We want to make India a hub of heritage tourism: PM Modi

Published By : Admin | January 11, 2020 | 17:31 IST
QuoteWe want to make India a hub of heritage tourism: PM Modi
QuoteFive iconic museums of the country will be made of international standards: PM Modi
QuoteLong ago, Swami Vivekananda, at Michigan University, had said that 21st century would belong to India. We must keep working hard to make sure this comes true: PM

देवियों और सज्जनों, संस्कृति और साहित्य की तरंग और उमंग से भरे कोलकाता के इस वातावरण में आकर मन और मस्तिष्क आनंद से भर जाता है। ये एक प्रकार से मेरे लिए खुद को तरोताज़ा करने का और बंगाल की वैभवशाली कला और संस्कृति को पहचानने का उसे नमन करने का अवसर है। साथियों, अभी थोड़ी देर पहले जब आकर, सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखकर बहुत सी पुरानी यादें ताज़ा हो गईं। तब लड़कपन का समय था, जीवन को, जीवन के रहस्यों को, उसकी उलझनों-सुलझनों, जैसे हर किशोर के मन में रहता है; मेरे मन भी रहता था। बहुत कुछ जानने की उत्‍कंठ इच्‍छा रहती थी। कई सारे सवाल होते थे, और ढेर सारे जवाब होते हैं, उसमें से कई जवाब ढूंढना भी बड़ा कठिन होता था। उन सवालों के समाधान के लिए, स्‍पष्‍टता के लिए कभी इधर तो कभी उधर किसी खोज में लगे रहते थे। और तब उस उम्र में ये कोलकाता की भूमि, ये बेलूरमठ की पवित्र मिट्टी मुझे खींच करके ले आती थी।

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आज जब आपके बीच में था, इन सब चीजों को देखता था तो मन उन्‍हीं भावों से भर जाता था। और ये प्रदर्शनी, ऐसा लग रहा था जैसे मैं उन पलों को स्वयं जी रहा हूं जो उन महान चित्रकारों, कलाकारों, रंगकारों ने रचे हैं, जीए हैं। बांग्लाभूमि की, बंगाल की मिट्टी की इस अद्भुत शक्ति, मोहित करने वाली महक को नमन करने का ये मेरा अवसर है। इससे जुड़े अतीत और वर्तमान के सभी जनों को भी मैं आदरांजलि अर्पित करता हूं।

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साथियो, आज पश्चिम बंगाल सहित भारत की कला, संस्कृति और साहित्‍य के क्षेत्र में एक बहुत महत्‍वपूर्ण दिवस है, बहुत बड़ा दिन है। भारत की कला, संस्‍कृति अपने heritage को 21वीं सदी के अनुसार संरक्षित करने और उनको Reinvent, Rebrand, Renovate और Rehouse करने का राष्ट्रव्यापी अभियान आज पश्चिम बंगाल की इस मिट्टी से शुरु हो रहा है। इस अभियान का बहुत बड़ा लाभ कोलकाता को, पश्चिम बंगाल को तो मिलना ही मिलना है। इसके लिए पश्चिम बंगाल के आर्ट और कल्‍चर से जुड़े आप सभी साथियों को, और कला, संस्‍कृति के लिए समर्पित बंगाल की जनता को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

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साथियों, परंपरा और पर्यटन, ये दो ऐसे विषय हैं जिनका हमारी हैरिटेज से और हमारे इमोशंस से, हमारी पहचान से सीधा कनेक्ट है। केंद्र सरकार का ये प्रयास है कि भारत के सांस्कृतिक सामर्थ्य को दुनिया के सामने नए रंग-रूप में रखे, ताकि भारत दुनिया में हैरिटेज टूरिज्म का बड़ा सेंटर बनकर उभरे। हैरिटेज टूरिज्म का पश्चिम बंगाल सहित पूरे देश के पर्यटन उद्योग को मजबूत करने में बहुत बड़ा रोल होगा। इससे पश्चिम बंगाल समेत पूरे देश में रोज़गार के अनेक अवसर भी बनेंगे। इस कार्यक्रम के बाद रविंद्र सेंतु-हावड़ा ब्रिज को पर्यटकों के लिए और आकर्षक बनाने के लिए, इंटरेक्टिव लाइट एंड साउंड सुविधा भी शुरू होने जा रही है।

साथियों, देश की हमेशा से ये इच्छा रही है कि अपने सांस्कृतिक प्रतीकों का संरक्षण भी हो और उनका आधुनिकीकरण भी हो। इसी भावना के साथ जुड़ते हुए केंद्र सरकार देश की ऐतिहासिक इमारतों को Renovate कर रही है, Refurbish कर रही है। शुरुआत कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और वाराणसी की धरोहरों से की जा रही है। इन इमारतों में नई गैलरी, नई एक्जीबिशंस, थियेटर, ड्रामा और म्यूजिक कंसर्ट्स के लिए ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। ये भी तय किया गया है कि देश के 5 Iconic Museums को International Standard का बनाया जाएगा। इसकी शुरुआत विश्व के सबसे पुराने म्यूजियम में से एक, Indian Museum Kolkata से की जा रही है। इसके अलावा दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद, श्रीनगर में मौजूद म्यूज़ियम्स को भी अपग्रेड किया जा रहा है। साथियों, देश की इन धरोहरों को संजोने, संवारने और इनका सुंदरीकरण तो ज़रूरी है ही, इनकी देखरेख और मैनेजमेंट के लिए ज़रूरी रिसोर्स का भी निर्माण करना होगा। इसी को देखते हुए ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हैरिटेज कंज़रवेशन’ का निर्माण और उसको डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा देने पर विचार किया जा रहा है।

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साथियों, कोलकाता, भारत के सर्वोच्च सांस्कृतिक केंद्रों में से एक रहा है। आपकी भावनाओं के अनुसार अब कोलकाता की इस समृद्ध पहचान को नए रंग-रूप में दुनिया के सामने लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कोलकाता की 4 Iconic Galleries, Old Currency Building हो, बेल्वेडेयर हाउस हो, विक्टोरिया मेमोरियल हो या फिर मेटकाफ हाउस हो, इनके नवीनीकरण का काम पूरा हो चुका है। बेल्वेडेर को म्यूज़ियम ऑफ द वर्ल्ड बनाने का विचार कई बार सामने आ चुका है। अब हमारे प्रयास उसी तरफ हैं। एक विचार यहां जो भारत सरकार की टकसाल है, उसको Museum of Coinage & Commerce के रूप में विकसित करने का भी है।

साथियों, विक्टोरिया मेमोरियल की 5 गैलरी में से 2 Galleries का लंबे समय से बंद रहना, सही स्थिति नहीं है। बीते कुछ समय से इनको खोलने के प्रयास हो रहे हैं। मेरा ये भी आग्रह रहेगा कि जो तीसरी गैलरी है उसमें आज़ादी के आंदोलन में बंगाल के क्रांतिकारी योगदान को जगह दी जाए।

बिप्लॉबी भारत नाम से म्यूज़ियम बने, जिसमें नेताजी सुभाषचंद्र बोस, ऑरबिंदो घोष, रास बिहारी बोस, खुदी राम बोस, देशबंधु, बाघा जतिन, बिनॉय, बादल, दिनेश, ऐसे हर महान सेनानी को यहां जगह मिलनी चाहिए। साथियों, स्वतंत्रता के बाद के दशकों में जो हुआ, नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी जो भावनाएं देश के मन में थीं, वो हम सभी भली-भांति जानते हैं। देश की उसी भावना का सम्मान करते हुए नेताजी के नाम पर लाल किले में म्यूज़ियम बनाया गया, अंडमान, निकोबार द्वीप समूह में एक द्वीप का नामकरण नेताजी के नाम पर किया गया। जब आज़ाद हिंद सरकार के 75 वर्ष पूरे हुए तो लाल किले में ध्वजारोहण का सौभाग्य मुझे खुद मिला। नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग भी बरसों से हो रही थी, जो अब पूरी हो चुकी है।

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साथियों, नए वर्ष में, नए दशक में अब देश को लगता है कि पश्चिम बंगाल के अन्य सपूतों के योगदान को भी उचित सम्मान मिलना ही चाहिए। अभी हम सभी ईश्वर चंद्र विद्यासागर जी की 200वीं जन्मजयंति मना रहे हैं। इसी तरह 2022 में जब भारत की आज़ादी के 75 वर्ष होंगे, तब एक और सुखद संयोग बन रहा है। साल 2022 में महान समाज सुधारक और शिक्षाविद राजा राममोहन राय की 250वीं जन्मजयंति आने वाली है। देश के आत्मविश्वास को जगाने के लिए, समाज में बेटियों, बहनों, युवाओं को गरिमा देने के लिए उनके जो प्रयास रहे हैं, उस विरासत को आगे बढ़ाना ज़रूरी है। उनके 250वें जन्मजयंति वर्ष को हम एक पर्व के तौर पर मनाएं, ये हम सभी का कर्तव्य है।

साथियों, देश की विरासत का संरक्षण, हमारे महान व्यक्तित्वों, हमारे इतिहास का यही चित्रण, राष्ट्र निर्माण का प्रमुख अंग होता है। ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि अंग्रेजी शासन के दौरान और स्वतंत्रता के बाद भी देश का जो इतिहास लिखा गया, उसमें इतिहास के कुछ अहम पक्षों को नजरअंदाज कर दिया गया।

साथियों, गुरुदेव टैगोर ने 1903 के अपने एक लेख में जो लिखा था, मैं उसका जिक्र आज बंगाल की इस पवित्र धरती पर जरूर करना चाहता हूं। उन्होंने लिखा था- “भारत का इतिहास वो नहीं है जो हम परीक्षाओं के लिए पढ़ते और याद करते हैं। कुछ लोग बाहर से आए, पिता बेटे की हत्या करता रहा, भाई-भाई को मारता रहा, सिंहासन के लिए संघर्ष होता रहा यह भारत का इतिहास नहीं है। इस इतिहास में इस बात तो वर्णन ही नहीं है कि तब भारत के नागरिक, भारत के लोग क्या कर रहे थे? क्या उनका कोई अस्तित्व ही नहीं था”।

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साथियों, गुरुदेव ने अपने लेख में एक बहुत महत्वपूर्ण उदाहरण भी दिया था आंधी और तूफान का। उन्होंने लिखा था कि “चाहे जितना भी तूफान आए, उससे भी ज्यादा अहम होता है कि संकट के उस समय में, वहां के लोगों ने उस तूफान का सामना कैसे किया”।

साथियों, गुरुदेव ने इस बात का ध्यान दिलाया था कि इतिहासकारों ने उस तूफान को घर के बाहर से ही देखा। जो लोग उस तूफान से निपट रहे थे, वो इतिहासकार उनके घर में गए ही नहीं। अब जो बाहर से देखेगा, वो तो सिर्फ तूफान ही देख पाएगा न !!! उस तूफान से, तब वहां के समाज ने, वहां के सामान्य मानवी ने कैसे मुकाबला किया इस पर इतिहासकारों की नजर ही नहीं पड़ी”। ऐसे में भारतवर्ष के इतिहास की बहुत सारी बातें, पीछे ही छूट गईं।

साथियों, हमारे देश के इतिहास और उसकी विरासत पर दृष्टि डालें, तो कुछ लोगों ने उसे सत्ता के संघर्ष, हिंसा, उत्तराधिकार की लड़ाई तक ही सीमित कर दिया था। लेकिन इन सबके बीच, जैसा गुरुदेव ने भी कहा था, इतिहास का जो एक और पहलू है वो बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। आज मैं उसकी भी चर्चा आपके बीच करना चाहता हूं।

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साथियों, अस्थिरता के उस दौर में, हिंसा के माहौल में, उसका सामना करना, राष्ट्र की चेतना को जागृत रखना, उसे संभालना, उसे अगली पीढ़ियों तक पहुंचाना भी तो महत्वपूर्ण था। दशक दर दशक, पीढ़ी दर पीढ़ी, शताब्दी दर शताब्दी ये कार्य किसने क्या? हमारी कला, हमारे साहित्य, हमारे संगीत, हमारे बौद्धिकजनों, हमारे संतों, हमारे दार्शनिकों ने। और इसलिए, भारत के हर कोने में आपको अलग-अलग तरह की कला और संगीत से जुड़ी विशेष परंपराएं देखने को मिलेंगीं। भारत के हर क्षेत्र में आपको बौद्धिकजनों, संतजनों का प्रभाव देखने को मिलेगा। इन व्यक्तियों ने, उनके विचारों ने, कला और साहित्य के अलग-अलग स्वरूपों ने, इतिहास को अपने ही तरीके से समृद्ध किया है। और आप सभी ये भी भली-भांति जानते हैं कि ऐसे महान व्यक्तित्वों ने, भारत के इतिहास के कुछ सबसे बड़े सामाजिक सुधारों का नेतृत्व किया। भारत को आदि शंकराचार्य, थिरुनावुक्कारासार जैसे कवि संतों का आशीर्वाद मिला। अंदाल, अक्का महादेवी, भगवान बशवेश्वर, गुरु नानक देव जी द्वारा दिखाया गया मार्ग, आज भी हमें प्रेरणा देता है। जब भारत के अलग-अलग हिस्सों में भक्ति आंदोलन चला तो उस लंबे के कालखंड में अनेक संतों और सुधारकों के गीतों, विचारों ने उसे समृद्ध किया। संत कबीर, तुलसीदास जी, एकनाथ जी, नामदेव जी, संत तुकाराम जी समाज को जागृत करते रहे। हिन्‍दुस्‍तान का कोई कोना ऐसा नहीं था कि जहां उस कालखंड में इस प्रकार के महापुरुष कार्यरत न हों। समाज परिवर्तन के लिए राजा राममोहन राय जी और ईश्‍वरचंद्र विद्यासागर जी के प्रयास आज भी उतने ही प्रेरणादायी हैं। इसी तरह हम ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, गांधी जी, बाबा साहेब आंबेडकर, ऐसे अनेक व्यक्तित्वों को भारत को, भारत के इतिहास को समृद्ध करते हुए देखते हैं।

सामाजिक सुधार, समाज की कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाना, उस दौर में महिला सशक्तिकरण के लिए इतनी कोशिशें करना, ये राष्ट्र की चेतना को जागृत रखने के ही तो प्रयास थे। और जितने भी नाम आप देखें, बहुत से नाम मैं नहीं भी ले पाया, लेकिन उन्होंने साहित्य को, कला को, संगीत को ही अपने संदेशों का माध्यम बनाया। यही है कला-संगीत-साहित्य की ताकत। उन्होंने हथियारों की शक्ति से नहीं, जनशक्ति से परिवर्तन लाने का इतिहास रचा। शस्‍त्र के सामने शास्‍त्र का सामर्थ्‍य उन्‍होंने दिखा दिया।

साथियों, किसी भी भूभाग की आत्मा का प्रतिनिधित्व वहां के लोगों की भावनाएं करती हैं। गीत, संगीत, कला-साहित्य के माध्यम से जो कहा जाता है, वही जनभावनाएं होती हैं। राजनीतिक और सैन्यशक्ति तो अस्थाई होती है, लेकिन कला और संस्कृति के जरिए जो जनभावनाएं अभिव्यक्त होती हैं, वो स्थाई होती हैं। और इसलिए, अपने समृद्ध इतिहास को, अपनी धरोहर को संजोकर रखना, उनका संवर्धन करना भारत के लिए, हर भारतवासी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यही एक ऐसी संपदा है जो हमें दुनिया के दूसरे देशों से अलग करती है।

साथियों, संस्कृति की रक्षा करने के विषय में डॉक्टर श्‍यामप्रसाद मुखर्जी ने कहा था- “हमें तकलीफ इस बात की नहीं है कि पश्चिमी ज्ञान के दरवाजे हमारे लिए खुले। तकलीफ इस बात की है कि ये ज्ञान हम पर, भारतीय संस्कृति के साथ समझौता करते हुए थोपा गया। आवश्यकता इस बात की थी कि दोनों में एक समन्वय हो जिसमें भारतीय संस्कृति को नजरअंदाज न किया जाए, उसे समाप्त न किया जाए”। डॉक्टर मुखर्जी की ये बात उस दौर में भी महत्वपूर्ण थी और आज भी प्रासंगिक है। हमें दुनिया की हर संस्कृति से कुछ न कुछ सीखने को मिल सकता है, लेकिन इसका भी ध्यान रखना होगा कि भारतीय संस्कृति के मूल्यों पर आंच न आए।

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साथियों, बांग्ला भूमि में पैदा हुए, पले-बढ़े सपूतों ने, संतों ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के महत्व को हमेशा समझा है, उसे Intellectual नेतृत्व दिया है। आसमान में भले ही एक ही चांद चमकता हो, लेकिन दुनिया को भारत की चमक दिखाने के लिए पश्चिम बंगाल ने अनेक चंद्र दिए हैं। नेताजी सुभाष चंद्र, शरत चंद्र, बंकिम चंद्र, ईश्वर चंद्र, जगदीश चंद्र, केशव चंद्र, बिपिन चंद्र, ऐसे अनेक चंद्र ने भारत की पहचान को और प्रकाशित किया है।

चैतन्य महाप्रभु से लेकर राजा राम मोहन राय, स्वामी विवेकानंद और गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर जी ने पूरी दुनिया और संपूर्ण भारत को जगाने का काम किया है। इन सभी महापुरुषों ने पूरी दुनिया को बताया कि भारत असल में क्या है और उसकी असली ताकत क्या है। इन्होंने भारत को भी ये ऐहसास कराया कि हमारी असली पूंजी हमारी संस्कृति है, अतीत का हमारा ज्ञान-विज्ञान है। नज़रुल इस्लाम और लालन फकीर की कविताओं ने और सत्यजीत रे की फिल्मों ने भी इस सोच को विस्तार दिया है।

साथियों, भारत के ज्ञान-विज्ञान और पुरातन पहचान से देश और दुनिया को परिचित कराने का काम जो बंगाल की मिट्टी ने किया है, उस परिपाटी को New India में भी जीवित रखने का दायित्व आप सभी का है, यहां के युवाओं का है। ये सही समय है जब यहां से हर क्षेत्र में नई और सक्षम लीडरशिप तैयार करें, जो पूरी दुनिया में भारत का प्रतिनिधित्व कर सके। हम सभी को स्वामी विवेकानंद जी की वो बात हमेशा याद रखनी है, जो उन्होंने मिशिगन यूनिवर्सिटी में कुछ लोगों से संवाद के दौरान कही थी।

स्वामी विवेकानंद ने उन्हें कहा था- “अभी वर्तमान सदी भले ही आपकी है, लेकिन 21वीं सदी भारत की होगी”। स्वामी विवेकानंद के उस विश्वास को, उस संकल्प को सिद्ध करने के लिए हम सभी, प्रत्येक देशवासी को पूरी शक्ति से निरंतर काम करते रहना चाहिए। और इस अभियान में, जब पश्चिम बंगाल के बौद्धिक वर्ग, आप सभी साथियों की ऊर्जा, आपका आशीर्वाद मिलेगा, तो संकल्पों को सिद्ध करने की गति भी और बढ़ जाएगी। मैं खुद और केंद्र सरकार भी आपके हर कदम, आपकी हर कोशिश के साथ खड़ा होने का प्रयास करेंगे, आपसे सीखने का भी प्रयास करेंगे। आपने जिस आत्मीयता के साथ आज इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर आपके बीच आ करके कुछ बात करने का अवसर दिया, आपने जो सत्कार किया, सम्‍मान किया, इसके लिए भी मैं आप सबका हृदय से बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। मैं देशवासियों से भी आग्रह करूंगा कि आप कोलकाता जब आएं तो इन चारों Iconic स्‍थान पर जरूर जाएं। हमारे उन महापुरुषों के उस कालखंड के चिंतन को, उनकी कला को, उनकी भावनाओं को, उस समय के जनमानस की अभिव्‍यक्ति को आप देखें, जाने, और दुनिया को जताएं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

  • Sanjay Singh January 22, 2023

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  • शिवकुमार गुप्ता February 22, 2022

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Prime Minister Narendra Modi to participate in the Post-Budget Webinar on "Agriculture and Rural Prosperity"
February 28, 2025
QuoteWebinar will foster collaboration to translate the vision of this year’s Budget into actionable outcomes

Prime Minister Shri Narendra Modi will participate in the Post-Budget Webinar on "Agriculture and Rural Prosperity" on 1st March, at around 12:30 PM via video conferencing. He will also address the gathering on the occasion.

The webinar aims to bring together key stakeholders for a focused discussion on strategizing the effective implementation of this year’s Budget announcements. With a strong emphasis on agricultural growth and rural prosperity, the session will foster collaboration to translate the Budget’s vision into actionable outcomes. The webinar will engage private sector experts, industry representatives, and subject matter specialists to align efforts and drive impactful implementation.