আজি প্ৰধানমন্ত্ৰী শ্ৰী নৰেন্দ্ৰ মোদীয়ে উত্তৰ প্ৰদেশৰ সন্ত কবীৰ নগৰৰ মঘৰ পৰিদৰ্শন কৰে৷
মহান সন্ত তথা কবি কবীৰৰ ৫০০তম মৃত্যু বাৰ্ষিকী উপলক্ষে তেওঁৰ সমাধিত প্ৰধানমন্ত্ৰীয়ে পুষ্পাঞ্জলি অৰ্পণ কৰে৷ ইয়াৰোপৰি তেওঁ সন্ত কবীৰৰ মাজাৰত চাদৰ তৰ্পণো কৰে৷ তেওঁ সন্ত কবীৰ গুহা পৰিদৰ্শন কৰে আৰু সন্ত কবীৰ একাডেমীৰ আধাৰশিলা স্থাপনৰ চিহ্ন হিচাপে এখন ফলক উন্মোচন কৰে যিয়ে মহান সন্ত গৰাকীৰ শিক্ষা আৰু চিন্তাধাৰাক প্ৰজ্বলিত কৰিব৷
এখন ৰাজহুৱা সভাত প্ৰধানমন্ত্ৰীয়ে কয় যে মঘৰৰ পৱিত্ৰ ভূমিত য’ত সন্ত কবীৰ, গুৰু নানক আৰু বাবা গোৰখনাথে আধ্যাত্মিক আলোচনা কৰিছিল বুলি কোৱা হয়, সেই স্থানত সন্ত কবীৰক শ্ৰদ্ধাঞ্জলী জ্ঞাপন কৰিবলৈ তেওঁৰ বিগত চাৰি বছৰে ধৰি ইচ্ছা পুহি ৰাখিছিল৷
প্ৰধানমন্ত্ৰীয়ে কয় যে সন্ত কবীৰ একাডেমী ২৪ কোটি টকা ব্যয়েৰে নিৰ্মাণ কৰা হ’ব যি সন্ত কবীৰৰ মহান গাঁথা উজ্বীৱিত কৰাৰ উপৰিও উত্তৰ প্ৰদেশৰ আঞ্চলিক তথা লোক কলাসমূহকো সংৰক্ষিত কৰিব৷
তেওঁ কয় যে সন্ত কবীৰে ভাৰতীয় আত্মাক প্ৰতিনিধিত্ব কৰে৷ ইয়াৰোপৰি সন্ত কবীৰে জাতিৰ অন্তৰাল অতিক্ৰমী সাধাৰণ আৰু গ্ৰামীণ জনসাধাৰণৰ ভাষা কৈছিল বুলিও প্ৰধানমন্ত্ৰী গৰাকীয়ে কয়৷
প্ৰধানমন্ত্ৰীয়ে কয় যে ভাৰতৰ বিভিন্ন প্ৰান্তত সন্তসকলৰ সময়ে সময়ে জন্ম হয় আৰু তেওঁলোকে সামাজিক বিনাশক প্ৰতিৰোধ কৰিহলৈ সমাজক পথ দেখুৱায়৷ ভাৰতৰ বিভিন্ন যুগৰ বিভিন্ন স্থানৰ সন্তসকলৰ নাম প্ৰকাশ কৰি প্ৰধানমন্ত্ৰীয়ে বাবাচাহেব আম্বেদকাৰৰ নাম উল্লেখ কৰি তেওঁ সমগ্ৰ ভাৰতৰ নাগৰিকসকলৰ সংবিধানৰ জৰিয়তে সমতা স্থাপনৰ হকে কাম কৰিছিল বুলি কয়৷
ৰাজনৈতিক সুবিধাবাদৰ বিপক্ষে শক্তিশালী বিবৃতি প্ৰদান কৰি প্ৰধানমন্ত্ৰীয়ে সন্ত কবীৰৰ শিকনি- এজন আদৰ্শ শাসকে জনসাধাৰণৰ আবেগ অনুভৱ কৰিব পাৰে বুলি স্মৰণ কৰে৷ তেওঁ কয় যে সন্ত কবীৰে জনসাধাৰণৰ বিভাজিত কৰাৰ সামাজিক আন্তঃগাঁথনিক সমালোচনা কৰিছিল৷ ভাষণৰ শেষত, প্ৰধানমন্ত্ৰীয়ে কেন্দ্ৰীয় চৰকাৰৰ দুখীয়া আৰু সমাজৰ পিছপৰা শ্ৰেণীক সৱলীকৰণ কৰা বিভিন্ন আঁচনি যেনে জন ধন যোজনা, উজ্বলা যোজনা, বীমা আঁচনি, শৌচাগাৰ নিৰ্মাণ আৰু প্ৰত্যক্ষ লাভ স্থানান্তৰৰ বিষয়ে উল্লেখ কৰে৷ ইয়াৰোপৰি তেওঁ বিভিন্ন ক্ষেত্ৰ যেনে পথ, ৰে’লৱে আৰু অপ্টিকেল ফাইবাৰ নেটৱৰ্ক আদিত বৃদ্ধি হোৱা আন্তঃগাঁথনিসমূহৰ বিষয়েও উল্লেখ কৰে৷ তেওঁ কয় যে কেন্দ্ৰীয় চৰকাৰে ভাৰতৰ সকলো প্ৰান্ততে যাতে বিকাশ প্ৰাপ্ত হয় তাৰ নিশ্চিতি প্ৰদানৰ বাবে কাম কৰি আছে৷
সন্ত কবীৰৰ শিকনিয়ে যাতে নতুন ভাৰতক মাত্ৰা প্ৰদান কৰিব পাৰে তেওঁ সেয়া আশা কৰে৷
आज मेरी बरसों की कामना पूरी हुई है..
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संत कबीर दास जी की समाधि पर फूल चढ़ाने का,
उनकी मजार पर चादर चढ़ाने का, सौभाग्य प्राप्त हुआ।
मैं उस गुफा में भी गया, जहां कबीर दास जी साधना करते थे: PM
आज ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा है..
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आज ही से भगवान भोलेनाथ की यात्रा शुरु हो रही है।
मैं तीर्थयात्रियों को सुखद यात्रा के लिए शुभकामनाएं भी देता हूं।
कबीर दास जी की 500वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आज से ही यहां कबीर महोत्सव की शुरूआत हुई है: PM
थोड़ी देर पहले यहां संत कबीर अकादमी का शिलान्यास किया गया है।
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यहां महात्मा कबीर से जुड़ी स्मृतियों को संजोने वाली संस्थाओं का निर्माण किया जाएगा।
कबीर गायन प्रशिक्षण भवन, कबीर नृत्य प्रशिक्षण भवन, रीसर्च सेंटर,
लाइब्रेरी,
ऑडिटोरियम,
हॉस्टल,
आर्ट गैलरी विकसित किया जाएगा: PM
कबीर की साधना ‘मानने’ से नहीं, ‘जानने’ से आरम्भ होती है..
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वो सिर से पैर तक मस्तमौला, स्वभाव के फक्कड़
आदत में अक्खड़
भक्त के सामने सेवक
बादशाह के सामने प्रचंड दिलेर
दिल के साफ
दिमाग के दुरुस्त
भीतर से कोमल
बाहर से कठोर थे।
वो जन्म के धन्य से नहीं, कर्म से वंदनीय हो गए: PM
वो धूल से उठे थे लेकिन माथे का चन्दन बन गए।
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वो व्यक्ति से अभिव्यक्ति और इससे आगे बढ़कर शब्द से शब्दब्रह्म हो गए।
वो विचार बनकर आए और व्यवहार बनकर अमर हुए।
संत कबीर दास जी ने समाज को सिर्फ दृष्टि देने का काम ही नहीं किया बल्कि समाज को जागृत किया: PM
कबीर ने जाति-पाति के भेद तोड़े,
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“सब मानुस की एक जाति” घोषित किया,
और अपने भीतर के अहंकार को ख़त्म कर उसमें विराजे
ईश्वर का दर्शन करने का रास्ता दिखाया।
वे सबके थे, इसीलिए सब उनके हो गए: PM
ये हमारे देश की महान धरती का तप है, उसकी पुण्यता है कि समय के साथ, समाज में आने वाली आंतरिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए समय-समय पर ऋषियों, मुनियों, संतों का मार्गदर्शन मिला।
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सैकड़ों वर्षों की गुलामी के कालखंड में अगर देश की आत्मा बची रही, तो वो ऐसे संतों की वजह से ही हुआ: PM
कुछ दलों को शांति और विकास नहीं, कलह और अशांति चाहिए
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उनको लगता है जितना असंतोष और अशांति का वातावरण बनाएंगे
उतना राजनीतिक लाभ होगा।
सच्चाई ये है ऐसे लोग जमीन से कट चुके हैं
इन्हें अंदाजा नहीं कि संत कबीर, महात्मा गांधी, बाबा साहेब को मानने वाले हमारे देश का स्वभाव क्या है: PM
समाजवाद और बहुजन की बात करने वालों का सत्ता के प्रति लालच आप देख रहे हैं
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2 दिन पहले देश में आपातकाल को 43 साल हुए हैं। सत्ता का लालच ऐसा है कि आपातकाल लगाने वाले और उस समय आपातकाल का विरोध करने वाले एक साथ आ गए हैं।
ये समाज नहीं, सिर्फ अपने और अपने परिवार का हित देखते हैं: PM
जनधन योजना के तहत उत्तर प्रदेश में लगभग 5 करोड़ गरीबों के बैंक खाते खोलकर,
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80 लाख से ज्यादा महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देकर,
करीब 1.7 करोड़ गरीबों को बीमा कवच देकर,
1.25 करोड़ शौचालय बनाकर,
गरीबों को सशक्त करने का काम किया है: PM
14-15 वर्ष पहले जब पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी यहां आए थे, तब उन्होंने इस जगह के लिए एक सपना देखा था।
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उनके सपने को साकार करने के लिए,
मगहर को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र में सद्भाव-समरसता के मुख्य केंद्र के तौर पर विकसित करने का काम अब किया जा रहा है: PM