भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान अमित भाई, मनचस्त सारे महानुभाव और सभी नए पुराने साथियो... अच्छा है, एक मौका मिल जाता है दिवाली के निमित्त कुछ लोग तो शायद 15-15, 20 साल से यही बीट देखते होंगे, ऐसी पुरानी टोली होती होगी। कुछ में तो शायद बदलाव भी आया होगा, अच्छा अवसर है इस बहाने सबसे मिलने का मौका मिलता है। दीपावली निमित्त आप सब को हमारी बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। देश की विकास यात्रा में.... कुछ तो काम होते हैं जो सरकार के फैसले होते है और ज्यादतर हमारे देश में सरकार के फैसलों की चर्चा होती है, लेकिन बहुत एक काम ऐसे होते है कि जो जनता की शक्ति पर सफल होते हैं। और इन दिनों आपने देखा होगा... जन-सहयोग से चलने वाली चीजें... उसने एक अलग जगह बनाई है। और उन कामों में मेरा अनुभव यह है कि खासकर के मीडिया ने बहुत बढ़-चढ़ कर इसको आगे बढ़ाया है, इसकी मदद की है। देश की एक सकारात्मक सोच निर्माण करने में एक बड़ी अहम भूमिका निभाई है।
इसका मतलब ये नहीं कि उन सारे कामों में कोई कमियां नहीं होती है या कमियां नहीं रही होंगी, लेकिन सबका एक मूड बना है कि नहीं-नहीं भाई ये चीजें बदलनी चाहिए। जैसे स्वच्छता का विषय है... कभी हमारे देश में स्वच्छता को ये इस रुप में स्थान नहीं मिला। कभी-कभार कोई ऐपिडेमिक हो जाए तो उसके कारणों में गंदगी, और उस गंदगी का चर्चा... ये तो हमारे यहां होता रहा है। लेकिन समाज की स्वच्छता के प्रति जागरुकता, स्वच्छता ही समाज का स्वभाव बने, स्वच्छता ही हम सब का दायित्व है इस प्रकार की भाव पैदा होना ये कम समय में काफी हुआ है। इन दिनों राज्यों के बीच भी इसकी स्पर्धा बड़ी चल रही है।
ओपेन डेफिकेशन के संबंध में ठीक है जिस प्रकार से काम चला है। तीन राज्य तो ऑलरेडी ओपेन डेफिकेशन फ्री घोषित हो गए है, भले छोटे हैं लेकिन एक अच्छी शुरुआत है। सभी राज्यों में कही दो जिले, कहीं पांच जिले, कहीं दस जिले ये भी एक स्पर्धा का माहौल पैदा हुआ कि भाई हम इतना करेंगे... कुछ लोग आगे करेंगे। भारत में ये कई विषय ऐसे है जो जन-सामान्य का एजेंडा बनना चाहिए... कुछ शुरुआत नजर आ रही है, उसके अच्छे परिणाम मिलेंगे ऐसा मुझे विश्वास है। और इसके लिए मीडिया जगत की तरफ से देश को आगे ले जाने में जो योगदान हुआ है, इसके लिए मैं विशेष रुप से सराहना करना चाहूंगा। मैं आप सब का धन्यवाद करना चाहता हूं। समाज जीवन में कुछ चर्चाओं में ठहराव आया है ऐसा लगता है मुझे... उन चर्चाओं को आगे बढ़ाने में मीडिया अगर कोई रोल करे तो अच्छा होगा। क्योंकि बात-चीत में तो निकलता है कि भई ये हो तो अच्छा है... लेकिन अब जैसे... लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ-साथ हों। क्योंकि देश का और जितने दल हमें मिलते हैं... सभी राजनीतिक दल... इसमें कोई बाकी नहीं है। व्यक्तिगत बात-चीत में कहते हैं कि कुछ तो करना पड़ेगा मोदी जी.. मैं भी एक-दो बार बोल दिया... बोलने को बाद मैंने देखा कि कुछ राजनीतिक दल बोलने के बाद मुखर रुप से कतराने लगे। ये तो स्थिति रहेगी। कुछ दिन पर ये चर्चा तो होना चाहिए क्योंकि आचार संहिता और फिर ऑबजर्वर्स औऱ ऑबजर्बर में भी बड़े वरिष्ठ अधिकारी इलेक्शन कमीशन चाहता है।
ऑबजर्बर भी दो-दो, ढाई-ढाई महीनें अन्य राज्यों में ऑबजर्बर के नाते जाते हैं। जिस राज्य में चुनाव नहीं है वहां से भी 10-12 अफसर अच्छे जिम्मेवारी वाले अफसर बाहर होते हैं। तो कई प्रकार की रुकावटें अनुभव होती है... आर्थिक बोझ तो पड़ता ही पड़ता है। देश इतना बढ़ा है कभी न कभी तो इस पर चर्चा होनी ही चाहिए। कोई थोप नहीं सकता, सरकार का निर्णय नहीं हो सकता... सरकार ने ये निर्णय करना भी नहीं चाहिए। लेकिन सभी राजनीतिक दलों ने... देश में इस प्रकार के विषयों की चिंता करने वाले लोगों ने... इन विषयों की चर्चा को बल देना आवश्यक है। और मैं चाहूंगा दीपावली के इस पावन पर्व पर हम मिले हैं तब... और यहां काफी लोग हैं जिन्होंने कभी न कभी ऐसी चीजें सूत्रपात करके उसको एक बहुत बड़ा चर्चा का मुद्दा बनाया है।
अब जरुर देश में अगर ये ठीक लगता है, करने जैसा काम हो तो उसको करने जैसा बल मिले, हो सकता है न करने जैसा हो तो उसको भी बल मिले उसमें भी बुरा नहीं है, भई ये गलत है नहीं होना चाहिए, उसको बल तो मिलना चाहिए, चर्चा तो होनी चाहिए लोकतंत्र है। लेकिन मैं देख रहा हुं कि बात आती है ठहर जाती है, आती है ठहर जाती है। आशा करता हूं कि कि इसको हम सब मिलकर बल देंगे। मैं आप सब को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। धन्यवाद...