QuoteOne mission, one direction, is our mantra: PM Modi
QuoteBJP’s ‘Sankalp Patra’ lays the strong foundation of an India when the country marks 100 years of independence in 2047: PM Modi
QuoteOur Sankalp Patra presents our vision of good governance, it highlights our focus on national security and nation’s prosperity: PM Modi

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी, मंच पर विराजमान पार्टी के सभी वरिष्ठ नेतागण और मीडिया के सभी साथी।

सबसे पहले तो हमारे पूर्व के वक्ताओं ने जो बातें रखी हैं उन सब के नीचे मैं अपना सिग्नेचर कर देता हूं और इसलिए रिपीट करने की जरूरत ना पड़े। मैं आज इस इतने बड़े मीडिया का समूह है तो आप का भी देशवासियों का गत पांच वर्ष में जो सहयोग मिला, समर्थन मिला और ये जन सहयोग का ही कारण है की हम इस कार्य को सफलतापूर्वक कर पाए और इसके लिए मैं देशवासियों का, आप सब का हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। ये स्वाभाविक है की चुनाव के पहले हर दल अपनी बात लेकर के आती है लेकिन राजनाथ जी के नेतृत्व में हमारे अध्यक्ष जी ने कमेटी बनाई थी उसने पिछले 2-3 महीने लगातार मेहनत की और एक प्रकार से जन के मन की बात, उनकी आशा, अपेक्षा, आकांक्षाओं को सुनना, समझना और एक डॉक्यूमेंट में भले सब ना आ जाए लेकिन उसकी मूलभूत बातों को पकड़कर आगे चलने की ये जो मेहनत की है इस टीम ने, मैं इस टीम को बहुत-बहुत हृदय से बधाई देता हूं। शायद हिंदुस्तान में पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में, सरकार किन बातों को लेकर आगे काम करे। जनता को इतनी बड़ी मात्रा में विचार-विमर्श हुआ है, ये हिंदुस्तान के इतिहास में पहली बार हुआ है और ये लोकतंत्र का सच्चा स्पीरिट है और इसको हमने आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। आपने देखा होगा की मेनिफेस्टो में 3 प्रमुख बातों का उल्लेख किया गया है और उसी के आस-पास हमारा ये पूरा डॉक्यूमेंट तैयार हुआ है। राष्ट्रवाद, ये हमारी प्रेरणा है, अन्त्योदय, ये हमारा दर्शन है और सुशासन ये हमारा मंत्र है। इस पूरी, जो रचना है उसमें एक, आमतौर पर ये मेनिफेस्टो 2024 के लिए है लेकिन जनता हमारा हिसाब ढंग से मांग सके इसलिए पहली बार हमने साहस किया है की इंट्रिम भी हमारा हिसाब लिया जाए और वो है 2022।

आजादी के 75 साल होंगे तब तक हमने, देश के महापुरुषों ने, जिन सपनों को लेकर आजादी की जंग की थी, आजादी के लिए बलिदान दिए थे। जब आजादी के 75 साल होंगे तब हम उनके सपनों का भारत समर्पित करने की दिशा में कुछ अहम काम कर लें, पूरा कर लें। इस उद्देश्य से 75 वर्ष, 75 लक्ष्य, 75 निश्चित कदम हमने तय किए हैं। ये अपने-आप में टाइम बाउंड, वेल डिफाइन, शायद ही कोई घोषणापत्र में या संकल्प पत्र में आप पहली बार देख पाते होंगे। उसी के साथ-साथ हम सब, जब इस मेनिफेस्टो को लेकर के आए हैं तो साफ है हमारे मन में वन मिशन-वन डॉयरेक्शन। हम देश को समृद्ध बनाने के लिए, सामान्य मानवी के सशक्तिकरण को लेकर के जन भागीदारी को बढ़ाते हुए, लोकतांत्रिक मूल्यों को महत्व देते हुए और सरकार की सबसे बड़ी कसौटी ये नहीं होती है की आपने क्या किया। सरकार की सबसे बड़ी कसौटी है लास्ट माइल डिलिवरी की और इसलिए वन मिशन-वन डॉयरेक्शन लेकर आगे बढ़ने का हमारा निर्धारित मंत्र है। उसी प्रकार से हमारे समाज में विविधताएं हैं। भाषा की भी विविधता है, जीवन की भी विविधता है, शिक्षा में भी विविधता है, जीवनशैली में भी विविधता है और इसलिए एक ही डंडे से सब को हांका नहीं जा सकता और इसलिए विकास को हमने मल्टीलेयर बनाने की दिशा में, इसमें हमने समाहित करने की पूरी कोशिश की है। गांव हो, शहर हो, अगड़ा हो, पिछड़ा हो, दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, आदिवासी हो, पुरुष हो, महिला हो, जवान हो, सीनियर सिटिजन हो हर एक को एक प्रकार से मल्टीलेयर, हमने सब को एड्रेस करने की कोशिश की है। दूसरा हमने प्रयास किया है मल्टीडॉयमेंशनल, जैसी जहां व्यवस्था, वैसे हम वहां आगे बढ़ना चाहते हैं।

एक ही सांचे में, एक ही ढांचे में, एक ही खांचे में चीजों को समाहित करके हम परिणाम नहीं ला सकते। राजनीति चल सकती है लेकिन देश नीति चलाने के लिए, देश को आगे बढ़ाने के लिए हमें मल्टीडॉयमेंशन लेवल पर काम करना होता है, उसको हमने इसमें लेने का पूरा प्रयास किया है। अब उदाहरण के लिए आने वाले दिनों में भारत के सामने जो कुछ कठिनाइयां नजर आ रही हैं, जैसे पानी, खासकर की आज जब मैं तमिलनाडु की गहराई में जाता हूं तो ध्यान में आता है की आने वाले दिन कितने संकट वाले जा सकते हैं। राजस्थान, गुजरात जैसे प्रदेश सदियों से पानी के अभाव में जिए हैं उन्होंने अपने रास्ते खोजे हैं लेकिन आज भी देश के कई प्रदेश हैं उनके लिए भारत सरकार ने गंभीरता से सोच कर के समस्याओं का समाधान करना होगा, एक लंबी योजना से करना होगा। इसलिए हमने सोचा है की देश में पहली बार…।

जल की बात करता हूं तो जल भी पी लेता हूं।

|

हम एक अलग जल-शक्ति मंत्रालय बनाएंगे, हमने इस बजट में मछुआरों के लिए और कोस्टल एरिया में ही मछुआरे भाई-बहन हैं, ऐसा नहीं है। हमारे देश की नदी तट की संस्कृति में मछुआरे एक बहुत बड़ी इकोनॉमिकल एक्टिविटी का साधन भी रहे हैं और इसलिए हमने इस बजट में मछुआरों के लिए एक अलग मंत्रालय की बात बजट में कही थी। हम आने वाले दिनों में जल-शक्ति, एक अलग मंत्रालय बनाएंगे। नदियों का ऑप्टिमम युटिलाइजेशन कैसे हो, कोई हैंडपम्प लगाए और चुनाव जीत जाते थे, वो एक जमाना था लेकिन अब माताओं-बहनों को पानी की दिक्कत से मुक्त करके नल से जल कैसे पहुंचाएं, इस पर हम काम करना चाहते हैं।

हम पानी के संबंध में एक स्पेशल टास्क फोर्स, एक मिशन मोड में रचना करके, उसको हम एक बहुत बड़ा बल देकर के काम करना चाहते हैं और खासकर की, मैं तो तमिलनाडु के लोगों से मिला था। ये विचार हमारे मन में कई छोटे-छोटे इलाकों से, दूर-सुदूर लोगों ने हमें जो मन की बात भेजी, इसमें आया है और उसको लेकर के हमने इसका महत्व समझा है और उसको हम आगे लेकर जाना चाहते हैं। हम लोगों ने 2014 से 2019, हमारे सारे कामों को देखेंगे, ये बात सही है कि कोई भी सरकार होती है बहुत लोगों को बुरा लगता है क्योंकि उससे कुछ लोगों के जो मूल एजेंडा हैं उसको तकलीफ होती है। लेकिन ये सही है कि गई हुई सरकार और हमारी सरकार का मूल्यांकन तथ्यों के आधार पर होना चाहिए और 2014 से 2019 अगर एक शब्द में कहना है तो हमारे सभी कार्यों की रचना के मूल में सामान्य मानवी की जो आवश्यकताएं हैं उसको एड्रेस करें। हमारे सारे कामों को, उसको हमने बल दिया लेकिन देश जिस उमंग, उत्साह, सपनों के साथ चल पड़ा है जो काम 50-55-60 के कालखंड में होना चाहिए था वो मुझे 2014 से 19 के बीच में करना पड़ा है। लेकिन उसके अनुभव के आधार पर, उस सफलता के आधार पर इस बार, हमने पहले आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर के शासन चलाया। अब सामान्य मानवी की आकांक्षाओं को लेकर के हम क्या कर सकते हैं, उसको घोषणापत्र में लेकर के आए हैं। आवश्यकताओं की पूर्ति, अपने आप नई-नई आकांक्षाएं जगाती है।

आपने देखा होगा, हमने हिंदुस्तान का एक मैंपिंग किया, सब डिस्ट्रिक्ट का और देश में करीब 150 डिस्ट्रिक्ट ऐसे निकाले कि जहां मिनिमम कुछ चीजों पर और बल देने की आवश्यकता है। हमने एस्परेश्नल डिस्ट्रिक्ट स्ट्रैटिजी वर्कऑउट पर काम किया। हमने तय किया की पश्चिम भारत और पूर्वी भारत दोनों बराबरी कैसे करें, पूर्वी भारत को बल कैसे दें और उसमें हम काफी-कुछ आवश्यकताओं को एड्रेस कर पाए हैं, अब आकांक्षाओं को एड्रेस करने की दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं। एक समग्रतय: भारत के विकास को लेकर के हम आगे बढ़ने के लिए चलते आए हैं। एक और विषय हमने लिया है, आजादी का आंदोलन देश में, सैकड़ों साल की गुलामी के दरमियान कोई वर्ष ऐसा नहीं रहा है, हिंदुस्तान का कोई ना कोई कोना आजादी के लिए लड़ाई लड़ता रहा है। सैकड़ों सालों तक हर वर्ष कहीं ना कहीं बलिदानियों की परंपरा रही है लेकिन आजादी को जब महात्मा गांधी ने जन आंदोलन बना दिया तो उसने बहुत बड़ी ताकत पाई।

जैसे आजादी पाने में जन आंदोलन एक बहुत बड़ा सशक्त माध्यम बना कोई सफाई करता है तो आजादी के लिए, कोई शिक्षक का काम करता है आजादी के लिए, कोई खादी कपड़े पहनता है तो आजादी के लिए, गांधी जी ने उसको बहुत बड़ा एक व्यापक रूप दे दिया था। भारत को भी विकास के लिए विकास को जन आंदोलन बनाना है और एक सफल प्रयोग आप देख सकते हैं स्वच्छता। हमारे देश में पहले हम गंदगी की चर्चा करते थे, गंदगी के विषय में हर बार खबरें भी आती थी, बातें भी आती थी, ये सब होता था लेकिन पिछले पांच साल से स्वच्छता की चर्चा हो रही है, इसका मतलब ये नहीं की गंदगी खत्म हो गई थी लेकिन स्वच्छता की चर्चा करते-करते हमने गंदगी को एड्रेस किया, यानी पॉजिटिव थिंकिग को बढ़ाते-बढ़ाते निगेटिविटी को खत्म किया और इसमें मुझे देश के सभी मीडिया हाउस की मदद मिली, मैं आज उनका आभार व्यक्त करना चाहता हूं।

देश की युवा पीढ़ी की मदद मिली और वो एक जन आंदोलन बन गया। स्वच्छता के लिए कोई सरकार अपने खाते में सफलता का दावा नहीं कर सकती है। जब जन-आंदोलन बनता है तो इतनी बड़ी सफलता मिलती है और इसलिए हम विकास को जन-आंदोलन बनाने की दिशा में केंद्रित विचार लेकर चलना चाहते हैं। ये भी सही है कि आखिरकार गरीबी से लड़ना है तो पचास साल के सारे प्रयोगों ने बताया है कि दिल्ली के एयर कंडिशन में बैठे लोग गरीबी को परास्त नहीं कर सकते हैं। हम लोग भी एयर कंडिशन कमरों में बैठते हैं इसलिए मैं ये किसी और के लिए नहीं कह रहा हूं। गरीब ही गरीबी को परास्त कर सकता है, ये हमारा मंत्र है और इसलिए इंपॉवरमेंट ऑफ पुअर। अब जब हम गरीब को घर देते हैं तो उसकी आवश्यकता पूरी होती है, नए एस्पिरेशन जगते हैं और वो उसके लिए सोचता है। अब घर मिला है तो कर्टन के लिए थोड़े पैसे बचाओ, वो सोचता है मेहमान आएंगे तो दो चेयर के लिए पैसे बचाओ। उसका दिमाग बदलना शुरू हो जाता है, चीजें मैं छोटी बता रहा हूं लेकिन मैं धरती का इंसान हूं इसलिए बदलाव को बहुत बारीकी से देख पाता हूं और इसलिए इंपॉवरमेंट के लिए हमने बल दिया है। दूसरा, हमारे देश में सोच बना दी गई कि जनता को कुछ भी दो कम पड़ता है, ये मैं समझता हूं कि देशवासियों का अपमान है हमारा देश ऐसा नहीं है। एक बार लाल किले से मैंने कहा था की जो संभव हो अपनी गैस सब्सिडी क्यों नहीं छोड़ते और मेरा देश गर्व के साथ कह सकता है, सवा सौ करोड़ परिवारों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी।

हमने रेलवे के रिजर्वेश के फार्म में लिखा था कि आप सीनियर सिटिजन हैं, आप रेलवे यात्रा में कुछ भी पाने के हकदार हैं, सब्सिडी पाने के हकदार हैं लेकिन अगर आपकी आर्थिक स्थिति ऐसी है कि आपको जरूरत नहीं है तो आप इसको छोड़ सकें तो अच्छा होगा, छोटा सा वाक्य उस रिजर्वेशन फार्म में लिखा है। आप हैरान रह जाएंगे, मेरे देश के 50 हजार से ज्यादा सीनियर सिटिजन ने सब्सिडी लेने से मना कर दिया और पूरी टिकट से ट्रैवलिंग किया। देश के अंदर ये जो ताकत है हम उसे एड्रेस करना चाहते हैं, हम इसको बल देना चाहते हैं, हम नागरिक पर भरोसा करना चाहते हैं। हम देश को ही बढ़ा नहीं बनाना चाहते हैं हिंदुस्तान के 130 करोड़ लोग भी देश को बड़ा बनाना चाहते हैं। इसलिए हमने हमारी सारी योजनाओं में नागरिकों की शक्ति के विकास का आधार मानने का इस पत्र में हमारे कार्यक्रमों के केंद्र बिन्दु में दिखेगा।

|

हमारे देश में भ्रष्टाचार की चर्चा बहुत हुई है, शासकीय व्यवस्था में हमने भ्रष्टाचार को कंट्रोल करने में हमने बहुत सफलता पाई है। गुड गवर्नेंस, ईजी गवर्नेंस, ट्रांसफर एण्ड गवर्नेंस, अकांउटेबल गवर्नेंस, रिस्पांसिबल गवर्नेंस इन सारी बातों पर बल देते हुए शासन व्यवस्था में हमने कई रिफार्म किए हैं। हमने कई अधिकार बहुत नीचे तक दे दिए हैं क्योंकि एकांउटेबिलिटी बढ़ रहा है लेकिन टेक्नोलॉजी ने बहुत बड़ी मदद की है ट्रांसपरेंसी में चाहे जन-धन आधार और हमारी जैम योजना हो या ई-मार्केटिंग का हमारा प्रयास हो, बहुत बड़ी सफलता मिली है। इन चीजों को हम नीचे तक सर्क्यूलेट करना चाहते हैं और उसको हम आगे बढ़ाना चाहते हैं।

किसान के लिए पेंशन की बात हो, खेत मजदूर के लिए पेंशन, इस एक बहुत बड़े कदम की ओर हम आगे बढ़ रहे हैं ताकि वो एक अश्योर्ड जिंदगी जीने के लिए, अपने परिवार के साथ काम करने के लिए सफलता से आगे बढ़ेगा। ऐसे अनेक विषयों की चर्चा आज यहां पर हमारे साथियों ने की है लेकिन मैंने पहले ही कहा सभी क्षेत्रों में जब हम बात कर रहे हैं तब ये हमारा संकल्प पत्र, ये सुशासन पत्र भी है। ये हमारा संकल्प पत्र राष्ट्र की सुरक्षा का पत्र भी है। ये हमारा संकल्प पत्र राष्ट्र की समृद्धि का पत्र भी है। इन सारी बातों के साथ, आपको याद होगा कि हम 90 के दशक में बार-बार सुनते थे, इक्कीसवीं सदी आ रही है लेकिन देश को उसके लिए तैयार करने में हमने मौका गंवा दिया। 21वीं सदी एक नारा बन गया, चुनाव में बोला जाता था, चर्चा होती थी। 21वीं सदी में हम दो दशकों को पार कर के पहुंचे हैं। 2022 आजादी के 75 साल हैं और कुछ ऐसे ऐतिहासिक पल होते हैं जो प्रेरणा के लिए बहुत बड़ी ताकत रखते हैं। अगर गांधी 150 तो अपने आप में स्वच्छता का एक बड़ा कारण बन सकते हैं, आजादी के 75 साल प्रेरणा का कारण बन सकते हैं।

अब हम सुनते हैं कि 21वीं सदी एशिया की सदी है, अगर 21वीं सदी एशिया की सदी है तो भारत उसको लीड करे या ना करे। करना चाहिए या नहीं करना चाहिए, कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं? हमारा संकल्प पत्र है हम संकल्प के साथ चलते है की जब हिंदुस्तान की आजादी के 100 साल होंगे, 2047। आजादी के 100 साल हों तब देश डेवलपिंग कंट्री से डेवलप्ड कंट्री की ऊंचाई को कैसे पार करे। ऐसी बहुत सी बातें कह सकते हैं हम लेकिन मैं 2047 की ओर नहीं ले जा रहा हूं आपको, लेकिन 2047 का जो मजबूत फाउंडेशन है 2019 से 2024 में रखना होगा। 2019-24 से मजबूत फाउंडेशन के आधार पर ही 2047 आजादी के सौ साल, वो हिंदुस्तान के हर नागरिक का सपना बने, मास मूवमेंट बने, हमें देश को वहां ले जाना है। और एक बार हम ये मिजाज पैदा कर देते हैं, हमने घोषणापत्र में इस बात का इशारा किया, विस्तार नहीं किया है, लेकिन हमने जो विस्तार किया है वो इन पांच सालों के लिए किया है। उसमें हमने 2022 देश की आजादी के 75 साल को देश के सामने, हमने खुद को कठघरे में खड़ा करके अकांउटेबिलिटी के लिए प्रस्तुत किया है। ये अपने आप में बहुत बड़ा हमारा निर्णय है। देश भ्रष्टाचार को सहने के लिए तैयार नहीं है।

|

कानून, नियम की व्यवस्थाएं हों, हमारा अप्रोच हो और हम ईमानदारी को बल देते हुए, ईमानदारी की प्रतिष्ठा को बढ़ाते हुए, भ्रष्टाचार से मुक्ति की दिशा में जाना चाहते हैं। हमने देखा कि 19वीं शताब्दी में हमारे देश में जो सामाजिक बुराइयां आई थीं, बहुत बड़ी मात्रा में बुराइयों ने समाज को जकड़ लिया था। उस समय के नेतृत्व ने एक तरफ आजादी का जंग चल रहा था लेकिन 19वीं शताब्दी में ज्यादातर सामाजिक सुधार के अभियान हुए, बड़ी हिम्मत के साथ हमारे देश के अनेक महापुरुष निकले और उन्होंने किया। आज समय की मांग है की खासकर के हमारी राजनीतिक व्यवस्था में, शासकीय व्यवस्था में जो बुराइयां घर कर गई हैं। 19वीं शताब्दी में सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जिस प्रकार से एक जन-चेतना का आंदोलन चला, आने वाले दिनों में एक निश्चित फ्रेम वर्क की व्यवस्थाओं के भीतर इस प्रकार की जो बुराइयां घुस गई हैं उसके खिलाफ कदम भी लेने हैं, नीतियां भी बनानी हैं, निर्णय भी करने हैं लेकिन जन सामान्य का दबाव भी बढ़ाना है, एक जन आंदोलन भी करना है, सुधार के संकल्प की ओर जाना है। उस दिशा में भी एक सकारात्मक विचार को ले जा कर के हम देश को आगे ले जाने का प्रयास करते हैं।

|

गांव, गरीब, किसान हमारे इस केंद्र में हैं, देश के नौजवान, वो आने वाले पांच साल में 2047 का भविष्य तय करने वाले हैं और इसलिए देश के नौजवानों की उस प्रकार से परवरिश हो, देश के नौजवानों के लिए उस प्रकार के अवसर। जिसमें हम कहें, 100 लाख करोड़ रुपए का इनवेंस्टमेंट, एग्रीकल्चर में 25 लाख करोड़ का इनवेस्टमेंट, ये अपने आप में बहुत ऊंचे लक्ष्य लेकर के हम चल रहे हैं। जो पूरी व्यवस्था को, आर्थिक आधार को, एक नई ताकत देंगे और एक ऐसा परिवेश जो हिंदुस्तान को पांच साल में ऐसी परिस्थिति में ला देना है ताकि वो 2047 का आकांक्षाओं को अपना सपना बना ले और सपना बना कर के उस दिशा में सरकारें आगे बढ़ें। उस बात को लेकर के एक फाउंडेशन का काम भी हम इसके साथ-साथ करेंगे, आकांक्षाओं को पूरा करने का सपना लेकर के हम आगे बढ़ रहे हैं। मैं फिर एक बार संकल्प पत्र की रचना में जिस टीम ने काम किया है उनका अभिनंदन करता हूं। मैं बारीकी में, छोटे-छोटे प्रोग्राम की रचना में नहीं गया हूं। एक मूलत: राष्ट्र को आगे किस दिशा में जाना चाहिए, बैक ऑफ द माइंड मेरे मन में क्या विचार रहते हैं उसको मैंने अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है। मैं फिर एक बार आप सबने जो कुछ भी सहयोग दिया है उसके लिए आपका धन्यवाद करते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं, धन्यवाद।

  • Vihabhai Sorathiya February 13, 2024

    Abhinandan Alok Dixit ji
  • Anil sharma January 07, 2024

    Modi ji se main Kahana Chahta Hun Ki Main Gonda navabganj ka Rahane wala hun Anil Sharma gram Badhai Purva post navabganj Jila Gonda ka Rahane wala hun Hamare Yahan Sabko Colony Mili Hai Main Bhi form bhara hun lekin mujhe abhi tak Kalu hi nahin Mili Hai Main Bhi Ek bahut Garib vyakti Hun Main Chahta Hun Modi ji se Asha karta hun ki mujhe bhi Colony de dijiye ya message Hamara Modi ji Tak aap log pahunchayen aur mujhse koi Galti Ho Gai ho to mujhe maaf karna Kyunki Main Jyada padha likha Nahin hun
  • Anil sharma January 07, 2024

    Jay Shri Ram
  • Alok Dixit (कन्हैया दीक्षित) December 27, 2023

    🙏🏻
Explore More
140 crore Indians have taken a collective resolve to build a Viksit Bharat: PM Modi on Independence Day

Popular Speeches

140 crore Indians have taken a collective resolve to build a Viksit Bharat: PM Modi on Independence Day
Prachand LCH: The game-changing indigenous attack helicopter that puts India ahead in high-altitude warfare at 21,000 feet

Media Coverage

Prachand LCH: The game-changing indigenous attack helicopter that puts India ahead in high-altitude warfare at 21,000 feet
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Today, India is not just a Nation of Dreams but also a Nation That Delivers: PM Modi in TV9 Summit
March 28, 2025
QuoteToday, the world's eyes are on India: PM
QuoteIndia's youth is rapidly becoming skilled and driving innovation forward: PM
Quote"India First" has become the mantra of India's foreign policy: PM
QuoteToday, India is not just participating in the world order but also contributing to shaping and securing the future: PM
QuoteIndia has given Priority to humanity over monopoly: PM
QuoteToday, India is not just a Nation of Dreams but also a Nation That Delivers: PM

श्रीमान रामेश्वर गारु जी, रामू जी, बरुन दास जी, TV9 की पूरी टीम, मैं आपके नेटवर्क के सभी दर्शकों का, यहां उपस्थित सभी महानुभावों का अभिनंदन करता हूं, इस समिट के लिए बधाई देता हूं।

TV9 नेटवर्क का विशाल रीजनल ऑडियंस है। और अब तो TV9 का एक ग्लोबल ऑडियंस भी तैयार हो रहा है। इस समिट में अनेक देशों से इंडियन डायस्पोरा के लोग विशेष तौर पर लाइव जुड़े हुए हैं। कई देशों के लोगों को मैं यहां से देख भी रहा हूं, वे लोग वहां से वेव कर रहे हैं, हो सकता है, मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूं। मैं यहां नीचे स्क्रीन पर हिंदुस्तान के अनेक शहरों में बैठे हुए सब दर्शकों को भी उतने ही उत्साह, उमंग से देख रहा हूं, मेरी तरफ से उनका भी स्वागत है।

साथियों,

आज विश्व की दृष्टि भारत पर है, हमारे देश पर है। दुनिया में आप किसी भी देश में जाएं, वहां के लोग भारत को लेकर एक नई जिज्ञासा से भरे हुए हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि जो देश 70 साल में ग्यारहवें नंबर की इकोनॉमी बना, वो महज 7-8 साल में पांचवे नंबर की इकोनॉमी बन गया? अभी IMF के नए आंकड़े सामने आए हैं। वो आंकड़े कहते हैं कि भारत, दुनिया की एकमात्र मेजर इकोनॉमी है, जिसने 10 वर्षों में अपने GDP को डबल किया है। बीते दशक में भारत ने दो लाख करोड़ डॉलर, अपनी इकोनॉमी में जोड़े हैं। GDP का डबल होना सिर्फ आंकड़ों का बदलना मात्र नहीं है। इसका impact देखिए, 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं, और ये 25 करोड़ लोग एक नियो मिडिल क्लास का हिस्सा बने हैं। ये नियो मिडिल क्लास, एक प्रकार से नई ज़िंदगी शुरु कर रहा है। ये नए सपनों के साथ आगे बढ़ रहा है, हमारी इकोनॉमी में कंट्रीब्यूट कर रहा है, और उसको वाइब्रेंट बना रहा है। आज दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी हमारे भारत में है। ये युवा, तेज़ी से स्किल्ड हो रहा है, इनोवेशन को गति दे रहा है। और इन सबके बीच, भारत की फॉरेन पॉलिसी का मंत्र बन गया है- India First, एक जमाने में भारत की पॉलिसी थी, सबसे समान रूप से दूरी बनाकर चलो, Equi-Distance की पॉलिसी, आज के भारत की पॉलिसी है, सबके समान रूप से करीब होकर चलो, Equi-Closeness की पॉलिसी। दुनिया के देश भारत की ओपिनियन को, भारत के इनोवेशन को, भारत के एफर्ट्स को, जैसा महत्व आज दे रहे हैं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। आज दुनिया की नजर भारत पर है, आज दुनिया जानना चाहती है, What India Thinks Today.

|

साथियों,

भारत आज, वर्ल्ड ऑर्डर में सिर्फ पार्टिसिपेट ही नहीं कर रहा, बल्कि फ्यूचर को शेप और सेक्योर करने में योगदान दे रहा है। दुनिया ने ये कोरोना काल में अच्छे से अनुभव किया है। दुनिया को लगता था कि हर भारतीय तक वैक्सीन पहुंचने में ही, कई-कई साल लग जाएंगे। लेकिन भारत ने हर आशंका को गलत साबित किया। हमने अपनी वैक्सीन बनाई, हमने अपने नागरिकों का तेज़ी से वैक्सीनेशन कराया, और दुनिया के 150 से अधिक देशों तक दवाएं और वैक्सीन्स भी पहुंचाईं। आज दुनिया, और जब दुनिया संकट में थी, तब भारत की ये भावना दुनिया के कोने-कोने तक पहुंची कि हमारे संस्कार क्या हैं, हमारा तौर-तरीका क्या है।

साथियों,

अतीत में दुनिया ने देखा है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब भी कोई वैश्विक संगठन बना, उसमें कुछ देशों की ही मोनोपोली रही। भारत ने मोनोपोली नहीं बल्कि मानवता को सर्वोपरि रखा। भारत ने, 21वीं सदी के ग्लोबल इंस्टीट्यूशन्स के गठन का रास्ता बनाया, और हमने ये ध्यान रखा कि सबकी भागीदारी हो, सबका योगदान हो। जैसे प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती है। देश कोई भी हो, इन आपदाओं से इंफ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान होता है। आज ही म्यांमार में जो भूकंप आया है, आप टीवी पर देखें तो बहुत बड़ी-बड़ी इमारतें ध्वस्त हो रही हैं, ब्रिज टूट रहे हैं। और इसलिए भारत ने Coalition for Disaster Resilient Infrastructure - CDRI नाम से एक वैश्विक नया संगठन बनाने की पहल की। ये सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयार करने का संकल्प है। भारत का प्रयास है, प्राकृतिक आपदा से, पुल, सड़कें, बिल्डिंग्स, पावर ग्रिड, ऐसा हर इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षित रहे, सुरक्षित निर्माण हो।

साथियों,

भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए हर देश का मिलकर काम करना बहुत जरूरी है। ऐसी ही एक चुनौती है, हमारे एनर्जी रिसोर्सेस की। इसलिए पूरी दुनिया की चिंता करते हुए भारत ने International Solar Alliance (ISA) का समाधान दिया है। ताकि छोटे से छोटा देश भी सस्टेनबल एनर्जी का लाभ उठा सके। इससे क्लाइमेट पर तो पॉजिटिव असर होगा ही, ये ग्लोबल साउथ के देशों की एनर्जी नीड्स को भी सिक्योर करेगा। और आप सबको ये जानकर गर्व होगा कि भारत के इस प्रयास के साथ, आज दुनिया के सौ से अधिक देश जुड़ चुके हैं।

साथियों,

बीते कुछ समय से दुनिया, ग्लोबल ट्रेड में असंतुलन और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी challenges का सामना कर रही है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भी भारत ने दुनिया के साथ मिलकर नए प्रयास शुरु किए हैं। India–Middle East–Europe Economic Corridor (IMEC), ऐसा ही एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। ये प्रोजेक्ट, कॉमर्स और कनेक्टिविटी के माध्यम से एशिया, यूरोप और मिडिल ईस्ट को जोड़ेगा। इससे आर्थिक संभावनाएं तो बढ़ेंगी ही, दुनिया को अल्टरनेटिव ट्रेड रूट्स भी मिलेंगे। इससे ग्लोबल सप्लाई चेन भी और मजबूत होगी।

|

साथियों,

ग्लोबल सिस्टम्स को, अधिक पार्टिसिपेटिव, अधिक डेमोक्रेटिक बनाने के लिए भी भारत ने अनेक कदम उठाए हैं। और यहीं, यहीं पर ही भारत मंडपम में जी-20 समिट हुई थी। उसमें अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का परमानेंट मेंबर बनाया गया है। ये बहुत बड़ा ऐतिहासिक कदम था। इसकी मांग लंबे समय से हो रही थी, जो भारत की प्रेसीडेंसी में पूरी हुई। आज ग्लोबल डिसीजन मेकिंग इंस्टीट्यूशन्स में भारत, ग्लोबल साउथ के देशों की आवाज़ बन रहा है। International Yoga Day, WHO का ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क, ऐसे कितने ही क्षेत्रों में भारत के प्रयासों ने नए वर्ल्ड ऑर्डर में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है, और ये तो अभी शुरूआत है, ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर भारत का सामर्थ्य नई ऊंचाई की तरफ बढ़ रहा है।

साथियों,

21वीं सदी के 25 साल बीत चुके हैं। इन 25 सालों में 11 साल हमारी सरकार ने देश की सेवा की है। और जब हम What India Thinks Today उससे जुड़ा सवाल उठाते हैं, तो हमें ये भी देखना होगा कि Past में क्या सवाल थे, क्या जवाब थे। इससे TV9 के विशाल दर्शक समूह को भी अंदाजा होगा कि कैसे हम, निर्भरता से आत्मनिर्भरता तक, Aspirations से Achievement तक, Desperation से Development तक पहुंचे हैं। आप याद करिए, एक दशक पहले, गांव में जब टॉयलेट का सवाल आता था, तो माताओं-बहनों के पास रात ढलने के बाद और भोर होने से पहले का ही जवाब होता था। आज उसी सवाल का जवाब स्वच्छ भारत मिशन से मिलता है। 2013 में जब कोई इलाज की बात करता था, तो महंगे इलाज की चर्चा होती थी। आज उसी सवाल का समाधान आयुष्मान भारत में नजर आता है। 2013 में किसी गरीब की रसोई की बात होती थी, तो धुएं की तस्वीर सामने आती थी। आज उसी समस्या का समाधान उज्ज्वला योजना में दिखता है। 2013 में महिलाओं से बैंक खाते के बारे में पूछा जाता था, तो वो चुप्पी साध लेती थीं। आज जनधन योजना के कारण, 30 करोड़ से ज्यादा बहनों का अपना बैंक अकाउंट है। 2013 में पीने के पानी के लिए कुएं और तालाबों तक जाने की मजबूरी थी। आज उसी मजबूरी का हल हर घर नल से जल योजना में मिल रहा है। यानि सिर्फ दशक नहीं बदला, बल्कि लोगों की ज़िंदगी बदली है। और दुनिया भी इस बात को नोट कर रही है, भारत के डेवलपमेंट मॉडल को स्वीकार रही है। आज भारत सिर्फ Nation of Dreams नहीं, बल्कि Nation That Delivers भी है।

साथियों,

जब कोई देश, अपने नागरिकों की सुविधा और समय को महत्व देता है, तब उस देश का समय भी बदलता है। यही आज हम भारत में अनुभव कर रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। पहले पासपोर्ट बनवाना कितना बड़ा काम था, ये आप जानते हैं। लंबी वेटिंग, बहुत सारे कॉम्प्लेक्स डॉक्यूमेंटेशन का प्रोसेस, अक्सर राज्यों की राजधानी में ही पासपोर्ट केंद्र होते थे, छोटे शहरों के लोगों को पासपोर्ट बनवाना होता था, तो वो एक-दो दिन कहीं ठहरने का इंतजाम करके चलते थे, अब वो हालात पूरी तरह बदल गया है, एक आंकड़े पर आप ध्यान दीजिए, पहले देश में सिर्फ 77 पासपोर्ट सेवा केंद्र थे, आज इनकी संख्या 550 से ज्यादा हो गई है। पहले पासपोर्ट बनवाने में, और मैं 2013 के पहले की बात कर रहा हूं, मैं पिछले शताब्दी की बात नहीं कर रहा हूं, पासपोर्ट बनवाने में जो वेटिंग टाइम 50 दिन तक होता था, वो अब 5-6 दिन तक सिमट गया है।

साथियों,

ऐसा ही ट्रांसफॉर्मेशन हमने बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में भी देखा है। हमारे देश में 50-60 साल पहले बैंकों का नेशनलाइजेशन किया गया, ये कहकर कि इससे लोगों को बैंकिंग सुविधा सुलभ होगी। इस दावे की सच्चाई हम जानते हैं। हालत ये थी कि लाखों गांवों में बैंकिंग की कोई सुविधा ही नहीं थी। हमने इस स्थिति को भी बदला है। ऑनलाइन बैंकिंग तो हर घर में पहुंचाई है, आज देश के हर 5 किलोमीटर के दायरे में कोई न कोई बैंकिंग टच प्वाइंट जरूर है। और हमने सिर्फ बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का ही दायरा नहीं बढ़ाया, बल्कि बैंकिंग सिस्टम को भी मजबूत किया। आज बैंकों का NPA बहुत कम हो गया है। आज बैंकों का प्रॉफिट, एक लाख 40 हज़ार करोड़ रुपए के नए रिकॉर्ड को पार कर चुका है। और इतना ही नहीं, जिन लोगों ने जनता को लूटा है, उनको भी अब लूटा हुआ धन लौटाना पड़ रहा है। जिस ED को दिन-रात गालियां दी जा रही है, ED ने 22 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक वसूले हैं। ये पैसा, कानूनी तरीके से उन पीड़ितों तक वापिस पहुंचाया जा रहा है, जिनसे ये पैसा लूटा गया था।

साथियों,

Efficiency से गवर्नमेंट Effective होती है। कम समय में ज्यादा काम हो, कम रिसोर्सेज़ में अधिक काम हो, फिजूलखर्ची ना हो, रेड टेप के बजाय रेड कार्पेट पर बल हो, जब कोई सरकार ये करती है, तो समझिए कि वो देश के संसाधनों को रिस्पेक्ट दे रही है। और पिछले 11 साल से ये हमारी सरकार की बड़ी प्राथमिकता रहा है। मैं कुछ उदाहरणों के साथ अपनी बात बताऊंगा।

|

साथियों,

अतीत में हमने देखा है कि सरकारें कैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिनिस्ट्रीज में accommodate करने की कोशिश करती थीं। लेकिन हमारी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही कई मंत्रालयों का विलय कर दिया। आप सोचिए, Urban Development अलग मंत्रालय था और Housing and Urban Poverty Alleviation अलग मंत्रालय था, हमने दोनों को मर्ज करके Housing and Urban Affairs मंत्रालय बना दिया। इसी तरह, मिनिस्ट्री ऑफ ओवरसीज़ अफेयर्स अलग था, विदेश मंत्रालय अलग था, हमने इन दोनों को भी एक साथ जोड़ दिया, पहले जल संसाधन, नदी विकास मंत्रालय अलग था, और पेयजल मंत्रालय अलग था, हमने इन्हें भी जोड़कर जलशक्ति मंत्रालय बना दिया। हमने राजनीतिक मजबूरी के बजाय, देश की priorities और देश के resources को आगे रखा।

साथियों,

हमारी सरकार ने रूल्स और रेगुलेशन्स को भी कम किया, उन्हें आसान बनाया। करीब 1500 ऐसे कानून थे, जो समय के साथ अपना महत्व खो चुके थे। उनको हमारी सरकार ने खत्म किया। करीब 40 हज़ार, compliances को हटाया गया। ऐसे कदमों से दो फायदे हुए, एक तो जनता को harassment से मुक्ति मिली, और दूसरा, सरकारी मशीनरी की एनर्जी भी बची। एक और Example GST का है। 30 से ज्यादा टैक्सेज़ को मिलाकर एक टैक्स बना दिया गया है। इसको process के, documentation के हिसाब से देखें तो कितनी बड़ी बचत हुई है।

साथियों,

सरकारी खरीद में पहले कितनी फिजूलखर्ची होती थी, कितना करप्शन होता था, ये मीडिया के आप लोग आए दिन रिपोर्ट करते थे। हमने, GeM यानि गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म बनाया। अब सरकारी डिपार्टमेंट, इस प्लेटफॉर्म पर अपनी जरूरतें बताते हैं, इसी पर वेंडर बोली लगाते हैं और फिर ऑर्डर दिया जाता है। इसके कारण, भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम हुई है, और सरकार को एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की बचत भी हुई है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर- DBT की जो व्यवस्था भारत ने बनाई है, उसकी तो दुनिया में चर्चा है। DBT की वजह से टैक्स पेयर्स के 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा, गलत हाथों में जाने से बचे हैं। 10 करोड़ से ज्यादा फर्ज़ी लाभार्थी, जिनका जन्म भी नहीं हुआ था, जो सरकारी योजनाओं का फायदा ले रहे थे, ऐसे फर्जी नामों को भी हमने कागजों से हटाया है।

साथियों,

 

हमारी सरकार टैक्स की पाई-पाई का ईमानदारी से उपयोग करती है, और टैक्सपेयर का भी सम्मान करती है, सरकार ने टैक्स सिस्टम को टैक्सपेयर फ्रेंडली बनाया है। आज ITR फाइलिंग का प्रोसेस पहले से कहीं ज्यादा सरल और तेज़ है। पहले सीए की मदद के बिना, ITR फाइल करना मुश्किल होता था। आज आप कुछ ही समय के भीतर खुद ही ऑनलाइन ITR फाइल कर पा रहे हैं। और रिटर्न फाइल करने के कुछ ही दिनों में रिफंड आपके अकाउंट में भी आ जाता है। फेसलेस असेसमेंट स्कीम भी टैक्सपेयर्स को परेशानियों से बचा रही है। गवर्नेंस में efficiency से जुड़े ऐसे अनेक रिफॉर्म्स ने दुनिया को एक नया गवर्नेंस मॉडल दिया है।

साथियों,

पिछले 10-11 साल में भारत हर सेक्टर में बदला है, हर क्षेत्र में आगे बढ़ा है। और एक बड़ा बदलाव सोच का आया है। आज़ादी के बाद के अनेक दशकों तक, भारत में ऐसी सोच को बढ़ावा दिया गया, जिसमें सिर्फ विदेशी को ही बेहतर माना गया। दुकान में भी कुछ खरीदने जाओ, तो दुकानदार के पहले बोल यही होते थे – भाई साहब लीजिए ना, ये तो इंपोर्टेड है ! आज स्थिति बदल गई है। आज लोग सामने से पूछते हैं- भाई, मेड इन इंडिया है या नहीं है?

साथियों,

आज हम भारत की मैन्युफैक्चरिंग एक्सीलेंस का एक नया रूप देख रहे हैं। अभी 3-4 दिन पहले ही एक न्यूज आई है कि भारत ने अपनी पहली MRI मशीन बना ली है। अब सोचिए, इतने दशकों तक हमारे यहां स्वदेशी MRI मशीन ही नहीं थी। अब मेड इन इंडिया MRI मशीन होगी तो जांच की कीमत भी बहुत कम हो जाएगी।

|

साथियों,

आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियान ने, देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को एक नई ऊर्जा दी है। पहले दुनिया भारत को ग्लोबल मार्केट कहती थी, आज वही दुनिया, भारत को एक बड़े Manufacturing Hub के रूप में देख रही है। ये सक्सेस कितनी बड़ी है, इसके उदाहरण आपको हर सेक्टर में मिलेंगे। जैसे हमारी मोबाइल फोन इंडस्ट्री है। 2014-15 में हमारा एक्सपोर्ट, वन बिलियन डॉलर तक भी नहीं था। लेकिन एक दशक में, हम ट्वेंटी बिलियन डॉलर के फिगर से भी आगे निकल चुके हैं। आज भारत ग्लोबल टेलिकॉम और नेटवर्किंग इंडस्ट्री का एक पावर सेंटर बनता जा रहा है। Automotive Sector की Success से भी आप अच्छी तरह परिचित हैं। इससे जुड़े Components के एक्सपोर्ट में भी भारत एक नई पहचान बना रहा है। पहले हम बहुत बड़ी मात्रा में मोटर-साइकल पार्ट्स इंपोर्ट करते थे। लेकिन आज भारत में बने पार्ट्स UAE और जर्मनी जैसे अनेक देशों तक पहुंच रहे हैं। सोलर एनर्जी सेक्टर ने भी सफलता के नए आयाम गढ़े हैं। हमारे सोलर सेल्स, सोलर मॉड्यूल का इंपोर्ट कम हो रहा है और एक्सपोर्ट्स 23 गुना तक बढ़ गए हैं। बीते एक दशक में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट भी 21 गुना बढ़ा है। ये सारी अचीवमेंट्स, देश की मैन्युफैक्चरिंग इकोनॉमी की ताकत को दिखाती है। ये दिखाती है कि भारत में कैसे हर सेक्टर में नई जॉब्स भी क्रिएट हो रही हैं।

साथियों,

TV9 की इस समिट में, विस्तार से चर्चा होगी, अनेक विषयों पर मंथन होगा। आज हम जो भी सोचेंगे, जिस भी विजन पर आगे बढ़ेंगे, वो हमारे आने वाले कल को, देश के भविष्य को डिजाइन करेगा। पिछली शताब्दी के इसी दशक में, भारत ने एक नई ऊर्जा के साथ आजादी के लिए नई यात्रा शुरू की थी। और हमने 1947 में आजादी हासिल करके भी दिखाई। अब इस दशक में हम विकसित भारत के लक्ष्य के लिए चल रहे हैं। और हमें 2047 तक विकसित भारत का सपना जरूर पूरा करना है। और जैसा मैंने लाल किले से कहा है, इसमें सबका प्रयास आवश्यक है। इस समिट का आयोजन कर, TV9 ने भी अपनी तरफ से एक positive initiative लिया है। एक बार फिर आप सभी को इस समिट की सफलता के लिए मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं हैं।

मैं TV9 को विशेष रूप से बधाई दूंगा, क्योंकि पहले भी मीडिया हाउस समिट करते रहे हैं, लेकिन ज्यादातर एक छोटे से फाइव स्टार होटल के कमरे में, वो समिट होती थी और बोलने वाले भी वही, सुनने वाले भी वही, कमरा भी वही। TV9 ने इस परंपरा को तोड़ा और ये जो मॉडल प्लेस किया है, 2 साल के भीतर-भीतर देख लेना, सभी मीडिया हाउस को यही करना पड़ेगा। यानी TV9 Thinks Today वो बाकियों के लिए रास्ता खोल देगा। मैं इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, आपकी पूरी टीम को, और सबसे बड़ी खुशी की बात है कि आपने इस इवेंट को एक मीडिया हाउस की भलाई के लिए नहीं, देश की भलाई के लिए आपने उसकी रचना की। 50,000 से ज्यादा नौजवानों के साथ एक मिशन मोड में बातचीत करना, उनको जोड़ना, उनको मिशन के साथ जोड़ना और उसमें से जो बच्चे सिलेक्ट होकर के आए, उनकी आगे की ट्रेनिंग की चिंता करना, ये अपने आप में बहुत अद्भुत काम है। मैं आपको बहुत बधाई देता हूं। जिन नौजवानों से मुझे यहां फोटो निकलवाने का मौका मिला है, मुझे भी खुशी हुई कि देश के होनहार लोगों के साथ, मैं अपनी फोटो निकलवा पाया। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं दोस्तों कि आपके साथ मेरी फोटो आज निकली है। और मुझे पक्का विश्वास है कि सारी युवा पीढ़ी, जो मुझे दिख रही है, 2047 में जब देश विकसित भारत बनेगा, सबसे ज्यादा बेनिफिशियरी आप लोग हैं, क्योंकि आप उम्र के उस पड़ाव पर होंगे, जब भारत विकसित होगा, आपके लिए मौज ही मौज है। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद।