‘Didi’ is the speed-breaker who is hindering rapid, inclusive development in Bengal: PM Modi in Bengal
The recently-launched manifesto of the Congress is not a ‘Ghoshna-Patra’ rather it is a ‘Dhakosala-Patra’ meant to make false promises to the people: Prime Minister Modi
It is high time that people of Bengal exercise their power and give a befitting reply to the ‘Bomb and Gun Culture’ of the TMC-Left combine: PM Modi
The people will never forget those who bowed down to terrorists and removed laws like TADA and POTA: Prime Minister Modi in Bengal

भारत माता की जय, भारत माता की जय।

बहुत ही कम समय में यहां के पूरे तंत्र की तमाम कोशिशों को बावजूद, क्रिकेट मैदान पर इतनी भारी संख्या में पहुंचे आप सभी के प्यार से मैं अभिभूत हूं। देश के पॉलिटिकल पंडितों को अगर 23 मई का अंदाजा लगाना है तो वो बंग भूमि से उठ रही इस लहर से अंदाजा लगा सकते हैं।

साथियो, बंगाल की कविता और क्रांति का रिश्ता दुनिया में अनूठा है। विद्यापति चंडीदास, जॉयदेव, ललन फकीर, नजरुल इस्लाम, बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय और गुरुदेव ने बंगालियों की आवाज को मधुरता दी तो खुदीराम बोस, सूर्य सेन, श्री अरबिंदो और नेता जी सुभाष चंद्र बोस सहित अनेक वीर-विरांगनाओं ने क्रांति को आत्मा दी। क्रांति और कविता का यही रिश्ता, नए भारत के सपनों को साकार करने में काम आने वाला है।

मेरी आप सब से प्रार्थना है, आगे आने की कोशिश मत कीजिए। ब्रिगेड मैदान ने इससे पहले कभी इतनी बड़ी भीड़ नहीं देखी। आप जहां हैं वहीं रहिए, आगे आने की कोशिश मत कीजिए। मैं आपका ज्यादा समय नहीं लूंगा, आप घंटों से यहां इंतजार कर रहे हैं। भारत माता की जय, भारत माता की जय। आपका ये प्यार मेरी सिर-आखों पर और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं। आप जो ये प्यार दे रहे हैं ना, मैं विकास करके ब्याज सहित लौटाउंगा।

साथियो, कोलकाता हो, हावड़ा हो, दमदम हो, जादवपुर हो, बारासत सहित बंगाल के कोने-कोने से इस चौकीदार को जो बीते पांच वर्ष में समर्थन मिला है, जो शक्ति मिली है। उसी का परिणाम है कि आज आपके सामने नमृतापूर्वक अपना रिपोर्ट कार्ड लेकर आया हूं। साथियो, आपके मजबूत साथ का ही परिणाम है की भारत की जयजयकार हो रही है, आपकी भागीदारी का ही परिणाम है कि भारत वो कर रहा है जिसका हम कभी सपना देखा करते थे। सर्जिकल स्ट्राइक हो, एयर स्ट्राइक हो, अंतरिक्ष में सैटेलाइट पर स्ट्राइक हो, महाशक्ति की तरफ बढ़ते भारत के कदम को दुनिया गर्व पूर्वक देख रही है और दुनिया स्वीकार करने लगी है। डिजिटल इंडिया की रफ्तार हो, मेक इन इंडिया का उभार हो या फिर कोलकाता से बनारस तक गंगा जी पर इनलैंड वाटर-वे का विस्तार हो, हर क्षेत्र में नए भारत की नींव तैयार हो रही है। ये सब कुछ किसके कारण संभव हो पाया? मेरे कोलकाता के भाइयो-बहनो, अगर मैं आपसे कुछ सवाल पूछूं तो आप जवाब देंगे?  पूरी ताकत से देंगे? जहां आपकी आवाज पहुंचनी चाहिए वहां पहुंच जाएगी? आप मुझे बताइए, ये जितने अचीवमेंट मैंने बताए, चाहे सर्जिकल स्ट्राइक हो, चाहे एयर स्ट्राइक हो, चाहे अंतरिक्ष में स्ट्राइक हो, चाहे कोलकाता से बनारस तक वॉटर-वे की व्यवस्था हुई हो ये सब कुछ किसके कारण संभव हुआ है? पांच साल के भीतर-भीतर ये सब किसने किया है? जी नहीं ये सब मोदी ने नहीं किया है, ये सब आपके आशीर्वाद के कारण हुआ है, ये आपके कारण, नामुमकिन को भी मुमकिन बनाया है।

भाइयो-बहनो, ऐसे समय में जब स्वामी विवेकानंद के सपनों का भारत बनाने की तरफ हम आगे बढ़ रहे हैं तब हमारे ही देश में कुछ लोग हैं, जो मोदी का विरोध करते-करते, मां भारती का विरोध करने लग गए हैं। आप मुझे बताइए, एयर स्ट्राइक का सुबूत कौन मांग रहा था, एयर स्ट्राइक पर शक कौन कर रहा था? सेना को निराश कौन कर रहा था, आतंकियों की लाशें दिखाओ, ये किसने कहा था? सपूतों से सुबूत मांगने का काम कौन कर रहा था? ये पुलवामा में शहीद हुए भाई सुदीप विश्वास और भाई बबलू सांत्रा का अपमान है या नहीं है? भारत के वैज्ञानिकों ने मिसाइल से सैटेलाइट उड़ाने की तकनीक का परीक्षण किया, हम दुनिया की चौथी शक्ति हो गए। आपको गर्व हुआ कि नहीं हुआ? लेकिन इतनी बड़ी ऐतिहासिक घटना, इसको ड्रामा किसने कहा?

साथियो, आपका ये चौकीदार जो पांच वर्ष से कर रहा है, उसका सामर्थ्य हमारे पास इन पांच वर्षों में आया है, ऐसा नहीं है। हमारे वीर-जवानों के पास एयर-स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक का हौसला पहले भी था, हमारे वैज्ञानिकों के पास अंतरिक्ष में सैटेलाइट को मार गिराने का सामर्थ्य पहले भी था अगर कुछ नहीं था तो तब की सरकार की नीयत नहीं थी, उनकी हिम्मत नहीं थी।

भाइयो-बहनो, जब देशहित के आगे अपना स्वार्थ रखा जाता है तो देश का हाल यही होता है। दीदी और उनके साथी आज-कल देश विरोधी बोल इसलिए बोल रहा हैं क्योंकि उनकी राजनीतिक जमीन डोल रही है। साथियो, कल आपने देखा है की कांग्रेस पार्टी ने अपना एक ढकोसलापत्र जारी किया है। इस ढकोसलापत्र में कांग्रेस में वादा किया है की सेना का सुरक्षा कवच हटा देंगे। जो कानून आतंक के प्रभाव वाले क्षेत्र में सेना के जवानों को मदद करता है, उसी कानून को हटा देंगे। ऐसी बात, जिन्होंने 60 साल तक देश पर राज किया वो कर रहे हैं। कांग्रेस ऐसा वादा कर रही है जो पाकिस्तान में बैठे आतंक के सरपरस्तों को मदद करेगा कि नहीं करेगा? क्यों कांग्रेस देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने पर, देश को अस्थिर करने पर तुली हुई है। और भाइयो-बहनो, जब से मैं चौकीदार-चौकीदार कहने लगा, सीमा पर चौकीदार है ये कहने लगा तो ये कांग्रेस के ऐसे नामदार हैं उनको हर चौकीदार पर गुस्सा आ गया। और इसलिए सेना के खिलाफ भी इस तरह का कदम उठाने जा रहे हैं।  भाइयो-बहनो, अपने वोट बैंक के लिए, तुष्टीकरण की अपनी नीति की वजह से कांग्रेस हमेशा आतंकवाद के प्रति सर झुकाती रही है, नरम रही है। याद है आपको, आतंकवाद के खिलाफ बना कानून टाडा किसने हटाया? कांग्रेस ने। पोटा का कानून किसने हटाया? कांग्रेस ने।

साथियो, मत भूलिए देश में नक्सली, माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर कांग्रेस ने हमेशा झूठे वादे किए हैं, अब सत्ता की भूख में आतंकवादियों और अगलगावादियों के समर्थन में खुलकर आती हुई दिख रही है। जब मैं कांग्रेस कहता हूं तो कांग्रेस से निकले तृणमूल वाले भी इस पापा के भागीदार हैं। चाहे तृणमूल कांग्रेस हो और उसकी पूर्व पार्टी कांग्रेस हो, सारे के सारे, नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की भी यही वजह है। साथियो, कानून हमारी सरकार ने भी खत्म किए हैं लेकिन ऐसे कानून जिनके खत्म होने से लोगों की जिंदगी आसान बनी और ऐसे 10-20 नहीं, ऐसे 1400 से ज्यादा कानून हमारी सरकार ने पांच साल में खत्म किए हैं। जहां स्थिति सुधर रही है वहां पर अफ्स्पा को भी हटाने का काम हमारी सरकार ने किया लेकिन कांग्रेस जो कर रही है वो हमारे वीर-जवानों का मनोबल तोड़ता है, उसे कमजोर करता है।

साथियो, आपका ये चौकीदार कांग्रेस के ढकोसलापत्र और देश की सुरक्षा के बीच एक मजबूत दीवार बन के खड़ा है। कांग्रेस की साजिशों को ये मोदी कभी कामयाब नहीं होने देगा। साथियो, कांग्रेस के ढकोसलापत्र की एक्सपायरी डेट पहले से ही तय है, तारीख है 23 मई, कांग्रेस भी गई और उनका ढकोसलापत्र भी गया। देश की जनता पहले से ही इस पर अपना ठप्पा लगा चुकी है।

भाइयो-बहनो, कुछ समय पहले बंगाल में एक मंच पर कुछ लोगों को कहते सुना था, मोदी हटाओ, मोदी हटाओ। बड़ा मेला लगा था कि नहीं यहां पर, देश के कोने-कोने से एक-एक को इकट्ठा किया था। हाथ ऊपर कर-कर के गालियां दी थी ना, अलग-अलग राज्यों से नेता बंगाल आए सिर्फ इतना बताने के लिए कि मोदी हटाओ। कोलकाता में इतना बड़ा जलसा किया, मोदी हटाओ। अरे भाई क्यों हटाओ, ऐसा क्या गुनाह किया है मोदी ने। आप मुझे बताइए, गरीबों को घर देना गुनाह है क्या? अगर ये गुनाह है तो मैंने किया है। गरीबों को टॉयलेट देना गुनाह है क्या? अगर ये गुनाह है तो मैंने किया है। गरीबों को रसोई गैस देना गुनाह है तो ये गुनाह मैंने किया है। गरीबों को बिजली देना गुनाह है तो ये गुनाह मैंने किया है। गरीबों को मुफ्त इलाज देना गुनाह है तो ये गुनाह मैंने किया है। पिछले पांच साल गवाह हैं, ये देश ये सब कुछ कर के दिखा सकता है, नामुमकिन अब मुमकिन है। याद करिए पश्चिम बंगाल में जैसी स्थिति है वैसी ही कुछ समय पहले त्रिपुरा में थी। कम्यूनिस्टों की जंजीर में जकड़े त्रिपुरा ने खुद को इन लाल बेड़ियों से मुक्त किया और बीजेपी को अपनी जिम्मेदारी सौंपी, ये भी नामुमकिन था जो मुमकिन हुआ। अब आज त्रिपुरा तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है।

भाइयो-बहनो, जैसे बंगाल की सरकार ने अपने कर्मचारियों को आज तक सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं दिया है कुछ वैसी स्थिति त्रिपुरा के लेफ्ट शासन में भी थी। त्रिपुरा की लेफ्ट सरकार ने भी वहां के राज्य कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं लेने दिया। कर्मचारी मांग कर रहे थे लेकिन लेफ्ट सरकार ने उनकी एक नहीं सुनी। त्रिपुरा में जब भाजपा की सरकार बनी तब सातवें वेतन आयोग का लाभ वहां के राज्य कर्मचारियों को मिलना शुरू हुआ। साथियो, हमारी सरकार जो संकल्प लेती है उसे सिद्ध करती है। पांच वर्ष पहले किसी ने सोचा था कि पांच लाख रुपए तक का इनकम टैक्स माफ हो जाएगा लेकिन नामुमकिन, मुमकिन हो गया। पांच वर्ष पहले किसी ने सोचा था कि सामान्य वर्ग के गरीबों को भी 10 प्रतिशत आरक्षण मिल सकता है आज उनको भी आरक्षण मिला क्योंकि नामुमकिन अब मुमकिन है। पांच वर्ष पहले किसी ने सोचा था कि खुद को भारत का भाग्य विधाता समझने वाले परिवार से करप्शन का हिसाब भी होगा, आज पूरा परिवार जमानत पर है क्योंकि नामुमकिन अब मुमकिन है।

भइयो-बहनो, बंगाल की जनता ने मन बना लिया है, अब बंगाल में ना तोलागिरी चलेगी ना गुंडागिरी चलेगी। अब हम और आप मिलकर के ऐसा बंगाल बनाएंगे जो लेफ्त और टीएमसी के गुंडाराज को खत्म करेगा। साथियो, 2014 में आपके वोट के कारण हम देश के अंदर 72 सालों के गड्ढों को भर पाए, 2019 में आपके वोट से हम विकास की नई ऊंचाइयों को पार करना चाहते हैं। 2014 में आपके वोट के कारण आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब मिला, 2019 में आपका वोट आतंकवाद को खत्म करने में एक बड़ी भूमिका निभाएगा। 2014 में आपके वोट के कारण सालों से लटकी-अटकी योजनाएं पुन: प्रारम्भ हो पाईं, 2019 में आपके वोट से वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण होगा। 2014 में आपके वोट के कारण सरकार की प्राथमिकता फैमिली फर्स्ट से बदल कर इंडिया फर्स्ट हुई, 2019 में आपके वोट से भारत वैश्विक स्तर पर फर्स्ट होने का प्रयास करेगा। 2014 में आपके वोट के कारण भ्रष्टाचारी जेल के दरवाजे तक पहुंचे, 2019 में आपके वोट से ये भ्रष्टाचारी जेल के अंदर जाएंगे। 2014 में आपके वोट के कारण हम देश की मजबूत बुनियाद का निर्माण कर पाए, 2019 में आपके वोट से एक नए भारत की दिव्य-भव्य इमारत का निर्माण होगा।

भाइयो-बहनो, स्वामी विवेकानंद ने इस देश के उद्धार के लिए आवाहन किया था, आने वाले 50 वर्षों तक सब-कुछ भूल जाओ और केवल राष्ट्ररूपी इस देवता की सेवा करो। आने वाले 50 वर्षों तक भारत मां को ही अपना आराध्य बना लो और इस देश ने बनाया, हमारे क्रांतिवीरों ने बनाया, देश के एक-एक नागरिक ने बनाया और ठीक 50 वर्ष बाद देश को आजादी मिल गई। आजादी के बाद 50 वर्ष और यदि यही देश स्वामी विवेकानंद के मंत्र पर चल पाया होता तो आज पूरी दुनिया में हिंदुस्तान सबसे आगे होता। मेरी ये भारत माता अपने नियत स्थान पर आरूढ़ होती लेकिन दुर्भाग्य, इस देश को आजादी मिली पर देश की जनता को इस देश के मूल चिंतन वाली बागडोर ना मिली। लोकतंत्र का बुर्का ओढ़कर परिवार तंत्र देश पर राज करने लगा। देश में 55 साल परिवार तंत्र था। लोकतंत्र की उम्र तो इस देश में मुश्किल से 15 साल ही रही है।

साथियो, ये कहना कि 72 साल में ये देश अपने टैलेंट, इनोवेशन, हार्डवर्क के बलबूते पर डेवलप्ड कंट्रीज के बीच में क्यों नहीं खड़ा है, बहुत बड़ा सवाल है। हमारे पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, हमारे पास देश के लिए जान देने वाले दीवानों की कोई कमी नहीं थी, कठिन परिश्रम करने वालों की कमी नहीं थी, हमारे पास प्राकृतिक संसाधन थे लेकिन 55 साल के परिवार तंत्र में युवा प्रतिभाओं ने वंशवाद के नीचे दम तोड़ दिया। 55 साल के परिवार तंत्र ने मेहनत का गला, भ्रष्टाचार ने घोंट दिया, 55 साल के परिवार तंत्र ने गरीब के सपनों को वोट बैंक ने कुचल दिया। 55 साल के परिवार तंत्र ने सौहार्द में जातिवाद का जहर घोल दिया। 55 साल के परिवार तंत्र ने सेना के शौर्य को दलाली का ग्रहण लगा दिया, 55 साल के परिवार तंत्र ने देश के लोगों को, त्याग और देशभक्ति को नजरअंदाज कर दिया। बंगाल भी आज परिवारतंत्र के बोझ तले दब रहा है। बुआ-भतीजा मिलकर बंगाल के संसाधनों को लूट रहे हैं, यहां के सामर्थ्य के साथ नाइंसाफी कर रहे हैं। साथियो, बंगाल की धरती देशभक्तों की धरती है। जैसे देश को एंग्रेजो से मुक्ति दिलाई, उसी तरह देश को इस परिवार तंत्र से मुक्ति दिलाकर, जनतंत्र को, लोकतंत्र को मजबूत करने का काम भी यह बंगाल करेगा, देश को दिशा देगा। इस बंगाल की धरती का मुझ पर बहुत ऋण है, जीवन के पड़ाव में मैं जब सारी दुनियादारी छोड़कर, कुछ सपने ले कर आगे बढ़ रहा था तो इसी बंगाल की धरती ने मुझे आदेश दिया कि इस देश की सेवा ही मेरी नियति है। रामकृष्ण मिशन में, पूज्य आत्मस्थानानंद जी, जो अब नहीं रहे, उन्होंने मेरा लालन-पालन किया। मेरे जीवन को बनाने में उनकी बहुत बड़ी भूमिका रही और उन्हीं के आदेश से मैं फिर से वापस इस सेवा की दुनिया की ओर चल पड़ा। देशवासियों की सेवा के लिए सब-कुछ खपा देने का साहस दिया और साथियो, जब तक मैं ये सपना पूरा नहीं कर लेता मैं चैन से बैठने वाला नहीं हूं। 72 साल की निराशा और जड़ता से देश को बाहर निकालना है। हर टैंलेट चाहे गरीब हो या देश के दूर-दराज वाले इलाके में, उसके लिए इस देश में अवसर पैदा करने हैं। देश के कोने-कोने में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना है। हमारे किसान, अन्नदाता उनकी आय दोगुनी करनी है, सेना का आधुनिकरण कर उसे मजबूत बनाना है, आत्मनिर्भर बनाना है। स्पेस हो, साइंस या टेक्नोलॉजी, 72 साल की कमियों को पूरा कर दुनिया में सबसे आगे जाना है।

साथियो, आइए आने वाले पांच साल इन सब संकल्पों को पूरा करने के लिए खप जाएं, आने वाले पांच साल यही संकल्प दिन-रात हमारी रगों में दौड़ते रहें। सोते-जागते, उठते-बैठते हमारा एक ही चिंतन हो, बस इस देश का विकास, गरीबों का उत्थान। तब जाकर 72 सालों की भरपाई होगी, तब जाकर मेरे देश के स्वतंत्रता सेनानी हमें माफ कर पाएंगे, उनकी आत्मा को शांति मिल पाएगी। हमें और आपको मिलकर बंगाल की हर महान हस्ती के सपनों की चौकीदारी भी करनी है, उनके सपनों को भी पूरा करना है और इसलिए मेरे भाइयो-बहनो, मैं आपसे आग्रह करूंगा। ये तृणमूल ने लेफ्ट से बम-बंदूक का जो कल्चर उधारी लिया है, उसको परास्त करने का मौका है। आपका एक-एक वोट कीमती है, आपकी सुरक्षा ये बंगाल सरकार की भी जिम्मेदारी है, भारत सरकार की भी जिम्मेदारी है। हम, हमारी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाएंगे, ये विश्वास मैं दिलाने आया हूं। आपका चौकीदार, आपके सपनों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। भइयो-बहनो, मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए, मैं कहूंगा मैं भी, आप बोलिए चौकीदार।

मैं भी चौकीदार, मैं भी चौकीदार, गांव-गांव चौकीदार, गली-गली चौकीदार, शहर-शहर चौकीदार, घर-घर चौकीदार, डॉक्टर भी चौकीदार, शिक्षक भी चौकीदार, इंजीनियर भी चौकीदार, कलाकार भी चौकीदार, हर नागरिक चौकीदार, देश में भी चौकीदार, सीमा पर भी चौकीदार, देश हमारा चौकीदार।

भाइयो-बहनो, यही मिजाज देश को आगे ले जाएगा, मेरे साथ हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बोलिए…

भारत माता की जय, भारत माता की जय, वंदे मातरम, वंदे मातरम।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!