Congress is manufacturing and spreading lies: PM Modi in Ajmer

Published By : Admin | October 6, 2018 | 14:01 IST
There is no place for those who indulge in vote bank politics. Such politics ruins the progress of the nation: PM Modi
Politics of development was never acceptable to Congress: PM Modi in Ajmer
Vote bank politics is not only limited to elections. It destroys the entire system, administration suffers due to this: PM Modi
In Ajmer, PM Modi appeals people to not allow those indulging vote-bank politics
Why is the Congress not fighting election on facts? Why are they indulging in spreading lies and abuses, asks the PM
Congress isn’t proud of the soldiers’ sacrifice along the border, it has demeaned the surgical strikes: PM Modi

मंच पर विराजमान राजस्थान की लोकप्रिय और यशस्वी मुख्यमंत्री बहन वसुंधरा जी, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्रीमान मदन लाल सैनी जी, केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्री प्रकाश जावड़ेकर, अर्जुनराम मेघवाल, विजय गोयल, राज्यवर्धन राठौड़, गजेन्द्र सिंह शेखावत, पी. पी. चौधरी, सी. आर. चौधरी; राज्य सरकार में भिन्न-भिन्न जिम्मेवारियां निभा रहे हमारे विधान सभा के अध्यक्ष श्रीमान कैलाश जी, भाई ओमप्रकाश माथुर जी, हमारे वरिष्ठ नेता गुलाबचन्द जी, मंच पर विराजमान अन्य सभी महानुभाव और इतनी भयंकर गर्मी में भी ये विशाल जन सागर, ये उमंग, ये उत्साह, ये र्जा, आपलोगों ने राजस्थान के उज्ज्वल भविष्य की हस्तरेखा आज लिख दी है।

अभी हमारे प्रदेश अध्यक्ष जी बता रहे थे कि आप चुनाव के समय भी हमें समय दीजिए; मैं प्रदेश अध्यक्षजी को विश्वास दिलाता हूं कि मैं वही नरेन्द्र मोदी हूं जो कभी हमारे सैनी जी के साथ स्कूटर पे बैठकर संगठन का काम किया करता था। और इसलिए, देश और दुनिया के लिए भले ही मैं प्रधानमंत्री हूं लेकिन भारतीय जनता पार्टी के लिए तो मैं एक कार्यकर्ता हूं, और एक कार्यकर्ता के नाते पार्टी जब भी, जो भी जिम्मेवारी मुझे देती है उसको जी-जान से लग करके पूरा करने का प्रयास करता हूं। आगे भी, आप सब मिल करके जितनी बार मुझे आने के लिए कहेंगे, जहां-जहां जाने के लिए कहेंगे, छोटे से बूथ की मीटिंग के लिए भी कहेंगे, ये कार्यकर्ता हाजिर है।

हमारे यहां एक परंपरा है कि जब कोई यात्रा करके आता है तो परिचित, रिश्तेदार, जान-पहचान वाले, जो यात्रा करके आते हैं, उनका स्वागत और उनको प्रणाम करने के लिए पहुंच जाते हैं, क्योंकि हमारे यहां मान्यता है कि जो यात्रा करके आता है वो बहुत पुण्य कमा के आता है और जब हम उसके दर्शन करते हैं, उनके आशीर्वाद लेते हैं तो पुण्य का कुछ हिस्सा हमारे भी नसीब आता है। मेरा आज सौभाग्य है कि चार-साढ़े चार हजार किलोमीटर की यात्रा करके राजस्थान के साढ़े सात करोड़ देवी-देवता रूपी नागरिकों के दर्शन करके, उनके आशीर्वाद ले करके वसुंधरा जी जब यहां पधारी हैं, तो मेरा भी ये सौभाग्य है आज उनका स्वागत करने का, उनका सम्मान करने का और मुझे भी इस पुण्य कार्य में शरीक होने का अवसर मिला, मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं।

ये यात्रा सरल नही होती है। और उसमें भी विरोधी दल में रह करके जो मर्जी पड़े बोलने की छूट होती हो, मानसिक संतुलन न हो, जहां जाएं जो बोलना है बोल दिया, कोई पूछने वाला न हो, तब यात्रा बड़ी सरल होती है, तालियां भी बहुत बजती हैं। लेकिन पांच साल सरकार चलाने के बाद, पल-पल का, पाई-पाई का हिसाब देने के लिए जनता-जनार्दन के बीच जाना, ये बहुत बड़ी जनता के प्रति समर्पण भाव के बिना संभव नहीं होता। और ये काम भारतीय जनता पार्टी जहां भी हो, चाहे राजस्थान हो, चाहे मध्यप्रदेश हो, चाहे छत्तीसगढ़ हो, कहीं पर भी जनता के बीच में जा करके जनता के सामने अपने कार्य का हिसाब देना, भारतीय जनता पार्टी कभी भी मुंह नहीं छिपाती है। हम जानते हैं और हमें झूठ बोलने की आदत नहीं है

हमलोग ‘सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’ काम करने वाले लोग हैं। सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’, इस मूलभूत सिद्धांत को लेकर के एक नई राजनीति को समर्पित लोग हैं। एक तरफ वोट बैंक की राजनीति का खेल, दूसरी तरफ ‘सबका साथ सबका विकास’, इस नई राजनीति का दायित्व दोनों में आसमान-जमीन का अंतर होता है। जो वोट बैंक की राजनीति करते हैं, उनको कभी हिन्दू-मुस्लिम का खेल करने में मजा आता है, कभी अगड़े-पिछड़े का खेल करने में मजा आता है, कभी ये जाति, ये बिरादारी...कभी वो जाति, वो बिरादरी...कभी शहर, कभी गांव...कभी अमीर, कभी गरीब...कभी पुरुष, कभी स्त्री…कभी बुजुर्ग, कभी युवा; जहां मौका मिले टुकड़े करो, जहां मौका मिले दरार पैदा करो, जहां मौका मिले एक-दूसरे के सामने कर दो, वो लड़ते रहेंगे और हम एक को गले लगा करके अपना चुनावी उल्लू सीधा कर लेंगे, ये वोट बैंक की राजनीति का खेल चलता है।

तोड़ना सरल होता है, जोड़ने के लिए जिंदगी खपानी पड़ती है, तब जा करके जुड़ता है। हम जोड़ने वाले हैं, समाज के हर तबके को, समाज के हर वर्ग को। भूभाग भी कोई बहुत आगे निकल जाए, कोई भूभाग बहुत पीछे रह जाए, ये भी हमें मंजूर नहीं है। और इसलिए जब भी किसी को फुर्सत मिले, भारतीय जनता पार्टी की सरकारों की, हमारी कार्यसंस्कृति का अगर लेखा-जोखा करना है, तो करके देखिए कि ‘सबका साथ सबका विकास’, ‘सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’, इस मंत्र की ताकत क्या है, उसमें भारत के उज्ज्वल भविष्य का संकल्प कैसे प्रदर्शित होता है, कैसे मुखर करके आता है। और, ये वोट बैंक की राजनीति सिर्फ चुनाव तक सीमित नहीं रहती है। बड़े बड़े विद्वान बताने वाले अपने-आप को, कलम के धनी, घंटों तक डिबेट का सामर्थ्य रखने वाले लोग भी, ये बहुत बड़ी गलती कर बैठते हैं कि उनको भी लगता है कि वोट बैंक की राजनीति सिर्फ चुनाव तक सीमित है। जी नहीं, ये पूरी व्यवस्था को तबाह कर देती है।

वोट बैंक की राजनीति करने वाले दल अगर सरकार में बैठते हैं, तो बाबुओं में भी, मुलाजिमों में भी, अफसर में भी, पूरे सरकारी कैडर को भी उस वोट बैंक के तहत बांट देते है और फिर उन्हीं को पद देते हैं। जिले के अंदर उन्हीं अधिकारियों को भेजते हैं जो उनके वोट बैंक के समीकरण में फिट होते हैं। और उसके कारण आधी सरकारी ब्यूरोक्रेसी जब तक ये वोट बैंक वाली सरकार रहती है, सरकारी काम से दूर हो जाती है, ठंडे हो जाते हैं, दफ्तर में आते हैं, बैठते हैं, कहते हैं भई हमें कौन पूछता है। इसके कारण शासन व्यवस्था को ऐसी दीमक लग जाती, हर कोई दूसरे को शक की नजर से देखता है, हर कोई काम में अड़ंगे डालने का रास्ता खोजता है, हर कोई दूसरे को विफल करने में लगा रहता है और परिणाम…वोट बैंक की राजनीति करने वाले सत्ताधीशों को चार चांद लग जाते हैं, लेकिन वो गरीब मुलाजिम, सामान्य परिवार से आया हुआ व्यक्ति वो शासन के अंदर पांच साल के लिए एक प्रकार से अपने आप को कोसता रहता है कि मैं यहां कहां गया। और इसलिए कभी भी ये वोट बैंक की राजनीति करने वालों को अब हिन्दुस्तान के किसी भी कोने में कृपा करके मत घुसने दीजिए। जैसे अफसरों के तबादले उनका वोट बैंक चलता है, वैसे पूरी पुलिस डिपार्टमेंट, उसको जाति के रंग में रंग देते हैं और इसके कारण शासन-व्यवस्था हमेशा के लिए एक गंभीर बीमारी की शिकार हो जाती है।

हम जब ‘सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’ इस मंत्र को लेकर चलते हैं तो हम गवर्नेस को, उसके उसूलों को बनाए रखने के लिए जी जान से जागृ प्रयास करते रहते हैं और तब जा करके विकास की दिशा सही रहती है। जब बजट आवंटन करना होता है, कहीं रोड बनाना हो, कहीं नहर बनानी हो, कहीं तालाब बनाना हो, कहीं बिजली पहुंचानी हो, ये वोट बैंक की राजनीति करने वाले हिसाब लगाते हैं कि हमें वोट देने वाली जो बिरादरी है वो तो उस इलाके में है ही नहीं, तो फिर तय करते हैं कि उनके लिए बजट देने की जरूरत नहीं है, ऐसा नाम मात्र का खाका भर दीजिए, हमें तो उसी बिरादरी को धन आवंटन करना है जहां से भविष्य में वोट मिलेंगेऔर इसलिए जो राज्य का सर्वांगीण विकास होना चाहिए वो नहीं होता है। दुर्भाग्य है, साठ साल तक कांग्रेस ने देश में यही परंपरा पैदा की है वरना ये देश, यहां के नागरिक...छोटा सा भी अवसर मिल जाए तो अपने पुरुषार्थ से, अपने पराक्रम से अपने क्षेत्र को, अपने गांव को अपने कार्य को चार चांद लगा देने की ताकत रखते हैं, लेकिन ये राजनीति कांग्रेस को मंजूर नहीं थी।

अभी वसुंधरा जी बता रही थीं कि न उन्होंने उसके नेता जी को देखा, न वो विधान सभा में आए, न उन्होंने गरीबों के लिए कोई सवाल उठाया, न उन्होंने कभी बहस की। अरे वंसुधरा जी, आप उन पर इतनी नाराज क्यूं होती हो, हिंदुस्तान में वो कहीं ऐसा नहीं करते जी, किसी भी राज्य मे नहीं करते क्योंकि उनको तो एक परिवार की आरती उतारो, उस परिवार की परिक्रमा करो, उनकी राजनीति चल जाती है। ये तो हम लोग हैं जो साढ़े सात करोड़ लोगों को परिक्रमा करने के लिए चले जाते हैं, उनकी चरण रज माथे पर चढ़ाते हैं क्योंकि हमलोगों का हाई कमान ये राजस्थान की साढ़े सात करोड़ की जनता है, उनका हाई कमान एक परिवार है। अब आप कहोगे कि वो साढ़े सात करोड़ के लिए काम करें कि वो परिवार के लिए करें। ये राजस्थान को उनसे कोई अपेक्षा है क्या? ये परिवार की पूजा करने वालों से कोई अपेक्षा है क्या? ये परिवार की परिक्रमा करने वाले आपका भला करेंगे क्या? वो उनका भला करने में से समय निकाल कर आपकी चिंता करेंगे क्या? सारा राजस्थान जानता है वसुंधरा जी, आप चिंता ही छोड़ दीजिए।

भाइयो-बहनो, वो बजट आवंटन में भी इसी प्रकार का खेल करते हैं और बाद में उनके वोट बैंक को सुलभ हो…वहां बजट देते तो हैं, लेकिन बाद में अपनी राजनीति को बचाए रखने के लिए वहां जो सरफिरे लोग होते हैं, दबंग लोग होते हैं, वो फिर शुरू हो जाते हैं…ये कॉन्ट्रैक्ट तो मेरे भतीजे को मिलना चाहिए, ये ठेका मेरे मामा के बेटे को ही मिलना चाहिए। और, वोट बैंक की राजनीति में ये जो दबे हुए लोग हैं, उन्हीं के भरोसे जीने वाले लोग...फिर बजट भी ऐसे लोगों के हाथ में दे देते हैं जो विकास का काम करें या ना करें...कागज पर रिपोर्ट बन जाती है, रुपये चोरी हो जाते हैं, देश इसी के कारण बर्बाद हुआ है। आप बताइए, क्या फिर से राजस्थान की धरती पर, क्या फिर से हिंदुस्तान में कहीं पर भी इस प्रकार की विकृतियों को प्रवेश देना है क्या, उनको फिर से घुसने देना है क्या, समाज को तोड़ने देना है क्या, भाई-भाई के बीच में दीवार पैदा करने देनी है क्या, जो रास्ता प्रगति का पकड़ा है उससे फिर से एक बार तबाही के रास्ते पर जाना है क्या?

भाइयो-बहनो, बड़ी मुश्किल से 60 साल के बाद देश ने एक दिशा पकड़ी है, अब किसी भी हालत में उनको फिर से यहां देखने का भी मौका नहीं देना है। मैंने एक बार सार्वजनिक रूप से कहा था, लोकतंत्र का भला इसमें है कि जागृत विरोधी दल हो, जनता को समर्पित विरोधी दल हो, जनता के हर सवाल को लेकर के संवेदनाओं के साथ सरकार को सजग रने का काम करता हो, जनता की भलाई के कामों में गति आए उसके लिए नए-नए सुझाव देता हो, सत्ता दल और विरोधी दल के बीच जनता की भलाई के कामों के लिए एक तीव्र स्पर्धा होती हो। लेकिन दुर्भाग्य है, जो लोग 60 साल तक सत्ता में विफल रहे वो विरोधी दल के रूप में भी विफल रहे। अध्यन करना नहीं, ऐसा तो नहीं है कि सरकार चलाते समय कोई कमी नहीं रहती है, ऐसा तो नहीं है कि सरकार चलाते समय दो अपेक्षाएं अधूरी नहीं रहती हैं...हम तो स्वीकार करते हैं, लेकिन वो मेहनत नहीं करते हैं और इसलिए उनको झूठ का सहारा लेना पड़ता है, झूठी बातें बोलनी पड़ती हैं, अनाप-शनाप भाषा का प्रयोग करना पड़ता है...वरना हकीकतों के आधार पर हम कहते हैं कि आप इतने रास्ते पहले बनाते थे, हम इतने बनाते हैं। आइए, हो जाए बहस, वो भाग जाते हैं। नहीं, उसकी बहस नहीं।  

भाइयो-बहनो, मैं देख रहा था...वसुंधरा जी, उनको समय तो ज्यादा नहीं मिला, 10 मिनट में उन्होंने भाषण अपना पूरा किया लेकिन इतने कम समय में उन्होंने जो उपलब्धियां बताईं, ये उपलब्धियां सुनने के बाद  अगर मैं राजस्थान का मतदाता होता तो सबसे पहला काम...भारतीय जनता पार्टी की सरकार दुबारा बना देता। आखिरकार, सरकार का काम है सामान्य मानवी की जिंदगी में सुविधाएं पैदा करना, उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करना और हमने एक के बाद एक, हमने इस काम को पूरा करने का प्रयास किया है। आप देखिए, आज कोई कल्पना कर सकता है कि बिजली के बिना कोई जिंदगी जी सकता है।

भाइयो, अगर घर में भी एक रात बिजली चली जाए और मोबाइल फोन चार्ज न हुआ हो तो आप सो पाते हैं क्या, आप मोबाइल फोन लेकर के कहीं और भागते हैं कि नहीं, अरे यार चार्जिंग करा दो...ये होता है कि नहीं होता है। बिजली के बिना कोई जिंदगी नहीं काट सकता है, ये स्थिति है। लेकिन ये कांग्रेस की कृपा देखिए...इतने सालों के शासन के बाद भी...जब वसुंधरा जी आईं...दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी को सेवा करने का अवसर मिला...राजस्था में 13 लाख परिवार ऐसे थे जो 18वीं शताब्दी में, अंधेरी जिंदगी जीने के लिए मजबूर थे। हमने बीड़ा उठाया पहला, हिंदुस्तान के हर गांव में बिजली पहुंचाएंगे और पिछले साल बीड़ा उठाया, हर घर में बिजली पहुंचाएंगे और मैं वसुंधरा जी को बधाई देता हूं कि भारत सरकार के इस कार्यक्रम को उन्होंने बड़ी जीवटपूर्वक राजस्थान में लागू किया और करीब 13 लाख परिवारों को बिजली पहुंचाने का काम पूरा कर दिया है।

भाइयो-बहनो, ये काम छोटा नहीं है। सामान्य मानवी की जिंदगी में बदलाव लाना और अब भी जिन परिवारों में अभी बिजली पहुंची नहीं है उसके लिए भी राजस्थान सरकार जी-जान से जुटी हुई है और भारत सरकार पूरी तरह उनको सहयोग कर रही है। और हमने तय किया है...महात्मा गांधी के 150वें जयंती समारोह तक हिंदुस्तान में एक भी परिवार, एक भी परिवार 18वीं शताब्दी में जीने के लिए मजबूर नहीं होगा, उसके घर में भी बिजली होगी

भाइयो-बहनो, यहां जो द्रव्यवती नदी...17 करोड़ रुपये का रिवर फ्रंट का काम...मैं जरूर मानता हूं कि टूरिज्म के लिए हिंदुस्तान की एक प्रकार से राजस्थान राजधानी है। देश और दुनिया के टूरिस्ट राजस्थान की ओर खिंचे चले आते हैं। यहां की मरुभूमि भी इसलिए उनको आकर्षित करती है क्योंकि यहां के नागरिकों का आदर-सत्कार का जो भाव है उसको वो अनुभव करता है और इसलिए दुनिया खिंचकर के चली आती है। उसको बढ़ाने के लिए...आज जैसा वसुंधरा जी अब यहां से पुष्कर जा रही हैं.. पुष्कर का विकास, वो हिंदुस्तान के तीर्थयात्रियों के लिए, दुनिया में आध्यात्मिक खोज से निकले लोगों के लिए एक बहु बड़ा श्रद्धा का केंद्र है और उसके पीछे उन्होंने जो मेहनत की है, वो मेहनत एक स्थान का विकास नहीं है, वो राजस्थान की अर्थव्यवस्था के विकास का एक र्जा केंद्र बन रहा है और जो बहुत बड़ा फायदा करने वाला है।

भाइयो-बहनो, मैं पिछले हफ्ते भी राजस्थान आया था। लेकिन मैं वो भारत सरकार के एक कार्यक्रम के तहत आया था। हमारी तीनों जल सेना, थल सेना, वायु सेना, इनकी एक महत्वपूर्ण मीटिंग के लिए मैं आया था, लेकिन जिनको भारतीय जनता पार्टी की प्रगति से परेशानी होती है उन्होंने लिख दिया मोदी बिगुल बजाएंगे चुनाव का। लेकिन वहां मुझे सर्जिकल स्ट्राइक के दो साल पूर्ण होने पर पराक्रम पर्व मनाने का अवसर मिला, जोधपुर की धरती पर अवसर मिला। ये वीरों की भूमि पर अवसर मिला। लेकिन भाइयो-बहनो, आज भी हम सब पृथ्वीराज के पराक्रम को याद करते हैं कि नहीं करते हैं, करते हैं कि नहीं करते हैं। पृथ्वीराज चौहान को याद कर-कर के हमें प्रेरणा मिलती है कि नहीं मिलती है, हमारे रोंगटे खड़े होते हैं कि नहीं होते हैं, वीरता का भाव पैदा होता है कि नहीं होता है। हमारे में से किसी ने पृथ्वीराज चौहान को देखा था क्या...नहीं देखा था। लेकिन हर राष्ट्र के जीवन में त्याग, तपस्या, वीरता, संवेदना, करुणा, दया, ममता... ये सदगुणों की घटनाएं पीढ़ी दर पीढ़ी प्रेरणा देती रहती हैं और इसलिए हर पीढ़ी का दायित्व होता है कि ऐसी घटनाओं का बार-बार स्मरण किया जाए और समयानुकूल अच्छी चीजों को लेकर के आगे जाने का संकल्प किया जाए।

सर्जिकल स्ट्राइक मेरे देश के वीर जवानों का बहुत ही बड़ा पराक्रम है। दुश्मन के दांत खट्टे करने की ताकत मेरे देश का जवान रखता है। कौन हिंदुस्तानी होगा जिसको हमारे इन वीरों के प्रति गर्व न हो! क्या हो गया है कांग्रेस पार्टी को...क्या राजनीति ने आपको इतना नीचे धकेल दिया है कि पहले आपने सर्जिकल स्ट्राइक की बेइज्जती करने की कोशिश की, मेरे वीर जवानों के पराक्रम को लांछन लगाने के लिए कोई मौका नहीं छोड़ा और अब जब उसका पराक्रम पर्व करके, वीर गाथा को याद करके देश की युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिल रही थी, तो उसमें भी गंदी हरकतें करने से आप बाज नहीं आए। शर्म आनी चाहिए ऐसे लोगों से, शर्म आनी चाहिए ऐसी राजनीति से, शर्म आनी चाहिए ऐसी सोच से।

भाइयो-बहनो, देश का किसान हो, देश का जवान हो...मैं देख रहा था वसुंधरा जी किसानों के लिए किए कामों की बातें कर रही थीं, यहां से तालियाँ बंद नहीं हो रही थीं भाई। और भारत सरकार ने भी... मैं जरा कांग्रेस वालों से पूछना चाहता हूं ये देश के किसानों के लिए एमएसपी की मांग कितने सालों से थी भाई और आपको कौन रोक रहा था, क्यूं नहीं किया आपने, क्या तकलीफ हुई आपको। लेकिन आपको परवाह नहीं थी, किसानों की चिंता नहीं थी। हमने वादा किया था कि लागत का डेढ़ गुना हम किसानों को एमएसपी देंगे, हमने ये वादा पूरा किया है। और आपको तकलीफ ये नहीं है, आपको तकलीफ ये है कि मोदी ने कर कैसे दिया, अब मोदी के खिलाफ बोलेंगे क्या, दिन-रात उनको इसी की चिंता रहती है। अरे आप परवाह क्यों करते हो, आप तो दिन-रात सुबह उठते ही झूठ मैन्युफैक्चर कर देते हो, आपको क्या तकलीफ है। और आपका झूठ आपको जीने की ताकत दे रहा है, जीते रहो, ये झूठ में ही जीते रहो, 100 साल जीते रहो, जहां हो वहां जीते रहो।

भाइयो-बहनो, आज हमने एमएसपी का इतना बड़ा निर्णय..कोई कल्पना कर सकता है इस एमएसपी के कारण, अगर मैं उसका हिसाब लगाऊं, तो हिंदुस्तान के किसान का करीब-करीब 62 हजार करोड़ रुपया उसको अतिरिक्त आय होने वाली है, एक्सट्रा इन्कम। जो कांग्रेस का शासन होता तो उनकी जेब में इतने पैसे नहीं जाते, ये भाजपा सरकार है, किसान की जेब में 62 हजार करोड़ रुपया अधिक जाने वाला है और एक बार नहीं हर फसल के बाद जाने वाला है, हर साल खेती का सीजन पूरा होने के बाद जाने वाला है। उपरांत, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना..वसुंधरा जी बता रही थीं कि अकेले राजस्थान में 3,000 करोड़ रुपया फसल बीमा का प्राप्त हुआ। अगर मोदी ने 1,000 करोड़ का भी पैकेज दिया होता तो हेडलाइन बन जाती, अकेले राजस्थान में 3,000 करोड़ रुपया फसल बीमा का मिल जाए, ये अपने-आप में बहुत बड़ी घटना होती है। लेकिन भाइयो-बहनो, कुछ लोगों को देश की प्रगति में विश्वास नहीं है, विकास में उनका विश्वास नहीं है, उनको तो तोड़-फोड़ की राजनीति, अपनी दुकान चलती रहे, किसी की कृपा से अपना गुजारा चलता रहे..और इसलिए बोलने वाले भी और उनके गाजे-बाजे बजाने वाले भी…ये सारी टोली विकास के मुददो पर चर्चा करने की हिम्मत नहीं करती।

भाइयो-बहनो, मैं विश्वास से कहता हूं हमारी दिशा सही है, हमारी नीति स्पष्ट है, हमारी नीयत पर कोई शक नहीं कर सकता है और जिस दिशा में जा रहे हैं हम मेहनत में कोई कमी नहीं रखते हैं। जी-जान से जुटे हैं क्योंकि ये हमारे लिए ये सवा सौ करोड़ का हिंदुस्तान, सवा सौ करोड़ देशवासी यही हमारा परिवार है, उन्हीं का कल्याण, इसी में हमारा जीवन का संतोष है और उसी बात को लेकर के हम आगे चल रहे हैं। भाइयो-बहनो, हमारी माताएं, बहनें, सरकार में काम करने वाली बहनें, मैं उनको जरा याद दिलाना चाहूंगा आज सरकार में भी  30 परसेंट के करीब महिलाएं काम कर रही हैं, करीब-करीब सब विभाग में, और, शिक्षा में और आरोग्य में तो और ज्यादा महिलाएं काम कर रही हैं।

दुनिया के अमीर से अमीर देशों ने जो काम नहीं किया है, दुनिया के सुखी-संपन्न देशों ने जो काम नहीं किया है, दुनिया के फॉरवर्ड माने जाने वाले देशों ने जो काम नहीं किया है, ऐसा गरीब देश, दुनिया जिसको पिछड़ा देश मानती है उस हिंदुस्तान ने कर के दिखाया है। क्या किया है मालूम है आपको? कोई चर्चा ही नहीं कर रहा है। हमारी सरकार मे काम करने वाली बहनें उनको प्रसव के समय जो छुट्टी मिलती है, डिलीवरी के टाइम पे, वो पहले बहुत कम मिलती थी और इसलिए जब बच्चे को मां की जरूरत होती थी तब मां दफ्तर चली जाती थी, काम के लिए जाना पड़ता था; ये एक ऐसी प्रगतिशील सरकार है, शासन में बैठी हुई सभी बहनों को मैं याद करना चाहता हूँ, ये ऐसी प्रगतिशील सरकार है कि हमने डिलीवरी की छ्ट्टी 26 हफ्ते कर दी। छह महीने, ताकि बच्चे का मां के नाते वो लालन-पालन कर सके और पगार के साथ उसकी आय चालू रहेगी। ये बड़ा प्रगतिशील निर्णय है।

समाज के हर तबके लिए, सबका साथ सबका विकास, इसको मिलेगा उसको नहीं मिलेगा ये खेल हमारा नहीं है। और, एक तरफ शासन में काम करने वाली हमारी बहनों को इतना बड़ा अधिकार दिया तो दूसरी तरफ तीन तलाक के कारण जिनकी जिंदगी तबाह हो जाती थी, उन बहनों को सुरक्षा देने के लिए हमने कानून लाने का काम किया और हमने कानून लाया। हम वोट बैंक की राजनीति नहीं करते हैं। अगर महिला की बात करते हैं, तो सभी महिलाओं के साथ समान व्यवहार होना चाहिए, हिंदू-मुसलमान भेद नहीं होना चाहिए, हम भेद के खिलाफ हैं।

मैं भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्रियों को, विशेष कर वसुंधरा जी को, शिवराज जी को इस बात के लिए बधाई देता हूं; भारत सरकार ने ये बलात्कारी प्रवृत्ति, राक्षसी मनोवृति वाले लोगों के खिलाफ कठोर से कठोर कदम उठाने का हमने कानून बनाया, फांसी की सजा के सिवाय कुछ नहीं। और, मुझे इस बात का संतोष है कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, पिछले कुछ महीनों में कानून बनने के बाद कभी एक महीने में सजा हो गई, कभी दो महीने में सजा हो गई, कहीं पर पांच दिन में सजा हो गई और फांसी की सजा हो गई। अब हमारा काम है कि सजा हो गई है फांसी की, इस बात को प्रचारित करें ताकि उस राक्षसी मनोवृत्ति के लोगों को भय पैदा हो, जितने घंटे बलात्कार की बातें होती हैं उससे 10 गुना ज्यादा फांसी की बात होनी चाहिए ताकि अपने-आप इस प्रकार के विकृत राक्षसी लोगों को सबक सीखने का मौका मिलेगा। भाइयो-बहनो, इन चीजों को करने के लिए समाज के प्रति समर्पण का भाव लगता है, राजनीति में हिम्मत के साथ निर्णय करने की ताकत लगती है, और ये ताकत दिखाकर के हमने काम किया है।

भाइयो-बहनो, प्रधानमंत्री आवास योजना, हम टुकड़ो में नहीं सोचते हैं, हम चीजों को पूर्णता में सोचते हैं और पूर्णता के साथ सोचते हैं इसके कारण हमने ये भी निर्णय किया। घर तो पहले भी मिलते थे; दो साल, तीन साल के बाद उन घरों का क्या हाल होता था? हम संपूर्ण आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर घर देते हैं, बिजली देते हैं, नल देते हैं, नल में जल देते हैं, शौचालय देते हैं, गैस का कनेक्शन देते हैं। एक प्रकार से परिवार के जीवन स्तर में तुरंत बदलाव आए उसके लिए आवश्यक सारी बातें उसके साथ जोड़ देते हैं। हम टुकड़ों में नहीं पूर्णता पर विश्वास करते हैं। पहले तो क्या था, पहले जमीन का टुकड़ा देंगे एक चुनाव जीतेंगे, फिर घर का शिलान्यास होगा, दीवार 2-4 फीट ऊपर आ जाएगी, दूसरा चुनाव जीत लेंगे, फिर मकान बन जाएगा, तीसरा चुनाव जीत लेंगे, फिर गैस की बातें करेंगे, चौथा चुनाव जीत लेंगे, फिर बिजली की बात करेंगे, फिर पांचवां चुनाव, सब चीजें पांच चुनाव के हिसाब-किताब में, हमने इस परंपरा को तोड़ दिया है। उस परिवार को सब कुछ मिलना चाहिए, एक साथ मिलना चाहिए, जल्दी मिलना चाहिए, चुनाव का इंतजार नही करना चाहिए। हम टुकड़ों में सोचने वाले लोग नहीं हैं, हम संपूर्णता को लेकर चलने वाले लोग हैं। और इसलिए भाइयो-बहनो, हम उस दिशा में काम करते हुए आगे जब बढ़ रहे हैं।

आज यहां वसुंधरा जी ने एक बात का उल्लेख किया पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना। राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर परियोजना के बाद कोई भी बड़ी सिंचाई व पेयजल परियोजना की नींव नहीं रखी गई। मुझे पता है कि राजस्थान में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की मांग काफी समय से उठ रही थी और जब मैं जुलाई में जयपुर आया था तब भी मैंने इसका जिक्र किया था। साथियो, भारत सरकार द्वारा बहुत गंभीरता के साथ इस योजना का तकनीकी अध्ययन कराया जा रहा है, इस प्रोजेक्ट से जुड़े सारे पहलुओं का लेखा-जोखा करने के बाद पूरी संवेदनशीलता के साथ हम इस पर फैसला लेंगे और चंबल बेसिन की नदियों पर आधारित इस परियोजना से राजस्थान की दो लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन को सिंचाई की सुविधा मिलेगी। इतना ही नहीं, इस परियोजना से अजमेर, जयपुर, दौसा, करौली, सवाई माधोपुर, झालावाड़, बारण, कोटा, बूंदी, टौंक, अलवर, भरतपुर और धौलपुर यानि 13 जिलों में रहने वाली राजस्थान की 40 प्रतिशत जनता को पीने का मीठा पानी भी मिलेगा।

भाइयो-बहनो, ये दिल्ली में बैठे हुए पंडितों को पता नहीं चलेगा कि राजस्थान अपनी परंपरा बदलने जा रहा है। पहले राजस्थान की परंपरा बनी रही थी और लोगों ने मान लिया था कि एक बार कांग्रेस, एक बार बीजेपी, एक बार कांग्रेस, एक बार बीजेपी। अब राजस्थान ने फैसला कर लिया है फिर एक बार बीजेपी। मैं विश्वास दिलाता हूं...आप इस संकल्प को लेकर के जाइए...हर बूथ कमल बूथ, हर बूथ सबल बूथ, मेरा बूथ सबसे मजबूत। मैं नहीं मानता हूं अगर हम बूथ जीत गएं तो चुनाव हारने के लिए कोई रास्ता नहीं है और बूथ जीत गए तो भाइयो-बहनो, चुनाव  जीतना पक्का होता है। और इसलिए देखिए, प्रकृति भी हमारा साथ देने के लिए आई है; विजय की आंधी भी चल पड़ी है राजस्थान की धरती में। जब धरती माता आशीर्वाद देने आती है तो विजय निश्चित हो जाती है और उस विजय को लेकर के आगे बढ़ें, पूरे संकल्प को साकार करने के लिए चल पड़ें।

मेरी तरफ से आप सबको बहुत-बहुत शुभकामना है।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!