Full Speech : Shri Narendra Modi at the BJP National Council Meet, Delhi

Published By : Admin | January 19, 2014 | 15:32 IST

भारत माता की जय..! भारत माता की जय..!

श्रद्धेय आडवाणी जी, हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय राजनाथ सिंह जी, लोकसभा की प्रतिपक्ष नेता आदरणीय सुषमा जी, श्री अरूण जेटली जी, श्री वेंकैया जी, भारतीय जनता पार्टी को गौरव दिलाने वाले मुख्यमंत्री श्रीमान शिवराज जी, श्रीमान रमन सिंह जी, बहन वसुंधरा जी, मंच पर विराजमान पार्टी के सभी वरिष्ठ पदाधिकारी और देश के कोने-कोने से आए हुए भारतीय जनता पार्टी के सभी समर्पित कार्यकर्ता भाईयों और बहनों..!

हम दो दिन से विस्तार से देश की चिंता और चर्चा कर रहे हैं, राजनीति की चिंता और चर्चा कर रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी के संगठन के कार्यक्रमों के लिए भी सोच रहे हैं। देश आजाद होने के बाद बहुत चुनाव आएं हैं। प्रारम्भ से ही जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के ज़माने से हम सभी को चुनाव के मैदान में कार्य करने का अनुभव है, लेकिन भूतकाल के सारे चुनाव को देखें तो ये 2014 का चुनाव हर प्रकार से भिन्न है। इसके पूर्व देश की ऐसी दुर्दशा कभी नहीं देखी..! विश्व का इतना बड़ा लोकतांत्रिक देश नेताविहीन हो, नीतिविहीन हो और नीयत भी शक के घेरे में हो, ऐसे दिवस कभी भी इस देश ने देखे नहीं थे, जो आज हम भुगत रहे हैं। भ्रष्टाचार का ऐसा विकराल रूप जो इस दशक में देखा है, देश ने पहले कभी नहीं देखा। आत्महत्या करते किसान, रोजगार के लिए भटकता नौजवान, इज़्जत बचाने के लिए परेशान मां और बहनें, महंगाई की मार से तड़प रहा भूखा बच्चा... ऐसी दुर्दशा कभी नहीं देखी। और इसलिए ये 2014 का चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन का चुनाव नहीं है, बल्कि भारत के कोटि-कोटि जनों के लिए आशा और अरमान का चुनाव है..! 2014 का चुनाव 21 वीं सदी के प्रारम्भ में अटल जी और आडवाणी जी ने भारत को जिस ऊंचाई पर लाकर खड़ा किया था, उससे और नई ऊंचाईयों पर देश को पहुंचाने के देशवासियों के सपनों का चुनाव है।

भाईयों-बहनों, दिल्ली की धरती पर दो प्रमुख दलों की राष्ट्रीय परिषदें हुई, अगर उनका विश्लेषण करें तो साफ नजर आता है कि दो दिन पूर्व जो कांग्रेस का अधिवेशन हुआ उसमें 2014 के चुनाव को दल को बचाने की जिद्दोजहद के रूप में दिखाई देता है। उनका दल कैसे बचे, कांग्रेस को कैसे बचाएं, बिखरती हुई पार्टी को कैसे एक रखें, ये उनकी पार्टी के लिए मुख्य विषय था। मित्रों, वहाँ पर दल बचाने की कोशिश हो रही थी और यहाँ पर देश बचाने की जिद्दोजहद हो रही है, ये 2014 के चुनाव का मूलत: फर्क है..!

भाईयों-बहनों, देश में कांग्रेस के कार्यकर्ता बड़ी आशा के साथ दिल्ली आए थे, उनको बताया गया था कि 17 तारीख को प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार की घोषणा की जाएगी। बड़ी आशा और उम्मीद के साथ वह प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा की सौगात ले जाने के लिए लालायित थे। जैसा कि हमारे अरूण जेटली जी ने कहा कि देश भर के कांग्रेसी कार्यकर्ता आये थे प्रधानमंत्री लेने के लिए, लेकिन वापिस गए गैस के तीन बॉटल लेकर, गैस के तीन सिलेंडर लेकर वापस गए..!

भाईयों-बहनों, वहाँ पर जो बातें हुई हैं, उन बातों का जिक्र करना मुझे जरूरी लगता है। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा न करने के पीछे लोकतांत्रिक परम्पराओं का उदाहरण दिया गया, क्या ये सच्चाई है..? मैं आशा करता था कि देश में दिन-रात इन विषयों की चर्चा करने वाले लोग इस मुद्दे पर जरूर चर्चा करते, लेकिन चार दिन बीत गए, कोई चर्चा नहीं हो रही है, हर एक के अपने-अपने कारण होगें, लेकिन देश जानना चाहता है कि देश आजाद होने के बाद जब पहले प्रधानमंत्री पसंद किए गए, तब लोकतांत्रिक परम्पराओं का क्या हुआ था..? पूरी कांग्रेस पार्टी एक स्वर से सरदार बल्लभ भाई पटेल को प्रधानमंत्री बनाना चाहती थी, वो कौन सी लोकतांत्रिक परम्पराएं थी कि कांग्रेस के हर व्यक्ति की इच्छा के बावजूद भी सरदार बल्लभ भाई पटेल को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया गया। ऐसे लोग परम्परा की बात करते हैं..! मैं जानना चाहता हूँ कि 31 अक्टूबर, 1984 को श्रीमती इंदिरा गांधी जी की हत्या हुई, उस समय राजीव गांधी कलकत्ता में थे, वो कलकत्ते से दौड़कर आए, अस्पताल गए और कुछ ही पलों में राजीव गांधी का प्रधानमंत्री पद पर शपथ समारोह हुआ। मैं परम्पराओं की चर्चा करने वाली कांग्रेस पार्टी से पूछना चाहता हूँ कि क्या 1984 के उस समय में कोई पार्लियामेंट पार्टी की मीटिंग हुई थी..? क्या पार्टी ने अपने प्रधानमंत्री पद के व्यक्ति को चुना था..? क्या उसकी कोई नोट, मिनट्स या व्यवस्था है..? कुछ भी नहीं हुआ था, सिर्फ दो-चार लोगों ने मिलकर हड़बड़ी में शपथ ग्रहण करवा दिया था और आप हमें परम्परा की सीख दे रहे हैं..?

इसके बाद, 2004 में चुनाव हुआ, यूपीए की सरकार बननी थी। भाईयों-बहनों, मैं दावे के साथ कहता हूँ, यूपीए-1 में किसी पार्लियामेंट्री पार्टी में डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद के लिए नहीं चुना था, नेता के रूप में नहीं चुना था। कांग्रेस की पार्लियामेंट्री पार्टी ने मैडम सोनिया गांधी को नेता के रूप में चुना था, लेकिन बाद में मैडम सोनिया जी ने डॉ. मनमोहन सिंह जी को नॉमीनेट किया और उन्हे प्रधानमंत्री पद पर शपथ दिलवाया गया और ये लोग पार्लियामेंट्री परम्परा की बातें करते हैं..! ऐसी बातें करके हम बच नहीं सकते। बहन सुषमा जी, राजनाथ जी, वेंकैया जी और कल अरूण जी, सभी ने अपने-अपने तरीके से कहा है कि चुनाव से भागने के उनके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन मुझे एक मानवीय कारण नज़र आ रहा है, राजनीतिक कारण तो है ही, लेकिन एक मानवीय कारण भी है, और वह यह है कि जब पराजय बिल्कुल निश्चित दिख रही हो, विनाश सामने नज़र आ रहा हो, तो क्या कोई मां अपने बेटे की बलि चढ़ाने को तैयार होगी..? कौन मां राजनीति की राह पर अपने बेटे की बलि चढ़ाएगी, आखिर में एक मां के मन ने यही निर्णय कर लिया कि नहीं, मेरे बेटे को बचाओ..!

भाईयों-बहनों, इन दिनों चाय वाले की बड़ी खातिरदारी हो रही है, देश का हर चाय वाला सीना तानकर घूम रहा है। मित्रों, इनके चुनाव से भाग जाने के कारण, दो और भी है। पहला ये कि जिस परम्परा में वह पले-बढ़े हैं, जिस प्रकार से एक वरिष्ठ परिवार के रूप में खुद को एस्टेब्लिश किया है, मित्रों, जब इस प्रकार के जीवन में लोग जीते हैं तो उनके मन की रचना भी ऐसी ही हो जाती है, सामंतशाही मानसिकता घर कर लेती है, तब उनको विचार आता है कि लोकसभा का चुनाव महत्वपूर्ण है, कांग्रेस को जीतना भी चाहिए, लेकिन ये तो बेइज्जती का सवाल है कि एक चाय वाले से भिड़ा जाये..! बड़ी शर्मिंदगी महसूस हो रही है, कोई बराबरी नहीं है..! भाईयों-बहनों, वे नामदार हैं और मैं एक कामदार हूँ..! ऐसे बड़े नामदार एक कामदार के साथ मुकाबला करना बुरा मानते हैं, अपना खुद का अपमान मानते हैं, वो कैसे लड़ सकते हैं..! इतना ही नहीं, कभी-कभी परम्परागत ऊंच-नीच का भाव, जातिवाद का ज़हर, मनोमन पला हुआ उच्चता का भाव, उच्च कुल में पैदा हुए लोगों के लिए ये भी चिंता का विषय है कि हम इतने बड़े कुल में पैदा हुए, जिस कुल परम्परा की सदियों से इज्ज़त हुआ करती थी और सामने एक पिछड़ी जाति में पैदा हुआ इंसान है, एक ऐसा व्यक्ति जिसकी मां अड़ोस-पड़ोस के घरों में पानी भरा करती थी, झाडू-पोंछा किया करती थी, एक ऐसा व्यक्ति जो रेल के डिब्बे में चाय बेचता था, ऐसी पिछड़ी जाति में पैदा हुए व्यक्ति के खिलाफ मैं लडूं..?

भाईयों-बहनों, राजनीति की परिधि के बाहर भी ये भी सारे कारण हैं। इसलिए 2014 का चुनाव जो हमारे सामने है, इसमें जब हम गांव-गांव, गली-गली लोगों से मिलते हैं, पूछते हैं। मित्रों, 27 अक्टूबर के दिन बम धमाकों के बीच भारत माता की अपने रक्त से निर्दोष लोग पूजा-अर्चना करते थे, उस समय जो जनसैलाब डटा हुआ था, वो दृश्य मुझे इस बात के संकेत करते है कि जब देश आजादी की लड़ाई लड़ता था, तो वो कौन सी प्रेरणा थी जो भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू फांसी के फंदे पर चढ़ने के लिए लालायित हुआ करते थे। जो आग आजादी के लिए उस समय थी, जो तड़प आजादी को पाने के लिए उस समय थी, आजादी को पाने के लिए लोग अपनी जवानी जेलों में खपा देते थे, आजादी के इतने सालों बाद ये 2014 का चुनाव उस तड़पन को लेकर आया है। उस समय आजादी के लिए लोगों को मरने का मौका मिला, तब स्वराज के लिए जीवन दिया, अब नई पीढ़ी सुराज के लिए जीवन देने को तड़प रही है..! देश के नौजवानों को लग रहा है कि आजादी की जंग में मरने का सौभाग्य तो नहीं मिला, लेकिन आजाद हिंदुस्तान में सुराज के लिए जीने का अवसर मिला है, इस चुनाव की प्रेरणा ये भावना है, वो मिज़ाज इस चुनाव में दिखाई दे रहा है..! तभी तो जिनका भारतीय जनता पार्टी से कोसों दूर से सम्बंध नहीं है, जिन्हे भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के नाते कभी अवसर नहीं मिला है, जो राजनीति से भी अछूता है, ऐसे लाखों लोग आज भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय पहुंचते हैं, मुझे चिट्ठी लिखते हैं, फेसबुक पर लिखते हैं, ट्वीटर पर मैसेज देते है कि हमें काम दीजिए, हम कुछ करना चाहते हैं..! 2014 के चुनाव की यह ललक, आजादी की जंग की जो ललक थी, स्वराज के आंदोलन की जो भावना थी, उसी रूप में सुराज के आंदोलन की भावना 2014 के चुनाव में प्रकट हो रही है..!

भाईयों-बहनों, देश की आजादी को 60 साल से भी अधिक समय बीत गया। गरीबों की चिंता की बातें बहुत सुनी, विकास की बातें बहुत सुनी, जरा पल भर के लिए भारत माता के मानचित्र को अपनी नजर के समक्ष रखें,  अपने सामने रखें, हमारी नीतियों में ऐसी क्या कमी थी, हमारे कार्य में ऐसी कौन सी खोट रह गई, जिसके कारण भारत माता का चित्र देखते हैं तो भारत माता का पश्चिमी हिस्सा कुछ कर रहा हो ऐसा नज़र आ रहा है, कुछ हो रहा है ऐसा नज़र आ रहा है, विकास के धीरे-धीरे कदम नज़र आ रहे हैं, लेकिन क्या़ कारण है कि मेरी भारत माता का मध्य से देखने पर पूरा पूर्वी हिस्सा विकास के लिए तड़प रहा है, ऐसी स्थिति क्यूं है, यह असंतुलन पैदा क्यूं हुआ..?

भाईयों-बहनों, मैं आज देशवासियों को यहाँ से विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि जब आप भारतीय जनता पार्टी को 2014 में मई महीने में देश की सेवा करने का अवसर देंगे तो हमारी ये पहली गारंटी रहेगी कि भारत का वो इलाका, जो अभी विकास की यात्रा में बहुत पीछे है, हम उसे सबसे पहले आगे बढ़ाना चाहते हैं, कम से कम पश्चिम की बराबरी तक तो लाएं..! ऐसी कैसी मेरी भारत मां हो, जिसकी एक भुजा मजबूत हो और दूसरी भुजा बहुत दुर्बल हो, ऐसी मेरी भारत माता नहीं हो सकती है..! हमारी ये सोच है कि चाहे बिहार हो, बंगाल हो, झारखंड हो, असम हो, नॉर्थ ईस्ट हो, उड़ीसा हो, पूरा पूर्वी इलाका, उत्तर प्रदेश का पूरा पूर्वी हिस्सा... हम सभी हिस्सों में संतुलित विकास के सपने को लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं। भाईयों-बहनों, अगर हमें देश को मजबूत बनाना है तो रीजनल एस्पिरेशन्स को संकट नहीं समझना चाहिए..! पिछले दशकों में राजनेताओं ने रीजनल एस्पिरेशन्स को जैसे दिल्ली पर कोई बहुत बड़ा बोझ आ गया हो, हमेशा इसी नजरिए से देखा है। मित्रों, रीजनल एस्पिरेशन्स विकास के लिए बहुत बड़ा अवसर भी बन सकते हैं। वो चुनौती नहीं एक अवसर है, क्योंकि हर राज्य में आगे बढ़ने की जो ललक जगी है, अगर दिल्ली और वो जुड़ जाएं तो कितनी तेज गति से हम आगे बढ़ सकते हैं, इस बात पर मेरा पूरा भरोसा है..!

भाईयों-बहनों, हमारा देश एक संघीय ढांचा है और ये संविधान की धाराओं तक सीमित नहीं हो सकता है, इस संघीय ढांचें की लेटर एंड स्पिरिट के रूप में हमें इज्ज़त करनी होगी, इस पर गर्व करना होगा। मित्रों, मेरे लिए ये बड़े आनंद का विषय है कि मैं मुख्यमंत्री पद पर रहा हूँ, अब पार्टी ने मुझे नए दायित्व के लिए पसंद किया है, लेकिन एक मुख्यमंत्री के नाते संघीय ढ़ांचे का महत्व क्या होता है, मैं भली-भांति अनुभव करता हूँ..! दिल्ली में वाजपेयी जी की अनुकूल सरकार थी, तब संघीय ढांचे को ध्यान में रखते हुए एक मुख्यमंत्री होने के नाते किया हुआ काम और दिल्ली के विपरीत माहौल के बीच किया हुआ काम, दोनों को मैनें अनुभव किया है और खुद अनुभवी होने के कारण मैं हर राज्य की पीड़ा को भली-भांति समझ सकता हूँ, हर मुख्यमंत्री की पीड़ा को भली-भांति समझ सकता हूँ, संघीय ढांचे के महत्व को समझ सकता हूँ और इसलिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार संघीय ढांचे को सशक्‍त बनाने में, एम्पॉवर करने में रूचि रखती है और हम उसे आगे बढ़ाना चाहते हैं..!

भाईयों-बहनों, आजकल बिग ब्रदर वाला एटीट्यूड है। हम दिल्ली वाले हैं, हम राज्यों को कुछ देते हैं, ये शोभा नहीं देता है..! हम इस स्थिति को बदलने का वादा करते हैं, कोई छोटा भाई नहीं है, कोई बड़ा भाई नहीं है, दोनों भाई कंधे से कंधा मिलाकर बराबर की शक्ति से भारत माता को आगे ले जा रहे हैं, ये भाव होना चाहिये..! आज ये माना जाता है कि प्रधानमंत्री और उनका मंत्री परिषद, ये टीम देश को आगे बढाएगी। मेरी सोच‍ भिन्न है, मैं चाहता हूँ कि प्रधानमंत्री और सारे मुख्यमंत्री मिलाकर एक टीम हो, जो देश को आगे चलाये..! इतना ही नहीं, केंद्र का मंत्री परिषद और राज्यों का मंत्री परिषद, ये सब मिलकर एक बृहद टीम बनें। केंद्र की ब्यूरोक्रेसी और राज्य की ब्यूरोक्रेसी, ये सब मिलकर एक विशाल टीम के रूप में काम करें, अगर ऐसा माहौल हम बनाएंगे, तो आज जिन समस्याओं से हम जूझ रहे हैं, उन समस्याओं से निपटकर अपने देश को हम इन शक्तियों के भरोसे, इन शक्तियों को जोड़कर आगे बढ़ा सकते हैं..!

भाईयों-बहनों, देश के लिए सुशासन बहुत अनिवार्य है, देश की समस्याओं की जड़ों में बेड गवर्नेंस है, कुशासन है, और अगर हमें उससे निकलना है तो गुड गवर्नेंस पर बल देना होगा,,! मित्रों, ये गुड गवर्नेंस कोई अमीरों के लिए नहीं होता है, अमीर तो सरकारें खरीद सकते हैं, गुड गवर्नेंस गरीब के लिए होता है, सामान्य वंचितों के लिए होता है, दलित, पीडि़त और शोषित के लिए होता है..! अगर सुशासन है तो सरकारी स्कूल अच्छा चलेगा, गरीब के बच्चे की पढ़ाई अच्छी होगी, लेकिन अगर सुशासन नहीं होगा तो गरीब का बच्चा बेचारा वहीं रह जाएगा और इसलिए सुशासन चाहिए। मित्रों, हम गुड गवर्नेंस को लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं तब, इन दिनों हम बहुत सी बातें सुनते हैं, हम कई दिनों से कुछ बातें सुन रहे हैं, हमें तय करना है कि अब हमें ये घिसी-पिटी टेप रिकॉर्डर पर भरोसा करना है या ट्रैक रिकॉर्ड पर भरोसा करना है..! टेप रिकॉर्डर की घिसी-पिटी आवाज बहुत सुन चुके हैं, देश ट्रेक रिकॉर्ड के आधार पर निर्णय करें कि देश को किसके हाथों में सलामती के साथ देना है..!

भाईयों-बहनों, सिर्फ बिल नहीं चाहिए, पॉलिटिकल विल चाहिए और करने के लिए दिल चाहिये..! मित्रों, एक्ट-एक्ट-एक्ट बहुत सुन चके हैं, देश ने बहुत एक्ट सुन लिया, अब देश को एक्शन चाहिये..! मित्रों, चुनाव जीतने के लिए डोल, डोल, डोल... फिर भी सरकार डोल रही है..! मित्रों, डोल अपनी जगह पर है, लेकिन नक्कर विकास के लिए डेवलपमेंट चाहिये, डिलीवरी चाहिये, इसलिए गुड गवर्नेंस डोल से भी आगे बढ़कर के डेवलेपमेंट और डिलीवरी के उन मूलभूत मंत्रों को स्‍वीकार करना होगा और आगे बढ़ना होगा। भाईयों-बहनों, पिछले दस सालों में शायद ही कोई दिन ऐसा गया होगा जिस दिन प्रधानमंत्री जी ने कोई कमेटी न बनाई हो, हर समस्या के लिए कमेटी। मेरे देशवासियों, देश कमेटियों के बोझ तले दब रहा है, हमें कमेटी नहीं, हमें कमीटमेंट चाहिए और देश के लिए कमीटमेंट चाहिए..!

भाईयों-बहनों, हमारा देश इतना बड़ा विशाल देश है, जब मैं भारत माता की ओर नज़र फेंकता हूँ, उस पुरातन जीवन की ओर देखता हूँ, तो मुझे इस भारत की पूरी खूबी दिखती है। हम कहते हैं, कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी... आखिर वो कौन सी बात है..!

भाईयों-बहनों, इंद्रधनुष के सात रंग होते हैं, अगर उन सात रंगों की व्याख्या करें, तो वह सात रंग हमारी भारत माता को सदियों से चमकाते आएं हैं। इंद्रधनुष का पहला रंग है - भारत की संस्कृति की महान विरासत, हमारी कुटुम्ब प्रथा, परिवार व्यवस्था..! हजारों साल से इस परिवार व्यवस्था ने हमें बनाया है, बचाया है, बढ़ाया है। उस परिवार व्‍यवस्था को हम कैसे अधिक सशक्त बनाएं, हमारी नीतियां, हमारी योजना, भारत की इस महान परिवार व्यवस्था का सशक्तिकरण कैसे करें..!

इंद्रधनुष का दूसरा रंग है - हमारी कृषि, हमारे पशु, हमारा गांव..! महात्मा गांधी भारत को गांवों का देश कहते थे। ये हमारे इंद्रधनुष का बहुत ही महत्वपूर्ण चमकीला अंग है, अगर हम इसे और चमकदार नहीं बनाते हैं, कृषि हो, पशुपालन हो, हमारा गांव हो, गरीब हो, इसलिए उनकी भलाई के लिए नीतियां बनाने की नीयत होनी चाहिये..!

भाईयों-बहनों, हम जिस बात के लिए गर्व कर सकते हैं, वो हमारे इंद्रधनुष का तीसरा रंग है - हमारी भारत की नारी, हमारी मातृ-शक्ति, ज्ञान और तपस्या की मूर्ति..! लेकिन आज हमने उसे कहाँ लाकर छोड़ा है..? अगर आकर्षक इंद्रधनुष को बनाना है तो हमारी माताओं को इम्पॉवरमेंट होना चाहिये, उनकी शिक्षा-दीक्षा पर हमारा बल होना चाहिये, आर्थिक सामर्थ्य की धरोहर उसके पास हो, उस पर बल देना चाहिये, उसकी सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिये..!

हमारे इंद्रधनुष का चौथा रंग है - जल, जमीन, जंगल, जलवायु..! ये हमारी विरासत और हमारी अमानत है, अगर हमें भारत को आने वाली सदियों तक विकास की दौड़ में आगे रखना है तो हमारे इंद्रधनुष के चौथे रंग की भी परवरिश करनी होगी, उसको सुरक्षित करना होगा, उसको आधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ और अधिक बलवत्तर बनाना पड़ेगा..!

भाईयों-बहनों, इंद्रधनुष का पांचवा रंग है, जो आज सबसे महत्वपूर्ण है - हमारा युवा धन, हमारे देश की युवा शक्ति..! हम कितने भाग्यवान है कि आज हिंदुस्तान दुनिया का सबसे नौजवान देश है, 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है। मित्रों, जिस देश के पास इतना बड़ा डेमोग्रफिक डिवीडेंड हो, इतनी ज्यादा नौजवानों की शक्ति हो, तो हम दुनिया को क्या कुछ नहीं दे सकते हैं..? पूरे विश्व को आने वाले समय में वर्कफोर्स के लिए गंभीर संकट आने वाला है, अगर आज हमने तैयारियां कर ली होती तो दुनिया के वर्कफोर्स के लिए हमारे भारत का नौजवान न सिर्फ भारत का निर्माण करता बल्कि पूरे विश्व का निर्माण करने की ताकत रखता था, उसके लिए चिंता करनी चाहिये थी। मित्रों, कुछ बातें बड़ी चिंता फैला रही हैं, आधुनिकता के नाम पर पश्चिमी रंग के प्रभाव के कारण इंद्रधनुष का ये रंग कहीं फीका तो नहीं पड़ रहा है..? जब ड्रग्स, नारकोटिक्स से जुड़ी खबरें आती हैं, तो पता चलता है कि कुछ इलाकों में ये सब हमारी युवा पीढ़ी को तबाह कर रहा है। मित्रों, राजनीति से परे उठकर के हम सभी देशवासियों का दायित्व बनता है कि हम अपने देश के नौजवानों को ड्रग्स, नारकोटिक्स में कदम रखने से रोकें। हम जीरो टॉलरेंस का माहौल बनाएं, हमें हमारी युवा पीढ़ी की रक्षा करनी पड़ेगी, कानूनी व्यवस्था से करनी पड़ेगी, विदेशों से अगर स्मगलिंग होती हो तो उसे रोकना होगा और इस दायित्व को निभाना होगा और हमारी युवा धन की रक्षा करके उसी युवा धन के भरोसे भारत को विश्व गुरू बनाने का सपना साकार करना होगा..!

भाईयों-बहनों, इंद्रधनुष का छठवा रंग भी हमारी बड़ी अनमोल विरासत है - वो है हमारी डेमोक्रेसी, हमारा लोकतंत्र..! जिस देश के पास डेमोक्रेटिक डिवीडेंड हो, वह देश दुनिया के सामने कितनी बड़ी ताकत के साथ आगे बढ़ सकता है..! इसलिए हमारा लोकतंत्र हमारी सबसे बड़ी पूंजी है, विश्व के सामने आंख में आंख मिलाने की ताकत ये हमारे लोकतंत्र देश होने के कारण है। मित्रों, समय रहते हमें हमारे इस लोकतंत्र के रंग को और अधिक ताकतवर कैसे बनाएं, इस बारे में सोचना होगा। हमें हमारे लोकतंत्र को रिप्रेजेंटेटिव सिस्टम से आगे बढ़ाकर के पार्टीसिपेटिव डेमोक्रेसी पर बल देने की जरूरत है, प्रतिनिधि‍त्व वाले लोकतंत्र से जनभागीदार वाले लोकतंत्र की ओर ले जाना होगा। हमें गर्व है कि हम गणतंत्र की परम्परा को निभाते हैं, लेकिन अब समय की मांग है कि सामान्य मानव भी गणतंत्र में गुणतंत्र की अनुभूति करें। अपने आचरण के द्वारा, अपने व्यवहार के द्वारा, लोकतांत्रिक परम्पाराओं के प्रति गौरव करके हम वह एस्सेंस कैसे भर दिया जाये, इस पर जोर देना होगा..!

भाईयों-बहनों, इंद्रधनुष का सांतवा रंग है - ज्ञान, जो अत्यंत महत्वपूर्ण है..! मानव जाति जब-जब ज्ञान युग में रही है, भारत ने डंका बजाया है। हम ज्ञान के उपासक हैं, जब एक मां अपने बेटे को आर्शीवाद देती है तो कहती है कि बेटा, पढ़-लिखकर बड़ा होना, हर मां के मुंह से यही आर्शीवाद निकलता है। ये ज्ञान, हमारे इंद्रधनुष का महत्वपूर्ण सांतवा रंग, उसे हम किस प्रकार अधिक शक्तिशाली बनाएं, इस ओर जाना होगा। मित्रों, इन सातों रंग की कीर्ति कैसे बढ़े, नई कल्पकता कैसे जुड़े, नए विचार कैसे उसके साथ आएं, इसको लेकर हम आगे बढ़ना चाहते हैं..!

भाईयों-बहनों, अभी कांग्रेस के अधिवेशन में कहा गया कि कांग्रेस पार्टी एक सोच है। हम भी मानते हैं, बिना सोच के न कोई दल हो सकता है, न कोई आंदोलन हो सकता है, लेकिन आज कठिनाई ये है कि आज कांग्रेस के पास सोच है या नहीं, कैसी सोच है, कौन सी सोच है वो तो अलग बात है, लेकिन देश इतना जरूर जानता है कि पूरी कांग्रेस पार्टी सोच में पड़ी हुई है..! मित्रों, आज मैं आपके सामने कहना चाहता हूँ कि इस सोच को समझने की आवश्यकता है। मैं बताना चाहता हूँ कि आपकी सोच क्या है और हमारी सोच क्या है। सभी देशवासी जो आज मुझे टीवी के माध्यम से देख रहे हैं, मैं उनसे भी अनुरोध करता हूँ कि आप मेरे इन शब्दों पर गौर कीजिए..!

उनकी सोच है - भारत मधुमक्खी का छत्ता है, हमारी सोच है कि भारत हमारी माता है..! उनकी सोच है - गरीबी मन की अवस्था है, हमारी सोच है कि गरीब हमारे लिए दरिद्र नारायण है..! उनकी सोच है - जब तक हम गरीब की बात नहीं करते, मज़ा नहीं आता, हमारी सोच है कि जब हम गरीब की बात करते हैं, उनकी व्यथा सुनते हैं तो रात भर सो नहीं पाते हैं..! उनकी सोच है - पैसे पेड़ पर नहीं उगते है, हमारी सोच है कि पैसे खेत और खलिहानों में उगते है और मजदूरों के पसीने से पलते है..! उनकी सोच है - समाज तोड़ो और राज करो, हमारी सोच है कि समाज को जोड़ो और विकास करो..! उनकी सोच है - वंशवाद, हमारी सोच है - राष्ट्रवाद..! उनकी सोच है - राजनीति सब कुछ है, हमारी सोच है कि राष्ट्रनीति सब कुछ है..! उनकी सोच है - सत्ता कैसे बचाएं, हमारी सोच है कि देश कैसे बचाएं..! अभी-अभी उन्होने कहा कि चुनाव में टिकट उसे दी जाएगी जिनके दिल में कांग्रेस है। उनकी सोच है - देश वो चलाएंगे जिनके दिल में कांग्रेस है, हमारी सोच ये है कि टिकट उनको मिलेगी जिनके दिल में भारत माता है..!

ये फर्क सोच का है..! इसलिए जब 2014 के चुनाव का वक्त हमारे सामने है, जब हम चुनाव के मैदान में खड़े हैं तब मैं देशवासियों से कहना चाहता हूँ कि पिछले 60 साल आपने शासकों को चुना है, उन्हे पसंद किया है, उन्हे बागडोर दी है। मैं आज भारतीय जनता पार्टी के इस पवित्र मंच से मेरे देशवासियों से प्रार्थना करता हूँ कि आपने 60 साल शासकों को दिए, 60 महीने एक सेवक को देकर देखो..! देश को शासक नहीं, सेवक की जरूरत है। लोकतंत्र की मांग यही है कि हर किसी को देश की सेवा करने का अवसर मिले..!

भाईयों-बहनों, आज जब हम आने वाले भविष्य का खाका खींच रहे हैं तब देश के सामने महंगाई सबसे बड़ी समस्या है। गरीब के घर में चूल्हा नहीं जलता है, मां-बच्चे रात-रात भर रोते हैं, आंसू पीकर सोते हैं। मित्रों, क्या महंगाई को रोका नहीं जा सकता है, क्या‍ इसका कोई उपाय नहीं है..? आज देश की स्थिति क्या हो गई है..! हमारे पास कोई रियल टाइम डाटा ही नहीं होता है, खेती की सिजन आई, तो कहाँ, कितनी, क्या और कौन सी फसल बोई जा रही है उसका कोई रियल टाइम डाटा नहीं है। कौन सा अन्न, कौन सी चीज कितनी पैदा हुई, कोई रियल टाइम डाटा नहीं है। हमारी पहली प्राथमिकता रहेगी कि देश के कृषक, जो खेती के क्षेत्र में काम करते हैं, उनके लिए रियल टाइम डाटा के मैकनेज्मि को विकसित करेगें और देश को समय रहते पता चलेगा कि इस बार ये फसल इतनी बोई गई है, और फसल होने के बाद पता चलेगा कि इस वर्ष इतनी फसल पैदा हुई, इतनी हमारी आवश्यकता है। आवश्यकता का भी रियल टाइम डाटा होना चाहिये और हर भूभाग का होना चाहिये। हम उसके आधार पर तय कर सकते हैं कि अगर देश की इतनी आवश्यकता है, इतनी फसल है, तो समय रहते क्या इम्पोर्ट करना चाहिये, क्या एक्सपोर्ट करना चाहिये, उसका फैसला कर सकते हैं। आज देश में क्या हो रहा है..? एक तरफ देश में जिस चीज की जरूरत हो लेकिन उसी को दूसरे रास्ते से एक्सपोर्ट कर दिया जाता है। देश भूखा मरता है और फिर उसी चीज को इम्पोर्ट किया जाता है। पता नहीं ये कौन सा कारोबार है..! इसलिए भाईयों-बहनों, हमारा आग्रह है और हमें विश्वास है कि सामान्य व्यक्ति को महंगाई की मार झेलनी न पड़े, किसानों का शोषण न हो, इसके लिए प्राइज स्टेबिलाइजेशन फंड की रचना देश में होनी चाहिये और प्राइज स्टेबिलाइजेशन फंड के द्वारा, सरकार का इंटरवेन करके गरीब की थाली को हमेशा भरा रखा जाए, इसकी चिंता की जाएं..!

इसी प्रकार, समय की मांग है कि देश में नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट खड़ा किया जाये। इतना ही नहीं, ब्लैक मार्केटर्स के लिए स्पेशल अदालतें बनाई जाएं और समय सीमा के अंदर इन ब्लैक मार्केटर्स को सजा देकर हिंदुस्तान में इस प्रकार की प्रवृत्ति को रोका जाए। अगर हम इस प्रकार एक के बाद कदम उठाएं तो अच्छा रहेगा। मित्रों, अगर अटल जी सरकार महंगाई रोक सकती है, अगर मोरारजी भाई देसाई की सरकार महंगाई रोक सकती है, तो 2014 में भाजपा की सरकार भी महंगाई रोक सकती है, ये विश्वास मैं आपको दिलाता हूँ..!

भाईयों-बहनों, जिस देश के पास इतना बड़ा युवा धन हो, लेकिन रोजगार के लिए तड़पता हो, ये कैसी स्थिति है..! इसे दूर करने के लिए हमें सेंटर फॉर एक्सीलेंस को बल देने की आवश्यकता है, हमें स्किल डेवलेपमेंट पर बल देने की आवश्यकता है, और स्किल डेवलपमेंट भी नीड बेस्ड कैसे किया जाए..! अगर यहाँ कैमिकल की फैक्ट्री लग रही है तो उस कैमिकल की फैक्ट्री में काम आने वाला स्किल डेवलपमेंट कैसे हो, अगर यहाँ ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री लग रही है तो ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री लगने से पहले उसके अनुकूल स्किल डेवलपमेंट वाले नौजवान कैसे तैयार हों, अगर इन कामों को ढंग से करें तो हम बेराजगारी के खिलाफ लड़ाई अच्छी तरह लड़ सकते हैं..!

भाईयों-बहनों, हमारे पास ह्यूमन रिसोर्स की कोई प्लानिंग नहीं है। अगर आज देश में पूछा जाएं कि बताइए 2020 में विज्ञान के कितने टीचर्स की जरूरत पड़ेगी, तो देश नहीं बता पाएगा, 2020 में कितनी नर्सेस की जरूरत पड़ेगी, तो देश बता नहीं पाएगा..! अगर हम अभी से ह्यूमन स्ट्रेंथ की प्लानिंग करें और उसके अनुसार डेवलपमेंट करें, तो जैसे ही वह व्यक्ति तैयार होगा, उसे अपनी जरूरत के हिसाब से रोजगार मिल जाएगा। मित्रों, हिंदुस्तान का युवा धन ही हिंदुस्तान की शक्ति है, इसके हाथ में हुनर देना चाहिये, कार्य का अवसर देना चाहिये, भारत के ग्रोथ को आगे बढ़ाने के लिए इससे बड़ी कोई पूंजी हमारे पास नहीं हो सकती है, और हम इसे आगे बढ़ाना चाहते हैं..!

भाईयों-बहनों, आदरणीय आडवाणी जी ने ब्लैक मनी के खिलाफ एक बहुत बड़ी जंग छेड़ी है। हम भारतीय जनता पार्टी के एक-एक कार्यकर्ता का कमीटमेंट है कि आडवाणी जी ने जो सपना संजोया है, इसे हम पूरा करके रहेंगे..! जो भी कानूनी व्यवस्था करनी पड़ेगी, वह कानूनी व्यवस्था की जाएगी, उस विषय के ज्ञाताओं का टास्क फोर्स बनाना होगा तो टास्क फोर्स बनाया जाएगा, लेकिन दुनिया के देशों में हिंदुस्तान से लूटा गया जो सामान और रूपए-पैसे रखे हुए हैं, एक-एक पाई वापस लाई जाएगी और गरीब की भलाई के लिए काम में लगाई जाएगी..!

भाईयों-बहनों, आज ग्लोबलाइजेशन का ज़माना है, ग्लोबलाइजेशन के ज़माने में हम अकेले एक देश के नाते काम नहीं कर सकते हैं, हमें विश्व की स्पर्धा में अपने आप को टिकाना होगा, आगे बढ़ाना होगा। अगर हमें विश्व के सामने खुद को टिकाना और बनाना है तो जिस प्रकार गुड गवर्नेंस का महत्व है, जैसा ह्यूमन रिसोर्स का महत्व है, वैसा ही इंफ्रास्ट्रक्चर का महत्व है..! मित्रों, अब भारत को देर नहीं करनी चाहिए, हमें नेक्ट जेनरेशन इंफ्रास्ट्रक्चसर पर बल देना होगा, रोड़ हो, रास्ते हो, रेल हो, लेकिन आने वाले दिनों में हमें ध्यान देना होगा कि वॉटर ग्रिड कैसे हो, नदियों को जोड़ने का काम कैसे हो, एग्रो इंफ्रास्ट्रक्चटर को कैसे बल दिया जाए, गैस ग्रिड कैसे हो, अगर देश में गैस ग्रिड हो तो सिलेंडर के झगड़े बंद हो जाएंगे..! क्यूं न ऑप्टीकल फाइबर नेटवर्क हो, क्यों न पूरे देश में ऑप्टीकल फाइबर नेटवर्क को नेक्स्ट जनरेशन के लिए किया जाए..! हिंदुस्तान का इतना बड़ा विशाल समुद्री तट है, वहाँ पर एक नई इंफ्रास्ट्रक्चर की विधा खड़ी करके विश्व में अपनी खास पहचान और जगह बनानी चाहिये..!

भाईयों-बहनों, हमारे पास इतनी बड़ी रेलवे है, लेकिन ये हमारा दुर्भाग्य है कि देश में रेलवे की तरफ ध्यान नहीं दिया गया है। इसी रेल व्यवस्था में जापान में जो बदलाव आया है वह काबिलेतारीफ है। आखिर वह बदलाव क्यों आया, क्योंकि जापान बुलेट ट्रेन का कॉन्सेप्ट लाया और देश को खड़ा कर दिया। चाइना ने भी उस कॉन्सेप्ट को फॉलो किया। हमारे पास इतनी लम्बी‍ रेल लाइन है, लेकिन उसकी आधुनिकता के बारे में नहीं सोचा जा रहा है..! क्यों न देश में रेलवे की अपनी चार यूनीवर्सिटी हो, जहाँ पर रेलवे को जिस प्रकार का मैन पॉवर चाहिए, रेलवे को आधुनिक बनाने के लिए जरूरी रिसर्च और इनोवेशन उसकी अपनी यूनीवर्सिटी में क्यों न हो..! मित्रों, ये सोच का सवाल है। मित्रों, आप कल्पना नहीं कर सकते हैं कि रेलवे हिंदुस्तान की कितनी बड़ी ताकत बन सकता है। अगर वर्तमान रेलवे नेटवर्क को ही आधुनिक बनाया जाये, तो हम हिंदुस्तान की विकास की यात्रा को एक नई गति दे सकते हैं..!

भाईयों-बहनों, वाजपेयी जी ने स्वर्णिम चतुर्भुज का निर्माण किया था, उस स्वर्णिम चतुर्भुज ने देश को दुनिया में एक जगह दे दी थी। मित्रों, समय की मांग है कि 8-9 साल के बाद भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होगें, डायमंड जुबली का समय आएगा, क्या समय की मांग नहीं है कि हम अटल जी की उस सोच को एक और नया रंग देकर के बुलेट ट्रेन का डायमंड चतुष्क तैयार करें..? और जब देश 75 साल की डायमंड जुबली मनाएं तो देश में कम से कम चार दिशाओं में बुलेट ट्रेन को ले जाने का काम करें, आप देखिएगा, दुनिया नए सिरे से हिंदुस्तान को देखने लगेगी..!

भाईयों-बहनों, मै कहता हूँ कि आज विश्व के अंदर हम अलग-थलग हिंदुस्तान नहीं सोच सकते हैं। हमारे देश में कौन गुनहगार है, कौन नहीं, इस बात की चर्चा मैं नहीं कर रहा हूँ, लेकिन एक सभ्य, सुसंस्कृत और संस्कारी समाज के नाते आज हमारी माताओं-बहनों के साथ जो हो रहा है, उसके कारण हम दुनिया में मुंह दिखाने लायक नहीं हैं। ये हम सभी का दायित्व बनता है कि नारी का सम्मा‍न किया जाये, उसकी सुरक्षा की जाये, डिग्नीटि ऑफ वूमन हमारा सामाजिक दायित्व बनना चाहिये और हमें उस माहौल को क्रिएट करना होगा, कानून के साथ-साथ समाज जीवन में भी इस व्यवस्था को खड़ा करने का प्रयास करना होगा। हमें बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के मिशन मोड़ पर आगे बढ़ना है, 21 वीं सदी में मां के गर्भ में बेटी को मार दिया जाए, तो इससे बड़ा कोई कलंक नहीं हो सकता है..! लाखों बेटियां मां के गर्भ में मारी जा रही हैं, ये हम सभी का दायित्व है कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ..! हमें सोचना होगा कि इस मिशन को लेकर हम कैसे आगे बढ़ें। भाईयों-बहनों, अब हमें नारी की ओर देखने का दृष्टिकोण भी बदलना होगा। हमारी नारी जिसे हम होममेकर के रूप में देखते हैं, अब समय की मांग है कि हम हमारे देश की नारी को नेशन बिल्डर के रूप में देखें, अगर हम उसको नेशन बिल्डर के रूप में देखेंगे तो हमारी सोच में बदलाव आएगा और हम विश्व के सामने एक नई शक्ति के रूप में उभर सकते हैं..!

भाईयों-बहनों, हमारे देश का एक दुर्भाग्य रहा कि जिस समय हमें अर्बनाइजेशन को अवसर मानना चाहिए था, उस समय हमने अर्बनाइजेशन को एक संकट मान लिया, एक चैलेंज मान लिया और हमारी सारी मुसीबतों का कारण हमारी ये गलत थिंकिग रहा है। भाईयों-बहनों, अर्बनाइजेशन को एक अवसर मानना चाहिये, विकास के लिए उसके महत्व को स्वीकार करना चाहिये, नीतियों का निर्धारण उस रूप में करना चाहिये। क्यों न हमारे देश में सौ नए शहर बनें, आधुनिक शहर बनें, वॉक-टू-वर्क कॉन्सेप्ट के नाते बने,  स्मार्ट सिटी बनें, आवश्कतानुसार कहीं हेल्थ सिटी बनें, कहीं स्पोर्ट सिटी बनें, क्यों न देश में ऐसी स्पेशलाइज्ड सिटी बनाए जाएं..! मित्रों, अगर हम चाहें तो 100 नए शहरों का सपना आज इस देश की आवश्यकता के लिए साकार कर सकते हैं..!

भाईयों-बहनों, जिस प्रकार सौ न्यू सिटी की जरूरत है, वैसे ही जो दो शहर पास-पास है, उनके लिए ट्विन सिटी का कॉन्सेप्ट हमें डेवलप करना चाहिए..! जैसे न्यूयॉर्क और न्यू्जर्सी है, वैसे ही हमें भी ट्विन सिटी कॉन्सेप्ट को डेवलप करना चाहिये और उसमें से हमें विकास का एक नया मॉडल मिल सकता है..! उसी प्रकार से, बड़े शहरों के आसपास सैटेलाइट सिटी का पूरा जाल बनाना चाहिये, इसे एक अवसर के रूप में लेना चाहिये। आप कल्पना कर सकते हैं कि जब इतना सारा काम शुरू होगा तो कितना ज्यादा लोहा, सीमेंट के कारखाने, कितने नौजवान चाहिये और कितने सारे लोगों को रोजगार मिलेगा। देश की जीडीपी की जो चिंता हो रही है उसका जबाव इसमें से मिल सकता है। मित्रों, क्या आजादी के इतने साल बाद गरीबों के पास घर नहीं होना चाहिये..? क्या छत के बिना उसे जिंदगी गुजारने के लिए मजबूर होना पड़े..? क्यों न हम करोड़ों-करोडों मकानों को बनाने का सपना लेकर आगे बढ़ें और राज्यों को साथ में जोड़ करके मिशन चलाएं, केंद्र और राज्य मिलकर यह काम करें, ताकि गरीब से गरीब व्य‍क्ति के पास घर हो और हम प्रगति की दिशा में आगे बढ़ें..!

भाईयों-बहनों, जल, जमीन, जंगल, कृषि, पशु इसके बिना देश नहीं चलेगा..! हमारी कृषि आधुनिक बने, प्रोडक्टविटी बढ़े, ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ इस कॉन्सेप्ट को हम साकार करें, एक-एक बूंद पानी से फसल कैसे पैदा हो, ड्रिप इरीगेशन हो, स्प्रिंक्लर्स हो, आधुनिक विज्ञान को खेती में कैसे स्वीकार करें, नीतियों को किस प्रकार प्रोत्साहन दिया जाए..! भारत के लिए आवश्यक, फसल के लिए, वेस्ट लैंड डेपलवमेंट के लिए हम मिशन मोड़ पर काम करें..! मित्रों, एग्रो इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है, और इसके साथ-साथ अटल जी के द्वारा दिए गए नदियों को जोड़ने वाले संकल्प को भी आगे बढ़ाना होगा और अटल जी के सपने को साकार करना होगा..!

भाइयों-बहनों, गुजरात में अमूल डेयरी इतने सालों से चल रही है, क्या हिंदुस्तान के बड़े राज्यों में श्वेत क्रांति नहीं हो सकती है..? क्या अन्य राज्य का हमारा किसान दूध उत्पादन करके दूध की आवश्यकता की पूर्ति करे पाएं, क्या इतना ताकतवर नहीं बन सकता है..? मित्रों, हमें इस दिशा में आगे बढ़कर देखना होगा ताकि हमारे किसान कभी मुसीबत न झेलें। इसलिए मैं कहता हूँ कि अगर हमें कृषि विकास करना है तो वन थर्ड एग्रीकल्चर, वन थर्ड एनीमल हसबैंडरी और वन थर्ड ट्री प्लानटेंशन करना होगा..! लेकिन देश का दुर्भाग्य देखिए, हमारे यहाँ अभी तक जमीन को नापा नहीं गया है। हमें सेटेलाइट के माध्यम से तत्काल किसानों की जमीन कितनी है, साइज क्या है, उसका पूरा लेखा-जोखा देना चाहिये..! आज किसान अपने बाड़ बनाने के लिए जो जमीन वेस्ट करता है वह नहीं करेगा और उसके स्थान पर पेड़ लगाएगा, तो आज हमें जो टिम्बर इम्पोर्ट करना पड़ता है, उसे करने से बच जाएंगें। इसलिए अगर हमें टिम्बर इम्पोर्ट करने से बचना है तो और हमारे किसान को ताकतवर बनाना है तो इस बात पर बल देना होगा और इस दिशा में आगे बढ़ना होगा। मुझे विश्वास है कि अगर हम इन बातों को करते हैं तो परिस्थितिओं को पलट सकते हैं। इसी तरह, देश में बिजली की समस्या है, देश में 20 हजार मेगावाट बिजली के कारखाने बंद पड़े हैं, क्योंकि फ्यूल नहीं है, कोयले की खदानें बदं पड़ी हैं..! क्या हम ‘पॉवर ऑन डिमांड’ का सपना नहीं देख सकते हैं..? अगर राज्य इनीशिएटिव लें, केंद्र मदद करें तो हर घर में 24 घंटे बिजली पहुंचाई जा सकती है, सामान्य व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाया जा सकता है..!

भाईयों-बहनों, अगर 21 वीं सदी में हमें दुनिया के सामने अपना सिर ऊंचा रखना है तो शिक्षा में किसी प्रकार का कॉम्प्रोमाइज नहीं करना चाहिये..! हमारी प्राइमरी एजुकेशन को और अधिक बल देने की आवश्यकता है और उसके साथ-साथ क्यों न हिंदुस्तान के हर राज्य में आईआईएम बनाया जाए, क्यों न हिंदुस्तान के हर राज्य में आईआईटी बनाई जाएं, क्यों न हिंदुस्तान में हर राज्य में एम्स हो..! हमारा सपना है कि हर राज्य में आईआईएम हो, आईआईटी हो, एम्स‍ हो, हम शिक्षा को एक नई ऊंचाईयों पर ले जाने के प्रयास को आगे बढ़ाना चाहते हैं..!

भाईयों-बहनों, अगर आज गरीब के घर में बीमारी आ जाएं, मध्यमवर्गीय परिवार के घर में बीमारी आ जाएं तो उसकी पूरी आर्थिक स्थिति चरमरा जाती है, वो तबाह हो जाता है और इसलिए हमें एप्रोच को बदलने की आवश्यकता है..! जैसे शिक्षा में टीचिंग एप्रोच को छोड़कर लर्निंग एप्रोच पर जाने की आवश्यकता है, इसी प्रकार से हेल्थ सेक्टर में आज हम सिकनेस को एड्रेस करते हैं, हमें आवश्यकता है कि हम वेलनेस को एड्रेस करें, हम बीमारी की चिंता ज्यादा करते हैं और स्वास्‍थ्‍य की चिंता कम करते हैं..! इसलिए, प्रीवेंटिव हेल्थ केयर, पैरामेडिकल फोर्सेस आदि शक्तियों को कैसे जोड़ा जाये, इस पर ध्यान देना होगा। मित्रों, हेल्थ इंश्योरेंस की बातें बहुत हुई है, 21 वीं सदी में हमें गारंटी देनी होगी और हेल्थ इंश्‍योंरस पर न अटककर हेल्थ एश्योरेंस का वादा करना होगा और यह वादा करके आगे बढ़ना होगा..!

भाईयों-बहनों, क्या गरीबी के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती है..? क्या गरीबी सिर्फ नारों का विषय बन जाएगा..? मित्रों, मैं विश्वास से कहता हूँ कि हमारी आर्थिक योजना के द्वारा, जनभागीदारी के द्वारा, स्मॉल स्केल, कॉटेज और इन सारी प्रवृत्तियों को जोड़कर हम गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ सकते हैं..! गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए गरीबों का सशक्तिकरण होना चाहिये, एम्पॉवरमेंट ऑफ पुअर करके गरीबी से बाहर आना होगा..! हमें उसे अवसर देना चाहिये, हमने जहाँ-जहाँ अवसर दिए हैं, हमें परिणाम मिले हैं, उसीको हमें आगे बढ़ाना है और गरीबी दूर करनी है..!

भाईयों-बहनों, इसके उपरान्त एक और महत्वपूर्ण बात है कि दुनिया के सामने जब ताकत से खड़ा रहना है तो हमारे देश की ब्रान्डिंग भी होना चाहिये..! हम जानते हैं कि बहुत साल पहले जब हम कोई भी चीज खरीदते थे, तो उस पर लिखा रहता था - मेड इन जापान, और ये देखकर हम तुरंत उस चीज को हाथ लगाते थे। मित्रों, क्या ये समय की आवश्यकता नहीं है कि हम भी ब्रांड इंडिया की ओर बल दें..? जब मैं ब्रांड इंडिया की बात करता हूँ तब ‘5-टी’ बात करता हूँ - टैलेंट, ट्रेडीशन, टूरिज्म, ट्रेड और टेक्नोलॉजी..! ये पांच टी ऐसे हैं जिसके भरोसे हम ब्रांड इंडिया को लेकर विश्व में एक बाजार खड़ा करने की ताकत रखते हैं। भारत उत्पादन करे, दुनिया में खड़ा हो लेकिन इसके लिए हमें टेक्नोलॉजी में अपग्रेडेशन करना होगा, हमारे टैलेंट का भरपूर उपयोग करना होगा, हमारे ट्रेडीशन को दुनिया से परिचित करवाना होगा। मित्रों, टूरिज्म में बहुत ताकत होती है। मित्रों, टेररिज्‍म डिवाइड्स एंड टूरिज्म यूनाइट्स..! टेररिज्‍म तोड़ता है और टूरिज्म जोड़ता है। मित्रों, हम टेक्नोलॉजी, ट्रेड और टूरिज्म जैसी परम्पराओं को आगे लेकर चलें..!

भाईयों-बहनों, इन दिनों एक नई शब्दावली हमारे सामने आई है, मैं आज उसके बारे में भी चर्चा करना चाहता हूँ। कुछ लोग कह रहे हैं, माई आईडिया ऑफ इंडिया..! हिंदुस्तान के सवा सौ करोड़ देशवासीओं के आईडिया ऑफ इंडिया हो सकता है, ये किसी की जागीर नहीं हो सकती..! आपका भी हो सकता है, इनका भी हो सकता है, यहाँ पर बैठे लोगों का भी हो सकता है, मेरा भी हो सकता है। आईडिया ऑफ इंडिया को कहीं बांधा नहीं जा सकता है। मैं आज माई आईडिया ऑफ इंडिया की बात आप सभी के सामने प्रस्तुत करना चाहता हूँ..!

माई आईडिया ऑफ इंडिया - सत्यमेव जयते माई आईडिया ऑफ इंडिया - वसुधैव
कुटुम्बकम्
माई आईडिया ऑफ इंडिया - अहिंसा परमो धर्म: माई आईडिया ऑफ इंडिया -
आनो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः
माई आईडिया ऑफ इंडिया -
सर्व पंथ समभाव
माई आईडिया ऑफ इंडिया - एकम् सद्
विप्रा बहुधा वदन्ति

माई आईडिया ऑफ इंडिया - सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया: माई आईडिया ऑफ इंडिया - सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु, सह वीर्य करवावहै माई आईडिया ऑफ इंडिया - न त्यहं कामये राज्य
म्, न स्वर्ग न पुर्नभव
म्, कामये
दु:खतप्तानां प्राणिनामार्तिनाशन
म्
माई आईडिया ऑफ इंडिया - जननी जन्मभूमिश्च, स्वर्गादपि गरीयसी माई आईडिया ऑफ इंडिया - पौधे में भी परमात्मा होता है माई आईडिया ऑफ इंडिया - वैष्णव जन तो तेने रे कहिये, जे पीड पराई जाणे रे माई आईडिया ऑफ इंडिया -
वाच काछ मन निश्चल राखे, परधन नव झाले हाथ रे
माई आईडिया ऑफ इंडिया - यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता: माई आईडिया ऑफ इंडिया - नारी तू नारायणी माई आईडिया ऑफ इंडिया - दरिद्र नारायण की सेवा माई आईडिया ऑफ इंडिया - नर करनी करे तो नारायण हो जाए भाईयों-बहनों, जब मैं माई आईडिया ऑफ इंडिया की बात कर रहा हूँ तब और जब हम 2014 के चुनाव लड़ने जा रहे हैं तब, क्या आप सभी मेरे साथ नारा बुलवाएंगे..? दोनों हाथ की मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से मेरे बोलने के बाद बोलिए, वोट फॉर इंडिया..! वंशवाद से मुक्ति के लिए - वोट फॉर इंडिया भाई-भतीजेवाद की मुक्ति के लिए - वोट फॉर इंडिया भष्ट्राचार से मुक्ति के लिए - वोट फॉर इंडिया महंगाई से मुक्ति के लिए - वोट फॉर इंडिया कुशासन से मुक्ति के लिए - वोट फॉर इंडिया देश की रक्षा के लिए - वोट फॉर इंडिया जन-जन की सुरक्षा के लिए - वोट फॉर इंडिया रहने को घर के लिए - वोट फॉर इंडिया खाने को अन्ने के लिए - वोट फॉर इंडिया बीमार की दवाई के लिए - वोट फॉर इंडिया दरिद्र नारायण की भलाई के लिए - वोट फॉर इंडिया शिक्षा में सुधार के लिए - वोट फॉर इंडिया युवाओं को रोजगार के लिए - वोट फॉर इंडिया नारी के सम्मान के लिए - वोट फॉर इंडिया किसानों के कल्या‍ण के लिए - वोट फॉर इंडिया स्वाबलम्बी‍ भारत के लिए - वोट फॉर इंडिया शक्तिशाली भारत के लिए - वोट फॉर इंडिया समृद्धशाली भारत के लिए - वोट फॉर इंडिया प्रगतिशील भारत के लिए - वोट फॉर इंडिया भारत की एकता के लिए - वोट फॉर इंडिया एक भारत श्रेष्ठ भारत के लिए - वोट फॉर इंडिया सुराज की राजनीति के लिए - वोट फॉर इंडिया सुशासन की राजनीति के लिए - वोट फॉर इंडिया विकास की राजनीति के लिए - वोट फॉर इंडिया

भाईयों-बहनों, वोट फॉर इंडिया का हमारा यह सपना है..! मित्रों, आदरणीय आडवाणी जी का आर्शीवाद लेकर हम अपने इलाके वापस जा रहे हैं, हम विजय का व्रत लेकर जाएं, हम तो विजयीव्रती बनें, पर हमारे हर साथी को भी विजयीव्रती बनाएं..! मित्रों, यह बात याद रखें कि चुनाव में विजय का गर्भाधान पोलिंग बूथ में होता है..! पोलिंग बूथ विजय की जननी होती है और जो जननी होती है उसकी हिफाजत करना हमारा दायित्व होता है..! इसलिए, पोलिंग बूथ की हिफाजत हो, पोलिंग बूथ की चिंता हो, पोलिंग बूथ जीतने का संकल्प हो और इस संकल्प को लेकर हम आगे बढ़ें और भारत दिव्य बनें, भारत भव्य बनें, इस सपने को साकार करने के लिए देशवासियों की शक्ति को हम साथ मिलकर के वोट में परिवर्तित करें, इसी अपेक्षा के साथ मैं राष्ट्रीय नेतृत्व का बहुत आभारी हूँ कि मुझ जैसे एक सामान्य व्यक्ति को ये काम दिया है..! मित्रों, जब एक चाय वाला चुनाव लड़ता है तो ऐसे में आप देश को कह सकते हैं कि मोदी जी एक ऐसे इंसान है जिसके पास अपना कुछ नहीं है और आप कहेगें तो दस करोड़ परिवारों से फंड जरूर मिलेगा। गरीब से गरीब व्यक्ति भी इस बार भाजपा को धन देने के लिए उमंग से आगे आएगा, और हम तय करें कि हिंदुस्तान के सामान्य नागरिकों के धन से हम चुनाव लड़ेगें..! अभी केरल में हमारे कार्यकताओं ने करके दिखाया, दिसम्बर 2012 के गुजरात के चुनाव में गुजरात के कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर 5, 10, 100 रूपए इक्ट्ठा करके चुनाव लड़ा..! पिछले तीन-तीन बार से गुजरात में सरकार है, वैसे तो गुजरात में सात बार से भाजपा की सरकार है, लेकिन मुझे पिछले चार बार से अवसर मिला है, कार्यकर्ताओं ने लोगों से पैसे लेकर, धन संग्रह करके चुनाव लड़ा..! हमें इस परम्परा को आगे बढ़ाना है, इसे निभाना है और जब एक गरीब मां का बेटा, एक चाय वाला मैदान में हो तो देश हमारे भंडार भर देगा, मुझे इस बात का विश्वास है। आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद..!

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The people-to-people ties between India and Sri Lanka are rooted in our civilisations: PM Modi
December 16, 2024

Your Excellency, President Anura Kumara Dissanayake,

Delegates from both countries,

Friends from the Media,

Greetings!

I warmly welcome President Dissanayake to India. I am pleased that you chose India for your first foreign visit, as President. President Dissanayake’s visit has infused renewed dynamism and energy in our relationship. We have adopted a futuristic vision for our partnership. We have laid emphasis on investment-led growth and connectivity in our economic partnership. And have decided that physical, digital and energy connectivity shall be the key pillars of our partnership. We shall work towards establishing electricity-grid connectivity and multi-product petroleum pipelines between both the nations. The Sampur Solar Power Project shall be accelerated. Additionally, LNG shall be supplied for Sri Lanka’s power plants. Both sides shall endeavour to accomplish ETCA soon, to promote bilateral trade.

Friends,

Till date, India has extended grants and Lines of Credit worth USD 5 Billion to Sri Lanka. We have been providing support to all the 25 districts of Sri Lanka. Our projects have always been selected on the basis of developmental priorities of our partner countries. Taking forward this developmental support, we have decided to provide a grant support towards the rejuvenation of the signalling system of Maho to Anuradhapura Rail Section and Kankesanthurai Port. As part of our educational cooperation, we will be providing monthly scholarships to 200 students of Jaffna and universities in Sri Lanka's Eastern region. In the next five years, 1500 Sri Lankan civil servants will be trained in India. Along with housing, renewable energy and infrastructure, India will also extend its support to Sri Lanka in the sectors of agriculture, dairy and fisheries. India shall partner for the Unique Digital Identity project in Sri Lanka.

Friends,

President Dissanayake and I are in full agreement that our security interests are interconnected. We have decided to quickly finalise the Security Cooperation Agreement. We have also agreed to cooperate on Hydrography. We believe that the Colombo Security Conclave is an important platform for regional peace, security and development. Under this umbrella, support shall be extended in the matters of maritime security, counter terrorism, cyber security, combating smuggling and organized crime, humanitarian assistance and disaster relief.

Friends,

The people to people ties between India and Sri Lanka are rooted in our civilizations. When India declared the Pali language as a Classical Language, Sri Lanka joined us in this celebration. The Ferry Service and the Chennai-Jaffna flight connectivity have not only boosted tourism but have also reinforced cultural ties. We have jointly decided that, post the successful launch of the Nagapattinam - Kankesanthurai Ferry service, we will also initiate a ferry service between Rameshwaram and Talaimannar. Work shall also be initiated to realize the immense potential in tourism through the Buddhism Circuit and Sri Lanka's Ramayana Trail .

Friends,

We also spoke at length about the issues related to the livelihood of our fishermen. We both agreed that we must adopt a humanitarian approach towards this matter. We also talked about reconstruction and reconciliation in Sri Lanka. President Dissanayake apprised me of his inclusive perspective. We hope that the Sri Lankan government shall fulfil the aspirations of the Tamil people. And that they shall fulfil their commitment towards fully implementing the Constitution of Sri Lanka and conducting the Provincial Council Elections.

Friends,

I have assured President Dissanayake that India shall stand as a trusted and reliable partner in his efforts towards nation building. Once again, I extend a warm welcome to President Dissanayake and his delegation to India. I wish him the best for his visit to Bodhgaya, and hope it is full of spiritual energy and inspiration.

Thank you you very much.