Pranab Da guided me like a father figure: PM Modi

Published By : Admin | July 2, 2017 | 18:41 IST
QuoteWe can be more history conscious as a society and preserve aspects of our history much better: PM
QuoteIt is my privilege that I got to work with Shri Pranab Mukherjee: PM Modi
QuoteWhen I came to Delhi as the Prime Minister, Pranab Da guided me like a father figure: Shri Modi

1875 तब से लेकर के एक सुदृढ़ यात्रा और Statesmanship के साथ चली। कई पड़ाव आए कई राहवर आए, कई संकट भी आए लेकिन Statesman ने अपनी जिम्‍मेवारियां पूरा करने का भरपूर प्रयास किया। कल मुझे काफी देर मिस्‍टर आर.एन.आर. के साथ गप्‍पे-gossip मारने का मौका मिल गया था। एक बार श्रीमान ईरानी जी के साथ बहुत विस्‍तार से बाते करने का अवसर मिला था। वो हमारे बड़े प्रकर आलोचक रहते थे लेकिन उनके साथ बात करने का बड़ा मजा आता था, काफी कुछ जो हैं उनके पास रहती थी। व्‍यंग्‍य विनोद भी उनका सहज स्‍वभाव था, तो वो भी एक मौका मुझे कभी मिलता रहता था।

हमारे देश में एक कमी रही है शायद कारण क्‍या होगा और हो सकता है मेरी बात से सब सहमत न भी हों। हम History Conscious Society के रूप में कभी उभरे नहीं और इसलिए...जैसे अंग्रेजों का देखो हर छोटी-छोटी चीज को संभालते हैं। अभी मैं Portugal गया था। तो Goa और Portugal जब वहां शासन चलता था तो जो पत्र व्‍यवहार था कई वर्षों से प्रयास हो रहा था कि वो और कई इसमें से हमें उनका कम से कम xerox मिल जाए। इतने लंबे समय का इतिहास उसमें एक पत्रों के माध्‍यम से पता चलता है और इस बार मैं गया तो सरकार ने उसको स्‍वीकार करके सारे पत्रों का एक कापी गोवा सरकार को दिया है यानि वो पत्रों का संपुट अपने आप में है। सारे विकास यात्रा घटनाक्रम का एक गवाही के रूप में मिला है। हमारे यहां उसको किसी ने संभाला नहीं आज भी हम देखे तो भारत की कई चीजें अगर हमें study करनी है तो हमारे scholars को Britain में जाकर के, वहां की लाइब्रेरियों को खोलना पड़ता है, निकालना पड़ता है और क्‍योंकि मूलत: हम लोगों की प्रकृति नहीं रही। मैं समझता हूं कि ये किसी व्‍यक्ति भक्ति का विषय नहीं होता है, राष्‍ट्र के जीवन में इन व्‍यवस्‍थाओं का बड़ा महत्‍व रहता है और उसको इतिहास की घटना के रूप में लेकर के अगर हम चलते हैं तो हम भावी पीढ़ी के लिए बहुत बड़ी सेवा करते हैं।

अब ये तो एक तस्‍वीर यात्रा है, हमें सामान्‍य मानवीय को राष्‍ट्रपति जी यानि अगल-बगल में सब बड़े-बड़े कदावर लोग चल रहे हैं, बड़े protocol हैं, राष्‍ट्रगान हो रहा है, बड़े विशिष्‍ट परिस्थिति में खड़े होते हैं, यही दुनिया देखती है लेकिन उन व्‍यवस्‍थाओं के बीच में एक जिंदादिल इंसान होता है, वो तब पता चलता है जब किसी photo journalist के कैमरा में click होता है और कल जब हम उसे किताब के रूप में उसे देखेगें, अच्‍छा हमारे राष्‍ट्रपति जी बालक की तरह हंसते हैं। ये अपने-आप में छू जाता है जी। विदेश का कितना ही बड़ा मेहमान आए, size कितनी ही ऊंची क्‍यों न हो, उस तस्‍वीर से पता चलता है, मेरे देश के राष्‍ट्रपति का आत्‍मविश्‍वास कितना जबरदस्‍त है, अनबोध गर्व होता है। ये सारी चीजें इस सारे ग्रंथ के अंदर समाहित हैं। यानि की पद व्‍यवस्‍था के अतिरिक्‍त भी मेरे राष्‍ट्रपति होते ,हैं उनके भीतर भी एक इंसानी जिंदगी की यात्रा होती है, उसको जब कैमरा के रूप में देखते हैं, तस्‍वीर के रूप में जो प्रकट होती है।

अब जब महात्‍मा गांधी थे, उस समय तो न इतने कैमरा थे, न व्‍यवस्‍था थी, लेकिन जब दो तस्‍वीर देखे गांधी जी की, एक में झाड़ू हाथ में लेकर के सफाई कर रहे हैं और दूसरी एक तस्‍वीर में microscope में बारीक eye से देखते हैं, तब पता चलता है कि इंसान की व्यक्तित्व का विस्‍तार कहां से कहां होगा? दो तस्‍वीरें, गांधी को यहां से यहां दो रूप में दिखाने की ताकत रखते हैं। यानि एक प्रकार से जो तस्‍वीरकार होता है वो जब तस्‍वीर लेता है तब उस moment को उस रूप में पकड़ता है, जो moment इतिहास को अमरत्‍व का बख्‍शीश देने का सामर्थ्‍य रखती है।

इतिहास को अमरत्‍व देने का कारण इस ऐसे document में होता है और इन चीजों को उसमें लाने का प्रयास वरूण जोशी ने किया है, statesman की टीम ने इसको बखूबी प्रस्‍तुत किया है। वरना अब जिस समय technology के माध्यम से SMS की दुनिया शुरू हुई थी, तो आपने देखा होगा बहुत बड़ी मात्रा में article छप रहे थे कि ये SMS ऐसी चीज आ रही है कि पत्र लेखन की दुनिया ही समाप्‍त हो जाएगी। पत्र लेखन अपने आप में मानव संस्‍कृति की एक अहम विरासत है। अगर वो खत्‍म हो गई तो भावी पीढ़ी के हाथ में कुछ लगेगा नहीं। जिसको मालूम होगा 25 साल पहले ये सारे article छपते थे। तब उनको भी पता नहीं था कि technology इतनी बदल जाएगी, कि शायद हर एक इंसान अपने आप में इतना creative बन जाएगा, अपने आप में लेखक बन जाएगा और नई नई technology हमारे भीतर की creativity को जन्‍म देगी और वो शायद सुरक्षित भी होगा।

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एक जमाना था जब autograph का महत्‍व रहता था धीरे-धीरे photograph की ओर बढ़े और अब autograph और photograph का combination सेल्‍फी आ गई। देखिए बदलाव कैसे हो रहा है। सेल्‍फी photograph और autograph दोनो का combination है। यानि मूल विचार से बदलाव होते-होते कहां से कहां पहुंचता है, इसमें हम अनुभव करते हैं। इस पूरे ग्रंथ को देखेंगे जिसमें मुझे लगता है कि अखबारों के माध्‍यम से दुनिया ने जो राजनेताओं को पहचाना है, क्षमा करें मुझे! यहां काफी अखबार वाले थे। उस अखबार के झरोखे के उस दायरे के बाहर भी, राजनीतिक जीवन में जीने वाला कोई इंसान भी होता है। ये रोजमर्रा की आपा-धापी में अखबार पकड़ नहीं पाता है, लेकिन कुछ समय के बाद research करके जब चीजें आती हैं, तब लगता है कि वो रोजमर्रा की जिंदगी में देखे गए इंसान के ऊपर भी एक और इंसान बैठा हुआ है और इसलिए उसके भीतर की सच्‍चाई को जानने में, मैं समझता हूं यह ग्रंथ आदरणीय प्रणब दा को जानने के लिए, उनके निकट जाने के लिए और कभी-कभी तो लगता है कि उनके भीतर जाने का अवसर दे रहा है। और इस महत्‍वपूर्ण काम के लिए मैं गुप्‍ता जी और उनकी पूरी टीम को और विशेषकर के भाई वरूण जोशी को ह्दय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

मेरा सौभाग्‍य रहा है कि आदरणीय राष्‍ट्रपति जी के साथ मुझे काम करने का अवसर मिला। मैं अपने जीवन में देखता हूं कि मुझे एक अवसर आया आपातकाल में, मैं राजनीति में नहीं था सामाजिक जीवन से जुड़ा हुआ था लेकिन आपातकाल में भिन्‍न-भिन्‍न विचार के लोगों के साथ काम करने का अवसर आया। Extreme एक दूसरे के खिलाफ खड़ी हुई विचारधाराओं के बीच काम करने का अवसर हुआ। मेरी आयु बहुत छोटी थी लेकिन उस जीवन में बहुत कुछ सीखना, समझना लोगों से मिला हमारे यहां गुजरात विद्यापीठ के Vice-Chancellor हुआ करते थे धीरू भाई देसाई, उनके घर में जाना आना आपातकाल था तो, प्रखर गांधीयन थे रविंद्र वर्मा समाजवादी विचारधारा और कांग्रेस में जीवन ऐसे लोगों के बीच में बड़ी करीबी से जीने का मुझे अवसर मिला George Fernandez के साथ, बड़ी करीबी से जीने का अवसर मिला। एक मेरे moulding में वो एक बहुत बड़ा अवसर था। मुख्‍यमंत्री बना, तो मुझे आज गर्व से मैं स्‍मरण करता हूं, कांग्रेस के दिग्‍गज नेता नवल किशोर शर्मा जी के साथ काम करने का सौभाग्‍य मिला। बहुत कुछ सीखने को मिला और मैं मानता हूं कि मेरे जीवन का एक बहुत बड़ा सदभाग्‍य रहा कि मुझे प्रणब दा की अंगुली पकड़ के दिल्‍ली की जिंदगी में अपने आप को set करने में बहुत बड़ी सुविधा मिली। बहुत बड़ा मेरे लिए एक बहुत बड़ा संबल रहा।

मैं एक ऐसा इंसान हूं जिसको हमेशा चिंता रहती है कि काम जल्‍दी पूरा न हो, अगर खाली हो जाऊंगा तो शाम को करूंगा क्‍या? एक बार मैंने किसी अखबार में हमारे यहां से खबरें तो leak कर ही लेते हैं, आप लोग! आपकी बड़ी कुशलता तो रहती है। मैं एक दिन अफसरों की मीटिंग ले रहा था करीब 8-9 बज गए होंगे, तो मीटिंग 9 बजे करीब-करीब समाप्‍त हो गई। तो मेरे मुंह से निकला कि अरे इतनी जल्‍दी पूरा हो गया! तो रात को 9 बजे भी वो बोले चलो भई ठीक है जाएगें देखेगें क्‍या समय कैसे बितायेगें, सोचेगें! ऐसी जिंदगी में एक भी मेरी मुलाकात पिछले तीन साल में राष्‍ट्रपति जी के साथ ऐसी नहीं रही, जिसमें उन्‍होंने पिता की तरह और मैं बहुत अंतर्मन से कह रहा हूं, कोई पिता अपने संतान की जैसे देखभाल करे, देखो मोदी जी! आधा दिन तो आराम करना ही पड़ेगा, मुझे दा कहते प्रणब दा कहते कि भाई इतना काहे दौड़ रहे हो कुछ कार्यक्रम कम करो, तुम तबीयत का संभालों। चुनाव के दिन थे, उत्‍तर प्रदेश में मुझे कहते थे कि भाई जीत और हार चलती रहती है लेकिन कुछ शरीर का देखोगे कि नहीं देखोगे? ये राष्‍ट्रपति के दायित्‍व का हिस्‍सा नहीं था लेकिन उनके भीतर का इंसान अपने एक साथी की चिंता और मैं मानता हूं कि ये व्‍यक्तित्‍व, ये सम्‍मान, ये रूप राष्‍ट्र जीवन के लिए एक बहुत बड़ा हम जैसे लोगों को प्रेरणा देने वाला काम होता है और वो काम प्रणब दा ने किया है। आदरणीय राष्‍ट्रपति जी ने किया है मैं उनका आदरपूर्वक नमन करता हूं और आज भाई वरूण जोशी को बधाई देते हुए, इस अमूल्‍य विरासत आने वाली पीढ़ी के लिए तैयार करने के लिए बधाई देता हूं। Statesman Group को बधाई देता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद

  • Madhuri Mishra January 06, 2024

    जय भाजपा
  • Mahendra singh Solanki Loksabha Sansad Dewas Shajapur mp December 11, 2023

    नमो नमो नमो नमो नमो
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PM Modi’s remarks during the BRICS session: Peace and Security
July 06, 2025

Friends,

Global peace and security are not just ideals, rather they are the foundation of our shared interests and future. Progress of humanity is possible only in a peaceful and secure environment. BRICS has a very important role in fulfilling this objective. It is time for us to come together, unite our efforts, and collectively address the challenges we all face. We must move forward together.

Friends,

Terrorism is the most serious challenge facing humanity today. India recently endured a brutal and cowardly terrorist attack. The terrorist attack in Pahalgam on 22nd April was a direct assault on the soul, identity, and dignity of India. This attack was not just a blow to India but to the entire humanity. In this hour of grief and sorrow, I express my heartfelt gratitude to the friendly countries who stood with us and expressed support and condolences.

Condemning terrorism must be a matter of principle, and not just of convenience. If our response depends on where or against whom the attack occurred, it shall be a betrayal of humanity itself.

Friends,

There must be no hesitation in imposing sanctions on terrorists. The victims and supporters of terrorism cannot be treated equally. For the sake of personal or political gain, giving silent consent to terrorism or supporting terrorists or terrorism, should never be acceptable under any circumstances. There should be no difference between our words and actions when it comes to terrorism. If we cannot do this, then the question naturally arises whether we are serious about fighting terrorism or not?

Friends,

Today, from West Asia to Europe, the whole world is surrounded by disputes and tensions. The humanitarian situation in Gaza is a cause of grave concern. India firmly believes that no matter how difficult the circumstances, the path of peace is the only option for the good of humanity.

India is the land of Lord Buddha and Mahatma Gandhi. We have no place for war and violence. India supports every effort that takes the world away from division and conflict and leads us towards dialogue, cooperation, and coordination; and increases solidarity and trust. In this direction, we are committed to cooperation and partnership with all friendly countries. Thank you.

Friends,

In conclusion, I warmly invite all of you to India next year for the BRICS Summit, which will be held under India’s chairmanship.

Thank you very much.