ৰাষ্ট্ৰসংঘৰ সাধাৰণ পৰিষদৰ সভাপতি মহামহিম ছাবা কোৰোছি,
ৰাষ্ট্ৰসংঘৰ উপ-মহাসচিব মহামহিম আমিনা মহম্মদ,
নিউয়ৰ্কৰ মেয়ৰ মহামহিম এৰিক এডামছ
আৰু বিশ্বৰ বিভিন্ন প্ৰান্তৰ পৰা অহা মোৰ প্ৰিয় বন্ধুসকল,

নমস্কাৰ!
বন্ধুসকল,

এই সুন্দৰ ৰাতিপুৱাটোত আমি ইয়াত ৰাষ্ট্ৰসংঘত গোট খাইছো।

সমগ্ৰ মানৱতাৰ মিলন কেন্দ্ৰত! নিউয়ৰ্কৰ এই আচৰিত চহৰখনত! মই জানো, আপোনালোকৰ বহুতেই বহু দূৰৈৰ পৰা আহিছে। আপোনালোকৰ বেছিভাগেই সূৰ্য্য উদয়ৰ আগতেই সাৰ পাইছে, আৰু ইয়ালৈ আহিবলৈ চেষ্টা কৰিছে।

আপোনালোক সকলোকে দেখি মই আনন্দিত হৈছো। আৰু, অহাৰ বাবে আপোনালোক সকলোকে ধন্যবাদ জনাইছো!

বন্ধুসকল,
মোক কোৱা হৈছে যে আজি ইয়াত প্ৰায় প্ৰতিটো জাতিৰ প্ৰতিনিধিত্ব কৰা হৈছে। আৰু, আমাক সকলোকে একত্ৰিত কৰাৰ কি আচৰিত এক কাৰণ - যোগাসন!

যোগৰ অৰ্থ হ'ল - একত্ৰিত কৰা। গতিকে, আপোনাৰ একত্ৰিত হোৱাটো যোগৰ আন এটা ৰূপৰ প্ৰকাশ। মনত আছে, প্ৰায় ন বছৰ আগতে, ঠিক ইয়াত ৰাষ্ট্ৰসংঘত, ২১ জুন তাৰিখটো আন্তঃৰাষ্ট্ৰীয় যোগ দিৱস উদযাপনৰ প্ৰস্তাৱ দিয়াৰ গৌৰৱ অৰ্জন কৰিছিলো।

তেতিয়াৰ দিনত সমগ্ৰ বিশ্বই এই ধাৰণাটোক সমৰ্থন কৰিবলৈ একত্ৰিত হোৱাটো আচৰিত আছিল। মই মাত্ৰ ৰাষ্ট্ৰসংঘৰ সাহসী শান্তিৰক্ষী বাহিনীক শ্ৰদ্ধাঞ্জলি জনাইছো। ২০১৫ চনত তেওঁলোকৰ স্মৃতিত ৰাষ্ট্ৰসংঘত নতুন স্মৃতিসৌধ নিৰ্মাণৰ আহ্বান জনাইছিলোঁ।

আৰু যোৱা সপ্তাহত সমগ্ৰ বিশ্বই ভাৰতৰ সৈতে হাত মিলাই এই কথাটো অতি সোনকালে বাস্তৱত পৰিণত কৰিছিল। সৰ্ববৃহৎ সৈন্যৰ অৱদান আগবঢ়োৱা জাতি হিচাপে আমি এই উদাৰ কাৰ্য্যৰ প্ৰতি সমৰ্থন প্ৰকাশ কৰাৰ বাবে সকলো জাতিৰ প্ৰতি কৃতজ্ঞ।

যোৱা বছৰ সমগ্ৰ বিশ্বই একত্ৰিত হৈ ভাৰতে ২০২৩ চনক আন্তৰ্জাতিক বাজৰাৰ (মিলেট) বছৰ হিচাপে উদযাপন কৰাৰ প্ৰস্তাৱক সমৰ্থন কৰিছিল। বাজৰা এটা ছুপাৰফুড। ইহঁতে সামগ্ৰিক স্বাস্থ্যৰ প্ৰসাৰ ঘটায় আৰু পৰিৱেশৰ বাবেও ভাল। আৰু আজি, যোগৰ বাবে সমগ্ৰ বিশ্বই পুনৰ একত্ৰিত হোৱাটো আচৰিত কথা!

বন্ধুসকল,
যোগ ভাৰতৰ পৰা আহে। আৰু, ই এক অতি পুৰণি পৰম্পৰা। কিন্তু সকলো প্ৰাচীন ভাৰতীয় পৰম্পৰাৰ দৰে ইও জীৱন্ত আৰু গতিশীল। যোগাসন বিনামূলীয়া - কপিৰাইটৰ পৰা, পেটেণ্টৰ পৰা মুক্ত, আৰু ৰয়েল্টি পেমেণ্টৰ পৰা মুক্ত। যোগাসন খাপ খোৱা - আপোনাৰ বয়স, লিংগ, আৰু ফিটনেছ স্তৰৰ লগত। যোগাসন পৰ্টেবল - আপুনি ঘৰতে, বা কৰ্মস্থলীত, বা যাত্ৰাপথতো কৰিব পাৰে।

যোগ নমনীয় - আপুনি ইয়াক অকলেও কৰিব পাৰে, গোট হৈও অনুশীলন কৰিব পাৰে, শিক্ষকৰ পৰাও শিকিব পাৰে, বা নিজেও শিকিব পাৰে। যোগ একত্ৰিতকাৰী এক শক্তি - ই সকলোৰে বাবে, সকলো জাতি-জনগোষ্ঠীৰ বাবে, সকলো ধৰ্মৰ বাবে, আৰু সকলো সংস্কৃতিৰ বাবে। যোগ সঁচাকৈয়ে সাৰ্বজনীন।

বন্ধুসকল,
যোগাসন কৰিলে আমি শাৰীৰিকভাৱে সুস্থ, মানসিকভাৱে শান্ত আৰু আৱেগিকভাৱে সন্তুষ্ট অনুভৱ কৰো। কিন্তু কেৱল মেটত ব্যায়াম কৰাটোৱেই নহয়। যোগ হৈছে এক জীৱনশৈলী। স্বাস্থ্য আৰু সুস্থতাৰ এক সামগ্ৰিক দৃষ্টিভংগী। চিন্তা আৰু কৰ্মত সতেজ সপ্ৰতিভ হৈ থকাৰ এটা উপায়। নিজৰ সৈতে, আনৰ সৈতে আৰু প্ৰকৃতিৰ সৈতে মিলাপ্ৰীতিৰে জীয়াই থকাৰ এক উপায়। মই আনন্দিত যে আপোনালোকৰ বহুতেই যোগৰ বিভিন্ন দিশক বৈজ্ঞানিকভাৱে বৈধতা প্ৰদানৰ কাম কৰি আছে। সঁচাকৈয়ে এইটোৱেই হৈছে পথ।

বন্ধুসকল,
মই জানো আপোনালোক সকলোৱে আৰম্ভ কৰিবলৈ আগ্ৰহী! বাৰু, মইও তেনেকুৱাই। আজি আমাক ইয়াত আতিথ্য প্ৰদান কৰাৰ বাবে ৰাষ্ট্ৰসংঘক ধন্যবাদ জনাইছো। এই অনুষ্ঠানটো সফল কৰি তোলাৰ বাবে মেয়ৰ আৰু নিউয়ৰ্ক চহৰৰ সকলো সহায় আৰু সহায়ৰ বাবে মই কৃতজ্ঞ। আৰু সৰ্বোপৰি আজি ইয়াত উপস্থিত হোৱাৰ বাবে আপোনালোক সকলোকে আকৌ এবাৰ ধন্যবাদ জনাইছো। আহক আমি যোগৰ শক্তিক কেৱল সুস্থ আৰু সুখী হোৱাৰ বাবেই নহয়, দয়ালু হ’বলৈও ব্যৱহাৰ কৰো - নিজৰ প্ৰতি, আৰু ইজনে সিজনৰ প্ৰতি।

আহক আমি যোগৰ শক্তিৰ সহায় লৈ বন্ধুত্বৰ সেতু, শান্তিপূৰ্ণ পৃথিৱী, আৰু স্বচ্ছ, সেউজ আৰু বহনক্ষম ভৱিষ্যত গঢ়ি তোলোঁ। আহক আমি একেলগে হাত মিলাই লক্ষ্য বাস্তৱায়িত কৰোঁ – "এখন পৃথিৱী, এক পৰিয়াল, এক ভৱিষ্যত"। এক মঙ্গল কাৰমনাৰে সামৰণি মাৰো: सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः – অৰ্থাৎ সকলো সুখী হওক, সকলোৱে সুস্থ হৈ থাকক!

ধন্যবাদ!
আপোনাক অশেষ ধন্যবাদ!

 

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Our constitution is not merely a Book of Law, its a continuously ever- flowing, living stream: PM
Our Constitution is the guide to our present and our future: PM
Today every citizen has only one goal ,to build a Viksit Bharat: PM
A new judicial code has been implemented to ensure speedy justice, The punishment based system has now changed into a justice based system: PM

भारत के मुख्य न्यायधीश जस्टिस संजीव खन्ना जी, जस्टिस बीआर गवई जी, जस्टिस सूर्यकांत जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे साथी श्रीमान अर्जुन राम मेघवाल जी, अटॉर्नी जनरल श्री वेंकटरमानी जी, बार काउंसिल के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्र जी, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री कपिल सिब्बल जी, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति गण, पूर्व मुख्य न्यायधीश गण, उपस्थित अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

आपको, सभी देशवासियों को संविधान दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। भारत के संविधान का ये 75वां साल, पूरे देश के लिए एक असीम गौरव का विषय है। मैं आज भारत के संविधान को, संविधान सभा के सभी सदस्यों को आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

हम लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण पर्व का जो स्मरण कर रहे हैं, उस समय ये भी नहीं भूल सकते कि आज मुंबई में हुए आतंकी हमले की भी बरसी है। इस हमले में जिन व्यक्तियों का निधन हुआ, उन्हें मैं अपनी श्रद्धांजलि देता हूं। मैं देश को ये संकल्प भी दोहराता हूं कि भारत के सुरक्षा को चुनौती देने वाले हर आतंकी संगठन को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

साथियों,

संविधान सभा की लंबी बहस के दौरान भारत के गणतांत्रिक भविष्य पर गंभीर चर्चाएं हुई थी। आप सभी उस डिबेट से भली-भांति परिचित हैं। और तब बाबा साहेब आंबेडकर ने कहा था- Constitution is not a mere lawyers’ document…its spirit is always the spirit of Age. जिस स्पिरिट की बात बाबा साहेब कहते थे, वो बहुत ही अहम है। देश-काल-परिस्थिति के हिसाब से उचित निर्णय लेकर हम संविधान की समय-समय पर व्याख्या कर सकें, ये प्रावधान हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें दिया है। हमारे संविधान निर्माता ये जानते थे कि भारत की आकांक्षाएं, भारत के सपने समय के साथ नई ऊंचाई पर पहुंचेंगे, वो जानते थे कि आज़ाद भारत की और भारत के नागरिकों की ज़रूरतें बदलेंगी, चुनौतियां बदलेंगी। इसलिए उन्होंने हमारे संविधान को महज़ कानून की एक किताब बनाकर नहीं छोड़ा...बल्कि इसको एक जीवंत, निरंतर प्रवाहमान धारा बनाया।

साथियों,

हमारा संविधान, हमारे वर्तमान और हमारे भविष्य का मार्गदर्शक है। बीते 75 वर्षों में देश के सामने जो भी चुनौतियां आई हैं, हमारे संविधान ने हर उस चुनौती का समाधान करने के लिए उचित मार्ग दिखाया है। इसी कालखंड में आपातकाल जैसा समय भी आया...और हमारे संविधान ने लोकतंत्र के सामने आई इस चुनौती का भी सामना किया। हमारा संविधान देश की हर जरूरत, हर अपेक्षा पर खरा उतरा है। संविधान से मिली इस शक्ति की वजह से ही...आज जम्मू-कश्मीर में भी बाबा साहेब का संविधान पूरी तरह लागू हुआ है। आज वहां पहली बार संविधान दिवस मनाया गया है।

साथियों,

आज भारत, परिवर्तन के इतने बड़े दौर से गुजर रहा है, ऐसे अहम समय में भारत का संविधान ही हमें रास्ता दिखा रहा है, हमारे लिए गाइडिंग लाइट बना हुआ है।

साथियों,

भारत के भविष्य का मार्ग अब बड़े सपनों, बड़े संकल्पों की सिद्धि का है। आज हर देशवासी का एक ही ध्येय है- विकसित भारत का निर्माण। विकसित भारत का मतलब है, जहां देश के हर नागरिक को एक quality of life मिल सके, dignity of life मिल सके। ये सामाजिक न्याय, सोशल जस्टिस का भी बहुत बड़ा माध्यम है। और ये संविधान की भी भावना है। इसलिए, बीते वर्षों में, देश में लोगों के बीच आर्थिक और सामाजिक समानता लाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। बीते 10 वर्षों में 53 करोड़ से ज्यादा ऐसे भारतीयों का बैंक खाता खुला है...जो बैंक के दरवाजे तक नहीं पहुंच पाते थे। बीते 10 वर्षों में 4 करोड़ ऐसे भारतीयों को पक्का घर मिला है, जो कई-कई पीढ़ियों से बेघर थे, बीते 10 वर्षों में 10 करोड़ से ज्यादा ऐसी महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन मिला है, जो बरसों से अपने घर में गैस पहुंचने का इंतजार कर रही थीं। हमें आज के जीवन में बहुत आसान लगता है कि घर में नल खोला और पानी आ गया। लेकिन देश में आजादी के 75 साल बाद भी सिर्फ 3 करोड़ घर ही ऐसे थे, जिनमें नल से जल आता था। करोड़ों लोग तब भी अपने घर में नल से जल का इंतजार कर रहे थे। मुझे संतोष है कि हमारी सरकार ने 5-6 साल में 12 करोड़ से ज्यादा घरों को नल से जल देकर नागरिकों का और विशेषकर महिलाओं का जीवन आसान बनाया है, संविधान की भावना को सशक्त किया है।

साथियों,

आप सभी जानते हैं कि हमारे संविधान की मूल प्रति में प्रभु श्रीराम, माता सीता, हनुमान जी, भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, गुरू गोविंद सिंह जी...सभी के चित्र हैं। भारत की संस्कृति के प्रतीक...इन चित्रों को संविधान में इसलिए स्थान दिया गया ताकि वो हमें मानवीय मूल्यों के प्रति सजग करते रहें। ये मानवीय मूल्य...आज के भारत की नीतियों और निर्णयों का आधार हैं। भारतीयों को त्वरित न्याय मिले, इसके लिए नई न्याय संहिता लागू की गई है। दंड आधारित व्यवस्था अब न्याय आधारित व्यवस्था में बदल चुकी है। महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने के लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम का ऐतिहासिक निर्णय हुआ है। हमने third gender को उनकी पहचान और उनका हक दिलाने के लिए भी कदम उठाए हैं। हमने दिव्यांगजनों के जीवन को आसान बनाने के लिए भी व्यवस्थाएं बनाईं हैं।

साथियों,

आज देश का बहुत ज्यादा जोर, देश के नागरिकों की Ease of Living पर है। एक समय था जब पेंशन पाने वाले सीनियर सीटिजन्स को बैंक में जाकर साबित करना होता था कि वो जीवित हैं। आज सीनियर सिटीज़न्स को घर बैठे ही डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट्स की सुविधा मिल रही है। करीब-करीब डेढ़ करोड़ सीनियर सीटिजन्स अब तक इस सुविधा का लाभ उठा चुके हैं। आज भारत वो देश है जो हर गरीब परिवार को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देता है। आज भारत वो देश है, जो 70 वर्ष से ऊपर के हर बुजुर्ग को फ्री हेल्थकेयर की सुविधा देता है। देश के हजारों जनऔषधि केंद्रों पर आज 80 परसेंट डिस्काउंट पर सस्ती दवाइयां मिल रही हैं। एक समय में हमारे देश में इम्यूनाइजेशन की कवरेज भी 60 परसेंट से भी कम थी। करोड़ों बच्चे हर साल टीकाकरण से छूट जाते थे। आज मुझे संतोष है कि अब मिशन इंद्रधनुष की वजह से भारत में इम्यूनाइजेशन की कवरेज शत प्रतिशत पहुंच रही है। आज दूर-सुदूर के गांवों में भी समय पर बच्चों का टीकाकरण हो पा रहा है। इन प्रयासों ने गरीबों की, मध्यम वर्ग की बहुत बड़ी चिंता कम की है।

साथियों,

आज देश में कैसे काम हो रहा है...इसका एक उदाहरण Aspirational District अभियान भी है। देश के 100 से अधिक ऐसे जिले जिन्हें पिछड़ा कहा जाता था...हमने उन्हें Aspirational District माना और वहां हर पैरामीटर में विकास की गति तेज़ की गई है। आज देश के अनेक Aspirational Districts, दूसरे जिलों से बहुत बेहतर कर रहे हैं। अब इसी मॉडल के आधार पर हमने aspirational block program भी शुरु किया है।

साथियों,

लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी से परेशानियां खत्म करने पर भी आज देश का बहुत ज्यादा जोर है। कुछ साल पहले तक भारत में ढाई करोड़ घर ऐसे थे, जो शाम होते ही अंधेरे में डूब जाते थे, उन घरों में बिजली कनेक्शन ही नहीं था। सबको बिजली का मुफ्त कनेक्शन देकर, देश ने उनके जीवन को रोशन कर दिया है। बीते वर्षों में दूर-सुदूर इलाकों में भी हजारों की संख्या में मोबाइल टावर्स लगाए गए हैं...ताकि लोगों को 4G/5G कनेक्टिविटी मिलती रहे। पहले कभी आप अंडमान या लक्ष्यद्वीप जाते थे तो वहां ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी नहीं मिलती थी। आज अंडरवॉटर ऑप्टिकल फाइबर ने ऐसे द्वीपों तक भी अच्छी स्पीड वाला इंटरनेट पहुंचा दिया है। हमारे यहां गांव के घरों, गांव की ज़मीन से जुड़े कितने विवाद होते रहे हैं...ये भी हम भली-भांति जानते हैं। पूरी दुनिया में विकसित देशों के सामने भी लैंड रिकॉर्ड एक बहुत बड़ा चैलेंज रहा है। लेकिन आज का भारत, इसमें भी लीड ले रहा है। पीएम स्वामित्व योजना के तहत, आज गांव के घरों की ड्रोन मैपिंग की जा रही है और लीगल डॉक्यूमेंट इश्यू किए जा रहे हैं।

साथियों,

देश के विकास के लिए आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का तेज निर्माण भी उतना ही जरूरी है। इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे होने से देश का धन भी बचता है...और प्रोजेक्ट भी, उसकी उपयोगिता भी बहुत बढ़ जाती है। इसी सोच के साथ प्रगति नाम से एक प्लेटफॉर्म बनाया गया है जिसमें इंफ्रा प्रोजेक्ट्स का रेगुलर रिव्यू होता है। और इनमें से कुछ प्रोजेक्ट्स तो ऐसे थे जो 30-30, 40-40 साल से पेंडिंग थे। मैं खुद इसकी मीटिंग्स को चेयर करता हूं। आपको जानकर अच्छा लगेगा कि अभी तक 18 लाख करोड़ रुपए के ऐसे प्रोजेक्ट्स को रिव्यू करके, उनके सामने की अड़चनों को दूर किया जा चुका है। समय पर पूरे हो रहे प्रोजेक्ट्स लोगों के जीवन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। देश में हो रहे ये प्रयास...देश की प्रगति को भी गति दे रहे हैं और संविधान की मूल भावना को भी सशक्त कर रहे हैं।

साथियों,

मैं अपनी बात डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी के शब्दों के साथ समाप्त करना चाहूंगा...26 नवंबर...आज के ही दिन 1949 में संविधान सभा में अपने समापन भाषण में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी ने कहा था...“भारत को आज ईमानदार लोगों के एक समूह से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए जो अपने हितों से आगे देश का हित रखेंगे। नेशन फर्स्ट, राष्ट्र सर्वप्रथम की यही भावना भारत के संविधान को आने वाली कई-कई सदियों तक जीवंत बनाए रखेगी। मैं, संविधान ने मुझे जो काम दिया है, मैंने उसी मर्यादा में रहने का प्रयास किया है, मैंने कोई encroachment की कोशिश नहीं की है। क्योंकि संविधान ने मुझे वो काम कहा इसलिए मैंने अपनी मर्यादाओं को संभालते हुए अपनी बात को रखा है। यहां तो इशारा ही चल रहा होता है ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं होती है।

बहुत-बहुत धन्यवाद।