिये करेगी, गरीबों के कल्याण के लिये करेगी। भाइयों-बहनों हमने मजदूरों के लिए भी श्रम कानूनों में, श्रमिकों की सरकार के साथ संबंधों में, एक आमूलचूल परिवर्तन लाया है। अनेक बदलाव लाए हैं। मेरे प्यारे भाइयों-बहनों आपको जानकर के दुःख होगा, पीड़ा होगी, आश्चर्य भी होगा कि हमारे देश में सरकार से जिनको पैंशन मिलता था, इस देश में तीस लाख से ज्यादा श्रमिक ऐसे थे, जिसको पैंशन किसी को 15 रुपया महीने का, किसी को 100 रुपया, किसी को 50 रुपया इतना पैंशन मिलता था। आप मुझे बताइए कि पैंशन लेने के लिए वो गरीब वृद्ध व्यक्ति दफ्तर जाएगा, तो उसका बस का किराय का खर्चा हो जाएगा, ऑटो रिक्शा का खर्चा हो जाएगा। लेकिन सालों से मेरे देश के बनाने वाले श्रमिकों को 15 रुपया, 20 रुपया, 50 रुपया, 100 रुपया पैंशन मिलता था। हमने आकर के इन तीस लाख से ज्यादा मेरे श्रमिकों परिवारों को minimum 1000 रुपया पैंशन देने का निर्णय कर लिया, लागू कर दिया और उस गरीब परिवार को वो पैंशन मिलने लग गया।

भाइयों-बहनों हमारे यहां कभी कभार गरीबों के लिये योजनाओं की चर्चाएं बहुत होती हैं और उनकी भलाई के लिए काम करने की बातें भी बहुत होती हैं। हमने आने के बाद एक श्रम सुविधा पोर्टल चालू किया, जिसके तहत आठ महत्वपूर्ण श्रम कानूनों को एकत्र कर के उसका सरलीकरण करने का काम कर लिया। पहली बार देश के श्रमिकों को एक Labour Identity Number (LIN) ये नम्बर दिया गया, ताकि हमारे श्रमिक की पहचान बन जाए। इतना ही नहीं हमारे देश के श्रमिकों को पूरे देश में Opportunity प्राप्त हो। इसलिए NCSP इसकी हमने एक National Career Service Portal, इसकी शुरुआत की। ताकि जिसको रोजगार देना है और जिसको रोजगार लेना है दोनों के बीच एक सरलता से तालमेल हो सके।

भाइयों-बहनों बोनस का कानून हमारे देश में सालों से है। बोनस का कानून यह था कि 10 हजार रुपये से अगर कम आवक है और कंपनी बोनस देना चाहती है तो उसी को मिलेगा। आज के जमाने में 10 हजार रुपये की आय कुछ नहीं होती है। और उसके कारण अधिकतम श्रमिकों को बोनस नहीं मिलता था। हमने आकर के निर्णय किया कि minimum income 10 हजार से बढ़ाकर के 21 हजार रुपया कर दी जाए। इतना ही नहीं पहले बोनस सिर्फ साढ़े तीन हजार रुपया मिलता था। हमने निर्णय किया कि ये बोनस minimum सात हजार रुपया मिलेगा और उससे भी ज्यादा उसका पाने का हक़ बनता है तो वो भी उसको मिलेगा।

भाइयों-बहनों कभी हमारा श्रमिक एक जगह से दूसरी जगह पर नौकरी चला जाता था, तो उसके जो पीएफ वगैरह के पैसे कटते थे उसका कोई हिसाब ही नहीं रहता था। वो गरीब मजदूर बेचारा पुरानी जगह पर लेने के लिए वापस नहीं जाता था। सरकार के खजाने में करीब 27 हजार करोड़ रुपया इन मेरे गरीबों के पड़े हुए थे। कोई सरकार उसकी सूंघ लेने को तैयार नहीं था। हमने आकर के सभी मजदूरों को ऐसे कानून में बांध दिया कि मजदूर जहां जाएगा उसके साथ उसके ये Provident Fund के पैसे भी साथ-साथ चले जाएंगे। और उसको जब जरूरत पड़ेगी वो पैसे ले सकता है। आज वो 27 हजार करोड़ रुपयों का मालिक बन सकेगा। ऐसी व्यवस्था हमने की है।

भाइयों-बहनों हमारे यहां Construction के काम में बहुत बड़ी मात्रा में मजदूर होते हैं। करीब चार करोड़ से ज्यादा मजदूर Construction के काम में हैं, इमारत बनाते हैं, मकान बनाते हैं, लेकिन उनके देखभाल की व्यवस्था नहीं थी। श्रमिक कानूनों में परिवर्तन करके आज हमने इन Construction के श्रमिकों के लिए उनके आरोग्य के लिए, उनके insurance के लिए, उनके bank account के लिए, इनके पैंशन के लिए एक व्यापक योजना बना कर के हमारे Construction के मजदूरों को भी हमनें उसका फायदा दिया है।

भाइयों–बहनों हमारा उत्तर प्रदेश जिसने अनेक-अनेक प्रधानमंत्री दिये, लेकिन क्या कारण कि हमारी गरीबी बढ़ती ही गई बढ़ती ही गई। गरीबों की संख्या भी बढ़ती गई। हमारी नीतियों में ऐसी क्या कमी थी कि हम गरीबों को गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिये तैयार नहीं कर पाए। ऐसा क्या कारण था कि हमने गरीबों को सिर्फ गरीबी के बीच जीना नहीं, लेकिन हमेशा सरकारों के पास हाथ फैलाने के लिए मजबूर कर के छोड़ दिया, उसके जमीर को हमने खत्म कर दिया। गरीबी के खिलाफ लड़ने का उसका हौसला हमने तबाह कर दिया। भाइयों–बहनों अभी धर्मेन्द्र जी बता रहे थे के गाजीपुर के सांसद नेहरू के जमाने में पूरे हिन्दुस्तान को हिला दिया था। जब उन्होंने संसद में कहा कि मेरे पूर्वी उत्तर प्रदेश के भाई-बहन ऐसी गरीबी में जी रहे हैं के उनके पास खाने के लिए अन्न नहीं होता है। पशु के गोबर को धोते हैं और उस गोबर में से जो दाने निकलते हैं उन दानों से पेट भर के वे अपना गुजारा करते हैं। जब ये बात संसद में कही गई थी, पूरा हिन्दुस्तान हिल गया था और तब एक पटेल कमीशन बैठा था। यहां की स्थिति सुधारने के लिए। कई बातों का सुझाव आज से पचास साल पहले दिया गया था। लेकिन उन सुझाव पर क्या हुआ, वो तो भगवान जाने। लेकिन भाइयों–बहनों उसमें एक सुझाव था। उसमें एक सुझाव था ताड़ी घाट, गाजीपुर, और मऊ इसे रेल से जोड़ा जाए। पचास साल बीत गए, वो बात कागज पर ही रही। मैं भाई मनोज सिन्हा को हृदय से अभिनन्दन करता हूं, यहां के मेरे भारतीय जनता पार्टी के सभी सांसदों का अभिनन्दन करता हूं कि वे पचास साल पहले जिन बातों को भुला दिया गया था उसको लेकर के निकल पड़े, मुझ पर दबाव डालते रहे। बार-बार मिलते रहे, और आज मैं संतोष से कह सकता हूं उस रेल लाइन के लिए बजट आवंटन करने का निर्णय हमने कर लिया और उस काम को हम आगे बढ़ाएंगे। गंगा के ऊपर रेल और रोड का दोनों bridge बनेंगे। ताकि infrastructure होता है, जो विकास के लिए एक नया रास्ता भी खोलता है और उस दिशा में हम का कर रहे हैं।

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भाइयों-बहनों आज मैं बलिया की धरती पर से मेरे देश के उन एक करोड़ परिवारों को सर झुका कर के नमन करना चाहता हूं, उनका अभिनन्दन करना चाहता हूं। करीब एक करोड़ दस लाख से भी ज्यादा ऐसे परिवार हैं, जिनको मैंने कहा था कि अगर आप खर्च कर सकते हो तो रसोई गैस की सब्सिडी क्यों लेते हो। क्या आप पांच-दस हजार रुपया का बोझ नहीं उठा सकते साल का। क्या आप सब्सिडी Voluntarily छोड़ नहीं सकते। मैंने ऐसे ही एक कार्यक्रम में बोल दिया था। मैंने ज्यादा सोचा भी नहीं था, न योजना बनाई थी, न follow-up करने की व्यवस्था की थी, यूहीं दिल से एक आवाज उठी और मैंने बोल दिया। आज एक साल के भीतर-भीतर मेरे देश के लोग कितने महान हैं। अगर कोई अच्छा काम हो तो सरकार से भी दो कदम आगे जाकर के चलने के लिए तैयार रहते हैं। इसका ये उदहारण है । आज के युग में, हम बस में जाते हों, बगल वाली सीट खाली हो और हमें लगे की चलो बगल में कोई पैसेंजर नहीं है तो जरा ठीक से बैठूंगा। आराम से प्रवास करूंगा। लेकिन अगर कोई पैसेंजर आ गया, बगल में बैठ गया, हम तो हमारी सीट पर बैठे हैं, तो भी थोड़ा मुंह बिगड़ जाता है। मन में होता है ये कहां से आ गया। जैसे मेरी सीट ले ली हो। ऐसा जमाना है। ऐसे समय एक करोड़ दस लाख से ज्यादा परिवार सिर्फ बातों–बातों में कहने पर प्रधानमंत्री की बात को गले लगा कर के सर आंखों पर चढ़ा के एक करोड़ दस लाख से ज्यादा परिवार अपनी सब्सिडी छोड़ दें। इससे बड़ा क्या होगा। मैं आप सब से कहता हूं उन एक करोड़ दस लाख से ज्यादा परिवारों के लिये जोर से तारियां बजाइए। उनका सम्मान कीजिए। उनका गौरव कीजिए। मैं आप सबसे आग्रह करता हूं मेरे भाइयों – बहनों। ये देश के लिए किया हुआ काम है। ये गरीबों के लिये किया हुआ काम है। इन लोगों का जितना गौरव करें उतना कम है। और हमारे देश में लेने वाले से ज्यादा देने वाले की इज्जत होती है। ये देने वाले लोग हैं। जहां भी बैठे होंगे ये तालियों की गूंज उन तक सुनाई देती होगी और वो गौरव महसूस करते होंगे।

भाइयों – बहनों हमने कहा था गरीबों के लिए जो सब्सिडी छोड़ेगा वो पैसे सरकार की तिजोरी में नहीं जाएगी। वो पैसे गरीबों के घर में जाएंगे। एक साल में ये इतिहासिक रिकॉर्ड है भाइयों 1955 से, रसोई गैस देने का काम चल रहा है। इतने सालों में 13 करोड़ परिवारों को रसोई गैस मिला। सिर्फ 13 करोड़ परिवारों को करीब साठ साल में, मेरे भाइयों–बहनों हमने एक साल में तीन करोड़ से ज्यादा परिवारों को रसोई का गैस दे दिया। जिन लोगों ने सब्सिडी छोड़ी थी वो गैस सिलंडर गरीब के घर में पहुंच गया।

भाइयों-बहनों हम जानते हैं कि लोग कहते हैं कि मोदी जी बलिया में कार्यक्रम क्यों किया। हमारा देश का एक दुर्भाग्य है, कुछ लोग राजनीति में नहीं हैं, लेकिन उनको 24ओं घंटे राजनीति के सिवा कुछ दिखता ही नहीं है। किसी ने लिख दिया कि बलिया में मोदी जो आज कार्यक्रम कर रहे हैं वो चुनाव का बिगुल बजा रहे हैं। वे चुनाव का बिगुल बजा रहे हैं। अरे मेरे मेहरबानों हम कोई चुनाव का बिगुल बजाने नहीं आए हैं। ये बिगुल तो मतदाता बजाते हैं। हम बिगुल बजाने नहीं आए हैं।

भाइयों –बहनों अभी मैं पिछले हफ्ते झारखंड में एक योजना लागू करने के लिए गया था, झारखंड में कोई चुनाव नहीं है। मैं कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश में एक योजना लागू करने गया था, वहां पर कोई चुनाव नहीं है। मैंने ‘बेटी बचाओ’ अभियान हरियाणा से चालू किया था, वहां कोई चुनाव नहीं है। ये बलिया में ये रसोई गैस का कार्यक्रम इसलिए तय किया कि उत्तर प्रदेश में जो एवरेज हर जिले में जो रसोई गैस है, बलिया में कम से कम है, इसलिये मैं बलिया आया हूं। ये ऐसा इलाका है, जहां अभी भी गरीबी की रेखा के नीचे जीने वाले 100 में से मुश्किल से आठ परिवारों के घर में रसोई गैस जाता है। और इसलिये भाइयों –बहनों बलिया जहां कम से कम परिवारों में रसोई गैस जाता है, इसलिए मैंने आज बलिया में आकर के देश के सामने इतनी बड़ी योजना लागू करने का निर्णय किया। मैंने हरियाणा में बेटी बचाओ इसलिये कार्यक्रम लिया था, क्योंकि हरियाणा में बालकों की संख्या की तुलना में बेटियों की संख्या बहुत कम थी। बड़ी चिंताजनक स्थिति थी। और इसलिए मैंने वहां जाकर के खड़ा हो गया और उस काम के लिए प्रेरित किया और आज हरियाणा ने बेटी बाचाने के काम में हिन्दुस्तान में नम्बर एक लाकर के खड़ा कर दिया। और इसलिए भाइयों–बहनों मैं इस पूर्वी उत्तर प्रदेश में बलिया में इसलिये आया हूं, क्योंकि हमें गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है। अगर पूर्वी हिन्दुस्तान पश्चिमी हिन्दुस्तान की बराबरी भी कर ले तो इस देश में गरीबी का नामोनिशान नहीं रहेगा, मेरा मानना है। मेरा पूर्वी उत्तर प्रदेश, मेरा बिहार, मेरा पश्चिम बंगाल, मेरा असम, मेरा नॉर्थ ईस्ट, मेरा ओड़िशा, ये ऐसे प्रदेश हैं कि अगर वहां विकास गरीबों के लिए पहुंच जाए, तो गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने में हम सफल हो जाएंगे भाइयों।

आप मुझे बताइए एक जमाना था, बहुत लोगों को ये रसोई गैस की ताकत क्या है अभी भी समझ नहीं आती। बहुत लोगों को ये रसोई गैस की राजनीति क्या थी ये भी भूल चुके हैं, बहुत लोग ये रसोई गैस कितना मूल्यवान माना जाता था वो भूल गए हैं। मैं आज जरा याद दिलाना चाहता हूं। मैं political पंडितों को याद दिलाना चाहता हूं। दिल्ली में बैठकर के air-conditioned कमरे में बढ़िया-बढ़िया सलाह देने वालों को मैं आज झकझोड़ना चाहता हूं। उनको मैं हिलाना चाहता हूं, मैं उनको समझाना चाहता हूं। वो दिन याद करो, वो दिन याद करो, जब सांसद Parliament का Member बनता था, तो उसको हर साल रसोई गैस की 25 कूपन दी जाती थी और वो अपने इलाके में 25 परिवारों को साल में रसोई गैस दिलवाता था। और वो इतना गर्व करता था कि मैंने मेरे इलाके में 25 परिवारों को एक साल में रसोई गैस का connection दिलवा दिया। ये बहुत दूर की बात नहीं कर रहा हूं। मैं अभी-अभी पिछले सालों की बात करता हूं। और अखबारों में खबरें आती थीं कि सांसद महोदय ने कालेबाजारी में रसोई गैस का टिकट बेच दिया। ऐसे भी लोग थे कि रसोई गैस का connection लेने के लिए दस-दस, 15-15 हजार रुपया वो टिकट खरीदने के लिए black में खर्च करते थे। वो दिन थे और आज ये सरकार देखिए। एक-एक सांसद के क्षेत्र में हिन्दुस्तान के एक-एक Parliament Member के क्षेत्र में किसी के यहां साल में दस हजार गैल सिलंडर पहुंच जाएंगे, किसी के यहां बीस हजार, किसी के यहां पचास हजार और तीन साल के भीतर –भीतर पांच करोड़ गरीब परिवारों में ये रसोई गैस पहुंचाने का मेरा इरादा है। पांच करोड़ परिवारों में, भाइयों–बहनों ये पांच करोड़ परिवारों में रसोई गैस पहुंचाना ये छोटा काम नहीं है। इतना बड़ा काम, इतना बड़ा काम आज मैं गरीब माताओं बहनों के लिए लेकर आया हूं। आपने देखा होगा, मैं इन माताओं को पूछ रहा था कि आपने कभी सोचा था कि आपके घर में कभी रसोई गैस आएगा, उन्होंने कहा नहीं हमने तो सोचा नहीं था कि हमारे बच्चों के नसीब में भी रसोई गैस आएगा, ये हमने सोचा नहीं था। मैंने पूछा रसोई में कितना टाइम जाता है वो कहते लकड़ी लेने जाना पड़ता है, लकड़ी जलाते हैं , बुझ जाती है, कभी आधी रोटी रह जाती है फिर लकड़ी लेने जाते हैं, बड़ी अपनी मुसीबत बता रही थी। भाइयों –बहनों ये रसोई गैस के कारण पांच करोड़ परिवार 2019 में जब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती होगी। 2019 में जब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती होगी तब गांव और गरीब के लिए पांच करोड़ गैस रसोई गैस पहुंच चुके होंगे भाइयों, समय सीमा में काम करने का हमने फैसला किया है।

एक गरीब मां जब लकड़ी के चूल्हे से खाना पकाती है, तो वैज्ञानिकों का कहना है कि गरीब मां लकड़ी के चूल्हे से खाना पकाती है, तो एक दिवस में उसके शरीर में 400 सिगरेट का धुआं चला जाता है, 400 सिगरेट का। बच्चे घर में होते हैं। और इसलिए उनको भी धुएं में ही गुजारा करना पड़ता है। खाना भी खाते हैं, तो धुआं ही धुआं होता है। आंख से पानी निकलता है और वो खाना खाता है। मैंने तो ये सारे हाल, बचपन में मैं जी चुका हूं। मैं जिस घर में पैदा हुआ, बहुत ही छोटा एक गलियारी जैसा मेरा घर था। कोई खिड़की नहीं थी। आने जाने का सिर्फ एक दरवाजा था। और मां लकड़ी का चूल्हा जला कर के खाना पकाती थी। कभी-कभी तो धुआं इतना होता था कि मां खाना परोस रही हो लेकिन हम मां को देख नहीं पाते थे। ऐसे बचपन में धुएं में खाना खाते थे। और इसलिए मैं उन माताओं की पीड़ा को, उन बच्चों की पीड़ा को, भलीभांति अनुभव कर के आया हूं उस पीड़ा को जी कर के आया हूं और इसलिये मुझे मेरी इन गरीब माताओं को इस कष्टदायक जिन्दगी से मुक्ति दिलानी है। और इसलिए पांच करोड़ परिवारों में रसोई गैस देने का हमने उपक्रम किया है।

भाइयों – बहनों आज लकड़ी के कारण जो खर्चा होता है । इस रसोई गैस से खर्चा भी कम होने वाला है। आज उसकी तबियत की बर्बादी होती है। उसकी तबियत भी ठीक रहेगी। लकड़ी लाना चूल्हा जलाना में time जाता है। उस गरीब मां का time भी बच जाएगा। उसको अगर मजदूरी करनी है सब्जी बेचनी है, तो वो आराम से कर सकती है।

भाइयों –बहनों हमारी कोशिश ये है और इतना ही नहीं ये जो गैस की सब्सिडी दी जाएगी वो भी उन महिलाओं के नाम दी जाएगी, उनका जो प्रधानमंत्री जनधन अकाउंट है, उसी में सब्सिडी जमा होगी ताकि वो पैसे किसी ओर के हाथ न लग जाए, उस मां के हाथ में ही पैसे लग जाए ये भी व्यवस्था की। ये environment के लिये भी हमारा एक बहुत बड़ा initiative है। और इसलिए मेरे भाइयों- बहनों हजारों करोड़ रुपया का खर्चा सरकार को लगने वाला है। कहां MP की 25 रसोई गैस की टिकट और कहां पांच करोड़ परिवारों में रसोई गैस पहुंचाने का अभियान, ये फर्क होता है सरकार-सरकार में। काम करने वाली सरकार, गरीबों की भला करने वाली सरकार, गरीबों के लिए सामने जाकर के काम करने वाली सरकार कैसे काम करती है इसका ये उत्तम उदहारण आज ये पांच करोड़ परिवारों को रसोई गैस देने का कार्यक्रम है।

भाइयों–बहनों आज, पिछली किसी भी सरकार ने उत्तर प्रदेश के विकास के लिए जितना काम नहीं किया होगा, इतनी धनराशि आज भारत सरकार उत्तर प्रदेश में लगा रही है। क्योंकि हम चाहते हैं कि देश को आगे बढ़ाने के लिए हमारे जो गरीब राज्य हैं वो तेजी से तरक्की करें। और इसलिये हम काम में लगे हैं। गंगा सफाई का अभियान जनता की भागीदारी से सफल होगा। और इसलिये जन भागीदारी के साथ जन-जन संकल्प करें। ये मेरा बलिया तो मां गंगे और सरयू के तट पर है। दोनों की कृपा आप पर बरसी हुई है और हम सब अभी जहां बैठे हैं वो जगह भी एक बार मां गंगा की गोद ही तो है। और इसलिये जब मां गंगा की गोद में बैठ कर के मां गंगा की सफाई का संकल्प हर नागरिक को करना होगा। हम तय करें मैं कभी भी गंगा को गंदी नहीं करूंगा। मेरे से कभी गंगा में कोई गंदगी नहीं जाएगी। एक बार हम तय कर लें कि मैं गंगा को गंदी नहीं करूंगा। ये मेरी मां है। उस मां को गंदा करने का पाप मैं नहीं कर सकता। ये अगर हमने कर लिया, तो दुनिया की कोई ताकत ये मां गंगा को गंदा नहीं कर सकता है।

और इसलिए मेरे भाइयों–बहनों हम गरीब व्यक्ति की जिंदगी बदलना चाहते हैं। उसके जीवन में बदलाव लाने के लिये काम कर रहे हैं। और आज पहली मई जब मजदूरों का दिवस है। गरीबी में जीने वाला व्यक्ति मजदूरी से जूझता रहता है। भाइयों–बहनों गरीबी हटाने के लिए नारे तो बहुत दिये गए, वादे बहुत बताए गए, योजनाएं ढेर सारी आईं लेकिन हर योजना गरीब के घर को ध्यान में रख कर के नहीं बनी, हर योजना मत पेटी को ध्यान में रख कर के बनी। जब तक मत पेटियों को ध्यान में रख कर के गरीबों के लिए योजनाएं बनेगी, कभी भी गरीबी जाने वाली नहीं है। गरीबी तब जाएगी, जब गरीब को गरीबी से लड़ने की ताकत मिलेगी। गरीबी तब जाएगी, जब गरीब फैसला कर लेगा कि अब मेरे हाथ में साधन है मैं गरीबी को प्रास्त कर के रहूंगा। अब मैं गरीब नहीं रहूंगा, अब मैं गरीबी से बाहर आऊंगा। और इसके लिए उसको शिक्षा मिले, रोजगार मिले, रहने को घर मिले, घर में शौचालय हो, पीने का पानी हो, बिजली हो, ये अगर हम करेंगे, तभी गरीबी से लड़ाई लड़ने के लिए मेरा गरीब ताकतवर हो जाएगा। और इसीलिये मेरे भाइयों-बहनों हम गरीबी के खिलाफ लड़ाइ लड़ने के लिए काम कर रहे हैं।

आजादी के इतने साल हो गये। आजादी के इतने सालों के बाद इस देश में 18 हजार गांव ऐसे जहां बिजली का खंभा भी नहीं पहुंचा है, बिजली का तार नहीं पहुंचा है। 18वीं शताब्दि में जैसी जिन्दगी वो गुजारते थे। 21वीं सदी में भी 18 हजार गांव ऐसी ही जिन्दगी जीने के लिए मजबूर हैं। मुझे बताओ मेरे प्यारे भाइयों–बहनों क्या किया किया इन गरीबी के नाम पर राजनीति करने वालों ने । उन 18 हजार गांव को बिजली क्यों नहीं पहुंचाई। मैंने बीड़ा उठाया है। लालकिले से 15 अगस्त को मैंने घोषणा की मैं एक हजार दिन में 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचा दूंगा। रोज का हिसाब देता हूं, देशवासियों को और आज हमारे उत्तर प्रदेश में आर हैरान होंगे इतने प्रधानमंत्री हो गये उत्तर प्रदेश में । आज उत्तर प्रदेश मेरा कार्य क्षेत्र है। मुझे गर्व है, उत्तर प्रदेश ने मुझे स्वीकार किया है। मुझे गर्व है, उत्तर प्रदेश ने मुझे आशिर्वाद दिये हैं। मुझे गर्व है, उत्तर प्रदेश ने मुझे अपना बनाया है। और इसलिये उत्तर प्रदेश में इतने प्रधानमंत्री आए भाइयों–बहनों बैठा 1529 गांव ऐसे थे, जहां बिजली का खंभा नहीं पहुंचा था। अभी तो ढाई सौ दिन हुए हैं। मेरी योजना को ढाई सौ दिन हुए हैं। भाइयों–बहनों मैंने अब तक मैंने 1326 गांवों में, 1529 में से 1326 गांवों खंभा पहुंच गया, तार पहुंच गया, तार लग गया, बिजली चालू हो गई और लोगों ने बिजली का स्वागत भी कर दिया। और जिन गांवों में बाकी है। वहां भी तेजी से काम चल रहा है। आज औसत उत्तर प्रदेश में हम एक दिन में तीन गांवों में बिजली पहुंचाने का काम कर रहे हैं, जो काम साठ साल तक नहीं हुआ वो हम एक दिन में तीन गांवों तक पहुंचने का काम कर रहे हैं।

भाइयों–बहनों पूरे देश में आज जो ‘प्रधानमंत्री उज्जवला योजना’ इसका आरम्भ हो रहा है। मेरे सवा सौ करोड़ देशवासी देश में करीब 25 कोरड़ परिवार है, उसमे से ये पांच करोड़ परिवारों के लिए योजना है। इससे बड़ी कोई योजना नहीं हो सकती। कभी एक योजना पांच करोड़ परिवारों को छूती हो, ऐसी एक योजना नहीं हो सकती। ऐसी योजना आज लागू हो रही है, बलिया की धरती पर हो रही है। राम मनोहर लोहिया, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, उनके आशिर्वाद से हो रही है, चन्द्र शेखर जी, बाबु जयप्रकाश जी ऐसे महापुरषों के आशीर्वाद से प्रारंभ हो रही है। और बलिया की धरती...अब बलिया- ‘बलिया’ बनना चाहिए, इस संकल्प को लेकर के आगे बढ़ना है। मैं फिर एक बार हमारे सासंद महोदय भाई भरत का बड़ा आभार व्यक्त करता हूँ, इतने उमंग के साथ इस कार्यक्रम की उन्होंने अर्जना की। मैं पूरे उत्तर प्रदेश का अभिनन्दन करता हूं। मैं श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान उसकी पूरी टीम का अभिनन्दन करता हूं। ये Petroleum sector कभी गरीबों के लिये माना नहीं गया था, हमने Petroleum sector को गरीबों का बना दिया। ये बहुत बड़ा बदलाव धर्मेन्द्र जी के नेतृत्व में आया है। मैं उनको बहुत–बहुत बधाई देता हूं। मेरी पूरी टीम को बधाई देता हूं। आप सबका बहुत – बहुत अभिनन्दन करता हूं। बहुत- बहुत धन्यवाद।

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Today, when one sees India, then they can be rest assured that Democracy can deliver: PM at ABP Network India@2047 Summit
May 06, 2025
QuoteIndia and the UK have successfully finalised the Free Trade Agreement: PM
QuoteIndia is becoming a vibrant hub of trade and commerce: PM
QuoteNation First - Over the past decade, India has consistently followed this very policy: PM
QuoteToday, when one sees India, then they can be rest assured that Democracy can deliver: PM
QuoteIndia is moving from GDP- centric approach towards Gross Empowerment of People (GEP) - centric progress: PM
QuoteIndia is showing the world how tradition and technology can thrive together: PM
QuoteSelf-reliance has always been a part of our economic DNA: PM

नमस्कार,

आज सुबह से ही भारत मंडपम का ये मंच एक जीवंत प्लेटफार्म बना हुआ है। अभी मेरा, आपकी टीम से मिलने का मुझे मौका मिला कुछ मिनट के लिए। ये समिट बहुत विविधता से भरी रही है। अनेक महानुभावों ने इस समिट में रंग भरे हैं। मुझे विश्वास है आप सभी का भी अनुभव बहुत ही अच्छा रहा होगा। इस समिट में बहुत बड़ी संख्या में युवाओं और महिलाओं की उपस्थिति, ये अपने आप में शायद इसका युनिकनेस बन गया है। खासतौर पर हमारी ड्रोन दीदीयों ने, लखपति दीदीयों ने जो अपने अनुभव साझा किए, जब मैं इन सब Anchors से मिला अभी, मैं देख रहा था, इतने उमंग से वो अपना अनुभव बता रही थी, उनके एक-एक dialogue उनको याद थे। यानी अपने आप में ये बड़ा प्रेरित करने वाला अवसर रहा है।

साथियों,

ये उस बदलते भारत का प्रतिबिंब है, जो हर क्षेत्र में अपनी आवाज बुलंद कर रहा है। इस बदलते भारत का सबसे बड़ा सपना है– 2047 तक विकसित भारत। देश के पास सामर्थ्य है, देश के पास संसाधन है और देश के पास इच्छाशक्ति भी है। स्वामी विवेकानंद जी कहते थे- उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक अपना लक्ष्य प्राप्त ना कर लो। आज वही भावना मैं हर देशवासी में देख रहा हूं। विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में ऐसे मंथन, ऐसी चर्चाएं और उसमें भी युवाओं की भागीदारी, इसकी बहुत बड़ी भूमिका है। आपने इतनी शानदार समिट का आयोजन किया और इसके लिए मैं मेरे मित्र अतिदेब सरकार जी को, मेरे पुराने साथी रजनीश को और एबीपी नेटवर्क की पूरी टीम को बहुत बधाई देता हूं।

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साथियों,

आज भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। कुछ देर पहले, मेरे यहां आने से पूर्व ही मेरी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जी से बात हुई है और मुझे ये बताते हुए खुशी है, कि India-UK Free Trade Agreement अब फाइनल हो चुका है। विश्व की दो बड़ी और ओपन market इकनॉमीज़ के बीच आपसी व्यापार और आर्थिक सहयोग का ये समझौता, दोनों देशों के विकास में नया अध्याय जोड़ेगा। ये हमारे युवाओं के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है। इससे भारत में economic activity को boost मिलेगा और Indian businesses और MSMEs के लिए नई opportunities के रास्ते खुलेंगे। आपको पता है कुछ ही समय पूर्व हमने UAE, Australia, Mauritius, इनके साथ भी trade agreements साइन किए हैं। यानी भारत आज सिर्फ reforms ही नहीं कर रहा, बल्कि दुनिया के साथ actively engage करके अपने आपको एक vibrant trade और कॉमर्स hub बना रहा है।

साथियों,

बड़े निर्णय लेने के लिए, अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए, जरूरी है कि देश का हित सर्वोपरि रखा जाए, देश के सामर्थ्य पर भरोसा किया जाए। लेकिन दुर्भाग्य से हमारे देश में दशकों तक एक विपरीत धारा बही। और देश ने इसका बहुत नुकसान उठाया। एक दौर था, जब कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले, कोई बड़ा कदम उठाने से पहले ये सोचा जाता था, कि दुनिया क्या सोचेगी, वोट मिलेगा या नहीं मिलेगा, कुर्सी बचेगी कि नहीं बचेगी, कहीं वोटबैंक छिटकेगा तो नहीं। भांति-भांति के स्वार्थों के कारण, बड़े फैसले, बड़े रिफॉर्म टलते ही जा रहे थे।

साथियों,

कोई भी देश ऐसे आगे नहीं बढ़ सकता है। देश तो तब आगे बढ़ता है, जब फैसलों की एकमात्र कसौटी हो- Nation First, राष्ट्र प्रथम। बीते एक दशक में भारत इसी नीति को लेकर चला है। और आज हम इसके परिणाम भी देख रहे हैं।

साथियों,

पिछले 10-11 साल में हमारी सरकार ने एक के बाद एक ऐसे निर्णय लिए हैं, जो दशकों से लटके, अटके और भटके हुए थे, जो राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में डिब्बों में बंद हो गए थे। अब जैसे एक उदाहरण, हमारे बैंकिंग सेक्टर का है- बैंकिंग सेक्टर जो इकॉनॉमी की रीढ़ होता है। पहले ऐसी कोई समिट नहीं होती थी, जो बैंकों के घाटे पर बात किए बिना पूरी हो होती थी। और वाकई 2014 से पहले हमारे देश में बैंक पूरी तरह बर्बाद होने के कगार पर थे। अब आज क्या स्थिति है? आज भारत का बैंकिंग सेक्टर दुनिया के सबसे मजबूत सिस्टम्स में से एक है। हमारे बैंक रिकॉर्ड प्रॉफिट में हैं और डिपॉजिटर्स को इसका फायदा मिल रहा है। ये इसलिए हुआ, क्योंकि हमारी सरकार ने बैंकिंग सेक्टर में लगातार Reforms किए, देशहित में छोटे बैंकों का मर्जर किया, उनका सामर्थ्य बढ़ाया। आपको एयर इंडिया की पुरानी हालत भी याद होगी। एयर इंडिया डूब रही थी, हर वर्ष देश के हज़ारों करोड़ रुपए डूब रहे थे, लेकिन फिर भी पहले की सरकार फैसला लेने से डरती रही। हमने फैसला लिया और देश को लगातार हो रहे नुकसान से बचाया क्यों? क्योंकि हमारे लिए देशहित सर्वोपरि है।

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साथियों,

हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री ने माना था, कि अगर सरकार एक रुपया गरीब को भेजती है, तो उसमें से 85 पैसा लुट जाता है। सरकारें बदलती रहीं, साल बीतते रहे, लेकिन गरीब के हक का पूरा पैसा उसे मिले, इस दिशा में ठोस काम नहीं हुआ। गरीब का पूरा पैसा गरीब को मिले, एक रुपया दिल्ली से निकले, तो सौ के सौ पैसे उसके पास पहुंचने चाहिए। इसके लिए हमने डायरेक्ट बेनिफिट transfer की व्यवस्था की। और इससे सरकारी स्कीम्स में लीकेज रुकी, लाभार्थियों तक सीधे बेनिफिट पहुंचा, सरकार की फाइलों में 10 करोड़ ऐसे फर्जी लाभार्थी थे, ये जरा समझना, 10 करोड़ ऐसे फर्जी लाभार्थी थे, जिनका कभी जन्म भी नहीं हुआ था। और उन्हें पूरे ठाठ से सारी सुविधाएं मिल रही थीं। 10 करोड़, पहले वाले यही सिस्टम बनाकर गए थे। हमारी सरकार ने इन 10 करोड़ फर्जी नामों को सिस्टम से हटाया और DBT के माध्यम से सीधा पूरा का पूरा पैसा गरीबों के बैंक खातों में भेजा। इससे साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा, साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा गलत हाथों में जाने से बचा है। मतलब ये आपका पैसा बचाया है। पैसा आपका बचा, गाली मोदी ने खाई।

साथियों,

आप वन रैंक वन पेंशन का मामला ही देखिए, ये अनेक दशकों से लटका हुआ था। पहले ये तर्क देकर इसको ठुकराया जाता था, कि इससे सरकारी खजाने पर बोझ पड़ेगा। हमारी सरकार ने देश की रक्षा के लिए जीवन खपाने वालों के हित को सर्वोपरि रखा। आज OROP से लाखों-लाख सैनिक परिवारों का फायदा हो रहा है। अब तक हमारी सरकार OROP के सवा लाख करोड़ रुपए से ज्यादा पूर्व फौजियों को दे चुकी है।

साथियों,

देश में गरीब परिवारों को भी आरक्षण मिले, इसको लेकर भी दशकों तक सिर्फ बातें हुई। इसको लागू करने का निर्णय हमारी सरकार ने किया। लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को तैंत्तीस प्रतिशत आरक्षण के मामले में क्या-क्या होता रहा, ये भी देश ने पूरी तरह देखा है। इसके पीछे भी कुछ लोगों का स्वार्थ था। लेकिन राष्ट्रहित में ये ज़रूरी था। इसलिए हमारी सरकार ने लोकसभा-विधानसभा में वीमेन रिजर्वेशन का कानून बनाकर, नारीशक्ति को और सशक्त किया।

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साथियों,

अतीत में कितने ही ऐसे विषय रहे जिन पर चर्चा करने के लिए ही कोई तैयार नहीं था। डर था कि कहीं वोट बैंक नाराज हो जाए तो। अब जैसे ट्रिपल तलाक का मामला है। इससे अनगिनत मुस्लिम बहनों का जीवन बर्बाद हुआ। लेकिन सत्ता में बैठे लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। महिलाओं के हित में, मुस्लिम परिवारों के हित में, हमारी सरकार ने ट्रिपल तलाक के विरुद्ध कानून बनाया। वक्फ कानून में ज़रूरी सुधार की ज़रूरत भी अनेक दशकों से महसूस की जा रही थी। लेकिन वोटबैंक को खुश करने के लिए इस नेक काम को भी बदनाम करके रखा गया था। अब जाकर, वक्फ कानून में वो संशोधन किए गए हैं, जो सही मायने में मुस्लिम माताओं-बहनों, गरीब मुसलमान-पसमांदा मुसलमानों के काम आएगा।

साथियों,

एक और बहुत बड़ा काम हुआ है, जिसकी चर्चा उतनी नहीं होती। ये काम नदियों को जोड़ने से जुड़ा है। अभी पानी के संबंध में अतिदेब जी ने पूछा, क्या करेंगे? दशकों तक हमारी नदियों के पानी को तनाव का, झगड़े का विषय बनाकर रखा गया। लेकिन हमारी सरकार ने, राज्य सरकारों के साथ मिलकर, नदियों को जोड़ने का महाअभियान शुरु किया है। केन बेतवा लिंक परियोजना, पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना, इनसे लाखों किसानों को फायदा होगा। वैसे आजकल तो मीडिया में पानी को लेकर काफी चर्चा चल रही है। आप बहुत जल्दी समझ जाते हैं। पहले भारत के हक का पानी भी बाहर जा रहा था, अब भारत का पानी, भारत के हक में बहेगा, भारत के हक में रुकेगा और भारत के ही काम आएगा।

साथियों,

अक्सर लोग इस बात को दोहराते हैं कि इतने दशकों बाद, संसद की नई इमारत का निर्माण हुआ, लेकिन एक बात पर चर्चा नहीं होती, कि दशकों के इंतजार के बाद, हमारी सरकार ने ही यहां दिल्ली में डॉक्टर बाबा साहब अंबेडकर नेशनल मेमोरियल भी बनाया। अटल जी की जब सरकार थी, उस समय इसकी बात शुरू हुई थी, लेकिन इसके निर्माण का काम भी एक दशक तक लटका रहा। हमारी सरकार ने इसको तो पूरा किया ही, देश और दुनिया में बाबा साहेब से जुड़े प्रमुख स्थलों को पंचतीर्थ के रूप में विकसित किया है।

साथियों,

2014 में हमारी सरकार ऐसी परिस्थिति में बनी थी, जब सरकारों पर देशवासियों का विश्वास लगभग टूट चुका था। कुछ लोग तो ये सवाल उठाने लगे थे, कि क्या हमारे देश में लोकतंत्र और विकास साथ-साथ चल सकते हैं? लेकिन आज, जब कोई भारत को देखता है, तो गर्व से कह सकता है– "डेमोक्रेसी कैन डिलीवर" यानी डेमॉक्रेसी रिजल्ट्स दे सकती है। पिछले एक दशक में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं, इससे पूरी दुनिया को ये संदेश मिला है, डेमोक्रेसी कैन डिलीवर। जिन करोड़ों छोटे उद्यमियों को मुद्रा योजना से लोन मिला, उन्हें आज महसूस होता है कि, डेमोक्रेसी कैन डिलीवर। हमारे देश में दर्जनों जिलों को पिछ़ड़े होने का ठप्पा लगाकर अपने हाल पर छोड़ दिया गया था। आज जब वही जिले एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्स बनकर विकास के पैरामीटर्स में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, तो स्पष्ट होता है- डेमोक्रेसी कैन डिलीवर। यहां बहुत कम लोगों को पता होगा, हमारे देश में ट्राइबल्स में भी ऐसी अति पिछड़ी ट्राइबल जातियां थीं, जिन तक विकास का लाभ नहीं पहुंच पाया था। आज जब पीएम जनमन योजना से इन जातियों तक सरकारी सुविधा पहुंची है, तो उन्हें भी भरोसा हुआ है, डेमोक्रेसी कैन डिलीवर! देश का विकास, देश के संसाधन, आखिरी व्यक्ति तक बिना किसी भेदभाव पहुंचें, लोकतंत्र का असली अर्थ, असली उद्देश्य यही है औऱ हमारी सरकार यही कर रही है।

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साथियों,

आज एक ऐसे भारत का निर्माण हो रहा है, जिसके विकास की गति तेज हो और वो भारत सोच से, संकल्प से और संवेदना से भी समृद्ध हो। हमने Human Centric Globalisation का वो रास्ता चुना है, जहां ग्रोथ सिर्फ बाज़ार से तय नहीं होगी। लोगों को गरिमा का जीवन मिले, उनके सपने पूरे हों, हमारे लिए ये विकास का बड़ा पैमाना है। हम GDP-Centric अप्रोच के बजाय GEP-Centric Progress की तरफ बढ़ रहे हैं। और जब मैं GEP कहता हूं, तो इसका अर्थ है- Gross Empowerment of People. मतलब सबका सशक्तिकरण। जब गरीब को पक्का घर मिलता है, तो वो सशक्त होता है, उसका स्वाभिमान बढ़ता है। जब गरीब के घर में शौचालय बनता है, तो उसे खुले में शौच के अपमान और पीड़ा से मुक्ति मिलती है। जब आयुष्मान भारत योजना से गरीब को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिलता है, तो उसके जीवन की बहुत बड़ी चिंता कम होती है। ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जो संवेदनशील विकास के रास्ते को मजबूत कर रहे हैं, देश की जनता को Empower कर रहे हैं।

साथियों,

अभी कुछ दिनों पहले, सिविल सर्विस डे के दौरान मैंने नागरिक देवो भव: इस मंत्र की बात कही थी। ये हमारी सरकार का मूल विचार है। हम जनता में जनार्दन देखने वाले लोग हैं। पहले, सरकार में माई-बाप कल्चर हावी था, अब जनता की सेवा भावना ही, उसी को लेकर काम होता है। सरकार खुद, नागरिक तक सेवा पहुंचाने की पहल करती है। यहां बहुत से नौजवान साथी हैं। आजकल तो आप हर फॉर्म ऑनलाइन भरते हैं। एक समय था, जब अपने ही डॉक्यूमेंट्स को अटेस्ट कराने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे। अब आप वही सारे काम सेल्फ अटेस्ट करके भी कर सकते हैं।

साथियों,

ऐसी ही पुरानी व्यवस्था सीनियर सिटिजन्स के लिए थी। बुजुर्ग लोगों को हर साल, खुद के जीवित होने का प्रमाण देने के लिए अपने पुराने ऑफिस में जाना पड़ता था और जाकर कहना पड़ता था, मैं जिंदा हूं या फिर बैंक में जाकर बताना पड़ता था कि मैं जीवित हूं, मुझे पैसे मिलने चाहिए। हमने इसका समाधान निकाला। अब सीनियर सिटिजन्स कहीं से भी, डिजिटली अपना जीवन प्रमाण पत्र दे सकते हैं। बिजली कनेक्शन लेना हो, पानी का नल लगवाना हो, बिल जमा करना हो, गैस बुक करानी हो और यहां तक कि गैस सिलेंडर की डिलिवरी लेनी हो, उसके लिए भी बार-बार कहना पड़ता था।

कई लोग छुट्टी लेकर ये सारा काम, नौकरी में एक दिन छुट्टी रखनी पड़ती है इन कामों के लिए। अब देश में व्यवस्था बदली है, ऐसे ढेर सारे काम अब ऑनलाइन हो जाते हैं। हम लगातार ये कोशिश कर रहे हैं, कि हर वो इंटरफेस, जहां लोगों को सरकार से कोई इंटरैक्शन करना हो, जैसे पासपोर्ट का काम हो, टैक्स रीफंड का काम हो, ऐसे हर काम Simple, Fast और Efficient हों। यही नागरिक देवो भव: उस मंत्र का उद्देश्य है। और इसी भाव पर चलते हुए हम 2047 के विकसित भारत की नींव को मजबूत कर रहे हैं।

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साथियों,

भारत आज, अपनी परंपरा और प्रगति को एक साथ लेकर चल रहा है। विकास भी, विरासत भी, ये हमारा मंत्र है। ट्रेडिशन और टेक्नॉलॉजी कैसे एक साथ थ्राइव करती है, ये हम भारत में देख रहे हैं। आज हम डिजिटल ट्रांजेक्शन में दुनिया में टॉप के देशों में हैं। और साथ ही, हम योग और आयुर्वेद के ट्रेडिशन को भी पूरी दुनिया में ले जा रहे हैं। आज दुनिया, भारत में निवेश करने के लिए उत्सुक है, बीते एक दशक में, रिकॉर्ड FDI भारत में आया है। और साथ ही चोरी की गई कलाकृतियां और दूसरा सामान भी रिकॉर्ड संख्या में भारत आ रहा है। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फोन निर्माता है। और साथ ही, हम मिलेट्स जैसे सुपरफूड के उत्पादन में भी सबसे आगे हैं। सूर्य मंदिर वाले भारत ने सोलर एनर्जी की production में भी 100 गीगावाट्स की कपैसिटी हासिल कर ली है।

साथियों,

प्रगति के लिए यह जरूरी नहीं है कि हम अपनी संस्कृति या अपनी जड़ों को छोड़ दें। जितनी गहराई से हम अपनी जड़ों से जुड़ेंगे, आधुनिकता के साथ हमारा जुड़ाव भी उतना ही मजबूत होगा। हम हजारों वर्षों की अपनी विरासत को आने वाले हजारों वर्षों के लिए भारत की ताकत बना रहे हैं।

साथियों,

2047 तक विकसित भारत की इस यात्रा में हर कदम का अपना महत्व है। और कई बार कुछ लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं होता, कि सरकार जो निर्णय आज ले रही है, उसका multiplier effect कितना बड़ा होगा, कितना दूरगामी होगा। मैं आपको एक ही सेक्टर का मीडिया और कंटेंट क्रियेशन का उदाहरण दूंगा। आप याद कीजिए, 10 साल पहले जब मैं डिजिटल इंडिया की बात करता था, तब कई लोग बहुत सारी आशंकाएं व्यक्त करते थे। लेकिन आज डिजिटल इंडिया हमारे जीवन का एक सहज हिस्सा हो चुका है। सस्ते डाटा और सस्ते मेड इन इंडिया स्मार्टफोन्स ने एक नई क्रांति को जन्म दिया है। डिजिटल इंडिया से कैसे ईज ऑफ लिविंग बढ़ी है, यह हम सब देख रहे हैं। लेकिन डिजिटल इंडिया ने कैसे कंटेंट और क्रिएटिविटी का एक नया संसार बना दिया है, इसकी चर्चा कम होती है।

आज गांव में अच्छा खाना बनाने वाली एक महिला मिलियन सब्सक्राइबर क्लब में है। किसी आदिवासी क्षेत्र का युवा अपनी लोक कला से दुनिया भर के दर्शकों को जोड़ रहा है। कोई स्कूल में पढ़ने वाला नौजवान है, जो टेक्नोलॉजी को शानदार तरीके से बता रहा है, समझा रहा है। अभी मुंबई में पहली waves समिट हुई है। इसमें दुनिया भर के मीडिया, एंटरटेनमेंट और क्रिएटिव इंडस्ट्री से जुड़े हुए लोग शामिल हुए। मुझे भी इसका हिस्सा बनने का मौका मिला था। मुझे कोई बता रहा था, कि अकेले YouTube ने ही बीते तीन साल में भारत के कंटेंट क्रिएटर्स को 21000 करोड़ रुपये का पेमेंट किया है। Twenty One Thousand Rupees. यानी आज हमारा फोन सिर्फ कम्युनिकेशन का ही नहीं, क्रिएटिविटी का, कमाई का भी बहुत बड़ा टूल बन गया है।

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साथियों,

2047 के विकसित भारत के लक्ष्य के साथ एक और अभियान की पार्टनरशिप है और वो अभियान है- आत्मनिर्भर भारत। आत्मनिर्भरता, हमारे Economic DNA का हिस्सा रही है। फिर भी हमें ये बताया जाता था, कि भारत कोई Maker नहीं, सिर्फ एक Market है। लेकिन अब भारत पर लगाया गया ये टैग हट रहा है। आज भारत दुनिया का एक बड़ा डिफेंस मैन्युफेक्चरर और एक्सपोर्टर बन रहा है। भारत के डिफेंस प्रोडक्ट्स, 100 से ज्यादा देशों में एक्सपोर्ट हो रहे हैं। हमारे डिफेंस एक्सपोर्ट की फिगर भी लगातार बढ़ रही है। देश के पास आईएनएस विक्रांत, आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरी जैसी अनेक स्वदेशी युद्धपोत हैं। इन्हें भारत ने अपने सामर्थ्य से बनाया है। आज भारत अनेक ऐसे सेक्टर्स में भी शानदार काम कर रहा है, जो पहले हमारी ताकत नहीं रहे। जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर है। बीते वर्षों में भारत एक बड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्टर बनकर उभरा है। आज हमारे लोकल प्रॉडक्ट्स, ग्लोबल हो रहे हैं। हाल में ही एक्सपोर्ट्स से जुड़े आंकड़े आए हैं। भारत का एक्सपोर्ट बीते वर्ष, करीब 825 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। 825 बिलियन डॉलर, यानी सिर्फ एक दशक में भारत ने अपना एक्सपोर्ट करीब-करीब दोगुना किया है। इसे और गति देने के लिए, नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए, इस साल के बजट में हमने मिशन मैन्यूफैक्चरिंग का भी ऐलान किया है। मैन्यूफैक्चरिंग की ये ताकत भारत के लोगों की पहचान creators, innovators और disruptors के रूप में आज दुनिया में उसकी पसंद बना रही है।

साथियों,

ये दशक, आने वाली सदियों के लिए भारत की दिशा तय करने वाला है। ये देश का नया भाग्य लिखने का कालखंड है। ये स्पिरिट मैं देश के हर नागरिक में देख रहा हूं, देश के हर संस्थान, हर सेक्टर में देख रहा हूं। इस समिट के दौरान भी यहां जो चर्चा हुई है, उसमें भी हमने यही महसूस किया है। मैं एक बार फिर ABP नेटवर्क को इस समिट के लिए बहुत– बहुत बधाई देता हूं। और मुझे भी क्योंकि अब देर रात होने वाली है, फिर भी आप इतनी बड़ी तादाद में यहां मौजूद हैं, यह भी अपने आप में उज्ज्वल भविष्य की निशानी है। और मैं खास तौर पर कहना चाहूंगा, आपने ये जो प्रयोग किया है और मैं आपका गेस्ट लिस्ट देख रहा था। सारे नौजवान प्रयोगशील लोग हैं। इनके पास नए विचार हैं, नया साहस है। देश ने जिसने भी सुना होगा उनको उनका आत्मविश्वास पैदा हुआ होगा। अच्छा हमारे देश में यह ताकत पड़ी है। तो आपने एक बहुत बड़ा काम किया है, अच्छा काम किया है और इसके लिए आप अभिनंदन के अधिकारी हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद।

नमस्कार।