Mr. Bill Gates meets Prime Minister

Published By : Admin | March 19, 2025 | 19:21 IST

Mr. Bill Gates met Prime Minister, Shri Narendra Modi today in New Delhi. Mr. Bill Gates said that he had a great discussion with Prime Minister, Modi about India’s development, the path to Viksit Bharat @ 2047, and exciting advancements in health, agriculture, AI, and other sectors that are creating impact today.

Shri Modi said that he has spoken about diverse issues including tech, innovation and sustainability towards making a better future for the coming generations with Mr. Bill Gates.

The Prime Minister posted on X;

“As always, an excellent meeting with Bill Gates. We spoke about diverse issues including tech, innovation and sustainability towards making a better future for the coming generations.”

  • கார்த்திக் March 20, 2025

    Jai Shree Ram🌼Jai Shree Ram🌼Jai Shree Ram🌼Jai Shree Ram🌼Jai Shree Ram🌼Jai Shree Ram🌼Jai Shree Ram🌼Jai Shree Ram🌼Jai Shree Ram🌼Jai Shree Ram🌼Jai Shree Ram🌼Jai Shree Ram🌼
  • राज रानी राजपूत March 20, 2025

    हर हर महादेव जय श्री राम
  • Ashok Kandwal March 20, 2025

    हर हर महादेव🚩
  • ram Sagar pandey March 20, 2025

    🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🙏🏻🌹जय श्रीराम🙏💐🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹जय श्रीकृष्णा राधे राधे 🌹🙏🏻🌹जय माता दी 🚩🙏🙏ॐनमः शिवाय 🙏🌹🙏जय कामतानाथ की 🙏🌹🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🙏🏻🌹जय श्रीराम🙏💐🌹जय माँ विन्ध्यवासिनी👏🌹💐🌹🌹🙏🙏🌹🌹
  • Mayank Nayak mp March 20, 2025

    લક્ષ્ય અંત્યોદય - પ્રણ અંત્યોદય - પથ અંત્યોદય ગરીબોના કલ્યાણ માટે સમર્પિત મોદી સરકાર
  • khaniya lal sharma March 20, 2025

    ♥️💙♥️💙♥️💙♥️💙♥️💙♥️💙♥️
  • Krishna Thakur March 20, 2025

    प्रणाम महोदय 🙏🙏 आज भी हम अपने इतिहास को अतीत को लेकर बहुत उलझे हुए हैं हमारी समझ हमें समझने देना नहीं चाहती कि हमारे असली जरूरत क्या है साधारण सी बात कहूं तो हमारे संस्कृति का नष्ट होना ही हमारे समझ का खत्म होने के बराबर है एक समय था एक महाराज थे महाराणा प्रताप एक समय था एक संत थे गुरु गोविंद सिंह जी महाराज एक समय था एक नारी शक्ति रूप ली हुई मीराबाई , रानी लक्ष्मीबाई जैसे वीर योद्धाए थी यह सब समझिए एक उच्च स्तर पर थे जैसे कि आज के राज्य का कोई मुख्यमंत्री हो इन सबों ने कोई कसर नहीं छोड़ी राष्ट्र को स्वराज को सनातन को अपनी संस्कृति को जीवित रखने के लिए अपने प्राणों की आहुति तक हंसते-हंसते इन महान आत्माओं ने निछावर कर दी आज इन्हीं योद्धाओं के कारण हम कम से कम स्वतंत्रता के साथ अपनी बातों को सबके समक्ष रखते हैं मेरा यह प्रश्न है कि जब यह हमारे लिए लड़ रहे थे तब कौन सी ऐसी शक्ति थी जो इन्हें कमजोर कर दिए इस प्रकार तड़प के दर्दनाक मौत को स्वीकार करने के लिए मजबूर कर दिए मेरे नजर से कारण है हम हम मतलब वह जनता जिसके बदौलत एक मार्गदर्शन करने वाला सबसे आगे खड़ा होता है जब उसकी पीठ पीछे हम छल करते हैं अपने निजी स्वार्थ के लिए अपने निजी सुख के लिए ऐसे वीर योद्धाओं का साथ छोड़ देते हैं तो उन्हें ऐसे कष्ट दायक मौत स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ता है हम जनता हर बार अपने आप को अपनी निजी स्वार्थ के कारण आपस में अपने आप को बांट लेते हैं हमारे बंटने के पीछे जाती नहीं है ना ही भ्रष्टाचार है सिर्फ और सिर्फ अपना निजी स्वार्थ है हम अपने और अपने परिवार के सुख के लिए धन के पीछे दौड़ते हैं उस धन के पीछे जो हमारे कर्म को हमारे कर्तव्य को अनदेखा कर देता है और सिर्फ हमें अहंकार में चूर कर देता है धन जरूरी है पर जितनी उसकी जरूरत है बस इस लायक वह धन उपयोग में आए तो वह अच्छा है पर जब वह मेरे लिए एक अहंकार का रूप बदल लेती है मुझे यानि कि अपने आप को इस धरती का अमर समझने लगती है तब हम अंधे हो जाते हैं जाति चाहे कैसी भी हो जो धनवान है उसके लिए जाती मायने नहीं रखते जाति सिर्फ और सिर्फ गरीब लोगों के लिए मायने रखते हैं चाहे वह ब्राह्मण हो क्षत्रिय हो वैश्य हो शूद्र हो जो गरीब है उनके लिए ही जाती मायने रखती हैं और अब यह खेल बदल चुका है आने वाले समय में या कहे अभी से पहले से भी यह होते आया है पर यह एक कटु सत्य है कि सारा खेल अमीर और गरीब के बीच का ही है हमारे पॉकेट में हद से ज्यादा धन हमारे बुद्धि को बीमार कर देता है और हमारे पेट में हद से ज्यादा भोजन हमारे शरीर को बीमार कर देता है कुछ समझे कि नहीं खैर अब क्या कहें इस बारे में क्योंकि हम तो आंख होते हुए भी अंधे हैं कान होते हुए भी बहरे हैं और जुबान होते हुए भी गूंगे हैं इस धरती का दो सत्य है हर जीवन का जन्म पहला सत्य जो हम देख चुके हैं और दूसरा कटु सत्य मृत्यु जो आने वाली है और जो हम दूसरों का देखते भी आ रहे हैं बस इसी दो सत्य के बीच में हम उलझे हुए हैं मेरे लिए बस एक ही बात समझाना बहुत जरूरी है कि मुझे जितना हो सके प्रत्येक दिन ये कोशिश करना है कि ऐसी कार्य न हो जिससे प्रकृति का नियति का अपने संस्कृति का पूर्वजों का अपने से बड़ों का छोटों का हानि हो अपमान हो या उनका नुकसान हो यदि यह प्रत्येक जीवन के सोच का हिस्सा बन जाए यह सोच तो हम शायद फिर से कलयुग से सतयुग सतयुग से द्वापर युग और द्वापर युग से त्रेता युग में प्रवेश कर सकते हैं पर क्या यह संभव है यह भी मेरे लिए सबसे बड़ा प्रश्न है आप सभी का क्या उत्तर है अवश्य बताएं जीवन को सुधारने का इस जीवन को सरल तरीके से जीने का इस जीवन को एक अच्छा कल देने का अपने वंश को अपने बच्चों को अपनी पीढ़ियों को एक अच्छा भविष्य देने का कोई मन में विचार है तो अवश्य बताएं और मैंने कुछ गलत कहा हो तुम मुझ में भी सुधार अवश्य करें जय हिंद 🙏🙏 जय श्री राम 🙏🙏
  • Jitendra Kumar March 20, 2025

    🙏
  • Atul Kumar Mishra March 20, 2025

    भारत माता की जय
  • Shubham March 20, 2025

    🤍
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