The Prime Minister, Shri Narendra Modi, today addressed the valedictory session of the function to mark National Law Day – 2017, at Vigyan Bhawan in New Delhi.
He described the Constitution as the very soul of our democratic structure. He said the Day is an occasion to pay homage to the makers of the Constitution. He said the Constitution has stood the test of time, and proved the naysayers wrong.
The Prime Minister quoted extensively from leaders including Dr. B.R Ambedkar, Dr. Sachidanand Sinha, Dr. Rajendra Prasad, and Dr. Sarvepalli Radhakrishnan, during his address. These quotations were used to highlight several important facets of the Constitution, and governance. These themes included the longevity (or immortality) of the Constitution, its workability and flexibility.
The Prime Minister said that the Constitution has been a guardian for us. He emphasized that we, the people, must also work as per the expectations that our guardian – the Constitution – has from us. He said that keeping in mind the needs of the country and the challenges facing it, the various institutions of governance should support and strengthen each other. He said that in the next five years, we should channelize our energies to build the New India – the nation that our freedom fighters dreamt of.
The Prime Minister said that the Constitution has also been described as a social document. He said it is indeed unfortunate that the weaknesses that had been identified in our country at the dawn of independence, have still not been entirely eradicated. He said the current time can be described as a golden period when India is full of self-confidence. He said this constructive atmosphere should be used to move swiftly towards the creation of New India.
Emphasizing the importance of "Ease of Living," the Prime Minister said that the role of the Government should be one of a facilitator, more than a regulator. The Prime Minister gave several examples of "Ease of Living" that have been brought about in the last three years, such as quicker income tax refunds, quicker passport delivery etc. He said these initiatives have had a positive impact on all sections of the society. He said about 1200 archaic laws have been repealed. He said ease of living has also had a positive impact on "ease of doing business." He said Lok Adalats can play a key role in reducing pendency of cases in the judiciary. He outlined several other steps that are being taken to improve "ease of access to justice."
Mentioning the massive expenditure that has to be borne by exchequer on account of frequent elections, and other related issues such as diversion of security forces and civil staff, and impact on development programmes, the Prime Minister called for a constructive discussion on the possibility of holding simultaneous elections for the Union and State Governments.
The Prime Minister emphasized that balance between the executive, legislature and judiciary has been the backbone of the Constitution. In this context, the Prime Minister also quoted from judgements of the Supreme Court.
भारतीय लोकतंत्र में आज का दिन जितना पावन है, उतना ही महत्वपूर्ण भी। हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की आत्मा अगर किसी को कहा जा सकता है तो वो हमारा संविधान है। इस आत्मा को, इस लिखित ग्रंथ को 68 वर्ष पहले स्वीकार किया जाना बहुत ऐतिसाहिक पल था।: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) November 26, 2017
इस दिन एक राष्ट्र के तौर पर हमने तय किया था कि अब आगे हमारी दिशा किन निर्देशों पर होगी, किन नियमों के तहत होगी। वो नियम, वो संविधान जिसका एक-एक शब्द हमारे लिए पवित्र है, पूजनीय है। :PM
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आज का दिन देश के संविधान निर्माताओं को नमन करने का भी दिन है। स्वतंत्रता के बाद जब करोड़ों लोग नई उम्मीदों के साथ आगे बढ़ने का सपना देख रहे हों, तो उस समय देश के सामने एक ऐसा संविधान प्रस्तुत करना, जो सभी को स्वीकार्य हो, आसान काम नहीं था। :PM
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जिस देश में एक दर्जन से ज्यादा पंथ हों, सौ से ज्यादा भाषाएं हों, सत्रह सौ से ज्यादा बोलियां हों, शहर-गांव-कस्बों और जंगलों तक में लोग रहते हों, उनकी अपनी आस्थाएं हों, सबकी आस्थाओं का सम्मान करने के बाद ये ऐतिहासिक दस्तावेज तैयार करना आसान नहीं था। : PM
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इस हॉल में बैठा हर व्यक्ति इस बात का गवाह है कि समय के साथ हमारे संविधान ने हर परीक्षा को पार किया है। हमारे संविधान ने उन लोगों की हर उस आशंका को गलत साबित किया है, जो कहते थे कि समय के साथ जो चुनौतियां देश के सामने आएंगी, उनका समाधान हमारा संविधान नहीं दे पाएगा।:PM
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PM: ऐसा कोई विषय नहीं, जिसकी व्याख्या, जिस पर दिशा-निर्देश हमें भारतीय संविधान में ना मिलते हों। संविधान की इसी शक्ति को समझते हुए संविधान सभा के अंतरिम चेयरमैन श्री सचिदानंद सिन्हा जी ने कहा था-
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“मानव द्वारा रचित अगर किसी रचना को अमर कहा जा सकता है तो वो भारत का संविधान है”।
हमारा संविधान जितना जीवंत है, उतना ही संवेदनशील भी। हमारा संविधान जितना जवाबदेह है, उतना ही सक्षम भी। : PM @narendramodi
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खुद बाबा साहेब ने कहा – “ये workable है, ये flexible है और शांति हो या युद्ध का समय, इसमें देश को एकजुट रखने की ताकत है”। बाबा साहेब ने ये भी कहा था कि- “संविधान के सामने रखकर अगर कुछ गलत होता भी है, तो उसमें गलती संविधान की नहीं, बल्कि संविधान का पालन करवा रही संस्था की होगी”।
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68 वर्षों में संविधान ने एक अभिभावक की तरह हमें सही रास्ते पर चलना सिखाया है।संविधान ने देश को लोकतंत्र के रास्ते पर बनाए रखा, उसे भटकने से रोका है। इसी अभिभावक के परिवार के सदस्य के तौर पर हम उपस्थित हैं। गवर्नमेंट, ज्यूडिशियरी, ब्यूरोक्रेसी हम सभी इस परिवार के सदस्य ही तो हैं
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संविधान दिवस हमारे लिए एक महत्वपूर्ण प्रश्न लेकर आया है। क्या एक परिवार के सदस्य के तौर पर हम उन मर्यादाओं का पालन कर रहे हैं, जिसकी उम्मीद हमारा अभिभावक, हमारा संविधान हमसे करता है?
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क्या एक ही परिवार के सदस्य के तौर पर हम एक दूसरे को मजबूत करने के लिए, एक दूसरे का सहयोग करने के लिए काम कर रहे हैं?
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ये सवाल सिर्फ ज्यूडिशयरी या सरकार में बैठे लोगों के सामने नहीं, बल्कि देश के हर उस स्तंभ, हर उस पिलर, हर उस संस्था के सामने है, जिस पर आज करोड़ों लोगों की उम्मीदें टिकी हुई हैं। इन संस्थाओं का एक एक फैसला, एक एक कदम लोगों के जीवन को प्रभावित करता है।
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सवाल ये है कि क्या ये संस्थाएं देश के विकास के लिए, देश की आवश्यकताओं को समझते हुए, देश के समक्ष चुनौतियों को समझते हुए, देश के लोगों की आशाओं-आकांक्षाओं को समझते हुए, एक दूसरे का सहयोग कर रही हैं? एक दूसरे को Support, एक दूसरे को strengthen कर रही हैं? :PM
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75 वर्ष पहले जब 1942 में गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान किया था, तो देश एक नई ऊर्जा से भर गया था। हर गांव, हर गली, हर शहर, हर कस्बे में ये ऊर्जा सही तरीके से channelise होती रही और इसी का परिणाम था हमें पाँच वर्ष बाद आजादी मिली, हम स्वतंत्र हुए।: PM @narendramodi
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पाँच साल बाद हम सब स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएंगे। हमें एकजुट होकर उस भारत का सपना पूरा करना है, जिस का सपना हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था। इसके लिए हर संस्था को अपनी ऊर्जा channelise करनी होगी, उसे सिर्फ न्यू इंडिया का सपना पूरा करने में लगाना होगा: PM
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भारत आज दुनिया का सबसे नौजवान देश है। इस नौजवान ऊर्जा को दिशा देने के लिए देश की हर संवैधानिक संस्था को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। 20वीं सदी में हम एक बार ये अवसर चूक चुके हैं। अब 21वीं सदी में न्यू इंडिया बनाने के लिए, हम सभी को संकल्प लेना होगा।: PM @narendramodi
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स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी आंतरिक कमजोरियां दूर नहीं हुई हैं। इसलिए कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका, तीनों ही स्तर पर मंथन किए जाने की जरूरत है कि अब बदले हुए हालात में कैसे आगे बढ़ा जाए। अपनी-अपनी कमजोरियां हम जानते हैं, अपनी-अपनी शक्तियों को भी पहचानते हैं: PM
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ये समय तो भारत के लिए Golden Period की तरह है। देश में आत्मविश्वास का ऐसा माहौल बरसों के बाद बना है। निश्चित तौर पर इसके पीछे सवा सौ करोड़ भारतीयों की इच्छाशक्ति काम कर रही है। इसी सकारात्मक माहौल को आधार बनाकर हमें न्यू इंडिया के रास्ते पर आगे बढ़ते चलना है। : PM @narendramodi
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हम ये मानकर चलेंगे कि हमारे पास बहुत समय है, हम ये मानकर चलेंगे कि आने वाली पीढ़ियां ही सब करेंगी, सारे रिस्क उठाएंगी, तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा। जो करना है हमें अभी करना है, इसी दौर में करना है। हम ये सोचकर नहीं रुक सकते कि इसके परिणाम आते-आते तो हम नहीं रहेंगे। : PM
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हम भले ना रहें लेकिन ये देश तो रहेगा। हम भले ना रहें, लेकिन जो व्यवस्था हम देश को देकर जाएं वो सुरक्षित-स्वाभिमानी और स्वावलंबी भारत की व्यवस्था होनी चाहिए। एक ऐसी व्यवस्था, जो लोगों की जिंदगी को आसान बनाने वाली हो, Ease of Living बढ़ाने वाली हो।: PM @narendramodi
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आज आप भी ये महसूस करते होंगे कि अब पासपोर्ट आपको कितनी जल्दी मिल जाता है। पिछली दो-तीन बार से आपको इनकम टैक्स रीफंड के लिए भी महीनों इंतजार नहीं करना पड़ता है।
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सिस्टम में एक तेजी आ रही है। ये गति सिर्फ आप लोग ही नहीं, देश के मध्यम वर्ग, गरीब, सभी की जिंदगी को आसान बना रही है।: PM
कानून से ऊपर कुछ नहीं। कानून में ही राजा की शक्ति निहित है और कानून ही गरीबों को-कमजोरों को ताकतवर से लड़ने का हौसला देता है, उन्हें सक्षम बनाता है। इसी मंत्र पर चलते हुए हमारी सरकार ने भी नए कानून बनाकर और पुराने कानून खत्म करके Ease of Living को बढ़ाने का काम किया है।: PM
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चाहे दिव्यांगों के लिए कानून में बदलाव का फैसला हो, ST/SC कानून को और सख्त करने का फैसला हो, या फिर बिल्डरों की मनमानी रोकने के लिए RERA, ये सभी इसलिए लिए गए ताकि आम नागरिक को रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाली दिक्कत कम हो: PM @narendramodi
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इस हॉल में मौजूद हर व्यक्ति को पता है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कालेधन के खिलाफ जो SIT तीन साल तक टलती रही थी, उसका गठन इस सरकार ने शपथ लेने के तीन दिन के भीतर कर दिया था। ये फैसला भी जितना कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ था, उतना ही आम नागरिक से जुड़ा हुआ था।: PM
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एक और innovative idea मुझे बहुत अच्छा लगा Justice Clock का। ये Clock अभी Department of Justice में लगाई गई है और इससे Top Performing District Courts के बारे में जानकारी मिलती है। Justice Clock, एक तरह से अदालतों को रैंकिंग देने वाली बात हुई।: PM @narendramodi
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कल माननीय राष्ट्रपति जी ने भी चिंता व्यक्त की थी कि गरीब न्याय के लिए कोर्ट तक आने में घबराता है। हमारे सारे प्रयासों का परिणाम ये होना चाहिए कि गरीब कोर्ट से डरे नहीं, उसे समय पर न्याय मिले और कोर्ट की प्रक्रियाओं में उसका खर्च भी कम हो। : PM @narendramodi
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संविधान दिवस के अवसर पर मैं उन युवाओं को भी विशेष शुभकामनाएं देना चाहता हूं जिन्हें एक जनवरी, 2018 से वोट देने का अधिकार मिलने जा रहा है। हम सभी की जिम्मेदारी इन युवाओं को ऐसी व्यवस्था देकर जाने की है, जो उन्हें और मजबूत करे, उनकी शक्ति बढ़ाए। : PM @narendramodi
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2009 के लोकसभा चुनाव की ही बात करें तो उस साल चुनाव कराने में लगभग 1100 करोड़ का खर्च आया था। वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव का खर्च लगभग 4 हजार करोड़ रुपए आया था । जब आचार संहिता लागू हो जाती है, तो सरकार उतनी आसानी से फैसले भी नहीं ले पाती। : PM @narendramodi
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दुनिया के कई देश हैं जहां चुनाव की तारीख Fix रहती है। लोगो को पता रहता है कि देश में कब चुनाव होगा। इसका फायदा ये होता है कि देश हमेशा चुनाव के मोड में नहीं रहता, Policy Planning Process और implementation ज्यादा efficient रहता है और देश के संसाधनों पर अनावश्यक बोझ नहीं पड़ता: PM
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एक साथ चुनाव का भारत पहले भी अनुभव कर चुका है और वो अनुभव सुखद रहा था। लेकिन हमारी ही कमियों की वजह से ये व्यवस्था भी टूट गई। मैं आज संविधान दिवस के इस शुभ अवसर पर इस चर्चा को आगे बढ़ाने का आग्रह करूंगा।: PM @narendramodi
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न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के बीच संतुलन हमारे संविधान की BackBone रहा है। इसी संतुलन की वजह से हमारा देश इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र की राह से भटकाए जाने की तमाम कोशिशों को खारिज कर सका था: PM @narendramodi
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विश्व भारत की ओर उम्मीदों से देख रहा है। कितनी ही चुनौतियों का हल उन देशों को भारत में ही दिख रहा है। कितने ही देश भारत के विकास में कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहते हैं। Legislature, Executive और Judiciary को संविधान द्वारा तय की मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना होगा: PM
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