अर्णव गोस्वामी- रिपब्लिक नेटवर्क, रिपब्लिक टीवी, रिपब्लिक भारत, रिपब्लिक कन्नड़, और रिपब्लिक बांगला के सारे दर्शकों की ओर से बहुत-बहुत धन्यवाद। आज ये मौका मिला है हमें थर्ड और फोर्थ फेज कैंपेनिंग के बीच में आपसे बात करने के लिए तो कोशिश करेंगे जितना कवर करें पर पहले तो बहुत-बहुत धन्यवाद आपकी इतनी बिजी शेड्यूल में आपने हमें समय दिया है आज।

पीएम मोदी- आपके सभी दर्शकों को भी और आपकी टीम को भी मेरा बहुत-बहुत नमस्कार। ये चुनाव हम राजनेताओं के लिए तो दौड़ धूप का होता है लेकिन शायद मीडिया जगत में इसमें भी टीवी मीडिया के लिए तो सबसे ज्यादा दौड़ धूप का समय होता है लेकिन मुझे अच्छा है कि आपके कई राज्यों से जुड़ी हुई आपकी चैनल होने के कारण मुझे कईयों के साथ एक प्रकार से आज संवाद करने का अवसर मिल रहा है मैं सबको नमस्कार करता हूं।

 

अर्णव गोस्वामी- धन्यवाद प्रधानमंत्री जी पहला सवाल ये है कि आपने वेमागिरी आंध्र-प्रदेश में और उसके बाद बंगाल में भी आपने कहा है और इस बात को बहुत नोट की गई कि आप जो गरीबों का पैसा, जो भ्रष्टाचारियों ने लूटा है आप एक कानूनी सलाह ले रहे हैं कि इसको कैसे वापस लौटाया जाए और ये अगर ऐसी कोई स्कीम हो तो शायद दुनिया भर में पहली बार होगा। इस पर अगर आप थोड़ा सा डिटेल में हमें समझाएं।

पीएम मोदी- अच्छा सवाल आपने पूछा है और मैं मानता हूं देशवासी भी जानना… क्योंकि पब्लिक मीटिंग में मैं इतना बोल नहीं पाता हूं।

 

अर्णव गोस्वामी- जी

पीएम मोदी- अब जैसे बिहार का मामला है जब लालू प्रसाद जी रेलवे मिनिस्टर थे तो उनका आरोप है कि जिन लोगों को नौकरी दी, बदले में जमीन ले ली है और मामला सीबीआई में चल रहा है। मतलब की प्रूफ आर अवेलेबल तो मेरा आग्रह रहेगा मैं वकीलों से सलाह ले रहा हूं कि जो बच्चे नौकरी पाने के लिए जमीन खोई है अपनी पैतृक संपत्ति है वो, मजबूरी में उन्होंने दे दी। मैं चाहूंगा कि जमीन उन बच्चों को वापस मिले। उसी प्रकार से आपने देखा होगा बंगाल में। बंगाल में सरकारी नौकरी की हर भर्ती का रेट कार्ड है। रेट कार्ड अवेलेबल है और उनके हर स्तर पर वो पैसा किसको कितना मिलेगा कहां जाएगा वो भी बांटने की व्यवस्था है। अब जो टीचर्स हैं जैसे, कुछ तो जेन्यूइन हैं तो उनको मदद करने के लिए ऑलरेडी हमने एक लीगल सेल बना दिया है जिनकी नौकरी चली गई है लेकिन जो बेईमानी से गए जिनके रिकॉर्ड ठीक नहीं थे लेकिन पैसे दिए हैं। तो ऐसे हमारे पास बहुत लोग हैं जिनके पैसे का ट्रेल है हमारे पास और पहले भी हम करीब 17000 करोड़ रुपया ऐसे जिनके लूटे गए थे उनको लौटा चुके हैं।

 

अर्णव गोस्वामी- उन्हीं को

पीएम मोदी- उन्हीं को, अब केरल में देखिए कोऑपरेटिव बैंक का इतना बड़ा स्कैम। अब वो तो मिडिल क्लास, लो फैमिली के पैसे हैं। बेचार ने जिंदगी भर मेहनत करके बैंक में पैसा रखा था ये कम्युनिस्ट पार्टी का वहां सारा बैंकों पर कंट्रोल है। उन्होंने अनाप-शनाप उन पैसों से व्यापार किया। पैसे डुबो दिए, लूट लिए अब वो उनका क्या? तो मैंने इनकी सारी की प्रॉपर्टी अटैच की हुई है, इन सारे नेताओं की भी, बैंक की भी। अब मैं उस पैसे को उन गरीबों के जो डूबे है, लौटाना चाहता हूं तो मैं लीगल एडवाइस लूंगा लेकिन ऐसे कई केसेस हैं जिसमें ट्रेल मिलता है कि हां इस आदमी ने इस काम के लिए इनको पैसा दिया।

 

अर्णव गोस्वामी- विक्टिम जो है एक्यूज है दोनों को जाना जाता है। ट्रेल भी है।

पीएम मोदी- ट्रेल भी है और इसलिए बड़ी आसानी से संभावना है। तो अब तक हम अलग-अलग विषय में 17 हजार करोड़ रूपये ये देश में नहीं दुनिया में भी शायद पहली घटना होगी। 17 हजार करोड़ रुपया हम वापस दें ऐसे ही। पर मैं तो ये चाहता हूं कि मीडिया ने इसकी चर्चा नहीं की वरना ये इतना बड़ा महत्त्वपूर्ण विषय है। क्योंकि चर्चा ये तो होती है चोरी होती है जो वो जेल चला गया लेकिन गरीब का क्या मैं गरीब को देना चाहता हूं।

 

अर्णव गोस्वामी- नहीं बहुत बड़ी सोच है। क्या आपको लगता है तीसरे कार्यकाल में आप ये कर पाएंगे राष्ट्रीय स्तर पर?

पीएम मोदी- ऐसा है मैंने किया तो एक सक्सेस स्टोरी है। एक्सपीरियंस है लेकिन हर चीज में लीगल एडवाइज लेनी पड़ती है। मैं हवा में गोली नहीं चला सकता, लेकिन 17 हजार करोड़ रुपये देने के कारण मेरा विश्वास है कि मैं दे पाऊंगा और दूसरा हमारे पास यानि की हमारी एजेंसी के पास करीब सवा लाख करोड़ रुपये जमा पड़े हैं जी लूटे हुए इनके। ये आप देखते होंगे टीवी पर नोट के पहाड़ के पहाड़ मिल रहे हैं। ये किसी के तो है ना और ये गरीब आदमी के ही होते हैं। मिडल क्लास फैमिली के होते हैं तो उनका हक है उनको वापस मिले।

 

अर्णव गोस्वामी- प्रधानमंत्री जी, अगर आप ये कर पाएंगे तो दुनिया की पहली ऐसी स्कीम होगी और ये बहुत नोट की जाएगी और एक स्टैंडर्ड बन जाएगी एग्जांपल बन जाएगी पूरे दुनिया के लिए और एक डर का माहौल भी बन जाएगा कोई अगर भ्रष्टाचार करे तो।

पीएम मोदी- देखिए एक तो हम तब कर सकते हैं जब हम पर कोई दाग नहीं होता है। हम खुद कहीं इस प्रकार में लिपटे नहीं होते हैं। तब बड़ी हिम्मत के साथ हम जाते हैं तो सामान्य मानवी को विश्वास होता है कि मोदी कह रहा है तो जरूर कुछ करेगा और मान लीजिए 10 में से उसको आठ पैसा मिला है वापस तो भी उसको लगेगा ठीक है मेरा। दो पैसा नहीं ले पाए लेकिन आठ लाने के लिए तो मोदी ने मेहनत की है। ये उसको मैसेज जाएगा।

 

अर्णव गोस्वामी- जी प्रधानमंत्री जी, भ्रष्टाचार से जुड़ा मेरा अगला सवाल है कि आप 2014 में जब सत्ता में आए तो आपने भ्रष्टाचार के खिलाफ जो आवाज उठाई थी उसके बेसिस पर आपकी लीडरशिप के बेसिस पर आपके गुजरात के ट्रैक रिकॉर्ड के बेसिस पर 10 साल हो गए हैं। प्रधानमंत्री जी, अब भी वो लड़ाई क्यों चल रही है पहली बात हम खत्म क्यों नहीं कर पाए इसको। दूसरी बात कि विपक्ष कहती है कि आईसीई इनकम टैक्स, सीबीआई और ईडी इनका दुरुपयोग किया जा रहा है और वो चाहते हैं वो कहते हैं कि क्या ये संभव है कि सिर्फ हमारे ही नेता भ्रष्ट हैं, क्या बीजेपी के कोई नेता भ्रष्ट नहीं है बीजेपी की सरकार में भ्रष्टाचार नहीं हो रही है तो इस पर अगर आप रिस्पॉन्ड करें।

पीएम मोदी- देखिए हमारे देश में चर्चा का रूप कैसे बदलता गया। पहले सभी राजनीतिक दल भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलना एक फैशन थी। लेकिन करना वही गोरखधंधे और सबके सामने बड़े सफेद दूध जैसे दिखाई दे रहा। जब से मैं आया हूं तो पोल खुलने लगी है कि ये जो बहुत बड़ी बड़ी बातें करते थे उन्हीं के हाथ पैर में गड़बड़ है। अब चीज सबूतों के साथ सामने आई है अब उनको लगा है कि हम भी जो उपदेश देते हैं भ्रष्टाचार खत्म होना, आप दे नहीं पाएंगे तो उनका बोलना बंद हुआ। बोलना बंद हुआ तो उनको लगता है कि पहले तो हम भी भ्रष्टाचार को गाली दे करके अपनी वो कर लेते थे अब वो कर नहीं पा रहे हैं। दूसरा कोई मुझे कहे भाई 2014 में मुझसे मीडिया क्या पूछता था कि भई 2014 में आप भ्रष्टाचार पर इतने आरोप लगा कर के आए एक्शन क्यों नहीं लिया। मुझे ये पूछा जाता एक्शन क्यों नहीं लिया। मैं किसी को बदला तो लेना नहीं चाहता था। मैं किसी का नुकसान नहीं करना चाहता था लेकिन मैंने सरकार में खुली छूट दी थी कि कानूनन तरीके से जो भी चीजें हैं बारीकी से वेरीफाई कीजिए और अगर मेरी पार्टी का होगा या किसी और पार्टी का होगा पॉलिटिकल होगा या नॉन पॉलिटिकल होगा, व्यापारी होगा या ब्यूरोक्रेट होगा, ड्रग माफिया होगा कि गन माफिया होगा हम किसी को नहीं छोड़ें। ये मैं मेरी अपनी टीम सरकार की सिस्टम को मेरे यही वाक्य होते हैं। उन्होंने अपना काम शुरू किया और मुझे गालियां सुननी पड़ रही थी। बड़ी-बड़ी बातें करते थे कुछ निकाला नहीं जैसे एक और मुख्यमंत्री हैं जो बहुत बड़ी बातें करते थे, शीला दीक्षित जी को कितनी गालियां दी थी, कितना बदनाम किया था और मैं व्यक्तिगत रूप से शीला जी का बहुत सम्मान करने वाले व्यक्तियों में रहा हूं, कांग्रेस के नेता थे लेकिन उन पर जो आरोप लगाए और जीवन के आखिरी दिन में जिस प्रकार से उनको बदनाम किया गया। मैंने उनको देखा है निकट से, ये बातें मेरे गले नहीं उतरती थी और इसलिए मैं सीरियस था कि रियलिटी क्या है और सरकार में आने के बाद मुझे सुविधा थी हम धीरे धीरे धीरे करते करते करते करते देखे तो 17 में 18 -19 बाद में धीरे-धीरे करके चीज अब जब सवा लाख करोड़ रुपया दिखता है, आपको अटैच आपको कैश के ढेर दिखते हैं उसके बाद आप कैसे कह सकते हो कि ईडी, सीबीआई गलत कर रही है। मान लीजिए पुलिस वाले ने किसी को खून से रंगे हुए चाकू के साथ पकड़ा है फिर आप कहेंगे कि ये पुलिस गलत है गलत आदमी को पकड़ा है कैसे गले उतरेगा। देश देख रहा है और इसलिए मैं मानता हूं, दूसरा मेरा अपना ट्रैक रिकॉर्ड है। इतने साल में रहा है। आपको याद हो मेरे यहां अमर सिंह चौधरी लीडर तो अपोजिशन थे। उनका ऑफिशियल बयान था कि भई मोदी जी पर हम बाकी सब करेंगे लेकिन हम उन पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा सकते। ये लीडर ऑफ अपोजिशन का और वो एक बार मुख्यमंत्री रह चुके व्यक्ति थे वो सामान्य व्यक्ति नहीं थे। उन्होंने ये कहा मोदी जी पर ऐसी बात नहीं कर सकता उनकी सरकार पर भी नहीं कर सकते ये उनका बयान था। एक बार गुजरात कांग्रेस के नेताओं ने मुझ पर आरोप लगाया कि मोदी के पास 250 पेयर कपड़े हैं तो उसी दिन मेरी पब्लिक मीटिंग थी तो मैं पब्लिक मीटिंग में बोला, मेरा सुना है कि हमारे कांग्रेस के मित्रों ने मुझ पर आरोप लगाया है। एक कि मेरे पास 250 पेयर कपड़े हैं मैंने कहा उसमें या तो दो गलत है या पांच गलत है लेकिन चलो मान लो मैं तो कहता हूं मैं पब्लिकली कहता हूं कि भाई ठीक है चलो उन्होंने कहा मान लेता हूं मेरे पास 250 पेयर कपड़े हैं। अब आप मुझे बताइए कि आपको कैसा मुख्यमंत्री चाहिए जिसके दामाद के पास 250 एकड़ लोगों की दबाई हुई जमीन है वो मुख्यमंत्री चाहिए कि 250 पेयर कपड़े वाला चाहिए। आपको 250 करोड़ रुपये विदेशी बैंक में जमा किया हुआ किसी रिश्तेदार का वो मुख्यमंत्री चाहिए कि 250 कपड़ा वाला चाहिए। पब्लिक बोल रही थी हमें 250 कपड़े वाला मुख्यमंत्री चाहिए तब से ऐस फार ऐस गुजरातीज कंसर्न कांग्रेस के लोगों ने मुझ पर ऐसे आरोप लगाने की गलती नहीं की।

 

अर्णव गोस्वामी- तो तीसरे कार्यकाल में ये भ्रष्ट जो हैं जिन पर कारवाई चल रही है और जो है अभी भी जिन पर हुई नहीं है उनके लिए क्या मैसेज है आपका..

पीएम मोदी- ऐसा है मेरा मैसेज मेरी सरकार का एक विजन स्टेटमेंट होता है। मेरा मैसेज मेरे व्यक्तिगत वैल्यू से जुड़ा होता है। मेरा मैसेज मेरे कमिटमेंट से जुड़ा होता है और इन तीनों विषय में मेरा एक कमिटमेंट है कि मेरे देश में ये बेईमानी का खेल बंद होना चाहिए। देश को आगे बढ़ना है तो और आज आपको संतोषजनक जिंदगी जीने के लिए ये चोरी लूट करने की जरूरत नहीं है जी। अब देखिए काला बाजारी धीरे-धीरे धीरे-धीरे विषय खत्म हो रहा है।

 

अर्णव गोस्वामी- रिलेवेंट हो रहा है

पीएम मोदी- जी लगभग वरना आज से 20 साल पहले 25 से 15 साल पहले काला बाजारी काला बाजारी आती थी। अब बहुत रेयर केस में कभी कालाबाजारी की बात आती है। जैसे कालाबाजारी की दुनिया से हम मुक्त हो रहे हैं वैसे ही भ्रष्टाचार से मुक्त हो सकते हैं ये मेरा विश्वास है। तो मैं न्यायाधीश तो हूं नहीं मैं सजा नहीं दे सकता हूं। न ही मैं पुलिस वाला हूं कि मैं अरेस्ट कर सकता हूं मैं सरकार को सूचना दे सकता हूं कि मेरी सरकार है उसका करप्शन के विषय में जीरो टॉलरेंस है।

 

अर्णव गोस्वामी- जीरो कंप्रोमाइज

पीएम मोदी- जीरो टॉलरेंस, कॉम्प्रोमाइज का तो सवाल ही नही उठता, मेरे दरवाजे पर दस्तक नहीं दे सकता है कोई कॉम्प्रोमाइज के लिए। लेकिन एक तो पहलू ये हो गया लेकिन दूसरा आपको मेहनत करके सलूशन भी देने पड़ते हैं। सिर्फ मैं उपदेश दूं और डंडा चलाते रहे लोग हमारी सरकार वाले इससे नहीं चलता है जैसे हमने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर करीब 35- 40 लाख करोड़ रुपया डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर में अभी 35- 40 लाख करोड़ रुपया अगर राजीव गांधी ने जो कहा था एक रुपया जाता है 15 पैसे पहुंचता है तो 40 लाख करोड़ का क्या हुआ होता भाई। नमक जितना भी नहीं पहुंचा होता आज। आज वो पूरा का पूरा पहुंचता है। एक रुपये निकलता है 100 पैसा पहुंचता है लेकिन वो रातों-रात नहीं हुआ मुझे जन धन अकाउंट खोलने के लिए, मैं हर दूसरे दिन बैंकों के साथ वीडियो कान्फ्रेंस करता था मेरे अफसरों की मीटिंग करता था कि गरीब का बैंक अकाउंट खुला के नहीं। फिर आधार, आधार भी देखिए इतनी पवित्र चीज और सभी सरकारों ने उसके साथ जुड़ी हुई थी लेकिन जब मेरी सरकार आगे बढ़ने लगी सुप्रीम कोर्ट में ऐसे अड़ंगे डाले ऐसे अड़ंगे डाले भांति- भांति उन्हीं लोगों ने डाले, पॉलिटिकल पार्टी के लोगों ने डाले। फिर मोबाइल डिजिटल इंडिया मेरी मूवमेंट तो आधार मोबाइल और जनधन अकाउंट ऐसे और ये मेरे मन में डिजाइन क्लियर बाद में नहीं आई। उसका आज परिणाम है कि ट्रांसपेरेंसी आई उसी प्रकार आप देखिए गरीब आदमी भी आज रेडी पटरी वाला भी क्यूआर कोड रखता है इवन मंदिरों में भी क्यूआर कोड मिलेगा मतलब फॉर्मल इकोनॉमी बढ़ रही है। ये जब बढ़ता है तब लीकेज का, करप्शन की संभावनाए बहुत कम हो जाती है। इवन इलेक्शन में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 20,000 तक आप ले सकते है कैश। मैंने कानून बनाकर इसको शायद ढाई हजार कर दिया। 2000- 2500 कर दिया क्यों.. कैश मैंने कम किया... फिर मैंने 2000 के नोट खत्म कर दिये। 1000 के नोट खत्म कर दिए। ये क्यों किया कि जो नोटों के बंडलों का खेल चल रहा है वो मुझे बंद करना है। यानि एक के बाद एक मैं कदम भी ले रहा हूं पॉजिटिवली तीसरा विषय है जैम पोर्टल मेरा गवर्नमेंट का। गवर्नमेंट को लाखों रुपए की चीजें खरीदनी पड़ती है लाखों करोड़ की खरीदनी पड़ती है वो जैम पोर्टल पे है। गरीब से गरीब आदमी अपनी चीज सरकार को बेच सकता है। कोई टेंडर की, ओपन है सब चीजें ओपन है। सारे चीजें ऑनलाइन ऑप्शन होने लगी तो ट्रांसपेरेंसी इतनी आई है तो सरकार ने भी पॉजिटिव चीजों पर जितना ज्यादा बल मिले, दे सकते हैं देना चाहिए तो हम दोनों तरफ काम कर रहे हैं।


अर्णव गोस्वामी- जी जी, प्रधानमंत्री जी राजनीतिक सवालों पर ये एक कांग्रेस पार्टी के निजी या कहें वरिष्ठ सलाहकार हैं गांधी परिवार के ये सैम पित्रोदा जी अब बहुत कुछ कह चुके हैं और गुस्सा भी है बहुत देश में, अब कल ही उन्होंने बात की लोगों के रंग को लेकर उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के लोग अफ्रीकन जैसे लगते हैं। उत्तर और पूर्वोत्तर के लोग चाइनीज लगते हैं। पश्चिमी भारत के लोग अरब हैं और एक तरह रेसिस्ट कॉमेंट है, बहुत रेसिस्ट कॉमेंट, इसके पहले उन्होंने इन्हेरिटेंस टैक्स की बात की जिस पर आपने रिस्पॉन्ड किया था स्पीच पर। तो ये सब जो बातें हैं। ये रेसिस्ट प्रोफाइलिंग अभी कांग्रेस पार्टी कहने की कोशिश कर रही है कि उनकी निजी बातें हैं। क्या आपको लगता है कि निजी बातें हैं कि एक तरह से उनकी जो अंदर की सोच है वो बाहर आ गई है।

पीएम मोदी- इसको अलग-अलग देखें, आप अर्नब है जी उनके हिसाब से मैं अरब हूं।

 

अर्णव गोस्वामी- नहीं मैं तो चाइनीज हूं उनके हिसाब से।

पीएम मोदी- नाम से आप अर्नब है और नॉर्थ के हिसाब से आप चाइनीज हैं।

 

अर्णव गोस्वामी- चाइनीज हूं।

पीएम मोदी- अब ये मुझे, मुझे याद है जी ये चीजें बहुत गहरी चोट पहुंचाती हैं, बहुत चोट पहुंचाती हैं और मैं उस समाज से आया हूं उस सामाजिक आर्थिक तबके से आया हूं तो मैंने ऐसे अपमान बहुत झेले हैं। इन कारणों से झेले हैं तो मुझे मालूम है ये कितना दर्द करेगा जब देश के लोग सुनेंगे तो और ये मुझे आइसोलेटेड नहीं लगता है। कल जरा तूफान ज्यादा हो गया तो उन्होंने सैम पित्रोदा से इस्तीफा ले लिया लेकिन उसके पांच दिन पहले उनका एक खुद का शहजादे का एक मीटिंग का रिपोर्ट देख लीजिए उसमें वो कहते हैं यानि वर्ग विग्रह यही उनके लिए रास्ता बचा है। पॉलिटिकल अचीवमेंट के लिए वर्ग विग्रह इनकी सोची समझी रणनीति, इसको लाइट ना लें देश के लोग। और इसको राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप के उसमें सीमा में बांध करके न रखें, एक गंभीर विषय है। उन्होंने कहा कि ये जो पेपर सेट करने वाले होते हैं अलग-अलग एग्जाम के नीट के, वगैरह वे सारे अपर कास्ट के लोग होते हैं और वो बहुत ही कम हैं वो ऐसे पेपर सेट करते हैं इसलिए तुम दलित, आदिवासी लोग ना पास होते हो। फिर उन्होंने उदाहरण क्या दिया कि अमेरिका में जब तक गोरे लोग पेपर सेटर थे तब तक काले लोग फेल होते थे जब से काले लोग पेपर सेटर बनने लगे, तो गोरे लोग फेल होने लगे। ये उदाहरण काले गोरे का और सप्ताह के बाद सैम पित्रादा का बयान दो अलग नहीं है। इसका मतलब उनकी जो भी कोर कमेटी की मीटिंग हुई होगी उसमें इस सारे विषयों की चर्चा हुई होगी। ये ठीक है, शहजादे की खुद की कुछ मर्यादा है इसलिए वो जितना बोलना चाहिए वो नहीं बोल पाते होंगे बाद में सैम पित्रोदा को पूरा करना पड़ा, जो वहां अधूरा रह गया वो उन्होंने पूरा किया लेकिन ये वेल प्लान्ड है। दूसरा इसी मिस्टर सैम पित्रोदा के लिए कांग्रेस पार्टी ने भी 15-20 दिन पहले ही एक ऑफिशियल स्टेटमेंट दिया हमारे बहुत वरिष्ठ व्यक्ति हैं, बहुत महत्त्वपूर्ण व्यक्ति हैं। लेकिन ये विषय में ऐसा ऐसा है। तो उन्होंने इनकी ओनरशिप ली थी। कल उन्होंने भाग खड़े हुए, लेकिन देश ये गलती नहीं मानता है। ये सोची-समझी साजिश मानता है और भारत जैसे देश में हम तो श्री कृष्ण के पुजारी रहे, जो खुद काले थे। हमारे देश में काले गोरे का मतलब, शंकर भगवान रंग रूप क्या था और पार्वती जी का रंग रूप क्या था। हम ये क्या कर रहे हैं जी। हमारे देश में हर चीज को जोड़ने का भारत विविधताओं से भरा देश है। हम सबका प्रयास होना चाहिए कि हम देश में एकता के तत्व को लगातार उभारते रहें। जैसे मैंने स्टैचू ऑफ यूनिटी बनाया तो सरदार वल्लभ भाई के स्टैचू को मैं कोई भी नाम दे सकता था लेकिन उसको मैंने नाम दिया स्टेच्यू ऑफ यूनिटी फिर वो जो एक पूरा है वो इलाका जो पहले गांव का पुराना अलग नाम था मैंने उसको एकता नगर नाम दिया। हमारी सरकार ने योजना बनाई पूरे देश में स्टेट कैपिटल में एकता मॉल बनाओ। एकता महल के पीछे मेरी कल्पना ऐसी है कि उस एकता मॉल में हिंदुस्तान के सभी राज्यों का खाने के लिए कुछ ना कुछ उपलब्ध हो। सभी राज्यों की वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट जो है सभी राज्यों की, वहां अवेलेबल हो। वहां पर और उस स्टेट के अपने, तो मुझे मैंने लखनऊ में भी मानो एकता मॉल में गया तो मुझे केरल की जो चीज चाहिए मुझे मिल जाएगी। मैं लखनऊ के मॉल में एकता मॉल में गया तो मुझे नागालैंड की चीज भी मिल जाएगी तो मेरी कोशिश होती है एकता को, पहलुओं को, जितना हम उभार सकते हैं उभारे। इनकी कोशिश है देश को जितना ज्यादा टुकड़ों में बांटे वो उसी दिशा में जा रहे हैं। वो देश को ऐसे भी काट रहे हैं, देश को ऐसे भी काट रहे हैं, ये बहुत खतरनाक खेल है और मैं जो कांग्रेस से लोग अभी-अभी निकल कर के बाहर आए। जिन्होंने अपनी जवानी के महत्त्वपूर्ण वर्ष कांग्रेस को दिए थे और बड़े समर्पित भाव से काम करने वाले लोग थे तो मेरी पार्टी के कुछ लोगों ने जब उनसे बात की और कुछ उन्होंने मीडिया से भी कहा वो तो चौंकाने वाला है। आज भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जो लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं कांग्रेस के टिकेट पर वो एक बार मुझे पार्लियामेंट में मिले थे, एमपी थे। उन्होंने कहा साहब हम तो पूरी तरह ये माओवाद और नक्सलवाद की विचारधारा में फंसे पड़े हैं। बोले कांग्रेसी हूं मैं हाउस में तो जो बोलना है बोलूंगा। लेकिन मैं चिंतित हूं यानि कांग्रेस के भीतर भी जो सचमुच में कांग्रेस के वैल्यूज को जानता-समझता है वो इन सारी आइडियोलॉजी से बहुत दुखी है और देश को बहुत चिंता करने की जरूरत है। और ये पॉलिटिकल तू-तू मैं-मैं वाला नहीं है। ये वोट पाने वाला विषय नहीं है। मेरे भीतर एक दर्द है और कल मैं थोड़ा गुस्सा कर गया मुझे नहीं करना चाहिए लेकिन मैं, मैं कैसे मेरे देश में चमड़ी के रंग पर किसी को भारतीय होने से मना कर दो, कैसे हो सकता है.. ये मन में बैठता नहीं है। ये दर्द है मेरे मन में।

 

अर्णव गोस्वामी- मगर प्रधानमंत्री जी, इससे जुड़ा हुआ और एक सवाल है कि जब मुस्लिम कोटा की बात आई थी मुस्लिम रिजर्वेशन की बात आई थी तो खरगे जी ने कहा दो-दो चिट्ठियां लिखी आपको। ओपन लेटर कर दिया कि हम ऐसे कोई बात नहीं कर रहे इसकी बात नहीं है कोई गुंजाइश नहीं है आप हमारे मेनिफेस्टो को मिस रीड कर रहे हैं ऐसी बात हुई थी मगर अभी तो इंडिया एलांयस के नेता खुद सामने आकर खुलकर बोल रहे हैं। लालू प्रसाद यादव जी ने कहा कि पूरा मुस्लिम कोटा होना चाहिए पूरा यानि कि टोटल मुस्लिम रिजर्वेशन तो इस पर क्या-क्या सवाल ये कि क्या ये पार्टियां दूसरे लोगों के बारे में दूसरे समुदाय के दूसरे वर्ग के बारे में दूसरे धर्मों के लोगों के बारे में सोचते नहीं हैं या फिर कोई एक्स्ट्रीम अपीजमेंट होती है?

पीएम मोदी- भारत को आगे बढ़ाना है तो जिस मंत्र को लेकर के मैं चलता हूं उसका महात्म्य बहुत है। सबका साथ सबका विश्वास सबका विकास। और 14 के बाद जब मैंने काम किया तो मैंने उसमें एक और जोड़ा सबका विश्वास और अब जब ये बहुत बड़े टारगेट को लेकर चल रहा हूं तो मैंने जोड़ा सबका प्रयास। तो सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास एक सकारात्मक सोच के साथ और जब हम सच में सबका कहते हैं तो कोई डिस्क्रिमिनेशन नहीं होना चाहिए। सरकार के किसी भी काम में जाति, संप्रदाय, लिंग इसके आधार पर भू-भाग के आधार पर डिस्क्रिमिनेशन नहीं होना चाहिए। हमारे देश में तो ज्योग्राफिकली भी डिस्क्रिमिनेशन की आदत बन गई। कुछ इलाके तो निकम्मे है छोड़ो। मैंने उसी को हाथ लगाया। मैंने कहा नहीं कोई निकमा नहीं है ये मेरे एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्टस है और मैंने अच्छे से अच्छे अफसरों को लगाया, अच्छे रिसोर्सेस लगाए तो आज देश के करीब 100 डिस्ट्रिक्ट राज्यों के अन्य डिस्ट्रिक्ट की बराबरी में आने लग गए हैं तो उनका एक कॉन्फिडेंस बन गया। मैंने ऐसे ब्लॉक देखे थे जहां दवाई की दुकान नहीं थी। कोई ब्लॉक ऐसा हो सकता है जो दवाई की दुकान ना हो। तो मैं इन छोटी छोटी छोटी चीजें करते करते करते करते। उसी प्रकार से समाज का है आप सिर्फ वोट की राजनीति के लिए करते रहोगे कि भई मुझे मुसलमानों को आरक्षण देना है, मुसलमानों को आरक्षण देना है। अब डॉक्टर मनमोहन सिंह जी ने जिस मीटिंग में बोला था मैं वहां मौजूद था।

 

अर्णव गोस्वामी- आप थे आप थे

पीएम मोदी- खुद ने कहा कि पहला अधिकार माइनॉरिटी का है जब मैंने ये कहा तो ये लोग झूठ बोलने लगे। तो मैंने एक दूसरी वीडियो लाकर के रख दी जिसमें प्रेस कॉन्फ्रेंस में कह रहे हैं कि अब देखिए उन्होंने उनका ट्रैक रेकॉर्ड बोलता है। मेनिफेस्टो और ट्रैक रिकॉर्ड को साथ मिला कर के देखना पड़ेगा तो उनका ट्रैक रिकॉर्ड, उनका मेनिफेस्टो और उनके पब्लिक स्पीचेज इन तीनों को अगर हम मिला कर के देखेंगे तो फिर चित्र स्पष्ट होता है। कर्नाटका में उन्होंने रातों-रात मुसलमानों को ओबीसी बना कर के ओबीसी को जो आरक्षण मिलता था उसमें डाका डाल दिया। उन्होंने आंध्र में भी ये कोशिश की थी। उन्होंने आरक्षण के लिए, सुप्रीम कोर्ट ने मना किया।

 

अर्णव गोस्वामी- मना किया मगर बात गई थी

पीएम मोदी- दूसरा भारत के संविधान सभा ने, 75 साल हो रहे हैं संविधान के, बहुत विस्तार से चर्चा की है इस विषय पे। पंडित नेहरू समेत सब लोगों ने इसका घोर विरोध किया है कि हमारे देश में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं हो सकता है और कांग्रेस ने कई वर्षों तक शासन चलाया धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं किया। देखिए अब उनको राजनीतिक अस्तित्व के लिए क्योंकि उनको लग रहा है कि सबसे ज्यादा एससी एमएलए किसके बीजेपी के, सबसे ज्यादा एससी एमपी किसके बीजेपी के, सबसे ज्यादा एसटी एमएलए-एमपी किसके बीजेपी के, सबसे ज्यादा ओबीसी एमपी-एमएलए किसके बीजेपी के, फिर मेरी गरीब कल्याण की योजना है जो उन्होंने आज तक गरीबों को अंधेरे में रखा था और गरीब कल्याण की योजना गरीबों को लगा कि भई देश का भला करने वाला एक आदमी काम कर रहा है, एक पार्टी काम कर रही है। तो उनकी जमीन खिसकने लगी, अब उनको लगता है कि रीजनल पार्टियां, माइनॉरिटी के बैंक को भी खा रही है।

 

अर्णव गोस्वामी- ले रही है। हां,

पीएम मोदी- तो वो ये उनका हमला है रीजनल पार्टीज पे, कांग्रेस पार्टी प्रादेशिक पक्षों को मुस्लिम वोट बैंक के मालिक नहीं बनना देना चाहती है। तो वो मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने के लिए और ज्यादा परोसना चाहती हैं, मुस्लिम वोट बैंक पर कब्जा करना चाहती हैं और अपने जो रीजनल पार्टियां हैं अब जैसे समाजवादी पार्टी वो मानती है हम ही ठेकेदार है।

 

अर्णव गोस्वामी- मुस्लिम वोट के

पीएम मोदी- हां अब कांग्रेस ये कर-कर के खुद लेना चाहती है। तो इस चुनाव में कांग्रेस सीटें जीतने के लिए लड़ नहीं रही है अब जैसे कल शरद पवार ने एक बयान दिया है, बड़ा इंटरेस्टिंग बयान है। बारामती के चुनाव संपन्न हुए और शरद पवार ये कहे कि अब समय आ गया है कि रीजनल पार्टियों ने कांग्रेस के साथ मर्ज कर देना चाहिए क्योंकि हमारी आईडियोलॉजी में ज्यादा फर्क नहीं है। मतलब वो अस्तित्व इतना खो चुके हैं उनको कांग्रेस के सहारे जिए बिना कोई चारा नहीं है इसका मतलब हुआ कि ये जो खेल चल रहा है वो अपोजिशन की स्पेस को कांग्रेस सबसे ज्यादा एक्वायर करना चाहती और इसलिए इनका ये और उसमें धर्म के आधार पर आरक्षण ये सबसे खतरनाक है। कोई देश ऐसे चल नहीं सकता है जी। होता क्या है जी। अगर मैं मुसलमान बोलूं तो मेरे देश के कुछ इको-सिस्टम कहती है, मोदी ने चुनाव में हिंदू मुसलमान क्यों लाया.. हिंदू-मुसलमान मोदी नहीं लाया है आपके एक्शन में हिंदू-मुसलमान है तो मुझे देश के सामने आपको बेनकाब करना बहुत जरूरी है। It is my duty to educate people.

 

अर्णव गोस्वामी- True

पीएंम मोदी- It is my duty to convey the people, उसको अगर कोई मुझ पर आरोप लगा के मेरे भाषण का मूल्यांकन..., मैंने ना मुसलमान के खिलाफ कुछ बोला है ना मैंने इस्लाम के खिलाफ बोला है। मैं सेकुलरिज्म के नाम पर देश के ताने-बाने को तोड़ने का जो प्रयास हो रहा है चाहे चमड़ी के रंग पर हो, उपासना पद्धति पर हो, भाषा पर हो, ये मैं समझता हूं कि नहीं चल सकता और मैंने तो कल चुनौती दी है। तमिलनाडु के हमारे नेता बहुत उछल- उछल करके तमिल की बात करते हैं। डीएमके के, उनमें अगर हिम्मत हो तो कल के कांग्रेस के इस बयान के बाद अफ्रीकन कह दिया है उनको। उन्होंने एक मिनट भी कांग्रेस के साथ समझौता नहीं रखना चाहिए। डीएमके ने कांग्रेस के साथ समझौता तोड़ देना चाहिए। अगर उनको तमिल स्वाभिमान की चिंता है तो इतना बड़ा अपमान किया है कांग्रेस ने, समझौता तोड़ दो।

 

अर्णव गोस्वामी- उनके एक प्रवक्ता ने कहा- गलत समझा गया उनको।

पीएम मोदी- ये लीपापोती है इतना बड़ा देश गलती और खुद कांग्रेस ने स्वीकार किया तभी उनसे इस्तीफा मांग लिया। कांग्रेस ने खुद ने गलती नहीं मानी कांग्रेस ने माना हां ये...

 

अर्णव गोस्वामी- मगर सैक नहीं किया

पीएम मोदी- ऐसा है कि उनकी कॉमन कोर कमेटी ने निर्णय की हुई चीज उन्होंने की है लेकिन अब वो घड़ा उनके सर पर फोड़ने जा रहे हैं।

 

अर्णव गोस्वामी- प्रधानमंत्री जी, बंगाल के विषय पर संदेशखाली का जो विषय था जो वहां पर उत्पीड़न हुई थी, टॉर्चर किया गया था, मास रेप के एलिगेशन से पहली बार ये खबर रिपब्लिक बांगला ने दिखाई थी और उसके बाद हमने करीब एक महीने तक कैंपेन की थी न्याय के लिए। मेरा सवाल आपसे है कि आपको लगता है कि संदेशखाली एक तरह से केंद्र बिंदु नहीं एक प्रतीक बन गया है बंगाल की स्थिति को लेकर और इससे जुड़ा सवाल ये है कि विकसित भारत की बात करते हैं। इसके कांटेक्ट में क्या आपको लगता है विकसित बंगाल को आप कैसे देखते हैं?

पीएम मोदी- एक तो मैंने, मेरा स्पष्ट मत है कि तमिलनाडु और बंगाल हजारों साल का हम इतिहास देखें तो कुछ ऐसी जगह है जिसने देश की बहुत बड़ी सेवा की है। देश का नेतृत्व किया है। संकट की घड़ियों में से देश को बाहर निकाला है। उसमें बंगाल और तमिलनाडु का बहुत बड़ा योगदान है। दुर्भाग्य से आज दोनों राजनीतिक नेतृत्व की विकृत मानसिकता के शिकार हो चुके हैं। अब बंगाल में जिस प्रकार से जिन मुद्दों को लेकर के बंगाल की मुख्यमंत्री संसद में आवाज उठाती थी जब वहां लेफ्ट की सरकार थी। आज उन्हीं मुद्दों को हम बोल रहे हैं और ममता जी वो कर रही हैं जो लेफ्ट वाले करते थे, कांग्रेस वाले करते थे और ये संवाया गुना करती है और उसमें क्रिमिनल एलिमेंट नया जुड़ गया है और आज जो संदेशखाली, एक छोटी सी घटना है जी। छोटी सी दिखती है घटना छोटी नहीं छोटी सी दिखती है, लेकिन पूरे बंगाल में तो भयंकर ज्वालामुखी है। कब विस्फोट होगा कहना कठिन है जी। हर जगह पर इस प्रकार का जुल्म है और सिर्फ उन्होंने अपनी वोट बैंक की राह, दूसरा वो कानून नियमों को पालन करने को तैयार नहीं है। टीचर्स भर्ती घोटाले में लोग, प्रूव हो जाता है लोगों की नौकरी चली जाती है। इनको परवाह नहीं है उनको तो लगता है राजनीति में हम देख लेंगे। करोड़ों-करोड़ों रुपए के नोटों के पहाड़ पकड़े जाते हैं, पैसे गिनते-गिनते मशीन थक जाते हैं लेकिन उनको उन लोगों से कोई परहेज नहीं है यानि उन्होंने एक न्यू नॉर्मल बना दिया है। देश के लिए संकट का विषय है। घटनाएं किसी न किसी राज में कुछ ना कुछ ऐसी चिंताजनक घटनाएं होती है लेकिन उसको कोई सर्टिफाई नहीं, हर कोई दुखी होते हैं रास्ता खोजते हैं। कि यार ऐसा नहीं होना चाहिए, हर यहां ऐसा नहीं है। जब साइकोलॉजिकली आप ये करोगे और तीन दशक लेफ्ट के और टीएमसी एक प्रकार से 50 साल बंगाल के बर्बाद हो चुके हैं जी। आज कोई इंडस्ट्री नहीं आ रही है वहां, कोई नया सिस्टम डेवलप नहीं हो रही है। राजनीति चलती रहेगी जी, लोग बेचारे मुसीबत में गुजारा करते रहेंगे। फिर इतना मेरा देश का इतना महान राज्य, इतना महान राज्य, इतनी महान कला, इतनी महान संस्कृति, हम सब गवा रहे हैं इसकी पीड़ा है जी।


अर्णव गोस्वामी- मोदी जी राम मंदिर के मुद्दे पर मैं कई जगह थोड़ी मतलब थोड़ी बहुत रिपोर्टिंग कर लेता हूं अभी भी तो गया था मैं जब भी, जब भी वहां पर जय श्रीराम के नारे लगते हैं बीजेपी के तो कार्यकर्ता ही नहीं क्योंकि एक रैली में सब कार्यकर्ता तो नहीं होते हजारों लोग होते हैं तो राम मंदिर के जब भी जय श्रीराम की बात आती है एक तरह से उत्साह बढ़ जाती है अभी ये खुलकर हो रही है अच्छी बात है। मगर विपक्ष के जो अप्रोच है राम मंदिर को लेकर उन्होंने कहा कि एक पूरा एक प्राण प्रतिष्ठा एक उन्होंने कहा राजनीतिक समारोह या राजनीतिक कार्यक्रम उन्होंने कह दिया। अब भी कहते हैं राम मंदिर जाएंगे मगर तारीख नहीं बताएंगे उसी वही अप्रोच उनका चल रहा है तो जबकि ये एक हिंदू, हिंदू धर्म के लिए और जो जितने हिंदू हैं जितने सनातनी आप है मैं हूं हमारे लिए एक धार्मिक मुद्दा है, राजनीतिक मुद्दा नहीं है मगर ये राजनीतिक मुद्दा भी बन चुका है उनके अप्रोच के कारण आपने कोशिश की है राम मंदिर के स्थापना में पूरे दक्षिण भारत उत्तर भारत सब जगह के लोगों को उनकी संस्कृति को एकजुट करने की तो आप इसको जब देख रहे हैं पॉलिटिकल इशू बन चुका है और बनाने की कोशिश हो, इसका क्या रिस्पांस होगा इलेक्टरेट से?

पीएम मोदी- मैंने पहले इन सारे जो जिस प्रकार की भाषा लोग बोल रहे हैं। इनको एक सवाल पूछता चाहता हूं, हमारे देश में अंग्रेज राज तो करते ही थे। सरकार तो चलाते थे और लोगों की भलाई का काम भी करते थे। रेलवे बनाते थे, क्या नहीं करते थे, क्या जरूरत थी आजादी के आंदोलन की सब तो चल ही रहा था स्कूलें खुलती थी, अस्पताल खुलते थे, रेलवे चलती थी, रोड बनते थे, क्या जरूरत थी? क्यों देश में सैकड़ों हजार लोग शहीद क्यों हुए? क्यों अंडमान निकोबार काला पानी की सजा क्यों भोग रहे थे? सम्मान स्वाभिमान कोई चीज होती है, जिंदगी 500 साल तक राम मंदिर के लिए शायद दुनिया के अंदर एक बहुत बड़ी घटना है कि एक श्रद्धा के लिए 500 साल तक एक समाज लड़ता रहा। हर व्यवस्था से लड़ता रहा और मंदिर बना कर के रहेंगे। ये पीढ़ी दर पीढ़ी लड़ाई चली है सचमुच में तो ये 500 साल का इतिहास सिर्फ हिंदू को नहीं, दुनिया के हर समाज को इंस्पायर कर सकता है। ये बलिदान का इतिहास है, ये त्याग का इतिहास है, ये तपस्या का इतिहास है, आप उसको भी अपने ही पूर्वजों ने किया है कोई बाहर वालों ने नहीं किया है और गुलामी की जंजीरों के बीच किया है। स्वमान के लिए स्वाभिमान के लिए। तो जैसे देश की आजादी का गर्व है वैसे ही 500 साल की लड़ाई का भी गर्व है, स्वाभिमान की लड़ाई है ये लेकिन चूंकि आपके सेकुलरिज्म जो अपने खोखलापन है उसके लिए डर कर के जियोगे तो क्या चलेगा। दूसरा ये पॉलिटिकल कैसे है भाई, वहां हिंदुस्तान के कला जगत के सभी लोग थे। अब देश के प्रधानमंत्री को बुलाया देश के राष्ट्रपति जी को बुलाया राष्ट्रपति जी को सुविधा नहीं थी राष्ट्रपति जी ने तारीख अलग दी और वो अलग तारीख को गए भी जी। देश के प्रधानमंत्री ने कहा मैं तो ये प्रभु राम का आदेश मानता हूं मैं आऊंगा देश का प्रधानमंत्री गया और प्राण प्रतिष्ठा में साक्षी बना। मुझे तो कोई हक नहीं है वो तो पंडितों का उसके शास्त्रों के जानकार लोगों का है मैं साक्षी भाव से वहां बैठा और मैं करके आया और मैंने कहा था भाई उस दिन मेरा भाषण भी क्या था, कि हमारी यात्रा राम से राष्ट्र की तरफ है। हमारी यात्रा देव से देश की तरफ है। ये जो इंस्पिरेशन मिलता है व देश की भलाई के काम आना चाहिए दूसरा ये राम मंदिर के जो ट्रस्टी है उनकी विशेषता देखिए साहब, उन्होंने जिन्होंने घोर विरोध किया था लगातार उनके भी यहां जाकर के निमंत्रण दिया सम्मान दिया उनको और ये मैसेज दिया कि भई अब तक जो हुआ सो हुआ अब सुप्रीम कोर्ट ने जजमेंट दे दिया है चलो हम साथ मिलकर चलें। उस निमंत्रण को उन्होंने ठुकरा दिया दूसरी तरफ ऐसा ही निमंत्रण उन्होंने बाबरी मस्जिद का केस लड़ने वाले राम मंदिर के खिलाफ अदालत में सुप्रीम कोर्ट तक लड़ने वाली दो-दो तीन-तीन पीढ़ी जिसकी लड़ती रही वो इकबाल अंसारी उनको भी निमंत्रण दिया तो उन्होंने कहा अब सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट आ चुका है अब मेरा गिला शिकवा कोई रहता नहीं है और वो स्वयं प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में आकर के बैठे। इतना ही नहीं उन्होंने उनका जो गनमैन है, जो हिंदू है। तो उन्होंने एक बाजार से राम मंदिर की प्रतिमूर्ति खरीदी। खरीद कर उसको गिफ्ट दी। इकबाल अंसारी जी, अब मैं सोचता हूं ये कि इकबाल अंसारी सच्चा सेकुलर है कि कांग्रेस सच्ची सेकुलर? तो इस एक घटना से मुझे लगता है इकबाल अंसारी सच्चे सेकुलर है। जब तक लड़ना था अपने हको के लिए वो लड़ते रहे। न्यायपालिका ने कहा तो उसको स्वीकार करते चले और ये लोग है उनकी वोट बैंक की राजनीति है तो देश इकबाल अंसारी को भी देखता है और शाही परिवार को भी देखता है। और मूल्यांकन करता है आप इसको ठुकरा राजनीतिकरण आपने किया है। वहां एक शब्द बोला नहीं गया किसी के खिलाफ इवन इतना बड़ा 500 साल के बाद सुप्रीम कोर्ट में विजय हुआ था लेकिन हिंदुओं ने जश्न नहीं मनाया था। उत्सव नहीं मनाया था, पटाखे नहीं फोड़ थे, क्यों हम किसी भी समाज को दुखी किसी को पराजित और मेरा तो उस दिन स्टेटमेंट था और औरों का भी था कि जय विजय का विषय नहीं है ये सबको जोड़ने का अवसर है। तो जिस दिन राम जन्मभूमि का जजमेंट आया उस दिन भी सबको जोड़ने की बात हुई लेकिन दुर्भाग्य है कि कुछ लोगों को इस प्रकार की प्रवृत्ति किए बिना अपनी वोट बिखर जाएगी इसकी चिंता है।

 

अर्णव गोस्वामी- प्रधानमंत्री जी आपके हर कार्य पर सवाल उठाए जाते हैं एक अभी आपने राम भगवान श्री राम की बात कही वैसे हमारे संविधान में भी राम राज्य का एक चित्र है वहां पे राम, सीता, लक्ष्मण का चित्र है नंदलाल बोस जी ने शायद वो चित्र बनाई है और आज कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी जी से डरिए। अगर नरेंद्र मोदी जी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे ये 400 पार क्यों चाहते हैं इनकी मंशा क्या है। और ये कही जा रही है इसमें बहुत सीधी तरह से आपसे पूछ रहा हूं कही जा रही है कि अगर इस बार प्रधानमंत्री बने और भी ज्यादा ताकतवर प्रधानमंत्री बने तो इस संविधान को बदल देंगे। आपने कहा है कि ये कोई बदल नहीं सकता अंबेडकर जी के संविधान को मगर सवाल इतना उठ रहा है। प्रधानमंत्री जी मैं चाहता था इस इंटरव्यू में थोड़ी विस्तृत तौर से आप अपने पॉइंट ऑफ व्यू को रखें।


पीएम मोदी- मैं जरूर कहूंगा। जहां तक 400 का सवाल है 2019 से 2024 मेरे पास जो सदन में संख्या बल है, बीजेपी का एनडीए का और एनडीए प्लस का वो करीब-करीब 400 है।

 

अर्णव गोस्वामी- इफेक्टिव मेजॉरिटी

पीएम मोदी- ऑलरेडी। आज जो वर्तमान में पार्लियामेंट चल रही है।

 

अर्णव गोस्वामी- जी

पीएम मोदी- उस पार्लियामेंट में हम ऑलरेडी 400 हैं। करीब हम 360 एनडीए हैं और हमें आंध्र मदद करता रहा। हमें उड़ीसा मदद करता रहा। हमें नॉर्थ ईस्ट मदद करता रहा और पांचों साल मदद की है। ये नंबर 400 हो ही जाता है, तो 400 होता है तो इस चुनाव में 400 पार करने का लक्ष्य कोई तय नहीं करेगा क्या? अगर मैं 400 पर हूं तो मैं मेरे कार्यकर्ता को मोटिवेट करने के लिए 400 पार की बात नहीं करूंगा क्या? और ये जनता से आया।

 

अर्णव गोस्वामी- जी

पीएम मोदी- दरअसल ये विषय जनता से आया। दूसरी बात संविधान का जहां तक सवाल है, मैं सदन में संविधान दिवस मनाने के लिए प्रस्ताव लेकर आया। किसने विरोध किया कांग्रेस पार्टी के स्वयं खरगे जी ने खड़े होकर के भाषण किया कि संविधान दिवस की क्या जरूरत है? 26 जनवरी है ना भाई अरे मैंने कहा भाई संविधान के प्रति देश के लोगों की श्रद्धा बनाने के लिए जैसे आज भी रामायण, महाभारत के कथा कीर्तन होते हैं। हर पीढ़ी को ट्रांसमिट होता जाता है। संविधान को भी उसी भाव से हमें श्रद्धा भाव से लोगों को देखने की आदत डालनी चाहिए। मेरे लिए संविधान वो चीज है, जब 60 साल हुए थे संविधान के तब मैंने भारत सरकार को कहा था कि हमें संविधान का बहुत बड़ा महोत्सव मनाना चाहिए। भारत सरकार ने कुछ किया नहीं। मैंने मेरे गुजरात में संविधान के 60 साल के बीच बहुत बड़ा अभियान चलाया था और इतना ही नहीं मैंने संविधान ग्रंथ को हाथी के ऊपर सजाया था और मैं खुद हाथी के पैरों के पास पैदल चलता था। क्यों सामान्य मानवी को मुख्यमंत्री से भी बड़ा संविधान होता है ये संस्कार करने दें। तो संविधान के प्रति मेरा समर्पण ये है मैं पार्लियामेंट में गया तो संसद को मैंने माथा टेका था। मैं 19 में जब प्रधानमंत्री पद के लिए मेरी पार्टी ने मुझे नेता चुना तो मैंने पहले मेरा सर संविधान के सामने झुकाया था। तब जाकर मैंने पद का ग्रहण करता हुआ भाषण किया था। तो एक तो ये मेरा पक्ष हो गया। दूसरा कांग्रेस वर्ग ने क्या किया है? देश का संविधान बनने के बाद सबसे पहले फिजिकली उस पर हमला किया उन्होंने, संविधान पर फिजिकल हमला। संविधान का जो शारीरिक रचना थी नंदलाल बोस के चित्रों के साथ और वो चित्र-चित्र नहीं थे जी, उसमें एक मैसेज था कि हजारों साल की संस्कृति का एक नई कड़ी हमारा संविधान है और इसलिए उन्होंने हजारों साल की सांस्कृतिक घटनाओं को जोड़ते हुए पेंटिंग बनाए थे। बहुत सोच विचार करके संविधान की बॉडी बनाई गई थी। मैं आत्मा की बात बाद में करता हूं, मैं बॉडी की बात करता हूं ये चित्र मामूली चीज नहीं थी चित्र राम का था कृष्णा का था नहीं उसमें हमारे देश के गणराज्यों की भी चर्चा है, चित्रों में। यानि पूरी तरह सांस्कृतिक इतिहास है उसमें। उन्होंने सबसे पहले इसको खत्म कर दिया। भारत पर फिजिकल संविधान पर हमला किया। दूसरा उन्होंने जो आत्मा पर हमला किया। पहला बॉडी पर किया, फिर आत्मा पर किया। कैसे किया? भारत के संविधान का सबसे पहला जो सुधारा किया है पंडित नेहरू जी ने जो उसमें उन्होंने अमेंडमेंट किया है। वो क्या किया फ्रीडम ऑफ स्पीच पर रिस्ट्रिक्शन का मतलब उसकी आत्मा पर पहली चोट जो अपने आप को दुनिया में डेमोक्रेसी की बातें करते लोग उन्होंने की तो पहले शरीर से संविधान को खत्म किया फिर संविधान की आत्मा को अब वो संविधान की भावना पर हमला कर रहे हैं। संविधान की भावना है हमारे देश के फेडरल स्ट्रक्चर के 100 से ज्यादा बार 356 का उपयोग करके बिना कारण सरकारें तोड़ दी गई। उस संविधान की भावना पर कुठाराघात था। फिर इमरजेंसी लाए उन्होंने संविधान को पूरी तरह ने एक वेस्ट पेपर बॉक्स में डाल दिया। ये हाल कर दिया यानि सामान्य मानवी के लिए अब ये फिर से संविधान समाप्त करने का खेल खेल रहे हैं। माइनॉरिटी का अब आपने देखा जो बड़े शातिर पिक-पौकेटर होते हैं ना, पिक-पौकेटर वो बड़े चालाक होते है। वो क्या करते हैं मान लीजिए बस में चढ़ गए और किसी का बटवा चुराया। बटवा चुरा कर के खुद रख देंगे फिर एक और लड़का दौड़ेगा ये चोर चोर चोर चोर मेरा बटवा गया। मेरा बटवा गया फिर और लोग भी देखेंगे तो जिसका ओरिजिनल गया वो भी देखेगा मेरा बटवा गया और फिर एक दौड़ता है जिसने चुराया वो तो यहां खड़ा है साथ में ही खड़ा है। चिल्ला रहा है चोर आया चोर आया और एक जो निर्दोष है वो भाग रहा है। क्यों, चालाकी की है। इन लोगों ने, मैं इनको पिक पौकेट नहीं कह रहा। ऐसे छोटे शब्द किसी के लिए उपयोग नहीं करता लेकिन मैं उदाहरण इसलिए समझाता हूं कि वो अपना खेल खेलने के लिए उन्होंने चिल्लाना शुरू कर दिया। मोदी संविधान बदलेगा, मोदी संविधान बदलेगा, मोदी संविधान बदलेगा, जो कहीं है ही नहीं ना हम कभी बोले हैं ना हमने कभी सोचा। इतना ही नहीं हम तो संविधान को इसके लेटर एंड स्पिरिट में जन-जन तक पहुंचाना चाहते हैं। इन्होंने ये माइनॉरिटी के नाम का खेल-खेलने के लिए खुद होकर के संविधान बदलना चाहते हैं इसलिए ये चिल्लाहट शुरू की है तो आपके कानों में वही आवाज आए और चोरी छुपे से पीछे करना।

 

अर्णव गोस्वामी- आप कह रहे हैं वो बदलना चाहते?

पीएम मोदी- वो बदलना चाहते हैं।

 

अर्णव गोस्वामी- किस दिशा में?

पीएम मोदी- वो धर्म के आधार पर आरक्षण करना चाहते हैं और जो संविधान की आत्मा पर आखिरी कील होगा, वो आखिरी बार होगा संविधान की आत्मा पर। संविधान सभा ने जब चर्चा की महीनों तक चर्चा की और उसमें पंडित नेहरू जैसे लोगों को छोड़ दीजिए बाकी सब सनातनी थे। और सबने मिलकर के तय किया हमारे दलितों को आरक्षण मिलना चाहिए। हमारे ट्राइबल को आरक्षण मिलना चाहिए। हमारे ओबीसी को आरक्षण मिलना चाहिए। संविधान की भावना थी क्योंकि इन लोगों के साथ और कारण थे जबकि विचार हुआ, गंभीरता से हुआ धर्म के आधार पर आरक्षण हमारे देश में नहीं दे सकते। धर्म के आधार पर देश बन चुका था ये।

 

अर्णव गोस्वामी- जी

पीएम मोदी- अब हमें यहां देश में धर्म के आधार पर चलने की जरूरत नहीं है हमें ट्रू सेंस में सेकुलर होकर चलना चाहिए। ये सेक्युलरिज्म पर भी वार कर रहे हैं। जब धर्म के आधार पर आप आरक्षण कर रहे हो तब सेकुलरिज्म पर वार कर रहे हो और इसलिए देश चिंतित है।

 

अर्णव गोस्वामी- नहीं आपने बहुत बड़ी बात कही that reservations on the basis of religion will be the last nail in the coffin of the Constitution. प्रधानमंत्री जी, आपकी इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल ने एक रिपोर्ट दी है मुझे बहुत इंटरेस्टिंग लगी जिसमें कहा गया कि पूरे दक्षिण, दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा मेजॉरिटी के पॉपुलेशन कम हुई है। भारत में 7.8% से यानि कि हर दशक में 1 परसेंट हिंदू पॉपुलेशन कम हुई है मगर कोई मेजॉरिटी इन डेंजर की बात नहीं करता। ये आप उससे जुड़ा हुआ सवाल ये मुस्लिम्स इन डेंजर और माइनॉरिटी इन डेंजर की बात कही जाती है और मैं आपसे सीधा सवाल करना चाहता हूं क्या ये आपकी छवि पर अटैक करने की कोशिश है, Is it to target Narendra Modi or is it at national, international level also to affect a relationship with gulf countries? क्योंकि आपने जिस तरह से एक कदम उठाई है, मिडिल ईस्ट के नेशन के साथ जो नया संपर्क बनाया है। क्या उस पर अटैक है या आप पर पर्सनल अटैक है?

पीएम मोदी- पहली बात है ये मोदी का विरोध करने में इतना संतुलन खो चुके हैं कि वे मर्यादा लांघ करके उनकी बातों से देश का भी नुकसान हो रहा है ये समझ नहीं पाते या तो जान बूझकर के कर रहे। जहां तक ये रिपोर्ट की आप बात करते हैं जो मेरी जानकारी में आया है उन 1950 से लेकर के 2015 यानि 50 से 2015 तक का उन्होंने चीजों का और करीब 170 कंट्रीज का स्टडी किया गया। स्टडी इस बात पर ही है इस दौरान माइनॉरिटी में क्या बदलाव आया? इस विषय पर था क्योंकि लोग कहते भई दुनिया में माइनॉरिटी को दबाया जाता है। दुनिया की बात हो इससे मोटा-मोटा आंकलन लगता है कि देश में कुल मिलाकर के किस देश में माइनॉरिटी की क्या स्थिति है। चाहे वो अफगानिस्तान हो, श्रीलंका हो, बांग्लादेश हो, पाकिस्तान हो, ये रिपोर्ट कह रहा है कि इन सब देशों में माइनॉरिटी की संख्या कम हुई है। जनसंख्या कम हुई है, अकेला इन सारे क्षेत्रों में हिंदुस्तान ऐसा है कि जहां माइनॉरिटी की संख्या बढ़ी है और इस स्टडी में दो चीजें उभर करके आई है। एक 1950 से 2015 के बीच में भारत में ये विभाजन के बाद की बात मैं कर रहा हूं 50 से बाद की बात कर रहा हूं। 1950 से 2015 के बीच हिंदुओ की संख्या 7.8% करीब-करीब 8% कम हुई है। जबकि माइनॉरिटी की 43% बढ़ी है। मैं इसके, इसके मायने नहीं निकाल रहा हूं लेकिन जो परसेप्शन क्रिएट किया जा रहा है वो पूरी तरह गलत है वो सिद्ध हो रहा है। उसके जिसको जो मीनिंग निकालना है निकाले। मुझे मीनिंग नहीं निकालना है, अगर फैक्चुअल ये हैं तो भारत में माइनॉरिटी के साथ अन्याय है। भारत में माइनॉरिटी को दबाया जाता है। भारत में माइनॉरिटी की आवाज नहीं है। ये सारे जो नैरेटिव है उन सब लोगों ने 170 कंट्रीज के स्टडी के बाद एकेडमिक रिपोर्ट को कम से कम स्वीकार करते हुए भारत पर जो ये आरोप लगाए जाते हैं जो एक नैरेटिव क्रिएट किया जाता है। ये जो परसेप्शन बनाया जाता है मेहरबानी करके वो ये थोड़ा सत्य स्वीकार करें और इस नैरेटिव से बाहर आए। भारत सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय वसुदेव कुटुंबकम की भावना को लेकर चलने वाला देश है। जिसने दुनिया में हम समृद्ध देश थे तब भी कभी भी दुनिया में किसी का लूटा नहीं है। हमने कभी किसी की जमीन तक नहीं छीनी है। ये महान संस्कृति के हम वारिस है और हम पर ऐसे इल्जाम लगे, अब हकीकतों के आधार पर सिद्ध हुआ है कि हां हम वैसे ही महान है। लेकिन हिंदुओं की संख्या कम होना तो नंबर ऑफ हिंदू कम होना वो मुद्दा नहीं है जी। एक महान कल्चर जो सर्वसमावेशक है, जो एक प्रकार से भविष्य में दुनिया को संतुलित रखने का कैटलिक एजेंट बन सकता है। क्योंकि वो किसी का दुश्मन नहीं है अगर वो कम हो जाएगा, वो एकदम माइक्रो माइनॉरिटी हो जाएगा, तो वो इन्फ्लुएंस ही नहीं कर पाएगा अगर वो इन्फ्लुएंस नहीं कर पाएगा तो दुनिया का नुकसान होगा। तो आज दुनिया के लिए चिंता यह होनी चाहिए इस महान परंपराओं उदार चरित्र जो वसुधैव कुटुंबकम को मानने वाला है उनकी संख्या बढ़े कैसे ये दुनिया ने चिंता करनी चाहिए।

 


अर्णव गोस्वामी- प्रधानमंत्री जी, स्पीड ऑफ चेंज बहुत फास्ट हो रही है। दो-तीन साल पहले आपने जब विकसित भारत की बात कही थी तब स्पीड ऑफ चेंज आप देखें पांच छह साल में बहुत ज्यादा हुई इससे जुड़े हुए दो सवाल मेरा है। पहले तो आपकी जो स्लोगन है, रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म ये कॉर्पोरेट स्लोगन होती है। परफॉर्म और पेरिश आप नहीं कहते परफॉर्म और खत्म हो जाओ। आप कहते रिफॉर्म परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म इस पर मैं चाहता हूं थोड़ी सी आप इसको एक्सप्लेन करें कि ये विपक्ष कहता है ये सब मोदी जी के स्लोगन्स है मगर आप इसको थोड़ा Explain करें।


पीएम मोदी- मैं बहुत, मैं बहुत सोच समझ करके बोलता हूं। नारेबाजी करने के लिए देश ने मुझे यहां नहीं बिठाया है वरना तो मैं कहीं कॉपीराइटर बन जाता जी। ऐसा है जब मैं रिफॉर्म कहता हूं ये पॉलिटिकल लीडरशिप की जिम्मेवारी है कि वो हार्ड डिसीजन ले रिफॉर्म के लिए तैयारी रखे। जो डेमोक्रेसी में कठिन माना जाता है और राजनेता भी बच कर के चलते हैं। तो रिफॉर्म इनकी जिम्मेवारी है, परफॉर्म ये ब्यूरोक्रेसी की जिम्मेवारी है। जो रिफॉर्म हुआ इन द लाइट ऑफ डेट न्यू रिफॉर्म परफॉर्म करना होता है ब्यूरोक्रेसी को। और देश ट्रांसफॉर्म होता है ये बहुत सिस्टमिक सोची हुई चीज मैं बोला हूं लेकिन मैं कम शब्दों में बोल दिया इसलिए उसकी कीमत नहीं है। तो रिफॉर्म हार्ड कोर पॉलिटिकल रिस्पांसिबिलिटी है, इलेक्टेड बॉडी की रिस्पांसिबिलिटी है। परफॉर्म प्योरली ब्यूरोक्रेटिक सिस्टम गवर्नेंस की जिम्मेवारी है। एंड ट्रांसफॉर्म जनता जनार्दन के कोऑपरेशन से होता है। जनता अगर जुड़ती नहीं, कितना ही रिफॉर्म करो जनता अलग है तो भी ट्रांसफॉर्म नहीं होता है। जनता को स्वच्छता का अभियान ये तब सफल होता है जब जनता जुड़ती है। तो रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म, लीडरशिप गवर्नमेंट सिस्टम एंड जनता जनार्दन ये त्रिवेणी जब मिलती है तब परिणाम आता है। इसके पीछे मेरा एक बहुत बड़ी सोच अब देखिए मैं उदाहरण देता हूं ऐसे ही नहीं भई रिफॉर्म, परफॉम, ट्रांसफॉम, अब मैं जो सामान्य चर्चा में है और इस दौर में गालियां दी जाती है कि पीएसयू को ताला लगा देंगे तब मैं जरा उसी का उदाहरण देता हूं देखिए हमारे देश में जो सरकारी कंपनियां है। 60 वर्षों तक कांग्रेस ने सरकारी जो कंपनियां बनी उनका संसाधनों का उपयोग अपने होटल बुक करने में, विमान किराए पर करने में, इन्हीं चीजों में खर्च किया है बर्बादी कर दी। 2009 का सीएजी का रिपोर्ट है जी, सीएजी ने हमारे पीएसयू के लिए कहा, सरकारी कंपनियों के लिए कहा, कि मिस मैनेजमेंट की वजह से 68 सरकारी कंपनियां बर्बाद हो गई थी। 60 साल में ये 68 कंपनियां, जब मैंने आकर के देखा तो मैंने सरकारी कंपनियों और सरकारी बैंकों से पहला निर्णय किया कोई पॉलिटिकल इंटरफेरेंस नहीं चलेगा। पॉलिटिकल इंटरवेंशन लेकिन पॉलिटिकल इंटरवेंशन होना चाहिए। आइडिया, विचार, नयापन, वो जरूर आपको कहना चाहिए। यानि परिस्थितियों से भागना नहीं interferance नहीं होना चाहिए। आप मेरा ये करो मेरा वो मैंने कह दिया जिस दिन मैंने कहा मानों मंत्री क्या, पॉलिटिकल सिस्टम क्या करती थी कि खुद को एक मोबाइल मिलेगा सरकारी व्यवस्था से और तीन पीएस उसके डिपार्टमेंट उनके तीन मोबाइल लेगा। सरकार एक गाड़ी देगी हर पीएसयू से एक गाड़ी रखेगा अपने बच्चों के लिए। ये सारे खेल बंद होने चाहिए। मैं छोटी चीजें बताता हूं इससे समझ आएगी कैसे बड़ी चीजें बड़ी होती है। मैंने उनसे कहा भाई देखिए, आप शेयर होल्डर्स के साथ कमिटेड हैं, आपको शेयर होल्डर्स का भी हित देखना है आपकी कंपनी आगे बढ़ेगी तो शेयर होल्डर्स का हित बढ़ेगा। पहले और अबके आंकड़े जो है आप हैरान हो जाएंगे जी 2014 में सरकारी कंपनियों का ग्रॉस रेवेन्यू करीब 20 लाख करोड़ रुपया था और ये मैं देश आजाद हुआ तब से लेकर के बताता हूं। 2024 में सरकारी कंपनियों का ग्रॉस रेवेन्यू 38 लाख करोड़ है यानि करीब-करीब डबल। उसी प्रकार से सरकारी कंपनियों की नेट वर्थ 2014 में लगभग 9 लाख करोड़ थी। मेरे आने से पहले 9 लाख करोड़। आज 2024 में नेट वर्थ 18 लाख करोड़ है, तो 18 लाख करोड़ रुपया सभी सरकारी कंपनियों का टोटल मार्केट कैप 225% बढ़ा है। मार्केट कैप 225% बढ़ना जब दुनिया की इकॉनमी नीचे जा रही है तब 2009 टू 2014 इसके शेयर 6 % गिर गए थे वैल्यू। आज सरकारी कंपनियों के स्टॉक बहुत बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं जी। ऐसे ही सरकारी बैंकों का है, सरकारी बैंकों का हाल क्या था। फोन बैंकिंग घोटाले की वजह से सरकारी बैंकों, 2008 में तो सबसे ज्यादा हुआ, बैंकों की हालत एकदम से, दुनिया का विश्वास जब आपकी बैंकिंग सिस्टम चरमराता है ना जब बैंक सिस्टम चरमरा जाए दुनिया का विश्वास उठ जाता है। भारत में बैंक के रुपए कम गए उतना नहीं पूरी दुनिया हमारे साथ जुड़ने को तैयार नहीं होते। मैं 14 में ये मुसीबत अनुभव करता था, 21 में से 11 बैंकें आरबीआई की निगरानी की सूची में थी, उसको डे टू डे मॉनिटर करना पड़ता था। आईबीसी कोड कैपिटल इफ्यूजन मैंने काफी पैसे डाले सरकारी टैक्स पेयर के पैसे डाले क्योंकि मुझे देश को बचाना था। हमने ये जो भ्रष्टाचार और जो फैन बैंकिंग था वो सारा खेल बंद करवा दिया। 1 लाख करोड़ से ज्यादा आज बैंकों का प्रॉफिट है और इन बैंकों का जन्म हुआ तब से लेकर आज उनका हाईएस्ट प्रॉफिट है जी। भारत की बैंकों का एनपीए लगातार कम हो रहा है यानि जो लेकर के भाग जाने वाली संख्या है वो लगातार कम होती जा रही है। ये सब रिफॉर्म परफॉर्म ट्रांसफॉर्म के उत्तम उदाहरण मैं बता सकता हूं। मैं ये उदाहरण इसलिए बताता हूं ताकि फाइनेंसियल वर्ड या इकोनॉमिक का वर्ड जो है वो इन्हीं चीजों से समझ पाता है इसलिए मैंने उदाहरण ये दिया।


अर्णव गोस्वामी- आम आदमी को भी इससे जो आप बात कर रहे बहुत उनके लिए रिलेवेंट होगा क्योंकि लोग कह देते हैं स्पीच में कुछ भी विपक्ष के नेता कह देते कि सरकारी संपत्ति बेचती है तो ये जो उदाहरण आपने दिया है ये इसका बहुत ही महत्व है। प्रधानमंत्री जी एक मुझे सवाल पूछना है भारत के युवा पीढ़ी के लिए आपसे, क्योंकि अभी 50 % से ज्यादा पॉपुलेशन 25 से नीचे है 60% से ज्यादा या 65, 35 से नीचे उनको कोई अनुभव नहीं है। प्रधानमंत्री जी ये डेवलपमेंट क्या हुआ है एक हो सकता है टेकन फॉर ग्रांटेड अप्रोच। जो मोबाइल जनरेशन है जिन्होंने मोबाइल फोन देखा है जब से वो उनका जन्म हुआ है वो टेकन फॉर ग्रांटेड कर सकते है। आप जो भविष्य की फ्यूचरिस्टिक इन्वेस्टमेंट थिंकिंग उसके बारे में बोल रहे हैं, बुलेट ट्रेन हो, गगनयान हो, ये इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की बात हो रही है अगले 8 साल में, ये जो आपकी एंटी ग्रेविटी प्रोजेक्ट, ये सारी जो प्रोजेक्टस है ये जिन्होंने अनुभव नहीं किया कि भारत आज से 20 साल पहले कहां था वो सुनते हैं कि नेता आकर कहते हैं उनको देखिए कोई सरकार आ जाए कोई फर्क नहीं पड़ेगा भारत तो बढ़ता रहेगा लगातार बढ़ता रहेगा नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री रहे, नहीं रहे, बीजेपी रहे नहीं रहे, कोई भी सरकार आ जाए मिली- जुली सरकार खिचड़ी सरकार भारत की प्रगति होती रहेगी तो मैं चाहता हूं इस पर आप जरा अपने फ्यूचर विजन को लेकर ताकि कोई भी पीढ़ी टेकन फॉर ग्रांटेड ना करे भारत के डेवलपमेंट को। इसको आप कैसे इसको एक्सप्रेस करना चाहेंगे की जो फीलिंग है कि कोई भी सरकार आ जाए कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला।

पीएम मोदी- पहले मैं जी जनरल वे में बताता हूं। देखो जब हमारा देश आजाद हुआ तब दुनिया की इकॉनमी में हम नंबर छह पर थे। भारत का स्थान छह पर था। हमारे इन महानुभावों ने सरकार ऐसी चलाई सब बड़े- बड़े महान विद्वान लोगों कि हम 11 नंबर पर पहुंच गए। 10 साल में हमारे एक के बाद एक सुविचारित कदम आज हम 11 नंबर से पांच नंबर पर आ गए। अब कुछ लोग कहते हैं अरे भई ये तो नेचुरल होने वाला अब छह से 11 हुआ वो क्या था भाई? अगर नेचुरल होना था तो छह से पांच होना चार होना चाहिए था 11 हुआ मतलब तुमने कुछ उल्टा किया। अब हम देखिए 2014 में कांग्रेस ने एक अनाउंसमेंट किया था, उन्होंने कहा था 2043 हम भारत को दुनिया की तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनाएंगे, ये उन्होंने 2043 कहा था। हमारी सरकार तीसरी पारी में तीसरे नंबर की इकॉनमी बनाने का लक्ष्य लेकर के चल रही है मतलब कांग्रेस के हिसाब से 15 साल पहले मेरा एक तो मैंने प्रीपोन कर दिया कार्यक्रम पर इसके लिए मुझे मेहनत लगती है। अगर कांग्रेस की स्पीड से चलते तो मुझे लगता है कि ये तीसरे नंबर की इकॉनमी आते-आते हो सकता है अर्नब का पोता शायद उसको समाचार मिलते कि हां तीसरे नंबर पर पहुंचे ये हाल हो जाता। दो-दो तीन-तीन पीढ़ी मिट जाती जी और हम इतना तो देश का नौजवान उसको पुराना पता नहीं है लेकिन देश के नौजवान को दुनिया का पता है। देश के नौजवान को अगर चीजें मिले तो मानता नहीं है लेकिन वो एनालिसिस करता है ये अच्छी निशानी है और मैं मानता हूं कि देश के अब जो इस बार फर्स्ट टाइम वोटर है वो 2014 के पहले तो 8 साल का 10 साल का 12 साल का था। उसको उस समय के अखबारों में क्या चलता था, भ्रष्टाचार की खबरें क्या होती थी, कानून व्यवस्था के बम ब्लास्ट हो रहे हैं, हर जगह पर बॉर्ड लगे रहे लावारिस चीजों को हाथ ना लगाओ एयरपोर्ट पर बोला जाता है लावारिस चीजों को हाथ मत लगाओ। लावारिस है, आज उसको कुछ ऐसा सुनने को मिलता नहीं है तो ये चीजें वो समझता है और हमने भारत की ग्रोथ को एक प्रकार से दो-दो पीढ़ी एडवांस कर दिया है मैंने। दो-दो पीढ़ी मैंने एडवांस कर दिया है और मैं जैसे आपने उल्लेख किया गगनयान की बात हो बुलेट ट्रेन की बात हो स्पेस स्टेशन की बात हो या एयरपोर्ट अब देखिए भाई हमें, आज भारत के पास करीब सभी मिलाकर के प्राइवेट प्लेन वगैरह सब गिने 600-700 हवाई जहाज है। अभी 1100 हवाई जहाज के ऑर्डर बुक किया हुआ है भारत ने।

 

अर्णव गोस्वामी- एक आकड़ा शेयर करूं मोदी जी। एक आंकड़ा मेरे पास है कि 2028 में जब तक भारत तीसरी नंबर की इकॉनमी हो जाएगा। आपके तीसरे कार्यकाल में तो भारत की जो टोटल ग्लोबल एयर ट्रैफिक है वो 50% होगी। पूरी दुनिया की मतलब हर दूसरी प्लेन भारत से टेक ऑफ करेगी। ये आपके कार्यकाल में होगा।

पीएम मोदी- और इसलिए मेरे सामने चुनौती ये नहीं है मेरे सामने चुनौती मैं कितनी तेजी से एयरपोर्ट बनाऊंगा। सिर्फ एविएशन, टूरिज्म, आप मान के चलिए जी मैं इस जी-20 में मैंने 200 कार्यक्रम अलग-अलग देश के स्थानों पर किए। मैंने टूरिजम का एक फाउंडेशन बना दिया है जी। इतना बड़ा टूरिजम आने की संभावना मैं देख रहा हूं जी-20 के हर देश के हर लोग यार भारत एक बार तो जाना चाहिए। ये मूड बना दिया है, मैंने और मैं विद इन इंडिया यात्रा और इंटरनेशनल टूरिस्ट का आना इन दोनों को मैं जोड़ रहा हूं। अब आप एविएशन सेक्टर देखिए रोजगार के कितने अवसर बनेंगे आप फ्लाइट क्रू चाहिए आपको ग्राउंड मैनेजमेंट के लिए बहुत बड़ी मात्रा में लोग आपको इंजीनियर्स चाहिए, आपको कंप्यूटर मैनेजमेंट वाले लोग चाहिए. आपको मेंटेनेंस के लिए हजारों लोग लगते हैं यानि पूरा भारत एक प्रकार से लॉजिस्टिक हब बनेगा। कितनी व्यवस्था लगेगी आप कल्पना कर सकते इतना ही नहीं जी। देश के नौजवान यानि आप टियर वन टियर टू सिटी तक मत देखिए आप गांव तक देखिए भारत के नौजवान डॉक्टर, इंजीनियर बनने की सपना ही नहीं देखता था क्यों कि उसको तो बेचारे को पहले तो मुझे अंग्रेजी स्कूल में पढ़ना पड़ेगा। मेरे मां-बाप के पास पैसे नहीं मैं अंग्रेजी स्कूल में कैसे पढ़ूंगा। मैंने निर्णय कर लिया मातृभाषा में भी तुम डॉक्टर बन सकते हो, मातृभाषा में तुम इंजीनियर बन सकते हो। तुम्हें अंग्रेजी पढ़े बिना तुम्हारी रुकेगी नहीं, अब देखिए मैं सोच रहा हूं 2029 में मैं यूथ ओलंपिक भारत में करना चाहता हूं। मैं बीच ओलंपिक भारत में करना चाहता हूं। मैं 2036 ओलंपिक यहां करना चाहता ये चीजें कोई शो-केस नहीं है जी। मेरे देश के मिजाज को बदलते जी 20 साहब आठवीं कक्षा का बच्चा स्कूल में बोलता था, जी-20 जबकि पहले लोगों को पता नहीं था जी तो मैं मेरे देश के हर बच्चे को ग्लोबल माइंडसेट उसका तैयार कर रहा हूं एक के बाद एक में कदम वो उठा रहा हूं और तीसरा कार्यकाल मुझे मेरे सबसे बड़ी मेरी भरोसे की ताकत है ये बिलो 30 ग्रुप है वो मेरे साथ जुड़ जाएगा। पूरा विश्वास है मेरा, मेरे देश से 20 टू 30 वाला जो ऐज ग्रुप है वही मेरे देश को आगे स्पीड मेरी बढ़ाने वाला दूसरा माताएं-बहनें। माताओं-बहनों का जो रोल है वो पिछली शताब्दी में जितना हुआ है उससे सैकड़ों गुना बढ़ जाएगा जी। यानि हम कितनी तेजी से बढ़ेंगे। इसका आप अंदाज कर सकते हैं जी।


अर्णव गोस्वामी- प्रधानमंत्री जी, जब आप प्रधानमंत्री बने थे पहली बार तब सबने कहा था कि एक्सपीरियंस नरेंद्र मोदी जी की है गवर्नेंस में जो आपके शुभचिंतक है जो आपके क्रिटिक है सब मानते थे मगर कह रहे थे कि विदेश नीति ये समझ नहीं पाएंगे ये बहुत complex मामला है diplomacy इन्होंने की नहीं है जबकि आप कर चुके थे। मुझे याद है जब आप गए थे मुख्यमंत्री होकर आप चीन गए थे एक बार आप से बातचीत भी हुई थी उसी समय प्रधानमंत्री जी, आने वाले दिनों में ये और complex हो सकता है क्योंकि तीन से पांच और 10 से 15 ट्रिलियन ये जल्दी होगा और हम एक ग्लोबल कंपीटीटर बन जाएंगे। इंडिविजुअली आप पर जो लोग कह रहे हैं कि प्रेशर बहुत बढ़ जाएगा। एक तरह से पश्चिमी देशों से प्रेशर बनेगा कि आप रूस से दूरी रखें, रूस से दूरी रखें और एक तरह से चाइना से भी प्रेशर बनेगा क्योंकि इकोनॉमिक कंपटीशन और बढ़ जाएगी तो कोल्ड वॉर 2.0 एक आने वाला है जिसमें भारत भी एक तरह से एक प्लेयर बन जाएगा इसमें क्या नॉन अलाइनमेंट 2.0 वाली पॉलिसी चलेगी आपने यूक्रेन के समय में देश हित वाली पॉलिसी चलाई तो आप ये प्रेशर कैसे हैंडल करेंगे क्योंकि ये बढ़ता जाएगा आने वाले दिनों में ये आम अनुमान है...

पीएम मोदी- एक तो मेरा जो विदेश विषय का जो अनुभव है एक घटना अटल जी के जो पर्सनल सेक्रेटरी थे मिस्टर सिन्हा, शक्ति सिन्हा। उनका स्वर्गवास हो गया, उन्होंने किताब लिखी है और उस किताब में उन्होंने मेरा जिक्र किया है। मैं पार्टी का काम करता था और न्यूक्लियर टेस्ट के बाद जो दुनिया में स्थिति बनी तो अमेरिका में इंडिया कोकस बनाने की दिशा में हम कैसे काम कर सकते हैं उसका एक विस्तार से उन्होंने वर्णन किया। उसमें मोदी का क्या रोल था सारा उन्होंने लिखा है और तब वो अटल जी के साथ काम करते थे तो खैर वो तो एक अलग बात है। सवाल ये है पहले हमारी सोच रही कि हम इससे इतनी दूरी बनाकर रखेंगे, हम इससे इतनी दूरी बनाएंगे ये एक अप्रोच था मैंने कहा हमारा अप्रोच ये नहीं रहेगा, हमारा अप्रोच रहेगा हम किससे कितने निकटता बनाएंगे पहले क्राइटेरिया था दूरी का स्टैंडर्ड था मेरा था निकट का स्टैंडर्ड अगर मैं इसकी इतनी निकटता रखता हूं तो इसकी भी इतनी निकटता रखूंगा मैं उसकी इतनी निकटता रखता हूं तो मैं इसकी इतनी निकटता वाला विषय को लाया। तो हुआ क्या बॉल सामने वाले की गेंद में गया उसको लगा यार मैं यहां तक मोदी के पास हूं। भारत के पास हूं और वो मेरा विरोधी वहां है मैं थोड़ा और आगे चलूं मैं ज्यादा- ज्यादा तो आज दुनिया में कंपटीशन है कि भई भारत के निकट कैसे जाएं। पहले कंपटीशन थी भाई दूरी, अच्छा वो वहां है तो वो मेरा विरोधी है तो मैं भी इतना ही रहूंगा। मैंने उल्टा कर दिया जैसे लुकिस पॉलिसी में कहा चेंज इट एक्टिस पॉलिसी करो तो मैंने इसको एक्टिस। लगता होगा आपको शब्दों का खेल है शब्दों का खेल नहीं है ये पूरी प्रक्रिया बदल जाती है उससे और मेरा मत है कि साउथ ईस्ट एशिया का कैपिटल मेरा देश क्यों ना हो। वो मिजाज हमारा क्यों नहीं होना चाहिए सारे दुनिया के देशों को हमारे साथ जुड़ने का मन क्यों नहीं करना चाहिए। हम इतने फिजिकली पास में है हमारा गुवाहाटी या हमारा कोलकाता ये बहुत बड़े सेंटर बन सकते हैं जी। मैं मेरे कोलकाता को पूरे साथ एशिया के लिए एक बहुत बड़ा आकर्षक स्थान क्यों ना बनाऊं। मैं उस दिशा में सोचता हूं और मुझे लगता है कि भारत की प्रगति से किसी को खतरा नहीं है जी आज भारत मजबूत होता तो दुनिया चिंतित नहीं होती है। दुनिया को अच्छा लगता है। भारत जितना आगे बढ़ता है लोग दुनिया का बोझ कम हो रहा है। अब हमने जो बदलाव लाया हमने टॉयलेट बनाए तो लोगों को लगता है दुनिया में टॉयलेट का जो आंकड़ा था सुधर गया। हम जीडीपी बढ़ा रहे हैं तो, हम पर कैपिटा इनकम बढ़ा रहे हैं तो, हम सोलर एनर्जी कर रहे हैं तो, हम दुनिया के रैंकिंग को प्रभावित कर रहे हैं। पॉजिटिवली प्रभावित कर रहे हैं। तो दुनिया को भारत अच्छा लगता है दुनिया को लगता है भारत परफॉर्म करेगा तो ग्लोबली हमें पॉजिटिव वाइब मिलेगा और इन दिनों देखा होगा हर कोई कहता है इधर-उधर मत देखो भारत अवसरों की खदान है। दुनिया के सब लोग अपने अपने देश के नौजवानों को कहते हैं अपनी कंपनियों को कहते हैं कि भारत अवसरों की खदान है अब देखिए हमने जी-20 में अफ्रीका को हमने मेंबर बनाया। इनिशिएटिव हमने लिया, हमने ग्लोबल साउथ पर फोकस किया ग्लोबल साउथ पर फोकस किया है हम एक बड़े प्लेयर के रूप में फोकस कर रहे। हम किनारे पर खेल देखने वाले नहीं बन रहे और वो हम उनको मदद करके उनको उपयोगी हो करके उनके साथ जुड़ कर के कर रहे हैं और हम नेचुरल एलाइनमेंट जैसा हमारे लोग फील करते हैं जी।

 

अर्णव गोस्वामी- प्रधानमंत्री जी, आपने प्लेयर की बात कही व्यक्तिगत तौर पर आप पर भी ग्लोबल फोकस बहुत बढ़ गया है और अपेक्षा भी बढ़ गई है क्योंकि ये, ये समांतर लोग आज कह रहे कि All over the world there are very few people who can match the experience and the stature of Narendra Modi as the leader of the world's largest country, largest democracy, with a lot of experience. तो एक जिसको कहते हैं स्वीकार्यता या कि ग्लोबल एक्सेप्टेबिलिटी। नरेंद्र मोदी जी की बहुत बढ़ गई है। अब मैं जैसे यूक्रेन की बात कही तो आपको इन्विटेशन वेस्टर्न ब्लॉक ने भी इनवाइट की है जो ये पीस समिट होने वाली है यूक्रेन में। उसके बाद जी समिट पे आप जाएंगे तीसरे कार्यकाल में और उसके बाद इमीडिएटली उसके बाद आपका एनुअल समिट रशिया के साथ भी है जिस पर जयशंकर जी ने पिछली बार पुतिन जी को कहा कि अगली बार प्रधानमंत्री जी आएंगे इस बार व्यस्त नहीं आ पाए तो एक फीलिंग होती है कि मॉस्को हो या वाशिंगटन हो या लंदन हो Narendra Modi can play a role as a very acceptable global mediator on global conflict and issues like these between different sides या शायद मीडिएट ठीक शब्द नहीं होगा प्रधानमंत्री जी टू रिड्यूस ग्लोबल टेंशन मे बी दिस इज अ बेटर वे ऑफ पुटिंग इट तो इस पर मैं चाहता हूं कि बिकॉज इट विल इससे भारत का स्टेचर भी काफी बढ़ेगा और बढ़ भी चुका है आपके कार्यकाल में इस पर जरा आपकी राय क्या है?

पीएम मोदी- ऐसा है कि एक तो मैं बड़ी-बड़ी बातें करूं वो मुझे शोभा नहीं देता है और ना ही वो उचित होगा। दुनिया को ये विश्वास है कि भारत के चुनाव नतीजे क्या आने वाले हैं, आश्वस्त है। और इसलिए मुझे जून महीने के इन्विटेशन आगे पड़े हैं, अगस्त के हैं, अक्टूबर के हैं, सितंबर के हैं, और मैं सबको कहता हूं मेरे यहां तो अभी चुनाव अरे बोले चुनाव तो हमें मालूम क्या होने वाला है आपको आना ही है ये यानि एक प्रकार दुनिया को विश्वास है कि हमें अब मैं समझता हूं कि दुनिया के जितने ग्रुप्स है, समूह जो बने हुए हैं करीब-करीब सभी समूह किसी न किसी रूप में भारत की उपस्थिति उस पर चाहता है। जी-7 है तो मेंबर नहीं तो वो चाहते हम भविष्य में तो एक अच्छी स्थिति भारत की उस प्रकार से हमारा न बढ़ता जा रहा है। जहां तक कॉन्फ्लेट का सवाल है, ज्यादातर दुनिया के देश पोजीशन लेकर बैठे हुए है। हम ही एक अकेले हैं जिसकी पोजीशन बहुत साफ है। हम किसी के पक्ष में नहीं है। हम शांति के पक्ष में है और इसके कारण विश्व का विश्वास बना यही एक लोग हैं कि जो किसी को आर्म्स देने की भी बात नहीं करते हैं और किसी को लड़ाई ना करने की भी बात नहीं करते हैं। अब मेरे में हिम्मत थी कि राष्ट्रपति पुतिन के साथ बैठ के आंख में आंख मिला के मैंने कहा था This is not the time for war.

 

अर्णव गोस्वामी- जो ग्लोबल हेडलाइन बन गया था एक हफ्ते के लिए...

पीएम मोदी- हां, तो भारत ने अपनी ये पोजीशन बना ली है और हम शांति के पक्ष में है अब जिस समय अभी इजराइल में और हमास का जो चल रहा था। तो मैंने मेरा स्पेशल दूत भेजा था इजराइल और इस इजराइल को मैं समझाने के लिए भेजा था कि कम से कम ये रमादान चल रहा है रमजान महीना चल रहा है उस समय आप लड़ाई मत करो किसी पर हमले मत करो लेकिन दुनिया को मालूम नहीं है।

 

अर्णव गोस्वामी- ये बात, ये बात ज्यादा चर्चा में नहीं थी।

पीएम मोदी- रमादान हो गया है तो मैं आज बताता हूं। मैंने स्पेशल एनवा भेजे थे अच्छा और मैंने उनको कहा था कि ये जेस्चर आपका बाकी जगह दूसरा मैंने कहा कि वहां के लोगों को रमादान के समय जो सुविधा की आवश्यकता है भारत उनके लिए भेजना चाहता है। हमें कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए, हम उनकी जो भी मदद करना चाहे वो करें। तो हमारा ये ये कैरेक्टर है जी और हम ये करते हैं हम इसका ढोल नहीं पीटते लेकिन हम करते हैं और कुछ मात्रा में हमें सफलता मिलती है, कुछ मात्रा में नहीं मिलती है, लेकिन हम ही कर रहे हैं इस मिजाज से हम नहीं कर रहे हैं। हम दुनिया से कट कर के रहना नहीं चाहते हैं और दुनिया के सट कर के रहने में देश की वैल्यूज को छोड़ने को लेकर हम तैयार नहीं है। हम, हमारा देश, हमारे मूल्य, हमारी परंपरा है। उसी को लेकर के हम दुनिया के सामने जा रहे हैं।


अर्णव गोस्वामी- आपने जो बात अभी कही ये बहुत बहुत इंपॉर्टेंट बात है लोगों को पता भी नहीं है। इससे एक तरह का अलग मैसेज भी जाता है। प्रधानमंत्री जी 2014 में मुझे चिंता हो गई थी इस बार मुझे लगता है नरेंद्र मोदी जी मुझे इंटरव्यू नहीं देंगे तो मैं एक व्यक्तिगत बात आपको करना चाहता हूं मैंने फोन किया था दिल्ली के उस समय के आउटलुक के एडिटर थे विनोद मेहता, मैंने बोला उनको कि इस बार मुझे लगता है कि आई विल बी लेफ्ट आउट उन्होंने कहा था डोंट वरी यू विल गेट द लास्ट इंटरव्यू और ये कोइंसिडेंस है कि आज ठीक 10 साल हुए 9 मई 2014 में आपने इंटरव्यू दी थी गांधीनगर में मैं आया था और उस इंटरव्यू की एक हेडलाइन टॉकिंग पॉइंट बनी थी। आपने पाकिस्तान के संदर्भ में कहा था कि अर्णव बम, बंदूक और बारूद के बीच में बातचीत हो सकती है क्या? तो मेरा सवाल आपसे है 10 साल हो गए आपने कोई चेंज देखा है पाकिस्तान के अप्रोच में?

पीएम मोदी- हमें पाकिस्तान के अप्रोच में अपना दिमाग खपाना नहीं चाहिए। हमें अपना लक्ष्य लेकर के आगे बढ़ते रहना चाहिए और मैंने विथ रेफरेंस टू पाकिस्तान हिंदुस्तान को चलाने के तरीके 10 साल से ताला लगा दिया है। मैं वो करना ही नहीं चाहता हूं। पाकिस्तान उन्होंने अपना अलग देश 47 में ले लिया हमसे अपना करे भला करे अच्छा करे वो अपना दो टाइम की अच्छी रोटी खा ले बस। मुझे, मुझे कोई उसमें समय गंवाने की जरूरत नहीं है बहुत आगे निकल चुके हैं और हमने अपना विकास उनके रेफरेंस पर करना ही नहीं चाहिए। हम अपना टाइम खराब कर रहे हैं हमें तो अपने, मुझे तो मेरे देश की नई पीढ़ी का भविष्य देखना है जी। हमें उन्हीं को लेकर के चलना चाहिए।

 

अर्णव गोस्वामी- प्रधानमंत्री जी अंत में यही कहूंगा कि आप मास्टर कम्युनिकेटर बिल्कुल हैं और इस इंटरव्यू के जरिए आपने फॉरेन पॉलिसी से लेकर राजनीति और अपने डेवलपमेंट विजन को बहुत क्लेरिटी के साथ हमारे दर्शकों के सामने रखी है अच्छा होता है कि इलेक्शन के टाइम पर इस तरह हमें मौका मिलता है बातचीत करने का। बहुत-बहुत धन्यवाद प्रधानमंत्री जी...

पीएम मोदी- चलिए, मुझे मेरी बहुत शुभकामनाएं। मुझे आज जो सुना मुझे अच्छा लगा कि आपकी इतनी रीजनल चैनल हो चुकी है और एक साथ ये सब वहां भी जाएगा और मेरी तो एक बार आपके फंक्शन में आया था मैंने कहा था कि आपने ग्लोबल बनना चाहिए और मुझे पूरा विश्वास है कि क्योंकि आप पैसों के लिए काम नहीं करते आप एक प्रोफेशन के रूप में इसको लिया है।


अर्णव गोस्वामी- धन्यवाद-धन्यवाद प्रधानमंत्री जी बहुत-बहुत धन्यवाद।

पीएम मोदी- आपके दर्शकों का बहुत-बहुत धन्यवाद और मेरे सभी मतदाताओं से यही आग्रह रहेगा कि अभी भी मतदान का जहां जहां बाकी है भारी मतदान करिए लोकतंत्र के उत्सव को उत्सव के रूप में मनाइए।

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November 22, 2024

गुटेन आबेन्ड

स्टटगार्ड की न्यूज 9 ग्लोबल समिट में आए सभी साथियों को मेरा नमस्कार!

मिनिस्टर विन्फ़्रीड, कैबिनेट में मेरे सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया और इस समिट में शामिल हो रहे देवियों और सज्जनों!

Indo-German Partnership में आज एक नया अध्याय जुड़ रहा है। भारत के टीवी-9 ने फ़ाउ एफ बे Stuttgart, और BADEN-WÜRTTEMBERG के साथ जर्मनी में ये समिट आयोजित की है। मुझे खुशी है कि भारत का एक मीडिया समूह आज के इनफार्मेशन युग में जर्मनी और जर्मन लोगों के साथ कनेक्ट करने का प्रयास कर रहा है। इससे भारत के लोगों को भी जर्मनी और जर्मनी के लोगों को समझने का एक प्लेटफार्म मिलेगा। मुझे इस बात की भी खुशी है की न्यूज़-9 इंग्लिश न्यूज़ चैनल भी लॉन्च किया जा रहा है।

साथियों,

इस समिट की थीम India-Germany: A Roadmap for Sustainable Growth है। और ये थीम भी दोनों ही देशों की Responsible Partnership की प्रतीक है। बीते दो दिनों में आप सभी ने Economic Issues के साथ-साथ Sports और Entertainment से जुड़े मुद्दों पर भी बहुत सकारात्मक बातचीत की है।

साथियों,

यूरोप…Geo Political Relations और Trade and Investment…दोनों के लिहाज से भारत के लिए एक Important Strategic Region है। और Germany हमारे Most Important Partners में से एक है। 2024 में Indo-German Strategic Partnership के 25 साल पूरे हुए हैं। और ये वर्ष, इस पार्टनरशिप के लिए ऐतिहासिक है, विशेष रहा है। पिछले महीने ही चांसलर शोल्ज़ अपनी तीसरी भारत यात्रा पर थे। 12 वर्षों बाद दिल्ली में Asia-Pacific Conference of the German Businesses का आयोजन हुआ। इसमें जर्मनी ने फोकस ऑन इंडिया डॉक्यूमेंट रिलीज़ किया। यही नहीं, स्किल्ड लेबर स्ट्रेटेजी फॉर इंडिया उसे भी रिलीज़ किया गया। जर्मनी द्वारा निकाली गई ये पहली कंट्री स्पेसिफिक स्ट्रेटेजी है।

साथियों,

भारत-जर्मनी Strategic Partnership को भले ही 25 वर्ष हुए हों, लेकिन हमारा आत्मीय रिश्ता शताब्दियों पुराना है। यूरोप की पहली Sanskrit Grammer ये Books को बनाने वाले शख्स एक जर्मन थे। दो German Merchants के कारण जर्मनी यूरोप का पहला ऐसा देश बना, जहां तमिल और तेलुगू में किताबें छपीं। आज जर्मनी में करीब 3 लाख भारतीय लोग रहते हैं। भारत के 50 हजार छात्र German Universities में पढ़ते हैं, और ये यहां पढ़ने वाले Foreign Students का सबसे बड़ा समूह भी है। भारत-जर्मनी रिश्तों का एक और पहलू भारत में नजर आता है। आज भारत में 1800 से ज्यादा जर्मन कंपनियां काम कर रही हैं। इन कंपनियों ने पिछले 3-4 साल में 15 बिलियन डॉलर का निवेश भी किया है। दोनों देशों के बीच आज करीब 34 बिलियन डॉलर्स का Bilateral Trade होता है। मुझे विश्वास है, आने वाले सालों में ये ट्रेड औऱ भी ज्यादा बढ़ेगा। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि बीते कुछ सालों में भारत और जर्मनी की आपसी Partnership लगातार सशक्त हुई है।

साथियों,

आज भारत दुनिया की fastest-growing large economy है। दुनिया का हर देश, विकास के लिए भारत के साथ साझेदारी करना चाहता है। जर्मनी का Focus on India डॉक्यूमेंट भी इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। इस डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि कैसे आज पूरी दुनिया भारत की Strategic Importance को Acknowledge कर रही है। दुनिया की सोच में आए इस परिवर्तन के पीछे भारत में पिछले 10 साल से चल रहे Reform, Perform, Transform के मंत्र की बड़ी भूमिका रही है। भारत ने हर क्षेत्र, हर सेक्टर में नई पॉलिसीज बनाईं। 21वीं सदी में तेज ग्रोथ के लिए खुद को तैयार किया। हमने रेड टेप खत्म करके Ease of Doing Business में सुधार किया। भारत ने तीस हजार से ज्यादा कॉम्प्लायेंस खत्म किए, भारत ने बैंकों को मजबूत किया, ताकि विकास के लिए Timely और Affordable Capital मिल जाए। हमने जीएसटी की Efficient व्यवस्था लाकर Complicated Tax System को बदला, सरल किया। हमने देश में Progressive और Stable Policy Making Environment बनाया, ताकि हमारे बिजनेस आगे बढ़ सकें। आज भारत में एक ऐसी मजबूत नींव तैयार हुई है, जिस पर विकसित भारत की भव्य इमारत का निर्माण होगा। और जर्मनी इसमें भारत का एक भरोसेमंद पार्टनर रहेगा।

साथियों,

जर्मनी की विकास यात्रा में मैन्यूफैक्चरिंग औऱ इंजीनियरिंग का बहुत महत्व रहा है। भारत भी आज दुनिया का बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है। Make in India से जुड़ने वाले Manufacturers को भारत आज production-linked incentives देता है। और मुझे आपको ये बताते हुए खुशी है कि हमारे Manufacturing Landscape में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। आज मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा टू-व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। दूसरा सबसे बड़ा स्टील एंड सीमेंट मैन्युफैक्चरर है, और चौथा सबसे बड़ा फोर व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री भी बहुत जल्द दुनिया में अपना परचम लहराने वाली है। ये इसलिए हुआ, क्योंकि बीते कुछ सालों में हमारी सरकार ने Infrastructure Improvement, Logistics Cost Reduction, Ease of Doing Business और Stable Governance के लिए लगातार पॉलिसीज बनाई हैं, नए निर्णय लिए हैं। किसी भी देश के तेज विकास के लिए जरूरी है कि हम Physical, Social और Digital Infrastructure पर Investment बढ़ाएं। भारत में इन तीनों Fronts पर Infrastructure Creation का काम बहुत तेजी से हो रहा है। Digital Technology पर हमारे Investment और Innovation का प्रभाव आज दुनिया देख रही है। भारत दुनिया के सबसे अनोखे Digital Public Infrastructure वाला देश है।

साथियों,

आज भारत में बहुत सारी German Companies हैं। मैं इन कंपनियों को निवेश और बढ़ाने के लिए आमंत्रित करता हूं। बहुत सारी जर्मन कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने अब तक भारत में अपना बेस नहीं बनाया है। मैं उन्हें भी भारत आने का आमंत्रण देता हूं। और जैसा कि मैंने दिल्ली की Asia Pacific Conference of German companies में भी कहा था, भारत की प्रगति के साथ जुड़ने का- यही समय है, सही समय है। India का Dynamism..Germany के Precision से मिले...Germany की Engineering, India की Innovation से जुड़े, ये हम सभी का प्रयास होना चाहिए। दुनिया की एक Ancient Civilization के रूप में हमने हमेशा से विश्व भर से आए लोगों का स्वागत किया है, उन्हें अपने देश का हिस्सा बनाया है। मैं आपको दुनिया के समृद्ध भविष्य के निर्माण में सहयोगी बनने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

Thank you.

दान्के !