This Time It Will Be ‘Vijay Ki Holi’ In Uttar Pradesh: PM Modi

Published By : Admin | February 23, 2017 | 14:35 IST
Congress has been completely sidelined by the people. From nowhere news about their win comes: PM
Murderers and goons have flourished in UP due to political patronage: PM Modi
Welfare of sugarcane farmers is of utmost importance for the BJP Government: PM Modi
Our fight is against corruption and holders of black money. Protection of the rights of small and medium traders is our responsibility: PM

भारत माता की जय। भारत माता की जय। मंच पर विराजमान संसद में मेरे साथी सुश्री सावित्री बाई, बहराइच जिला अध्यक्ष श्यामकरण जी टेकरीवाल, राष्ट्रीय मंत्री श्री महेन्द्र सिंह, संसद में मेरे साथी श्री बृजभूषण सिंह, श्री ददन मिश्रा, किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय पाल सिंह, श्रीमान महाराज कुंवर तिवारी जी, गोविन्द पांडे जी, यमुना प्रसाद चतुर्वेदी जी, श्रीमान ब्रजबहादुर जी, श्रीमान पद्मसेन चौधरी जी, श्रीमान राजा वर्मा जी और इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार श्रीमान मुकुल बिहारी वर्मा जी, बहराइच से श्रीमती अनुपम जायसवाल, प्रयागपुर से श्रीमान सुभाष त्रिपाठी जी, महसी से श्रीमान सुरेश्वर सिंह, भिनगा से श्रीमान अलक्षेंद्र कांति सिंह, मटेरा से श्रीमान अरुणवीर सिंह, श्रावस्ती से श्रीमान रामकरण पान्डे जी, नानपारा से श्रीमती माधुरी वर्मा जी, बलहा से श्रीमान अक्षवरलाल गौड़ जी और विशाल संख्या में पधारे हुए बहराइच के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों। मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए। भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्यवाद।

मैं सबसे पहले आप सबसे क्षमा मांगना चाहता हूं, क्योंकि मुझे 2016 दिसंबर में आपके बीच आना था, लेकिन मैं आया फरवरी में। क्योंकि उस समय इतना कोहरा था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। ऊपर चक्कर काटके लौट गया था, लेकिन अब सबकुछ साफ हो गया है, चारों तरफ भाजपा की आंधी दिखाई दे रही है और उस समय आप लोगों ने इतनी मेहनत की, आशीर्वाद देने इतनी बड़ी संख्या में आए। मैं पहुंच नहीं पाया था।  टेलीफोन पर जो बात करने की कोशिश की लेकिन उसमें भी कई रुकावटें आईं, लेकिन आज मेरा सौभाग्य है कि आपके आशीर्वाद रूबरू में आकर लेकर के अपने आपको धन्य अनुभव कर रहा हूं। मैं दूर-दूर तक देख रहा हूं, पीछे शायद रास्ता है इतनी बड़ी मात्रा में लोग ...।

भाइयों-बहनों।

उत्तर प्रदेश में, इस चुनाव अभियान में मुझे जहां-जहां जाने का अवसर मिला है, ऐसा जनसैलाब देखा है, परिवर्तन का दृढ़ संकल्प देखा है, हर प्रकार के प्रलोभनों से दूर, हर प्रकार की धमकियों के सामने डटे हुए। उत्तर प्रदेश का भला करने के लिए, उत्तर प्रदेश की भावी पीढ़ी का जीवन सुरक्षित करने के लिए, आज पूरा उत्तर प्रदेश एक होकर के कमल खिलाने में लगा हुआ है, मैं उनका ह्रदय से आभारी हूं।

भाइयों- बहनों।

तीन चरण के चुनाव पूरे हो चुके। आज चौथे चरण का भी कुछ घंटों के बाद मतदान पूर्ण हो जाएगा। भारी मात्रा में मतदाताओं ने मतदान किया, भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में किया, मैं इसलिए जिन-जिनका मतदान हो चुका है, उनका भी हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

भाइयों-बहनों।

हम सब लोकतंत्र में सरकार बनाते हैं। जब सरकार बनाती है तो जनता-जनार्दन के कुछ सपने होते हैं। राजनीतिक दलों के कुछ वादे होते हैं, कुछ इरादे होते हैं लेकिन पांच साल के बाद हर किसी को अपने काम का हिसाब देना होता है। लोगों के बीच में जा जाकर के पांच साल में क्या काम हुआ, कहां हुआ, कितने पैसे लगे, कहां लगे, इसका पाई-पाई का हिसाब देना होता है।

भाइयों-बहनों।

चुनाव आधा पूरा होने आया है लेकिन मैं हैरान हूं। उत्तर प्रदेश सरकार के कोई मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश की जनता को अपने काम का कोई हिसाब नहीं दे रहे हैं, उत्तर नहीं दे रहे हैं। बताइए भाइयों- बहनों। उत्तर दे रहे हैं ...? उत्तर दे रहे हैं क्या ...? उन्होंने जो वादे किए, वादे पूरे किए क्या ...और आज भी किसी प्रकार के संकोच के बिना, शर्म के बिना, टीवी पर आकर के कह रहे हैं कि काम बोलता है। पुराने जमाने में, एक ऐसे नगर में, एक नगरसेठ रहा करते थे, उनका भी ऐसा ही एक कुनबा था, बड़ा परिवार था, उस जमाने में उनके पास एक कार थी। अब जब कार चलती थी तो गांव वाले कहते थे एक कार ऐसी है जिसका हॉर्न के सिवाय सब कुछ बजता है। जो बजना चाहिए, नहीं बजता था। जो नहीं बजना चाहिए, वो बजता था। इनकी भी सरकार ऐसी है काम नहीं बोलता है, करनामे बोलता है। अरे जब उत्तर प्रदेश के गांव में गाड़ी चलाते हो। तो काम नहीं बोलता है। रोड नहीं बोलता है। उस पर चलने वाले ट्रक के टायर बोलते हैं।

भाइयों-बहनों।

उनको उत्तर प्रदेश के भविष्य की चिंता नहीं है। अभी कुछ दिन पहले उन्होंने कहा कि हमने दिल बड़ा करके समझौता किया है। क्यों....तो हमारे परिवार में सब बड़े-बड़े लोग, हमें हराने के लिए मैदान में आ गए थे तो हमें लगा समझौता करेंगे तो बच जाएंगे। यह मुख्यमंत्री जी ने कहा है और कहते हैं दिल बड़ा करके किया है। अखिलेश जी दिल बड़ा नहीं हुआ, ये तो दिल कड़ा करना हुआ। मजबूरन हुआ है। आप ने ही स्वीकार किया है। ये आपको बचा पाएंगे क्या ...। आज कांग्रेस की कहीं पर भी बचने कि खबर आती है क्या ...। अभी दो दिन पहले उड़ीसा के नतीजे आये, कांग्रेस साफ हो गई। आज महाराष्ट्र के नतीजे आ रहे हैं, कांग्रेस नजर ही नहीं आती है। अखिलेश जी वो तो डूबे , तुम्हें भी ले डूबे सनम। अब आप बच नहीं सकते। उत्तर प्रदेश की जनता ऐसे अवसरवादी गठबंधनों को कभी स्वीकार नहीं करती है। जो लोग यात्रा निकाल कर दो महीने पहले गांव-गांव जाकर के कहते थे, 27 साल यूपी बेहाल।...और अचानक आप उनको गले लग गए। 27 साल यूपी बेहाल कहने वाले और सत्ता के दरमियान यूपी को बेहाल करने वाले। ये कहने वाले और ये करने वाले मिल गए हैं। अब उत्तर प्रदेश का हाल क्या होगा? इसका आप अंदाज लगा सकते हैं।

भाइयों-बहनों।

चुनाव में आरोप-प्रत्यारोप होते हैं। अपने विरोधियों की आलोचना होती है। तीखी से तीखी आलोचना होती है और स्वभाविक भी है। और हम भी ऐसी हर आलोचना को उतने ही प्यार से लेते हैं लेकिन मैं हैरान हूं। अखिलेश जी, मोदी पर हमला करो, समझ सकता हूं, भाजपा पर हमला करो समझ सकता हूं, लेकिन बेचारे गधे के ऊपर, आपको गधे का भी डर लगने लगा है क्या ...। वो तो सैकड़ों किलोमीटर दूर है, आप इतने घबराते काहे हो, और मैं हैरान हूं। ये आपकी जातिवादी मानसिकता, ऊंच-नीच का भाव देखने वाली मानसिकता, ये पशु में भी ऊंच-नीच का भाव देखने लग गयी। गधा आपको इतना बुरा लगने लग गया। बहुत स्वभाविक है आपकी सरकार तो इतनी एफिसिएंट है इतनी एफिसिएंट है कि किसी की भैंस खो जाए तो पूरी सरकार खोजने के लिए लग जाती है, यही तो आपकी सरकार कि पहचान है, लेकिन अखिलेश जी, आपको पता नहीं है गधा भी हमें प्रेरणा देता है, गधा भी हमें प्रेरणा देता है, अगर दिल-दिमाग साफ हो तो प्रेरणा ले भी सकते हो, गधा अपने मालिक पे वफादार होता है, गधा, अपना मालिक जितना काम ले उतना  करता है और कम से कम खर्चे वाला होता है, कम से कम खर्चे वाला होता है।

भाइयों-बहनों।

गधा कितना ही बीमार हो, कितना ही खाली पेट हो, कितना ही थका हुआ हो, लेकिन मालिक अगर उस पर से काम लेता है तो सहन करता हुआ भी अपने मालिक का दिया काम पूरा कर के रहता है। अखिलेश जी, ये सवा सौ करोड़ देशवासी मेरे मालिक हैं, वो मुझसे जितना काम लेते हैं मैं करता हूं उतना काम करता हूं, बिना छुट्टी लिए करता हूं, थक जाऊं तो भी करता हूं, कभी भूखा रहा तो भी करता हूं क्योंकि गधे से प्रेरणा लेता हूं और बड़े गर्व से लेता हूं ताकि इन सवा सौ करोड़ मेरे देशवासियों के लिए गधे से भी ज्यादा मजदूरी कर के उनके लिए काम आऊं, इस गौरव के साथ काम करता हूं। और गधा, उसकी पीठ पर चीनी हो या उसके पीठ पर चूना हो, गधा कभी भेद नहीं करता है। चीनी हो तो ज्यादा चलना, चूना है तो नहीं चलना ये गधे का स्वभाव नहीं होता है, वो तो उन लोगों का होता है जो भ्रष्टाचार में डूबे होते हैं किस रंग का नोट टेबल पर आ रही है।  उस रंग के हिसाब से काम करते हैं, गधा ऐसा नहीं करता है। और अखिलेश जी, जिन गुजरात के गधों को, उन गधों पर आपको इतनी नफरत है लेकिन वही गुजरात है जिसने दयानंद सरस्वती को जन्म दिया था, वही गुजरात है जिसने महात्मा गांधी को जन्म दिया था, वही गुजरात है जिसने सरदार वल्लभ भाई पटेल को जन्म दिया था, अरे वही गुजरात है भगवान कृष्ण ने यहां से जाकर कर के वहां रहना, बसना पसंद किया था और इसलिए अखिलेश जी, ये देश हमारा है, हर कोना हमारा है ये नफरत का भाव आपको शोभा नहीं देता है।

भाइयों-बहनों

अखिलेश जी, के अज्ञान के संबंध में तो मैं क्या कहूं, लेकिन अच्छा होता कि जिनको आपने गले लगाया है उनको भी जरा गौर से देखते, उनको भी जरा समझने का प्रयास करते, आपको पता होना चाहिए। जिनको आपने गले लगाया, उनकी जब सरकार थी, यूपीए की सरकार थी, जिनके गले लग कर आप लोगों से वोट मांग रहे हो उस यूपीए की सरकार ने 2013 में इसी गधों का पोस्टल स्टांप निकाला था। यूपीए की सरकार ने इन्हीं गुजरात के गधों का डाक टिकट निकाला था, डाक टिकट निकाला था। अखिलेश जी, वो गधा कितना होनहार होगा, वो गधा कितना महत्वपूर्ण होगा, ये अब आपको समझ में आ गया होगा।

भाइयों-बहनों।

मैं हैरान हूं, उत्तर प्रदेश जो पूरे हिन्दुस्तान को मीठा कर देता है, मेरा किसान जो गन्ना पैदा करता है वो गन्ने का किसान, इसी बहराइच की सभा में मैंने कहा था लोकसभा के पहले, की गन्ना किसानों का जो बकाया है हमारी सरकार आने के बाद पुराना बकाया हम पूरा कर देंगे। 32 लाख किसानों के खाते में सीधे पैसे जमा कर दिए और वो बकाया हमने पूरा कर दिया, क्या कारण है कि उसके बाद गन्ना किसानों के पैसे नहीं देते हैं, उन चीनी खारखाने वाले से आपका क्या रिश्ता-नाता है कि उन गन्ना किसानों कि सुनवाई तक नहीं होती है। ये मैं पूछना चाहता हूं।

भाइयों-बहनों।

मैं भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश की इकाई को हृदय से बधाई देता हूं कि उन्होंने कहा है कि 11 मार्च को चुनाव के नतीजे आएंगे, 13 मार्च को पूरा हिन्दुस्तान होली के रंग में रंग जाएगा। ये विजय की होली होगी और उसके बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार का गठन होगा और भारतीय जनता पार्टी के मेनिफेस्टो में वादा किया है कि सरकार बनने के बाद जो पुराना बकाया है वो जल्दी से जल्दी लौटा दिया जाएगा और आगे से गन्ना किसानों का भुगतान 14 दिन में करने की परमानेंट व्यवस्था कर दी जाएगी। ये काम हमने किया।

भाइयों-बहनों।

मैं भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश को इसलिए भी बधाई देता हूं कि उन्होंने छोटे किसान, उनके फसल का, उन पर जो कर्ज है, वो कर्ज माफ करने का वादा किया है। मेरे बहराइच के भाइयों-बहनों। आपको पता है, मेरा बहराइच से नाता कितना गहरा है। मैं पहले भारतीय जनता पार्टी के संगठन का काम करता था और संगठन का कार्य करते-करते यहां उत्तर प्रदेश में मेरा दौरा चल रहा था। संगठन के काम के लिए और मेरा यहां हर जिले में जाने का कार्यक्रम था। मैं बहराइच पहुंचा, संगठन की मीटिंग ले रहा था, अचानक अटल जी का संदेश आया तब वो प्रधानमंत्री थे कि भई अब जरा तुम वापस लौट आओ। मैं यहां सारा कार्यक्रम बना करके बैठा था यहीं से मुझे वापस जाना पड़ा और बहराइच में भारतीय जनता पार्टी के संगठन महासचिव के नाते मेरी आखिरी मीटिंग हुई। और यहां से जाने के तुरंत बाद मुझे मुख्यमंत्री के रूप में काम करने की जिम्मेवारी आ गई। संगठन के कार्य में बहराइच मेरा आखिरी कार्यक्रम हुआ था और बाद में गया दिल्ली कुछ काम में रहा, दो दिन बाद अटल जी से मिला। मुझे नई जिम्मेवारी आ गयी। तो बहराइच हमेशा मुझे याद रहेगा, उस बहराइच में जब आया हूं।

भाइयों-बहनों।

मैं यूपी का सांसद भी हूं और ये यूपी है जिसने इतना भारी समर्थन दिया, इतना भारी समर्थन दिया कि पूर्ण बहुमत के साथ प्रधानमंत्री के रूप में मुझे सेवा करने का सौभाग्य मिला। भाइयों-बहनों। यूपी के सांसद के नाते मैं बहराइच के भाइयों और बहनों को वादा करता हूं कि भारतीय जनता पार्टी कि सरकार गठन के तुरंत बाद जब उसकी पहली मीटिंग होगी। यूपी के सांसद के नाते मैं यह देखूंगा, कि पहली ही मीटिंग में किसानों की कर्ज माफ करने का निर्णय हो जाए।

भाइयों-बहनों।

यह हमारा बहराइच ब्रह्मा से जुड़ा हुआ लेकिन आज उसकी पहचान बन गई है खनन माफिया, खदान माफिया, रेत माफिया, बालू माफिया, शिक्षा माफिया, पानी और वन्य संपत्ति का भी माफिया। कैसा करके रख दिया भाई। यह ब्रह्मा की भूमि बस लूट-खासोट की भूमि बना ली। भाइयों- बहनों। ये बंद होना चाहिए कि नहीं बंद होना चाहिए ...। ये सब बंद होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...। सब चीज कानून से चलनी चाहिए कि नहीं चलनी चाहिए ...? और ये सब रोका जा सकता है, ऐसा नहीं है कि नहीं रोका जा सकता है ...। आज तो टेक्नोलोजी और वैज्ञानिक की ताकत इतनी है, कि खनन माफियाओं को एक मिनट के अंदर पकड़ा जा सकता है, उनको सीधा किया जा सकता है। लेकिन भाइयों -बहनों, जो निर्णय करते हैं वही माफिया के रेंगें-रेंगें, तो कौन बचाए जी। पानी ही आग लगा दे तो क्या होगा जी, भाइयों-बहनों मैंने सुना कुछ दिन पहले यहां पर महिलाओं के स्वास्थ्य में भी काफी बेईमानी कि खबरें आयी हैं। कहते हैं कि 65 साल कि महिला, उसको तीन बार या शायद पांच बार प्रसूता दिखा कर के पैसे मार लिए गए। बताओ चोरी करने में भी कोई हद पार कर दी इन लोगों ने। ये कैसा काम करते हैं, ये दोनों को देखिए जी, ये दोनों जो मिलके चल रहे हैं न, वोट मांग रहे हैं। ये हमारे बहराइच में सरयू नहर परियोजना श्रीमती इंदिरा गांधी थीं, तब 1978 में सरयू नहर परियोजना का शिलान्यास हुआ था, आज करीब 40 साल होने आये, 40 साल।

भाइयों-बहनों।

यही लोग सरकार चलाते थे, दिल्ली में भी यही चलाते थे, उत्तर प्रदेश में भी यही चलाते थे, लेकिन आपकी ये परियोजना पूरी नहीं हुई। भाइयों-बहनों, सत्ता में आने के तुरंत बाद हमने तय किया है। इस परियोजना का सम्पूर्ण काम हम पूरा कर देंगे, और उसके लिए हमने फंड राशि भी अलौट कर दी है अगर काम करना है तो कैसे होता है इसका नमूना है। भाइयों-बहनों। 2015 में हमने निर्णय कर लिया था और उसको 78 करोड़ की योजना जो आज 10 हजार करोड़ की योजना बन गयी है और 12 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने उसकी ताकत है ताकि किसानों का भाग्य बदले, इस काम को हम करना चाहते हैं। भाइयों-बहनों। यूपी में कानून व्यवस्था चौपट हो चुकी है, आज उत्तर प्रदेश में, उजियारे में भी, सूरज तपता हो तब भी अकेली बहन-बेटी घर के बाहर जा सकती है क्या.....? जा सकती है क्या ? रात के अंधेरे में तो कल्पना ही नहीं कर सकते हैं।

भाइयों-बहनों।

राम-कृष्ण की इस धरती पर बहन-बेटियों का जीना इस प्रकार से मुश्किल करने वाले लोग कौन हैं ...। कौन हैं ये लोग ...। हर थाने को समाजवादी पार्टी का दफ्तर बना दिया है और बेचारा छोटा हवालदार, वो क्या करेगा। अगर वो सत्य के रास्ते पर चलना चाहेगा तो लखनऊ से हुक्म आ जाएगा, उसकी तो नौकरी चली जाएगी, ये काम कर रहे हो ...। भाइयों-बहनों। ये ऊपर से नीचे, इनका चरित्र में ही समस्या है, समाज के प्रति एक दायित्व होता है। ऐसा कैसा चरित्र कि सरकार, सरकार चलती चले, जैसी चले वैसी चले, लोगों का जो होता है होता रहे क्या ये चरित्र होता है क्या ...।

भाइयों-बहनों।

हमारे यहां लोग शुभ काम करते है तो गायत्री मंत्र का जाप करते हैं, लेकिन ये दो लोग ऐसे हैं कि चुनाव अभियान कर रहे हैं तो गायत्री प्रजापति का मंत्र जपते हैं। अब जो गायत्री प्रजापति के मंत्र जपते हों, जिन पर गंभीर से गंभीर आरोप लगते हों, एफआईआर लॉज होने के बाद उनको एरेस्ट करने के बजाय उनके लिए वोट मांगने के लिए आप जाते हो। भाइयों-बहनों, जिनको कोई डर नहीं है लोगों का, जनता-जनार्दन का डर नहीं बचा है ऐसे लोग सत्ता में रह कर के जनता को कुचल देते हैं, जनता के अरमानों को कुचल देते हैं ऐसे लोगों को सत्ता पर आने का कोई हक नहीं बनता है।

भाइयों-बहनों।

आप मुझे बताइए। भाइयों-बहनों। नौजवानों को पलायन क्यों करना पड़ रहा है ...। क्या हमारे देश का नौजवान अपने बूढ़े मां-बाप के साथ अपनी जिंदगी गुजारना चाहता है कि नहीं ...। अपने खेत-खलिहान, यार-दोस्त उनके बीच रहना चाहता है कि नहीं रहना चाहता है ...। लेकिन बूढ़े मां-बाप को पेट भरने के लिए उसे गांव छोड़ कर के शहरों की गंदी बस्ती में जिंदगी गुजारना पड़ता है, क्योंकि जनपद के अंदर जो विकास होना चाहिए। रोजगार के जो अवसर मिलने चाहिए उस पर उपेक्षा की जाती है, अगर कानून-व्यवस्था ठीक नहीं होगी तो कोई उद्योग, धंधा, करखाना लगाने के लिए नहीं आएगा, वो डरेगा, माफिया को कैसे पालेगा ...। और इसलिए भाइयों-बहनों। अगर यहां कानून व्यवस्था ठीक होती है तो उद्योग, रोजगार की भी संभावना बढ़ती है, उधोग, रोजगार की संभावना बढ़ती है। तो उत्तर प्रदेश के मेरे नौजवान के रोजगार की भी संभावना बढ़ जाती है, उसको अपना जनपद छोड़कर के, गांव छोड़ कर के, अपना बूढ़े मां-बाप को छोड़ कर के शहर की गंदी बस्ती में जीने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता है।

इसलिए भाइयों-बहनों।

हमारा मकसद है विकास और हम जब विकास कि बात करते हैं तो हमारे दिमाग में साफ है भाइयों-बहनों। हम बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते हैं असमान में से तारे तोड़ के लाने की बात नहीं करते हैं सीधी-सीधी बात करते हैं। हम जब विकास की बात करते हैं तो हम कहते हैं, किसान को सिंचाई मिले, बालकों को पढ़ाई मिले, युवकों को कमाई मिले, बुजुर्गों को दवाई मिले।

भाइयों-बहनों।

समाज के हर तबके के लोगों को, आप हैरान होंगे। ये गरीब-गरीब के नारे लगाने वाली सरकारें हैं। हमारे यहां दवाइयां कितनी महंगी थी और दवाई का दाम कम करने की इनमें हिम्मत नहीं थी, सरकार बनने के बाद हमने इसके पीछे काम लगाया, हमने कहा गरीब आदमी बीमार होता है तो उसका उसका पूरा परिवार परेशान हो जाता है, आर्थिक रूप से टूट जाता है,  बीमारी में उसको कर्ज करना पड़ता है उस कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए ...। दवाई महंगी नहीं होनी चाहिए, हमने आठ सौ दवाइयों की सूची बनाई जो सामान्य मानकों के विशिष्ट बीमारी में काफी महंगी पड़ती है। हमने दवाई बनाने वालों को बुलाया। हमने कहा भाई, ये गरीब आदमी इतनी महंगी दवाई नहीं ले सकता है मर जाएगा। वो दवाई से ही मर जाएगा, कम करो, मानते नहीं थे, एक मीटिंग-दो मीटिंग, पांच मीटिंग पूरी, हर चीज का बारीकी से हिसाब लिया, क्या जाता है कितना खर्चा होता है, कितनी मेहनत होती है, कितना लाइट का खर्चा, ट्रांस्पोर्टेशन का खर्चा, पैकैजिंग का खर्चा, सब निकाला।

और भाइयों-बहनों।

महत्व की जो आठ सौ दवाइयां है उसके दाम हमने कम कर दिए, जो दवाई, कैंसर की जो दवाई तीस हजार रुपये में मिलती थी वो आज तीन हजार में देने के लिए मजबूर कर दिया। जो दवाई 80 में मिलती थी वो 7 रुपया में देने का हमने नियम बना दिया। गरीब की सेवा ऐसे होती है भाइयों। अगर सरकार गरीब के लिए काम करना चाहती है तो बहुत रास्ते होते हैं। हमारे देश में हृदय रोग की बीमारी बढ़ती जा रही है और जब हृदय रोग की बीमारी होती है तो पता तो चलता नहीं है, अंदर क्या हो हुआ है। डॉक्टर भी कहता है कि बचना मुश्किल है, नली के अंदर छल्ला डालना पड़ेगा, छल्ला। स्टेंट डालना पड़ेगा। अब वो बेचारा जीवन और मृत्यु के बीच में खड़ा है। डॉक्टर कहता है ये देसी छल्ला डालोगे तो 45 हजार रुपया लगेगा और देसी छल्ला डालोगे तो 5-7 साल तो निकल जाएंगे। बाद की बात बाद में, और ये विदेशी छल्ला है, ये लगाओगे तो सवा लाख-डेढ लाख रुपया होगा, लेकिन जिंदगी में कभी मुसीबत नहीं आएगी, अब गरीब आदमी भी सोचता है कि अच्छा होगा डेढ़ लाख वाला लगा दो। मकान गिरवी रख देगें, जमीन गिरवी रख देगें, गहने गिरवी रख देंगे। लेकिन जिंदगी तो बच जायेगी। डेढ़ लाख का छल्ला लगवा देता है। मैंने जरा जांच-पड़ताल शुरू की। मैंने कहा कि ये छल्ले के पीछे खर्चा कितना होता है जरा निकालो भाई, कंपनी वालों को बुलाया, बनाने वालों को बुलाया, माल पहुंचाने वालों को बुलाया, सारा हिसाब-किताब लगाया और पिछले हफ्ते हमने ऑडर कर दिया कि 45 हजार का जो छल्ला है वो 7 हजार में ही बिकेगा उससे ज्यादा नहीं ले सकते। और डेढ़ लाख का छल्ला है वो 25-27 हजार रुपये से ज्यादा नहीं ले सकते। गरीबों को लूटने का को आपको हक नहीं है।

भाइयों-बहनों।

सरकार, सरकार गरीब के लिए होती है अब आप मुझे बताओ अगर मैं छल्ले बनाने वालों का मुनाफे पर ताले लगा दूं। दवाई बनाने वालों के मुनाफे पर ताले लगा दूं, चोरी रोक लूं, तो सब नाराज होंगे कि नहीं होंगे ...। नाराज होंगे कि नहीं होंगे ...। गुस्सा करेंगे कि नहीं करेंगे ...। षड़यंत्र करेंगे कि नहीं करेंगे ...। भाइयों-बहनों। गरीब के लिए, काम के करने के लिए मुझे रूकना चाहिए ...?, जरा भी रूकना चाहिए क्या ...? ऐसे लोगों से डरना चाहिए क्या ...? रास्ते पर आगे बढ़ना चाहिए की नहीं बढ़ना चाहिए ...। अरे हमारे देश का गरीब, हमारे देश का मध्यम वर्ग उसी की मेहनत से तो देश आगे बढ़ रहा है और ये सरकार भी उन्हीं के काम करने लिए प्रतीबद्ध है। धन्ना सेठों के काम करना ये उनको मुबारक है। हमें तो गरीबों के लिए काम करना है और हम कर के रहते हैं।

भाइयों-बहनों।

भ्रष्टाचार, कालाधन ये ऐसी जुगलबन्दी है, भ्रष्टाचार और कालेधन ने एक-दूसरे को ऐसे गले लगाया है। ऐसे गले लगाया है जब तक भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा, जबतक कालाधन खत्म नहीं होगा, भ्रष्टाचार का चक्र बन्द नहीं होगा। और इसलिए हमारी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बहुत बड़ी लड़ाई छेड़ी है, 8 तारीख को रात को 8 बजे नवम्बर महीने में दीवाली के बाद टीवी पर आकर के मैंने कहा, मेरे प्यारे देशवासियों और 500-1000 की नोट, 70 साल से इक्कठी कर के रखी थी सब लोगों को लगा कि अब ये बैंक में जमा किये बिना कोई चारा नहीं, एक-एक पाई बैंक में जमा करने के लिए मजबूर कर दिया। लूट का माल था, वो खजाने में डालना पड़ा अब सरकार बराबर जांच कर रही है किसका है, कहां से आया है, कैसे आया।

भाइयों-बहनों।

देश को लूटने का किसी को हक नहीं है और मैं छोटे व्यापारी को कहना चाहता हूं। मेरा छोटे व्यापारियों से कोई झगड़ा ही नहीं है जी, मान लीजिए, छोटे व्यापारी ने गलती की होगी तो क्या की होगी, 80 रुपये का माल 90 रुपये में बेचा होगा, 50 रुपये का माल 55 में बेचा होगा कुछ ज्यादा मुनाफा खाया होगा, सरकार को उसने अपना हिसाब देना है तो 100 का हिसाब देने के बजाय उसने 80 का दिया होगा। 20 रुपया का नहीं दिया होगा लेकिन भाइयों-बहनों। देश की मुसीबत तो उन लोगों ने पैदा किए हैं, जो पद पर बैठे हैं और पद पर बैठकर के लोगों को लूटा है। कागज पे साइन करने के लिए लूटा है। बड़े-बड़े नेताओं ने लूटा है, बड़े-बड़े बाबुओं ने लूटा है। मेरी लड़ाई उनके खिलाफ है। फाइल, फाइल एक जगह से दूसरे जगह ले जाने के अगर पैसे लिए हैं तो उससे बड़ा जनता के साथ कोई द्रोह नहीं है वो सब निकाल के रहने वाला हूं, भाइयों बहनों। और मुझे इस काम के लिए आपका आशीर्वाद चाहिए भाइयों। भ्रष्टाचार को खत्म कर के देश के गरीबों के गरीबों के कल्याण के लिए काम करना है और मैंने देशवासियों को वादा किया है। 70 साल जिन्होंने देश का लूटा है वो मैं गरीबों को लौटा के रहूंगा, ये काम करने के लिए निकला हूं भाइयों- बहनों।

भाइयों- बहनों।

इस चुनाव में अब मतदान पास में है। भारी मात्रा में मतदान कीजिए, भारतीय जनता पार्टी को विजय बनाइए। उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत से मजबूत स्थिर सरकार बनाइए, कानून व्यवस्था को पुन: स्थापित कीजिए, माफिया से मुकाबला करने की ताकत दीजिए। आप देखिए आप उत्तर प्रदेश को जैसा चाहते हैं वैसा बनाने की दिशा में हम चल पड़ते हैं कि नहीं चल पड़ते हैं। इसी विश्वास के साथ, मेरे साथ पूरी ताकत के साथ बोलिए। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्यवाद भाइयों।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!